महायोगी गोरखनाथ विवि के दो आचार्यों को 21.36 लाख रुपये का शोध अनुदान
गोरखपुर, 4 सितंबर। वर्तमान अकादमिक सत्र में महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय, आरोग्यधाम को एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल हुई है। विश्वविद्यालय के दो आचार्यों डॉ. शशिकांत सिंह और डॉ. अमित दूबे को शोध और अनुसंधान कार्य के लिए उत्तर प्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (यूपीसीएसटी) की ओर से कुल 21.36 लाख रुपये का अनुदान अनुशंसित हुआ है। ग्रांट के लिए चयनित इन दोनों ही आचार्यों के रिसर्च प्रोजेक्ट किताबी न होकर, जन स्वास्थ्य से जुड़े हैं।
डॉ. शशिकांत सिंह महायोगी गोरखननाथ विश्वविद्यालय में संचालित फार्मेसी कॉलेज के प्राचार्य हैं जबकि डॉ. अमित दूबे संबद्ध स्वास्थ्य विज्ञान संकाय में जैव प्रौद्योगिकी विभाग के अध्यक्ष। यूपीसीएसटी ने डॉ. शशिकांत सिंह को 15.36 लाख रुपये और डॉ. अमित दूबे को 6 लाख रुपये का शोध-अनुसंधान अनुदान देने का ग्रांट दिया है। दोनों आचार्यों को यूपीसीएसटी की ओर से मिले ग्रांट पर बधाई देते हुए विश्विद्यालय के कुलपति मेजर जनरल (डॉ.) अतुल वाजपेयी ने कहा है कि यह असाधारण उपलब्धि है। इससे शोध परियोजनाओं को प्रोत्साहन मिलेगा और भविष्य में शोध अन्वेषण के लिए नए नवाचारों के मार्ग प्रशस्त होंगे।
कुलसचिव डॉ. प्रदीप कुमार राव ने कहा की यूपीसीएसटी के शोध अनुदान से विश्वविद्यालय की ख्याति वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठित होगी।
डॉ. शशिकांत सिंह का शोध विषय ‘संभावित एंटीएम्नेसिक एजेंट के रूप में मैंगिफेरिन के नए मैनिच एनालॉग्स के डिजाइन, संश्लेषण और एंजाइम गतिकी अध्ययन’ है। शोध विषय वस्तु की व्यावहारिक जानकारी देते हुए डॉ. शशिकांत ने बताया कि 65 वर्ष की आयु के लोगो में यादाश्त की कमजोरी आ जाती है। इसके लिए पूरे विश्व में मात्र 4 दवाएं हैं जो अभी भी शत प्रतिशत कारगर नहीं है। इसलिए अब समय आ गया है कि हम उन लोगों के लिए कुछ करें जो खुद को याद नहीं रख सकते। उनका रिसर्च प्रोजेक्ट इसी पर केंद्रित है। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डॉ. शशिकांत सिंह के 12 शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं।
डॉ. अमित कुमार दूबे को सितोपलादि चूर्ण में उपयोग किये जाने वाले पौधों में पाए जाने वाले पदार्थों की कंप्यूटर जनित प्रोफाइलिंग विषय पर शोध अनुदान अनुशंसित हुआ है। डॉ. अमित ने बताया कि जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में औषधीय पौधों पर अन्वेषकीय कार्य से जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में शोध से नवाचार होगा। डॉ.अमित के दो दर्जन से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं। उन्होंने जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में इजराइल के एग्रीकल्चर रिसर्च ऑर्गनाइजेशन से तीन वर्ष का शोध कार्य किया है।
Sep 04 2024, 16:09