वाराणसी में साईं की प्रतिमाओं को गंगा में किया जा रहा है प्रवाहित, सौ मंदिरों की सूची तैयार, जानिए, पूरा मामला

उत्तर प्रदेश की धर्मनगरी काशी में कई मंदिरों से शिरडी साईं बाबा की मूर्तियां हटाई जा रही हैं। अब तक 14 मंदिरों से साईं बाबा की प्रतिमाएं हटा दी गई हैं। यह कदम केंद्रीय ब्राह्मण सभा के विरोध के पश्चात् उठाया गया, जिसमें साईं बाबा की पूजा को हिन्दू धर्म के खिलाफ बताया गया था। प्रतिमाएं हटाने से पहले संबंधित मंदिरों से सहमति ली गई तथा उन्हें विधि-विधान से गंगा नदी में विसर्जित किया जा रहा है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वाराणसी के प्रमुख मंदिरों में से साईं बाबा की मूर्तियां हटाई गई हैं, जिनमें बड़ा गणेश मंदिर, त्र्यंबकेश्वर मंदिर, अन्नपूर्णा मंदिर, एवं पुरुषोत्तम मंदिर समेत 14 मंदिर सम्मिलित हैं। सनातन रक्षक दल के प्रदेश अध्यक्ष अजय शर्मा ने बताया कि कुल 100 मंदिरों की सूची तैयार की गई है, जहाँ से साईं बाबा की प्रतिमाओं को हटाया जाएगा। इनमें अगस्त्यकुंडा और भूतेश्वर जैसे पौराणिक स्थल भी सम्मिलित हैं। अजय शर्मा का दावा है कि काशी महादेव शिव की नगरी है, तथा अनजाने में लोग साईं बाबा की पूजा करने लगे थे। उन्होंने बताया कि जिन मंदिरों से साईं बाबा की प्रतिमाएं हटाई जा रही हैं, वे 2013 में स्थापित की गई थीं। प्रतिमाओं को हटाने के बाद विधिपूर्वक गंगा में विसर्जित किया जा रहा है। बड़ा गणेश मंदिर में साईं बाबा की मूर्ति की जगह माता लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित की जाएगी।

अजय शर्मा ने यह भी कहा कि साईं बाबा की पूजा करने वालों को अपने घरों में पूजा करने की छूट है, या वे चाहें तो अलग से एक मंदिर का निर्माण कर सकते हैं। मंदिरों से प्रतिमाएं हटाने से पहले मंदिर प्रबंधन की सहमति ली जा रही है। बड़ा गणेश मंदिर के महंत रम्मू गुरु ने बताया कि लोग अज्ञानता के कारण साईं बाबा की पूजा कर रहे थे। अन्नपूर्णा मंदिर के महंत शंकर पुरी ने भी इस कदम का समर्थन किया, उनका कहना है कि शास्त्रों में शिरडी साईं बाबा की पूजा का कोई विधान नहीं है। हालाँकि, समाजवादी पार्टी के MLC आशुतोष सिंह तथा कुछ अन्य लोग इस कदम का विरोध कर रहे हैं।

सद्गुरु जग्गी वासुदेव के आश्रम में तमिलनाडु पुलिस ने भेज दी पूरी बटालियन, डिटेल में पढ़िए, क्या है पूरा माजरा

सद्गुरु जग्गी वासुदेव के ईशा फाउंडेशन ने कहा है कि वह लोगों पर शादी करने या संन्यास लेने के लिए कोई दबाव नहीं डालता। यह बयान मंगलवार (1 अक्टूबर, 2024) को कोयम्बटूर के थोंडामुथुर स्थित ईशा फाउंडेशन में पुलिस के सैकड़ों जवानों तथा अफसरों के पहुंचने के पश्चात् आया। पुलिस टीम संस्थान में मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश के तहत पहुंची थी।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मंगलवार को पुलिस के चार बड़े अफसरों समेत 150 जवानों की टीम थोंडामुथुर स्थित ईशा फाउंडेशन के अंदर गई थी। इस पुलिस टीम ने आश्रम में रहने वाले लोगों का सत्यापन किया तथा अंदर के तौर-तरीकों की जानकारी भी ली। यह जांच बुधवार (2 अक्टूबर, 2024) को भी जारी है। पुलिस टीम ने ईशा फाउंडेशन के खिलाफ पूर्व में दर्ज किए गए मामलों की जानकारी इकट्ठा करना भी शुरू कर दिया है। इसके साथ ही समाज कल्याण और बाल कल्याण विभाग के अफसरों ने भी आश्रम में जांच के लिए प्रवेश किया। यह पुलिस जांच मद्रास उच्च न्यायालय में सुनवाई के पश्चात् आरम्भ हुई है। सोमवार (30 सितंबर, 2024) को मद्रास हाई कोर्ट में ईशा फाउंडेशन के खिलाफ दायर की गई एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई हुई थी। इस याचिका में एक वरिष्ठ नागरिक ने आरोप लगाया कि उसकी दो बेटियों को आश्रम में कैद कर लिया गया है और उन्हें बाहर नहीं आने दिया जाता। उन्होंने यह भी कहा कि वहां ऐसा खाना और दवाइयाँ दी जाती हैं, जिससे लोगों की क्षमताएँ कम हो जाती हैं।

