समुद्र में बढ़ी हलचलः श्रीलंका में भारत ने एक तो चीन ने तीन युद्धपोत किए तैनात

#indiachinawarship_colombo

हिंद महासागर एक ऐसा क्षेत्र बन गया है जहां चीन और भारत अपना-अपना दबदबा कायम करना चाहते हैं। इस बीच एक हैरान कर देने वाली घटना घटी है। भारतीय नौसेना का पोत आईएनएस मुंबई श्रीलंका की तीन दिवसीय यात्रा पर सोमवार को कोलंबो बंदरगाह पहुंचा। संयोग से चीनी नौसेना के तीन युद्धपोत भी आज कोलंबो बंदरगाह पहुंचे।यानी श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में एक ही दिन भारत और चीन के 4 वॉरशिप पहुंचे। जिसने हलचल पैदा कर दी है।

श्रीलंका नौसेना ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि भारतीय नौसेना का जहाज 'मुंबई' श्रीलंका की तीन दिवसीय यात्रा पर है। इस बीच, श्रीलंका नौसेना ने कहा कि चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की नौसेना के तीन युद्धपोत हे फेई, वुझिशान और किलियानशान भी सोमवार सुबह औपचारिक यात्रा पर कोलंबो बंदरगाह पहुंचे।

क्यों दोनों देश के युद्धपोत कोलंबो पहुंचे हैं

बता दें कि कोलंबो में श्रीलंका ने आईएन मुंबई का स्वागत किया, जिसकी कमान कैप्टन संदीप कुमार के हाथों में है और जिसमें 410 नाविकों का दल है। साथ ही कोलंबों ने चीनी युद्धपोतों का भी स्वागत किया। हे फेई 144.50 मीटर लंबा युद्धपोत है, जिस पर चालक दल के 267 सदस्य सवार हैं, जबकि वुझिशान 210 मीटर लंबा युद्धपोत है, जिस पर चालक दल के 872 सदस्य हैं वहीं किलियानशान 210 मीटर लंबा युद्धपोत है, जिसमें चालक दल के 334 सदस्य सवार हैं। आईएनएस मुंबई और चीनी युद्धपोतों को श्रीलंकाई युद्धपोतों के साथ अलग-अलग “पैसेज अभ्यास” करने का कार्यक्रम है, जो 29 अगस्त को ही होगा।

विज्ञप्ति के अनुसार आईएनएस मुंबई श्रीलंकाई नौसेना के साथ संयुक्त गतिविधियों जैसे खेल, योग और तटीय क्षेत्र की सफाई आदि में भी शामिल होगा। आईएनएस मुंबई 29 अगस्त को कोलंबो तट पर श्रीलंका नौसेना के एक जहाज के साथ 'पैसेज एक्सरसाइज' में भी भाग लेगा।

श्रीलंकाई द्वीप पर चीनी जहाज के रुकने को लेकर चिंतित भारत

द हिन्दू बिजनेसलाइन के मुताबिक दोनों देशों के वॉरशिप का एक ही दिन कोलंबो पोर्ट पर आना काफी अनोखा है। दरअसल भारत लंबे समय से श्रीलंकाई द्वीप पर चीनी जहाज के रुकने को लेकर चिंता जताता रहा है। पिछले साल भारत ने कहा था कि चीन अपने रिसर्च वैसल्स के जरिए भारत की जासूसी करने की कोशिश कर रहा है। इसके बाद श्रीलंका ने सितंबर 2023 में चीन के जहाजों को अपने देश में रुकने की इजाजत देने से इनकार कर दिया था। हालांकि कुछ महीने पहले श्रीलंका ने ये रोक हटा दी थी।

रिसर्च शिप के नाम पर चीन करता है जासूसी!

चीन के पास कई जासूसी जहाज हैं। वो भले ही कहता हो कि वो इन शिप का इस्तेमाल रिसर्च के लिए करता है, लेकिन इनमें पावरफुल मिलिट्री सर्विलांस सिस्टम होते हैं। जासूसी जहाजों को चीन की सेना ऑपरेट करती हैचीनी जासूसी जहाज पूरे प्रशांत, अटलांटिक और हिंद महासागर में काम करने में सक्षम हैं। मालदीव और श्रीलंकाई बंदरगाह पर पहुंचने वाले चीनी जहाजों की जद में आंध्रप्रदेश, केरल और तमिलनाडु के कई समुद्री तट आ जाते हैं।

अमेरिकी रक्षा विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, इस शिप को चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी यानी पीएलए की स्ट्रैटेजिक सपोर्ट फोर्स यानी एसएसएफ ऑपरेट करती है। एसएसएफ थिएटर कमांड लेवल का ऑर्गेनाइजेशन है। यह पीएलए को स्पेस, साइबर, इलेक्ट्रॉनिक, इन्फॉर्मेशन, कम्युनिकेशन और साइकोलॉजिकल वारफेयर मिशन में मदद करती है।

