राजस्थान के बूंदी शहर में भीषण सड़क हादसा, मप्र के देवास जिले के 6 लोगों की मौत, खांटू श्याम के दर्शन करने जा रहे थे सभी

राजस्थान के बूंदी शहर में भीषण सड़क हादसा हुआ है. यहां एक कार-डंपर की टक्कर में 6 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि तीन लोग गंभीर रूप से घायल हैं. पुलिस अधीक्षक हनुमान प्रसाद मीणा ने बताया कि कार सवार मध्य प्रदेश के देवास जिले के रहने वाले हैं. सभी खाटू श्याम दर्शन करने जा रहे थे, तभी बूंदी के नजदीक यह हादसा हुआ. घायलों का इलाज किया जा रहा है.

घटना की सूचना मिलने के बाद सभी घायलों को पास के अस्पताल में भर्ती कराया गया है जबिक मृतकों के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है. पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार ये घटना हिडोली थाना क्षेत्र के जयपुर नेशनल हाइव की बताई जा रही है.

पुलिस के अनुसार घटना सुबह साढ़े चार बजे के आसपास हुई है. इस घटना में जिनकी मौत हुई है उनकी शिनाख्त की जा रही है. जबकि जो तीन लोग घायल हुए हैं, वो मध्यप्रदेश के रहने वाले हैं. पुलिस फिलहाल उस अज्ञात वाहन की तलाश में है जिसने इको गाड़ी को टक्कर मारी है. हाइवे पर लगे कैमरों और टोल प्लाजा पर लगे कैमरों की भी जांच की जा रही है.

इस घटना को लेकर बूंदी की ASP उमा शर्मा ने बताया कि पुलिस को इस घटना की जानकारी करीब साढ़े चार बजे मिली. मौके पर पहुंचने के बाद हमने इस हादसे में घायल लोगों को पास के अस्पताल पहुंचाया. इस घटना में अभी तक 6 लोगों की मौत की खबर है जबकि कई लोग गंभीर रूप से घायल है. जिन लोगों की मौत हुई है उनकी शिनाख्त की जा रही है. हम उस वाहन की भी तलाश में है जिसने इको कार को टक्कर मारी है.

