Veer Gupta

Sep 03 2024, 20:39

हिमाचल की आर्थिक स्थिति चिंताजनक, सरकारी कर्मचारियों की सैलरी और पेंशन पर खतरा

हिमाचल सरकार आर्थिक संकट के दौर से गुजर रही है. न संसाधन हैं और न सहूलियत यही वजह है किआय, कर्ज और खर्च के असंतुलन ने सरकार को इतना लाचार कर दिया है कि नौबत सरकारी कर्मचारियों की सैलरी और पेंशन पर आ गई है. हर महीने की एक तारीख को खाते में आने वाली राशि इस बार क्रेडिट ही नहीं हुई. सरकार हिसाब-किताब लगाने में जुटी है और विपक्ष लगातार हमले करने में. हिमाचल सरकार का दावा है कि राज्य की इस स्थिति की जिम्मेदार पूर्व की भाजपा सरकार है, जबकि बीजेपी यही आरोप सुक्खू सरकार पर मढ़ रही है. सरकार की उम्मीद 5 सितंबर को केंद्र से मिलने वाली रिवेन्यू डेफिसिट ग्रांट है, मगर यह राशि इतनी नहीं कि इससे समस्या हल कर दी जाए.

बेशक हिमाचल की खराब वित्तीय हालात के बीच राजनीतिक शह मात के खेल खेला जा रहा हो, मगर ये समस्या बहुत बड़ी है. खासकर हिमाचल जैसे राज्य के लिए जहां आय के पर्याप्त संसाधन नहीं है. कर्ज पहले से ही बहुत है और फ्रीबीज और सब्सिडी योजनाओं पर बेतहाशा खर्च हो रहा है. सत्ता पक्ष और विपक्ष फ्रीबीज को लेकर एक-दूसरे पर हमलावर हैं. कर्ज में डूबे राज्य के लिए काफी हद तक यह जिम्मेदार भी है, दरअसल हिमाचल सरकार की इस हालत के पीछे कोई एक नहीं बल्कि 5 कारण हैं, आइए समझते हैं कैसे?

1- आय का पर्याप्त साधन नहीं

हिमाचल प्रदेश पहाड़ी राज्य और यहां की आय खेती-किसानी और पर्यटन पर निर्भर है. यहां की जीडीपी में तकरीबन 45 प्रतिशत हिस्सा कृषि और संबद्ध क्षेत्रों का है. दूसरे नंबर पर पर्यटन है. न तो यहां बड़ी इंडस्ट्री हैं और न ही आय का कोई और साधन. लघु-उद्योग इकाईयां हैं भी तो वे सरकार की आय में योगदान देने की बजाय खुद ही उन पर निर्भर हैं. यहां जमीन लगभग खत्म हो चुकी है, जिसे बेचकर सरकार आय प्राप्त कर सके. जंगलों को काटा नहीं जा सकता. यहां की आमदनी का एक और जरिया डैम, पावर प्रोजेक्ट जस के तस हैं, जबकि आबादी लगातार बढ़ रही है, खर्चे भी बढ़ते जा रहे हैं.

2- प्राकृतिक आपदाओं के कारण मची तबाही

हिमाचल की इस हालत के लिए प्राकृतिक आपदाएं भी कम जिम्मेदार नहीं हैं. पहाड़ भूस्खलन से जूझ रहे हैं, बादल फट रहे हैं, सड़कें तबाह हो रही हैं, बाढ़ भी अपना प्रकोप दिखा रही है. ऐसे में सरकार के बजट का एक बड़ा हिस्सा प्रदेश के हालात संभालने में खर्च हो रहा है. सबसे खास बात ये है कि आपदाओं की वजह से राज्य की अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान देने वाला पर्यटन व्यवसाय बेपटरी हो चुका है. यही वजह है कि सरकार ने निजी होटलों को दी जाने वाली सब्सिडी भी वापस ले लिया है.

3- केंद्र सरकार की ओर से मिलने वाली ग्रांट और GST में कटौती

हिमाचल के इस हालात के पीछे जो तीसरी सबसे बड़ी वजह बताई जा रही है वह है केंद्र सरकार की ओर से मिलने वाली रिवेन्यू डेफिसिट ग्रांट में कटौती. इसे राजस्व घाटा अनुदान कहते हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक अब तक हिमाचल सरकार को मिलने वाली यह राशि अब तक 8058 करोड़ रुपये सालाना थी, अब इसमें 1800 करोड़ रुपये की कमी कर दी गई है. अब यह राशि महज 6258 रुपये सालाना रह गई है. यानी 5 सितंबर को इसकी मासिक किस्त तकरीबन 521 करोड़ रुपये के आसपास सरकार के खाते में आएंगे. मगर सैलरी और पेंशन का भार इससे कहीं ज्यादा है. इसके अलावा GST लागू होने से अगले पांच साल तक मिलने वाला मुआवजा भी अब बंद हो गया है, इससे भी हिमाचल प्रदेश को तकरीबन 4 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.