चीन के जासूसी जहाज पावरफुल ट्रैकिंग शिप हैं। शिप में हाईटेक ईव्सड्रॉपिंग इक्विपमेंट (छिपकर सुनने वाले उपकरण) लगे हैं। इससे यह 1,000 किमी दूर हो रही बातचीत को सुन सकता है। मिसाइल ट्रैकिंग शिप में रडार और एंटीना से बना इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम लगा होता है। ये सिस्टम अपनी रेंज में आने वाली मिसाइल को ट्रैक कर लेता है और उसकी जानकारी एयर डिफेंस सिस्टम को भेज देता है। यानी, एयर डिफेंस सिस्टम की रेंज में आने से पहले ही मिसाइल की जानकारी मिल जाती है और हमले को नाकाम किया जा सकता है।

क्या है नबन्ना अभियान? बनी ममता के लिए 'गले की फांस'

#what_is_nabanna_abhijan_kolkata 

पश्चिम बंगाल में छात्र समाज के नबन्ना मार्च को लेकर बवाल मचा हुआ है। आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में जूनियर डॉक्टर के साथ हुई अत्याचार को लेकर आज प्रदेश सचिवालय यानी नबन्ना भवन के आस पास नबन्ना अभियान का आयोजन किया गया है। पश्चिम बंगाल छात्र समाज नामक संगठन के बैनर तले यह मार्च बुलाया गया है। ममता सरकार के खिलाफ छात्रों के इस प्रदर्शन को बीजेपी का साथ मिला है।

मार्च को रोकने के लिए सरकार तैयार

आज होने वाले इस मार्च को रोकने के लिए सरकार ने पूरी तैयारी कर ली है। प्रदर्शन को देखते हुए शहर में 4,500-5,000 पुलिस कर्मियों की तैनाती रहेगी। आइजी व डीआइजी रैंक के 21 पुलिस अधिकारियों को सुरक्षा का विशेष जिम्मा सौंपा गया है।ड्रोन, वाटर कैनन, और आंसू गैस के गोले तक तैनात किए गए हैं। 

टीएमसी सरकार को है साजिश की आशंका

छात्र समाज कुछ दिन पहले ही सोशल मीडिया पर उभरा एक संगठन है। ममता सरकार ने इस मार्च को अवैध करार देते हुए कहा है कि उसे शरारती तत्वों द्वारा अशांति फैलाने की खुफिया जानकारी मिली है। तृणमूल कांग्रेस ने रैली को सड़कों पर अराजकता पैदा करने की साजिश करार देते हुए पश्चिम मेदिनीपुर जिले के घाटल के भाजपा नेताओं के कुछ वीडियो जारी किए, जो रैली में कथित तौर पर हिंसा भड़काने की योजना बना रहे थे। पुलिस ने दोनों नेताओं को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया।

ट्रैफिक पुलिस ने जारी की एडवायजरी

आरजी कर हॉस्पिटल में ट्रेनी डॉक्टर से रेप के विरोध में प्रस्तावित नबन्ना अभिजन रैली को देखते हुए कोलकाता पुलिस ने ट्रैफिक एडवायजरी जारी की है। शहर को विभिन्न क्षेत्रों से जोड़ने वाले कई रूटों के लिए डायवर्जन किया है। एनएच 16 के साथ कोलाघाट की ओर से आने वाले वाहन दूसरे हुगली ब्रिज और कोलकाता की ओर जाने के लिए निबरा से निबेदिता ब्रिज से जाएं। दानकुनी की ओर से आने वाले वाहन हुगली ब्रिज पर जाने के लिए निबेदिता ब्रिज से ही जाएं। हावड़ा रेलवे स्टेशन से कोलकाता जाने वाले वाहन जीटी रोड के माध्यम से जाएं। निबरा और द्वितीय हुगली ब्रिज के बीच कोना एक्सप्रेसवे, आलमपुर और लक्ष्मी नारायणतला मोड़ के बीच अंदुल रोड, मल्लिक फाटक और बेतियाताला के बीच जीटी रोड, मंदिरतला और द्वितीय हुगली ब्रिज के बीच, काजीपारा और द्वितीय हुगली ब्रिज के बीच, फोरशोर रोड - काजीपारा से रामकृष्णपुर क्रॉसिंग सहित कई मार्गों पर वाहनों की आवाजाही बंद कर दिया गया है। हावड़ा रेलवे स्टेशन से ग्रैंड फोरशोर रोड, एचएम बोस रोड, एचआईटी ब्रिज से आरबी सेतु और एमबी रोड से एनएस रोड-मल्लिक फाटक भी रास्ता बंद है।

आखिर नबन्ना अभिजान है क्या?