नितिन गडकरी को विपक्षी नेता ने दिया था पीएम बनने का ऑफर? जानें क्या दिया था दवाब*
#nitin_gadkari_says_opposition_leader_was_approached_me_for_prime_ministership
केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के बड़े नेता नितिन गडकरी ने खुद को लेकर बड़ा दावा किया है। नितिन गडकरी ने कहा कि लोकसभा के चुनाव के वक्त एक विपक्षी नेता ने उनसे प्रधानमंत्री बनने का ऑफर मिला था। हालांकि, उन्होंने इस ऑफर को ठुकरा दिया था। नागपुर में जर्नलिज्म अवार्ड के दौरान गडकरी ने उस घटना का जिक्र किया। गड़करी ने दावा किया है कि लोकसभा चुनाव से पहले उन्हें प्रधानमंत्री पद का ऑफर किया गया था लेकिन उन्होंने इस ऑफर को ठुकरा दिया। गडकरी ने कहा कि यह ऑफर विपक्ष के एक बड़े नेता ने किया था लेकिन मैंने उसे यह कहते हुए इनकार कर दिया है मुझे पद की लालसा नहीं है। गडकरी ने कहा कि मैंने नेता से कहा कि मैं एक विचारधारा और दृढ़ भरोसे का पालन करने वाला इंसान हूं। मैं उस पार्टी में हूं, जिसने मुझे वह सब कुछ दिया है, जिसके बारे में मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था। कोई भी प्रस्ताव मुझे लुभा नहीं सकता। हालांकि उन्होंने घटना का खुलकर पूरा ब्योरा नहीं किया। अपने भाषण में गडकरी ने उन्होंने ये भी कहा कि ईमानदारी से विरोध करने वाले व्यक्ति का सम्मान किया जाना चाहिए। लोकतंत्र तभी सफल हो सकता है जब न्यायपालिका, कार्यपालिका, विधायिका और मीडिया जैसे चारों स्तंभ नैतिकता का पालन करे। गडकरी ने समारोह में चार वरिष्ठ पत्रकारों को पत्रकारिता में उत्कृष्टता के लिए 2023-24 के अनिलकुमार पुरस्कार से सम्मानित किया।
क्या बीजेपी की “बी” टीम हैं इंजीनियर राशिद? क्यों जमानत से नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी में मची खलबली*
#is_engineer_rashid_really_proxy_of_bjp आतंकवाद वित्त पोषण यानी टेरर फंडिंग के मामले में आरोपी इंजीनियर राशिद को जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव में प्रचार के लिए अदालत ने अंतरिम जमानत दे दी है।उनको चुनाव प्रचार के लिए 2 अक्तूबर तक अंतरिम जमानत मिली है। उनके जेल से बाहर आने पर नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) में खलबली मच गई है। उमर अब्दुल्ला हों या महबूबा मुफ्ती दोनों ही इंजीनियर राशिद के बाहर आने पर प्रश्नचिह्न खड़े किए हैं।नैशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी उन्हें बीजेपी की 'बी' टीम कह रही हैं। बारामूला के सांसद इंजीनियर राशिद को विधानसभा में चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत मिली है। उन्होंने 2024 का लोकसभा चुनाव भी जेल में रहते हुए लड़ा था और जीते भी थे। उनका लोकसभा चुनाव जीतना इसलिए ज्यादा अहम माना गया क्योंकि उन्होंने उसमें नेशनल कॉन्फ्रेंस के बड़े नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को पराजित किया था। इस बार इंजीनियर राशिद यानी शेख अब्दुल राशिद का राजनीतिक दल अवामी इत्तेहाद पार्टी (एआईपी) विधानसभा चुनाव लड़ रहा है। इंजीनियर राशिद का चुनाव लड़ना और जेल से बाहर आ जाना उमर अब्दुल्ला के साथ-साथ पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती के लिए भी चिंता का कारण बन गया है। उमर अब्दुल्ला कहते फिर रहे हैं कि राशिद को बेल चुनाव के लिए मिली है। इंजीनियर राशिद और उनके लोग बीजेपी के इशारे पर काम कर रहे हैं। नेशनल कांफ्रेस के बाद पीडीपी सुप्रीमो महबूबा मुफ्ती ने राशिद की पार्टी पर जमकर निशाना साधा है, उनका कहना है कि राशिद की पार्टी आईपी बीजेपी की नई प्रॉक्सी दल है। पीडीपी की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने दावा किया है कि आतंकी फंडिंग के आरोप में तिहाड़ जेल में बंद इंजीनियर रशीद की पार्टी जम्मू कश्मीर के अवाम की नहीं बल्कि भाजपा की एक छद्म पार्टी है। उन्होंने कहा कि कश्मीरियों को ऐसे राजनीतिक दलों व नेताओं से दूर रहना चाहिए। वहीं, नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने इंजीनियर राशिद के अंतरिम जमानत पर बड़ा बयान दिया है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष ने राशिद को बीजेपी के साथ चुनाव बाद गठबंधन की संभावनाओं पर अपना रुख स्पष्ट करने की चुनौती दी। अब्दुल्ला ने कहा, 'चुनाव के बाद वह भाजपा का समर्थन करेंगे या नहीं, इस पर वह चुप हैं। उन्हें यह स्पष्ट कर देना चाहिए कि चुनाव के बाद वह किसी भी तरह से भाजपा का समर्थन नहीं करेंगे।' राशिद इंजीनियर की रिहाई से जम्मू-कश्मीर के क्षेत्रीय दलों में खौफ आ गया है। खासकर नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी में। राशिद के जेल से बाहर आने के बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती की सबसे अधिक टेंशन बढ़ गई है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी की बौथलाहट की वजह क्या है? बता दें कि घाटी में नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी का अपना वोट वैंक है, राशिद की पार्टी इन्हीं वोटरों को अपने पाले में ला सकती है, इससे जहां मामला त्रिकोणीय होगा तो बीजेपी को एक तरह से फायदा मिल सकता है। महबूबा मुफ्ती की पीडीपी और राशिद की पार्टी के बीच इस चुनाव में बात नहीं बनी है, यानी अगर राशिद की पार्टी पूरे दमखम से चुनाव लड़ी तो पीडीपी को बहुत नुकसान होगा।
पीएम मोदी के घर आया नन्हा मेहमान, नाम रखा दीपज्योति, सोशल मीडिया पर वीडियो शेयर कर खुद साझा की जानकारी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में अपने आवास में एक खुशखबरी साझा की है। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट करते हुए बताया कि गौ माता ने एक बछड़े को जन्म दिया है। इस नवजात बछड़े का नाम प्रधानमंत्री ने 'दीपज्योति' रखा है। वीडियो में प्रधानमंत्री मोदी बछड़े को दुलारते हुए दिखाई दे रहे हैं। वह उसे तिलक करते हैं, फूलों की माला पहनाते हैं, और फिर उसे अपनी गोद में उठाकर बगीचे में टहला रहे हैं।