याचिका में यह भी आरोप लगाया गया कि उनकी बेटियों का आश्रम में जाने से पहले अच्छा करियर था, मगर वहां जाने के पश्चात् उनका करियर ठप हो गया। याचिकाकर्ता का कहना था कि सद्गुरु जग्गी का आश्रम लोगों को सामान्य जीवन छोड़कर साधु बनने के लिए ब्रेनवाश करता है। यह भी आरोप लगाया गया कि इस के चलते लोगों को उनके परिवार से मिलने नहीं दिया जाता तथा उनका बाहरी दुनिया से संपर्क काट दिया जाता है। मद्रास उच्च न्यायालय ने इस मामले में सद्गुरु जग्गी वासुदेव एवं ईशा फाउंडेशन को आड़े हाथों लिया। कोर्ट ने कहा, "हम जानना चाहते हैं कि एक व्यक्ति जिसने अपनी बेटी की शादी कर दी तथा उसका जीवन अच्छे से स्थापित कर दिया, वह दूसरों की बेटियों को सिर मुंडवाने और एकांत में जीवन जीने के लिए क्यों प्रोत्साहित कर रहा है?"

मद्रास उच्च न्यायालय की सुनवाई के चलते याचिकाकर्ता की दोनों बेटियाँ भी मौजूद थीं। बेटियों ने दावा किया कि वे अपनी मर्जी से आश्रम के भीतर हैं तथा उन्होंने दबाव की बात मानने से इनकार कर दिया। न्यायालय ने याचिकाकर्ता की बेटियों को भी आड़े हाथों लिया तथा कहा कि जो लोग संत बनते हैं वे सभी से प्रेम करते हैं, लेकिन ये दोनों महिलाएँ अपने पिता से बदतमीजी से बात कर रही हैं और उनसे घृणा रखती हैं। कोर्ट ने पूछा कि क्या अपने परिजनों से घृणा रखना पाप नहीं है। न्यायालय ने याचिकाकर्ता की याचिका में किए गए गंभीर दावों के आधार पर प्रशासन को आदेश दिया है कि वह ईशा फाउंडेशन के आश्रम के भीतर जांच करे तथा इसकी रिपोर्ट न्यायालय के सामने पेश करे। इस दौरान ईशा फाउंडेशन ने न्यायालय में कहा कि वह किसी से संन्यास लेने को नहीं कहते। इस संबंध में ईशा फाउंडेशन ने एक प्रेस रिलीज भी जारी की है।

फाउंडेशन ने कहा, "ईशा फाउंडेशन की स्थापना सद्गुरु ने लोगों को योग तथा आध्यात्मिकता प्रदान करने के लिए की थी। हमारा मानना ​​है कि वयस्क व्यक्ति को अपना रास्ता चुनने की स्वतंत्रता और समझ है। हम लोगों से शादी करने या साधु बनने के लिए नहीं कहते, क्योंकि ये व्यक्तिगत इच्छाएँ हैं। ईशा योग केंद्र में हजारों लोग रहते हैं जो साधु नहीं हैं, और कुछ ऐसे भी हैं जिन्होंने ब्रह्मचर्य या संन्यास लिया है।" ईशा फाउंडेशन ने याचिकाकर्ता पर भी कई आरोप लगाए हैं। ईशा फाउंडेशन ने बताया कि याचिकाकर्ता ने एक बार झूठी जानकारी के आधार पर आश्रम में घुसने की कोशिश की थी। फाउंडेशन ने कहा है कि याचिकाकर्ता द्वारा दर्ज किए गए मामलों के अतिरिक्त उनके खिलाफ कोई अन्य मुकदमा दर्ज नहीं है।

सद्गुरु जग्गी वासुदेव के आश्रम में तमिलनाडु पुलिस ने भेज दी पूरी बटालियन, डिटेल में पढ़िए, क्या है पूरा माजरा

