पाकिस्तान तक पहुंचा मंकीपॉक्स वायरस, भारत के लिए कितना खतरा?

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दुनिया के कई देश इन दिनों खतरनाक मंकीपॉक्स संक्रमण की चपेट में हैं। कई अफ्रीकी देशों में बढ़ते संक्रमण के खतरे को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन(डब्ल्यूएचओ) ने इसे ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिया है। एमपॉक्स संक्रमण खतरनाक दर से फैल रहा है। अब इस रोग के मामले एशियाई देशों में भी देखे जा रहे हैं।पाकिस्तान में एमपॉक्स वायरस से पीड़ित तीन मरीजों का पता चला है।जिसने भारत के लिए भी टेंशन बढ़ा दी है। हालांकि, भारतीय चिकित्सक इसे भारत के लिए खतरनाक नहीं बता रहे।

दुनियाभर के 70 देशों में फैल चुकी महामारी

मंकीपॉक्स महामारी दुनियाभर के 70 देशों में फैल चुकी है। अब पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बीते दिन मंकीपॉक्स का मरीज मिला, जो गत 3 अगस्त को ही सऊदी अरब से लौटा। पाकिस्तानी स्वास्थ्य मंत्रालय ने महामारी का केस मिलने की पुष्टि की और बताया कि मरीज को क्वारंटाइन कर दिया गया है। उसके संपर्क में आए लोगों के सैंपल भी ले लिए हैं। पूरे देश में महामारी को लेकर अलर्ट जारी कर दिया है।

स्वीडन में भी संक्रमण का पहला केस दर्ज

पाकिस्तान के अलावा स्वीडन में भी गुरुवार को संक्रमण का पहला केस दर्ज किया गया है। डब्ल्यूएचओ द्वारा विश्व स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किए जाने के अगले ही दिन स्वीडन में पहला मामला सामने आया है। संक्रमित व्यक्ति ने हाल ही में अफ्रीका की यात्रा की थी और स्टॉकहोम लौटने पर उसमें संक्रमण की पुष्टि की गई है। 

चीन सरकार अलर्ट

कई देशों में बढ़ते एमपॉक्स के खतरे को देखते हुए चीन सरकार भी अलर्ट हो गई है। चीनी कस्टम प्रशासन की ओर से बयान जारी करके बताया गया है कि अगले छह महीनों तक देश में प्रवेश करने वाले व्यक्तियों में एमपॉक्स की निगरानी की जाएगी।

अफ्रीकी देशों में 500 से ज्यादा मौतें

बता दें कि, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एमपॉक्स के बढ़ते खतरे को लेकर आगाह किया है।एक दिन पहले ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दो साल में दूसरी बार इस बीमारी को ग्लोबल पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया था। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार इस साल अब तक अफ्रीकी देशों में 14,000 से ज्यादा मामले और 524 मौतें दर्ज की गई हैं, जो पिछले साल के आंकड़ों से कहीं ज्यादा हैं। इनमें से 96% से ज्यादा मामले और मौतें अकेले कांगो में हुई हैं।

जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में विधानसभा चुनाव का ऐलान, जानें कब-कब वोटिंग

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जम्‍मू-कश्‍मीर और हरियाणा में विधानसभा चुनावों का ऐलान कर दिया गया है।चुनाव आयोग ने दोनों प्रदेशों में होने वाले चुनावों का ऐलान किया है। मुख्‍य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने विधानसभा चुनावों का ऐलान किया है। हरियाणा में एक फेज में चुनाव कराए जाएंगे। वहीं, तकरीबन एक दशक के बाद जम्‍मू-कश्‍मीर में तीन चरणों में चुनाव कराए जाएंगे। बता दें कि जम्‍मू-कश्‍मीर से अनुच्‍छेद 370 हटने के बाद और इसे केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा मिलने के बाद पहलरी बार विधानसभा चुनाव कराए जा रहे। 

मुख्‍य चुनाव आयुक्‍त राजीव कुमार ने कहा कि जम्मू कश्मीर और हरियाणा के चुनाव का जायजा लेने आयोग गया था। दोनों जगहों पर लोकतंत्र में शामिल होने की लालसा दिखाई दी। मुख्‍य चुनाव आयुक्‍त ने कहा कि उम्मीद और जम्हूरियत की झलक लोकसभा चुनाव में बता रही थी की बुलेट पर बैलेट की जीत हुई। जनता ने बुलेट और बॉयकॉट के बदले बैलेट को चुना।

जम्मू कश्मीर में चुनाव का शेड्यूल

जम्मू कश्मीर में पहले फेज के लिए गैजेट नोटिफिकेशन 20 अगस्त को जारी होगा, वहीं नामांकन की आखिरी तारीख 27 अगस्त होगी। उम्मीदवारी वापस लेने की आखिरी तारीख 30 अगस्त होगी। 18 सितंबर को चुनाव होंगे। 