पीएम मोदी ने इस अवसर पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि लोक कल्याण मार्ग पर उनके आवास परिसर में एक नए सदस्य का स्वागत हुआ है। उन्होंने लिखा कि गौ माता ने एक नवजात बछड़े को जन्म दिया है, जिसके मस्तक पर एक ज्योति का चिह्न है। इस कारण से, उन्होंने उसका नाम 'दीपज्योति' रखा है। प्रधानमंत्री ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर अपनी पोस्ट में लिखा, "हमारे शास्त्रों में कहा गया है - 'गाव: सर्वसुख प्रदा:' अर्थात् गाय सभी सुखों का देने वाली होती है। लोक कल्याण मार्ग पर प्रधानमंत्री आवास परिवार में एक नए सदस्य का शुभ आगमन हुआ है। प्रिय गौ माता ने एक नवजात बछड़े को जन्म दिया है, जिसके मस्तक पर ज्योति का चिह्न है। इसलिए, मैंने इसका नाम 'दीपज्योति' रखा है।"

भारतीय शास्त्रों में गाय को अत्यधिक पवित्र और महत्वपूर्ण माना गया है। हिन्दू धर्म में गाय को माता का दर्जा दिया गया है और इसे समृद्धि, समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक माना जाता है। वेदों और पुराणों में भी गाय के महत्व को कई जगहों पर रेखांकित किया गया है, और इसे भौतिक और आध्यात्मिक दोनों दृष्टियों से पूजा जाता है। गाय का दूध, गोबर और गोमूत्र का उपयोग विभिन्न धार्मिक और औषधीय विधियों में किया जाता है, जो इस पवित्र प्राणी के प्रति गहरी श्रद्धा और आदर को दर्शाता है।

फलों के जूस में पेशाब मिलाकर बेचता था ‘सलमान’, सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होते ही पुलिस प्रशासन ने लिया यह एक्शन

यूपी के गाजियाबाद जिले से फलों के जूस में पेशाब मिलाकर बेचने की घटना सामने आई है। स्थानीय लोगों की शिकायत पर पुलिस ने एक जूस की दुकान पर छापेमारी की, जहां एक कंटेनर में इंसानी मूत्र पाया गया। पुलिस ने सबूत मिलने के पश्चात् सलमान (बदला हुआ नाम) और उसके 15 वर्षीय नाबालिग बेटे को गिरफ्तार कर लिया है। सोशल मीडिया पर इस घटना का वीडियो भी वायरल हो रहा है। मामले की तहकीकात की जा रही है। घटना शुक्रवार (13 सितंबर 2024) की है।

यह मामला गाजियाबाद कमिश्नरेट के ग्रामीण इलाके का है। थाना लोनी बॉर्डर पर शुक्रवार को स्थानीय लोगों ने शिकायत दर्ज करवाई। शिकायत में बताया गया कि इंद्रापुरी इलाके के A ब्लॉक में 'ख़ुशी जूस पार्लर' नामक एक दुकान है, जहां मुस्लिम समुदाय के बाप-बेटे जूस बेचते हैं। आरोप है कि शुक्रवार की शाम तकरीबन 4 बजे किसी ने इन दोनों को जूस में इंसान का पेशाब मिलाते हुए देखा था। जल्द ही यह खबर फैल गई तथा कई लोग ख़ुशी जूस पार्लर की ओर बढ़े। इस घटना का वीडियो भी वायरल हो रहा है, जिसमें कुछ लोग जूस की दुकान के अंदर गुस्सा दिखाते हुए देखे जा सकते हैं। मामले की खबर प्राप्त होते ही पुलिस मौके पर पहुंची और लोगों का गुस्सा शांत किया। बाद में दुकान की तलाशी के चलते एक अन्य बोतल भी बरामद की गई, जिसमें इंसानी पेशाब था।

