पेरिस पैरालंपिकःभारत का शानदार आगाज, पैरा शूटर अवनी लेखरा ने रचा इतिहास, अपना ही रिकॉर्ड तोड़ जीता सोना

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पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारत ने शानदार शुरूआत की है। देश की स्टार पैरा शूटर अवनी लेखरा ने पेरिस पैरालंपिक 2024 में गोल्ड मेडल पर कब्जा किया है। अवनी लेखरा ने पैरालिंपिक गेम्स में भारत को पहला मेडल दिला दिया है। उन्होंने विमेंस 10 मीटर एयर राइफल शूटिंग की एसएच1 कैटेगरी में पैरालिंपिक रिकॉर्ड के साथ गोल्ड मेडल जीता। उन्होंने 249.7 स्कोर किया। पिछला पैरालिंपिक रिकॉर्ड 249.6 भी अवनी के ही नाम था, जो उन्होंने टोक्यो में बनाया था।

अवनी ने लगातार दूसरी बार पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीता है। महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल (एसएच1) कैटेगरी में अवनी ने पहला स्थान हासिल किया वहीं इसी इवेंट में भारत की अन्य पैरा शूटर मोना अग्रवाल ने ब्रॉन्ज पर निशाना साधा। मोना ने फाइनल में 228.7 स्कोर के साथ कांस्य पदक जीता जबकि अवनी ने पैरालंपिक रिकॉर्ड के साथ सोने का तमगा हासिल किया। कोरिया की युनरी ली को सिल्वर मिला, उनका स्कोर 246.8 रहा। 

अवनी ने एसएच1 कैटेगरी में गोल्ड जीता था। शूटिंग में एसएच1 कैटेगरी में वे शूटर शामिल होते हैं, जिनके हाथ, शरीर के निचले हिस्से या पैर प्रभावित होते हैं। या फिर जिनके कोई अंग नहीं होते। क्वालिफिकेशन राउंड में अवनी लेखरा दूसरे और मोना अग्रवाल पांचवें नंबर पर रही थीं। फाइनल में 2 राउंड की शूटिंग बाकी थी, तब मोना 208.1 स्कोर के साथ टॉप पर थीं। अवनी दूसरे और कोरियन शूटर तीसरें नंबर पर थीं।

सेकेंड लास्ट राउंड में कोरियन शूटर ने पहला स्थान हासिल कर लिया और अवनी दूसरे पर पहुंची। जबकि मोना तीसरे नंबर पर रहकर गोल्ड मेडल की रेस से बाहर हो गईं। आखिरी राउंड में अवनी ने पैरालिंपिक रिकॉर्ड बनाया और 249.7 के स्कोर के साथ गोल्ड जीत लिया। जबकि कोरियन शूटर 246.8 पॉइंट्स के साथ दूसरे नंबर पर रही।

बता दें, अवनी लेखरा जयपुर की रहने वाली हैं और स्टार पैरा शूटर हैं. अवनी पहली बार उस समय सुर्खियों में आई थी जब तीन साल पहले टोक्यो पैरालंपिक में एसएच1 कैटेगिरी में उन्होंने गोल्ड मेडल जीतने का बड़ा कारनामा किया था। उनके नाम एक ही पैरालंपिक में दो मेडल जीतने का रिकॉर्ड है। टोक्यो पैरालंपिक में उन्होंने 10 मीटर एयर राइफल में गोल्ड मेडल जीता था जबकि 50 मीटर राइफल थ्री-पोजीशन में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया था। पेरिस में अब मेडल जीतने के साथ ही अब वह लगातार 2 पैरालंपिक में गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला पैरा एथलीट बन गईं हैं।

पीएम मोदी ने शिवाजी महाराज से मांगी माफी, छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा गिरने पर बोले- वे हमारे आराध्य

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महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग में बीते दिनों छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा गिर गई थी। इस घटना को लेकर महाराष्ट्र में बड़ा राजनीतिक घमासान मचा हुआ था। आज शुक्रवार को महाराष्ट्र पहुंच कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एकसभा में इस घटना को लेकर माफी मांगी है। पीएम मोदी ने इस घटना को लेकर माफी मांगते हुए कहा है कि हमारे लिए शिवाजी आराध्य है।

