हरियाणा: JJP को एक और झटका, रामकरण काला कांग्रेस में शामिल, अब तक 5 MLA छोड़ चुके हैं पार्टी

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हरियाणा में विधानसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है। चुनावी बिगुल बजने के साथ ही इसके साइट इफेक्ट्स भी दिखने लगे हैं। हरियाणा के पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला को लगातार झटके मिल रहे हैं। अब उनकी पार्टी जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के विधायक रामकरण काला उन्हें झटका दिया है। उन्होंने अपने समर्थकों के साथ दिल्ली में कांग्रेस की सदस्यता ले ली है। 

हरियाणा के शाहबाद से विधायक विधायक रामकरण काला ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष उदय भान सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा के मौजूदगी में कांग्रेस ज्वाइन की।

बीते दिनों में पार्टी के 4 विधायकों ने जेजेपी को अलविदा कर दिया। वहीं गुरुवार को जेजेपी को एक और झटका मिला। विधायक रामनिवास सुरजाखेड़ा ने इस्तीफा देकर जेजेपी को बैकफुट पर ला दिया है।जेजेपी के पांचवे विधायक रामनिवास सुरजाखेड़ा से पहले अनूप धानक, ईश्वर सिंह, देवेंद्र बबली और रामकरण काला पार्टी छोड़ चुके हैं।

बता दें कि अब तक बीजेपी-जेजेपी के 40 बड़े नेता कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। इन नेताओं में में ज्यादातर पूर्व विधायक। हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले जेजेपी के दस में से पांच विधायक पार्टी का साथ छोड़ चुके हैं।

2019 के विधानसभा में जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) किंगमेकर बनकर उभरी थी। यही वजह थी कि बहुमत से दूर रही बीजेपी ने जेजेपी को नेता दुष्यंत चौटाला को डिप्टी सीएम का पद देकर सरकार बनाई थी। राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि आने वाले दिनों में जेजेपी को कुछ और झटके लग सकते हैं। लोकसभा चुनावों में अकेले लड़ी जेजेपी को 1 फीसदी से कम वोट मिले थे। पार्टी के सभी कैंडिडेट की जमानत जब्त हो गई थी। जिन अन्य विधायकों के पार्टी छोड़ने की अटकलें हैं। उनमें राजकुमार गौतम, जोगीराम सिहाग, रामनिवास सुरजाखेड़ा के नाम चर्चा में हैं। ये विधायक पिछले काफी समय से बीजेपी के मंचों पर भी थे। ऐसे में अटकलें हैं कि ये भी दुष्यंत चौटाला का साथ छोड़ सकते हैं।

जम्मू-कश्मीर चुनाव: कांग्रेस-नेशनल कॉन्फ्रेंस में गठबंधन, फारूक अब्दुल्ला ने किया एलान

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जम्मू-कश्मीर में अगले महीने विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इससे पहले कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के बीच गठबंधन हो गया है। एनसी प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने गुरुवार को इसका ऐलान किया। उन्होंने कहा कि नेकां और कांग्रेस गठबंधन को अंतिम रूप दिया गया, शाम तक चरणवार सूची प्रकाशित की जाएगी। दोनों पार्टियों के बीच सहमति कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के दौरे के दौरान बनी है।

कांग्रेस ने भी अपने एक्स अकाउंट से गठबंधन की घोषणा की है। जिसमें कहा कि आज पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी ने श्रीनगर में नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला और उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला से मुलाकात की। 

किसी के लिए कोई दरवाजा बंद नहीं- फारूक अब्दुल्ला

राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात पर फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि हमारी मुलाकात बहुत अच्छी रही। हम सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। हम एकजुट हैं, सीपीआईएम समेत इंडिया गठबंधन की पार्टियां एकजुट हैं। उन्होंने पीडीपी पर कहा कि किसी के लिए कोई दरवाजा बंद नहीं हैं। एनसी प्रमुख ने कहा कि मुझे बहुत ख़ुशी है कि बैठक सौहार्दपूर्ण वातावरण में हुई। कांग्रेस, सीपीआईएम और एनसी एक साथ हैं।

तीन चरणों में होगा चुनाव

बता दें कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में अगले महीने विधानसभा के चुनाव होने हैं। तीन चरणों में वोटिंग होगी। 18 सितंबर, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को जनता वोट डालेगी। 4 अक्टूबर को नतीजे घोषित होंगे।

कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई का बड़ा दवा, बोले-लोगों का सेबी पर भरोसा अब नहीं रहा

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हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) द्वारा जांच कराए जाने की मांग पर कांग्रेस बृहस्पतिवार को देश भर में प्रदर्शन कर रही है। हिंडनबर्ग रिपोर्ट को लेकर आज पार्टी के देशव्यापी आंदोलन पर कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई का कहना है, ''लोगों को सेबी पर जो भरोसा था, वह अब नहीं रहा। बार-बार हम देख रहे हैं कि सेबी इस मुद्दे पर उतनी गंभीर नहीं है, जितना होना चाहिए था।'' अडानी का मामला, हिंडनबर्ग रिपोर्ट से हमें इसके पीछे की वजह का संकेत मिल गया है।

कांग्रेस सांसद ने आगे कहा कि मैंने सोचा था कि केंद्रीय वित्त मंत्री सेबी चेयरमैन से स्पष्टीकरण मांगेंगे। लेकिन, वित्त मंत्री सेबी के जरिए अडानी को बचाने में लगे हैं, कांग्रेस इसका विरोध कर रही है। सेबी अध्यक्ष को इस्तीफा देना चाहिए और वित्त मंत्री को स्पष्टीकरण देना चाहिए और इस मुद्दे पर जेपीसी का गठन करना चाहिए।

बता दें कि हिंडनबर्ग रिसर्च ने इस महीने की शुरुआत में अपनी ताजा रिपोर्ट में आरोप लगाया है कि माधबी पुरी बुच और उनके पति के पास अडानी ग्रुप के पैसे के हेराफेरी घोटाले में इस्तेमाल किए गए अस्पष्ट विदेशी फंड में हिस्सेदारी थी। अमेरिकी इंवेस्टमेंट रिसर्च फर्म ने कहा था कि अडानी ग्रुप पर उसके जरिए 18 महीने पहले जारी किए गए रिपोर्ट के बाद भी सेबी ने ग्रुप के मॉरीशस और विदेशों में मौजूद उसकी संस्थाओं के कथित घोटाले पर कोई एक्शन नहीं लिया।

हालांकि, माधवी बुच और उनके पति धवल बुच ने हिंडनबर्ग के आरोपों को निराधार बताया है और कहा है कि उनके वित्तीय लेनदेन एक खुली किताब की तरह हैं। अडानी ग्रुप ने भी चुनिंदा सार्वजनिक जानकारी के आधार पर हिंडनबर्ग के आरोपों को दुर्भावनापूर्ण और बदनाम करने वाला बताया।

बांग्लादेश में बाढ़ की स्थिति पर विदेश मंत्रालय का बयान, कहा- भारतीय बांध से पानी छोड़ना कारण नहीं

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बांग्लादेश को हिंसा के बाद एक नई परेशानी ने घेर लिया है। देश के कई इलाके भयंकर बाढ़ की चपेट में हैं। हालांकि, विनाशकारी बाढ़ को लेकर वहां के कुछ संगठन भारत पर दोष मढ़ रहे हैं।सीमावर्ती जिलों में हाल में आई बाढ़ को लेकर बांग्लादेश ने भारत पर आरोप लगाया था कि त्रिपुरा के डंबूर बांध के खुलने के कारण वहां बाढ़ आई है। इस पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है और बांग्लादेश के आरोपों को गलत बताया है।

भारत सरकार ने बांग्लादेश के पूर्वी सीमावर्ती जिलों में बाढ़ की स्थिति के लिए डुम्बूर बांध से पानी छोड़े जाने को जिम्मेदार ठहराने वाली खबरों को तथ्यात्मक रूप से गलत बताया है। डुम्बूर बांध त्रिपुरा की गुमती नदी पर बना है। भारत सरकार ने साफ किया है कि इस क्षेत्र में आई बाढ़ की मुख्य वजह पिछले दिनों में गुमती नदी के जलग्रहण क्षेत्रों में हुई मूसलाधार बारिश है।