गाजियाबाद पुलिस ने दोनों अपराधियों पर नामजद FIR दर्ज कर ली है, जो भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 272, 274 एवं 275 के तहत की गई है। दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया है तथा गाजियाबाद पुलिस मामले की जांच और अन्य आवश्यक कार्रवाई कर रही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ख़ुशी जूस पार्लर जिस इंद्रापुरी इलाके में था, वहां हिंदुओं की अच्छी तादाद है तथा कई बार लोग व्रत आदि में भी यहीं से जूस खरीदकर पीते थे।

एमपी के इंदौर में नगर निगम का हुआ कर्बला मैदान, वक्फ बोर्ड के खिलाफ कोर्ट का बड़ा फैसला

मध्य प्रदेश के इंदौर शहर के मध्य क्षेत्र में लालबाग के समीप स्थित कर्बला मैदान की ज़मीन के मालिकाना हक को लेकर इंदौर नगर निगम के पक्ष में एक महत्वपूर्ण फैसला आया है। अदालत ने कर्बला मैदान की 6.70 एकड़ ज़मीन का मालिक वक्फ बोर्ड को नहीं मानते हुए इंदौर नगर निगम को मान्यता दी है। इंदौर निगम द्वारा दायर दीवानी अपील को स्वीकार करते हुए 15वें जिला न्यायाधीश नरसिंह बघेल की अदालत ने निगम के पक्ष में डिक्री पारित कर दी है। इस अपील में पंच मुसलमान कर्बला मैदान कमेटी और वक्फ बोर्ड को पक्षकार बनाया गया था।

पूर्व में, निगम ने वाद दायर किया था जिसे व्यवहार न्यायाधीश की अदालत ने 13 मई 2019 को निरस्त कर दिया था। इस निर्णय के खिलाफ निगम ने अपील की थी। नगर निगम का तर्क था कि इस ज़मीन का मालिक वह है, जबकि ज़मीन से लगी सरस्वती नदी के पास का केवल 0.02 एकड़ क्षेत्र ताजिए ठंडा करने के उपयोग में आता है। प्रतिवादी इस ज़मीन पर अतिक्रमण करने का प्रयास कर रहे थे। प्रतिवादी का तर्क था कि 150 वर्ष पहले इंदौर के राजा ने इस ज़मीन को मुस्लिम समाज को मोहर्रम त्योहार और ताजिए ठंडा करने के लिए दिया था। 29 जनवरी 1984 को इसे वक्फ संपत्ति के रूप में रजिस्टर किया गया। इस आधार पर, नगर निगम को इस ज़मीन पर कार्रवाई का अधिकार समाप्त हो चुका है।

अदालत ने फैसले में कहा कि नगर निगम यह प्रमाणित करने में सफल रहा कि विवादित ज़मीन नगर पालिक निगम, इंदौर की है, तथा इसलिए निगम इसका मालिक और आधिपत्य धारी है। हालांकि, निगम यह साबित करने में असफल रहा कि प्रतिवादी ज़मीन पर अवैध रूप से दीवार बना रहे हैं और अतिक्रमण कर रहे हैं। इसी प्रकार, प्रतिवादी यह साबित करने में असफल रहे कि विवादित ज़मीन वक्फ संपत्ति है। प्रतिवादी ने यह साबित किया कि मोहर्रम के अवसर पर मुस्लिम समुदाय के लोग पिछले 150 वर्षों से इस ज़मीन पर ताजिए ठंडा करने का धार्मिक कार्य करते आ रहे हैं।

अदालत ने आदेश दिया कि वादी ने विवादित ज़मीन के खसरा नंबर 1041, रकबा 6.70 एकड़, जिसका म्यूनिसपल खसरा नंबर 17017 है, के स्वामित्व को प्रमाणित किया है। इस आधार पर, वादी स्वामित्व की घोषणा की डिक्री प्राप्त करने के हकदार हैं। अदालत ने माना कि वादग्रस्त भूमि वादी की है और वक्फ संपत्ति नहीं है।

अतः, 13 मई 2019 को पारित निर्णय और डिक्री को पलटते हुए वादी की अपील स्वीकार की जाती है और वादी के पक्ष में डिक्री पारित कर यह घोषित किया जाता है कि विवादित ज़मीन का स्वामी इंदौर नगर निगम है।

