कांग्रेस ने चुनावी बॉन्ड मामले में एफआईआर को लेकर निर्मला सीतारमण के इस्तीफे की मांग की

कांग्रेस ने रविवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर तीखा हमला किया और अब बंद हो चुकी चुनावी बॉन्ड योजना के संबंध में उनके खिलाफ मामला दर्ज होने के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के इस्तीफे की मांग की। विपक्षी दल ने सीतारमण पर "लोकतंत्र को कमजोर करने" का आरोप लगाया और एक विशेष जांच दल (एसआईटी) के माध्यम से विवादास्पद योजना की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग की।

क्या हैं आरोप?

'जनाधिकार संघर्ष परिषद' (जेएसपी) के सह-अध्यक्ष आदर्श आर अय्यर द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर बेंगलुरु की एक अदालत के निर्देश के बाद मामला दर्ज किया गया था। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि सीतारमण ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों और भाजपा नेताओं के साथ मिलकर चुनावी बॉन्ड की आड़ में जबरन वसूली का रैकेट चलाया, जिससे 8,000 करोड़ रुपये से अधिक का लाभ हुआ।सीतारमण, कर्नाटक भाजपा प्रमुख बी वाई विजयेंद्र और राज्य पार्टी नेता नलिन कुमार कटील समेत अन्य के खिलाफ जबरन वसूली (धारा 384), आपराधिक साजिश (120बी) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की सामान्य मंशा (34) के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।

मीडिया को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेता जयराम रमेश और अभिषेक सिंघवी ने वित्त मंत्री की कथित संलिप्तता की निंदा की और रमेश ने उनसे तत्काल इस्तीफा देने की मांग की। रमेश ने कहा कि वित्त मंत्री को तत्काल इस्तीफा दे देना चाहिए क्योंकि वह राजनीतिक, कानूनी और नैतिक रूप से "दोषी" हैं। कांग्रेस ने चुनावी बॉन्ड योजना की गहन जांच की मांग भी दोहराई, जिसे इस साल की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। शीर्ष अदालत ने फैसला सुनाया कि यह योजना सूचना के अधिकार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन करती है, जिससे देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों को खतरा है। सिंघवी ने कहा, "वित्त मंत्री अकेले ऐसा नहीं कर सकतीं। हम जानते हैं कि नंबर 1 और नंबर 2 कौन है और यह किसके निर्देश पर किया गया।" सिंघवी ने इसे "ईबीएस - जबरन वसूली करने वाली भाजपा योजना" करार देते हुए कहा, "बड़ा मुद्दा समान अवसर उपलब्ध कराना है जो स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए आवश्यक है। स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण हैं। यह हमारी लोकतांत्रिक प्रणाली पर हमला है।"

अगले 24 घंटों में चक्रवाती तूफान बरपाएगा कहर! इन राज्यों के लिए जारी हुआ अलर्ट, पढ़िए, ताजा अपडेट

देश के कई राज्यों में मानसून अपने फॉर्म में है। महाराष्ट्र में हाहाकार मचाने के बाद अब बिहार और यूपी समेत कई राज्यों में बारिश होने के आसार हैं। सितंबर के अंतिम सप्ताह में झमाझम बारिश देखने को मिल रही है। इसकी सबसे बड़ी वजह चक्रवात को माना जा रहा है। अब कहां चक्रवात का असर देखने को मिलेगा?

दक्षिण-पश्चिम मध्य प्रदेश और आसपास के राज्यों पर शुक्रवार से फैला चक्रवाती परिसंचरण अब दक्षिण-पश्चिम उत्तर प्रदेश और पड़ोसी राज्य पर स्थित है। अब यह साइक्लोनिक सर्कुलेशन उत्तर-पूर्व अरब सागर और उससे सटे दक्षिण गुजरात से उत्तर बिहार तक दक्षिण-पश्चिम उत्तर प्रदेश के पास है, जिससे जमकर बादल बरस रहे हैं। यूपी, बिहार, गुजरात, पश्चिम बंगाल और सिक्किम में भारी से बहुत भारी बारिश होने की संभावना है।

दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश में अगले 2 दिनों के दौरान हल्की से मध्यम वर्षा और उसके बाद के 4-5 दिनों के दौरान मौसम साफ रहेगा। इन राज्यों में चक्रवाती तूफान का असर देखने को मिल सकता है। मध्य प्रदेश, उत्तराखंड में बारिश हो सकती है। बिहार में भारी से लेकर बहुत भारी वर्षा होने की संभावना है।

