उत्तर कोरिया का तानाशाह किम जोंग की क्रूरता, सिर्फ इस बात पर अपने 30 अफसरों को दी फांसी

#kim_jong_un_hanged_thirty_officers_of_north_korea

उत्तर कोरिया का तानाशाह किम जोंग उन अपनी क्रूरता के लिए जाना जाता है। किम जोंग उन एक बार फिर अपने हैरान कर देने वाली हरकत के कारण दुनिया में दहशत का पर्याय बन गया है। किम ने अपने देश के 30 वरिष्ठ अधिकारियों को फांसी दे दी है। किम जोंग ने उत्तर कोरिया में हाल में आई घातक बाढ़ में मौतों को बर्दाश्त से बाहर बताते हुए अपने 30 अधिकारियों को फांसी पर लटका दिया है।

नॉर्थ कोरिया में हाल ही में भयानक बाढ़ आई थी, जिसमें मची तबाही में 4 हजार लोगों की जान चली गई , लोगों के घर तबाह हो गए और जान-माल का भारी नुकसान हुआ, जिसके बाद अब देश के शासक किंग किम जोंग-उन ने बाढ़ न रोक पाने के अपराध में 30 अधिकारियों को जेल की सजा नहीं सुनाई, उन पर जुर्माना नहीं लगाया बल्कि सीधे उन्हें फांसी पर लटका दिया।

चोसुन टीवी ने उत्तर कोरिया के एक अधिकारी के हवाले उसका बिना नाम न छापने की शर्त पर यह सनसनीखेज रिपोर्ट दी है। दक्षिण कोरियाई मीडिया के अनुसार, उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन ने कथित तौर पर इस गर्मी में भीषण बाढ़ और भूस्खलन को रोकने में कथित विफलता के लिए करीब 30 अधिकारियों को फांसी देने का आदेश दिया। बताया जा रहा है कि उत्तर कोरिया में इन्हीं अधिकारियों की विफलता से लगभग 4,000 लोगों की मौत हो गई। दक्षिण कोरिया के चोसुन टीवी ने एक अनाम उत्तर कोरियाई अधिकारी का हवाला देते हुए खुलासा किया कि किम जोंग उन ने हालिया बाढ़ के कारण हुई जानमाल की "अस्वीकार्य क्षति" के लिए जिम्मेदार लोगों के लिए "कड़ी सजा" की मांग की थी। अधिकारियों को भ्रष्टाचार और लापरवाही के आरोपों का सामना करना पड़ा, कथित तौर पर पिछले महीने के अंत में उन सभी को फांसी दे दी गई।

बता दें कि इस बार नॉर्थ कोरिया में बाढ़ विनाशकारी साबित हुई। भारी बारिश और भूस्खलन के कारण 4000 से ज्यादा लोग मारे गए। इतनी बड़ी त्रासदी के बाद किम जोंग ने खुद बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण किया था। इसके कुछ वीडियो भी वायरल हुए थे। हालांकि, मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया था कि बाढ़ से बचाकर बच्चों, बुजुर्ग और विकलांग सैनिकों समेत 15,400 से ज्यादा लोगों को सुरक्षति जगह पर रखा गया।

*उत्तर कोरिया का तानाशाह किम जोंग की क्रूरता, सिर्फ इस बात पर अपने 30 अफसरों को दी फांसी

#kim_jong_un_hanged_thirty_officers_of_north_korea 

उत्तर कोरिया का तानाशाह किम जोंग उन अपनी क्रूरता के लिए जाना जाता है। किम जोंग उन एक बार फिर अपने हैरान कर देने वाली हरकत के कारण दुनिया में दहशत का पर्याय बन गया है। किम ने अपने देश के 30 वरिष्ठ अधिकारियों को फांसी दे दी है। किम जोंग ने उत्तर कोरिया में हाल में आई घातक बाढ़ में मौतों को बर्दाश्त से बाहर बताते हुए अपने 30 अधिकारियों को फांसी पर लटका दिया है। 

नॉर्थ कोरिया में हाल ही में भयानक बाढ़ आई थी, जिसमें मची तबाही में 4 हजार लोगों की जान चली गई , लोगों के घर तबाह हो गए और जान-माल का भारी नुकसान हुआ, जिसके बाद अब देश के शासक किंग किम जोंग-उन ने बाढ़ न रोक पाने के अपराध में 30 अधिकारियों को जेल की सजा नहीं सुनाई, उन पर जुर्माना नहीं लगाया बल्कि सीधे उन्हें फांसी पर लटका दिया।

