तर्पण करने के बाद, ब्राह्मण को भोजन कराएं और उन्हें दक्षिणा प्रदान करें।
तर्पण कैसे करना है :श्राद्ध कर्म में, तर्पण विधि का विशेष महत्व होता है। क्योंकि , तर्पण के माध्यम से पितरों को जल और आहार अर्पित किया जाता है। तर्पण संस्कार से, पूर्वजों की आत्मा को शांति और संतोष प्राप्त होता है। तर्पण विधि को सही ढंग से और शास्त्रों के अनुसार करना आवश्यक होता है।
1- तर्पण विधि
(1) सामग्री -------- तांबे या पीतल का पात्र (जल पात्र), कुशा (घास), काले तिल, जौ, चावल, जल, सफेद वस्त्र, दक्षिणा (ब्राह्मण को देने के लिए)।
(2) स्थान और समय ------- * तर्पण को प्रायः किसी नदी, तालाब, या घर के आंगन में कुशा बिछाकर किया जाता है। * श्राद्ध पक्ष में किसी भी दिन तर्पण किया जा सकता है, लेकिन अमावस्या का दिन सबसे महत्वपूर्ण माना गया है। प्रातःकाल सूर्योदय के समय तर्पण करना सबसे उत्तम माना जाता है।
(3) विधि ------ * स्नान और शुद्धिकरण ------ तर्पण करने से पहले स्नान करके स्वयं को शुद्ध करें। स्वच्छ वस्त्र धारण करें और तर्पण के लिए सामग्री को एकत्र करें। *आसन ग्रहण ------- कुशा के आसन पर पूर्व दिशा या दक्षिण दिशा की ओर मुख करके बैठें। तर्पण के लिए दक्षिण दिशा को पितरों की दिशा माना जाता है, इसलिए इसे शुभ माना जाता है। * संकल्प ------- सबसे पहले संकल्प करें। दाहिने हाथ में जल, अक्षत (चावल) और पुष्प लेकर भगवान विष्णु या अपने इष्ट देव का ध्यान करें। फिर अपने पितरों का स्मरण करते हुए संकल्प लें: " मैं (अपना नाम) आज अपने पितरों को जल अर्पण (तर्पण) करता हूं। इससे मेरे पितर संतुष्ट हों और मुझे उनका आशीर्वाद प्राप्त हो। "
(4) तर्पण प्रक्रिया --------- * कुशा धारण ------- तर्पण के दौरान कुशा को हाथ में धारण करें, इससे तर्पण का फल बढ़ता है। * जल अर्पण ----- जल पात्र में तिल, जौ, और चावल मिलाएं। अब हाथ में जल लेकर इसे अपने अंगूठे से धीरे-धीरे जमीन पर छोड़ते जाएं और "ओम् पितृभ्यः नमः" मंत्र का उच्चारण करते हुए पितरों को अर्पित करें। * तीन बार तिल और जल अर्पण करने की प्रक्रिया को दोहराएं।
(5) पिंडदान ------ (यदि कर रहे हैं): चावल के पिंड बनाकर पितरों को अर्पित करें और तर्पण मंत्रों का जाप करें।
(6) तर्पण मंत्र ------- तर्पण के दौरान निम्न मंत्र का जाप करें -------- "ओम् देवताभ्यः पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च। नमः
स्वधायै स्वधाभ्यो नमो नमः।।" (7) ब्राह्मण भोजन ------- तर्पण करने के बाद, ब्राह्मण को भोजन कराएं और उन्हें दक्षिणा प्रदान करें।
यदि ब्राह्मण भोजन संभव न हो, तो किसी गरीब व्यक्ति को भोजन कराकर या गाय को सामर्थ्य अनुसार चारा खिलाकर तर्पण का समापन करें।
Oct 02 2024, 15:36