ट्रेनी डॉक्टर से रेप-हत्या मामले में गरमाई बंगाल की सियासत, ‘वाम' और 'राम’ तक पहुंचा मामला

#mamata_banerjee_blame_ram_bam_for_rg_kar_hospital_vandalism 

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक जूनियर महिला डॉक्टर के साथ हुई हैवानियत की घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। वहीं, रेप मर्डर मामले में सियासत जोरों पर है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज पर हमले को बीजेपी और लेफ्ट से जोड़ दिया है। ममता बनर्जी ने इस मामले से जुड़े प्रदर्शन का दोष 'राम'-'वाम' पर मढ़ दिया है।

पश्च‍िम बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी स्वतंत्रता दिवस के मौके पर गुरुवार को राजभवन पहुंचीं। लेकिन चाय पार्टी के बाद उन्‍होंने बीजेपी और वामपंथी दलों पर जमकर निशाना साधा। ममता बनर्जी ने कहा कि बुधवार रात को आरजी कर में जो क्षति हुई है जिन्होंने यह तांडव किया है वे आरजी कर के छात्र आंदोलन से जुड़े नहीं हैं। वे बाहर के लोग हैं, मैंने जितनी वीडियो देखी है, उसमें किसी के हाथ में राष्ट्रीय ध्वज हैं। वे बीजेपी के लोग हैं, और कुछ लोगों के हाथ में सफेद लाल झंडे हैं। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि तांडव वाम और राम ने यह किया है।

जब तक हमारी पुलिस जांच कर रही थी, कुछ लीक नहीं हुआ-ममता

ममता बनर्जी ने आगे कहा, हमने सारे दस्तावेज दे दिए हैं, जो भी लीक हो रहा है, जब तक हमारी पुलिस जांच कर रही थी, तब तक कुछ भी लीक नहीं हुआ। ममता बनर्जी ने कहा कि अब केस हमारे हाथ में नहीं हैं, सीबीआई के हाथ में है। आपको कुछ बोलना है तो सीबीआई को बोलें, हमें कोई आपत्ति नहीं हैं। मेरी और बंगाल के लोगों की संवेदनाएं पीड़ित परिवार के साथ हैं। यह बहुत बड़ा अपराध है, इसकी एकमात्र सजा फांसी है, अगर अपराधी को फांसी होगी तभी लोगों को इससे सबक मिलेगा लेकिन किसी निर्दोष को सजा नहीं मिलनी चाहिए।

ममता ने की पुलिस की सराहना

ममता बनर्जी ने कहा कि कल पुलिस पर भी आक्रमण हुआ। पुलिस के लोगों पर बहुत आक्रमण हुआ लेकिन मैं उन्हें साधुवाद देना चाहूंगी कि उन्होंने धीरज नहीं खोया। उन्होंने शांति के लिए किसी को चोट नहीं पहुंचाई।

बंगाल में आज खूब होगा बवाल! ट्रेनी डॉक्टर से रेप-हत्या के विरोध में टीएमसी-भाजपा का विरोध प्रदर्शन, डॉक्टर्स भी सड़कों पर

#kolkata_doctor_rape_murder_case_opposition_left_doctors_protest 

कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और हत्या के विरोध में देशभर में डॉक्टर अपने अपने तरीके से प्रदर्शन कर रहे हैं। किसी शहर में काली पट्टी बांधकर काम हो रहा है तो कहीं ओपीडी बंद है। इस बीच इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने 17 अगस्त को देशव्यापी हड़ताल का ऐलान किया है। इस दौरान केवल इमर्जेंसी में काम होगा। ओपीडी सेवाएं ठप रहेंगी। इससे पहले आज यानी 16 अगस्त को बंगाल में खूब “बवाल” होने वाला है। इसके साथ ही आज पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस और भाजपा का विरोध प्रदर्शन होगा। 

आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में प्रशिक्षु महिला डॉक्टर से दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में बंगाल में राजनीति तेज हो गई है। तृणमूल कांग्रेस और भाजपा इस मामले को लेकर आज प्रदर्शन करने वाली हैं। एक तरफ जहां सीएम ममता बनर्जी दोषी को फांसी की सजा की मांग को लेकर रैली निकालेंगी। ममता बनर्जी इस घटना के विरोध में आज शाम 4 बजे मौलाली से धरमतला तक विरोध रैली आयोजित करेंगी। वहीं, दूसरी तरफ भाजपा भी राज्य के हर जिले में विरोध प्रदर्शन करेगी। कोलकाता में मुख्यमंत्री आवास तक कैंडल मार्च निकाला जाएगा। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा कि राज्य में कानून-व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। ऐसे में सीएम ममता बनर्जी को इस्तीफा दे देना चाहिए।

सबूत मिटाने की आरोप

बंगाल बीजेपी का कहना है कि अस्पताल में सबूत मिटाने के लिए तोड़फोड़ की गई। यहां बहन बेटियां सुरक्षित नहीं है। बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी ने केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला और सीबीआई के निदेशक को पत्र लिखा है, जिसमें कहा गया है कि आरजी कर अस्पताल में सीएपीएफ फोर्स की तैनाती की जाए ताकि सबूतों से छोड़छाड़ न हो सके।

देशभर के डॉक्टर्स सड़कों पर

वहीं, घटना के बाद देशभर के डॉक्टर्स लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। कोलकाता डॉक्टर रेप-मर्डर केस में डॉक्टरों की वैसे तो बहुतेरे मांग है लेकिन सबसे पहली और अहम मांग यही है कि पीड़िता को न्याय मिले। सभी अस्पतालों में डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो। मृतक डॉक्टर के परिवार को उचित मुआवजा दिया जाए और इस मामले में जल्द से जल्द न्याय हो। डॉक्टर्स सरकार से सेंट्रल हेल्थकेयर प्रोटेक्शन एक्ट की भी मांग कर रहे हैं।

आईएमए ने 17 अगस्त को 24 घंटे के बंद का ऐलान किया

ट्रेनी डॉक्टर की हत्या और आरजी कर मेडिकल कॉलेज के छात्रों के आंदोलन के समर्थन में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने भी 24 घंटे के बंद का ऐलान किया है। आईएमए का यह बंद 17 अगस्त की सुबह 6:00 से 18 अगस्त की सुबह 6:00 बजे तक चलेगा। साथ ही देश के कई मेडिकल एसोसिएशन भी आईएमए के बंद में शामिल होने का ऐलान किया है। इसमें दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन भी शामिल है। डीएमए के एक अधिकारी ने बाताया कि अगर इसका स्थाई समाधान नहीं खोजा गया तो, मेडिकल प्रोफेशन से जुड़े लोग सड़कों उतर आएंगे।

बंगाल में आज खूब होगा बवाल! ट्रेनी डॉक्टर से रेप-हत्या के विरोध में टीएमसी-भाजपा का विरोध प्रदर्शन, डॉक्टर्स भी सड़कों पर

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कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और हत्या के विरोध में देशभर में डॉक्टर अपने अपने तरीके से प्रदर्शन कर रहे हैं। किसी शहर में काली पट्टी बांधकर काम हो रहा है तो कहीं ओपीडी बंद है। इस बीच इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने 17 अगस्त को देशव्यापी हड़ताल का ऐलान किया है। इस दौरान केवल इमर्जेंसी में काम होगा। ओपीडी सेवाएं ठप रहेंगी। इससे पहले आज यानी 16 अगस्त को बंगाल में खूब “बवाल” होने वाला है। इसके साथ ही आज पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस और भाजपा का विरोध प्रदर्शन होगा। 

आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में प्रशिक्षु महिला डॉक्टर से दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में बंगाल में राजनीति तेज हो गई है। तृणमूल कांग्रेस और भाजपा इस मामले को लेकर आज प्रदर्शन करने वाली हैं। एक तरफ जहां सीएम ममता बनर्जी दोषी को फांसी की सजा की मांग को लेकर रैली निकालेंगी। ममता बनर्जी इस घटना के विरोध में आज शाम 4 बजे मौलाली से धरमतला तक विरोध रैली आयोजित करेंगी। वहीं, दूसरी तरफ भाजपा भी राज्य के हर जिले में विरोध प्रदर्शन करेगी। कोलकाता में मुख्यमंत्री आवास तक कैंडल मार्च निकाला जाएगा। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा कि राज्य में कानून-व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। ऐसे में सीएम ममता बनर्जी को इस्तीफा दे देना चाहिए।

सबूत मिटाने की आरोप

बंगाल बीजेपी का कहना है कि अस्पताल में सबूत मिटाने के लिए तोड़फोड़ की गई। यहां बहन बेटियां सुरक्षित नहीं है। बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी ने केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला और सीबीआई के निदेशक को पत्र लिखा है, जिसमें कहा गया है कि आरजी कर अस्पताल में सीएपीएफ फोर्स की तैनाती की जाए ताकि सबूतों से छोड़छाड़ न हो सके।

देशभर के डॉक्टर्स सड़कों पर

वहीं, घटना के बाद देशभर के डॉक्टर्स लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। कोलकाता डॉक्टर रेप-मर्डर केस में डॉक्टरों की वैसे तो बहुतेरे मांग है लेकिन सबसे पहली और अहम मांग यही है कि पीड़िता को न्याय मिले। सभी अस्पतालों में डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो। मृतक डॉक्टर के परिवार को उचित मुआवजा दिया जाए और इस मामले में जल्द से जल्द न्याय हो। डॉक्टर्स सरकार से सेंट्रल हेल्थकेयर प्रोटेक्शन एक्ट की भी मांग कर रहे हैं।

आईएमए ने 17 अगस्त को 24 घंटे के बंद का ऐलान किया

ट्रेनी डॉक्टर की हत्या और आरजी कर मेडिकल कॉलेज के छात्रों के आंदोलन के समर्थन में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने भी 24 घंटे के बंद का ऐलान किया है। आईएमए का यह बंद 17 अगस्त की सुबह 6:00 से 18 अगस्त की सुबह 6:00 बजे तक चलेगा। साथ ही देश के कई मेडिकल एसोसिएशन भी आईएमए के बंद में शामिल होने का ऐलान किया है। इसमें दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन भी शामिल है। डीएमए के एक अधिकारी ने बाताया कि अगर इसका स्थाई समाधान नहीं खोजा गया तो, मेडिकल प्रोफेशन से जुड़े लोग सड़कों उतर आएंगे।

निर्वाचन आयोग का प्रेस कॉन्फ्रेंस आज, इन राज्यों में विधानसभा चुनाव की तारीखों का हो सकता है ऐलान

#election_commission_to_announce_jammu_kashmir_haraya_aassembly_election_schedule_today 

इस साल के अंत तक जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र, झारखंड और हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने हैं। विधानसभा चुनावों को लेकर चुनाव आयोग की आज अहम प्रेस कॉन्फ्रेंस होने वाली है। बताया जा रहा है कि चुनाव आयोग आज विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान करेगा। हालांकि आज केवल जम्मू-कश्मीर और हरियाणा विधानसभा चुनावों की तारीख का ऐलान हो सकता है और बाकी महाराष्ट्र और झारखंड के लिए तारीखों की घोषणा बाद में की जाएगी।

दोपहर 3 बजे चुनाव आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस होगी। चुनाव आयोग की ओर से प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए मीडिया को भेजे गए चुनाव आयोग के निमंत्रण में उन राज्यों का उल्लेख नहीं किया गया है, जिनके लिए चुनाव कार्यक्रम की घोषणा की जाएगी। हालांकि, सूत्र बता रहे हैं कि जम्मू-कश्मीर और हरियाणा विधानसभा चुनाव की घोषणा हो सकती है। दरअसल, चुनाव आयोग ने हाल ही में जम्मू-कश्मीर और हरियाणा का दौरा भी किया था। ऐसे में माना जा रहा है कि इन दोनों राज्यों में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो सकता है।