दुर्भाग्य से ज्ञानवापी को मस्जिद कहते हैं, वहां साक्षात विश्वनाथ, उत्तरप्रदेश के सीएम योगी ने दिया बड़ा बयान

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने कहा कि लोग आज के समय में ज्ञानवापी को दुर्भाग्य से मस्जिद के रूप में पहचानते हैं, लेकिन यह वास्तव में साक्षात भगवान विश्वनाथ की उपस्थिति है। यह बयान गुरुवार को वाराणसी कोर्ट के फैसले के बाद आया है। वाराणसी की अदालत ने हिंदू पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में स्थित व्यास जी के तहखाने की मरम्मत की अनुमति देने का अनुरोध किया गया था। अदालत ने तहखाने में चल रही पूजा गतिविधियों को बरकरार रखते हुए मुस्लिम पक्ष द्वारा उठाई गई आपत्तियों और सुप्रीम कोर्ट में लंबित चुनौती को ध्यान में रखा।

हिंदू पक्ष के वकील मदन मोहन यादव ने बताया कि अदालत का फैसला मुस्लिम पक्ष द्वारा तहखाने में मरम्मत के विरोध और सुप्रीम कोर्ट में चल रही कानूनी कार्यवाही पर आधारित था। इसके बावजूद, हिंदू पक्ष अब जिला न्यायाधीश की अदालत में अपील करने की योजना बना रहा है। यादव ने बताया कि 31 जनवरी को तहखाने में पूजा फिर से शुरू हो गई थी, जिससे भक्तों को मूर्तियों के दर्शन की अनुमति मिल गई। हालांकि, हिंदू पक्ष ने पुरानी और कमजोर छत के कारण सुरक्षा पर चिंता जताई है और मरम्मत की मांग की है, ताकि छत और खंभों की मरम्मत की जा सके और गिरने का खतरा टाला जा सके। लेकिन, मुस्लिम पक्ष ने मरम्मत का विरोध किया है और कोर्ट ने हिन्दू पक्ष की याचिका ख़ारिज कर दी है।

बता दें कि, ये पूरा मामला ज्ञानवापी के मालिकाना हक़ को लेकर है। हिन्दू पक्ष का दावा है कि ये प्राचीन काशी विश्वनाथ का मंदिर है, जिसे औरंगज़ेब ने तुड़वाकर मस्जिद बना दी थी। हालाँकि, मुस्लिम पक्ष इसके लिए पहले तो कांग्रेस सरकार द्वारा 1991 में बनाए गए पूजा स्थल कानून का हवाला देता है। इस कानून के मुताबिक, भले ही मुगल राजाओं ने मंदिरों को तोड़कर उनकी जगह मस्जिदें बना दी हों, लेकिन हिन्दू पक्ष अब उन पर दावा नहीं कर सकता। उन स्थलों का धार्मिक चरित्र वही रहेगा, जो 15 अगस्त 1947 को था। ये कानून कांग्रेस सरकार ने अयोध्या मामले के तूल पकड़ने के बाद बनाया था। ताकि काशी-मथुरा जैसे किसी अन्य विवादित ढाँचे की सच्चाई जानने की मांग ही न उठ सके। हालाँकि, जनता खुद सोच सकती है कि क्या इसे न्याय कहा जा सकता है ? एक तरफ तो मुस्लिम समुदाय कांग्रेस के ही वक्फ एक्ट के जरिए मुगलों, नवाबों के वक़्त में कथित तौर पर दान की गई, जमीनों पर कब्जा करता जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ हिन्दू पक्ष अपने प्राचीन मंदिरों के लिए भी कोर्ट नहीं जा सकता।

हालाँकि, कुछ मुस्लिम मानते हैं कि काशी-मथुरा के मंदिर औरंगज़ेब ने ही तोड़े थे, लेकिन वे भी इसे वापस लौटाने की बात नहीं करते, सिर्फ केके मुहम्मद को छोड़कर। इतिहासकार इरफान हबीब ने स्वीकार किया है कि औरंगज़ेब ने काशी और मथुरा में मंदिरों को तोड़कर मस्जिदें बनाई थीं। इसके विपरीत, मुस्लिम पक्ष का दावा है कि मस्जिदें खाली जमीन पर बनाई गईं और इस्लाम किसी भी धार्मिक स्थल को तोड़कर मस्जिद बनाने की अनुमति नहीं देता। उनका कहना है कि यदि कहीं ऐसी मस्जिद बनाई भी जाती है, तो वहां से अल्लाह की नमाज़ स्वीकार नहीं होती।