चोसुन टीवी ने उत्तर कोरिया के एक अधिकारी के हवाले उसका बिना नाम न छापने की शर्त पर यह सनसनीखेज रिपोर्ट दी है। दक्षिण कोरियाई मीडिया के अनुसार, उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन ने कथित तौर पर इस गर्मी में भीषण बाढ़ और भूस्खलन को रोकने में कथित विफलता के लिए करीब 30 अधिकारियों को फांसी देने का आदेश दिया। बताया जा रहा है कि उत्तर कोरिया में इन्हीं अधिकारियों की विफलता से लगभग 4,000 लोगों की मौत हो गई। दक्षिण कोरिया के चोसुन टीवी ने एक अनाम उत्तर कोरियाई अधिकारी का हवाला देते हुए खुलासा किया कि किम जोंग उन ने हालिया बाढ़ के कारण हुई जानमाल की "अस्वीकार्य क्षति" के लिए जिम्मेदार लोगों के लिए "कड़ी सजा" की मांग की थी। अधिकारियों को भ्रष्टाचार और लापरवाही के आरोपों का सामना करना पड़ा, कथित तौर पर पिछले महीने के अंत में उन सभी को फांसी दे दी गई।

बता दें कि इस बार नॉर्थ कोरिया में बाढ़ विनाशकारी साबित हुई। भारी बारिश और भूस्खलन के कारण 4000 से ज्यादा लोग मारे गए। इतनी बड़ी त्रासदी के बाद किम जोंग ने खुद बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण किया था। इसके कुछ वीडियो भी वायरल हुए थे। हालांकि, मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया था कि बाढ़ से बचाकर बच्चों, बुजुर्ग और विकलांग सैनिकों समेत 15,400 से ज्यादा लोगों को सुरक्षति जगह पर रखा गया।

कोलकाता की रेप पीड़िता के पिता का पुलिस पर गंभीर आरोप, बोले-हमें पैसे का ऑफर किया गया

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कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में महिला डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के मामले विरोध प्रदर्शन लगातार जारी है।ट्रेनी डॉक्टर की रेप के बाद हत्या से घिरी ममता सरकार मंगलवार को विधानसभा में एंटी रेप बिल लेकर आई है। इस बिल में पॉक्सो, आईपीसी और भारतीय न्याय संहिता में रेप और सेक्सुअल क्राइम से संबंधित प्रावधानों में संशोधन करने का प्रावधान है। इस बीच मामले में एक सनसनीखेज खुलासा हुआ है। बुधवार को धरने पर बैठे जूनियर डॉक्टरों के साथ मीडिया से बात करते हुए पीड़िता के पिता ने कहा कि इस केस को खत्म करने के लिए पुलिस ने जल्दबाजी में शव का अंतिम संस्कार कर दिया था और उन्हें शांत रहने के लिए पुलिस ने रिश्वत की पेशकश की थी।

ट्रेनी डॉक्टर के मामला-पिता ने कहा कि वह आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में हो रहे विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए थे। उसी दौरान पुलिस ने कथित तौर पर जांच पूरी किए बगैर ही पैसे देकर मामले को बंद करने की कोशिश की। पीड़िता के पिता ने प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए कहा, "पुलिस ने शुरू से ही मामले को दबाने की कोशिश की, हमें शव देखने की परमिशन नहीं दी गई और शव को पोस्टमार्टम के लिए ले जाने के दौरान पुलिस स्टेशन में हमें इंतजार करना पड़ा। बाद में जब शव हमें सौंपा गया, तो एक सीनियर पुलिस अधिकारी ने हमें पैसे देने की पेशकश की, जिसे हमने तुरंत अस्वीकार कर दिया।"

पीड़िता के माता-पिता ने बुधवार की रात जूनियर डॉक्टरों के साथ आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में विरोध प्रदर्शन में भाग लिया और अपनी बेटी के लिए न्याय की मांग की। वहीं, कोलकाता में बुधवार शाम को नागरिकों ने एकजुटता दिखाते हुए शक्तिशाली प्रदर्शन किया। आरजी कर अस्पताल में महिला चिकित्सक से रेप और हत्या के विरोध में यहां के निवासियों ने रात 9 बजे से 10 बजे तक एक घंटे के लिए अपने घरों की लाइट बंद कर दीं और सड़कों पर कैंडल मार्च निकाला। रात ठीक 9 बजे विक्टोरिया मेमोरियल और राजभवन जैसे प्रमुख स्थल, शहर, उपनगर और जिलों के घर विरोध प्रदर्शन के हिस्से के रूप में अंधेरे में डूब गए।