वहीं, दूसरे फेज के लिए गैजेट नोटिफिकेशन 29 अगस्त को जारी होगा, वहीं नामांकन की आखिरी तारीख 5 सितंबर होगी। उम्मीदवारी वापस लेने की आखिरी तारीख 9 सितंबर होगी। 25 सितंबर को चुनाव होंगे। 

तीसरे चरण के लिए गैजेट नोटिफिकेशन 5 सितंबर को जारी होगा, वहीं नामांकन की आखिरी तारीख 12 सितंबर होगी। उम्मीदवारी वापस लेने की आखिरी तारीख 17 सितंबर होगी। 1 अक्तूबर को चुनाव होंगे। 

हरियाणा में एक अक्टूबर वोटिंग

हरियाणा में एक ही फेज में विधानसभा के चुनाव होंगे। एक अक्टूबर को प्रदेश की 90 असेंबली सीट पर मतदान होगा। 6 अक्टूबर को नतीजे आएंगे।चुनाव आयोग ने बताया कि हरियाणा में 90 विधानसभा सीटें हैं। इनमें 73 सामान्य हैं। राज्य में 2 करोड़ से ज्यादा वोटर जिनमें 85 लाख नए वोटर। 20629 पोलिंग स्टेशन हैं। हरियाणा मल्टी स्टोरी इमारतों में पोलिंग बूथ होंगे।

उद्धव ने महाराष्ट्र में सीएम फेस को लेकर दिया बड़ा बयान, कांग्रेस और एनसीपी-एसपी को दिया खुला ऑफर

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इस साल के अंत में चार राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनाव आयोग आज विधानसभा चुनाव का एलान करने वाला है।उससे पहले महाराष्ट्र में विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी में मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर महामंथन जारी है। इस बीच शिवसेना (यूबीटी) नेता उद्धव ठाकरे ने आज एक बड़ा बयान दिया है। उद्धव ने सीएम पद के लिए लगभग अपने हाथ खींच लिया हैं और कहा कि कांग्रेस और एनसीपी-एसपी को अपने-अपने सीएम उम्मीदवार का नाम सुझाने दीजिए। हम उसका समर्थन करेंगे।

उद्धव ठाकरे ने एमवीए की एक बैठक में कहा कि महा विकास अघाड़ी कार्यकर्ताओं को महाराष्ट्र के गौरव और सम्मान की रक्षा के लिए स्वार्थ से ऊपर उठना होगा। उनको केवल अपने राज्य का सोचना होगा। उद्धव ने आगे कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव राज्य के स्वाभिमान की रक्षा के लिए एक लड़ाई होगी।

उद्धव ठाकरे ने कहा कि 'भाजपा के साथ गठबंधन के बाद मुझे एक चीज का अनुभव हो गया है कि हमें उस नीति पर नहीं चलना चाहिए कि गठबंधन में जिस पार्टी के सबसे ज्यादा विधायक होंगे, उसी पार्टी का सीएम होगा। हमने भाजपा के साथ गठबंधन में पिछले चुनावों में ऐसा महसूस किया है कि पार्टी अपने विधायकों को ज्यादा से ज्यादा संख्या में जिताने के लिए गठबंधन की दूसरी पार्टी के उम्मीदवारों को कमजोर करने की कोशिश करती है। इसलिए हम ज्यादा विधायकों वाली पार्टी को ही सीएम पद देने के पक्ष में नहीं हैं।'

उद्धव ठाकरे ने कहा कि 'महाविकास अघाड़ी गठबंधन को मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर फैसला करने दीजिए। कांग्रेस और एनसीपी-एसपी को अपने-अपने सीएम उम्मीदवार का नाम सुझाने दीजिए। हम उसका समर्थन करेंगे। हमें महाराष्ट्र और देश की भलाई के लिए काम करना है और मैं 50 खोखा और गद्दारों को भी जवाब देना चाहता हूं। कि लोग हमें चाहते हैं ना कि उन्हें।'

उद्धव ठाकरे ने कहा कि वह काफी समय से अपने सहयोगी दलों के पदाधिकारियों के साथ बैठक करना चाहते थे। आज संयोग बन गया है। चुनाव आयोग आज प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहा है। उन्हें चुनाव की तारीखों की घोषणा करनी है। हम तैयार हैं।उन्होंने कहा कि हमने लोकसभा चुनाव में अपने राजनीतिक दुश्मनों को ढेर कर दिया। वह चुनाव संविधान और लोकतंत्र की रक्षा के लिए था।

आरजी कर अस्पताल तोड़फोड़ मामले में हाईकोर्ट ने ममता सरकार को लगाई फटकार, कहा- अस्पताल बंद करना ही बेहतर