4- सरकार की ओर से चल रही फ्रीबीज योजनाएं

हिमाचल सरकार की ओर से कई फ्रीबीज योजनाएं चलाई जा रही हैं, इनसे राज्य के खजाने पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है. इनमें पहली योजना मुफ्त बिजली की है. अब तक 300 यूनिट मुफ्त बिजली दी जा रही थी, हालांकि राज्य पर आए वित्तीय संकट के बाद सरकार ने इसे सीमित कर दिया है. अब एक मीटर तक 125 यूनिट फ्री बिजली ही दी जा रही है. इसके अलावा महिलाओं को 1500 रुपये हर माह अनुदान देने का ऐलान, इससे प्रतिमाह तकरीबन 800 करोड़ का भार सरकार पर बढ़ा है. इसके अलावा ओल्ड पेंशन स्कीम भी अहम कारण है, इसकी वजह से सरकार पर जो भार पड़ा वो तो पड़ा ही, सरकार को केंद्र से मिलने वाले एनपीएस कंट्रीब्यूशन के बदले मिलने वाला 2 हजार करोड़ रुपये लोन भी नहीं मिला.

5- लगातार बढ़ रहा कर्ज

हिमाचल सरकार के ऊपर लगातार कर्ज बढ़ रहा है. ऐसे में कर्ज अदाएगी भी उसके लिए जरूरी बन गई है. वर्तमान में हिमाचल सरकार के ऊपर तकरीबन 86 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है. प्रतिव्यक्ति के हिसाब से देखें तो राज्य के हर व्यक्ति पर औसत कर्ज तकरीबन 1 लाख 19 हजार रुपये है. सरकार सैलरी-पेंशन और कर्ज अदायगी में ही तकरीबन 42 हजार करोड़ रुपये खर्च कर देती है. केंद्र सरकार बीच में कर्ज देती भी है. इस राज्य सरकार ने हिमाचल प्रदेश के लिए 6200 करोड़ रुपये की लोन लिमिट तय की थी. अब तक राज्य सरकार की ओर से इसमें से 3900 करोड़ रुपये कर्ज लिया जा चुका है. अब सरकार के पास 2300 करोड़ लिमिट ही बची है, जबकि अभी चार माह बाकी हैं.

सैलरी और पेंशन पर कितना खर्च करती है हिमाचल सरकार

हिमाचल सरकार की ओर से अपने कर्मचारियों को सैलरी और पूर्व कर्मचारियों का पेंशन देने पर प्रतिमाह तकरीबन 2 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जाते हैं. इनमें 1200 करोड़ से सैलरी और 800 करोड़ रुपये से सैलरी बांटी जाती है. राज्य में ओपीएस आने के बाद सरकार पर पेंशन का बोझ बढ़ा है. दरअसल अब तक राज्य के कुल बजट में पेंशन का हिस्सा 13 प्रतिशत था जो ओपीएस के बाद 17 प्रतिशत हो गया है. माना जा रहा है कि आज से 15 साल बाद प्रदेश में पेंशन का बजट ही तकरीबन 19728 करोड़ रुपये सालाना हो जाएगा जो वर्तमान में दोगुना होगा.

कितनी है हिमाचल सरकार की आय

हिमाचल सरकार को होने वाली कुल आय 58 हजार 444 करोड़ रुपये है, जबकि व्यय इससे ज्यादा है. इनमें 9 हजार करोड़ रुपये तो सरकार को कर्ज अदायगी ही करनी है. इसके अलावा अगर देखें तो सरकार ने 46,667 करोड़ रुपये राजस्व व्यय और 6,270 करोड़ रुपये पूंजीगत व्यय के लिए निर्धारित कर रखे हैं.

अब सरकार के पास क्या हैं सैलरी पेंशन देने के विकल्प

सरकार को सरकारी कर्मियों की इस महीने की सैलरी और पेंशन देने के लिए तकरीबन 2 हजार करोड़ रुपये की दरकार है. इसके लिए सरकार ने अपने मंत्रिमंडल की दो माह तक सैलरी और भत्ते रोकने का ऐलान कर दिया है. अब सरकार की नजर केंद्र सरकार से मिलने वाले रिवेन्यू डेफिसिट ग्रांट पर है. इसके अलावा सरकार को जो करों से आय होती है वह भी 10 तारीख तक खजाने में आने की संभावना है. इसके अलावा सरकार की कोषागार में ओवरड्राफ्ट लिमिट भी तकरीबन 700 करोड़ रुपये के आसपास है. हालांकि ये पूरी रकम मिलकर 2 हजार करोड़ रुपये नहीं होती. सरकार के पास एक और विकल्प ये है कि वह कर्ज की लिमिट को पूरा कर कर्मियों को पैसे दे दे, लेकिन इससे आपात संकट के समय सरकार क्या करेगी? ऐसे कई सवाल हैं जिन पर सरकार को गौर कर आगे कदम बढ़ाना होगा.