बता दें कि पहले बंगाल का सचिवालय रायटर्स बिल्डिंग में हुआ करता था। लेकिन जब 2011 में ममता बनर्जी सरकार में आई तो उन्होंने हावड़ा में हुबली नदी के किनारे बिल्डिंग को सचिवालय बनाया और उसे नबान्न नाम दिया। नब से मतलब है नया। बीजेपी ने ममता सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ अपने अभियान को नबान्न चलो अभियान नाम दिया था। इसके बाद वामपंथी छात्र संगठनों ने भी नबन्ना अभियान चलाया था।

बीजेपी सांसद कंगना रनौत के बयान पर सियासत गर्म, जानें ऐसा क्या कहा कि बीजेपी ने भी कर लिया किनारा

#kangana_ranaut_on_farmers_farmers_protest 

भाजपा सांसद और बॉलीवुड एक्ट्रैस कंगना रनौत के बयान पर सियासत गरमा गई है। विपक्ष कंगना के बयान पर हमलावर है। अभिनेता से नेता बनी कंगना के किसानों पर बयान से बीजेपी ने किनारा कर लिया है। बीजेपी की हिदायत के बाद भी विपक्ष के हमले कम नहीं हुए हैं। कांग्रेस का कहना है कि या तो पार्टी माफी मांगे या कंगना किसानों से हाथ जोड़कर माफी मांगें।

भाजपा की किसान विरोधी नीति और नीयत का सबूत-राहुल गांधी

कंगना के बयान पर विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने सोमवार को कहा- भाजपा सांसद द्वारा किसानों को बलात्कारी और विदेशी ताकतों का नुमाइंदा कहना भाजपा की किसान विरोधी नीति और नीयत का सबूत है। अन्नदाताओं के मान-सम्मान पर हमला करने से किसानों से किया गया मोदी सरकार का धोखा छिप नहीं सकता।

बयान से बीजेपी का किनारा

इससे पहले, कंगना के किसानों पर बयान से बीजेपी ने किनारा कर लिया है। सोमवार को पार्टी ने लिखित स्टेटमेंट जारी कर बताया, कंगना बयान देने के लिए पार्टी की ओर से अधिकृत नहीं हैं।साथ ही उन्हें भविष्य में ऐसे कमेंट न करने की सख्त हिदायत दी है। पार्टी ने एक लिखित स्टेटमेंट जारी किया है। इसमें लिखा है, ‘भाजपा सांसद कंगना रनौत द्वारा किसान आंदोलन के परिप्रेक्ष्य में दिया गया बयान, पार्टी का मत नहीं है। भाजपा कंगना रनौत के बयान से असहमति व्यक्त करती है। पार्टी की ओर से, पार्टी के नीतिगत विषयों पर बोलने के लिए कंगना रनौत को न तो अनुमति है और न ही वे बयान देने के लिए अधिकृत हैं।’

बीजेपी ने कंगना को हिदायत देते हुए कहा, ‘वे इस प्रकार के कोई बयान भविष्य में न दें।’ पार्टी ने कहा, ‘भाजपा ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ तथा सामाजिक समरसता के सिद्धांतों पर चलने के लिए कृतसंकल्पित है।’

कंगना ने क्या कहा?

कंगना ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा, ‘किसान आंदोलन के नाम पर बांग्लादेश जैसी अराजकता भारत में भी हो सकती थी। बाहरी ताकतें अंदरूनी लोगों की मदद से हमें बर्बाद करने की योजना बना रही थी। अगर हमारे नेतृत्व की दूरदर्शिता नहीं होती तो वे सफल हो जाते। पंजाब में किसान आंदोलन के नाम पर उपद्रवी हिंसा फैला रहे थे और वहां बलात्कार तथा हत्याएं हो रही थीं।’

पीएम मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से की बात, यूक्रेन-बांग्लादेश समेत कई मुद्दों पर हुई चर्चा

#pm_narendra_modi_speaks_to_us_president_joe_biden 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हाल ही में यूक्रेन के दौरे पर थे। अपनी सात घंटे की यूक्रेन की यात्रा के दौरान पीएम मोदी ने यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से कहा था कि यूक्रेन और रूस को युद्ध को समाप्त करने के लिए एक साथ बैठना चाहिए। भारत शांति बहाल करने में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए तैयार है। अब अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने यूक्रेन के लिए पीएम मोदी के शांति और मानवीय सहायता के संदेश के लिए उनकी सराहना की।

दरअसल, सोमवार को अमेर‍िका के राष्‍ट्रपत‍ि जो बाइडन का पीएम मोदी को कॉल आया। दोनों नेताओं ने द्व‍िपक्षीय संबंधों पर लंबी चर्चा की। साथ ही पीएम मोदी और अमेर‍िकी राष्‍ट्रपत‍ि के बीच रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर भी बातचीत हुई है।

