उत्तराखंड में UCC लागू करने की कवायद शुरू, अंतिम चरण में प्रक्रिया, शादी का पंजीकरण नहीं करने पर नहीं मिलेगा योजनाओं का लाभ

उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करने की प्रक्रिया अब अंतिम चरण में पहुंच गई है। इस नई व्यवस्था के तहत, राज्य में शादी का पंजीकरण अनिवार्य कर दिया जाएगा, और जिन्होंने ऐसा नहीं किया, उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलेगा। यह निर्णय मुख्य सचिव राधा रतूड़ी और यूसीसी समिति के सदस्य शत्रुघ्न सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिया गया, जिसमें संहिता की नियमावली के अंतिम चरण की समीक्षा की गई और कार्यान्वयन के विभिन्न पहलुओं पर विचार किया गया।

UCC के तहत, सरकार शादी का पंजीकरण अनिवार्य कर सकती है और सरकारी सेवाओं और कल्याणकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए यह पंजीकरण कराना जरूरी होगा। इसके लिए सरकार एक समय सीमा तय कर सकती है, और इस अवधि के बाद पंजीकरण न कराने वालों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलेगा। यदि कोई व्यक्ति पंजीकरण करवा लेता है, तो उसे पूर्ववत लाभ जारी रहेगा। समान नागरिक संहिता (UCC) के तहत एक डेटा बेस भी तैयार किया जाएगा, जिसमें परिवार पंजीकरण जैसी जानकारियां शामिल होंगी। इस डेटा एप के माध्यम से सरकार को भविष्य की योजनाएं बनाने में सहायता मिलेगी।

यूसीसी की नियमावली के अनुसार, जब यह कानून लागू होगा, तब से छह महीने के भीतर वे जोड़े जो पहले से शादीशुदा हैं, उन्हें पंजीकरण करवाने का समय मिलेगा। वहीं, यूसीसी लागू होने के दिन या उसके बाद शादी करने वालों को केवल तीन महीने का समय दिया जाएगा। निर्धारित समय के बाद पंजीकरण न करवाने वाले किसी भी सरकारी कल्याणकारी योजना का लाभ नहीं ले सकेंगे, लेकिन पंजीकरण करवाने के बाद उन्हें लाभ मिल सकेगा। बैठक में UCC के सदस्य मनु गौड़, सुरेखा डंगवाल, पुलिस महानिदेशक अभिनव कुमार, विशेष प्रमुख सचिव अमित सिन्हा, प्रमुख सचिव रमेश कुमार और सुधांशु भी शामिल हुए।

बंगाल में कांग्रेस नेता की हत्या से मच गया हड़कंप, घर के बाहर बुलाकर उतारा मौत के घाट, इलाके में फैली सनसनी

बंगाल में वारदातों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुई दरिंदगी के खिलाफ उठी आवाज अभी शांत नहीं हुई है कि राज्य के अलग-अलग कोनों से हत्या और रेप के मामले सामने आ रहे हैं। इसी कड़ी में एक कांग्रेस नेता की मौत हो गई है। कुछ लोगों ने उन्हें घर से बाहर बुलाया और उनकी हत्या कर दी। इस घटना से पूरे इलाके में सनसनी फैल गई।

यह मामला पश्चिम बंगाल का है। मालदा के कालिआचक इलाके में कांग्रेस नेता को मौत के घाट उतार दिया गया है। खबरों की मानें तो अलीनगर कांग्रेस के 43 वर्षीय नेता सिराजुल अली की बीती रात हत्या कर दी गई। हत्या की वजह अभी तक सामने नहीं आई है। मगर इस घटना से आसपास के इलाकों में दहशत मच गई है। पुलिस मामले की जांच कर रही है, लेकिन अभी तक कातिलों का सुराख नहीं लग सका है।