Veer Gupta

Sep 03 2024, 20:25

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव: कश्मीरी पंडितों की रिहैबिलिटेशन बड़ा चुनावी मुद्दा,जाने

जम्मू-कश्मीर में दस साल बाद होने जा रहे विधानसभा चुनावों में कश्मीरी पंडितों की रिहैबिलिटेशन एक बार फिर से बड़ा चुनावी मुद्दा बनकर उभरा है. सभी राजनीतिक दल कश्मीरी पंडित वोटरों को यह विश्वास दिलाने की कोशिश कर रहे हैं कि वे उनकी घर वापसी के लिए एक ठोस योजना बनाएंगे और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे.

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल को विधानसभा के लिए तीन सदस्यों को नामित करने का अधिकार है, जिसमें से दो कश्मीरी प्रवासी और एक पीओके से विस्थापित व्यक्ति होगा. नामित किए जाने वाले कश्मीरी प्रवासियों में से एक महिला होगी. इस व्यवस्था के तहत कश्मीरी पंडितों को विधानसभा में प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की गई है.

कश्मीर पंडितों की सुरक्षा, विस्थापन और रोजगार जैसे मुद्दे धारा 370 हटने से पहले और बाद में जम्मू-कश्मीर में हमेशा से सबसे बड़े मुद्दे रहे हैं. अब जब केंद्रशासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो गई है, तो कश्मीरी पंडित समाज के लोगों की चुनावों को लेकर क्या सोच है, 

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में कश्मीरी पंडितों के लिए दो नामित सीटें आरक्षित की गई हैं. वहीं, बीजेपी ने कश्मीर घाटी में दो कश्मीरी पंडित उम्मीदवारों को जगह है. हालाकि अभी तक बीजेपी का घोषणा पत्र जारी नही हुआ है. बता दें कि नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस के अलायंस और पीडीपी ने अभी तक कश्मीरी पंडित उम्मीदवार को मैदान में नहीं उतारा है लेकिन दोनों पार्टियों ने अपने घोषणा पत्र में कश्मीरी पंडितों की घर वापसी का विशेष जिक्र किया है।

लंबे समय से आतंकियों के निशाने पर रहे कश्मीरी पंडितों की सुरक्षा भी इस बार का एक अहम चुनावी मुद्दा है. कश्मीरी पंडितों का कहना है कि उनकी स्थायी रिहैबिलिटेशन के लिए यह आवश्यक है कि कश्मीर में काम कर रहे सभी कश्मीरी पंडितों को जहां-जहां वे रहते हैं, वहां सुरक्षा प्रदान की जाए, ताकि वे बिना डर के रह सकें.

कश्मीरी पंडित समाज पिछले तीन दशकों से अपनी घर वापसी के लिए संघर्ष कर रहा है. हालांकि, पहले भी कई चुनावों में राजनीतिक दलों ने बड़े-बड़े वादे किए थे, लेकिन उन्हें पूरा नहीं किया गया. बावजूद इसके, कश्मीरी पंडित समुदाय के लोग इस बार के चुनावों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने की तैयारी कर रहे हैं ताकि उनकी आवाज़ केंद्र तक पहुंच सके और उनके मुद्दों का समाधान हो सके.

Veer Gupta

Sep 03 2024, 17:49

कोलकाता मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष गिरफ्तार, 8 दिन के लिए भेजे गए सीबीआई हिरासत में ,10 सितंबर को होगी पेशी

कोलकाता में डॉक्टर के साथ हुई दरिंदगी के बाद आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के तत्कालीन प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष सवालों के घेरे में हैं. सीबीआई ने बीते दिन सोमवार को उन्हें गिरफ्तार किया था, जिसके बाद उन्हें कोर्ट में पेश गया. जहां से पूर्व प्रिंसीपल को 8 दिन की हिरासत में भेज दिया गया है.

हालांकि सीबीआई ने उनकी 10 दिन की हरिसात मांगी थी लेकिन कोर्ट ने 8 दिन की मंजूरी दी.

वहीं 3 अन्य आरोपियों को भी सीबीआई हिरासत में भेजा गया है. जिसके बाद अब 10 सितंबर को अगली पेशी होगी.

कड़ी सुरक्षा के बीच संदीप घोष को कोर्ट पहुंचाया गया था. घोष की गिरफ्तारी भ्रष्टाचार के मामले में की गई है. 15 दिनों से ज्यादा समय तक पूछताछ के बाद सीबीआई ने ये कार्रवाई की. वहीं कोर्ट ने इस मामले में गिरफ्तार एक अन्य आरोपी अफसर अली खान की जमानत याचिका भी खारिज कर दी है.

कोर्ट में पेश हुए पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष

बीती रात पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष और 3 अन्य आरोपियों को सीबीआई की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा ने गिरफ्तार किया था. आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की वित्तीय अनियमितताओं के मामले में अलीपुर जज कोर्ट में लाया गया था. संदीप घोष के CBI दफ्तर से निकलते ही मौके पर जुटी भीड़ ने संदीप घोष को चोर-चोर चिल्लाना शुरू कर दिया. कड़ी सुरक्षा के बीच उन्हें गाड़ी से बाहर निकाला गया और कोर्ट में पेश किया गया.