विदेश मंत्रालय ने इसको लेकर एक विज्ञप्ति जारी की है। विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि डुम्बूर बांध बांग्लादेश की सीमा से करीब 120 किलोमीटर ऊपर की ओर स्थित है और इसकी ऊंचाई केवल 30 मीटर है। इस बांध का उपयोग बिजली उत्पादन के लिए किया जाता है, जिसमें से 40 मेगावाट बिजली बांग्लादेश को भी दी जाती है। ऐसे में बाढ़ की स्थिति के लिए बांध से पानी छोड़े जाने को जिम्मेदार ठहराना बिल्कुल गलत है।

विज्ञप्ति में कहा गया है, नदी के लगभग 120 किलोमीटर मार्ग पर अमरपुर, सोनामुरा और सोनामुरा 2 में हमारे पास तीन जल स्तर निगरानी स्थल हैं। 21 अगस्त से पूरे त्रिपुरा और बांग्लादेश के आसपास के जिलों में भारी बारिश जारी है। भारी जल प्रवाह की स्थिति में, पानी का स्वतः रिसाव देखा गया है।

विदेश मंत्रालय ने आगे कहा, अमरपुर स्टेशन एक द्विपक्षीय प्रोटोकॉल का हिस्सा है जिसके तहत हम बांग्लादेश को वास्तविक समय पर बाढ़ डेटा भेज रहे हैं। 21 अगस्त 2024 को 3 बजे तक बांग्लादेश को डेटा प्रदान किया गया। 6 बजे बाढ़ के कारण बिजली गुल हो गई, जिससे संचार की समस्याएं पैदा हुईं। फिर भी, हमने डेटा के तत्काल हस्तांतरण के लिए बनाए गए अन्य माध्यमों से संचार बनाए रखने का प्रयास किया।

बयान नें आगे कहा गया है कि भारत और बांग्लादेश के बीच साझा नदियों में बाढ़ एक आम समस्या है, जो दोनों देशों के लोगों को प्रभावित करती है। इसके समाधान के लिए दोनों देशों के बीच सहयोग जरूरी है। भारत और बांग्लादेश के बीच 54 साझा क्रॉस-बॉर्डर नदियों के साथ, नदी जल सहयोग द्विपक्षीय संबंधों का अहम हिस्सा है। भारत सरकार जल संसाधनों और नदी जल प्रबंधन के मुद्दों को द्विपक्षीय विचार-विमर्श और तकनीकी पूर्ण चर्चाओं के माध्यम से सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध है।

असम में अब काजी नहीं कर सकेंगे मुस्लिमों की शादी का रजिस्ट्रेशन, बदलेगा 90 साल पुराना कानून

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असम की हिमंत बिस्वा सरमा सरकार मुस्लिम पर्सनल लॉ के कुछ प्रावधानों को रद्द करने वाली है। दरअसल, असम की हिमंत बिस्वा सरमा सरकार गुरुवार को विधानसभा में मुस्लिम मैरिज एंड डिवोर्स रजिस्ट्रेशन बिल 2024 पेश करेगी। एक बार लागू होने के बाद, यह कानून मुस्लिम विवाह और तलाक को दर्ज करने वाले काजियों की भूमिका को खत्म कर देगा। इससे पहले बुधवार को असम कैबिनेट इस बिल को मंजूरी दे चुकी है। अब इसे सदन में पेश किया जाएगा। 

राज्य के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा- बिल में 2 विशेष प्रावधान हैं। पहला- मुस्लिम शादी का रजिस्ट्रेशन अब काजी नहीं सरकार करेगी। दूसरा- बाल विवाह के पंजीकरण को अवैध माना जाएगा। सीएम हिमंत ने कहा कि अब तक काजी नाबालिग लड़कियों की शादियां भी रजिस्टर्ड करते थे। अब ऐसा नहीं होगा। अब बाल विवाह रजिस्ट्रेशन बिल्कुल नहीं होगा। हम बाल विवाह की बुराई को खत्म करना चाहते हैं। उन्होंने ये भी कहा कि नया बिल इस्लामिक निकाह सिस्टम में बदलाव नहीं करेगा। केवल रजिस्ट्रेशन पार्ट में ही बदलाव होगा। शादी और तलाक रजिस्ट्रार ऑफिस में रजिस्टर्ड होंगे।