बता दें कि जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद ये पहला चुनाव होगा। जम्मू-कश्मीर में 2018 में सरकार भंग होने के बाद से ही चुनाव नहीं हुए हैं। जम्मू-कश्मीर में आखिरी बार 2014 में चुनाव हुए थे। तब भाजपा-पीडीपी ने गठबंधन बनाया था। हालांकि, बाद में भाजपा ने इस गठबंधन से दूरी बना ली। 2018 में भाजपा और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की गठबंधन वाली सरकार गिर गई थी।

हरियाणा में मौजूदा सरकार का कार्यकाल नवंबर में खत्म हो रहा है। यहां आखिरी बार 2019 में चुनाव हुए थे। तब भाजपा-जजपा ने साथ आकर सरकार बनाई थी। हालांकि, इसी साल मार्च में दोनों पार्टियों का गठबंधन टूट गया था। दूसरी तरफ भाजपा ने मनोहर लाल खट्टर को हटाकर नायब सिंह सैनी को हरियाणा का मुख्यमंत्री नियुक्त किया था।

पीएम मोदी ने लाल किले से छेड़ा नया राग, सेक्यूलर सिविल कोड का किया जिक्र, कांग्रेस बोली-अंबेडकर का अपमान

#pmnarendramodispeechsecualcivilcode

आजादी की 78वीं सालगिरह पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से भाषण देते हुए एक बार फिर समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का जिक्र किया। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूसीसी पर अपनी सरकार का रुख भी साफ कर दिया। हालांकि पीएम मोदी ने यूसीसी की जगह जिस नाम का इस्तेमाल किया है, वो विवाद बढ़ाने वाला है। जिसकी शुरूआत हो भी गई है। लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में सेकुलर सिविल कोड की जरूरत बताई।प्रधानमंत्री ने कहा कि आज देश को कम्युनल नहीं, बल्कि एक सेक्युलर सिविल कोड की जरूरत है। अब कांग्रेस ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ने लाल किले की प्राचीर से यह कह कर संविधान निर्माता बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर का घोर अपमान किया है।

जयराम रमेश ने सोशल मीडिया साइट ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, 'नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री की दुर्भावना और विद्वेष की कोई सीमा नहीं है। आज के उनके लाल किले के भाषण में यह पूरी तरह से दिखा।' उन्होंने आरोप लगाया कि यह कहना हमारे पास अब तक 'सांप्रदायिक नागरिक संहिता' है, डॉ. अंबेडकर का घोर अपमान है, जो हिंदू पर्सनल लॉ में सुधारों के सबसे बड़े समर्थक थे। ये सुधार 1950 के दशक के मध्य तक वास्तविकता बन गए। इन सुधारों का आरएसएस और जनसंघ ने कड़ा विरोध किया था। उन्होंने 21वें विधि आयोग द्वारा 31 अगस्त, 2018 को पारिवारिक कानून के सुधार पर दिए गए परामर्श पत्र के कथन का उल्लेख किया।

देश को कम्युनल नहीं, सेक्युलर सिविल कोड की जरूरत-पीएम मोदी

इससे पहले पीएम मोदी ने आज स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से कहा कि आज देश को कम्युनल नहीं, बल्कि एक सेक्युलर सिविल कोड की जरूरत है। जिस सिविल कोड का हम पालन कर रहे हैं, वह कम्युनल सिविल कोड है। समय की यह मांग है कि देश में एक सेक्युलर सिविल कोड हो। इसके बाद ही हमें धर्म के आधार पर भेदभाव से मुक्ति मिलेगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी यूनिफॉर्म सिविल कोड पर कई बार चर्चा की है। कई बार आदेश भी दिए हैं। मोदी ने यह भी कहा कि संविधान निर्माताओं का सपना पूरा करना हमारा दायित्व है। धर्म के आधार पर समाज को बांटने वाले कानून आधुनिक समाज स्थापित नहीं कर सकते। इसलिए इनका कोई स्थान नहीं हो सकता है।