अबतक 4 लोग हो चुके हैं गिरफ्तार

ट्रेनी डॉक्टर की हत्या और रेप के मामले में अब तक चार लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है. इनमें कोलकाता के आरजी कर मेडिकल के पूर्व प्रिंसिपल डॉ संदीप घोष के अलावा घोष का सुरक्षाकर्मी अफसर अली, अस्पताल के विक्रेता बिप्लव सिंघा और सुमन हजारा शामिल हैं. 24 अगस्त को सीबीआई ने संदीप घोष और अन्य के खिलाफ भ्रष्टाचार को लेकर एफआईआर दर्ज की थी, जिसके बाद जांच शुरू की थी. अस्पताल के पूर्व उपाधीक्षक डॉ. अख्तर अली ने घोष के प्रिंसिपल रहने के दौरान अस्पताल में वित्तीय अनियमितताएं होने की शिकायत दर्ज कराई थी. जिसके बाद जांच शुरू की गई थी.

Veer Gupta

Sep 03 2024, 17:27

मणिपुर में ड्रोन हमला, राज्य और देश के लिए चिंता की बात

मणिपुर फिर सुलगने लगा है. दो महीने की अस्थायी शांति के बाद सितंबर की पहली तारीख को जिस तरह का घातक हमला हुआ वह हिला देने वाला है. इस अटैक में दो लोगों की मौत हो गई और 10 लोग घायल हो गए. इनमें एक 12 साल की किशोरी, दो पुलिसकर्मी और एक मीडियाकर्मी शामिल है.

सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि इस हमले में ड्रोन का प्रयोग किया गया. यह पहली बार है जब मैतेइ और कुकी समुदायों के बीच हुई हिंसा के बीच धमाका करने के लिए ड्रोन को अपनाया गया हो. यह सिर्फ राज्य के लिए ही नहीं बल्कि देश के भी बेहद चिंता की बात है. आखिर क्यों मणिपुर में ड्रोन बमों के इस्तेमाल से भारत को चिंतित होना चाहिए? आइए समझते हैं.

यह ड्रोन हमला क्यों इतना महत्वपूर्ण है?

ड्रोन आधुनिक युद्ध का एक सस्ता लेकिन घातक तत्व बन गया है, जिसका उपयोग 2020 में नगोर्नो-काराबाख युद्ध और रूस-यूक्रेन संघर्ष जैसे संघर्षों में देखा गया है. भारत के मणिपुर में इसका प्रयोग होना खतरनाक बढ़ोतरी का संकेत देता है. इसकी मदद से हमलावर पारंपरिक हथियारों की बजाय दूर से ही हमला कर सकते हैं. यदि ऐसा होने लगता है तो न तो ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि हमला कब और कहां होगा और न ही उसे रोका जा सकता है. हमले में ड्रोन के प्रयोग से टारगेटेड हत्याएं बढ़ सकती है और कोई भी इलाका अस्थिर हो सकता है. यह डर है कि ये हमले बड़े पैमाने पर हिंसा भड़का सकते हैं.

किसने कराए हमले?

मणिपुर पुलिस ने ड्रोन हमलों के लिए ‘कथित कुकी उग्रवादियों’ को जिम्मेदार ठहराया है. राज्य पुलिस और गृह विभाग के अनुसार, हमला ‘संदिग्ध कुकी आतंकवादियों’ द्वारा किया गया था, जिन्होंने कथित तौर पर रॉकेट चालित ग्रेनेड और अन्य विस्फोटक लॉन्च करने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया था. जवाब में, मणिपुर के राज्य और केंद्रीय बलों ने उग्रवादियों को बाहर निकालने और आगे की हिंसा को रोकने के लिए अपने अभियान तेज कर दिए हैं. राज्य सरकार ने जनता से शांत रहने की अपील की है और आश्वासन दिया है कि अपराधियों की पहचान करने और उन्हें मार गिराने के लिए तलाशी अभियान जारी है.

भारत के लिए ड्रोन हमले का क्या है मतलब?

घरेलू संघर्षों में ड्रोन युद्ध की शुरूआत एक खतरनाक मिसाल कायम कर सकती है, जिससे अधिक परिष्कृत और पता लगाने में कठिन हमले हो सकते हैं. यह कानून प्रवर्तन और सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती है, जिन्हें अब ड्रोन के खतरे का मुकाबला करने के लिए खुद को तैयार करना होगा. इसके अलावा, ड्रोन का उपयोग भारत के भीतर अन्य आतंकवादी समूहों को प्रोत्साहित कर सकता है, जिससे संभावित रूप से अन्य अशांत क्षेत्रों में भी इसी तरह की रणनीति अपनाई जा सकती है. मणिपुर में तनाव बढ़ने से केंद्र सरकार के साथ राज्य के रिश्ते भी तनावपूर्ण हो सकते हैं, क्योंकि अधिक मजबूत हस्तक्षेप और संघर्ष समाधान रणनीतियों की मांग बढ़ रही है.