बता दें कि सिराजुल अली पेशे से कारोबारी थे। साथ ही वो ग्राम पंचायत के भी सदस्य थे। सिराज काफी लंबे समय से कांग्रेस के साथ जुड़े थे। बीती शाम को कुछ लोगों ने सिराज के घर का दरवाजा खटखटाया। जब सिराज ने दरवाजा खोला, तो आरोपियों ने उन्हें बाहर बुलाया। सिराज जैसे ही घर से बाहर निकले आरोपियों ने उनकी हत्या कर दी।

सिराज की मौत कैसे और क्यों की गई? इस पर अभी सस्पेंस बना हुआ है। पुलिस ने FIR दर्ज करके मामले की छानबीन शुरू कर दी है। सूत्रों की मानें तो सिराज की हत्या के पीछे कोई बड़ी साजिश नहीं है। पुलिस की शुरुआती जांच में आपसी रंजिश की बात सामने आ रही है। हालांकि पुलिस ने अभी तक इस पर कोई औपचारिक बयान नहीं दिया है।

चीन ने अपनी कंपनियों को चेताया, भारत में निवेश ना करने की दी सलाह

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दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था यानी चीन के सितारें इन दिनों गर्दिश में हैं। कई बड़ी कंपनियां इस हालात में चीन से पलायन कर रहीं हैं। इस हालात में चीन ने अपने देश के कार निर्माताओं को बाहर निवेश ना करने की सलाह दी है। चीन ने अपनी इलेक्ट्रिक गाड़ियां बनाने वाली कंपनियों से कहा है कि वो भारत में निवेश करने से बचें।

चीन का कहना है कि इलेक्ट्रिक व्हीकल से जुड़ी तकनीकी देश में ही रहनी चाहिए। हालांकि, दूसरी ओर चाइनीज कंपनियां निर्यात पर टैरिफ चार्ज से बचने के लिए दुनिया भर में कारखाने खोल रही हैं। दरअसल बीजिंग चीनी वाहन निर्माताओं को अपने विदेशी संयंत्रों में तथाकथित ‘नॉक-डाउन किट’ निर्यात करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है, जिसका मतलब यह है कि वाहन के प्रमुख हिस्सों का उत्पादन घरेलू स्तर पर किया जाएगा और फिर उनके डेस्टिनेशन मार्केट में उन्हें असेंबलिंग के लिए भेजा जाएगा।इससे चीनी कंपनियां टैरिफ से बच जाएंगी।

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने जुलाई में एक दर्जन से ज्यादा ऑटो मेकर्स के साथ बैठक की थी। इस बैठक में वाणिज्य मंत्रालय ने साफ शब्दों में ऑटो मेकर्स को भारत में निवेश ना करने की सलाह दी थी। हालांकि इसकी वजह सामने नहीं आ सकी थी।

चीन की सरकार ने ये निर्देश तब दिए हैं जब चाइनीज कंपनी BYD से लेकर चेरी ऑटोमोबाइल तक स्पेन से लेकर थाईलैंड और हंगरी तक फ़ैक्टरियां बनाने की योजना बना रही हैं, क्योंकि उनके इनोवेटिव और अफॉर्डेबल ईवी विदेशी बाज़ारों में पैठ बना सके। दरअसल चीनी की ज्यादातर कार निर्माता कंपनियां दूसरे देशों में मैन्युफैक्चरिंग लगाने पर विचार कर रही हैं ताकि चीनी निर्मित इलेक्ट्रिक व्हीकल पर टैरिफ चार्ज से बचा जा सके।

बीजेपी में भी सीएम पद को लेकर रार! अब अनिल विज ने ठोका दावा, कहा- मैं हरियाणा की तस्वीर बदल दूंगा

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हरियाणा में विधानसभा चुनाव के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता अनिल विज ने बड़ा दावा छोका है। रविवार को अनिल विज ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री पद के लिए दावा ठोका।अनिल विज ने कहा कि वो मुख्यमंत्री पद का दावा करेंगे। उन्होंने कहा, मैं अपनी वरिष्ठता के दम पर मुख्यमंत्री पद का दावा करूंगा, बनाना या न बनाना यह हाई कमान का काम है।