वहीं, इस पर चर्चा करते हुए पुरातत्वविद केके मोहम्मद ने भी कहा है कि मस्जिदें वास्तव में मंदिरों को तोड़कर बनाई गई थीं और इसके सबूत मौजूद हैं, जिन्हें देखने की जरूरत है। केके मोहम्मद, जिन्होंने बाबरी मस्जिद की खुदाई कर मंदिर के अवशेषों का खुलासा किया था, ने इन जगहों को हिंदुओं को सौंपने की वकालत की है। हालांकि, जब वे ये बात कहते हैं तो उन्हें RSS का आदमी कहकर नकार दिया जाता है।

आर्थिक संकट में फंसे मालदीव की तरफ भारत ने बढ़ाया मदद का हाथ, इस द्वीपीय देश को अपने सुकुक बांड पर चूक का खतरा

भारत ने एक बार फिर मालदीव की तरफ मदद का हाथ बढ़ाया है। सूत्रों का कहना है कि, भारत मालदीव को आपातकालीन वित्तीय सहायता देने के लिए तैयार है, क्योंकि इस द्वीपीय देश को अपने सुकुक बांड पर चूक का खतरा है। मालदीव को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के मुद्रा विनिमय कार्यक्रम के माध्यम से 400 मिलियन अमेरिकी डॉलर की तत्काल पहुँच प्राप्त है, जो क्षेत्रीय देशों के लिए उपलब्ध है। भारतीय अधिकारियों ने उल्लेख किया कि मालदीव 2019 में भारत द्वारा विस्तारित 800 मिलियन डॉलर की ऋण रेखा से दीर्घकालिक ऋण भी प्राप्त कर सकता है। ये विकल्प मालदीव के वित्तीय बोझ को कम करने में मदद कर सकते हैं।

यद्यपि यह स्पष्ट नहीं है कि मालदीव ने आधिकारिक तौर पर भारत से सहायता का अनुरोध किया है या नहीं, लेकिन राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की आगामी भारत यात्रा के दौरान इस मुद्दे पर चर्चा होने की उम्मीद है। आपातकालीन निधि मालदीव को अपने बाहरी ऋण दायित्वों को पूरा करने में सहायता कर सकती है, खासकर तब जब दुनिया के पहले इस्लामिक बॉन्ड डिफॉल्ट की संभावना के बारे में चिंताएँ बढ़ रही हैं। मालदीव सरकार ने हाल ही में निवेशकों को ऋण भुगतान पूरा करने की अपनी प्रतिबद्धता के बारे में आश्वस्त किया, जिससे उसके डॉलर-मूल्यवान सुकुक के मूल्य को बढ़ाने में मदद मिली।

भारत के विदेश मंत्रालय और आरबीआई ने स्थिति पर कोई टिप्पणी नहीं की है, तथा मालदीव सरकार या मालदीव मौद्रिक प्राधिकरण की ओर से भी तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। मालदीव को अक्टूबर में अपने लगभग 500 मिलियन डॉलर के सुकुक ऋण पर 25 मिलियन डॉलर का भुगतान करना है। पिछले महीने, मालदीव मौद्रिक प्राधिकरण ने घोषणा की कि वह भारत के साथ 400 मिलियन डॉलर के मुद्रा विनिमय समझौते को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है।

भारत की ओर से समर्थन की पेशकश इस तथ्य के बावजूद आई है कि मुइज़ू भारतीय प्रभाव को कम करने और मालदीव के सबसे बड़े ऋणदाता चीन के साथ संबंधों को मजबूत करने के वादे के साथ सत्ता में आए थे। भारत और चीन दोनों ही इस क्षेत्र में अधिक प्रभाव के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। मालदीव की पर्यटन पर निर्भरता ने पिछले कुछ वर्षों में महत्वपूर्ण ऋण संचय को जन्म दिया है। मार्च 2024 तक, इसका ऋण इसके सकल घरेलू उत्पाद का 110% तक पहुँच गया था।