Veer Gupta

Sep 03 2024, 14:12

पुलिस कमिश्नर के इस्तीफे की मांग को लेकर जूनियर डॉक्टरों का धरना प्रदर्शन जारी

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में 9 अगस्त को जूनियर डॉक्टर के साथ रेप और हत्या हुई. इसके बाद से ही वहां धरना प्रदर्शन जारी है. कोलकाता के पुलिस कमिश्नर को हटाने को लेकर जूनियर डॉक्टर अभी भी धरना प्रदर्शन कर रहे है. उनकी मांग है कि पुलिस कमिश्नर अपना इस्तीफा दें

डॉक्टर ऐसा आरोप लगा रहे हैं कि सीबीआई जांच से पहले सबूतों के साथ पुलिस की मौजूदगी में छेड़छाड़ हुई है. डॉक्टरों का कहना है कि जब तक पुलिस कमिश्नर इस्तीफा नहीं देते तब तक उनका धरना प्रदर्शन चलता रहेगा. आज सुबह जब भाजपा संसद अभिजीत गांगुली धरना स्थल पर पहुंचे तो छात्रों ने उनके विरोध में नारे लगाए.

क्या मांग कर रहे हैं डॉक्टर

जूनियर डॉक्टर का आरोप है कि शुरुवाती जांच में पुलिस ने लापरवाही बरती जिसके वजह से सबूतों के साथ छेड़छाड़ हुई है. डेड बॅाडी के पास भीड़ की वजह से काफी सबूत खराब हो गए और पुलिस ने घरवालों को झूठ क्यों बोला कि इनकी लड़की ने आत्महत्या की है. पुलिस पर ये भी आरोप है कि जब प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों पर भीड़ ने हमला किया तब भी उसने कुछ नहीं किया. इन सब बातों को लेकर डॅाक्टर कोलकाता पुलिस कमिश्नर का स्पष्टीकरण और इस्तीफा चाहते हैं.

क्या है अब तक का घटनाक्रम

आज बंगाल विधानसभा में ममता बनर्जी रेप को लेकर एक नया कानून अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून एवं संशोधन) 2024 पेश किया है, जिसमें दोषिओं को फांसी की सजा का प्रावधान है.

सोमवार को सीबीआई ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष को वित्तीय अनियमितता के केस में गिरफ्तार कर लिया था. उनके खिलाफ पूर्व डिप्टी सुपेरिटेंडेंट डॉक्टर अख्तर अली ने शिकायत की थी.

9 अगस्त को जब से ये घटना घटित हुई है तब से ही विरोध प्रदर्शन चल रहा है. शुरू में इसकी जांच कोलकाता पुलिस कर रही थी, बाद में इस केस को सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया गया था. अभी इसकी जांच सीबीआई ही कर रही है.

इस मामले में राजनीति भी बहुत हो रही है. बीजेपी का आरोप है कि ममता बनर्जी ने इस केस को गंभीरता से नहीं लिया जबकि ममता आरोप लगा रही हैं कि बीजेपी इस पर राजनीति कर रही है और इसी बहाने बंगाल में अराजकता फैला रही है.

Veer Gupta

Sep 03 2024, 09:40

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज ब्रुनेई और सिंगापुर यात्रा पर हुए रवाना, दौरे से पहले क्या कहा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को ब्रुनेई दारुस्सलाम और सिंगापुर की तीन दिवसीय यात्रा पर रवाना हो गए हैं. उन्होंने दोनों देशों की यात्रा पर रवाना होने से पहले एक्स पर पोस्ट करके कहा कि दोनों देशों से रिश्ते और बेहतर करने पर बात होगी. पीएम मोदी सुल्तान हाजी हसनल बोल्किया के निमंत्रण पर ब्रुनेई दारुस्सलाम पहुंचेंगे.

प्रधानमंत्री भारत और ब्रुनेई के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना के 40 साल पूरे होने पर पीएम ये यात्रा कर रहे हैं. किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री की ये पहली ब्रुनेई यात्रा है. इसके बाद वे सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग के निमंत्रण पर सिंगापुर जाएंगे. ये यात्रा 4-5 सितंबर के बीच निर्धारित है.

ब्रुनेई और सिंगापुर यात्रा को लेकर क्या बोले पीएम

पीएम मोदी ने विदेश ब्रुनेई और सिंगापुर की यात्रा से पहले ट्वीट करते हुए कहा, ‘अगले दो दिनों में मैं ब्रुनेई दारुस्सलाम और सिंगापुर का दौरा करूंगा. इन देशों में तमाम कार्यक्रमों के दौरान भारत के साथ संबंधों को और मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा. भारत-ब्रुनेई दारुस्सलाम राजनयिक संबंधों ने 40 शानदार वर्ष पूरे कर लिए हैं. मैं महामहिम सुल्तान हाजी हसनल बोल्किया से मिलने के लिए उत्सुक हूं.’