हरियाणा विस चुनावःभाजपा के 67 उम्मीदवार घोषित, लिस्ट आते ही बगावत शुरू, विधायक से लेकर पूर्व मंत्री तक का इस्तीफा

#haryanabjpmlasformerministersresignationsafterthe1st_list

हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 की वोटिंग के लिए अब एक महीने से भी कम समय बचा रह गया है। ऐसे में सभी दल अपनी-अपनी तैयारियों में लगे हुए हैं। भारतीय जनता पार्टी ने बुधवार को हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए अपने 67 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी है। हालांकि, लिस्ट जारी होते ही पार्टी में विरोध शुरू हो गया है।67 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी होने के बाद से अब तक कई बड़े इस्तीफे हो चुके हैं।

रतिया विधानसभा से भाजपा ने मौजूदा विधायक लक्ष्मण नापा का टिकट काट दिया और इसके बाद विधायक ने पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया। रतिया सीट से भाजपा ने पूर्व सांसद सुनीता दुग्गल को चुनावी मैदान में उतारा है। विधायक लक्ष्मण नापा ने टिकट कटने के ठीक बाद प्रदेशाध्यक्ष मोहन लाल बड़ोली को पत्र लिखा और पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। अपने इस्तीफे में नापा ने लिखा, वह भाजपा कि वह भाजपा के सभी पदों और प्राथमिक सदस्यता से त्याग पत्र दे रहे हैं। गौरतलब है कि फतेहाबाद के रतिया विधानसभा क्षेत्र में लक्ष्मण नापा ने पहली बार कमल खिलाया था। यहां से वह 2019 में 1216 वोटों से जीते थे। इससे पहले भाजपा इस सीट पर कभी नहीं जीती थी। 2009 में यह विधानसभा क्षेत्र अस्तित्व में आया था।

इसी तरह, अब पूर्व मंत्री कर्ण देव कंबोज ने भी भाजपा से इस्तीपा दे दिया है। वह हरियाणा भाजपा ओबीसी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष थे। पूर्व मंत्री कर्णदेव कंबोज करनाल की इंद्री विधानसभा से टिकट चाह रहे थे। लेकिन उन्हें टिकट नहीं दिया गया। कर्णदेव कंबोज ने पार्टी पर अनदेखी का आरोप लगाकर सभी पदों से इस्तीफा दिया है और कहा कि समर्थकों के अनुसार वह आगामी फैसला लेंगे।

हरियाणा बीजेपी में अब तक के बड़े इस्तीफे

• दादरी किसान मोर्चा के जिला अध्यक्ष विकास उर्फ भल्ले ने बीजेपी से इस्तीफा दिया।

• सोनीपत से बीजेपी युवा प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य एवं विधानसभा चुनाव प्रभारी अमित जैन ने इस्तीफा दे दिया।

• जेजेपी से बीजेपी में शामिल हुए पूर्व मंत्री अनूप धानक को उकलाना से बीजेपी द्वारा उम्मीदवार बनाए जाने के विरोध में वहां से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे बीजेपी नेता शमशेर गिल ने अपना इस्तीफा पार्टी अध्यक्ष को भेजा।

• हरियाणा बीजेपी किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष सुखविंदर मांडी ने बीजेपी से दिया इस्तीफा।

• हिसार से बीजेपी नेता दर्शन गिरी महाराज ने बीजेपी से इस्तीफा दिया।

• बीजेपी की वरिष्ठ नेत्री सीमा गैबीपुर ने पार्टी के सभी पदों से तुरंत प्रभाव से दिया इस्तीफा।