मोदी ने पालघर में कहा, "2013 में भाजपा ने मुझे प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया। सबसे पहला काम जो मैंने किया, वह था रायगढ़ में छत्रपति शिवाजी महाराज की समाधि के सामने एक भक्त के रूप में बैठना और एक नई यात्रा शुरू करना।"

उन्होंने कहा, "छत्रपति शिवाजी महाराज हमारे लिए सिर्फ एक नाम नहीं हैं। आज मैं सिर झुकाकर अपने भगवान छत्रपति शिवाजी महाराज से माफ़ी मांगता हूं। हमारे मूल्य अलग हैं, हम वो लोग नहीं हैं जो भारत माता के महान सपूत, इस भूमि के सपूत वीर सावरकर को गाली देते रहते हैं और उनका अपमान करते रहते हैं। वे माफ़ी मांगने के लिए तैयार नहीं हैं, वे अदालतों में जाकर लड़ने के लिए तैयार हैं।"

सीएम शिंदे और डिप्टी सीएम फडणवीस भी मांग चुके हैं माफी

प्रधानमंत्री की यह प्रतिक्रिया 26 अगस्त को सिंधुदुर्ग में 35 फीट ऊंची छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति के ढहने को लेकर चल रहे विवाद के बीच आई है। पीएम मोदी से पहले महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने भी शिवाजी महाराज की प्रतिमा के ढहने पर बीते 28 अगस्त को राज्य के लोगों से माफी मांगी थी। इस घटना को लेकर विपक्ष महायुति गठबंधन सरकार पर लगातार निशाना साध रहा है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बृहस्पतिवार को कहा था कि अगर जरूरत पड़ी तो वह शिवाजी महाराज के 100 बार पैर छूने और घटना के लिए माफी मांगने से नहीं हिचकिचाएंगे।

'अजित पवार के बगल में बैठता हूं तो उल्टी...', शिंदे के मंत्री के बयान ने महाराष्ट्र में मचाया बवाल

शिवसेना (शिंदे गुट) के नेता तानाजी सावंत ने नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP) और उसके प्रमुख अजित पवार पर विवादित टिप्पणी की है। एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि वह पूरी जिंदगी एनसीपी की विचारधारा से कभी सहमत नहीं रहे. एकनाथ शिंदे की पार्टी के नेता ने कहा कि मैं शिवसैनिक हूं. यह सच है कि हमारी जिंदगी में कांग्रेस एवं NCP की कभी नहीं बनी. मैं जब से छात्र था, तब से कभी तालमेल नहीं बैठा. यह हकीकत है. आज, यदि मैं उनके (NCP) साथ कैबिनेट में भी बैठता हूं, तो बाहर आने के बाद मुझे उल्टी आती है. मैं इसे बर्दाश्त नहीं कर सकता.

तानाजी सावंत ने कहा कि मैं बेशक मंत्रिमंडल में NCP चीफ अजित पवार के साथ बैठता हूं किन्तु जैसे ही मैं बाहर आता हूं, मुझे उल्टी आने लगती है. इसे रोका नहीं जा सकता. ऐसा नहीं है कि इसे बदला नहीं जा सकता बल्कि हम अपने सिद्धांतों को लेकर प्रतिबद्ध हैं. उन्होंने कहा कि एलर्जी वाले शख्स को जैसे गोलियां खाने पर उल्टियां गिरती हैं. वैसी ही स्थिति मेरे साथ है.

वहीं, NCP के प्रवक्ता तथा एमएलसी अमोल मिटकरी ने सावंत के इस बयान की निंदा की. उन्होंने काह कि क्या शिवसेना के साथ संबंधों को सामान्य बनाए रखने की जिम्मेदारी सिर्फ एनसीपी की है. हम सिर्फ गठबंधन धर्म निभा रहे हैं. बता दें कि तानाजी सावंत पहले भी विवादित बयानों के लिए सुर्खियों में रह चुके हैं। 2022 में, उन्होंने रत्नागिरी जिले में बांध टूटने की घटना के लिए केकड़ों को जिम्मेदार ठहराया था, जिसमें 18 लोगों की मौत हो गई थी। इस बयान की भी बहुत आलोचना की गई थी।