पीएम मोदी ने आगे कहा, ‘सिंगापुर में मैं राष्ट्रपति थर्मन शानमुगरत्नम, प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग, वरिष्ठ मंत्री ली ह्सियन लूंग और एमेरिटस वरिष्ठ मंत्री गोह चोक टोंग के साथ बातचीत करूंगा. हम प्रमुख क्षेत्रों में संबंधों को और मजबूत करने के लिए उत्सुक हैं.’ ब्रुनेई भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति और भारत-प्रशांत के दृष्टिकोण में एक महत्वपूर्ण भागीदार है. पीएम मोदी की यह यात्रा रक्षा सहयोग, व्यापार और निवेश, ऊर्जा, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य सहयोग, क्षमता निर्माण, संस्कृति के आदान-प्रदान को मजबूत करेगी

पीएम के ब्रुनेई दौरे पर विदेश मंत्रालय ने क्या कहा?

पीएम मोदी की ब्रुनेई यात्रा पर विदेश मंत्रालय के सचिव (पूर्व) जयदीप मजूमदार ने कहा, ‘पीएम ब्रुनेई के साथ संबंधों और सहयोग के सभी पहलुओं पर द्विपक्षीय चर्चा करेंगे. ब्रुनेई के साथ हमारे बहुत ही मधुर और मैत्रीपूर्ण संबंध हैं. ब्रुनेई में भारतीय प्रवासियों की संख्या लगभग 14,000 है और इनमें ब्रुनेई के डॉक्टर और शिक्षक भी शामिल हैं, जिन्होंने ब्रुनेई की अर्थव्यवस्था और समाज में अपने योगदान के लिए सद्भावना और सम्मान अर्जित किया है. ब्रुनेई 2012 से 2015 तक आसियान में हमारा कंट्री कोऑर्डिनेटर रहा है और आसियान के साथ हमारे आगे के जुड़ाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और आज भी निभा रहा है.’

Veer Gupta

Sep 02 2024, 20:34

अमित शाह ने बीजेपी को दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे लोकतांत्रिक पार्टी बताया

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की राष्ट्रीय सदस्यता अभियान 2024 के शुभारंभ के अवसर पर कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि बीजेपी न केवल दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है, बल्कि सबसे बड़ी लोकतांत्रिक पार्टी भी है. कोई भी अन्य पार्टी अपने सदस्यता अभियान को बीजेपी जितनी पारदर्शिता और ईमानदारी से नहीं चलाती है.

बीजेपी के अभियान के बारे में अमित शाह ने आज सोमवार को कहा कि हमारी पार्टी दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी तो है ही, साथ ही सभी राजनीतिक दलों में एक प्रकार से अनूठी पार्टी भी है. आज भारत के 1,500 से अधिक राजनीतिक दलों में कोई भी दल लोकतांत्रिक तरीके से विश्वास और खुलेपन के साथ हर 6 साल के बाद अपने सदस्यता अभियान को नहीं करता है. ऐसा केवल और केवल बीजेपी ही करती है.

कार्यकर्ता सरकार और संगठन के बीच कड़ीः अमित शाह

उन्होंने आगे कहा कि हमारी पार्टी में कार्यकर्ता महज सदस्यता का एक अंक नहीं, बल्कि हमारे यहां कार्यकर्ता एक जीवंत इकाई, विचारधारा का वाहक, कार्य-संस्कृति का पोषक और हमारे कार्यकर्ता सरकार और संगठन के बीच में कड़ी का भी काम करते हैं, जो सरकार को हमेशा जनता के साथ जोड़कर रखता है.

अमित शाह ने कहा कि पीएम मोदी के सदस्यता लेते ही बीजेपी का अभियान शुरू होगा और अपने गंतव्य तक पहुंचेगा.

नेताओं पर जनता का विश्वास कम हुआः राजनाथ

इस अवसर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इस सच्चाई को आज कोई नकार नहीं सकता कि नेताओं की कथनी और करनी में अंतर होने के कारण देश की राजनीति और देश के नेताओं पर से जनता का विश्वास कम हुआ है. उन्होंने आगे कहा कि देश की राजनीति में इससे पहले नेताओं की कथनी और करनी में जो विश्वास का संकट पैदा हुआ था, उस विश्वसनीयता के संकट को किसी ने चुनौती के रूप में स्वीकार किया है, तो वो हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया है.

राजनाथ सिंह ने साल 2014 का वाकया याद करते हुए कहा, “2014 में जब मोदी देश के प्रधानमंत्री बने, उस समय मैं पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष था. जब हमारा चुनावी घोषणा पत्र बन रहा था, तो उस समय भी हमारे प्रधानमंत्री ने बार-बार ये कहा कि अध्यक्ष इस बात की सावधानी बरतिएगा कि चुनावी घोषणा पत्र में जो कुछ भी कहा जाए, उसका अक्षरशः पालन हम कर सकें.”

पार्टी को आगे बढ़ाने की चिंता करते हैं PM: जेपी नड्डा

इससे पहले पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि जब अमित भाई शाह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हुआ करते थे, तो उस समय उन्होंने सदस्यता अभियान को प्राथमिकता दी थी. तब उन्होंने कहा था कि हम संगठन के रास्ते बदलेंगे, संगठन के तरीके बदलेंगे, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग जो कमल के निशान के साथ चलना चाहते हैं, उनका हम पार्टी में समावेश कर सकें.

