दुमका : सुखद पलों पर आखिर क्यों होती रही सियासत! वंदे भारत की सौगात और सियासत.. पढ़िए पूरी रिपोर्ट
दुमका : झारखण्ड की उपराजधानी दुमका को भी वंदे भारत ट्रेन की सौगात मिल गयी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को छह वंदे भारत एक्सप्रेस को वर्चुअली हरि झंडी दिखाकर रवाना किया जिसमें भागलपुर-दुमका-हावड़ा मार्ग पर चलनेवाली वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन भी शामिल है। पीएम मोदी द्वारा वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन के उदघाटन के बाद ट्रेन भागलपुर से दुमका पहुंची।
दुमका रेलवे स्टेशन में वंदे भारत एक्सप्रेस के स्वागत में रेलवे द्वारा एक समारोह का आयोजन किया गया। ट्रेन के स्वागत में गोड्डा से बीजेपी सांसद डॉ निशिकांत दुबे, दुमका से झामुमो सांसद नलिन सोरेन, पूर्व विधायक एवं मंत्री डॉ लुईस मरांडी एवं पूर्व विधायक सीता सोरेन सहित रेलवे के अधिकारी, बीजेपी और झामुमो एवं अन्य दलों के कई कार्यकर्ता सहित आमलोग भी मौजूद थे।
बारिश के बावजूद इस ऐतिहासिक पल का गवाह बनने के लिए रेलवे स्टेशन पहुँचे आमलोगों में वंदे भारत एक्सप्रेस को लेकर काफी उत्साह दिखा।
वहीं ट्रेन के स्वागत में आयोजित समारोह कुछ पलों में राजनीतिक मंच के रूप में तब्दील हो गया और फिर सम्बोधन के दौरान भाजपा और झामुमो एक दूसरे पर आरोप- प्रत्यारोप की बारिश में जुटे रहे। दोनों दलों के कार्यकर्ताओं की नारेबाजी की शोर में हंगामे का दृश्य बना रहा।
दरअसल पूर्व विधायक और भाजपा नेत्री सीता सोरेन ने अपने सम्बोधन के दौरान पीएम मोदी की तारीफ की लेकिन जैसे ही उन्होंने राज्य की हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली महागठबंधन सरकार की आलोचना शुरू की तो मंच के पास मौजूद झामुमो के कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी शुरू कर दी।
सीता सोरेन ने दुमका वासियों को केंद्र सरकार द्वारा वंदे भारत ट्रेन की सौगात मिलने पर इसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस संकल्प को दिया, जिसके तहत सबका साथ, सबका विकास की बात की जाती है। उन्होंने कहा कि यही वजह है कि संथाल परगना प्रमंडल जैसे पिछड़े क्षेत्र को भी वंदे भारत ट्रेन की सौगात मिली है।
उन्होंने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि साढ़े चार वर्षों तक राज्य सरकार ने झारखंड के लिए क्या किया? अपनी जेब गर्म करते रहे, अपनी झोली भरते रहे। सरकार के मंत्री जेल की यात्रा कर रहे हैं। इसके बावजूद सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं।
साढ़े चार वर्षों तक जनता को भूल गए और अब नए-नए वादे किये जा रहे हैं। कहा कि यहां के सीएम से झारखंड संभल नहीं रहा है। इसलिए चाहे असम के सीएम हो या केंद्रीय मंत्री झारखंड में कैंप कर रहे हैं, क्योंकि हमें झारखंड की चिंता है। यहां के लोगों की चिंता हमें है। झारखंड को लूट कर खोखला करने वालों से झारखंड का विकास संभव नहीं है।
वहीं झामुमो सांसद नलिन सोरेन ने वंदे भारत ट्रेन की सौगात देने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी और रेल मंत्री को बधाई दी और कहा कि हालांकि यहां के लोगों के लिए यह ट्रेन उतना उपयोगी नहीं होगा। इसकी वजह इस क्षेत्र का पिछड़ापन है। यहां के लोग गरीब हैं और वंदे भारत ट्रेन का किराया बहुत ज्यादा है।
उन्होंने कहा कि दुमका वासी लंबे समय से दुमका से देश की राजधानी दिल्ली तक के लिए सीधी रेल सेवा की मांग करते आ रहे हैं। उन्होंने जनता की इस आवाज को सदन में उठाने का काम किया है। अगर दुमका-दिल्ली ट्रेन मिल जाए तो वह यहां के लोगों के लिए सबसे बड़ी सौगात होगी।
इस दौरान मंच जैसे ही राजनीतिक हुआ वैसे ही सभी राजनीतिक दल के कार्यकर्ता अपने- अपने नेता के समर्थन में जिंदाबाद के नारे लगाने लगे और फिर तमाम वक्ताओं की बातें जिंदाबाद के शोर के बीच दब गई। हालांकि, नलिन सोरेन और निशिकांत दुबे ने माहौल को संभालने का प्रयास किया लेकिन कार्यकर्ता किसी की भी सुनने के लिए तैयार नहीं हुए।
शोर के बीच सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि विकास एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें सभी की सहभागिता आवश्यक है। विकास के नाम पर बिहार से अलग झारखंड राज्य बना था। इसके बावजूद वर्ष 2014 तक संथाल परगना प्रमंडल का अपेक्षित विकास नहीं हो पाया था। जबकि इसी दुमका की धरती ने झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी को पहचान दिया। कहा कि इसलिए इस क्षेत्र के विकास के लिए दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सभी को सोचना होगा ताकि भविष्य में हमें यह न कहना पड़े की झारखंड के जमशेदपुर का अधिक विकास हुआ, जबकि दुमका पिछड़ा रह गया। उन्होंने वंदे भारत ट्रेन की सौगात देने के लिए प्रधानमंत्री और रेल मंत्री के प्रति आभार जताया और कहा इससे लोगों को काफी फायदा मिलेगा।
बहरहाल, दुमका को रेल सेवा से जुड़ने में लंबा वक्त लगा। साल 1999 में तत्कालीन रेल मंत्री नीतीश कुमार ने बैद्यनाथ धाम रेल स्टेशन परिसर में देवघर-दुमका नयी रेल लाइन की आधारशिला रखी थी लेकिन उसके साल भर बाद राज्य का बंटवारा हो गया। दुमका को झारखण्ड की उपराजधानी घोषित किये जाने के बाद रेल सेवा का महत्व बढ़ गया। फिर राज्य के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने 8 अप्रैल 2002 को दुमका में इस रेल परियोजना का शिलान्यास किया।
दुमका-देवघर रेल परियोजना को साल 2007 में ही पूरा हो जाना था लेकिन जुलाई 2011 में यहाँ रेलवे सेवा शुरू हुई। उस ऐतिहासिक पल के हजारों लोगों गवाह बने क्योंकि दुमका में रेल सेवा शुरू होने का सपना यहाँ के लोगों ने लंबे समय से संजोया था। सपना पूरा हुआ, एक्सप्रेस ट्रेन तक चलनी शुरू हो गयी, कोयले की कमाई से राजस्व भी बढ़ने लगा लेकिन जब भी सुखद पल आया, मंच सजा तो वो राजनीतिक अखाड़ा जरूर बना, चाहे सरकार किसी की भी रही हो।
(दुमका से राहुल कुमार गुप्ता की रिपोर्ट)
Sep 16 2024, 22:27