आठ विधायकों का टिकट काटा

भाजपा ने बुधवार रात 67 विधानसभा सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा कर दी। सत्ता विरोधी लहर रोकने के लिए पार्टी ने 40 सीटों से उम्मीदवार बदल दिए हैं। पार्टी ने दो पूर्व सांसदों, एक राज्यसभा सांसद और 27 नए चेहरों को मैदान में उतारा है। पार्टी ने तीन मंत्रियों समेत आठ विधायकों का टिकट काटा है। नौ मौजूदा मंत्रियों व चार पूर्व मंत्रियों को भी मौका दिया गया है। जजपा से भाजपा में आए तीन विधायक व दो नेताओं को भी उम्मीदवार बनाया गया है। राज्यसभा सदस्य कृष्ण लाल पंवार को पार्टी ने एक बार फिर इसराना उम्मीदवार बनाया है। केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत की बेटी और हाल में कांग्रेस छोड़ भाजपा से राज्यसभा सांसद चुनी गईं किरण चौधरी की बेटी व पूर्व सांसद श्रुति चौधरी को भी टिकट दिया गया है। पार्टी ने दो बार से हारे उम्मीदवारों को भी टिकट नहीं दिया है।

पेरिस पैरालंपिक में भारत का जलवा, क्लब थ्रो में डबल धमाका, धरमबीर ने स्वर्ण और प्रणव ने जीता रजत*
#paris_paralympics_men_club_throw_dharambir_win_gold_and_pranav_soorma_silver
पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारतीय एथलीट बहुत ही शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं। क्लब थ्रो के एफ51 वर्ग में भारत के धर्मबीर ने गोल्ड मेडल जीता है। वहीं इसी इवेंट में प्रणव सूरमा ने सिल्वर मेडल जीता है। ब्रॉन्ज मेडल सर्बिया के जेल्को दिमित्रीजेविक ने जीता है। सर्बिया का खिलाड़ी वर्ल्ड चैपियन भी रह चुका है। लेकिन पेरिस पैरालंपिक 2024 में प्लेयर्स के सामने उनकी एक ना चली और उन्हें ब्रॉन्ज मेडल से संतोष करना पड़ा। भारत के लिए धरमबीर ने 34.92 मीटर के थ्रो के साथ स्वर्ण पदक जीता तो प्रणव सूरमा ने 34.59 के सर्वश्रेष्ठ थ्रो करके सिल्वर मेडल को अपने नाम किया। भारत ने पेरिस पैरालंपिक में अपने प्रदर्शन को बेहतर करते हुए 24वां मेडल हासिल किया। भारत अब 5 गोल्ड, 9 सिल्वर और 10 ब्रॉन्ज के साथ मेडल टैली में 13वें स्थान पर पहुंच गया है। फाइनल में धरमबीर की शुरुआत अच्छी नहीं हुई। उनके शुरुआती चार थ्रो फाउल रहे थे। लेकिन 5वें थ्रो में उन्होंने अपनी पूरी ताकत झोंक दी, जिसके कारण इस थ्रो ने 34.92 मीटर की दूरी तय की। अंत में धर्मबीर के इस थ्रो ने भारत की झोली में गोल्ड दे दिया। इसके साथ ही दूसरी तरफ प्रणव सूरमा ने अपना पहला थ्रो 34.59 मीटर का किया। उनका यही सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था। इसी थ्रो ने इन्हें सिल्वर मेडल जितवाया. वहीं इसी खेल में भारत के एक और खिलाड़ी अमित कुमार को निराशा हाथ लगी. फाइनल में 10 एथलीट चुने गए थें और वो 10वें नंबर पर रहे थे। पेरिस पैरालंपिक में अब भारत के 24 पदक हो गए हैं। इनमें पांच स्वर्ण, नौ रजत और 10 कांस्य शामिल हैं। इसी के साथ भारत पैरालंपिक की पदक तालिका में 13वें स्थान पर पहुंच गया है। पदकों की यह संख्या अब तक की सर्वश्रेष्ठ है। टोक्यो 2020 पैरालंपिक में भारत ने 19 पदक जीते थे। भारत इस साल 25 पार के लक्ष्य के साथ उतरा है। वहीं, भारत ने एक पैरालंपिक खेलों में सबसे ज्यादा मेडल जीतने का नया रिकॉर्ड कायम किया है।
हरविंदर सिंह ने रचा इतिहास, भारत को आर्चरी में दिलाया पहला गोल्ड*
#paralympics_2024_harvinder_singh_won_gold_medal_in_archery
पेरिस पैरालंपिक में 7वें दिन नया इतिहास बना। हरविंदर सिंह ने पैरालंपिक में गोल्ड मेडल जीता और इस तरह वह पैरालंपिक के इतिहास में तीरंदाजी में सोना जीतने वाले पहले भारतीय एथलीट बने। हरविंदर ने पुरुषों के व्यक्ति गत रिकर्व स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीतकर बड़ी उपलब्धि दर्ज की है। ओलंपिक या पैरालंपिक में यह किसी भी भारतीय तीरंदाज का आर्चरी में पहला गोल्ड मेडल है। भारत ने इस तरह पेरिस में अपने गोल्ड की संख्या चार पर पहुंचा दिया है जबकि उसके कुल पदकों की संख्या 22 हो गई है। टोक्यो पैरालंपिक के कांस्य पदक विजेता नौवें वरीय हरविंदर ने दुनिया के 35वें नंबर के खिलाड़ी और छठे वरीय पोलैंड के लुकास सिजेक को एकतरफा खिताबी मुकाबले में 6-0 (28-24, 28-27, 29-25) से शिकस्त दी। इससे पहले फाइनल में पहुंचने के लिए हरविंदर सिंह ने सेमीफाइनल में ईरान के मोहम्मदरेजा अरब अमेरी को 6-4 के अंतर से हरा दिया था। वहीं, राउंड ऑफ 8 में हरविंदर सिंह ने इंडोनेशिया के सेतियावान को 6-2 से धूल चटाई थी।इस तरह उन्होंने पैरालंपिक में अपना लगातार दूसरा तीरंदाजी पदक सुनिश्चित किया था। हरविंदर ने 2018 एशियाई पैरा खेलों में व्यक्तिगत कैटेगरी में गोल्ड जीता था, तब वह सुर्खियों में आए थे। 