हिंदी फिल्म द डायरी ऑफ वेस्ट बंगाल की रिलीज़ रोकने की मांग, जानिए, क्या बोला हाई कोर्ट

 हिंदी फिल्म द डायरी ऑफ वेस्ट बंगाल की रिलीज के रास्ते में अब कोई रोड़ा नहीं है। हालाँकि, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने इस हिंदी फिल्म की रिलीज पर कोई अभी तक अंतरिम आदेश पारित नहीं किया है, कोर्ट ने रिलीज़ पर कोई भी आदेश देने से साफ़ इनकार कर दिया है। न्यायालय ने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में किसी भी प्रकार की स्वस्थ आलोचना को रोका नहीं जाना चाहिए। अदालत में फिल्म को रोकने के लिए एक जनहित याचिका दाखिल की गई थी।

रिपोर्ट के अनुसार, याचिका में दावा किया गया था कि फिल्म में सूबे की सीएम (ममता बनर्जी) को गलत तरह से पेश किया गया है। इस पर हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टी एस शिवज्ञानम और न्यायाधीश हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने अपने अंतरिम आदेश में कहा कि उसका इस याचिका पर विचार करने का कोई इरादा नहीं है। हालाँकि, इस दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से हाई कोर्ट में पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ने याचिका के समर्थन में विस्तृत दलीलें देने की इच्छा जताई, इसलिए मामले को तीन हफ्ते बाद सुनवाई के लिए लिस्ट किया गया है। हाई कोर्ट ने याचिका पर कहा कि हम एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में हैं और बायोपिक के माध्यम से किसी भी प्रकार की स्वस्थ आलोचना को नहीं रोका जाना चाहिए। हाई कोर्ट ने कहा कि, हम एक सहिष्णु समाज हैं, पश्चिम बंगाल शुरू से एक सहिष्णु समाज रहा है। इस पर याचिकाकर्ता के वकील ज्वॉय साहा ने हाई कोर्ट से कहा कि सनोज मिश्रा द्वारा निर्देशित ये फिल्म दो समुदायों के बीच विवाद को बढ़ावा देने का काम करती है।

हाई कोर्ट ने कहा कि किसी पुस्तक, फिल्म या नाटक पर बैन लगाने के आग्रह संबंधी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया हुआ है कि ये लोगों पर निर्भर है कि वे उन्हें देखेंगे या पढ़ेंगे या नहीं। अदालत ने जनहित याचिका दाखिल करने वाले व्यक्ति के अधिकार क्षेत्र पर भी सवाल खड़े किए और कहा कि यदि फिल्म में चित्रित किसी व्यक्ति को पीड़ा होती है, तो वह व्यक्ति कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है। इसके साथ ही अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता विवादित फिल्म की रिलीज के लिए सर्टिफिकेट कैंसिल करने का अनुरोध करते हुए केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) का रुख कर सकता है। CBFC का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने कोर्ट में कहा कि उसने फिल्म की रिलीज के लिए प्रमाणपत्र दे दिया है।

छत्रपति की प्रतिमा गिरने पर सिर झुकाकर माफ़ी मांगता हूँ..', महाराष्ट्र में बोले पीएम मोदी

महाराष्ट्र में छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा गिरने का मामला पिछले कुछ दिनों से चर्चा का विषय बना हुआ है। इस घटना को लेकर राज्य और केंद्र सरकार पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। आज शुक्रवार को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महाराष्ट्र के पालघर पहुंचे, तो उन्होंने इस घटना का जिक्र किया। मंच से संबोधन के दौरान उन्होंने हाथ जोड़कर सिर झुकाते हुए कहा, "छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा गिरने पर मैं सिर झुकाकर माफी मांगता हूं।"