अंबाला कैंट विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी अनिल ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा, मैं हरियाणा में भाजपा का सबसे वरिष्ठ विधायक हूं। मैंने 6 बार चुनाव लड़ा है। मैं छह बार चुनाव लड़ चुका हूं और जीत चुका हूं। अब सातवीं बार मैं चुनाव लड़ रहा हूं। लोगों की मांग पर मैं इस बार अपनी वरिष्ठता के आधार पर सीएम पद के लिए दावेदारी करूंगा। हालांकि, यह हाईकमान के हाथ में है कि वे मुझे सीएम बनाते हैं या नहीं। अगर वे मुझे सीएम बनाते हैं तो मैं हरियाणा की तस्वीर बदल दूंगा।

बता दें कि पूर्व में गृहमंत्री रहने के दौरान कई बार विज को सीएम बनाने को लेकर अफवाहें चलीं थी मगर हर बार विज यही कहते रहे कि उन्होंने कभी नेतृत्व से सीएम पद नहीं मांगा। इस बार जब विज सातवीं बार चुनावी मैदान में जा रहे हैं तो यह कार्ड चलकर उन्होंने संगठन को भी साफ संदेश देने का काम किया है।

अनिल विज ने 1996 में हरियाणा से पहली बार अंबाला कैंट से निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इस जीत के बाद लगातार उन्होंने जीत का सहरा पहना।2009, 2014, 2019 में बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा और तीनों बार जीत हासिल की। साथ ही 2014 और 2019 में मनोहर लाल खट्टर की सरकार में उन्होंने कैबिनेट मंत्री की जिम्मेदारी भी संभाली। हालांकि, वो नायब सैनी के मुख्यमंत्री बनने से नाराज नजर आ रहे थे, जिसके चलते जब 2024 में नायब सैनी को पार्टी ने मुख्यमंत्री बनाया तो उसके बाद अनिल विज मंत्रिमंडल में शामिल नहीं हुए। इससे पहले साल 2014 में भी अनिल विज सीएम पद के दावेदार थे, लेकिन पार्टी ने मनोहर लाल खट्टर को सीएम बनाया था।