बातचीत के बाद पीएम मोदी ने एक्‍स पर लिखा, आज अमेर‍िकी राष्‍ट्रपत‍ि जो बाइडन से फोन पर बात की। हमने यूक्रेन की स्थिति सहित विभिन्न क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर विस्तृत विचार-विमर्श किया। मैंने शांति और स्थिरता की शीघ्र वापसी के लिए भारत के पूर्ण समर्थन को दोहराया। 

पीएम मोदी और बाइडेन ने बांग्लादेश की स्थिति और वहां बंगाली हिंदू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर भी चर्चा की।इसमें वहां कानून-व्यवस्था की बहाली और अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने पर जोर दिया। क्वाड सहित बहुपक्षीय सहयोग को और मजबूत करने की प्रतिबद्धता दोहराई।

बता दें कि मोदी पिछले हफ्ते 23 अगस्त को यूक्रेन के दौरे पर थे। इस दौरान राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की के साथ बैठक में मोदी ने कहा था, भारत हमेशा से शांति के पक्ष में रहा है। मैं कुछ दिन पहले रूस के राष्ट्रपति पुतिन से मिला था। तब मैंने कहा था कि यह युद्ध का समय नहीं है।

मोदी और जेलेंस्की के बीच यूक्रेन के मैरिंस्की पैलेस में करीब 3 घंटे बैठक हुई थी। उन्होंने जेलेंस्की को भारत आने का न्योता दिया। मोदी जेलेंस्की के साथ यूक्रेन नेशनल म्यूजियम भी गए, जहां उन्होंने जंग में मारे गए बच्चों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने बच्चों के मेमोरियल पर डॉल भी रखी।

पीएम मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से की बात, यूक्रेन-बांग्लादेश समेत कई मुद्दों पर हुई चर्चा

#pm_narendra_modi_speaks_to_us_president_joe_biden

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हाल ही में यूक्रेन के दौरे पर थे। अपनी सात घंटे की यूक्रेन की यात्रा के दौरान पीएम मोदी ने यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से कहा था कि यूक्रेन और रूस को युद्ध को समाप्त करने के लिए एक साथ बैठना चाहिए। भारत शांति बहाल करने में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए तैयार है। अब अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने यूक्रेन के लिए पीएम मोदी के शांति और मानवीय सहायता के संदेश के लिए उनकी सराहना की।

दरअसल, सोमवार को अमेर‍िका के राष्‍ट्रपत‍ि जो बाइडन का पीएम मोदी को कॉल आया। दोनों नेताओं ने द्व‍िपक्षीय संबंधों पर लंबी चर्चा की। साथ ही पीएम मोदी और अमेर‍िकी राष्‍ट्रपत‍ि के बीच रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर भी बातचीत हुई है।

बातचीत के बाद पीएम मोदी ने एक्‍स पर लिखा, आज अमेर‍िकी राष्‍ट्रपत‍ि जो बाइडन से फोन पर बात की। हमने यूक्रेन की स्थिति सहित विभिन्न क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर विस्तृत विचार-विमर्श किया। मैंने शांति और स्थिरता की शीघ्र वापसी के लिए भारत के पूर्ण समर्थन को दोहराया।

पीएम मोदी और बाइडेन ने बांग्लादेश की स्थिति और वहां बंगाली हिंदू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर भी चर्चा की।इसमें वहां कानून-व्यवस्था की बहाली और अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने पर जोर दिया। क्वाड सहित बहुपक्षीय सहयोग को और मजबूत करने की प्रतिबद्धता दोहराई।

बता दें कि मोदी पिछले हफ्ते 23 अगस्त को यूक्रेन के दौरे पर थे। इस दौरान राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की के साथ बैठक में मोदी ने कहा था, भारत हमेशा से शांति के पक्ष में रहा है। मैं कुछ दिन पहले रूस के राष्ट्रपति पुतिन से मिला था। तब मैंने कहा था कि यह युद्ध का समय नहीं है।

मोदी और जेलेंस्की के बीच यूक्रेन के मैरिंस्की पैलेस में करीब 3 घंटे बैठक हुई थी। उन्होंने जेलेंस्की को भारत आने का न्योता दिया। मोदी जेलेंस्की के साथ यूक्रेन नेशनल म्यूजियम भी गए, जहां उन्होंने जंग में मारे गए बच्चों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने बच्चों के मेमोरियल पर डॉल भी रखी।

जम्मू-कश्मीर चुनाव: कांग्रेस और एनसी में 83 सीटों पर बनी बात, 5 सीटों पर फ्रेंडली फाइट

#seat_sharing_finalised_between_congress_and_nc_in_jammu_and_kashmir 

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस के बीच लंबी बातचीत के बाद सीटों के बंटवारे को लेकर सहमति बन गई। केंद्र शासित प्रदेश की 90 सीटों में से 51 पर नेशनल कॉन्फ्रेंस और 32 सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ेगी। 5 सीटों पर फ्रेंडली फाइट होगी। इसके अलावा दोनों पार्टियों के गठबंधन में शामिल मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और जम्मू-कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी को एक-एक सीट दी गई है। 

नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला के घर दिनभर चली बातचीत के बाद आयोजित संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में यह घोषणा की गई। दोनों दलों के नेताओं ने कहा कि सीट-बंटवारे के फॉर्मूले के अनुसार नेशनल कांफ्रेंस 51, जबकि कांग्रेस 32 सीट पर चुनाव लड़ेगी। उन्होंने यह भी कहा कि पांच सीट पर दोनों के बीच दोस्ताना मुकाबला होगा। कांग्रेस की जम्मू-कश्मीर इकाई के अध्यक्ष तारिक हामिद कर्रा ने कहा कि मुकाबला सौहार्दपूर्ण एवं अनुशासित तरीके से होगा।

सहमति के बाद नेकां ने 18 उम्मीदवारों की सूची का एलान कर दिया है। पिछले कुछ समय से सीटों के बंटवारे पर फंसे पेंच को सुलझाने के लिए दोनों दलों के बीच बैठक का पहला दौर दोपहर करीब 12:30 बजे शुरू हुआ। शाम 3 बजे तक कोई भी रास्ता नहीं निकला। इसके बाद दूसरी बैठक का समय चार बजे का दिया गया पर चार बजे के बाद जब कांग्रेस का कोई शीर्ष नेता फारूक के आवास पर नहीं पहुंचा तो गठबंधन होने या टूटने के बारे में अटकलों का बाजार गर्म होने लगा। करीब शाम 6:30 बजे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता केसी वेणुगोपाल, सलमान खुर्शीद, पवन खेड़ा और भारत सोलंकी फारूक के आवास पर पहुंचे और करीब एक घंटे की बैठक के बाद सहमति बन गई।

बता दें कि जम्मू-कश्मीर में तीन चरणों में विधानसभा का चुनाव होना है। राज्य में जिन 24 सीटों पर 18 सितंबर को मतदान होना है, उन सीटों पर नामांकन की आखिरी तारीख 27 अगस्त है। वहीं, 25 सितंबर को दूसरे चरण के तहत मतदान वाली 26 सीटों पर नामांकन की आखिरी तारीख 5 सितंबर है। तीसरे चरण के तहत राज्य की जिन 40 विधानसभा सीटों पर 1 अक्टूबर को मतदान होना है, उन पर नामांकन की आखिरी तारीख 12 सितंबर है।

आखिरी बार 2014 में जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव हुए थे। तब BJP और PDP ने गठबंधन सरकार बनाई थी। 2018 में गठबंधन टूटने के बाद सरकार गिर गई थी। इसके बाद राज्य में 6 महीने तक राज्यपाल शासन (उस समय जम्मू-कश्मीर संविधान के अनुसार) रहा। इसके बाद राष्ट्रपति शासन लागू हो गया। राष्ट्रपति शासन के बीच ही 2019 के लोकसभा चुनाव हुए, जिसमें BJP भारी बहुमत के साथ केंद्र में लौटी। इसके बाद 5 अगस्त 2019 को BJP सरकार ने आर्टिकल-370 खत्म करके राज्य को दो केंद्र-शासित प्रदेशों (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) में बांट दिया था। इस तरह जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद विधानसभा चुनाव हो रहे हैं।

जम्मू-कश्मीर भाजपा में छिड़ा घमासान, सूची जारी होने के बाद मचा बवाल

#bjp_supporters_angry_protest_over_ticket_distribution 

भारतीय जनता पार्टीने जम्मू-कश्मीर के आगामी विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए सोमवार को 16 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की। इससे पहले, पार्टी की ओर से सुबह तीनों चरणों के लिए कुल 44 उम्मीदवारों की सूची जारी की गई थी, जिसमें दूसरे चरण के लिए 10 और तीसरे चरण के लिए 19 उम्मीदवारों के नाम थे। हालांकि, बाद में दूसरे और तीसरे चरण के लिए जारी उम्मीदवारों की सूची वापस ले ली गई और फिर सिर्फ पहले चरण के लिए 16 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की गई। लेकिन, अब पार्टी के अंदर हंगामा शुरू हो गया है और टिकट बंटवारे से नाराज बीजेपी दफ्तर में कार्यकर्ता प्रदर्शन कर रहे हैं।

जम्मू नॉर्थ से ओम खजुरिया को टिकट न देने के विरोध में उनके समर्थकों ने भाजपा मुख्यालय पर प्रदर्शन किया। उन्होंने आरोप लगाया कि जमीनी कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज करते हुए अटैचियों और पैराशूट के माध्यम से दूसरों को टिकट दी गई है। जो लोग कुछ समय पहले ही पार्टी में आए हैं, उनको तव्वजो दी जा रही है। जबकि वह सालों से पार्टी के साथ जुड़े हैं। भाजपा ने अपनी पहली सूची में यहां से मदन लाल शर्मा को टिकट दी है, हालांकि इस सूची को बाद में आधिकारिक ग्रुप से हटा दिया गया।