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का महाराष्ट्र दौरा कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं के उद्घाटन और शिलान्यास के लिए था। पालघर में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने वाधवन बंदरगाह की आधारशिला रखी, जिसकी लागत 76,000 करोड़ रुपये है। इसके अलावा, उन्होंने 1,560 करोड़ रुपये की लागत से 218 मत्स्य पालन परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास भी किया। इस मौके पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और अजीत पवार, और केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल भी उपस्थित थे। इससे पहले, पीएम मोदी ने मुंबई में ग्लोबल फिनटेक फेस्ट 2024 को भी संबोधित किया, जिसमें उन्होंने डिजिटल फाइनेंस और तकनीकी विकास पर अपने विचार साझा किए। अपने संबोधन के दौरान, उन्होंने शिवाजी की प्रतिमा गिरने की घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि वह इस घटना को लेकर बेहद खेद प्रकट करते हैं और माफी मांगते हैं।

प्रधानमंत्री का यह कदम न केवल एक प्रतीकात्मक इशारा था, बल्कि यह उनके नेतृत्व की संवेदनशीलता को भी दर्शाता है। शिवाजी महाराज का महाराष्ट्र के साथ ही देशभर में अत्यधिक सम्मान है, और उनकी प्रतिमा से जुड़ी इस घटना ने लोगों के बीच आक्रोश पैदा किया था। पीएम मोदी का माफी मांगना, सरकार की ओर से इस घटना के प्रति गंभीरता और सम्मान को दर्शाता है। इस घटनाक्रम ने महाराष्ट्र की राजनीति में एक नई चर्चा छेड़ दी है, जहां लोग इस पर सरकार की प्रतिक्रिया और भविष्य के कदमों का इंतजार कर रहे हैं। प्रधानमंत्री के इस दौरे ने महाराष्ट्र की राजनीति और विकास कार्यों पर व्यापक प्रभाव डाला है। जबकि उनके संबोधन में शिवाजी की प्रतिमा के मामले का जिक्र एक भावनात्मक क्षण था, उनका दौरा राज्य में कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं की शुरुआत का भी प्रतीक है, जो महाराष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक विकास को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए तैयार हैं।

शरद पवार ने Z+ सुरक्षा लेने से किया इनकार, बोले, पहले वो जांच करेंगे कि उन्हें किस प्रकार का खतरा है ...

NCP प्रमुख शरद पवार ने गृह मंत्रालय द्वारा प्रदान की गई Z प्लस कैटेगरी की सुरक्षा लेने से इनकार कर दिया है। गृह मंत्रालय ने कुछ दिन पहले उन्हें Z प्लस सुरक्षा देने का फैसला लिया था, जिसमें CRPF के 58 कमांडो उनकी सुरक्षा में तैनात किए जाने थे। रिपोर्ट के अनुसार, शरद पवार ने कहा है कि वह पहले यह जांच करेंगे कि उनके खिलाफ किस तरह का खतरा है, और उसके पश्चात् ही सुरक्षा लेने पर विचार करेंगे। उन्होंने इस संबंध में गृह मंत्रालय के कुछ अफसरों से जानकारी भी मांगी है। 

फिलहाल, शरद पवार ने Z प्लस सुरक्षा लेने से इनकार कर दिया है, तथा इस मामले में उनकी अगली कार्रवाई पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। गौरतलब है कि शरद पवार ने पहले भी Z प्लस सुरक्षा को लेकर अपनी उदासीनता व्यक्त की थी। हाल ही में जब उन्हें यह सुरक्षा देने का निर्णय लिया गया था, पवार ने तब भी इस पर तंज कसा था। उन्होंने Z प्लस सुरक्षा को "जासूसी का जरिया" बताया था। पवार ने कहा था कि यह सुरक्षा उनके बारे में "प्रामाणिक जानकारी" प्राप्त करने का एक तरीका हो सकता है, क्योंकि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं। मीडिया द्वारा Z प्लस सुरक्षा प्राप्त होने पर पूछे गए सवाल पर शरद पवार ने कहा कि उन्हें इस कदम के पीछे की वजह नहीं मालूम है, हालांकि उन्होंने केंद्र सरकार के फैसले पर शक जरूर जाहिर किया था। 