सोनिया गांधी मॉडल लागू करना चाहते हैं', केजरीवाल के इस्तीफे के ऐलान पर बीजेपी का वार, जानें कांग्रेस ने क्या कहा*
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दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने रविवार को इस्तीफे का ऐलान कर दिया।तिहाड़ जेल से जमानत पर बाहर आने पर आज पहली बार दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने ऐलान किया कि वो दो दिन सीएम की कुर्सी छोड़ देंगे।सीएम केजरीवाल ने आगे कहा कि मैं इस्तीफा इसलिए दे रहा हूं क्योंकि इन्होंने मुझ पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं।केजरीवाल के इस्तीफे के ऐलान के बाद से ही हर तरफ उनके इस्तीफे की चर्चा हो रही है। केजरीवाल इस फैसले पर आप सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि केजरीवाल ने अग्निपरीक्षा देने का फैसला किया है। वह जनता के बीच में जाएंगे।उन्होंने भरोसा जताते हुए कहा कि आप देखिएगा दिल्ली की आम जनता केजरीवाल की ईमानदारी पर मुहर लगाएगी और काम के नाम पर केजरीवाल को फिर चुनेगी। अब इस पर बीजेपी के नेताओं के बयान भी सामने आ रहे हैं, जो सीएम केजरीवाल पर जमकर निशाना साध रहे हैं। जहां बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने कहा कि यह अरविंद केजरीवाल का पीआर स्टंट है। वह यह बात समझ गए हैं कि दिल्ली की जनता के बीच उनकी छवि एक कट्टर ईमानदार नेता की नहीं बल्कि एक भ्रष्टाचारी नेता की हो चुकी है। आज आम आदमी पार्टी एक भ्रष्ट पार्टी के रूप में पूरे देशभर में जानी जाती है। अपने इस पीआर स्टंट के तहत वह अपनी छवि को वापस पाना चाहते हैं। *'केजरीवाल सोनिया गांधी मॉडल लागू करना चाहते हैं'* इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा इससे दिल्ली की जनता के सामने तीन बातें साफ हो चुकी हैं कि अरविंद केजरीवाल कहते हैं कि उनका जीरो बैंक बैलेंस हैं, तो भाई इतना बड़ा शीशमहल आपने कैसे बना लिया। केजरीवाल जी कहते हैं कि मैं दिल्ली की जनता के बीच जाऊंगा। तब तक मैं कोई और मुख्यमंत्री बनाऊंगा, मतलब साफ है कि वह सोनिया गांधी वाले मॉडल को लागू करना चाहते हैं। जहां उन्होंने मनमोहन सिंह को डमी प्रधानमंत्री बनाया और पर्दे के पीछे से सरकार चलाई। इसी तरह वह सरकार चलाना चाहते हैं और तीसरा यह कि उन्हें आज समझ आ गया है कि आम आदमी पार्टी दिल्ली चुनाव हार रही है और दिल्ली की जनता उनके नाम पर वोट नहीं दे सकती, इसलिए वह ऐसा करना चाहते हैं। वह किसी और को बलि का बकरा बनाना चाहते हैं। *पत्नी को सीएम बनाना चाहते हैं केजरीवाल- सिरसा* वहीं, बीजेपी नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने इसे मास्टर स्ट्रोक नहीं ओवर स्मार्ट कदम बताया है। सिरसा ने ये दावा भी किया- 'केजरीवाल ने अपनी पत्नी सुनीता को मुख्यमंत्री बनाने के लिए ये दांव चला है। *कांग्रेस ने कहा- महज एक नौटंकी* वहीं कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने कहा कि दोबारा सीएम बनने का सवाल ही नहीं उठता। हम लंबे समय से कह रहे हैं कि उन्हें सीएम पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। यह महज एक नौटंकी है। ऐसा पहली बार हुआ है जब कोई निर्वाचित नेता जमानत पर जेल से बाहर आया हो और उसे सुप्रीम कोर्ट ने सीएमओ न जाने और किसी भी कागज पर हस्ताक्षर न करने को कहा हो। ऐसी शर्तें पहले कभी किसी सीएम पर नहीं लगाई गई। शायद सुप्रीम कोर्ट को भी डर है कि यह व्यक्ति सबूतों से छेड़छाड़ करने की कोशिश कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट उसके साथ एक अपराधी की तरह व्यवहार कर रहा है। नैतिकता और अरविंद केजरीवाल का कोई संबंध नहीं है।
केजरीवाल के इस्तीफे के बाद सिसोदिया नहीं तो फिर कौन होगा दिल्ली का नया सीएम?

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आबकारी नीति ‘घोटाला’ मामले में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के दो दिन बाद दिल्ली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस्तीफे का ऐलान किया है। दिल्ली में आम आदमी पार्टी के मुख्यालय पहुंचे केजरीवाल ने कार्यकर्तओं को संबोधित करके हुए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने का ऐलान किया। केजरीवाल ने रविवार को कहा कि 2 दिन बाद मैं सीएम पद से इस्तीफा दूंगा। केजरीवा ने कहा कि चुनाव के बाद सीएम की कुर्सी पर बैठूंगा, मेरी जगह कोई और सीएम होगा। हालांकि, उन्होंने ये भी कहा है कि उनके साथ ही मनीष सिसोदिया भी कोई पद नहीं ग्रहण करेंगे। यानी इससे साफ हो गया है कि मनीष सिसोदिया भी मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा?