नए बिल के पास होकर कानून बनने के बाद जिला आयुक्तों और रजिस्ट्रारों को मौजूदा वक्त में 94 काजियों के पास मौजूद रजिस्ट्रेशन के रिकॉर्ड को अपने कब्जे में लेने का अधिकार होगा। जिन्हें 1935 के ब्रिटिश युग के कानून द्वारा वैध बनाया गया था। 90 साल पहले अंग्रेजों के दौर में 1935 के कानून में निकाह और तलाक के लिए रजिस्ट्रेशन का जिक्र किया गया था। इसे मुस्लिम पर्सनल लॉ के मुताबिक बनाया गया था। यह अधिनियम मुस्लिम विवाह और तलाक के पंजीकरण की प्रक्रिया निर्धारित करता था। साल 2010 में इसमें बदलाव किया गया और रजिस्ट्रेशन को ऐच्छिक न रखकर, अनिवार्य किया गया। 1935 के कानून में विशेष स्थिति में कम उम्र में निकाह करने की अनुमति दी जाती।

असम कैबिनेट ने जुलाई की शुरुआत में प्रस्तावित अनिवार्य पंजीकरण कानून के लिए रास्ता साफ करने के लिए असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम, 1935 को निरस्त करने के लिए एक विधेयक को मंजूरी दी थी।1935 के कानून के तहत स्पेशल कंडीशन में कम उम्र में निकाह करने की अनुमति दी जाती थी। जुलाई में जारी इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन रिपोर्ट ने बाल विवाह से निपटने के लिए असम सरकार के प्रयासों की सराहना की। रिपोर्ट में कहा गया कि कानूनी कार्रवाई के जरिए असम में बाल विवाह के मामलों को कम किया है।

असम में अब काजी नहीं कर सकेंगे मुस्लिमों की शादी का रजिस्ट्रेशन, बदलेगा 90 साल पुराना कानून

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असम की हिमंत बिस्वा सरमा सरकार मुस्लिम पर्सनल लॉ के कुछ प्रावधानों को रद्द करने वाली है। दरअसल, असम की हिमंत बिस्वा सरमा सरकार गुरुवार को विधानसभा में मुस्लिम मैरिज एंड डिवोर्स रजिस्ट्रेशन बिल 2024 पेश करेगी। एक बार लागू होने के बाद, यह कानून मुस्लिम विवाह और तलाक को दर्ज करने वाले काजियों की भूमिका को खत्म कर देगा। इससे पहले बुधवार को असम कैबिनेट इस बिल को मंजूरी दे चुकी है। अब इसे सदन में पेश किया जाएगा। 

राज्य के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा- बिल में 2 विशेष प्रावधान हैं। पहला- मुस्लिम शादी का रजिस्ट्रेशन अब काजी नहीं सरकार करेगी। दूसरा- बाल विवाह के पंजीकरण को अवैध माना जाएगा। सीएम हिमंत ने कहा कि अब तक काजी नाबालिग लड़कियों की शादियां भी रजिस्टर्ड करते थे। अब ऐसा नहीं होगा। अब बाल विवाह रजिस्ट्रेशन बिल्कुल नहीं होगा। हम बाल विवाह की बुराई को खत्म करना चाहते हैं। उन्होंने ये भी कहा कि नया बिल इस्लामिक निकाह सिस्टम में बदलाव नहीं करेगा। केवल रजिस्ट्रेशन पार्ट में ही बदलाव होगा। शादी और तलाक रजिस्ट्रार ऑफिस में रजिस्टर्ड होंगे।

नए बिल के पास होकर कानून बनने के बाद जिला आयुक्तों और रजिस्ट्रारों को मौजूदा वक्त में 94 काजियों के पास मौजूद रजिस्ट्रेशन के रिकॉर्ड को अपने कब्जे में लेने का अधिकार होगा। जिन्हें 1935 के ब्रिटिश युग के कानून द्वारा वैध बनाया गया था। 90 साल पहले अंग्रेजों के दौर में 1935 के कानून में निकाह और तलाक के लिए रजिस्ट्रेशन का जिक्र किया गया था। इसे मुस्लिम पर्सनल लॉ के मुताबिक बनाया गया था। यह अधिनियम मुस्लिम विवाह और तलाक के पंजीकरण की प्रक्रिया निर्धारित करता था। साल 2010 में इसमें बदलाव किया गया और रजिस्ट्रेशन को ऐच्छिक न रखकर, अनिवार्य किया गया। 1935 के कानून में विशेष स्थिति में कम उम्र में निकाह करने की अनुमति दी जाती।