 शरद पवार ने कहा, "गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने मुझे बताया कि सरकार ने तीन व्यक्तियों को Z प्लस सुरक्षा देने का फैसला किया है तथा मैं उनमें से एक हूं। मैंने पूछा कि अन्य दो कौन हैं, तो मुझे बताया गया कि RSS प्रमुख मोहन भागवत और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह हैं।" उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा था कि शायद चुनाव नजदीक आ रहे हैं, इसलिए यह उनके बारे में प्रामाणिक जानकारी प्राप्त करने का एक तरीका हो सकता है। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के सशस्त्र कर्मियों की एक टीम पवार की Z प्लस सुरक्षा का भाग होगी। आधिकारिक सूत्रों ने पहले बताया था कि केंद्रीय एजेंसियों द्वारा खतरे का आकलन किया गया था तथा पवार के लिए एक मजबूत सुरक्षा कवर की सिफारिश की थी।

मणिपुर हिंसा पर सीएम बीरेन सिंह का बड़ा बड़ान, बोले-6 महीने के भीतर होगी शांति, क्यों दूं इस्तीफा?

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मणिपुर जातीय हिंसा की आग में जल रहा है। हालांकि, धीरे-धीरे राज्य हिंसा से उबर रहा है। इस बीच मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने बड़ा बयान दिया है।मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने पद छोड़ने से इनकार करते हुए दावा किया कि राज्य की ‘रक्षा’ के उनके प्रयासों में लोग उनके साथ हैं, इसलिए उनके इस्तीफा देने का कोई सवाल ही नहीं है। साथ ही उन्होंने ये बी दावा किया है कि आने वाले 6 महीने के भीरत राज्य में पूरी तरह से शांति बहाल हो जाएगी। 

बीरेन सिंह ने बृहस्पतिवार को ‘पीटीआई वीडियो’ के साथ साक्षात्कार में सवाल किया, “मैं इस्तीफा क्यों दूं? क्या मैंने कुछ चुराया है? क्या मेरे खिलाफ किसी घोटाले का आरोप है? क्या मैंने राष्ट्र या राज्य के खिलाफ काम किया है?”

इंटरव्यू में एन बीरेन सिंह ने खुलासा किया कि उन्होंने कुकी-जो और मैतेई नेताओं से बातचीत करने के लिए एक दूत नियुक्त किया है। एन बीरेन सिंह ने कहा कि बातचीत से विवाद का हल हो सकता है। बातचीत ही एकमात्र रास्ता है। वहीं बातचीत के लिए सीएम एन बीरेन सिंह ने जिस दूत की नियुक्ति की है, वो नगा विधायक और हिल एरिया कमेटी के अध्यक्ष डिंगंगलुंग गंगमेई हैं।

यह पूछे जाने पर कि शांति बहाल करने के वास्ते उन्होंने स्वयं के लिए क्या समय-सीमा तय की है? इस पर सीएम ने संकेत दिया कि शांति लाने में बातचीत के साथ-साथ केंद्र सरकार की भागीदारी अहम होगी, चाहे वह गृह मंत्रालय के माध्यम से हो या अन्य एजेंसी के माध्यम से। सीएम ने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि यह (हिंसा) लंबे समय तक जारी रहेगी। शांति पांच-छह महीने में बहाल हो जानी चाहिए। यह हमारी उम्मीद है और मुझे पूरा भरोसा भी है।

नशाखोरी पर कार्रवाई को बताई हिंसा की वजह

सीएम ने इस पूरी हिंसा के बारे में बात करते हुए कहा कि इस संघर्ष की शुरुआत 2017-2022 में मुख्यमंत्री के रूप में उनके पहले कार्यकाल से जुड़ी है, जब उन्होंने पड़ोसी म्यांमार से आने वाले प्रवासियों एवं नशीले पदार्थों के अवैध व्यापार पर नकेल कसी थी। म्यांमार की सीमा इंफाल से केवल 100 किलोमीटर दूर है। उन्होंने कहा कि उनकी इस कार्रवाई से प्रभावित हुए लोगों ने कुकी-मेइती संघर्षों को भड़काकर उनकी सरकार और राज्य को अस्थिर करने की साजिश रची।