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कोलकाता आरजी कर हॉस्पिटल में ट्रेनी लेडी डॉक्टर की हत्या के बाद से देशभर में बवाल मचा हुआ है। कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में बुधवार आधी रात कुछ लोगों ने अस्पताल परिसर में घुसकर आपातकालीन विभाग में तोड़फोड़ की। आरजी कर अस्पताल और कॉलेज पर बुधवार और गुरुवार के दरम्यान रात में 40 गुंडों ने हमला कर दिया था। इसमें उन्होंने न केवल विरोध कर रहे डॉक्टरों के स्थान को तबाह किया, बल्कि उन्होंने अस्पताल में उन्होंने जमकर तोड़फोड़ किया है। इस मामले में आज शुक्रवार को कोलकाता हाईकोर्ट ने संज्ञान स्वतः संज्ञान लिया है। कलकत्ता हाईकोर्ट ने इस मामले में ममता बनर्जी सरकार को जमकर फटकार लगाई है और सख्त टिप्पणी की है।

कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में डॉक्टर के रेप और मर्डर की घटना के बाद 14 अगस्त की रात को हुई तोड़फोड़ पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए इसे राज्य सरकार की नाकामी बताया है। हाईकोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि यह पूरी तरह से राज्य मशीनरी की नाकामी है। हाई कोर्ट ने कहा है कि भीड़ इकट्ठी होने की जानकारी पुलिस को क्यों नहीं हुई? हंगामा रोकने के लिए धारा 144 लगाते। पुलिस को घेराबंदी करनी चाहिए थी। उच्च न्यायालय ने कहा कि हनुमान जयंती पर भी ऐसा ही हुआ था। 

अस्पताल में तोड़फोड और भीड़ के हमले को लेकर कड़ी चिंता जताते हुए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा, मरीजों से माफी मांग कर दूसरे अस्पताल भेज दीजिए और आर जी कर अस्पताल को बंद कर दीजिए। आपने जो कुछ किया घटना के बाद, वो सबके सामने है। इससे पहले हनुमान जयंती के दिन छत से पत्थर फेका गया, आपकी इंटेलिजेंस को पता नही था। 7000 लोग इकठ्ठे हो जाते हैं पुलिस को कुछ पता नहीं था? धारा 144 लागू क्यों नहीं की गई? भीड़ पर क्यों काबू नहीं किया गया? ऐसे कई सवाल उठाते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि ये बातें आम आदमी यानी जनता के भरोसे को तोड़ देती हैं।

बेंच ने कहा, ऐसी घटनाओं का डॉक्टरों और अस्पताल कर्मियों पर बुरा असर पड़ता है। उनका आत्मविश्वास कमजोर पड़ता है। डॉक्टर्स और अन्य मेडिकल स्टाफ खुद को असुरक्षित महसूस करता है। यह दुखद स्थिति है। आखिर कैसे ये डॉक्टर बिना डर के काम करेंगे।

बता दें कि आरजी कर अस्पताल के नजदीक पुलिस बैरिकेड तोड़कर भीड़ परिसर में घुस गई थी। कुछ लोगों ने कुर्सियां और बोर्ड तोड़ दिए थे। यह घटना तब हुई जब जूनियर डॉक्टर के लिए न्याय की मांग करते हुए बड़ी संख्या में महिलाएं कोलकाता की सड़कों प्रदर्शन कर रही थीं। अस्पताल में हुई तोड़फोड़ को लेकर पुलिस ने जानकारी दी थी कि 30-40 युवक ने अंदर घुसकर तोड़फोड़ की है। तोड़फोड़ करने वाले ये लोग कौन है इसका पता नहीं चल सका है। बड़ी बात यह है कि पुलिस के सामने ही तोड़फोड़ होती रही। इस पर अब प्रश्न यह उठने लगा है कि क्या महिलाओं के शांतिपूर्ण आंदोलन से ध्यान हटाने के लिए तो यह सुनियोजित घटना नहीं है।

अग्नि मिसाइल के जनक और DRDO के विख्यात साइंटिस्ट डॉ. राम नारायण अग्रवाल का दुखद निधन

 भारत के रक्षा अनुसंधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. राम नारायण अग्रवाल का गुरुवार को हैदराबाद में 84 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनके परिवार में उनकी पत्नी और दो बच्चे हैं। "अग्नि मिसाइलों के जनक" माने जाने वाले डॉ. अग्रवाल ने रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के तत्वावधान में भारत के लंबी दूरी के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 

भारत की मिसाइल प्रौद्योगिकी में अग्रवाल का योगदान देश की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने में सहायक रहा है। उनका नेतृत्व और विशेषज्ञता अग्नि मिसाइल श्रृंखला के सफल विकास के लिए केंद्रीय थी, जो भारत के सामरिक रक्षा ढांचे की आधारशिला बन गई है। 1983 में शुरू हुए अग्नि मिसाइल कार्यक्रम के परियोजना निदेशक के रूप में, डॉ. अग्रवाल का नेतृत्व और दूरदर्शिता दो दशकों से अधिक समय तक परियोजना की सफलता में सहायक रही। 