सद्गुरु जग्गी वासुदेव के ईशा फाउंडेशन ने कहा है कि वह लोगों पर शादी करने या संन्यास लेने के लिए कोई दबाव नहीं डालता। यह बयान मंगलवार (1 अक्टूबर, 2024) को कोयम्बटूर के थोंडामुथुर स्थित ईशा फाउंडेशन में पुलिस के सैकड़ों जवानों तथा अफसरों के पहुंचने के पश्चात् आया। पुलिस टीम संस्थान में मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश के तहत पहुंची थी।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मंगलवार को पुलिस के चार बड़े अफसरों समेत 150 जवानों की टीम थोंडामुथुर स्थित ईशा फाउंडेशन के अंदर गई थी। इस पुलिस टीम ने आश्रम में रहने वाले लोगों का सत्यापन किया तथा अंदर के तौर-तरीकों की जानकारी भी ली। यह जांच बुधवार (2 अक्टूबर, 2024) को भी जारी है। पुलिस टीम ने ईशा फाउंडेशन के खिलाफ पूर्व में दर्ज किए गए मामलों की जानकारी इकट्ठा करना भी शुरू कर दिया है। इसके साथ ही समाज कल्याण और बाल कल्याण विभाग के अफसरों ने भी आश्रम में जांच के लिए प्रवेश किया। यह पुलिस जांच मद्रास उच्च न्यायालय में सुनवाई के पश्चात् आरम्भ हुई है। सोमवार (30 सितंबर, 2024) को मद्रास हाई कोर्ट में ईशा फाउंडेशन के खिलाफ दायर की गई एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई हुई थी। इस याचिका में एक वरिष्ठ नागरिक ने आरोप लगाया कि उसकी दो बेटियों को आश्रम में कैद कर लिया गया है और उन्हें बाहर नहीं आने दिया जाता। उन्होंने यह भी कहा कि वहां ऐसा खाना और दवाइयाँ दी जाती हैं, जिससे लोगों की क्षमताएँ कम हो जाती हैं।

याचिका में यह भी आरोप लगाया गया कि उनकी बेटियों का आश्रम में जाने से पहले अच्छा करियर था, मगर वहां जाने के पश्चात् उनका करियर ठप हो गया। याचिकाकर्ता का कहना था कि सद्गुरु जग्गी का आश्रम लोगों को सामान्य जीवन छोड़कर साधु बनने के लिए ब्रेनवाश करता है। यह भी आरोप लगाया गया कि इस के चलते लोगों को उनके परिवार से मिलने नहीं दिया जाता तथा उनका बाहरी दुनिया से संपर्क काट दिया जाता है। मद्रास उच्च न्यायालय ने इस मामले में सद्गुरु जग्गी वासुदेव एवं ईशा फाउंडेशन को आड़े हाथों लिया। कोर्ट ने कहा, "हम जानना चाहते हैं कि एक व्यक्ति जिसने अपनी बेटी की शादी कर दी तथा उसका जीवन अच्छे से स्थापित कर दिया, वह दूसरों की बेटियों को सिर मुंडवाने और एकांत में जीवन जीने के लिए क्यों प्रोत्साहित कर रहा है?"

मद्रास उच्च न्यायालय की सुनवाई के चलते याचिकाकर्ता की दोनों बेटियाँ भी मौजूद थीं। बेटियों ने दावा किया कि वे अपनी मर्जी से आश्रम के भीतर हैं तथा उन्होंने दबाव की बात मानने से इनकार कर दिया। न्यायालय ने याचिकाकर्ता की बेटियों को भी आड़े हाथों लिया तथा कहा कि जो लोग संत बनते हैं वे सभी से प्रेम करते हैं, लेकिन ये दोनों महिलाएँ अपने पिता से बदतमीजी से बात कर रही हैं और उनसे घृणा रखती हैं। कोर्ट ने पूछा कि क्या अपने परिजनों से घृणा रखना पाप नहीं है। न्यायालय ने याचिकाकर्ता की याचिका में किए गए गंभीर दावों के आधार पर प्रशासन को आदेश दिया है कि वह ईशा फाउंडेशन के आश्रम के भीतर जांच करे तथा इसकी रिपोर्ट न्यायालय के सामने पेश करे। इस दौरान ईशा फाउंडेशन ने न्यायालय में कहा कि वह किसी से संन्यास लेने को नहीं कहते। इस संबंध में ईशा फाउंडेशन ने एक प्रेस रिलीज भी जारी की है।

फाउंडेशन ने कहा, "ईशा फाउंडेशन की स्थापना सद्गुरु ने लोगों को योग तथा आध्यात्मिकता प्रदान करने के लिए की थी। हमारा मानना ​​है कि वयस्क व्यक्ति को अपना रास्ता चुनने की स्वतंत्रता और समझ है। हम लोगों से शादी करने या साधु बनने के लिए नहीं कहते, क्योंकि ये व्यक्तिगत इच्छाएँ हैं। ईशा योग केंद्र में हजारों लोग रहते हैं जो साधु नहीं हैं, और कुछ ऐसे भी हैं जिन्होंने ब्रह्मचर्य या संन्यास लिया है।" ईशा फाउंडेशन ने याचिकाकर्ता पर भी कई आरोप लगाए हैं। ईशा फाउंडेशन ने बताया कि याचिकाकर्ता ने एक बार झूठी जानकारी के आधार पर आश्रम में घुसने की कोशिश की थी। फाउंडेशन ने कहा है कि याचिकाकर्ता द्वारा दर्ज किए गए मामलों के अतिरिक्त उनके खिलाफ कोई अन्य मुकदमा दर्ज नहीं है।