2022 एशियाई पैरा खेलों में वह एक ब्रॉन्ज भी जीतने में कामयाब रहे थे। वहीं, पिछली बार उन्होंने टोक्यो पैरालंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर भी इतिहास रचा था। यह भारत के लिए तीरंदाजी में पहला पैरालंपिक मेडल था। इसके बाद 2021 में उन्हें भारत सरकार से अर्जुन पुरस्कार मिला था। यह पुरस्कार भारत सरकार की ओर से दिया जाने वाला दूसरा सबसे बड़ा खेल सम्मान है। वहीं, 2022 में वह भीम पुरस्कार से सम्मानित किए गए थे, जो हरियाणा राज्य की सरकार की ओर से दिया जाने वाला सर्वोच्च खेल सम्मान है।
बांग्लादेश बन सकता है आतंकियों का नया ठिकाना, कट्टरपंथ बढ़ने की भी आशंका*
#bangladesh_raises_concerns_of_rising_extremism
बांग्लादेश में फैली हिंसा के बाद शेख हसीना के देश से भागने और फिर वहां बनी अंतरिम सरकार के हाल ही में उठाए गए कुछ कदमों से लगता है कि ढाका पाकिस्तान के बाद आतंकियों का नया ठिकाना बनने वाला है। एक के बाद एक कट्टरपंथी संगठनों पर लगे बैन हट रहे हैं और सजायाफ्ता आतंकी जेल से रिहा हो रहे हैं। पहले बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने देश की सबसे बड़ी इस्लामिक पार्टी जमात-ए-इस्लामी से भी लगा बैन हटा दिया है। उसके बाद अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (एबीटी) के प्रमुख जशीमुद्दीन रहमानी को रिहा किया। पूर्व प्रधान मंत्री शेख हसीना की सरकार ने आतंकवाद विरोधी कानून के तहत जमात-ए-इस्लामी पार्टी पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिसमें छात्रों के नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शनों के दौरान घातक हिंसा भड़काने का आरोप लगाया गया था, जो हसीना के खिलाफ विद्रोह में बदल गया, जिससे उन्हें इस्तीफा देने और भारत भागने के लिए मजबूर होना पड़ा। हालांकि, बांग्लादेश की कार्यवाहक सरकार ने देश की मुख्य इस्लामिक पार्टी और उसके समूहों पर से प्रतिबंध हटा दिया और कहा कि उसे 'आतंकवादी गतिविधियों' में उनकी संलिप्तता का कोई सबूत नहीं मिला है। अंतरिम सरकार ने जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध हटा दिया है, इसकी छात्र शाखा पर प्रतिबंध भी हटा लिया गया है। जमात कुछ समय से राजनीतिक दल के रूप में उभरने की कोशिश कर रही है। पिछले चुनाव में उन्होंने कुछ सीटें भी जीती थीं। शेख हसीना ने आतंकवादी संगठन बताकर उन पर प्रतिबंध लगाया था। जमात पर प्रतिबंध हटाने से कट्ट्रपंथ विचारधारा को एक बार फिर खुली छूट मिल गई है। यूनुस द्वारा जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध हटाने के फैसले ने अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदुओं को दोहरे जोखिम में डाल दिया है। बीएनपी (जिसके नेताओं को भी रिहा कर दिया गया है) की राजनीति भारत विरोधी, हिंदू विरोधी एजेंडे के इर्द-गिर्द घूमती है। जब भी बीएनपी सत्ता में आई है, अल्पसंख्यकों विशेषकर हिंदुओं को अत्याचार का सामना करना पड़ा है। पार्टी ने धार्मिक बांग्लादेशी राष्ट्रवाद का समर्थन किया है। बीएनपी जमात-ए-इस्लामी को भी संरक्षण देती है। जमात का लक्ष्य बांग्लादेश को सख्त शरीयत कानून के साथ एक इस्लामिक राज्य के रूप में स्थापित करना है।यदि इस पर अंकुश नहीं लगाया गया तो बीएनपी जमात को पुनर्जीवित करने में मदद करेगी, जो धर्मनिरपेक्ष बांग्लादेश के लिए एक बड़ा खतरा है। वहीं, अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (एबीटी) जिसे अब अंसार अल इस्लाम कहा जाता है, जो अल-कायदा से प्रेरित आतंकी संगठन है। ने भारत में अपने नेटवर्क को फैलाने की कोशिश की थी, जिसके कारण दो साल पहले भारतीय एजेंसियों द्वारा महीनों तक आतंकवाद विरोधी अभियान चलाया गया था।बांग्लादेश ने मई 2015 में तीन धर्मनिरपेक्ष ब्लॉगर्स की हत्या में शामिल होने के लिए कट्टरपंथी इस्लामी संगठन एबीटी पर प्रतिबंध लगा दिया था। एबीटी चरमपंथी विचारधाराओं से काफी प्रभावित है, जैसे कि अनवर अल-अवलाकी से, जो 2011 में अमेरिकी ड्रोन हमले में मारा गया था. इसके बाद, यह समूह बांग्लादेश और विदेशों में ‘पवित्र युद्ध’ छेड़ने के लिए अल-कायदा और इस्लामिक स्टेट (आईएस) की सशस्त्र जिहादी विचारधारा के करीब आ गया। जाहिर है कि अब उसका समूह भारत में और तेजी से अपना जाल फैलाने की कोशिश करेगा।
ब्रुनेई की राजधानी से चेन्नई के लिए सीधी विमान सेवा, पीएम मोदी और सुल्तान हसनल बोलकिया के बीच हुए ये समझौते*
#pm_modi_brunei_visit_king_hassanal_bolkiah_bilateral_ties