उनके मार्गदर्शन में, टीम ने मई 1989 में प्रौद्योगिकी प्रदर्शक मिसाइल के सफल परीक्षण के साथ एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की। ​​इसने भारत की मिसाइल प्रौद्योगिकी में प्रगति की एक श्रृंखला की शुरुआत की। अग्नि मिसाइल, जिसे शुरू में एक तकनीकी प्रदर्शक के रूप में परिकल्पित किया गया था, एक दुर्जेय हथियार प्रणाली के रूप में विकसित हुई जिसके कई संस्करण विकसित किए गए और बाद में रक्षा बलों में शामिल किए गए।

अगर हम उसकी जान के बदले पैसे लेंगे तो वह बहुत दुखी होगी', कोलकाता कांड पर बोले विक्टिम के पिता

कोलकाता दुष्कर्म-हत्या मामला निरंतर ख़बरों में बना हुआ है. बुधवार रात संबंधित चिकित्सालय में जमकर तोड़फोड़ हुई थी, तत्पश्चात, ये मामला और अधिक उलझ गया है. वहीं, अब मृतका के पिता ने कहा कि यदि हम उसकी जान के बदले पैसे लेंगे तो वह बहुत दुखी होगी. यदि मुझे न्याय मिलेगा, तो उसे अवश्य लेकर आऊंगा. इसके अतिरिक्त, मृतका के पिता ने बृहस्पतिवार शाम को कहा कि CBI के अफसर आज आए तथा हमारे बयान समेत सभी सबूत ले गए.

आगे कहा कि हम इस घटना को लेकर पूरे देश के साथ-साथ विदेशों में भी हो रहे विरोध एवं आंदोलन के पक्ष में 100 फीसदी हैं. सभी प्रदर्शनकारियों को हमारा प्यार, हम सभी को अपना बेटा-बेटी मानते हैं. मृतका छात्र के पिता ने कहा कि रात के समय चिकित्सालय पर हुए हमले के पीछे सुबूतों को गलत साबित करने का कोई प्रयास नहीं किया गया है. यह प्रशासन का मामला है, प्रशासन इसे समझेगा. इस पर मेरा टिप्पणी करना उचित नहीं है. यह न्यायिक मामला है. CBI ने आश्वासन दिया है कि पकड़े जाने पर अपराधियों को कड़ी सजा दी जाएगी. यह जल्द से जल्द किया जाएगा.

चिकित्सालय के अंदर मचे उपद्रव के पश्चात् चिकित्सालय के अंदर की जो तस्वीरें सामने आई हैं, वो आधी रात को हुई घटना की पूरी कहानी बयां कर रही है. चिकित्सालय के बाहर देर रात प्रदर्शन कर रहे लोगों के बीच सम्मिलित कुछ अज्ञात लोग अचानक से अंदर घुस गए तथा हंगामा मचाना आरम्भ कर दिया. आक्रोशित प्रदर्शनकारी चिकित्सालय के दरवाजे, खिड़कियां, बेड, मेडिकल उपकरणों, जो भी सामने आया उसे बर्बाद करते चले गए. चिकित्सालय के उस हिस्से में भी तोड़फोड़ की गई, जहां महिला चिकित्सक के साथ वारदात को अंजाम दिया गया था. अज्ञात प्रदर्शनकारियों ने चिकित्सालय के डॉक्टरों के साथ भी मारपीट की.

अपने ही राज्य में हुए लेडी डॉक्टर के रेप-मर्डर के खिलाफ मार्च निकालेंगी ममता बनर्जी, क्या खुद ही करेंगी विपक्ष का भी काम ?