खुलकर सामने सामने आई दो बड़ी शक्तियां, जवाब दिया तो पूरे इजरायल में करेंगे हमले, 200 मिसाइल दागने के बाद भी 'फायर मोड' में ईरान

अब तक जो लड़ाई बीते एक साल से इजरायल और हमास जैसे उग्रवादी संगठन के बीच चल रही थी। उसने अब विस्तार ले लिया है। एक तरफ बीते 10 दिनों से इजरायल की जंग हिजबुल्लाह से भी चल रही है और उसने लेबनान में ताबड़तोड़ हमले किए हैं तो वहीं ईरान ने भी इजरायल पर 200 मिसाइलें दाग दीं। इन मिसाइलों को इजरायल के आयरन डोम सिस्टम ने रोक लिया, लेकिन इस हमले ने दो बड़ी शक्तियों को आमने-सामने तो ला ही दिया है। हालात ऐसे हैं कि अमेरिका ने अतिरिक्त सैनिक भेजने का ऐलान कर दिया है तो वहीं इजरायल ने कसम खाई है कि या तो ईरान ही बचेगा या फिर हम ही रह जाएंगे।

यही नहीं ईरान भी 200 मिसाइलों से हमला करने के बाद भी फायर मोड में ही दिख रहा है। ईरान के आर्मी चीफ जनरल मेजर जनरल मोहम्मद बाघेरी ने इजरायल को धमकी दी है कि यदि उसने ईरानी हमले के जवाब में ऐक्शन लिया तो फिर खामियाजा भुगतना होगा। ईरामी आर्मी चीफ ने कहा कि यदि अब इजरायल अटैक करता है तो हम उसके हर ठिकाने को टारगेट करेंगे। ईरान ने साफ कहा कि इजरायल के हर कोने में अब हमले करेंगे। मेजर जनरल मोहम्मद बाघेरी ने कहा कि अब इजरायल ने कुछ किया तो हम और बड़ा हमला करेंगे और उसके हर इलाके को निशाना बनाएंगे।

मंगलवार को ईरान की ओर से किए गए मिसाइल अटैक्स की फुटेज ईरानी मीडिया में खूब चल रही हैं। इसमें दिखाया गया है कि कैसे ईरान ने इजरायल के तीन मिलिट्री बेस को टारगेट करने की कोशिश की। इन हमलों में इजरायल का कोई खास नुकसान नहीं हुआ, लेकिन ईरान ने अरब और मुस्लिम जगत को यह संदेश देने की कोशिश की है कि वह फिलिस्तीन और लेबनान की रहनुमाई कर रहा है। ईरान ने दावा किया है कि उसकी ओर से दागी गईं 90 फीसदी मिसाइलों ने टारगेट को हिट किया। इजरायली सेना ने कहा कि ईरान ने करीब 180 मिसाइलें दागीं, जिनमें से अधिकतर को बीच में ही रोक लिया गया।

पहले पुतिन अब फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों से क्यों मिले डोभाल, राफेल और स्कॉर्पीन पनडुब्बियों की डील या कोई और मिशन*
#ajit_doval_meets_emmanuel_macron

भारतीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल फ्रांस के यात्रा पर गए हुए हैं। इसी कड़ी में अजीत डोभाल की मुलाकात आज फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से हुई। इससे पूर्व अपनी यात्रा पर अजित डोभाल ने फ्रांस के सशस्त्र मंत्री सेबस्टियन लेकॉर्नू संग व्यापक चर्चा की थी। उनकी बातचीत का उद्देश्य द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को गहरा करना और अंतरिक्ष सहयोग को आगे बढ़ाना था। साथ ही उभरते हुए अंतरराष्ट्रीय भू-रातनीतिक परिदृश्य पर अंतर्दृष्टि साझा भी करना था। इजरायल और ईरान के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। पश्चिम एशिया में छिड़ी जंग के बीच भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल फ्रांस पहुंचे। एनएसए डोभाल ने फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात की। इस दौरान फ्रांस के साथ रक्षा सौदों और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा की गई। अजीत डोभाल ने फ्रांसीसी रक्षा मंत्री सेबेस्टियन लेकोर्नु से मुलाकात की और रक्षा संबंधों को मजबूत बनाने पर जोर दिया। दोनों देश मेक इन इंडिया के तहत रक्षा उद्योग साझेदारी को आगे बढ़ाने पर सहमत हुए। इसके अलावा, उन्होंने असैन्य परमाणु संबंधों पर भी चर्चा की। लेकोर्नु ने एक्स पर लिखा कि हमने द्विपक्षीय रक्षा सहयोग पर चर्चा की। इस दौरान राफेल मरीन, स्कॉर्पीन पनडुब्बी और स्पेस क्षेत्र में द्विपक्षीय रक्षा सहयोग पर बात की। साथ ही, अंतरराष्ट्रीय स्थिति, खासकर यूक्रेन पर भी बातचीत हुई। सवाल उठ रहा है डोभाल का फ्रांस जाना क्यों अहम है। इसकी वजह है भारत और फ्रांस के बीच होने वाली राफेल मरीन जेट डील। मौजूदा वक्त में भारत इंडियन नेवी के लिए 26 राफेल मरीन जेट खरीदने के लिए फ्रांस सरकार के साथ बातचीत कर रहा है। अगल डील पक्की हो जाती है तो बहुत जल्द भारत को राफेल एम फाइटर जेट मिल जाएगा। राफेल जहां भारतीय वायुसेना की ताकत में चार चांद लगा रहा है। वहीं, राफेल एम जेट इंडियन नेवी की ताकत को और बूस्ट करेगा। भारत और फ्रांस के बीच 26 राफेल मरीन जेट यानी समुद्री लड़ाकू विमानों के लिए डील हो रही है। यह डील करीब 50 हजार करोड़ रुपए की होगी। मैक्रों के साथ बातचीत में राफेल एम फाइटर जेट को लेकर भी डोभाल ने मुद्दा उठाया है। बता दें कि इससे पहले अजित डोभाल रूस की यात्रा पर थे, जहां उन्होंने रूस के राष्ट्रपति व्लादमीर पुतिन से मुलाकात की थी। रूस जाकर पुतिन से मुलाकात करने वाले अजीत डोभाल अब फ्रांस गए। उन्होंने फ्रांस में राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से मुलाकात की और कई अहम डील पर चर्चा की। अजीत डोभाल ने रूस-यूक्रेन जंग पर फ्रांस को पीएम मोदी का संदेश भी सुनाया है। साथ ही भारत कैसे रूस-यूक्रेन जंग खत्म कर सकता है, अजीत डोभाल ने मैक्रों को पूरा प्लान बताया। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की के साथ पीएम मोदी की क्या-क्या बातचीत हुई, इससे एनएसए यानी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को अवगत कराया।
इजराइल पर ईरान के हमले के बाद मिडिल ईस्ट में चरम पर तनाव, जंग के बीच भारत ने दिया शांति का संदेश
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* ईरान ने मंगलवार को इजरायल पर 200 से ज्यादा बैलिस्टिक मिसाइलों से भीषण हमला किया। ईरानी सेना ने बैलिस्टिक मिसाइलों की बौछार कर मुख्‍य रूप से सैन्य और सुरक्षा प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया गया। इजरायल की वायु रक्षा प्रणाली हमले को लेकर सक्रिय थी। इसी के चलते आसमान में ही कई मिसाइलों को नष्ट कर दिया गया, लेकिन इसके बावजूद कुछ मिसाइल जमीन पर गिरे और इजरायल को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा। इस हमले के बाद इजराइल भी हिल गया है। अब इजराइल में अंजाम भुगतने की चेतावनी दे डाली है।