अरविंद केजरीवाल अब 2 दिन बाद मुख्यमंत्री का पद छोड़ देंगे।उन्होंने साफ किया कि मनीष सिसोदिया भी मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे। ऐसे में दिल्ली सीएम की कुर्सी पर सबसे बड़े दावेदार के रूप में दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी देखी जा रही हैं। आतिशी सीएम केजरीवाल की बेहद भरोसेमंद नेताओं में गिनी जाती हैं। केजरीवाल उन पर बहुत ज्यादा भरोसा करते हैं। दिल्ली आबकारी नीति मामले में मनीष सिसोदिया जब जेल गए थे तब उनकी जगह शिक्षा विभाग का जिम्मा आतिशी को ही दिया गया। उन्होंने ही दिल्ली का बजट भी पेश किया।

यही नहीं अपने इस्तीफे के ऐलान से पहले केजरीवाल ने अपने संबोधन के दौरान 15 अगस्त को लेकर आतिशी का नाम लिया। उन्होंने कहा, तिहाड़ जेल में रहने के दौरान मैंने एलजी को एक चिट्ठी लिखी कि 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर झंडा आतिशी फहराएंगी। लेकिन वो चिट्ठी वापस कर दी गई और यह भी वार्निंग दी गई कि फिर से चिट्ठी लिखी तो परिवार से मुलाकात बंद हो जाएगी।कालकाजी सीट से विधायक आतिशी आम आदमी पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति की सदस्य भी हैं और वर्तमान में दिल्ली सरकार में शिक्षा, उच्च शिक्षा, टीटीई, वित्त, योजना, पीडब्ल्यूडी, जल, बिजली, सेवाएं, सतर्कता, जनसंपर्क मंत्री हैं।

आतिशी के अलावा सौरभ भारद्वाज भी सीएम पद की रेस में सबसे आगे हैं। वह लंबे समय से आम आदमी पार्टी से जुड़े हुए हैं। दिल्ली विधानसभा में ग्रेटर कैलाश सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं। सौरभ दिल्ली सरकार में स्वास्थ्य, शहरी विकास और पर्यटन मंत्री हैं। साथ वह पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी हैं और संकटपूर्ण स्थितियों में पार्टी की ओर से पक्ष भी रखते हैं। इससे पहले सौरभ दिल्ली जल बोर्ड के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।

सीएम पद की रेस में कैलाश गहलोत भी तीसरा बड़ा नाम चल रहा है। वह दिल्ली के परिवहन और पर्यावरण मंत्री हैं। वह नई दिल्ली के नजफगढ़ विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं। फिलहाल उनके पास परिवहन, प्रशासनिक सुधार, राजस्व, कानून, न्याय और विधायी मामले, महिला एवं बाल विकास तथा सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग की जिम्मेदारी है। उन्होंने फरवरी 2015 में नजफगढ़ निर्वाचन क्षेत्र से दिल्ली विधानसभा के लिए अपना पहला चुनाव जीता था।

अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे के बाद मुख्यमंत्री की रेस में राखी बिड़ला का नाम भी सामने आ रहा है। राखी बिड़ला एससी चेहरा हैं और पिछड़े वर्ग को ध्यान रखते हुए उन्हें कुर्सी सौंपी जा सकती है।

इसके अलावा एक नाम अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल का भी चल रहा है। बीजेपी भी इसको लेकर दावा कर रही है कि केजरीवाल अपनी पत्नी को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं।

अरविंद केजरीवाल ने कहा, पार्टी से ही कोई सीएम बनेगा, विधायक दल की बैठक होगी, मैं और मनीष सिसोदिया जनता की अदालत में जा रहे हैं...