देश का विदेशी मुद्रा भंडार, जो अगस्त में 437 मिलियन डॉलर था, केवल डेढ़ महीने के आयात को कवर करने के लिए पर्याप्त है। यह मालदीव की बाहरी ऋण सेवा आवश्यकताओं से काफी कम है, जो 2025 में लगभग 600-700 मिलियन डॉलर और 2026 में 1 बिलियन डॉलर से अधिक होने की उम्मीद है। मूडीज ने हाल ही में मालदीव की क्रेडिट रेटिंग को और कम कर दिया, जिसमें डिफ़ॉल्ट के जोखिमों को उजागर किया गया। पिछले वर्ष भारत के साथ राजनयिक विवाद के कारण मालदीव की आर्थिक स्थिति खराब हो गई, जिसके कारण भारतीय पर्यटकों की संख्या में गिरावट आई, जो देश के प्रमुख राजस्व स्रोतों में से एक है।

आरबीआई की मुद्रा विनिमय सुविधा के तहत, दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) के देश भुगतान संतुलन के मुद्दों को हल करने के लिए 2 बिलियन डॉलर तक की राशि प्राप्त कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, आरबीआई ने इस वर्ष 250 बिलियन रुपये (3 बिलियन डॉलर) की रुपया सुविधा शुरू की है, जो तीन वर्षों तक के लिए वित्तपोषण प्रदान करेगी।

कर्नाटक के यादगीर में सवर्णों ने कर दिया दलितों का बायकॉट, मंदिर और दुकानों में एंट्री पर रोक, मचा घमासान

कर्नाटक के यादगीर में सवर्णों ने दलितों का बहिष्कार कर दिया है। ऐसे में दलितों को मंदिरों और दुकानों में भी एंट्री नहीं मिल रही है। नाई उनके बाल काटने को तैयार नहीं हैं। किराना स्टोर पर वे राशन लेने को भी तरस रहे हैं। मामला यह है कि एक दलित परिवार ने 23 साल के सवर्ण जाति से ताल्लुक रखने वाले युवक पर पॉक्सो ऐक्ट के तहत मुकदमा दर्ज करवाया था। जब सवर्णों ने मुकदमा वापस लेने का दबाव बनाया तो वे तैयार नहीं हुए। इसपर इलाके के सभी दलितों के बहिष्कार का ऐलान कर दिया गया।

पुलिस के मुताबिक 15 साल की दलित लड़की एक युवक के साथ रिलेशनशिप में थी। परिवार का आरोप है कि युवक ने शादी का झांसा देकर लड़की के साथ रेप किया। वहीं जब बात शादी की आई तो वह मुकर गया। अगस्त की शुरुआत में लड़की के परिवार को पता चला कि वह 5 महीने की प्रेग्नेंट है। इसपर लड़की के परिवारवाले युवकर पर शादी का दबाव बनाने लगे। हालांकि कथित तौर पर लड़के के परिवार ने शादी करने से इनकार कर दिया।

इसेक बाद लड़की के परिवारवालों ने पॉक्सो ऐक्ट के तहत केस दर्ज करवा दिया। बता दें कि यादगीर बेंगलुरु से लगभग 500 किलोमीटर की दूरी पर है। शिकायत दर्ज होने के बाद सवर्ण परिवार ने लड़की के परिवार को बातचीत के लिए बुलाया और समझौता करने की कोशिश की। हालांकि दलित परिवार जब केस वापस लेने को तैयार नहीं हुआ तो सवर्णों ने बहिष्कार का ऐलान कर दिया। इससे पहले ही आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया था।

गांव में रहने वाले करीब 250 दलितों पर प्रतिबंध लगा दिए गए। किराना, स्टेशनर की दुकानों, मंदिरों और सार्वजनिक स्थान पर जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया। यादगीर की एसपी संगीता का कहना है कि पुलिस यहां शांति बनाए रखने के लिए डेरा डाले है। वहीं उन्होंने कहा कि स्थिति सामान्य है। उन्होंने गांव के बुजुर्गों से अमानवीय व्यवहार ना करने का आग्रह किया है। उनका कहना है कि गांव वालों ने भी पुलिस की बात मान ली है।

