बांग्लादेश से पश्चिम बंगाल पहुंची हिल्सा मछली की पहली खेप, भारत से रिश्ते मजबूत करने की पड़ोसी देश की कोशिश
डेस्क: बांग्लादेश से 50 टन से अधिक हिल्सा मछली पश्चिम बंगाल पहुंच गई है। आयातकों ने शनिवार को यह जानकारी दी। पड़ोसी देश की अंतरिम सरकार ने दुर्गा पूजा उत्सव के दौरान अक्टूबर के मध्य तक मछली के निर्यात की अनुमति दी है। राज्य के लोगों का पसंदीदा व्यंजन 'पद्मार इलिश' (पद्मा नदी से पकड़ी गई हिल्सा) की इतनी ही मात्रा की एक और खेप बहुत जल्द आने की उम्मीद है। मछली आयातकों के संघ (एफआईए) ने हाल ही में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार को पत्र लिखकर हिल्सा के निर्यात की अनुमति देने का आग्रह किया। वह पिछले पांच साल से सद्भावना के तौर पर उत्सव के दौरान ऐसा करता आ रहा है।
एफआईए के सचिव सैयद अनवर मकसूद ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘50 टन से अधिक की पहली खेप दो दिन पहले पेट्रापोल सीमा के जरिए पहुंची। इसे कोलकाता और जिलों के कई थोक बाजारों में भेजा गया। एक दिन में लगभग 50 टन की एक और खेप आने की उम्मीद है।’’ उन्होंने बताया कि हिल्सा का वजन 700 ग्राम से लेकर एक किलोग्राम तक है और इसकी कीमत 900 रुपये प्रति किलोग्राम से लेकर 1300-1500 रुपये प्रति किलोग्राम तक है। कोलकाता स्थित राष्ट्रीय समुद्री मछली आयातक-निर्यातक निकाय को उम्मीद है कि 12 अक्टूबर तक उसे कुल 2000 टन से अधिक हिल्सा मिल जाएगी, जो बांग्लादेश से खेप आने की अंतिम तिथि है। पड़ोसी देश में 13 अक्टूबर से कुछ समय के लिए हिल्सा मछली पकड़ने पर प्रतिबंध है।
बांग्लादेश ने 2023 में 79 कंपनियों को भारत को कुल 4,000 टन निर्यात करने की अनुमति दी थी। बांग्लादेश दुनिया का सबसे बड़ा हिल्सा उत्पादक है, लेकिन स्थानीय मांग अधिक होने के कारण वह इस मछली के निर्यात पर प्रतिबंध लगाता है। हालांकि, दुर्गा पूजा उत्सव के दौरान, वह आमतौर पर इस मछली के निर्यात पर प्रतिबंध में ढील देता है, जो बंगालियों का एक बहुत पसंदीदा व्यंजन है।
Sep 29 2024, 17:20