इस गंभीर विषय पर व्यापक चर्चा हो-पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कहा, ऐसे सिविल कोड से जब हम संविधान के 75 वर्षा मना रहे हैं अब संविधान की भावना जो कहती है हमें करने के लिए, देश की सुप्रीम कोर्ट भी हमें कहती है करने के लिए और तब संविधान निर्माताओं का जो सपना था, उसे पूरा करने की जिम्मेदारी हमारी है और मैं चाहता हूं की इस गंभीर विषय पर व्यापक चर्चा हो, हर कोई अपने विचार लेकर आए और उन कानूनों को, जो कानून देश को धर्म के आधार पर बांट दे, समाज में ऊंच-नीच का कारण बन जाए, ऐसे कानून का समाज में कोई स्थान नहीं है और इसलिए मैं तो कहूंगा और समाज की मांग है कि देश में एक सेक्यूलर सिविल कोड होना चाहिए। हमने कम्यूनल सिविल कोड में 75 साल बिताए हैं, अब हमें सिविल कोड की तरफ जाना होगा और तब जाकर के जो भेदभाव हो रहे हैं, उससे हमें मुक्ति मिलेगी।

क्या है यूसीसी ?

यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता, जिसे प्रधानमंत्री ने सेक्युलर सिविल कोड के नाम से संबोधित किया, इसका सीधा सा मतलब है देश में रहने वाले हर धर्म, जाति, संप्रदाय और वर्ग के लिए हर मुद्दे पर एक समान नियम-कानून। एक ऐसा कानून जो पूरे देश के लिए एक समान हो। इसमें सभी धर्म वालों के लिए विरासत, शादी, तलाक और गोद लेने के नियम एक ही होंगे। भारत के संविधान में भी देश के सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून की बात कही गई है। इसका अनुच्छेद-44 नीति निर्देशक तत्वों में शामिल है और इस अनुच्छेद का उद्देश्य संविधान की प्रस्तावना में दिए गए धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य के सिद्धांत का पालन करना है। अनुच्छेद-44 में कहा गया है कि सभी नागरिकों के लिए यूनिफॉर्म सिविल कोड बनाना सरकार का दायित्व है।

पहले भी एक परिवार में एक नियम की कर चुके हैं पैरवी

ये पहली बार नहीं है जब पीएम मोदी ने समान नागरिक संहिता को देश की जरूरत बताया है। पिछले साल मध्य प्रदेश में एक रैली में उन्होंने कहा था, परिवार के एक सदस्य के लिए एक नियम हो, दूसरे सदस्य के लिए दूसरा नियम हो तो क्या वो घर चल पाएगा? तो ऐसी दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल पाएगा?'

यूसीसी बीजेपी सरकार का टॉप एजेंडा

बता दें कि समान नागरिक संहिता का मुद्दा मोदी सरकार के टॉप एजेंडे में रहा है। बीजेपी के तीन बड़े वादों- अयोध्या में राम मंदिर बनाना, कश्मीर से 370 हटाना के साथ- साथ समान नागरिक संहिता भी शामिल रहा है. राम मंदिर और 370 का वादा पूरा हो चुका है। अब बारी समान नागरिक संहिता या कहें तो सेक्यूलर सिविल कोड लागू करने की बारी है।

बिना कारण ही हिंदुओं को झेलनी पड़ रही गर्मी', बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर बोले मोहन भागवत

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आज स्वतंत्रता दिवस पर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर में संघ मुख्यालय पर तिरंगा फहराया। मोहन भागवत ने ध्वजारोहण के बाद संघ के कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। आरएसएस प्रमुख ने बांग्लादेश में जारी हिंसा का जिक्र किया। उन्होंने अपने संबोधन में बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा का जिक्र करते हुए कहा कि हिंदूओं को अकारण ही उस हिंसा की गर्मी झेलनी पड़ रही है।