बंगाल को मोदी के शासन से मुक्त करो': बांग्लादेशी समर्थक अलकायदा इस्लामिस्ट ने सीएम ममता बनर्जी से की मांग

मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली बांग्लादेश की अंतरिम सरकार द्वारा रिहा किए जाने के कुछ दिनों बाद, इस्लामी संगठन अंसारुल्लाह बांग्ला टीम के प्रमुख जशीमुद्दीन रहमानी ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से "बंगाल को मोदी के शासन से मुक्त करने और इसकी स्वतंत्रता की घोषणा करने" के लिए कहा है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, रहमानी ने 'जम्मू और कश्मीर में स्वतंत्रता' के लिए पाकिस्तान और अफगानिस्तान से भी मदद मांगी है। अंसारुल्लाह बांग्ला टीम भारतीय उपमहाद्वीप में अलकायदा (AQIS) की एक शाखा है - जो भारत में प्रतिबंधित संगठन है। अहमनी ने एक वीडियो में यह टिप्पणी की, जो वायरल हो गया है और संभवतः एक अस्पताल में शूट किया गया था। इंडिया टुडे के अनुसार, ढाका स्थित एक तथ्य-जांचकर्ता ने वीडियो की प्रामाणिकता की पुष्टि की है।

रहमानी को 2013 में अहमद राजीब हैदर की हत्या के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था - जो कट्टरपंथी इस्लाम की आलोचना करने वाला एक नास्तिक ब्लॉगर था। उन पर इस्लाम की रक्षा के लिए हैदर की हत्या करने के लिए छात्रों को उकसाने का आरोप था।

"मैं भारत को चेतावनी दे रहा हूँ... बांग्लादेश, सिक्किम या भूटान जैसा नहीं है। यह 18 करोड़ मुसलमानों का देश है। अगर आप बांग्लादेश की तरफ़ कदम बढ़ाते हैं, तो हम चीन से कहेंगे कि चिकन नेक [सिलीगुड़ी कॉरिडोर] बंद कर दो। हम सेवन सिस्टर्स [पूर्वोत्तर राज्यों] से कहेंगे कि वे स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हों," वायरल वीडियो में रहमानी के हवाले से द प्रिंट ने कहा।

"कश्मीर से कहो कि आज़ादी के लिए तैयार हो जाओ। पाकिस्तान और अफ़गानिस्तान मिलकर कश्मीर को आज़ादी दिलाने में मदद करेंगे। हम कश्मीर की आज़ादी के लिए काम करेंगे। हम पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी से कहेंगे कि बंगाल को मोदी के शासन से आज़ाद करो और आज़ादी की घोषणा करो। मैं सिखों से कहूँगा कि तुम्हारा समय आ गया है, अब आज़ादी की पुकार लगाओ; भारत के हर प्रांत में जो सिख खालिस्तानी हैं, उनका समय आ गया है," उन्होंने कहा।

‘दिल्ली के ऊपर तौहीद के झंडे लहराएंगे’

इस्लामिक कट्टरपंथी ने यह भी कहा कि बांग्लादेश भारत, चीन, यूरोप और अमेरिका सहित दुनिया के किसी भी देश के साथ संघर्ष नहीं करना चाहता है, लेकिन अगर उन्हें चुनौती दी जाती है या उनकी उपेक्षा की जाती है तो वे जवाबी कार्रवाई करेंगे।

प्रिंट के अनुसार, उन्होंने कहा, “अगर हमें चुनौती दी जाती है, अगर हमारी उपेक्षा की जाती है, अगर हमारे देश में अराजकता पैदा की जाती है, तो बांग्लादेश की तौहीद आबादी, बांग्लादेश की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए, बांग्लादेश में इस्लाम की रक्षा के लिए, जिस तरह से शेख हसीना के खिलाफ उठी है, तौहीद एकजुट होकर मैदान में आपका सामना करेंगे।” उन्होंने कहा: “वह दिन दूर नहीं जब आपका देश भी टूट जाएगा और तौहीद के झंडे दिल्ली के ऊपर लहराएंगे।”

पूर्व बांग्लादेशी प्रधानमंत्री शेख हसीना को सरकारी नौकरी कोटा को लेकर छात्रों द्वारा भड़काए गए बड़े पैमाने पर विद्रोह में हटा दिया गया था। वह 5 अगस्त को भारत भाग गईं।