ब्रुनेई की द्विपक्षीय यात्रा के दूसरे दिन आज पीएम मोदी ने सुल्तान हसनल बोल्किया से लग्जरी पैलेस में मुलाकात की। येमुलाकात इस्ताना नुरुल ईमान पैलेस में हुई। अपनी यात्रा के दौरान पीएम ने देश के सुल्तान हसनल बोल्किया से मुलाकात की और कई अहम मुद्दों पर चर्चा की। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने ब्रुनेई की राजधानी बांदर सेरी बेगावान और भारत के चेन्नई के बीच सीधी विमान सेवा शुरू का एलान किया। सीधी विमान सेवा के अलावा दोनों देशों ने रक्षा, अंतरिक्ष और लोगों के लोगों के बीच संबंध के क्षेत्र में भी अपसी सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई है। ब्रुनेई में अपनी यात्रा के बाद पीएम मोदी ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर पोस्ट कर कहा, मेरी ब्रुनेई की यात्रा काफी प्रोडक्टिव रही। साथ ही उन्होंने कहा कि उनके इस दौरे ने अब भारत और ब्रुनेई के रिश्तों को और भी मजबूत कर दिया है। पीएम मोदी ने कहा, दोनों देशों की कनेक्टिविटी को बढ़ाने के लिए जल्द ही डायरेक्ट फ्लाइट शुरू की जाएंगी। उन्होंने आगे कहा, हमने कृषि, उद्योग और स्वास्थ्य के साथ-साथ तकनीक और साइबर टेक्नोलोजी पर भी बल देने का निर्णय लिया है। साथ ही ऊर्जा के क्षेत्र में भी आगे बढ़ने के लिए चर्चा की है। डिफेंस सेक्टर में सहयोग को बढ़ाने के लिए भी विचार किया गया है। अंतरिक्ष के क्षेत्र में अपने सहयोग को मजबूत करने के लिए हम उपग्रह विकास, रिमोट सेंसिंग और ट्रेनिंग पर सहमत हुए हैं। साथ ही पीएम मोदी ने दोनों देशों के बीच के नागरिकों के रिश्तों को लेकर कहा, हमारा नागरिकों से नागरिकों का रिश्ता हमारे देश की साझेदारी की नींव है। मुझे खुशी है कि भारतीय समुदाय ब्रुनेई की अर्थव्यवस्था और समाज में सकारात्मक योगदान दे रहे हैं। विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर और ब्रुनेई के परिवहन और सूचना संचार मंत्री महामहिम पेंगिरन दातो शमहारी पेंगिरन दातो मुस्तफा ने उपग्रह और प्रक्षेपण वाहनों के लिए टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और टेलीकमांड स्टेशन के संचालन में सहयोग पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया। इस दौरान पीएम मोदी और ब्रुनेई के सुल्तान भी मौजूद रहे। वार्ता के बाद एक संयुक्त वक्तव्य जारी किया गया। विदेश मंत्रालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति में इसकी जानकारी दी। संयुक्त वक्तव्य के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के टेलीमेट्री ट्रैकिंग और टेलीकमांड (टीटीसी) स्टेशन की मेजबानी जारी रखने के लिए ब्रुनेई दारुस्सलाम की गहरी सराहना की। इस संस्थान ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत की ओर से चल रहे प्रयासों में योगदान दिया है। साझा बयान में कहा गया है कि दोनों नेताओं ने दोनों सरकारों के बीच समझौता ज्ञापन (एमओयू) के तहत लंबे समय से चली आ रही व्यवस्था और एमओयू के तहत आपसी हित के क्षेत्रों में आगे सहयोग का स्वागत करते हुए नए एमओयू की सराहना की। दोनों नेताओं ने रक्षा, व्यापार और निवेश, खाद्य सुरक्षा, शिक्षा, ऊर्जा, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य, क्षमता निर्माण और संस्कृति के साथ-साथ लोगों के बीच आदान-प्रदान सहित कई विषयों पर द्विपक्षीय वार्ता की।
चीन की ये कैसी चाल? बांधे बांग्लादेश के जमात-ए-इस्लामी के तारीफों के पुल, कहा-सुव्यवस्थित पार्टी