प्रधानमंत्री के मणिपुर न आने पर दी सफाई

पीएम मोदी के मणिपुर ना जाने के सवाल पर उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री के आने या नहीं आने को लोगों ने मुद्दा बना लिया है। प्रधानमंत्री भले ही न आए हों, लेकिन उन्होंने अपने गृह मंत्री को भेजा है और प्रधानमंत्री ने मणिपुर के बारे में कई बार बात की है, स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से भी (उन्होंने मणिपुर पर बात की) और यहां सुरक्षा, वित्तीय मदद आदि के मामले में जो कुछ भी किया जा रहा है, वह उनके नेतृत्व में ही हो रहा है। जटिल परिस्थिति में प्रधानमंत्री का आना जरूरी नहीं था।

मई 2023 से जारी है हिंसा

बता दें कि मई 2023 से मणिपुर में जातीय हिंसा चल रही है। कुकी-जो और मैतेई जातीय समूहों के बीच संघर्ष में अब तक 226 लोग मारे जा चुके हैं। कुकी मुख्य रूप से पहाड़ी इलाकों में रहने वाली ईसाई जनजातियां हैं, जबकि मेइती मैदानी इलाकों और घाटियों में रहने वाले हिंदू हैं। मणिपुर में मैतई बहुल इंफाल में हालात सामान्य हैं और सड़कों पर अच्छी खासी चहल-पहल है। वहीं पहाड़ी इलाकों में, जो कुकी बहुल हैं, वहां तनाव बरकरार है और कुकी लोगों को छोड़कर वहां अन्य सभी को वर्जित कर दिया गया है।

पाकिस्तान संग बातचीत का दौर खत्म, SCO समिट के लिए पीएम मोदी को दिए न्योते पर बोले एस जयशंकर

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पाकिस्तान में 15 और 16 अक्टूबर को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) सम्मेलन होने जा रहा है। इस्लामाबाद में आयोजित होने वाले इस सम्मेलन के लिए पड़ोसी देश ने भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी निमंत्रण भेजा है। इस बीच सवाल किए जा रहे हैं कि क्या प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पाकिस्तान जाएंगे। इस बीच विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पाकिस्तान को लेकर बड़ा बयान दिया है। पाकिस्तान के साथ बातचीत और उसके साथ रिश्ते पर विदेश मंत्री ने कहा कि पड़ोसी देश के साथ बातचीत का दौर खत्म हो चुका है, उसके साथ कैसे रिश्तों की कल्पना करें।राजधानी दिल्ली में एक पुस्तक विमोचन समारोह के दौरान विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ये बयान दिया है।

विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने दिल्ली में एक पुस्तक विमोचन समारोह में भाग लिया। दिल्ली में राजदूत राजीव सीकरी की किताब 'स्ट्रेटेजिक कॉनड्रम्स: रीशेपिंग इंडियाज फॉरेन पॉलिसी' के विमोचन के मौके पर उन्होंने पाकिस्तान, बांग्लादेश और मालदीव से जुड़े मुद्दे पर बात की। उन्होंने कहा कि पड़ोसी हमेशा एक पहेली होते हैं। मुझे बताइए कि ऐसा कौन सा देश है जिसकी पड़ोसियों के साथ चुनौतियां नहीं हैं।पूरी दुनिया को अगर ध्यान से देखा जाए तो ऐसा कोई देश नहीं है, जिसकी पड़ोसी के साथ समस्याएं नहीं हैं। हर देश की उसके पड़ोसी के साथ कुछ न कुछ समस्याएं जरूर सामने आएंगी।

इसके साथ ही उन्होंने पाकिस्तान को भी खरी-खरी सुनाईं। पाकिस्तान पर विदेश मंत्री ने कहा, मुझे लगता है कि पाकिस्तान के साथ बिना बाधा बातचीत का युग खत्म हो गया है अब कार्रवाई के साथ परिणाम भी, जहां तक जम्मू-कश्मीर का सवाल है, आर्टिकल 370 खत्म हो चुका है। मैं जो कहना चाहता हूं कि हम निष्क्रिय नहीं हैं। घटनाएं चाहे पॉजिटिव मोड़ लें या नेगेटिव, हम प्रतिक्रिया देंगे।

