बुलडोजर एक्शन पर रोक बरकरार, सुप्रीम कोर्ट ने कहा-कोई आरोपी या दोषी है, ये संपत्ति गिराने का आधार नहीं
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सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को बुलडोजर एक्शन के खिलाफ लगाई गई याचिका पर सुनवाई हुई। बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। बुलडोजर की कार्रवाई पर लगी अंतरिम रोक जारी रहेगी। संपत्तियों को गिराने के खिलाफ याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम यह स्पष्ट करने जा रहे हैं कि सिर्फ इसलिए कि कोई आरोपी या दोषी है, उसकी संपत्ति को गिराने का आधार नहीं बनाया जा सकता। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सार्वजनिक सड़कों, सरकारी जमीन पर किसी भी अनधिकृत निर्माण, फिर चाहे वो धार्मिक स्थल निर्माण ही क्यों न हो, उसे संरक्षण नहीं दिया जाएगा।
मामले की सुनवाई शीर्ष अदालत की जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की बेंच कर रही है। पिछली सुनवाई में भी सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई पर 1 अक्टूबर तक के लिए रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट में सोलिसिटर जनरल तुषार मेहता 3 राज्यों यूपी, मध्य प्रदेश और राजस्थान सरकार की ओर से पेश हुए।
न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की अध्यक्षता वाली बेंच ने अपराध के आरोपी के खिलाफ बुलडोजर कार्रवाई को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा, चाहे वह मंदिर हो या दरगाह, उसे जाना ही होगा। सार्वजनिक सुरक्षा सर्वोपरि है। जबकि आरोपियों पर बुलडोजर कार्रवाई करने वाले राज्य के अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि ऐसे मामलों में केवल अवैध निर्माण को ही ध्वस्त किया जा रहा है।
बेंच ने माना कि तरह की चीजें करना संवैधानिक रूप से गलत है। उन्होंने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि भले ही किसी व्यक्ति को दोषी ठहराया गया हो, क्या अपराध में शामिल होने पर उसके घर पर बुलडोजर एक्शन का आधार हो सकता है? एसजी ने नहीं में जवाब देते हुए कहा कि यह कहना कि किसी विशेष समुदाय को टारगेट किया जा रहा है, यह गलत है। बुलडोजर की कार्रवाई से 10 दिन पहले नोटिस जारी किया गया था।
एसजी ने कहा कि किसी ने एनजीटी के समक्ष याचिका दायर की है कि वन भूमि अवैध अतिक्रमण के अधीन है। बुलडोजर के कुछ उदाहरणों से कानून बनाने में मदद नहीं मिल सकती है, जिससे पूरा देश पीड़ित है। जस्टिस गवई ने कहा कि नोटिस की वैध सेवा होनी चाहिए। पंजीकृत माध्यम से यह नोटिस चिपकाने वाली बात जाएगी। डिजिटल रिकॉर्ड होना चाहिए। अधिकारी भी सुरक्षित रहेंगे। हमारे पास पर्याप्त विशेषज्ञ हैं। जस्टिस गवई ने कहा कि हम स्पष्ट करेंगे कि विध्वंस केवल इसलिए नहीं किया जा सकता कि कोई आरोपी या दोषी है। इसके अलावा इस बात पर भी विचार करें कि बुलडोजर कार्रवाई के आदेश पारित होने से पहले भी एक संकीर्ण रास्ता होना चाहिए। जस्टिस गवई ने कहा कि जब मैं बॉम्बे हाई कोर्ट में था तो मैंने खुद फुटपाथों पर अनधिकृत निर्माण को ध्वस्त करने का निर्देश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह संपत्तियों को ध्वस्त करने के मुद्दे पर सभी नागरिकों के लिए दिशा-निर्देश तय करेगा, किसी विशेष समुदाय के लिए नहीं। पीठ ने कहा कि हम जो भी तय कर रहे हैं, हम इसे पूरे देश में सभी नागरिकों, सभी संस्थानों के लिए तय कर रहे हैं, किसी विशेष समुदाय के लिए नहीं। हम एक धर्मनिरपेक्ष देश हैं। किसी धर्म विशेष के लिए अलग कानून नहीं हो सकता। पीठ ने कहा कि 'वह सार्वजनिक सड़कों, सरकारी भूमि या जंगलों पर किसी भी अनधिकृत निर्माण को संरक्षण नहीं देगी। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि 'हम ये भी सुनिश्चित करेंगे कि हमारी सीमाओं या किसी भी सार्वजनिक संपत्ति पर अतिक्रमण न हो सके।
Oct 01 2024, 15:37