असम कैबिनेट ने जुलाई की शुरुआत में प्रस्तावित अनिवार्य पंजीकरण कानून के लिए रास्ता साफ करने के लिए असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम, 1935 को निरस्त करने के लिए एक विधेयक को मंजूरी दी थी।1935 के कानून के तहत स्पेशल कंडीशन में कम उम्र में निकाह करने की अनुमति दी जाती थी। जुलाई में जारी इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन रिपोर्ट ने बाल विवाह से निपटने के लिए असम सरकार के प्रयासों की सराहना की। रिपोर्ट में कहा गया कि कानूनी कार्रवाई के जरिए असम में बाल विवाह के मामलों को कम किया है।

कोलकाता केस पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा बयान, कहा-30 साल में ऐसी लापरवाही नहीं देखी; पुलिस की भूमिका पर भी संदेह

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कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में ट्रेनी लेडी डॉक्टर से रेप और मर्डर मामले में सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान कोलकाता डॉक्टर रेप मर्डर केस में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की। शीर्ष अदालत ने कहा कि इस केस में लीपापोती करने की कोशिश की गई। जांच के नियमों की अनदेखी की गई। वारदात पर पर्दा डालने की कोशिश की गई। अस्पताल प्रशासन ने इस मामले में एक्शन नहीं लिया। सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि राज्य सरकार ने इस केस में इस तरह से काम किया, जो मैंने अपने 30 साल के करियर में नहीं देखा।

कोलकाता में ट्रेनी डटक्टर के साथ रेप के बाद क्रूरता से की गई हत्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बीती 20 अगस्त को स्वतः संज्ञान लिया था। मामला सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच के पास है। इसमें जस्टिस जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट में कोलकाता कांड पर जस्टिस पारदीवाला ने पोस्टमॉर्टम और एफआईआर की टाइमिंग पर सवाल उठाए। 

कपिल सिब्बल ने अदालत को बताया कि लेडी डॉक्टर की डेडबॉडी का पोस्टमॉर्टम 9 अगस्त की शाम 6:10-7:10 बजे हुआ। इसके बाद जस्टिस पारदीवाला ने पूछा, ‘जब आप पोस्टमार्टम करना शुरू करते हैं, तो इसका मतलब है कि यह अप्राकृतिक मौत का मामला है। रात को 23:20 बजे अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज किया गया था। 9 अगस्त को जीडी (जनरल डायरी) एंट्री और एफआईआर 11:45 बजे दर्ज की गई थी।क्या यह सच है?

जस्टिस पारदीवाला वाला ने कहा कि यह बहुत चौंकाने वाला है कि अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज करने से पहले ही पोस्टमॉर्टम शुरू कर दिया गया? जस्टिस पारदीवाला ने कहा कि जब पोस्टमॉर्टम 6 बजकर 10 मिनट में शुरू हो गया और 7 बजकर 10 मिनट में खत्म तो फिर रात को 11 बजकर 30 मिनट पर यूडी यानी अननेचुरल डेथ रजिस्टर्ड करने की क्या जरूरत थी?

इस पर सिब्बल कहते हैं कि सर यह एफआईआर है, यूडी नहीं। टाइमलाइन देखिए, हमने सबकुछ बताया है। यूडी 1 बजकर 45 मिनट पर रजिसिटर्ड हुआ था। वहीं, चीफ जस्टिस ने कहा कि अपराध की GD एंट्री सुबह 10:10 पर हुई, जब फोन के जरिए यह खबर मिली कि थर्ड फ्लोर पर PG डॉक्टर बेहोशी की हालत में मिली है। चीफ जस्टिस ने कहा कि पीड़ित के शव को देखकर बोर्ड ने शुरुआती राय दी थी कि मौत का कारण गला घोटने के कारण हो सकता है और सेक्सुअल एसॉल्ट से भी इनकार नहीं किया जा सकता। इसके बावजूद पोस्टमार्टम शाम 6-7 के बीच हुआ और उसके बाद जांच शुरू की गई।