बीजेपी जम्मू-कश्मीर एससी मोर्चा के अध्यक्ष जगदीश भगत ने कहा कि मैं पिछले 18 सालों से बीजेपी के लिए पूरे दिन काम कर रहा हूं लेकिन आज मेरे साथ अन्याय हुआ है। एसएसपी मोहन लाल 2 दिन पहले बीजेपी में शामिल हुए थे और उन्हें मैंडेट दे दिया गया। अगर इस मैंडेट को रोका नहीं गया तो बीजेपी को खामियाजा भुगतना होगा। 

वहीं, जम्मू-कश्मीर बीजेपी अध्यक्ष रविंदर रैना ने कहा है कि बीजेपी के सभी पार्टी कार्यकर्ता जो यहां एकत्र हुए हैं, मैं उनका सम्मान करता हूं। पार्टी का हर कार्यकर्ता हमारे लिए महत्वपूर्ण है। रविंदर रैना ने कहा कि मैं हर किसी से मिलूंगा, मैं पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मिल रहा हूं। अगर पार्टी का कोई कार्यकर्ता परेशान है या कोई समस्या है तो हम बैठकर समाधान निकालेंगे। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में रविवार को हुई भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में उम्मीदवारों के नामों पर मंथन के बाद उम्मीदवारों की पहली सूची को अंतिम रूप दिया गया। सूची के मुताबिक, पाम्पोर से सैयद शौकत गयूर अंद्राबी, राजपोरा से अर्शीद भट्ट, शोपियां से जावेद अहमद कादरी, अनंतनाग पश्चिम से मोहम्मद रफीक वानी, अनंतनाग से सैयद वजाहत, इंदरबल से तारिक कीन, डोडा से गजय सिंह राणा को उम्मीदवार बनाया गया है। वहीं बाद में कोकरनाग से भी पार्टी ने चौधरी रोशन हुसैन गुज्जर को टिकट दिया है। पार्टी ने किश्तवाड़ से शगुन परिहार, पाडेर-नागसेनी से सुनील शर्मा, भदरवाह से दलीप सिंह परिहार, डोडा पश्चिम से शक्ति राज परिहार, रामबाण से राकेश ठाकुर, बनिहाल से सलीम भट्ट, शनगुस अनंतनाग पूर्व से वीर सराफ, श्रीगुफवाड़ा बिजबेहरा से सोफी यूसुफ को उम्मीदवार बनाया है।

चीन जंग जीतने के लिए बदलेगा अपने पुराने सिद्धांत, नई युद्ध नीति के साथ ताकतवर दुश्मनों से करेगा मुकाबला!

#china_is_making_a_new_war_policy 

दुनिया दो धड़े में बंटती जा रही है। एक तरफ रूस-यूक्रेन में युद्ध लड़ रहे हैं, तो दूसरी तरफ इजराइल-हमास में जंग छिड़ी है।कोई एक पक्ष के समर्थन में खड़ा है, तो कोई दूसरे पक्ष के। इस बीच कई देशों से उलझ रहे चीन ने अपनी “चाल” बदलने की फिराक में है। दरअसल, दुश्मनों को मात देने के लिए चीन ने युद्ध का पुराना सिद्धांत बदलने का भी फैसला किया है। चीन ने यह बात स्वीकार ली है कि उसके दुश्मन अब काफी ताकतवर हो चुके हैं। अब वह मजबूत दुश्मनों और विरोधियों से मुकाबला करने और जीत हासिल करने के लिए नई युद्ध नीति तैयार कर रही है। उसी के अनुसार सेनाओं को तैयार किया जा रहा है।

22 अगस्त को चीन के क्रांतिकारी और सुधारवादी नेता डेंग जियाओपिंग की 120वीं जयंती मनाई गई। वो चीन के एक ऐसे नेता थे, जिन्होंने माओ-त्से-त्यु की मौत के बाद जब देश राजनीतिक और आर्थिक संकट से घिर गया था, तब डेंग ही देश को बाजारवादी अर्थव्यवस्था की ओर लेकर गए थे। उनकी जयंती पर एक कार्यक्रम का आयोजन कर उन्हें याद किया गया। जहां चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने चीनी सेना के फोकस के बारे में बात की।

चाइना पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के कमांडर इन चीफ शी जिनपिंग ने सेना से कहा कि वह राष्ट्रीय संप्रभुता, सुरक्षा और विकास हितों की रक्षा के लिए अपनी रणनीतिक क्षमता में सुधार करें। एक शीर्ष रक्षा अधिकारी ने कहा है कि स्थानीय युद्ध जीतने के अपने दशकों पुराने सिद्धांत से हटकर, चीन की सेना मजबूत दुश्मनों और विरोधियों के खिलाफ युद्ध जीतने पर फोकस कर रही है, बीजिंग को अमेरिका समेत कई मोर्चों पर बढ़ती चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