नेतन्याहू की तरफ से दी गई धमकी ने पश्चिम एशिया में बड़े युद्ध की दस्तक दे दी है। वहीं, मौजूदा हालात पर पहली बार भारत ने भी प्रतिक्रिया दी है। पश्चिम एशिया के हालात पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने बातचीत और कूटनीति से मुद्दों को हल करने की अपील की है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी करते हुए कहा, हम पश्चिम एशिया में सुरक्षा स्थिति के बिगड़ने से बहुत चिंतित हैं और सभी संबंधित पक्षों से संयम बरतने और नागरिकों की सुरक्षा का आह्वान दोहराते हैं। विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में आगे कहा है कि यह महत्वपूर्ण है कि संघर्ष व्यापक क्षेत्रीय आयाम न ले ले और हम आग्रह करते हैं कि सभी मुद्दों को बातचीत और कूटनीति के माध्यम से हल किया जाना चाहिए। बता दें की भारत का हमेशा से यह मानना रहा है कि संघर्ष का समाधान केवल बातचीत से हो सकता है युद्ध से नहीं। हालांकि, पीएम मोदी ने हाल ही में इजराइल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू से बात की थी। वहीं, ईरान के जरिए इजरायल के खिलाफ मिसाइलों की बौछार शुरू करने से कुछ घंटे पहले वाशिंगटन में एक थिंक टैंक के साथ बातचीत के दौरान भारतीय विदेश मंत्री मंत्री ने कहा, हम संघर्ष के व्यापक होने की संभावना से चिंतित हैं, न केवल लेबनान में जो हुआ, बल्कि हौथियों और लाल सागर में भी, तथा ईरान और इजरायल के बीच जो कुछ भी घटित होगा, उससे भी। एक तरफ भारत युद्ध के हालात में शांति की बात कर रहा है, वहीं इजराइल पर हमले के बाद अमेरिका ने ईरान को चेतावनी दी है। इजराइल के समर्थन में अमेरिका खुलकर उतर गया है। अमेरिका ने ईरान को इजराइल पर हमले तुरंत बंद करने को कहा है नहीं तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। बताया जा रहा है कि अमेरिकन इंटेलिजेंस ने इजराइल को पहले ही आगाह कर दिया था कि ईरान उस हमला करने वाला है।
*भारत के 'दुश्मन' देश से क्यों नजदीकियां बढ़ा रहे पुतिन, पाकिस्तान से किया व्यापार समझौता*
#pakistan_russia_trade_deal
पाकिस्तान और रूस के बीच आर्थिक संबंध मजबूत हो रहे हैं। पाकिस्तान पिछले कुछ समय से रूस से लगातार आर्थिक और व्यापारिक रिश्तें बढ़ा रहा है। दोनों देशों के बढ़ते संबंधों के बीच राजधानी मॉस्को में पाकिस्तान-रूस व्यापार और निवेश फोरम का उद्घाटन किया गया है। इस फोरम में 60 सदस्यों वाला पाकिस्तानी व्यापार प्रतिनिधिमंडल शामिल हुआ। पाकिस्तान के निजीकरण, निवेश और संचार बोर्ड के केंद्रीय मंत्री अब्दुल अलीम खान ने इसका नेतृत्व किया। इस मीटिंग के दौरान समझौते पर हस्ताक्षर किया गया। मॉस्को में आयोजित उद्घाटन समारोह में रूसी उद्योग और व्यापार उप मंत्री, एलेक्सी ग्रुजदेव ने फोरम का उद्घाटन किया। इसमें परिवहन मंत्री के सलाहकार एवगेनी फिडचुक सहित अन्य वरिष्ठ रूसी अधिकारी भी शामिल हुए। वहीं रूस में पाकिस्तान के राजदूत मोहम्मद खालिद जमाली भी वहां मौजुद थे। दोनों देशों के बीच वस्तु विनिमय व्यापार को लेकर समझौता हुआ हैं। दोनों देशों ने इसको लेकर एमओयू पर भी हस्ताक्षर किया है। इस व्यापार में एक सामान देकर दूसरा सामान खरीदते हैं। पाकिस्तानी कंपनियों ने इस कार्यक्रम में कपड़ा, चमड़े का सामान, खेल उपकरण, दवाइयां, भोजन, कृषि उत्पाद और पर्यटन से जुड़ी प्रोडक्ट्स का प्रदर्शन किया। पाकिस्तान के साथ रूस के इस बढ़ते हुए संबंध पर भारत की भी नजर है। भारत और रूस के बीच व्यापारिक संबंध काफी लंबे समय से चले आ रहे हैं और यह गहरे भी हैं। यूक्रेन युद्ध की शुरुआत के बाद से ही भारत रूस से कच्चा तेल खरीद रहा है। पाकिस्तान की खस्ता हालत से तो सभी वाकिफ हैं। उसका विदेशी मुद्रा भंडार भी खाली पढ़ा हुआ है। रूस के साथ हुए इस समझौते से पाकिस्तान को कुछ हद तक राहत मिलेगी। रूस और पाकिस्तान के बीच इससे पहले भी वस्तु विनिमय व्यापार होता था। 50-70 के दशक के दौरान पाकिस्तान रूस से मशीनरी का आयात करता था। तो वहीं रूस चमड़ा और अन्य वस्तुओं का निर्यात करता था। इस साल हुए एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान पाकिस्तान ने वस्तु विनिमय करने का आग्रह किया था।
ईरान द्वारा इजरायल पर हमला किए जाने के बाद भारत ने अपने नागरिकों के लिए यात्रा परामर्श जारी किया*