जस्टिस पारदीवाला ने कहा कि कृपया यहां एक जिम्मेदार पुलिस अधिकारी को मौजूद रखें। हमें अभी तक यह जवाब नहीं मिला है कि यूडी केस कब दर्ज हुआ। जस्टिस पारदीवाला ने कहा कि हमें बताएं कि जांच पंचनामा कब हुआ? सिब्बल ने जवाब दिया कि शाम 4:20 से 4:40 बजे। कोर्ट ने कहा कि हमारे पास जो रिपोर्ट है, उससे पता चलता है कि जांच पंचनामा और पोस्टमार्टम के बाद यूडी केस दर्ज हुआ। सिब्बल ने इससे इनकार किया। इसके बाद जस्टिस पारदीवाला ने कहा कि राज्य सरकार ने इस केस में इस तरह से काम किया, जो मैंने अपने 30 साल के करियर में नहीं देखा।

कोलकाता डॉक्टर रेपः साइकोएनालिसिस टेस्ट में सीबीआई को संजय रॉय के अंदर नजर आया 'जानवर',*
#kolkata_doctor_rape_cbi_shocked_sanjay_roy_as_a_sexual_pervert_with_animal कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के रेप और हत्या का मुख्य आरोपी संजय रॉय पाश्विक प्रवृति का शख्स है, ये बात सीबीआई साइको एनालिटिक प्रोफाइल से पता चलती है।साइकोएनालिट पूछताछ के दौरान 31 साल के संजय रॉय के माथे पर कोई शिकन न थी, ना ही कोई पछतावा। उसने बिना कोई भावना जाहिर किए क्राइम सीन पर क्या हुआ, उस पर अपना पक्ष रखा। संजय रॉय से पूछताछ करने के लिए मनोविश्लेषकों की टीम आई। टीम ने जब उससे पूछताछ की तो वे एक ऐसे शख्स से परिचित हुए जो उसके अंदर छिपा हुआ था। उसने बिना किसी डर या पश्चाताप के घटना के दिन के बारे में बताया। रविवार को सीबीआई जांच में शामिल हुए विशेषज्ञों ने एजेंसी को दिए गए उसके बयानों को भी स्कैन किया ताकि उन्हें पोस्टमॉर्टम और फोरेंसिक निष्कर्षों से जोड़ा जा सके। सीबीआई अधिकारियों ने कहा कि अपराध स्थल पर संजय रॉय की मौजूदगी की पुष्टि तकनीकी और वैज्ञानिक साक्ष्यों से हुई है, लेकिन वे डीएनए परीक्षणों के परिणाम का इंतजार कर रहे हैं। वहीं, कोलकाता पुलिस के मुताबिक, अस्पताल में सिविल वालंटियर के रूप में तैनात संजय रॉय अपराध वाली रात को दो वेश्यालयों में भी गया था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पुलिस सूत्रों ने बताया कि संजय रॉय 8 अगस्त की रात को रेड लाइट एरिया सोनागाछी गया था। यहां उसने शराब पी और एक के बाद एक दो वेश्यालयों का दौरा किया। इसके बाद वह आधी रात के बाद अस्पताल गया।सीसीटीवी फुटेज में रॉय को सुबह 4 बजे अस्पताल परिसर में फिर से प्रवेश करते हुए देखा गया है। जांचकर्ताओं का मानना है कि वह फिर तीसरी मंजिल के सेमिनार हॉल में पहुंचा, जहां पीड़िता सो रही थी।
जम्मू-कश्मीर चुनाव: राहुल ने श्रीनगर में डाला डेरा, नेशनल कांफ्रेंस से सीट बंटवारे पर नहीं बन पा रही बात!*
#jammu_kashmir_poll_national_conference_congress_alliance
अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में पहली बार विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। इस चुनाव में राजनीति की बिसात पर अपनी मजूबत मौजूदगी दर्ज कराने के लिए सभी राजनीतिक दलों ने अपने-अपने स्तर पर तैयारियां शुरू कर दी हैं। जम्मू में कांग्रेस के साथ नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी का गठबंधन एक दिलचस्प मुद्दा बना हुआ है। वक्त की नजाकत भांपते हुए खुद विपक्ष के नेता राहुल गांधी और कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने जम्मू-कश्मीर में डार डाला हुआ है। जानकारों की मानें तो जम्मू-कश्मीर में कोई भी पार्टी बहुमत से चुनाव जीतने के काबिल नहीं है। यहां तक कि भाजपा भी खुद से जम्मू-कश्मीर में बहुमत नहीं हासिल कर सकती है। किसी पार्टी का कश्मीर संभाग में अच्छा होल्ड है तो किसी का जम्मू में और इसके मद्देनजर गठबंधन करना सभी पार्टियों की मजबूरी बनती जा रही है। ऐसे में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के साथ लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने भी श्रीनगर में डेरा जमा लिया है। वह नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ गठबंधन को अंतिम रूप दे सकते हैं। सूत्रों की मानें तो, 90 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस 50-50 के फार्मूले के तहत सीट शेयरिंग चाहती है। यानी कांग्रेस 90 में से 45 सीटों पर अपना दावा ठोंक रही है। जबकि फारुख अब्दुल्ला की पार्टी एनसी ज्यादा से ज्यादा 20 से 25 सीट कांग्रेस को देने को तैयार है। बता दें कि इससे पहले भी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस के बीच गठबंधन रह चुका है। दोनों पार्टियां इंडिया गठबंधन का हिस्सा हैं। कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस मिलकर जम्मू-कश्मीर में सरकार भी चला चुकी हैं। अगर नेकां-कांग्रेस में बात बन जाती है तो जम्मू संभाग के कई विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा को मजबूत चुनौती मिलेगी। लोकसभा चुनाव में जम्मू संसदीय सीट पर कांग्रेस को आरएस पुरा-जम्मू दक्षिण, सुचेतगढ़, गुलाबगढ़ में बढ़त मिली थी। उधमपुर संसदीय सीट पर भी कांग्रेस को बनिहाल, डोडा, भद्रवाह, इंद्रबल विधानसभा क्षेत्रों में जीत मिली थी।
जम्मू-कश्मीर चुनाव: राहुल ने श्रीनगर में डाला डेरा, नेशनल कांफ्रेंस से सीट बंटवारे पर नहीं बन पा रही बात!