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर में संघ के हेडक्‍वार्टर पर झंडा फहराते हुए कहा, 'हम अपना 78वां स्वतंत्रता दिन पूरा कर रहे हैं। देश में इस स्वतंत्रता के लिए बलिदान करने वाला समूह और उनके पीछे खड़े होने वाले समाज ये दोनों बातें जब बनी तब हमें स्वतंत्रता प्राप्त हुई। हमने जो बड़ी मेहनत से स्वतंत्रता पाई वो पीढ़ी तो चली गई लेकिन आने वाले पीढ़ी को स्व के रंग में रंगना और उसकी रक्षा करना हमारा दायित्व है। उन्‍होंने कहा, आने वाली पीढ़ी का यह कर्तव्य है कि वह स्वतंत्रता के ‘स्व’ की रक्षा करे क्योंकि दुनिया में हमेशा ऐसे लोग होते हैं जो दूसरे देशों पर हावी होना चाहते हैं और हमें उनसे सतर्क एवं सावधान रहना होगा तथा स्वयं को बचाना होगा।

संघ प्रमुख ने कहा कि भारत ऐसा है कि वह खुद की रक्षा और स्वयं की स्वतंत्रता इसका तो दायित्व है ही, हर देश का होता है लेकिन भारतवर्ष की परंपरा रही है कि भारत अपने आपको दुनिया के उपकार के लिए बड़ा करता है और इसलिए पिछले सालों में हमने देखा होगा कि हमने कभी किसी पर आक्रमण नहीं किया, कुछ नहीं किया। जब-जब जो संकट में था, उसकी मदद की, वह हमारे साथ कैसा व्यवहार करता है इसको देखा नहीं, जो संकट में है उसकी मदद करना ये हमारा देश है, ऐसा हमको चलना है।

भागवत ने परोक्ष रूप से बांग्लादेश के हालात का जिक्र करते हुए कहा कि कि दुनिया भर के दुखी-पीड़ितों के लिए हम करते हैं, हमारी सरकार भी करती है, तो ऐसी परिस्थिति में अपना देश ठीक रहे और अन्य देशों को ठीक होना है, उनको हमारी मदद की जरूरत हो और उन देशों में जो अस्थिरता की अराजकता की गर्मी झेलने वाले जो लोग हैं। उनको कोई कष्ट न हो, उन पर कोई अत्याचार न हो, एक देश के नाते हमारे सिर पर है कुछ मामले तो सरकार को अपने स्तर पर ही करने पड़ते हैं। परंतु यह सब करके भी उनको शक्ति तब मिलती है जब समाज इस प्रकार की मनोवृत्ति लेकर, सजगता लेकर देश के लिए सबकुछ अर्पण करने के लिए जीता है।

भागवत ने कहा, यह सुनिश्चित करना हमारे देश की जिम्मेदारी है कि अस्थिरता और अराजकता की मार झेल रहे लोगों को किसी परेशानी, अन्याय और अत्याचार का सामना न करना पड़े. कुछ मामलों में सरकार को अपने स्तर पर भी देखना पड़ता है, लेकिन उसे ताकत तभी मिलती है जब समाज अपना कर्तव्य निभाता है और देश के लिए प्रतिबद्धता दिखाता है।

इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में उम्मीद जताई कि बांग्लादेश में हालात जल्द सामान्य होंगे और वहां हिंदू तथा दूसरे अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी। पीएम मोदी ने कहा, बांग्लादेश में जो कुछ हुआ है उसको लेकर पड़ोसी देश के नाते हमें चिंता होना स्वाभाविक है। मैं आशा करता हूं कि वहां हालात जल्द सामान्य होंगे। 140 करोड़ देशवासियों की चिंता यह है कि वहां हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित हो। उन्होंने कहा, भारत हमेशा चाहता है कि हमारे पड़ोसी देश सुख और शांति के मार्ग पर चलें। शांति के प्रति हमारी प्रतिबद्धता है, हमारे संस्कार हैं। आने वाले दिनों में बांग्लादेश की विकास यात्रा के लिए हमेशा हमारी शुभेच्छा रहेगी क्योंकि हम मानव जाति की भलाई के बारे में सोचने वाले लोग हैं।