इससे पहले भी विदेश मंत्री ने बातचीत के मसले पर मई में सीआईआई की एक बैठक में कहा था कि पहले उनको सीमा पार से आतंकवाद का समर्थन देना बंद करना होगा। जाहिर है कि भारत-पाकिस्तान संबंधों को लेकर एस. जयशंकर का रुख साफ है। उन्होंने बार-बार इस बात पर जोर दिया है कि आतंकवाद के खिलाफ भारत की नीति जीरो टॉलरेंस वाली रही है। उन्होंने ये भी कहा कि पाकिस्तान अपनी इस छवि में पहले सुधार लाए। पहले उन्हें अपना मन बनाना होगा।

बता दें, इस्लामाबाद में अक्तूबर में आयोजित होने वाली शंघाई सहयोग संगठन की बैठक के लिए पाकिस्तान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आमंत्रित किया है। एक स्थानीय समाचार पत्र के अनुसार, विदेश कार्यालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलूच ने साप्ताहिक प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि 15-16 अक्टूबर को होने वाली बैठक में भाग लेने के लिए देशों के प्रमुखों को निमंत्रण भेजा गया है। समें एक निमंत्रण भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी भेजा गया है।

महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग में शिवाजी महाराज की मूर्ति ढहने के मामले में पहली गिरफ्तारी

पुलिस ने शुक्रवार को कहा कि महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले में छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति के ढहने से संबंधित एफआईआर में नामित संरचनात्मक सलाहकार चेतन पाटिल को कोल्हापुर में गिरफ्तार किया गया था।

कोल्हापुर के पुलिस अधीक्षक महेंद्र पंडित ने कहा, उसे गुरुवार देर रात गिरफ्तार कर लिया गया और आगे की जांच के लिए सिंधुदुर्ग पुलिस को सौंप दिया गया।

कोल्हापुर के निवासी पाटिल ने बुधवार को दावा किया था कि वह मूर्ति के लिए संरचनात्मक सलाहकार नहीं थे। मराठी समाचार चैनल एबीपी माझा के साथ एक साक्षात्कार में, कलाकार जयदीप आप्टे के साथ एफआईआर में नामित पाटिल ने बताया कि उन्होंने राज्य के लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के माध्यम से भारतीय नौसेना को मंच का डिजाइन प्रस्तुत किया था, लेकिन मूर्ति के निर्माण में शामिल नहीं थे।

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ठाणे स्थित एक कंपनी ने मूर्ति से संबंधित कार्य संभाला, जबकि उसकी भूमिका मंच तक ही सीमित थी। पिछले साल नौसेना दिवस (4 दिसंबर) पर सिंधुदुर्ग की मालवन तहसील के राजकोट किले में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अनावरण की गई 17वीं सदी के मराठा योद्धा राजा की 35 फुट की प्रतिमा सोमवार को दोपहर 1 बजे के आसपास ढह गई।

पुलिस ने बताया कि मामले में एक ठेकेदार को भी गिरफ्तार किया गया है। इस घटना से एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली राज्य सरकार को शर्मिंदगी उठानी पड़ी और विपक्षी दलों ने आलोचना और विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। शिंदे ने कहा कि प्रतिमा का डिजाइन और निर्माण भारतीय नौसेना द्वारा किया गया था।

राज्य कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले ने गुरुवार को दावा किया कि मूर्ति बनाने वाला मूर्तिकार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का करीबी था। उनकी यह टिप्पणी राज्य के सांस्कृतिक मामलों के मंत्री सुधीर मुनगंटीवार के उस बयान के बाद आई है जिसमें उन्होंने कहा था कि मूर्तिकार कांग्रेस नेता राहुल गांधी के करीबी थे।

विपक्ष के मुताबिक, यह घटना 17वीं सदी के मराठा सम्राट की "विरासत का अपमान" है। कांग्रेस ने यह भी पूछा कि क्या मोदी इस घटना के लिए माफी मांगेंगे।

