जम्मू-कश्मीर चुनाव: कांग्रेस और एनसी में 83 सीटों पर बनी बात, 5 सीटों पर फ्रेंडली फाइट
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जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस के बीच लंबी बातचीत के बाद सीटों के बंटवारे को लेकर सहमति बन गई। केंद्र शासित प्रदेश की 90 सीटों में से 51 पर नेशनल कॉन्फ्रेंस और 32 सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ेगी। 5 सीटों पर फ्रेंडली फाइट होगी। इसके अलावा दोनों पार्टियों के गठबंधन में शामिल मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और जम्मू-कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी को एक-एक सीट दी गई है।
नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला के घर दिनभर चली बातचीत के बाद आयोजित संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में यह घोषणा की गई। दोनों दलों के नेताओं ने कहा कि सीट-बंटवारे के फॉर्मूले के अनुसार नेशनल कांफ्रेंस 51, जबकि कांग्रेस 32 सीट पर चुनाव लड़ेगी। उन्होंने यह भी कहा कि पांच सीट पर दोनों के बीच दोस्ताना मुकाबला होगा। कांग्रेस की जम्मू-कश्मीर इकाई के अध्यक्ष तारिक हामिद कर्रा ने कहा कि मुकाबला सौहार्दपूर्ण एवं अनुशासित तरीके से होगा।
सहमति के बाद नेकां ने 18 उम्मीदवारों की सूची का एलान कर दिया है। पिछले कुछ समय से सीटों के बंटवारे पर फंसे पेंच को सुलझाने के लिए दोनों दलों के बीच बैठक का पहला दौर दोपहर करीब 12:30 बजे शुरू हुआ। शाम 3 बजे तक कोई भी रास्ता नहीं निकला। इसके बाद दूसरी बैठक का समय चार बजे का दिया गया पर चार बजे के बाद जब कांग्रेस का कोई शीर्ष नेता फारूक के आवास पर नहीं पहुंचा तो गठबंधन होने या टूटने के बारे में अटकलों का बाजार गर्म होने लगा। करीब शाम 6:30 बजे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता केसी वेणुगोपाल, सलमान खुर्शीद, पवन खेड़ा और भारत सोलंकी फारूक के आवास पर पहुंचे और करीब एक घंटे की बैठक के बाद सहमति बन गई।
बता दें कि जम्मू-कश्मीर में तीन चरणों में विधानसभा का चुनाव होना है। राज्य में जिन 24 सीटों पर 18 सितंबर को मतदान होना है, उन सीटों पर नामांकन की आखिरी तारीख 27 अगस्त है। वहीं, 25 सितंबर को दूसरे चरण के तहत मतदान वाली 26 सीटों पर नामांकन की आखिरी तारीख 5 सितंबर है। तीसरे चरण के तहत राज्य की जिन 40 विधानसभा सीटों पर 1 अक्टूबर को मतदान होना है, उन पर नामांकन की आखिरी तारीख 12 सितंबर है।
आखिरी बार 2014 में जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव हुए थे। तब BJP और PDP ने गठबंधन सरकार बनाई थी। 2018 में गठबंधन टूटने के बाद सरकार गिर गई थी। इसके बाद राज्य में 6 महीने तक राज्यपाल शासन (उस समय जम्मू-कश्मीर संविधान के अनुसार) रहा। इसके बाद राष्ट्रपति शासन लागू हो गया। राष्ट्रपति शासन के बीच ही 2019 के लोकसभा चुनाव हुए, जिसमें BJP भारी बहुमत के साथ केंद्र में लौटी। इसके बाद 5 अगस्त 2019 को BJP सरकार ने आर्टिकल-370 खत्म करके राज्य को दो केंद्र-शासित प्रदेशों (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) में बांट दिया था। इस तरह जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद विधानसभा चुनाव हो रहे हैं।
Aug 27 2024, 10:46