#chinese_envoy_calls_bangladeshs_jamaat_e_islami_well_organised 

बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद नई सरकार में भारत के खिलाफ साजिश रचने का खेल शुरू हो गया है। एक तरफ देश की अंतरिम सरकार ने जमात-ए-इस्लामी जैसे संगठनो पर बैन हटा दिया है, दूसरी ओर अल-कायदा से जुड़े आतंकवादी संगठन अंसारुल्लाह बंगला टीम (एबीटी) के प्रमुख जशीमुद्दीन रहमानी को रिहा कर दिया है। इस बीच बांग्लादेश में चीनी राजदूत याओ वेन ने जमात-ए-इस्लामी को सुव्यवस्थित राजनीतिक पार्टी बताया है।

चीनी राजदूत ने सोमवार को ढाका में पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में जमात के अमीर डॉ. शफीकुर रहमान के साथ बैठक की। जमात के अमीर से मुलाकात के बाद चीनी राजदूत ने बांग्लादेश की तारीफ करते हुए कहा कि यह एक खूबसूरत देश है और जमात-ए-इस्लामी को एक सुव्यवस्थित संगठन बताया। उन्होंने कहा कि चीन बांग्लादेश के लोगों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध चाहता है और बांग्लादेश के विकास, प्रगति और समृद्धि के लिए काम करना जारी रखेगा।

