मणिपुर हिंसा पर सीएम बीरेन सिंह का बड़ा बड़ान, बोले-6 महीने के भीतर होगी शांति, क्यों दूं इस्तीफा?
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मणिपुर जातीय हिंसा की आग में जल रहा है। हालांकि, धीरे-धीरे राज्य हिंसा से उबर रहा है। इस बीच मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने बड़ा बयान दिया है।मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने पद छोड़ने से इनकार करते हुए दावा किया कि राज्य की ‘रक्षा’ के उनके प्रयासों में लोग उनके साथ हैं, इसलिए उनके इस्तीफा देने का कोई सवाल ही नहीं है। साथ ही उन्होंने ये बी दावा किया है कि आने वाले 6 महीने के भीरत राज्य में पूरी तरह से शांति बहाल हो जाएगी।
बीरेन सिंह ने बृहस्पतिवार को ‘पीटीआई वीडियो’ के साथ साक्षात्कार में सवाल किया, “मैं इस्तीफा क्यों दूं? क्या मैंने कुछ चुराया है? क्या मेरे खिलाफ किसी घोटाले का आरोप है? क्या मैंने राष्ट्र या राज्य के खिलाफ काम किया है?”
इंटरव्यू में एन बीरेन सिंह ने खुलासा किया कि उन्होंने कुकी-जो और मैतेई नेताओं से बातचीत करने के लिए एक दूत नियुक्त किया है। एन बीरेन सिंह ने कहा कि बातचीत से विवाद का हल हो सकता है। बातचीत ही एकमात्र रास्ता है। वहीं बातचीत के लिए सीएम एन बीरेन सिंह ने जिस दूत की नियुक्ति की है, वो नगा विधायक और हिल एरिया कमेटी के अध्यक्ष डिंगंगलुंग गंगमेई हैं।
यह पूछे जाने पर कि शांति बहाल करने के वास्ते उन्होंने स्वयं के लिए क्या समय-सीमा तय की है? इस पर सीएम ने संकेत दिया कि शांति लाने में बातचीत के साथ-साथ केंद्र सरकार की भागीदारी अहम होगी, चाहे वह गृह मंत्रालय के माध्यम से हो या अन्य एजेंसी के माध्यम से। सीएम ने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि यह (हिंसा) लंबे समय तक जारी रहेगी। शांति पांच-छह महीने में बहाल हो जानी चाहिए। यह हमारी उम्मीद है और मुझे पूरा भरोसा भी है।
नशाखोरी पर कार्रवाई को बताई हिंसा की वजह
सीएम ने इस पूरी हिंसा के बारे में बात करते हुए कहा कि इस संघर्ष की शुरुआत 2017-2022 में मुख्यमंत्री के रूप में उनके पहले कार्यकाल से जुड़ी है, जब उन्होंने पड़ोसी म्यांमार से आने वाले प्रवासियों एवं नशीले पदार्थों के अवैध व्यापार पर नकेल कसी थी। म्यांमार की सीमा इंफाल से केवल 100 किलोमीटर दूर है। उन्होंने कहा कि उनकी इस कार्रवाई से प्रभावित हुए लोगों ने कुकी-मेइती संघर्षों को भड़काकर उनकी सरकार और राज्य को अस्थिर करने की साजिश रची।
प्रधानमंत्री के मणिपुर न आने पर दी सफाई
पीएम मोदी के मणिपुर ना जाने के सवाल पर उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री के आने या नहीं आने को लोगों ने मुद्दा बना लिया है। प्रधानमंत्री भले ही न आए हों, लेकिन उन्होंने अपने गृह मंत्री को भेजा है और प्रधानमंत्री ने मणिपुर के बारे में कई बार बात की है, स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से भी (उन्होंने मणिपुर पर बात की) और यहां सुरक्षा, वित्तीय मदद आदि के मामले में जो कुछ भी किया जा रहा है, वह उनके नेतृत्व में ही हो रहा है। जटिल परिस्थिति में प्रधानमंत्री का आना जरूरी नहीं था।
मई 2023 से जारी है हिंसा
बता दें कि मई 2023 से मणिपुर में जातीय हिंसा चल रही है। कुकी-जो और मैतेई जातीय समूहों के बीच संघर्ष में अब तक 226 लोग मारे जा चुके हैं। कुकी मुख्य रूप से पहाड़ी इलाकों में रहने वाली ईसाई जनजातियां हैं, जबकि मेइती मैदानी इलाकों और घाटियों में रहने वाले हिंदू हैं। मणिपुर में मैतई बहुल इंफाल में हालात सामान्य हैं और सड़कों पर अच्छी खासी चहल-पहल है। वहीं पहाड़ी इलाकों में, जो कुकी बहुल हैं, वहां तनाव बरकरार है और कुकी लोगों को छोड़कर वहां अन्य सभी को वर्जित कर दिया गया है।
Aug 30 2024, 16:18