इस बीच, अजित पवार के नेतृत्व वाली राकांपा ने गुरुवार को पुणे और पश्चिमी महाराष्ट्र के अन्य हिस्सों में मौन विरोध प्रदर्शन किया और प्रतिमा के ढहने के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। भारतीय नौसेना ने कहा कि उसने राज्य सरकार के साथ समन्वय में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा स्थापित करने की परियोजना की संकल्पना और निर्देशन किया, जो इस सप्ताह महाराष्ट्र के मालवन में ढह गई थी, जिसने इसके लिए धन भी उपलब्ध कराया था।

भारत का परमाणु त्रय हिंद-प्रशांत पर बना रहा है दबदबा, चीन को दे रहा है टक्कर

अपने दो कार्यकालों के दौरान दो परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियों को चालू करके, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने "भारत प्रथम" नीति के प्रति प्रतिबद्धता दिखाई है, जो भारत के दूसरे हमले की क्षमता के साथ 'विश्वसनीय, न्यूनतम' और स्वदेशी परमाणु निवारक प्राप्त करने के घोषित उद्देश्य के अनुरूप है।

पहली बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी एसएसबीएन आईएनएस अरिहंत को लॉन्च होने के नौ साल बाद 2018 में कमीशन किया गया था, दूसरी आईएनएस अरिघाट को लॉन्च होने के सात साल बाद 29 अगस्त, 2024 को कमीशन किया गया था और तीसरी आईएनएस अरिदमन को अगले साल के भीतर कमीशन किया जाएगा। इस बीच, भारत के पहले बैलिस्टिक मिसाइल ट्रैकर जहाज आईएनएस ध्रुव को 10 सितंबर, 2021 को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल द्वारा कमीशन किया गया था।

जबकि एसएसबीएन भारत की परमाणु त्रय की घोषित नीति का हिस्सा है, दो बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियां भारत को क्षितिज मिसाइल क्षमताओं के साथ एक प्रमुख नीले पानी की नौसेना के रूप में पेश करती हैं। यह न केवल इंडो-पैसिफिक में भारत की पहुंच से इनकार करने की क्षमताओं को मजबूत करता है, बल्कि उस खतरे के मूल स्रोत से भारत की भूमि और समुद्र तट पर किसी भी खतरे को भी रोकता है।

आज दो विमान वाहक और दो एसएसबीएन के साथ, भारत विध्वंसक, फ्रिगेट और डीजल हमलावर पनडुब्बियों के एक शक्तिशाली बेड़े के साथ हिंद महासागर क्षेत्र पर हावी है। यह पड़ोस में भारतीय विरोधियों के लिए भी एक संदेश है कि किसी भी आक्रामकता का बड़ी ताकत से सामना किया जाएगा।

मोदी सरकार के राष्ट्रीय सुरक्षा योजनाकार एक बड़े सतह मंच की तुलना में उप-सतह निवारक के पक्ष में हैं, यह इस बात से काफी स्पष्ट है कि नौसेना दो परमाणु ऊर्जा संचालित पारंपरिक रूप से सशस्त्र पनडुब्बियों और उन्नत के साथ तीन अतिरिक्त कलवरी श्रेणी की डीजल हमलावर पनडुब्बियों के निर्माण को प्राथमिकता दे रही है।

अपनी स्वदेशी क्षमताओं का निर्माण करते हुए, सरकार चीनी पीएलए नौसेना पर भी नजर रख रही है, जिसके पास वर्तमान समय में कार निकोबार के दक्षिण से श्रीलंका के पूर्व तक तीन वैज्ञानिक सर्वेक्षण जहाज हैं जो भविष्य में पनडुब्बी संचालन के लिए हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण कर रहे हैं। एक विध्वंसक और दो लैंडिंग जहाजों सहित पीएलए एंटी-पाइरेसी टास्क फोर्स ने कोलंबो गहरे समुद्री बंदरगाह पर एक परिचालन मोड़ पूरा कर लिया है।

चीन पहले से ही अंतरिक्ष से पनडुब्बी प्रौद्योगिकियों पर नज़र रखने वाले उपग्रहों पर काम कर रहा है, ऐसा प्रतीत होता है कि मोदी सरकार ऐतिहासिक और पारंपरिक भूमि आधारित सिद्धांत से समुद्र आधारित सैन्य सिद्धांत पर ध्यान केंद्रित कर रही है।