केंद्र ने बुधवार को ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते संघर्ष के मद्देनजर सभी भारतीय नागरिकों के लिए एक यात्रा परामर्श जारी किया, जिसमें उनसे ईरान की सभी गैर-जरूरी यात्राओं से बचने का आग्रह किया गया। इसने ईरान में रहने वाले भारतीय नागरिकों को "सतर्क रहने" और तेहरान में भारतीय दूतावास के संपर्क में रहने की भी सलाह दी। विदेश मंत्रालय (MEA) ने एक बयान में कहा, "हम क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति में हाल ही में हुई वृद्धि पर बारीकी से नज़र रख रहे हैं।" यह परामर्श ईरान द्वारा इजरायल में लगभग 200 मिसाइलों को दागे जाने के एक दिन बाद आया है, जिससे मध्य पूर्व में पूर्ण युद्ध की आशंका पैदा हो गई है। इससे पहले मंगलवार को, इजरायल में भारतीय दूतावास ने अपने सभी नागरिकों को एक परामर्श जारी किया, जिसमें उनसे देश के भीतर अनावश्यक यात्रा से बचने का आग्रह किया गया। "क्षेत्र में मौजूदा स्थिति को देखते हुए, सभी भारतीय नागरिकों को सतर्क रहने और स्थानीय अधिकारियों द्वारा जारी किए गए सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करने की सलाह दी जाती है। कृपया सावधानी बरतें, देश के भीतर अनावश्यक यात्रा से बचें और सुरक्षा आश्रयों के पास रहें। दूतावास ने एक बयान में लिखा, "हम स्थिति पर बारीकी से नज़र रख रहे हैं और अपने सभी नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इज़रायली अधिकारियों के साथ नियमित संपर्क में हैं।" इसने संघर्ष प्रभावित देश में रह रहे भारतीय नागरिकों के लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए हैं। *जयशंकर ने मध्य पूर्व संकट पर प्रतिक्रिया दी* विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को मध्य पूर्व में बढ़ते संकट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि भारत क्षेत्रीय युद्ध की संभावना को लेकर "बहुत चिंतित" है। हम समझते हैं कि इज़रायल को जवाब देने की ज़रूरत थी, लेकिन हम यह भी मानते हैं कि किसी भी देश द्वारा की जाने वाली किसी भी प्रतिक्रिया में अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून को ध्यान में रखना चाहिए, उसे नागरिक आबादी के लिए किसी भी तरह के नुकसान या किसी भी तरह के प्रभाव के बारे में सावधान रहना चाहिए।" उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका में कार्नेगी एंडोमेंट सेंटर फ़ॉर इंटरनेशनल पीस में बोलते हुए कहा। उन्होंने भारत की स्थिति को भी दोहराया, उन्होंने कहा कि वह 7 अक्टूबर को इजरायल पर हमास के हमले को "आतंकवादी हमला" मानता है, और कहा कि यह मौजूदा तनाव का "मूल कारण" है। *इजराइल ने जवाबी कार्रवाई करने की कसम खाई* ईरान के रात भर के हमले के बाद, इजरायल ने जवाबी कार्रवाई करने की कसम खाई है, और कहा है कि वह "अपने चुने हुए समय और स्थान" पर जवाब देगा। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के अनुसार, मिसाइल हमला विफल रहा और ईरान जल्द ही एक दर्दनाक सबक सीखेगा, जैसा कि गाजा, लेबनान और अन्य स्थानों पर उसके दुश्मनों ने सीखा है। हालांकि, ईरान ने चेतावनी दी है कि अगर इजरायल ने मिसाइल हमले का जवाब दिया तो वह उसके खिलाफ "कुचलने वाले हमले" करेगा।
सीमा का नया प्रहरीः पाकिस्तान पर यूं नजर रखेगी भारतीय सेना, पाकिस्तान बॉर्डर पर बन रहा एक नया एयरबेस*
#india_is_building_deesa_airfield_130_km_away_from_the_border_of_pakistan अपने पड़ोसी देशों की हरकतों को देखते हुए भारत सेना लगातार अपनी ताकत बढ़ाने में जुटा हुआ है। इसी क्रम में भारत पाकिस्तान बॉर्डर पर एक नया एयरबेस बनाने जा रहा है जिसका नाम डीसा एयरफील्ड है। गुजरात के बनासकांठा में बनने वाले ये नया एयरबेस सीमा पर भारत के प्रहरी के तौर पर तैनात रहेगा। पाकिस्तान की सीमा से सिर्फ 130 किमी दूर गुजरात बनासकांठा जिले में स्थित डीसा शहर में बनने वाले भारतीय वायुसेना के नए स्टेशन का भारतीय रक्षा मंत्रालय ने सर्वेक्षण किया, जिसे ओब्सटेकल लिमिटेशन सरफेस सर्वे के रूप में जाना जाता है। भारतीय रक्षा मंत्रालय ने इस सर्वे का काम सिंगापुर की एक निजी कंपनी को सौंपा है। उसी के तहत सिंगापुर से डीए-62 प्रकार का एक छोटा विमान अहमदाबाद हवाई अड्डे पर पहुंचा। *1000 करोड़ का आएगा खर्च* इस एयरबेस के निर्माण कार्य के लिए 4,519 एकड़ जमीन आवंटित की गई है। इसे बनाने में करीब 1000 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। वहीं रनवे 394 करोड़ की लागत से बनाया जाएगा। यहां आगे चलकर वायुसेना पश्चिमी सीमा पर किसी भी तरह के ऑपरेशंस को अंजाम दे सकती है। चाहे वह जमीन पर हो या फिर समुद्र में हो और इस तरह यह पश्चिमी सीमाओं पर किसी भी तरह के जरूरी हवाई सुरक्षा के लिए हमेशा तैयार रहेगा। ताकि अहमदाबाद और वडोदरा जैसे अहम आर्थिक केंद्रों को दुश्मन के हमलों से बचाया जा सके। इसे कांडला पोर्ट और जामनगर रिफायनरी से पूर्व की दिशा में बनाया जा रहा है। *दुश्मन को मिलेगा मुंह तोड़ जवाब* एयरबेस के बनने के बाद वायुसेना की मौजूदगी अंतरराष्ट्रीय सीमा के काफी करीब तक होगी। किसी भी स्थिति में दुश्मन को मुंह तोड़ जवाब दिया जा सकेगा। इस एयरबेस के निर्माण से गुजरात के आसपास के एयरबेस के बीच 355 किलोमीटर की दूर कम होगी। इसके चलते लड़ाकू विमानों की ऑपरेशन में बढ़ोतरी हो सकेगी। *भारतीय एयरफोर्स की क्षमता कई गुना बढ़ेगी* डीसा एयरफोर्स स्टेशन भुज एयरबेस और राजस्थान के उत्तरलाई एयरबेस के बीच की लंबी दूरी को कम कर देगा। डीसा एयरबेस के निर्माण से पाकिस्तान की मीरपुर खास और जैकोबाबाद की क्षमता के मुकाबले भारतीय एयरफोर्स की क्षमता कई गुना बढ़ेगी।
बुरा ना माने अमेरिका, भारत को भी जवाब देने का अधिकार…एस जयशंकर की यूएस को दो टूक