इन राज्यों में दिखेगा असर

गोवा, महाराष्ट्र, गुजरात में अगले 2 दिनों के दौरान हल्की से मध्यम वर्षा होने के आसार हैं। अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा में 1 से 4 अक्टूबर के दौरान और असम, मेघालय में 30 सितंबर से 3 अक्टूबर तक जमकर बादल बरसेंगे। केरल, लक्षद्वीप, तमिलनाडु, कर्नाटक में बारिश होने के आसार हैं।

कमलनाथ को मिलने वाली है बड़ी जिम्मेदारी? फिर दिल्ली बुलाने की तैयारी में गांधी परिवार, जानिए क्या है कांग्रेस का प्लान

गांधी परिवार की तीन पीढ़ियों के साथ लंबी राजनीतिक पारी खेलने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की कांग्रेस हाईकमान केंद्रीय राजनीति में वापसी करवाने जा रहा है। मध्य प्रदेश के विधानसभा और लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली पराजय के बाद से राज्य और केंद्र के राजनीतिक परिदृश्य से कमलनाथ ओझल से हैं।

पहले उनके भाजपा में शामिल होने की अटकलें और फिर छिंदवाड़ा लोकसभा सीट भी हारने के बाद से कमलनाथ हाशिये पर हैं। पार्टी ने उन्हें मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के पद से भी हटा दिया था। कांग्रेस सूत्र बता रहे हैं कि कमलनाथ को पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की कोर टीम में तो जगह नहीं मिलेगी, लेकिन संगठन में उन्हें अनुशासन समिति का अध्यक्ष या ऐसा ही कोई पद दिया जा सकता है, ताकि उनके सम्मान और वरिष्ठता दोनों में समन्वय बना रहे।

कमलनाथ राष्ट्रीय महासचिव सहित पार्टी के कई पदों पर रह चुके हैं। अब संभावना है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की टीम में नए चेहरे शामिल हों, इसलिए भी कमलनाथ के लिए संगठन में ऐसा कोई पद देखा जा रहा है, जिसकी बदौलत वह किसी राज्य में जाएं तो पार्टी प्रोटोकॉल मिल सके।

सूत्रों के अनुसार कमलनाथ को प्रबंधन में विशेषज्ञ माना जाता है, इसलिए उनके लिए चुनाव प्रबंधन समिति या इससे ही जुड़ा कोई पद दिए जाने पर विचार चल रहा है। कांग्रेस नेतृत्व से जुड़े नेता कहते हैं कि कमलनाथ का संपर्क सभी बड़े लोगों के साथ है। उन्हें कोषाध्यक्ष बनाए जाने के मुद्दे पर भी चर्चा चली थी, लेकिन इस पद पर कुछ ही समय पहले अजय माकन को नियुक्त किया जा चुका है। पार्टी उन्हें हटाने का जोखिम उठाना नहीं चाहती। एक कयास यह भी है कि कमल नाथ को पार्टी के लिए फंड जुटाने का काम दिया जा सकता है।

कुछ दिनों पहले राहुल गांधी और कमलनाथ के बीच हुई मुलाकात के बाद से ही कयास लगाए जा रहे थे कि पार्टी की सक्रिय राजनीति में उनकी वापसी हो सकती है। अब यह राय बनी है कि उन्हें मुख्यधारा में लाने के बजाय ऐसा पद दे दिया जाए, जिससे उनका सम्मान और वरिष्ठता बनी रहे। बता दें, कभी कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति के सितारे रहे कमलनाथ बीते काफी समय से कांग्रेस की राजनीति में अनुपस्थित से हैं। यह पहली बार है जब कमलनाथ की भूमिका केवल उनके गृह क्षेत्र छिंदवाड़ा तक सिमटी हुई है।

हिजबुल्लाह चीफ की मौत के बाद एशिया में नए युद्ध की आहट, अली खामेनेई ने कहा- सभी मुस्लिम एक हो जाएं