किसी राज्य में कोई अप्रिय घटना होती है, तो उस राज्य का विपक्ष सड़कों पर उतरता है, और प्रदर्शन-रैली आदि करके उस प्रदेश की सरकार पर कार्रवाई के लिए दबाव बनाता है और राज्य के कानून व्यवस्था पर सवाल उठता है। मगर, पश्चिम बंगाल में उलटा होने जा रहा है। यहाँ 13 सालों से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आसीन ममता बनर्जी खुद कोलकता में लेडी डॉक्टर के रेप-मर्डर मामले के खिलाफ रैली निकालने वाली हैं। तृणमूल कांग्रेस (TMC) नेता और सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा है कि सीएम ममता बनर्जी 17 अगस्त को कोलकाता बलात्कार और हत्या मामले के खिलाफ एक रैली आयोजित करेंगी और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से इसकी जांच में तेजी लाने की मांग करेंगी। TMC सांसद ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर लिखा कि "कोलकाता में एक युवती की हत्या और बलात्कार की घटना से अधिक क्रूर और जघन्य अपराध की कल्पना करना कठिन है।" मुख्यमंत्री की निर्धारित रैली के पीछे के कारणों को गिनाते हुए डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि मामले को अपने हाथ में लेने वाली केंद्रीय जांच एजेंसी CBI को जांच पर रोजाना अपडेट देना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि CBI को शनिवार तक जांच पूरी करने के लिए कोलकाता पुलिस को मुख्यमंत्री द्वारा दी गई समयसीमा का पालन करना चाहिए। बता दें कि, कलकत्ता हाई कोर्ट ने मामले की जांच CBI को सौंपी है, इससे पहले कोलकाता पुलिस मामले की जांच कर रही थी। वहीं, TMC सांसद ने आगे कहा कि, "कोलकाता पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। न्याय तभी होगा जब CBI सभी संलिप्त लोगों को गिरफ्तार करेगी और मामले को फास्ट ट्रैक अदालत में भेजेगी।" TMC नेता ने कहा कि, "CBI द्वारा मामले को अपने हाथ में लेने से यह मामला चुपचाप दब नहीं जाना चाहिए। समय की मांग है कि त्वरित न्याय हो और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले। इस बर्बर कृत्य को अंजाम देने वाले किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाना चाहिए।" इस बीच, TMC नेता के अनुसार, कोलकाता पुलिस ने राष्ट्रव्यापी 'रिक्लेम द नाइट' विरोध प्रदर्शन के दौरान अस्पताल में तोड़फोड़ करने के आरोप में 19 लोगों को गिरफ्तार किया है। उन्होंने कहा कि, "अस्पताल पर हमला करने और तोड़फोड़ करने वालों पर भी मामला दर्ज किया जाना चाहिए।" पुलिस के अनुसार, बुधवार देर रात 40 से 50 लोगों के एक समूह ने प्रदर्शन की आड़ में अस्पताल परिसर में घुसकर संपत्ति को नुकसान पहुंचाया।
बंगाल में एक और लड़की की रहस्यमयी हत्या, गला कटा शव मिला, पहले ही डॉक्टर के क़त्ल पर मचा है बवाल

पश्चिम बंगाल के पूर्वी बर्दवान जिले के शक्तिगढ़ में गुरुवार (15 अगस्त) के दिन एक युवती का गला कटा हुआ शव मिलने से इलाके में हड़कंप मच गया। पीड़िता की पहचान प्रियंका हंसदा (22) के रूप में हुई है। पुलिस ने अप्राकृतिक मौत की शिकायत दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। पीड़ित परिवार ने पुलिस को बताया कि मृतक महिला बेंगलुरु में एक रिटेल सेंटर में काम करती थी और 12 अगस्त को छुट्टी पर घर आई थी।

उन्होंने पुलिस को यह भी बताया कि वह बुधवार की देर शाम किसी से फोन पर बात करते हुए घर से रवाना हुई थी। तब से वह लापता थी और आखिरकार उसका गला कटा हुआ शव बरामद किया गया। जिला पुलिस अधिकारियों के अनुसार, उन व्यक्तियों का पता लगाने के लिए व्यापक जांच शुरू कर दी गई है जिनके साथ उसे घर से निकलते समय मोबाइल फोन पर आखिरी बार बातचीत करते देखा गया था। पीड़िता के परिजनों ने मीडिया को बताया कि यह हत्या का मामला है। उन्होंने बताया कि किसी का फोन आने के बाद वह घर से निकली थी और उसका गला कटा हुआ शव बरामद हुआ। उन्होंने यह भी बताया कि जब वह काफी देर तक घर नहीं लौटी तो उन्होंने उसके फोन से संपर्क करने की कोशिश की। लेकिन उसने फोन नहीं उठाया।

जिला पुलिस के अनुसार, मामले में दर्ज बयानों के आधार पर, घर से निकलने से पहले पीड़िता को जो फोन आया था वह किसी ऐसे व्यक्ति का था, जिसे वह अच्छी तरह जानती थी। बता दें कि, यह घटना तब हुई है, जब 12 अगस्त को कोलकाता के एक सरकारी अस्पताल में जूनियर डॉक्टर की दर्दनाक मौत को लेकर राज्य में विरोध प्रदर्शन हुए हैं। कोलकाता पुलिस ने इस मामले में एक व्यक्ति को हिरासत में लिया है। कोलकाता उच्च न्यायालय के आदेश के बाद अब सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है।

सितंबर में अमेरिका जाएंगे नेता विपक्ष राहुल गांधी ! पिछले विदेशी दौरों पर हो चुका है विवाद

कांग्रेस नेता राहुल गांधी के सितंबर में अमेरिका जाने की संभावना है, जहां वे भारतीय प्रवासियों, छात्रों और अमेरिकी सांसदों से मुलाकात कर सकते हैं। लोकसभा में विपक्ष के नेता (LoP) बनने के बाद यह उनकी पहली विदेश यात्रा होगी। सूत्रों के मुताबिक, राहुल गांधी सितंबर के दूसरे सप्ताह में अमेरिका के लिए रवाना हो सकते हैं और वहां 8 से 9 दिनों तक रह सकते हैं। उनका यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के प्रचार का दौर चरम पर है।