मोर्चों पर चुनौतियों का सामना कर रहाचीन

पीएलए को यह निर्देश तब दिया गया है कि जब चीन बहुत सारे मोर्चों पर चुनौतियों का सामना कर रहा है। वह अपने विस्तार के लिए जो प्रयोग कर रहा है उनसे विवाद खड़े हो रहे हैं और उन विवादों से निपटे बगैर चीन आगे बढ़ नहीं सकता, इसलिए चीनी नेतृत्व को अब लग रहा है कि सैन्य श्रेष्ठता के बगैर आगे बढ़ना मुश्किल है। सैन्य क्षमता ही उसके आगे बढ़ते रहने का रास्ता बना सकती है। ताइवान और दक्षिण चीन सागर, दो ऐसे मुद्दे हैं जिन पर आगे बढ़ने पर चीन का अमेरिका से टकराव होना निश्चित है, ऐसे में सैन्य श्रेष्ठता के बगैर चीन अपने लक्ष्य प्राप्त नहीं कर सकता है।

कौन है चीन के ताकतवर दुश्मन

वैसे तो चीन के भारत, अमेरिका, फिलीपींस, वियतनाम, ताइवान समेत कई दुश्मन हैं। मगर वह अब भारत और अमेरिका को ही दुश्मन नंबर 1 मानता है। चीन को अब लगने लगा है कि भारत और अमेरिका की सैन्य ताकत कई गुना बढ़ गई है। ऐसे में खासककर इन दोनों से पार पानाा चीन के लेए आासान नहीं होगा। चीन जानता है कि सिर्फ एलएसी बॉर्डर पर ही नहीं, बल्कि भारत उसके लिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र से लेकर दक्षिण चीन सागर तक खतरा बनेगा। इसी तरह उसे अमेरिका से भी धरती से आसमान तक प्रतिद्वंदिता से खतरा महसूस हो रहा है। इसलिए चीन ने युद्ध के अपने पुराने सिद्धांतों को बदलने का फैसला किया है। इसके तहत अब उसका एक मात्र लक्ष्य दुश्मन को किसी भी तरह मात देने पर होगा। इसमें कई नियम-कानून ताख पर रखे जा सकते हैं।

केन्द्रीय कर्मचारियों को बड़ी सौगात, क्या 2024 के चुनावों में दिखेगा यूनिफाइड पेंशन स्कीम का असर?

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चार राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों को बड़ी सौगात देते हुए यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) को लागू करने का फैसला किया है। कर्मचारी लंबे समय से न्‍यू पेंशन स्‍कीम के बजाए ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने की मांग कर रहे थे। पेंशन स्कीम को लेकर सियासी घमासान चलता रहा है। ओपीएस को लेकर कांग्रेस लगातार सरकार को घेरती रही है। ऐसे में पीएम मोदी नीत केंद्र सरकार ने शनिवार को एक बड़ा फैसला लेते हुए देश में पेंशन योजना का नया प्रारूप पेश किया, जिसे एकीकृत पेंशन योजना अथवा यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) नाम दिया गया है। यह योजना देशभर में 1 अप्रैल 2025 से लागू होगी। 

केंद्र सरकार को यूपीएस लाने की आवश्यकता इसलिए पड़ी है कि कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने पिछले साल विधानसभा चुनावों से पहले पुरानी पेंशन योजना (OPS) लागू करने की जोरदार वकालत की थी। इसको लेकर कर्मचारी संगठन आंदोलन कर रहे थे और विपक्षी दल उसे हवा देने में भी जुटे हुए थे। खासकर हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों में ओपीसी को मुद्दा बनाने का जबर्दस्त फायदा भी मिला था और उसने वहां सरकार भी बना ली। माना जाता है कि वहां सरकारी कर्मचारी परंपरागत रूप से चुनावों को प्रभावित करने में सक्षम रहे हैं। पार्टी को कर्नाटक में भी इसका काफी फायदा मिला था।

पीएम मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने यूपीएस लाकर लंबे समय से विपक्ष की ओर से की जा रही ओपीएस की मांग को खारिज करने की कोशिश की है। केंद्र सरकार यह योजना ऐसे समय में लाई है कि जब देश के दो राज्यों हरियाणा और जम्मू कश्मीर में चुनावों का ऐलान हो चुका है।जल्द ही महाराष्ट्र और झारखंड में भी चुनाव होने हैं। 

राजनीति के जानकारों का मानना है कि आने वाले विधानसभा चुनावों में यह एक बड़ा फैक्टर साबित हो सकता है। जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में चुनाव तारीखों की घोषणा हो चुकी है। महाराष्ट्र और झारखंड में उसके बाद इसी साल चुनाव होने हैं। अगले साल की शुरुआत में दिल्ली में और आखिर में बिहार विधानसभा के चुनाव भी होने हैं। ऐसे समय में सरकारी कर्मचारियों को केंद्र सरकार से तोहफा मिलना भाजपा और एनडीए के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।