इजराइल ने हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह को शुक्रवार शाम हुई एयरस्ट्राइक में मार गिराया। नसरल्लाह के मारे जाने के बाद इजराइल और लेबनान के बीच पूर्ण युद्ध की संभावना के साथ ही कई देशों में टेंशन बढ़ गई है। इस बीच हिजबुल्लाह का खुलकर समर्थन करने वाले ईरान के सुप्रीम लीडर अली खामेनेई दहशत में आ गए हैं। कहा जा रहा है कि वह डर से किसी सुरक्षित स्थान पर छिप गए हैं। उनका एक बयान सामने भी सामने आया है। जिसने कई देशों की टेंशन बढ़ा दी है।

सुरक्षित स्थान पर जाने के बाद अली खामेनेई ने मुस्लिमों से आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि वे लेबनान के लोगों और हिजबुल्लाह के साथ हर संभव तरीके से खड़े हों। खामेनेई ने दुनियाभर के मुसलमानों से अपील की कि वे अपने पास मौजूद साधनों से अत्याचारी, दमनकारी और दुष्ट इजराइल का मुकाबला करें। ये सभी मुसलमानों का दायित्व है। खामेनेई ने कहा- इस क्षेत्र का भाग्य प्रतिरोध की ताकतों से तय होगा, जिसमें हिजबुल्लाह सबसे आगे होगा।

खामेनेई की इस अपील के बाद पश्चिम एशिया में नई जंग की आहट हो गई है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इस जंग को नहीं रोका गया तो मध्य पूर्व के साथ ही पश्चिम एशिया के कई देश इसकी चपेट में आ सकते हैं। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इजराइल शांति स्थापित करने के मूड में नहीं है। उसने अमेरिका की 21 दिनों के युद्धविराम की अपील को भी खारिज कर दिया।

कहा जा रहा है कि ईरान की ओर से भड़काऊ बयान देने के बाद इजराइल इस जंग को तेज कर सकता है। पश्चिम एशिया में इजराइल के साथ ही आर्मेनिया, अजरबैजान, बहरीन, साइप्रस, जॉर्जिया, इराक, जॉर्डन, कुवैत, लेबनान, ओमान, फिलिस्तीन, कतर, सउदी अरब, सीरिया, तुर्की, संयुक्त अरब अमीरात और यमन जैसे देश आते हैं। ऐसे में अगर जंग तेज होती है तो कई देश लेबनान और फिलिस्तीन का समर्थन करते हुए युद्ध में कूद सकते हैं।

हालांकि इजराइल को भी समर्थन कम नहीं है। मुस्लिम देश जॉर्डन ने इजराइल का सपोर्ट किया है। यहां तक कि उसने अपनी सेना भी भेजी है। ईरान के हमले के खिलाफ भी जॉर्डन इजराइल के साथ खड़ा था। दूसरी ओर, इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की एक तस्वीर भी वायरल हो रही है। जिसमें उन्होंने दो मैप दिखाए हैं। इसमें वह भारत और सऊदी को वरदान और ईरान को अभिशाप बताते नजर आ रहे हैं। ऐसे में कई देशों के बीच टेंशन बढ़ सकती है।

रानी लक्ष्मीबाई की प्रतिमा का विरोध..! मुस्लिम पक्ष को कोर्ट में मांगनी पड़ी माफ़ी, पढ़िए, डिटेल में पूरी खबर

दिल्ली उच्च न्यायालय ने शाही ईदगाह प्रबंध समिति को रानी लक्ष्मीबाई की प्रतिमा स्थापित करने का विरोध करने के लिए कड़ी फटकार लगाई। अदालत ने कहा कि समिति अपनी याचिकाओं के जरिए सांप्रदायिक राजनीति कर रही है। इसके बाद, शुक्रवार को मुस्लिम संस्था ने अदालत के समक्ष माफीनामा दायर किया और सूचित किया कि उसने अपनी याचिका वापस ले ली है।

25 सितंबर को सुनवाई के दौरान, उच्च न्यायालय ने शाही ईदगाह प्रबंध समिति की "निंदनीय दलीलों" के लिए आलोचना की और कहा कि समिति को अपनी याचिका वापस लेनी चाहिए। अदालत ने समिति को पहले माफी मांगने का निर्देश दिया, साथ ही यह भी कहा कि याचिका खारिज करने वाली पीठ के खिलाफ लगाए गए आरोपों को हटाने के लिए आवेदन प्रस्तुत करना होगा। दरअसल, पहले मुस्लिम पक्ष, ईदगाह की जमीन को वक्फ संपत्ति होने का दावा कर रहा था, लेकिन अदालत ने इसे दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) की संपत्ति बताया था। मुस्लिम पक्ष उस जमीन पर रानी लक्ष्मीबाई की प्रतिमा लगाने का पुरजोर विरोध कर रहा था, लेकिन अदालत में उसकी एक ना चली और उसे माफ़ी मांगनी पड़ी।

मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले की सुनवाई को मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दिया, ताकि दस्तावेजों को रिकॉर्ड पर लाया जा सके। इससे पहले, एक खंडपीठ ने समिति की याचिका को खारिज कर दिया था, जिसे समिति ने चुनौती दी थी। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि रानी लक्ष्मीबाई की प्रतिमा की स्थापना के खिलाफ याचिका इसलिए खारिज की गई क्योंकि इससे किसी भी धार्मिक प्रार्थना या अधिकार पर खतरा नहीं था। न्यायालय ने टिप्पणी की कि इतिहास को सांप्रदायिक आधार पर विभाजित नहीं किया जाना चाहिए, और झांसी की रानी को एक राष्ट्रीय नायक के रूप में देखा जाना चाहिए, जो सभी धार्मिक सीमाओं से ऊपर उठकर खड़ी होती हैं।

मोदी सरकार ने किया नई कमेटी का गठन, दिग्विजय सिंह बने अध्यक्ष, 29 सांसदों को मिली नई जिम्मेदारियां

मध्य प्रदेश के 29 सांसदों को नई जिम्मेदारियां मिली हैं, दरअसल, मोदी सरकार ने तीसरे कार्यकाल में डिपार्टमेंटल पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटियों का गठन कर दिया है, जिसमें मध्य प्रदेश के 29 सांसदों को शामिल किया गया है. इनमें राज्यसभा और लोकसभा के सदस्य शामिल हैं. पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह को एक कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया है, जबकि बीजेपी की राज्यसभा सांसद सुमित्रा बाल्मिकी मध्य प्रदेश की एकलौती ऐसी सांसद हैं जो दो कमेटियों की सदस्य बनी हैं. बाकि दूसरे सांसदों को भी अलग-अलग जिम्मेदारियां दी गई हैं.

दरअसल, केंद्र की मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में विभाग-संबंधी संसदीय स्थायी समितियों का गठन हुआ है, जिसमें मध्य प्रदेश से दिग्विजय सिंह, वीडी शर्मा, विवेक तन्खा, फग्गन सिंह कुलस्ते समेत कुल 29 सांसद को अलग-अलग जिम्मेदारी दी गई है. बता दें कि मध्य प्रदेश में राज्यसभा के 11 और लोकसभा के 29 सदस्य मिलाकर कुल 40 सांसद आते हैं. मध्य प्रदेश के 5 लोकसभा और 2 राज्यसभा सांसद मोदी सरकार में मंत्री भी हैं.

कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को शिक्षा, महिला, बच्चे, युवा और खेल संबंधी कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया है. इस कमेटी में 31 सांसदों को शामिल किया गया है, जिसमें 21 लोकसभा सांसद और 11 राज्यसभा सांसद हैं. दिग्विजय सिंह की अध्यक्षता वाली इस समिति में होशंगाबाद लोकसभा सीट से सांसद दर्शन सिंह चौधरी भी बतौर सदस्य शामिल हैं. बाकि सभी सदस्य दूसरे राज्यों के हैं.

मध्य प्रदेश के चार सांसदों को एक ही कमेटी में शामिल किया गया है. कार्मिक, लोक शिकायत, विधि एवं न्याय संबंधी समिति में कांग्रेस के राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा बीजेपी सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते, खंडवा सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल और देवास सांसद महेंद्र सिंह सोलंकी को इस कमेटी में शामिल किया गया है. इस कमेटी में भी 31 सांसद हैं, जिसमें 10 राज्य सभा और 21 लोकसभा सांसद हैं, इस कमेटी का अध्यक्ष सांसद अध्यक्ष बृज लाल को बनाया गया है.

बीजेपी की राज्यसभा सांसद सुमित्रा बाल्मिकी मध्य प्रदेश की एक मात्र ऐसी सांसद हैं जो दो कमेटियों की सदस्य हैं. सुमित्रा बाल्मीक को सामाजिक न्याय और अधिकारिता समिति बनाया गया है, जबकि उन्हें उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण संबंधी समिति का सदस्य भी बनाया गया है. सुमित्रा बाल्मिकी जबलपुर से आती हैं, उन्हें बीजेपी ने राज्यसभा भेजा था.