जेल से रिहाई के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल का जोश हाई है. उन्होंने रविवार को पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को संबोधित किया. इस दौरान केजरीवाल ने कहा कि आज से दो दिन बाद मैं मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दूंगा. केजरीवाल ने कहा कि मैं इस्तीफा इसलिए दे रहा हूं क्योंकि इन्होंने मुझ पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं. इन्होंने मुझपर और मनीष सिसोदिया पर इल्जाम लगाए. मैं आज आपसे पूछना चाहता हूं कि क्या केजरीवाल ईमानदार है या बेईमान. मैं इसलिए राजनीति में नहीं आया था. आज मैं अग्निपरीक्षा के लिए तैयार हूं. उन्होंने कहा कि अगर आपको लगता है कि मैं ईमानदार हूं तो मुझे वोट देना. आप जब जिता दोगे तभी मैं मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठूंगा. केजरीवाल ने कहा कि आम आदमी पार्टी से ही कोई मुख्यमंत्री बनेगा. विधायक दल की बैठक होगी. मैं और मनीष सिसोदिया जनता की अदालत में जा रहे हैं. अगर हम ईमानदार हैं तो वोट देना वरना मत देना. इसका मतलब साफ है कि अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे के बाद मनीष सिसोदिया भी मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे. इस दौरान केजरीवाल ने बीजेपी पर बड़ा हमला बोला. उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी ने देश की राजनीति बदली. हमारी पार्टी ने देश की राजनीति को एक नई दिशा दी. उनकी साजिशें हमारे चट्टान जैसे हौसलों को नहीं तोड़ पाईं, हम फिर से आपके बीच में हैं. हम देश के लिए यूं ही लड़ते रहेंगे, बस आप सब लोगों का साथ चाहिए. एक क्रांतिकारी सीएम को जेल भेजा गया. उन्होंने कहा कि इन्होंने मुझे भ्रष्टाचार के लिए नहीं पार्टी और सरकार तोड़ने के लिए जेल भेजा था. इनको लगा कि जेल भेजकर केजरीवाल के हौसले को तोड़ देंगे. दिल्ली और पंजाब में सरकार बना लेंगे. मगर ना केजरीवाल टूटा ना हमारे विधायक और कार्यकता. केजरीवाल ने कहा कि ये कहते हैं कि जेल में इस्तीफा क्यों नहीं दिया तो लोकतंत्र को बचाने के लिए हमने इस्तीफा नहीं दिया. ये इनका नया फॉर्मुला है. जहां इनकी सरकार ना बने वहां के मुख्यमंत्री को पकड़कर जेल में डाल दो जैसे हेमंत सोरेन ने इस्तीफा दिया. अभी कोर्ट ने भी पूछा कि जेल से सरकार क्यों नहीं चल सकती? उन्होंने कहा कि मैं सभी मुख्यमंत्रियों से कहता हूं कि आप इस्तीफा मत देना. इनका ये फॉर्मुला भी हमने फेल कर दिया क्योंकि हम ईमानदार हैं. मैं ऊपर वाले का शुक्रिया अदा करता हूं, जिनकी कृपा से हम बड़ी बड़ी मुश्किलों से निकल आते हैं. केजरीवाल ने कहा कि जेल में मुझे सोचने और पढ़ने का काफी वक्त मिला. जेल में मैंने शहीद भगत सिंह की डायरी पढ़ी. जेल में गीता और रामायण पढ़ी. जेल से मैंने LG को चिट्ठी लिखी लेकिन वो चिट्ठी वहां तक नहीं पहुंचाई गई. 15 अगस्त को लेकर मैंने चिट्ठी लिखी थी. चाहता था आतिशी को तिरंगा फहराने दिया जाए. इस चिट्ठी को लेकर मुझे धमकी दी गई. परिवार से मुलाकात रोकने की मुझे धमकी दी गई. एक दिन संदीप पाठक मुझसे मिलने जेल आए तो उनसे पार्टी के बारे मैं बात की तो इन्होंने संदीप पाठक को ब्लैक लिस्ट कर दिया दोबारा मिलने नहीं दिया
राजस्थान के बूंदी शहर में भीषण सड़क हादसा, मप्र के देवास जिले के 6 लोगों की मौत, खांटू श्याम के दर्शन करने जा रहे थे सभी

राजस्थान के बूंदी शहर में भीषण सड़क हादसा हुआ है. यहां एक कार-डंपर की टक्कर में 6 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि तीन लोग गंभीर रूप से घायल हैं. पुलिस अधीक्षक हनुमान प्रसाद मीणा ने बताया कि कार सवार मध्य प्रदेश के देवास जिले के रहने वाले हैं. सभी खाटू श्याम दर्शन करने जा रहे थे, तभी बूंदी के नजदीक यह हादसा हुआ. घायलों का इलाज किया जा रहा है.