उल्लेखनीय है कि, 2014 से 2024 तक लोकसभा में विपक्ष के नेता का पद खाली रहा था, क्योंकि उस समय कोई भी विपक्षी दल इस पद के लिए पर्याप्त सांसदों की संख्या नहीं जुटा पाया था। हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी की सीटों की संख्या 99 पहुंचने के बाद, 25 जून, 2024 को राहुल गांधी को लोकसभा में विपक्ष का नेता नियुक्त किया गया। अब नेता विपक्ष बनने के बाद ये उनका पहला विदेशी दौरा होने जा रहा है। लेकिन इससे पहले बीते 10 सालों में राहुल, जब जब विदेश गए हैं, वहां दिए गए उनके बयानों से भारत में जमकर सियासी बवाल मचा है। 

राहुल गांधी के विदेश दौरे और विवाद

बता दें कि, राहुल गांधी का चुनावी मौसम के दौरान या ऐसे समय जब उनकी पार्टी को उनकी सबसे ज्यादा जरूरत है, जनता को बताए बिना 'गुप्त' छुट्टियों पर जाने का इतिहास रहा है। वे विदेश किसलिए जाते हैं, वहां जाकर वे किससे मिलते हैं ? ये तमाम बातें मीडिया में भी नहीं आती। बाद में उनकी मुलाकातों की तस्वीरें जब सोशल मीडिया के जरिए सामने आती हैं, तब उनपर बवाल होता है, क्योंकि अधिकतर समय कोई न कोई भारत विरोधी शख्स उनके साथ नज़र आ ही जाता है। 

अप्रैल 2022 में, चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर द्वारा पार्टी में शामिल होने के कांग्रेस के प्रस्ताव को अस्वीकार करने के बाद, राहुल गांधी अचानक गायब हो गए थे। रिपोर्टों में बताया गया था कि गांधी 10 दिनों से अधिक समय तक लापता रहे और उनसे संपर्क नहीं हो सका, जिससे पार्टी को संकट के दौरान अकेले ही कार्रवाई करनी पड़ी। इससे पहले दिसंबर 2021 में, वायनाड के सांसद 2022 में होने वाले 5 राज्यों के आगामी विधानसभा चुनावों के लिए अभियान और रैलियों से पहले इटली की निजी यात्रा पर निकल गए थे। जिसके कारण पार्टी को पंजाब में राहुल गांधी की पहले से निर्धारित रैली को स्थगित करने के लिए मजबूर होना पड़ा था। 

दिवाली 2021 से ठीक पहले, राहुल गांधी फिर से बिना किसी सूचना के लापता हो गए थे, कथित तौर पर लंदन चले गए थे। उसी वर्ष 5 नवंबर को, यह बताया गया कि गांधी 'लंबी छुट्टी' पर थे। यहाँ तक कि, संसद में बोलने न देने का आरोप लगाने वाले राहुल गांधी, संसद में शीतकालीन सत्र शुरू होने से ठीक पहले अचानक विदेश निकल गए थे और लगभग एक महीने बाद लौटे। उस वक्त भाजपा ने राहुल गांधी पर कटाक्ष किया था और उनकी लंदन यात्रा पर सवाल उठाए थे। सितंबर 2021 में, जब पंजाब में कांग्रेस पार्टी अमरिंदर सिंह के इस्तीफे से संकट का सामना कर रही थी, तब गांधी परिवार शिमला में छुट्टियां मना रहा था।

दिसंबर 2020 में राहुल गांधी अपनी पार्टी के 136वें स्थापना दिवस का कार्यक्रम छोड़कर इटली निकल लिए थे। उनकी पार्टी के नेता एक स्पष्टीकरण पर सहमत नहीं हो सके और आगे चलकर खुद को मीडिया के सवालों का निशाना बना गए। अक्टूबर 2019 में, हरियाणा और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से 15 दिन पहले, राहुल गांधी कथित तौर पर बैंकॉक के लिए रवाना हो गए थे। उसी साल जून में, संसदीय चुनावों की मतगणना से पहले, राहुल गांधी UPA अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक में शामिल नहीं हुए और छुट्टी मनाने के लिए लंदन चले गए।

बता दें कि, नवंबर 2019 में, भाजपा नेता राजनाथ सिंह ने राहुल गांधी से उनकी विदेश यात्राओं पर विशेष सुरक्षा समूह (SPF) कर्मियों को अपने साथ नहीं ले जाने के फैसले के बारे में सवाल किया था। राजनाथ सिंह ने कहा था कि, 'पिछले दो वर्षों में, राहुल गांधी छह विदेशी यात्राओं पर 72 दिनों के लिए बाहर गए थे। लेकिन उन्होंने SPG का सुरक्षा कवर नहीं लिया। उन्होंने SPG कवर क्यों नहीं लिया? हम जानना चाहते हैं कि राहुल गांधी SPG सुरक्षा प्राप्त होने के बावजूद विदेशी दौरों पर एसपीजी को साथ न ले जाकर क्या छिपाने की कोशिश कर रहे हैं।'