बता दें कि जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश में भारत का विरोध करती है, इस पर शेख हसीना सरकार ने बैन लगा दिया था, लेकिन मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार ने इस प्रतिबंध को हटा दिया। अब चीन बांग्लादेश की अंतरिम सरकार और जमात-ए-इस्लामी जैसे संगठनों से दोस्ती कर रहा है। यह पूरा घटनाक्रम भारत के लिए चिंता की बात है, क्योंकि जमात-ए-इस्लामी पार्टी भी बांग्लादेश में भारत के प्रभाव से चिढ़ती रही है।

चीन के समर्थन से अगर यह पार्टी सत्ता में आती है तो बांग्लादेश में एक ऐसी सरकार बनेगी, जो भारत के साथ आतंकवाद, सीमा सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता के मुद्दे के खिलाफ रहे। नई सरकार में चीन बांग्लादेश में बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव प्रॉजेक्ट को गति दे सकता है, ताकि भारत का प्रभाव कम हो सके।

जम्मू कश्मीर के रामबन से राहुल ने पीएम मोदी पर जोरदार हमला, बोले-पहले छाती चौड़ी करके आते थे, अब कंधे झुक गए*
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जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस का बुधवार से स्टार प्रचार शुरू हो गया। पार्टी ने पहले चरण में नेता प्रतिपक्ष और पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी को उतारा है।लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी आज यानी बुधवार को रामबन और अनंतनाग जिलों में दो जनसभाओं को संबोधित कर रहे हैं। राहुल गांधी बुधवार को सबसे पहले रामबन पहुंचे। यहां के गूल इलाके के संगलदान में राहुल ने एक रैली को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने नरेन्द्र मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला। राहुल गांधी ने कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी छाती चौड़ी कर के आते थे, अब उनके कंधे झुक गए हैं। नेता प्रतिपक्ष ने आगे कहा कि *जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा वापस करना होगा* राहुल गांधी ने जम्मू-कश्मीर के लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि एक राज्य को खत्म कर दिया गया और लोगों के अधिकार छीन लिए गए। सबसे पहले जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा वापस करना होगा क्योंकि सिर्फ आपका राज्य ही नहीं छीना गया है, आपके अधिकार, आपकी संपत्ति, सब कुछ आपसे छीना जा रहा है। उन्होंने आगे कहा कि 1947 में हमने राजाओं को हटाकर लोकतांत्रिक सरकार बनाई, हमने देश को संविधान दिया। आज जम्मू-कश्मीर में राजा हैं, उनका नाम एलजी है। हम राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए सरकार पर दबाव बनाएंगे। *राहुल गांधी ने जम्मू-कश्मीर की जनता से किए 5 बड़े वादे* राहुल गांधी ने जम्मू-कश्मीर के लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि एक राज्य को खत्म कर दिया गया और लोगों के अधिकार छीन लिए गए. सबसे पहले जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा वापस करना होगा क्योंकि सिर्फ आपका राज्य ही नहीं छीना गया है, आपके अधिकार, आपकी संपत्ति, सब कुछ आपसे छीना जा रहा है। 1. कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस की सरकार सत्ता में आने वाली है। हम सभी सरकारी रिक्तियों को भरेंगे, हम आयु सीमा को 40 तक बढ़ाएंगे। दिहाड़ी मजदूरों को नियमित किया जाएगा।" 2. कश्मीर में हमारी सरकार बनेगी और आपके लिए पूरे दिल से काम किया जाएगा। यह एक खूबसूरत जगह है, चुनाव के बाद मुझे फिर से यहां आना होगा। संगलदान एक बहुत अच्छी जगह है। मैं यहां कम से कम 2 से 3 दिन बिताना चाहता हूं। 3. राहुल गांधी ने बुधवार को जम्मू-कश्मीर के रामबन में चुनावी रैली में कहा- देश में भाजपा और RSS के लोग नफरत और हिंसा फैसला रहे हैं। वे देश को बांटने का काम कर रहे हैं हम इसे जोड़ेंगे। 4. राहुल ने कहा- जम्मू-कश्मीर से स्टेटहुड छीना गया, हम इसे वापस देंगे। 5. यहां राजा का शासन है। यहां के राजा उप-राज्यपाल (LG) हैं। पहले राज्य केंद्र शासित प्रदेश को राज्य बनाया जाता है। मोदी जी राज्यों को केंद्र शासित प्रदेश बना रहे हैं।