घटना की सूचना मिलने के बाद सभी घायलों को पास के अस्पताल में भर्ती कराया गया है जबिक मृतकों के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है. पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार ये घटना हिडोली थाना क्षेत्र के जयपुर नेशनल हाइव की बताई जा रही है.

पुलिस के अनुसार घटना सुबह साढ़े चार बजे के आसपास हुई है. इस घटना में जिनकी मौत हुई है उनकी शिनाख्त की जा रही है. जबकि जो तीन लोग घायल हुए हैं, वो मध्यप्रदेश के रहने वाले हैं. पुलिस फिलहाल उस अज्ञात वाहन की तलाश में है जिसने इको गाड़ी को टक्कर मारी है. हाइवे पर लगे कैमरों और टोल प्लाजा पर लगे कैमरों की भी जांच की जा रही है.

इस घटना को लेकर बूंदी की ASP उमा शर्मा ने बताया कि पुलिस को इस घटना की जानकारी करीब साढ़े चार बजे मिली. मौके पर पहुंचने के बाद हमने इस हादसे में घायल लोगों को पास के अस्पताल पहुंचाया. इस घटना में अभी तक 6 लोगों की मौत की खबर है जबकि कई लोग गंभीर रूप से घायल है. जिन लोगों की मौत हुई है उनकी शिनाख्त की जा रही है. हम उस वाहन की भी तलाश में है जिसने इको कार को टक्कर मारी है.