नड्डा ने कहा, “हम सब जानते हैं कि प्रधानमंत्री (मोदी) देश का प्रधानसेवक होने के नाते, 140 करोड़ देशवासियों के नेतृत्व करने के नाते प्रशासन की बारीकियों में दिन-रात व्यस्त रहते हैं. लेकिन उसके बावजूद भी हम सबके लिए वो आदर्श हैं.” उन्होंने आगे कहा कि उन्होंने हमेशा इस बात को अपने आप में जीया है कि संगठन सर्वोपरि है और संगठन प्रथम है. संगठन को जब भी आवश्यकता पड़ी है, व्यस्ततम समय में भी वो पार्टी को आगे बढ़ाने की चिंता करते हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज सोमवार को दिल्ली में बीजेपी के केंद्रीय कार्यायल में पार्टी के सदस्यता अभियान की शुरुआत करेंगे.

Veer Gupta

Sep 02 2024, 17:29

शाहरुख खान के थप्पड़ की बात पर हनी सिंह ने दिया बड़ा बयान

हनी सिंह रैप इंडस्ट्री का एक जाना माना चेहरा हैं. एक वक्त था जब उन्होंने अपने गानों पर हर किसी को नचाया. आज भी कोई पार्टी हनी सिंह के गानों के बिना अधूरी है. हालांकि, बढ़ रही शोहरत के बीच में अचानक से हनी सिंह इंडस्ट्री से पूरी तरह गायब हो गए थे, लेकिन एक बार फिर अपने नए एल्बम ‘ग्लोरी’ से हनी ने अपनी वापसी कर दी है. हनी अपने नए गाने के प्रमोशन के लिए लगातार मीडिया से बातचीत कर रहे हैं. ऐसी ही एक बातचीत में हनी से शाहरुख खान के थप्पड़ की बात भी की पूछी गई, जिसका जवाब उन्होंने दिया है.

लल्लनटॉप के इंटरव्यू के दौरान उनसे उनकी अब तक की सबसे बड़ी कॉन्ट्रोवर्सी के बारे में सवाल किया गया, जो कि शाहरुख खान से जुड़ी हुई थी. दरअसल, बीच में खबर आ रही थी कि शाहरुख खान की फिल्म ‘चेन्नई एक्सप्रेस’ के बाद हनी सिंह शाहरुख के साथ स्लैम टूर पर गए थे, जहां किसी बात की नाराजगी की वजह से शाहरुख ने हनी सिंह को थप्पड़ जड़ दिया था.

बन रही है हनी सिंह की डॉक्यूमेंट्री

अपनी कॉन्ट्रोवर्सी के बारे में बात करते हुए हनी ने कहा, “मतलब ही नहीं, ऐसा कुछ हुआ भी नहीं था, हालांकि इस बारे में आपको मेरी डॉक्यूमेंट्री में सुनने को मिलेगा, इसका जवाब मैंने वहां दिया है. ये डॉक्यूमेंट्री का एक बहुत इंपॉर्टेंट पार्ट है.” नेटफ्लिक्स ने हनी सिंह पर एक डॉक्यूमेंट्री बनाई है, जिसका टाइटल ‘फेमस’ दिया गया है. हनी ने बताया कि नेटफ्लिक्स की तरफ से उन्हें इन टॉपिक पर बात करने से मना किया गया है, जिससे जब डॉक्यूमेंट्री रिलीज हो तो लोग उससे कनेक्ट कर पाएं.

पीआर गेम के लिए उड़ाई थी खबर?

कई लोगों का ये भी कहना था कि ये खबरें पीआर गेम के चलते उड़ाई गई थी, जिसको खारिज करते हुए हनी ने कहा, “मैंने आजतक पीआर कंपनी ही हायर नहीं की, फेमस होने के बाद मीडिया के साथ मेरी मुलाकात शो के दौरान हो जाती थी. क्योंकि शो के अलावा न मैं किसी पार्टी में दिखता था और न ही इंवेंट में जाता था. सबसे बड़ी बात ये भी थी कि मैं मुंबई में ही नहीं रहता था. जब मेरे बारे में खबर फैली तो मीडिया ने अपने मन से कुछ भी छाप दिया और मैंने भी किसी भी बात को लेकर कभी सफाई नहीं दी. मैं अपनी बात के लिए एक प्लेटफार्म ढूंढ रहा था, जिसके लिए एक माइक, कैमरा और कुछ पैसों की जरूरत थी.”

एल्बम में पाकिस्तानी कलाकार हैं शामिल

26 अगस्त को रिलीज हुए हनी सिंह के एल्बम ‘ग्लोरी’ में पाकिस्तानी कलाकारों का भी तड़का है. इस एल्बम में पाकिस्तानी कलाकार वहाब बुगती और साहिबान शामिल हैं. बुगती इटली के सिंगर लायोंग के साथ ‘बीबा’ सॉन्ग में नजर आ चुके हैं, वहीं साहिबान हैंडल्स के साथ ‘रैप गॉड’ में दिखी हैं.