इस तरह का जानबूझकर उठाया गया कदम कथित तौर पर SPG अधिनियम का उल्लंघन है। भारत और विदेश दोनों में सुरक्षा नियमों के बार-बार उल्लंघन के मद्देनजर, 2019 में उनकी SPG सुरक्षा रद्द कर दी गई और उन्हें Z CRPF सुरक्षा कवर प्रदान किया गया था।

उल्लेखनीय है कि, राहुल गांधी 2023 में भी 10 दिवसीय अमेरिका दौरे पर गए थे, जहां उन्होंने नेशनल प्रेस क्लब, स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी और 'थिंक टैंक' के साथ कथित तौर पर भारत और अमेरिका के बीच संबंधों पर चर्चा की थी। हडसन इंस्टीट्यूट ने इन "थिंक टैंक" के साथ गहन बातचीत में राहुल गांधी की तस्वीरें ट्वीट कीं थीं। हडसन इंस्टीट्यूट में हुए इस कार्यक्रम में ''सुनीता विश्वनाथ'' राहुल गांधी के साथ बैठी नज़र आईं थीं। अब गौर कीजिए कि, सुनीता विश्वनाथ HfHR की सह-संस्थापक हैं, जिन्होंने इंडियन अमेरिकन मुस्लिम कॉउन्सिल (IAMC) के साथ पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ एक पत्र पर हस्ताक्षर भी किए हैं।

इन्फो-वॉरफेयर और साइ-वॉर की जांच OSINT डिसइन्फो लैब ने एक जांच की थी, जिसमें खुलासा हुआ था कि सुनिया विश्वनाथ का 'हिंदू फॉर ह्यूमन राइट्स (HfHR)' 'हिंदू बनाम हिंदुत्व' की भ्रामक कहानी को बढ़ावा दे रहा था। इसी संगठन को 'डिसमेंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व' (वैश्विक हिंदुत्व को ख़त्म करना) कार्यक्रम का समर्थन करते हुए भी देखा गया था। डिसइन्फो लैब के अनुसार, HfHR का गठन वर्ष 2019 में इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल (IAMC) और ऑर्गनाइजेशन फॉर माइनॉरिटीज ऑफ इंडिया (OFMI) नामक दो इस्लामवादी वकालत समूहों द्वारा किया गया था। दिलचस्प बात यह है कि तीनों संगठनों ने अलायंस फॉर जस्टिस एंड अकाउंटेबिलिटी (AJA) नामक एक और संगठन बनाया था।

एक रिपोर्ट के अनुसार, एलायंस फॉर जस्टिस एंड अकाउंटेबिलिटी (AJA) 22 सितंबर, 2019 को पीएम मोदी की ह्यूस्टन यात्रा के खिलाफ प्रदर्शनों का नेतृत्व करने में सबसे आगे था। डिसइन्फो लैब के मुताबिक, हिंदूज फॉर ह्यूमन राइट्स (HfHR) की सह-संस्थापक सुनीता विश्वनाथ 'वीमेन फॉर अफगान वुमेन' नाम से एक संगठन भी चलाती हैं, जिसे (जॉर्ज) सोरोस ओपन सोसाइटी फाउंडेशन द्वारा वित्त पोषित किया जाता है। बता दें कि, अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस पर मीडिया और 'सिविल सोसाइटी' के माध्यम से एक खतरनाक भारत विरोधी साजिश को गढ़ने के गंभीर आरोप हैं। 

सितंबर 2023 में राहुल गांधी को भारत विरोधी इतालवी वामपंथी राजनेता फैबियो मासिमो कास्टाल्डो के साथ देखा गया था। फैबियो मास्सिमो कास्टाल्डो कांग्रेस पार्टी के आधिकारिक एक्स हैंडल द्वारा एक्स पोस्ट की दूसरी तस्वीर में सबसे दाईं ओर लाल टाई पहने हुए व्यक्ति नज़र आए थे। फैबियो मास्सिमो कास्टाल्डो का यूरोप में पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी ISI की संपत्ति - परवेज़ इकबाल लोसर के साथ संबंध - राहुल गांधी के यूरोपीय संसद का दौरा करने के इरादे को संदेह के घेरे में लाता है। इसलिए, फैबियो मास्सिमो कास्टाल्डो और उसके कथित ISI मित्र परवेज़ इकबाल लोसर के बारे में अधिक जानना आवश्यक है।

बता दें कि, फैबियो मास्सिमो कास्टाल्डो यूरोपीय संसद के पूर्व सदस्य हैं। इतालवी वामपंथी राजनेता परवेज़ इक़बाल लॉसर के मित्र हैं, जो पाकिस्तानी जासूसी एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) की यूरोप संपत्ति हैं। लॉसर कश्मीर मुद्दे पर भारत विरोधी प्रचार करने और यूरोप में भारत के हितों के खिलाफ पैरवी करने का काम कर रहा है। फैबियो मास्सिमो कास्टाल्डो की पुरानी एक्स पोस्टों में से एक इसका सबूत मौजूद है। राहुल गांधी ने अपनी सितंबर यात्रा के दौरान एमईपी पियरे लारौटुरो से भी मुलाकात की थी। 