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अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में पहली बार विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। इस चुनाव में राजनीति की बिसात पर अपनी मजूबत मौजूदगी दर्ज कराने के लिए सभी राजनीतिक दलों ने अपने-अपने स्तर पर तैयारियां शुरू कर दी हैं। जम्मू में कांग्रेस के साथ नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी का गठबंधन एक दिलचस्प मुद्दा बना हुआ है। वक्त की नजाकत भांपते हुए खुद विपक्ष के नेता राहुल गांधी और कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने जम्मू-कश्मीर में डार डाला हुआ है। 

जानकारों की मानें तो जम्मू-कश्मीर में कोई भी पार्टी बहुमत से चुनाव जीतने के काबिल नहीं है। यहां तक कि भाजपा भी खुद से जम्मू-कश्मीर में बहुमत नहीं हासिल कर सकती है। किसी पार्टी का कश्मीर संभाग में अच्छा होल्ड है तो किसी का जम्मू में और इसके मद्देनजर गठबंधन करना सभी पार्टियों की मजबूरी बनती जा रही है। ऐसे में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के साथ लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने भी श्रीनगर में डेरा जमा लिया है। वह नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ गठबंधन को अंतिम रूप दे सकते हैं। 

सूत्रों की मानें तो, 90 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस 50-50 के फार्मूले के तहत सीट शेयरिंग चाहती है। यानी कांग्रेस 90 में से 45 सीटों पर अपना दावा ठोंक रही है। जबकि फारुख अब्दुल्ला की पार्टी एनसी ज्यादा से ज्यादा 20 से 25 सीट कांग्रेस को देने को तैयार है।

बता दें कि इससे पहले भी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस के बीच गठबंधन रह चुका है। दोनों पार्टियां इंडिया गठबंधन का हिस्सा हैं। कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस मिलकर जम्मू-कश्मीर में सरकार भी चला चुकी हैं। 

अगर नेकां-कांग्रेस में बात बन जाती है तो जम्मू संभाग के कई विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा को मजबूत चुनौती मिलेगी। लोकसभा चुनाव में जम्मू संसदीय सीट पर कांग्रेस को आरएस पुरा-जम्मू दक्षिण, सुचेतगढ़, गुलाबगढ़ में बढ़त मिली थी। उधमपुर संसदीय सीट पर भी कांग्रेस को बनिहाल, डोडा, भद्रवाह, इंद्रबल विधानसभा क्षेत्रों में जीत मिली थी।