Veer Gupta

Sep 02 2024, 16:05

मोदी सरकार ने किसानों के लिए किए 7 बड़े एलान, जानें डिटेल्स

मोदी सरकार ने किसानों के लिए 7 बड़े फैसले लिए हैं. केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोमवार को कहा कि सरकार गठन के अभी 100 दिन भी पूरे नहीं हुए हैं और कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए हैं. पहले 85 दिनों के अंदर किसानों के लिए कई बड़े फैसले लिए गए हैं. इनसे किसानों की आय बढ़ेगी.

उन्होंने बताया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2 हजार 817 करोड़ रुपये के डिजिटल कृषि मिशन को मंजूरी दी है.

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने खाद्य, पोषण के फसल विज्ञान के लिए समर्पित 3 हजार 979 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी है. टिकाऊ पशुधन स्वास्थ्य के लिए 1 हजार 702 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी दी है. सरकार ने कुछ अच्छे पायलट प्रोजेक्ट शुरू किए गए हैं. इनमें हमें सफलता मिली है.

डिजिटल कृषि मिशन की स्थापना

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उसी के आधार पर डिजिटल कृषि मिशन की स्थापना की जाएगी. बागवानी के विकास के लिए 860 करोड़ रुपये और कृषि विज्ञान केंद्रों के लिए 1 हजार 202 करोड़ रुपये के आवंटन को मंजूरी . आइए जानते हैं डिजिटल कृषि मिशन से किसानों का क्या सहूलियत मिलनी वाली है

एग्री स्टैक किसान रजिस्ट्री गांव की भूमि मानचित्र रजिस्ट्री फसल बोई रजिस्ट्री

कृषि निर्णय समर्थन प्रणाली भू स्थानिक डेटा सूखा/बाढ़ निगरानी मौसम/उपग्रह डेटा भूजल/जल उपलब्धता डेटा फसल उपज और बीमा के लिए मॉडलिंग

मृदा प्रोफाइल डिजिटल फसल अनुमान डिजिटल उपज मॉडलिंग फसल ऋण से जुड़े एआई, बिग जैसी आधुनिक तकनीकें

डेटा खरीदारों से जुड़े मोबाइल पर अपडेट कृषि के लिए डीपीआई. जो कि किसानों के जीवन में सुधार के लिए प्रौद्योगिकी पर बल देता है मोबाइल पर जानकारी मिलने से किसानों के जिंदगी में बदलाव आएगा खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए फसल विज्ञान अनुसंधान और शिक्षा पादप आनुवंशिक संसाधन प्रबंधन भोजन और चारे की फसल के लिए आनुवंशिक सुधार

दलहनी एवं तिलहनी फसल में सुधार

वाणिज्यिक फसलों में सुधार

कीड़ों, रोगाणुओं, परागणकों आदि पर अनुसंधान.

2047 के लिए जलवायु को ध्यान में रखते हुए खाद्य सुरक्षा के लिए किसानों को तैयार करना.

Veer Gupta

Sep 02 2024, 13:30

बीजेपी विधायक नितेश राणे के खिलाफ मामला दर्ज, भड़काऊ भाषण देने का आरोप

महाराष्ट्र के अहमदनगर में बीजेपी विधायक नितेश राणे के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. राणे पर भड़काऊ भाषण देने और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप है

. बीजेपी विधायक के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 302, 153 सहित अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है. नितेश राणे ने एक कार्यक्रम में मुसलमानों को खुली धमकी दी और कहा चुन-चुन कर मारेंगे. उनके खिलाफ दो FIR की गई है. एक श्रीरामपुर और दूसरा तोपखाना थाने में मामला दर्ज किया गया है.

BJP विधायक ने मुसलमानों को दी खुली धमकी

दरअसल, अहमदनगर में रामगिरी महाराज के समर्थन में मोर्चा निकाला गया. इस मोर्चे में बड़े पैमाने पर हिंदू समाज के लोक मौजूद थे.

मोर्चे के बाद नितेश राणे की एक सभा हुई, इसमें उन्होंने मुसलमानों को खुली धमकी दी. राणे ने कहा, ‘हमारे रामगिरी महाराज के खिलाफ अगर किसी ने कुछ कहा तो मस्जिदों मे आकर चुन चुन कर मारेंगे.’

महंत रामगिरी महाराज ने मुस्लिम समाज के पैगंबर पर टिप्पणी करणे बाद राज्य के अलग-अलग जिले में महाराज के खिलाफ मोर्चे निकाले गए थे. उसके बाद अब अहमदनगर में सकल हिंदू समाज की ओर से रामगिरी महाराज के समर्थन में बीजेपी नेता नितेश राणे के नेतृत्व में मोर्चा निकाला गया था.

चुनाव से पहले हिंसा कराना चाहती है BJP- AIMIM

AIMIM नेता वारिश पठान ने नितेश राणे का वीडियो शेयर कर आरोप लगाया कि बीजेपी चुनाव से पहले सांप्रदायिक हिंसा कराना चाहती है. नीतेश राणे का भाषण भड़काऊ है और नितेश पर FIR हो और कानूनी कार्रवाई की जाए.