वीडी शर्मा, रोडमल नागर, हिमाद्री सिंह, सुमेर सिंह सोलंकी, अनिल फिरोजिया, शिवमंगल सिंह तोमर, भारती पारधी, जर्नादन मिश्रा, गणेश सिंह, सुधीर गुप्ता, अशोक सिंह, आशीष दुबे, माया नरोलिया, शंकर लालवानी, अलोक शर्मा, विवेक बंटी साहू, भारत सिंह कुशवाहा, बंशीलाल गुर्जर, राहुल सिंह लोधी, ज्ञानेश्वर पाटिल, डॉ. राजेश मिश्रा को भी कमेटियों में जगह मिली है.

जानें कौन है हाशिम सफीद्दीन ? नसरल्लाह की हत्या के बाद बना हिजबुल्लाह का नया चीफ

डेस्क : सैय्यद हसन नसरल्लाह की इजरायली हमले में मौत हो जाने के बाद अब हाशिफ सफीद्दीन को हिजबुल्लाह का नया चीफ बनाया गया है। वह हसन नसरल्लाह का चचेरा भाई है। नसरल्लाह की हत्या होने के बाद सफीद्दीन को ही हिजबुल्लाह का संभावित उत्तराधिकारी माना जा रहा था। आज हाशिम सफ़ीद्दीन को हिज़्बुल्लाह चीफ बनाए जाने का ऐलान कर दिया गया। वह हिजबुल्लाह के सबसे प्रमुख व्यक्तियों में से एक हैं और शिया मुस्लिम आंदोलन के संरक्षक ईरान के साथ उनके गहरे धार्मिक और पारिवारिक संबंध हैं।

सफीद्दीन अपने करिश्माई नसरल्ला से काफी मिलता-जुलता है, लेकिन वह उससे कई साल छोटा है। हिज़्बुल्लाह के एक करीबी सूत्र ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए कहा कि वे मीडिया से बात करने के लिए अधिकृत नहीं है। मगर सूत्र ने बताया कि सफीद्दीन ग्रे-दाढ़ी रखता है और चश्मा लगाता है। वह ही हिजबुल्लाह के इस शीर्ष पद के लिए "सबसे संभावित" उम्मीदवार था।

संयुक्त राज्य अमेरिका और सऊदी अरब ने 2017 में सफ़ीद्दीन को आतंकवादियों की नामित सूची में डाल दिया था, जो हिज़्बुल्लाह की शक्तिशाली निर्णय लेने वाली शूरा परिषद का सदस्य है। अमेरिकी वित्त विभाग ने उसे हिज़्बुल्लाह संगठन में "एक वरिष्ठ नेता" और इसकी कार्यकारिणी का "प्रमुख सदस्य" बताया है। जबकि नसरल्लाह की मौत के बाद हिज़्बुल्लाह के उप प्रमुख नईम कासेम ने स्वचालित रूप से हिज़्बुल्लाह का नेतृत्व संभाल लिया था। अब शूरा परिषद को एक नए महासचिव का चुनाव करने के लिए बैठक करनी होगी। पवित्र शहर क़ोम में धार्मिक अध्ययन करने के बाद से ही सफ़ीद्दीन के ईरान के साथ मजबूत संबंध हैं।

साउथ चाइन मॉर्निंग पोस्ट के अनुसार खास बात यह है कि सफीद्दीन का बेटा ईरानी जनरल का सगा दामाद है। सफीद्दीन के बेटे की शादी ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स की विदेशी ऑपरेशन शाखा के कमांडर जनरल कासिम सुलेमानी की बेटी से हुई है। वर्ष 2020 इराक में अमेरिकी हमले में जनरल कासिम मारे गए थे। सफ़ीद्दीन के पास सैय्यद की उपाधि उनकी काली पगड़ी है, जो उसे नसरल्लाह की तरह पैगंबर मोहम्मद के वंशज के रूप में चिह्नित करती है। वर्षों तक छुपे रहने वाले नसरल्लाह के विपरीत सफ़ीद्दीन हाल के राजनीतिक और धार्मिक आयोजनों में खुले तौर पर दिखाई देता रहा है।

ईरानी विमान बेरूत एयरपोर्ट से लौटा वापस, एयरपोर्ट के कंट्रोल टॉवर को हैक कर इजराइल ने दी चेतावनी