अगर, बीजेपी-शासित राज्यों ने भी केंद्र सरकार की तर्ज पर ही अपने कर्मचारियों के लिए यूपीएस लागू करने का फैसला कर लिया तो यह भी राजनीतिक तौर पर सत्ताधारी गठबंधन के लिए फलदायी हो सकता है।

है यूनिफाइड पेंशन स्कीम 

- इस पेंशन के अंतर्गत अगर किसी कर्मचारी ने 25 साल तक नौकरी है तो रिटायरमेंट से पहले के 1 साल की बेसिक सैलरी का 50% हिस्सा पेंशन के रूप में दिया जाएगा. 

- वहीं आगर किसी की मौत हो जाती है तो मिल रही पेंशन का 60% परिवार पेंशन के रूप में दिया जाएगा

- 10 साल तक काम कर चुके कर्मचारी को 10,000 महीना पेंशन दी जाएगी.  

- यूपीएस स्कीम उन सभी के लिए भी लागू होगी जो एनपीएस के अंतर्गत 2004 में रिटायर हो चुके हैं या 2025 तक रिटायर होंगे.

*जम्मू-कश्मीर चुनावः बीजेपी ने मुस्लिमों पर जताया भरोसा, पहली लिस्ट में जारी 15 सीटों में से 8 सीटों पर मुस्लिमों को टिकट

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जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव 2024 के लिए बीजेपी ने कमर कस ली है। बीजेपी ने जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव के लिए पहले चरण की कुल 24 विधानसभा सीटों में से 16 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की है। बीजेपी ने पहले 15 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया गया था। कुछ घंटे बाद उम्मीदवारों की दूसरी सूची आई गई, जिसमें सिर्फ एक नाम है। पहली लिस्ट में जारी 15 सीटों में से 8 सीटों पर मुस्लिमों को टिकट दिया है।

अभी जारी 15 प्रत्याशियों की लिस्ट में कम से कम 8 मुस्लिम हैं। भाजपा की सूची में आठ मुस्लिम और सात हिंदू प्रत्याशी हैं, जिनमें से एक सीट पर महिला प्रत्याशी को उतारा गया है। इस तरह 50 फीसदी से भी ज्यादा मुस्लिमों पर भरोसा जताया है। ऐसे में माना जा रहा है कि भाजपा यह चुनाव मुस्लिम प्रत्याशियों और मुस्लिम वोटरों के भरोसे जीतने की योजना भी बनाई है। 

जम्मू-कश्मीर में बीजेपी ने ऐसे ही मुस्लिम उम्मीदवारों पर दांव नहीं खेला है बल्कि सोची-समझी रणनीति के तहत उतारा है। बीजेपी का सियासी आधार जम्मू रीजन के क्षेत्र में है। कश्मीर रीजन में मुस्लिम वोटों के सियासी प्रभाव को देखते हुए बीजेपी ने मुस्लिम कैंडिडेट उतारे हैं। पार्टी ने लोकसभा चुनाव में जम्मू रीजन की दोनों सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। कश्मीर पंचायत चुनाव में भी बीजेपी ने मुस्लिम बहुल इलाकों में मुस्लिमों पर दांव खेला था, जिसमें कुछ हद तक कामयाब रही। इसीलिए विधानसभा चुनाव में भी मुस्लिम पर भरोसा जताया है।

कश्मीर की अवाम खासकर मुस्लिमों का दिल जीतने के लिए नेशनल कॉफ्रेंस ने और अपनी पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में 370 के लिए संघर्ष करने और राज्य का दर्जा बहाली को शामिल किया है। पीडीपी पहले से ही 370 के खिलाफ रही है। इसके चलते ही बीजेपी ने कश्मीर के मुस्लिम बहुल इलाके में मुस्लिम कैंडिडेट उतारकर बड़ा सियासी दांव चला है।

बता दें कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए सोमवार को बीजेपी की पहली लिस्ट आई। पार्टी ने पहले 44 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की, लेकिन कुछ ही देर में इसे वापस ले लिया गया। बाद में पार्टी की तरफ से 15 उम्मीदवारों की नई संशोधित लिस्ट जारी की गई। इस नई लिस्ट में सभी 15 उम्मीदवार पहले जारी की गई लिस्ट वाले ही हैं। इसमें कोई बदलाव नहीं है। हटाई गई लिस्ट में 3 चर्चित चेहरे दो पूर्व डिप्टी CM निर्मल सिंह, कविंद्र गुप्ता और जम्मू-कश्मीर के पार्टी अध्यक्ष रविंद्र रैना का नाम नहीं था।