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भारत के विदेश मंत्री एस जशंकर ने अमेरिका में बैठकर उसे ही नसीहत दे डाली है। मंगलवार को अमेरिकी के विदेश मंत्री के साथ डॉक्‍टर एस जयशंकर की वाशिंगटन डीसी में मुलाकात हुई तो उन्‍होंने एंटनी ब्लिंकन को पूरी शालीनता के साथ धो डाला। उन्‍होंने एक पत्रकार के सवाल पर ब्लिंकन की मौजूदगी में कहा कि अगर भारत अमेरिका के लोकतंत्र पर कोई टिप्‍पणी करता है तो भी उन्‍हें बुरा नहीं मानना चाहिए। इस दौरान ब्‍लिंकन महज मुस्‍कुराते हुए नजर आए।

जयशंकर ने अमेरिका के शीर्ष थिंक टैंक 'कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस' में एक सवाल के जवाब में कहा कि अगर आप दो देशों, दो सरकारों के स्तर पर देखें तो हमें लगता है कि यह महत्वपूर्ण है कि लोकतंत्र का परस्पर सम्मान होना। ऐसा नहीं हो सकता कि एक लोकतंत्र को दूसरे पर टिप्पणी करने का अधिकार हो और यह वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र को बढ़ावा देने का हिस्सा है, लेकिन जब दूसरे ऐसा करते हैं तो यह विदेशी हस्तक्षेप बन जाता है।

जयशंकर का अमेरिका को सख्त संदेश

उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि विदेशी हस्तक्षेप विदेशी हस्तक्षेप है, चाहे वह कोई भी करे और कहीं भी हो। मेरा व्यक्तिगत विचार है, जिसे मैंने कई लोगों के साथ साझा किया है। आपको टिप्पणी करने का पूरा अधिकार है, लेकिन मुझे आपकी टिप्पणी पर टिप्पणी करने का भी पूरा अधिकार है। इसलिए जब मैं ऐसा करता हूं तो बुरा नहीं मानना चाहिए। दरअसल हुआ कुछ यूं कि एक पत्रकार ने अमेरिका द्वारा भारतीय लोकतंत्र पर टिप्‍पणी के विषय में सवाल पूछा। जिसके जवाब में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिका को सख्त संदेश दिया।

जरूरी नहीं कि देश की राजनीति सीमाओं के भीतर ही रहे-जयशंकर

एस. जयशंकर ने कहा कि दुनिया बहुत वैश्वीकृत हो गई है और इसके परिणामस्वरूप किसी भी देश की राजनीति जरूरी नहीं कि उस देश की राष्ट्रीय सीमाओं के भीतर ही रहे। उन्होंने कहा, अब अमेरिका निश्चित रूप से यह सुनिश्चित करने का विशेष प्रयास करता है कि ऐसा न हो। यह इस बात का हिस्सा है कि आपने कई वर्षों से अपनी विदेश नीति कैसे संचालित की है। अब एक वैश्वीकृत युग में जहां वैश्विक एजेंडे भी वैश्वीकृत हैं, ऐसे पक्ष हैं जो न केवल अपने देश या अपने क्षेत्र की राजनीति को आकार देना चाहते हैं और सोशल मीडिया, आर्थिक ताकतें, वित्तीय प्रवाह, ये सभी आपको ऐसा करने का अवसर देते हैं। आप विमर्श को कैसे आकार देते हैं? तो आपके पास एक पूरा उद्यम है।

भारत ने कभी डॉलर को सक्रियता से निशाना नहीं बनाया-जयशंकर

जयशंकर ने यह भी कहा कि भारत ने कभी डॉलर को सक्रियता से निशाना नहीं बनाया। यह उसकी आर्थिक, राजनीति एवं रणनीतिक नीति का हिस्सा नहीं रहा है। उन्होंने इस बात की ओर ध्यान दिलाया कि अमेरिका की कुछ नीतियों के कारण भारत को अपने कुछ व्यापार भागीदारों के साथ डॉलर आधारित व्यापार करने में कठिनाई हो रही है।