मणिपुर मुद्दे पर जुलाई में यूरोपीय संघ की संसद में पारित भारत विरोधी प्रस्ताव के पीछे एमईपी पियरे लारौटुरोउ प्रमुख शख्सियतों में से एक थे। एक लंबे सोशल मीडिया शेखी बघारते हुए, पियरे लारौटुरो ने यह भी स्पष्ट कर दिया था कि यूरोपीय संघ का प्रस्ताव विशेष रूप से पीएम मोदी की फ्रांस यात्रा को लक्षित करने के लिए था। यूरोपीय संसद में समाजवादियों और डेमोक्रेट्स के प्रगतिशील गठबंधन का प्रतिनिधित्व करने वाले पियरे लारौटुरो ने 'भारत, मणिपुर में स्थिति' शीर्षक वाले प्रस्ताव को पेश करने का नेतृत्व किया था।

वहीं, अलविना अलमेत्सा, जिनसे राहुल गांधी ने ब्रुसेल्स में मुलाकात की थी, वह भी उन एमईपी में से एक थीं जो इस प्रस्ताव के पीछे थे। अलमेत्सा यूरोप में मुखर भारत विरोधी प्रचारक रहे हैं। इस साल जनवरी में, उन्होंने ISI से जुड़े संगठन 'द लंदन स्टोरी' द्वारा आयोजित प्रशांत भूषण और शाहरुख आलम के साथ एक चर्चा में भाग लिया था। जुलाई 2023 में, यूरोपीय संघ के पूर्ण सत्र में बोलते हुए, अलमेत्सा ने कहा कि स्थिति की 'निगरानी' करने और शांतिपूर्ण समाधान लाने के लिए बाहरी पर्यवेक्षकों को मणिपुर में अनुमति दी जानी चाहिए। उन्होंने दावा किया कि भारत में मानवाधिकारों और प्रेस की स्वतंत्रता की स्थिति खराब हो रही है और उन्होंने भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप का आह्वान किया।

अलविना अलमेत्सा भारत के खिलाफ अपने अभियान, कॉलम लिखने, पैरवी करने और यूरोपीय संघ में भारतीय हितों के खिलाफ अभियान चलाने में लगातार लगी हुई हैं। जनवरी 2021 में, उन्होंने ईयू ऑब्जर्वर में एक लेख लिखकर भारत में 'मानवाधिकार' की स्थिति में हस्तक्षेप के लिए ईयू के समर्थन का आह्वान किया। अपनी भारत-केंद्रित बातचीत और कथा में, अलमेत्सा तीस्ता सीतलवाड से लेकर संजीव भट्ट और स्टेन स्वामी तक सभी भारत विरोधी आवाज़ों को बढ़ावा देने या समर्थन करने के लिए प्लेटफार्मों का उपयोग कर रही है।

पूरे देश में स्वतंत्रता दिवस मनाया गया लेकिन यहां मना गणतंत्र दिवस, चौंकाने वाली है वजह, अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर उठ रहे सवाल

देशभर में जब स्वतंत्रता दिवस की धूम थी, तब बिहार के गोपालगंज जिले में एक प्रशासनिक गलती ने लोगों को चौंका दिया। गोपालगंज के सिधवलिया प्रखंड में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर गणतंत्र दिवस का जश्न मनाने का निमंत्रण पत्र वायरल हो रहा है। इस पत्र को देखकर लोग दंग हैं, क्योंकि उसमें 15 अगस्त के कार्यक्रम के लिए आमंत्रण तो था, मगर उसे गणतंत्र दिवस कार्यक्रम का बताया गया। वही इस निमंत्रण पत्र में 15 अगस्त की तारीख दी गई थी, मगर कार्यक्रम को 26 जनवरी के रूप में वर्णित किया गया। इस गलती ने सोशल मीडिया पर जमकर सुर्खियां बटोरीं तथा लोग प्रशासन की इस लापरवाही पर तंज कस रहे हैं। यह पत्र सिधवलिया प्रखंड के अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों द्वारा तैयार किया गया था, जिसे सार्वजनिक रूप से जारी किया गया। इस गलती ने सरकारी अफसरों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। आमतौर पर स्कूल जाने वाले बच्चों को भी स्वतंत्रता दिवस तथा गणतंत्र दिवस के बीच का अंतर पता होता है। ऐसे में जब उच्च पदों पर बैठे अफसरों से यह गलती होती है, तो सवाल उठना स्वाभाविक है। लोगों का मानना है कि किसी ने निमंत्रण पत्र को सही से पढ़ने और जांचने की आवश्यकता नहीं समझी, जिससे यह हास्यास्पद स्थिति उत्पन्न हुई। अब सवाल यह है कि इस प्रशासनिक चूक के लिए जिम्मेदार कौन है और क्या इस पर कोई कार्रवाई होगी?