नितिन गडकरी को विपक्षी नेता ने दिया था पीएम बनने का ऑफर? जानें क्या दिया था दवाब*
#nitin_gadkari_says_opposition_leader_was_approached_me_for_prime_ministership
केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के बड़े नेता नितिन गडकरी ने खुद को लेकर बड़ा दावा किया है। नितिन गडकरी ने कहा कि लोकसभा के चुनाव के वक्त एक विपक्षी नेता ने उनसे प्रधानमंत्री बनने का ऑफर मिला था। हालांकि, उन्होंने इस ऑफर को ठुकरा दिया था। नागपुर में जर्नलिज्म अवार्ड के दौरान गडकरी ने उस घटना का जिक्र किया। गड़करी ने दावा किया है कि लोकसभा चुनाव से पहले उन्हें प्रधानमंत्री पद का ऑफर किया गया था लेकिन उन्होंने इस ऑफर को ठुकरा दिया। गडकरी ने कहा कि यह ऑफर विपक्ष के एक बड़े नेता ने किया था लेकिन मैंने उसे यह कहते हुए इनकार कर दिया है मुझे पद की लालसा नहीं है। गडकरी ने कहा कि मैंने नेता से कहा कि मैं एक विचारधारा और दृढ़ भरोसे का पालन करने वाला इंसान हूं। मैं उस पार्टी में हूं, जिसने मुझे वह सब कुछ दिया है, जिसके बारे में मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था। कोई भी प्रस्ताव मुझे लुभा नहीं सकता। हालांकि उन्होंने घटना का खुलकर पूरा ब्योरा नहीं किया। अपने भाषण में गडकरी ने उन्होंने ये भी कहा कि ईमानदारी से विरोध करने वाले व्यक्ति का सम्मान किया जाना चाहिए। लोकतंत्र तभी सफल हो सकता है जब न्यायपालिका, कार्यपालिका, विधायिका और मीडिया जैसे चारों स्तंभ नैतिकता का पालन करे। गडकरी ने समारोह में चार वरिष्ठ पत्रकारों को पत्रकारिता में उत्कृष्टता के लिए 2023-24 के अनिलकुमार पुरस्कार से सम्मानित किया।
क्या बीजेपी की “बी” टीम हैं इंजीनियर राशिद? क्यों जमानत से नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी में मची खलबली*
#is_engineer_rashid_really_proxy_of_bjp आतंकवाद वित्त पोषण यानी टेरर फंडिंग के मामले में आरोपी इंजीनियर राशिद को जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव में प्रचार के लिए अदालत ने अंतरिम जमानत दे दी है।उनको चुनाव प्रचार के लिए 2 अक्तूबर तक अंतरिम जमानत मिली है। उनके जेल से बाहर आने पर नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) में खलबली मच गई है। उमर अब्दुल्ला हों या महबूबा मुफ्ती दोनों ही इंजीनियर राशिद के बाहर आने पर प्रश्नचिह्न खड़े किए हैं।नैशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी उन्हें बीजेपी की 'बी' टीम कह रही हैं। बारामूला के सांसद इंजीनियर राशिद को विधानसभा में चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत मिली है। उन्होंने 2024 का लोकसभा चुनाव भी जेल में रहते हुए लड़ा था और जीते भी थे। उनका लोकसभा चुनाव जीतना इसलिए ज्यादा अहम माना गया क्योंकि उन्होंने उसमें नेशनल कॉन्फ्रेंस के बड़े नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को पराजित किया था। इस बार इंजीनियर राशिद यानी शेख अब्दुल राशिद का राजनीतिक दल अवामी इत्तेहाद पार्टी (एआईपी) विधानसभा चुनाव लड़ रहा है। इंजीनियर राशिद का चुनाव लड़ना और जेल से बाहर आ जाना उमर अब्दुल्ला के साथ-साथ पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती के लिए भी चिंता का कारण बन गया है। उमर अब्दुल्ला कहते फिर रहे हैं कि राशिद को बेल चुनाव के लिए मिली है। इंजीनियर राशिद और उनके लोग बीजेपी के इशारे पर काम कर रहे हैं। नेशनल कांफ्रेस के बाद पीडीपी सुप्रीमो महबूबा मुफ्ती ने राशिद की पार्टी पर जमकर निशाना साधा है, उनका कहना है कि राशिद की पार्टी आईपी बीजेपी की नई प्रॉक्सी दल है। पीडीपी की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने दावा किया है कि आतंकी फंडिंग के आरोप में तिहाड़ जेल में बंद इंजीनियर रशीद की पार्टी जम्मू कश्मीर के अवाम की नहीं बल्कि भाजपा की एक छद्म पार्टी है। उन्होंने कहा कि कश्मीरियों को ऐसे राजनीतिक दलों व नेताओं से दूर रहना चाहिए। वहीं, नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने इंजीनियर राशिद के अंतरिम जमानत पर बड़ा बयान दिया है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष ने राशिद को बीजेपी के साथ चुनाव बाद गठबंधन की संभावनाओं पर अपना रुख स्पष्ट करने की चुनौती दी। अब्दुल्ला ने कहा, 'चुनाव के बाद वह भाजपा का समर्थन करेंगे या नहीं, इस पर वह चुप हैं। उन्हें यह स्पष्ट कर देना चाहिए कि चुनाव के बाद वह किसी भी तरह से भाजपा का समर्थन नहीं करेंगे।' राशिद इंजीनियर की रिहाई से जम्मू-कश्मीर के क्षेत्रीय दलों में खौफ आ गया है। खासकर नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी में। राशिद के जेल से बाहर आने के बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती की सबसे अधिक टेंशन बढ़ गई है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी की बौथलाहट की वजह क्या है? बता दें कि घाटी में नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी का अपना वोट वैंक है, राशिद की पार्टी इन्हीं वोटरों को अपने पाले में ला सकती है, इससे जहां मामला त्रिकोणीय होगा तो बीजेपी को एक तरह से फायदा मिल सकता है। महबूबा मुफ्ती की पीडीपी और राशिद की पार्टी के बीच इस चुनाव में बात नहीं बनी है, यानी अगर राशिद की पार्टी पूरे दमखम से चुनाव लड़ी तो पीडीपी को बहुत नुकसान होगा।