डेस्क: इजरायल और हिज्बुल्लाह के बीच लड़ाई लगातार भीषण होती जा रही है जिसकी कीमत लेबनान के आम लोग भी चुका रहे हैं. भारतीय समयानुसार शुक्रवार देर शाम इजरायल ने लेबनान की राजधानी बेरूत में एक के बाद एक कई एयरस्ट्राइक कीं. ये हमला यूएनजीसी में नेतन्याहू के भाषण के बाद हुआ है. इसे इजरायल का लेबनान में सबसे भीषण हमला माना जा रहा है. फ्लाइट ट्रैकिंग वेबसाइट के डेटा से पता चला कि तेहरान से लेबनान या सीरिया की ओर जा रही ईरानी केशम फ़ार्स एयर की एक फ्लाइट ने आज सुबह इराकी हवाई क्षेत्र में यू-टर्न ले लिया। यह घटना हिज्बुल्लाह हेडक्वार्टर पर इजरायली हमलों के बाद हुई. लेबनान के सार्वजनिक निर्माण और परिवहन मंत्री अली हामिया को लेबनानी मीडिया ने यह कहते हुए उद्धृत किया है कि उन्होंने एक ईरानी विमान को बेरूत के हवाई अड्डे पर उतरने और लेबनानी हवाई क्षेत्र में प्रवेश न करने का निर्देश दिया था, जब इज़रायल ने हवाई अड्डे के नियंत्रण टॉवर पर नियंत्रण कर लिया था और चेतावनी दी थी कि अगर विमान लेबनान में उतरा तो वह बल का प्रयोग करेगा. भीषण हमले के बाद आईडीएफ के प्रवक्ता रियर एडमिरल डैनियल हैगरी ने कहा कि होम फ्रंट कमांड मध्य इज़रायल में सभाओं पर प्रतिबंध लगा रहा है. उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि आने वाले घंटों में मध्य इज़रायल के विभिन्न क्षेत्रों में सभाओं को 1,000 लोगों तक सीमित कर दिया जाएगा. साथ ही प्रभावशाली इराकी शिया धर्मगुरु मुक्तदा अल-सदर ने हिजबुल्लाह नेता हसन नसरल्लाह की मौत के बाद तीन दिन के शोक की घोषणा की है. एक्स पर एक पोस्ट में, अल-सदर ने अपना दुख व्यक्त करते हुए कहा, "आप गर्व के साथ जिए और एक गौरवशाली शहीद के रूप में चले गए आप और आपके साथ के लोग."।
हसन नसरुल्लाह का समर्थन करने पर भाजपा ने महबूबा मुफ्ती की आलोचना की, कहा यह उनका 'राजनीतिक स्टंट' है

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं ने रविवार को पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती पर लेबनान के लोगों के साथ एकजुटता में अपना चुनाव अभियान रद्द करने के बाद “राजनीतिक स्टंट” करने का आरोप लगाया।

"लेबनान और गाजा के शहीदों, खास तौर पर हसन नसरुल्लाह के साथ एकजुटता में कल अपना अभियान रद्द कर रही हूं। हम इस दुख की घड़ी में फिलिस्तीन और लेबनान के लोगों के साथ खड़े हैं और हम उनके साथ हैं," मुफ्ती ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में लिखा। 

जम्मू-कश्मीर में पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार के दौरान उनके पूर्व डिप्टी कविंदर गुप्ता ने महबूबा के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि जब हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा था, तब पूर्व मुख्यमंत्री चुप रहीं। "महबूबा मुफ्ती हिजबुल्लाह नेता नसरुल्लाह की मौत से दुखी हैं, लेकिन जब बांग्लादेश में हिंदुओं की हत्या हो रही थी, तब वह चुप रहीं। ये मगरमच्छ के आंसू हैं, झूठी सहानुभूति के अलावा कुछ नहीं। कविंदर गुप्ता ने एएनआई से कहा, "लोग सबकुछ समझते हैं।" 

कश्मीर घाटी के एक अन्य भाजपा नेता अल्ताफ ठाकुर ने कहा कि दुनिया में कहीं भी युद्ध नहीं होना चाहिए, क्योंकि लोगों को अपने जीवन में शांति चाहिए। उन्होंने कहा कि बड़े संघर्षों के बाद, देश अक्सर बातचीत के माध्यम से मुद्दों को हल करने के लिए एकजुट होते हैं। हालांकि, उन्होंने टिप्पणी की कि महबूबा मुफ्ती एक धार्मिक कार्ड खेल रही हैं, उन्होंने कहा, "यह उनका चुनावी स्टंट है। हम युद्ध में हत्याओं की भी निंदा करते हैं, लेकिन महबूबा मुफ्ती ने मुस्लिम समुदाय से समर्थन हासिल करने के लिए यह कदम उठाया है।" 

शुक्रवार को इजरायली सेना द्वारा बेरूत के घनी आबादी वाले दहियाह उपनगर में किए गए हमलों में हिजबुल्लाह के महासचिव हसन नसरल्लाह और उनकी बेटी ज़ैनब की मौत हो गई। नसरल्लाह को निशाना बनाने के लिए किए गए इस हमले में छह और लोग मारे गए। शनिवार देर रात तक जारी रहे हमलों में अली कराकी, मुहम्मद अली इस्माइल और हुसैन अहमद इस्माइल जैसे हिजबुल्लाह के अन्य कार्यकर्ता भी मारे गए। इस बीच, शनिवार को जम्मू-कश्मीर के बडगाम और श्रीनगर में इजरायल डिफेंस फोर्स (आईडीएफ) द्वारा हसन नसरल्लाह की हत्या के खिलाफ विरोध मार्च निकाला गया। बड़ी संख्या में लोग हसन नसरल्लाह की तस्वीरें लेकर सड़कों पर उतरे।

यूपी के महोबा में ट्रेन पलटाने की साजिश, रेलवे ट्रैक पर रखा पत्थर, लोको पायलट की वजह से टला बड़ा हादसा, एक नाबालिक हिरासत में

डेस्क : कबरई थाना क्षेत्र में शनिवार को रेल की पटरी पर कंक्रीट का खंभा रखने का मामला सामने आया है। खंभे को एक पैसेंजर ट्रेन के चालक ने देख लिया और इमरजेंसी ब्रेक लगाकर ट्रेन रोक दी। रेल अधिकारियों की शिकायत के आधार पर महोबा में पुलिस ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की है। वहीं पुलिस ने 16 वर्षीय एक लड़के को हिरासत में भी लिया है। बता दें कि ऐसा ही एक मामला शनिवार को बलिया में भी सामने आया था। पुलिस क्षेत्राधिकारी (सीओ) दीपक दुबे ने बताया, ‘‘कबरई थाना क्षेत्र के अंतर्गत बांदा-महोबा रेल मार्ग पर ‘फेंसिंग पिलर’ रखने के आरोप में 16 वर्षीय एक लड़के को हिरासत में लिया गया है। आगे की जांच जारी है।’’ उन्होंने बताया कि यह घटना दोपहर तब सामने आई जब एक पैसेंजर ट्रेन के चालक ने रेलवे सुरक्षा बल और स्थानीय पुलिस को पटरी पर खंभा रखे जाने की सूचना दी। क्षेत्राधिकारी ने बताया, ‘‘आरपीएफ के साथ पुलिस टीम मौके पर पहुंची और एक नाबालिग को हिरासत में लिया। नाबालिग ने पटरी पर खंभा रखने की बात कबूल की है।’’ अधिकारी ने बताया कि खंभा पटरी से हटाए जाने के तुरंत बाद ही मार्ग पर रेल यातायात सुचारू हो गया। वहीं बलिया जिले के बैरिया क्षेत्र में भी शनिवार को रेल इंजन पटरी पर रखे पत्थर से टकरा गया था। अधिकारियों ने बताया कि इस घटना में कोई नुकसान नहीं हुआ। पूर्वोत्तर रेलवे के जनसंपर्क अधिकारी अशोक कुमार ने बताया था कि शनिवार को वाराणसी-बलिया-छपरा रेल खंड पर पूर्वाह्न करीब 10.25 बजे पटरी पर पत्थर मिला। उन्होंने बताया कि लखनऊ से छपरा (बिहार) जा रही 15054 लखनऊ-छपरा एक्सप्रेस के इंजन का ‘कैटल गार्ड’ पत्थर से टकराया। कुमार ने बताया कि पटरी पर पत्थर देखकर लोको पायलट ने आपात ब्रेक लगा दी। उत्तर प्रदेश में पटरी पर गैस सिलेंडर, खंभे आदि मिलने की कई घटनाएं हाल के दिनों में सामने आए हैं।