बता दें कि बांग्लादेश में पिछले दिनों प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफा देने के बाद से कई हिंदू मंदिरों, हिंदू समुदाय के लोगों के घरों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में तोड़फोड़ की खबरें हैं। नौकरियों में विवादास्पद कोटा प्रणाली को लेकर शेख हसीना नीत सरकार के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन के बाद देश में अव्यवस्था का माहौल हो गया। हसीना ने इस्तीफा दे दिया और देश छोड़ कर भारत आ गईं।

पेरिस ओलंपिक में पदक जीतने वाले खिलाड़ियों से पीएम मोदी ने की मुलाकात, मनु भाकर की पिस्टल थामे आए नजर

#pm_modi_meets_with_india_athletes_returned_from_paris_olympics

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पेरिस ओलंपिक से लौटे इंडियन एथलीट्स से मुलाकात की है। पीएम 15 अगस्त के मौके पर इन एथलीट्स से मिले और उनका हौसला बढ़ाते नजर आए। इस दौरान मनु भाकर, भारतीय हॉकी टीम समेत अन्य खिलाड़ी मौजूद रहे। भारतीय हॉकी टीम के गोलकीपर पीआर श्रीजेश ने पीएम मोदी को अपनी जर्सी दी। वहीं, शूटर मनु भाकर ने प्रधानमंत्री को पिस्टल दी।

भारतीय हॉकी टीम ने पेरिस में लगातार दो ओलंपिक में मेडल जीतकर इतिहास रचा था. भारत के महान गोलकीपर पीआर श्रीजेश और कप्तान हरमनप्रीत सिंह समेत जब पूरी टीम ने उनसे मुलाकात की तो तोहफे के रूप में साइन की हुई जर्सी दी. इसके अलावा हॉकी स्टिक भी गिफ्ट किया।

मनु भाकर ने पेरिस ओलंपिक में शूटिंग में दो ब्रॉन्ज मेडल जीतकर इतिहास रचा था। वो इस खेल में मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनी थीं। इतना ही नहीं उन्होंने ओलंपिक के एक ही एडिशन में दो मेडल हासिल कर इतिहास रचा है।

मनु के साथ मिस्क्ड इवेंट में ब्रॉन्ज जीतने वाले सरबजोत सिंह और शूटिंग के 50 मीटर 3 पोजिशंस इवेंट में ब्रॉन्ज हासिल करने वाले स्वप्निल कुसाले ने भी पीएम से मिलकर बातचीत की। इसके अलावा युवा पहलवान और पेरिस में रेसलिंग के एकमात्र मेडल विजेता अमन सहरावत ने भी पीएम मोदी से मुलाकात की।

हालांकि, इस दौरान नीरज चोपड़ कहीं नजर नहीं आए। दरअसल, नीरज चोपड़ा सर्जरी कराने के लिए पेरिस से सीधा जर्मनी चले गए हैं। इसके चलते वह भारत नहीं आ सके।बैडमिंटन स्टार पीवी सिंधु भी निजी कारणों के चलते पीएम से मिलने नहीं पहुचीं। 2 ओलंपिक मेडल जीतने वाली सिंधु इस बार खाली हाथ रहीं। उन्हें क्वार्टर फाइनल में हार का सामना करना पड़ा और लगातार तीसरा ओलंपिक मेडल जीतने का सपना टूट गया।

पेरिस ओलंपिक में भारत को 6 मेडल मिले। शूटिंग में 3, रेसलिंग में 1, हॉकी में 1 और जेवलिन थ्रो में 1। पिछले ओलंपिक में भारत ने 7 मेडल जीते थे, जो किसी भी एडिशन में मिले सबसे ज्यादा मेडल हैं। पेरिस में हुए ओलंपिक में मनु भाकर ने शूटिंग में ब्रॉन्ज मेडल दिलाने के साथ भारत की झोली में पहला मेडल डाला। दूसरा ब्रॉन्ज मनु भाकर और सरबजोत सिंह की जोड़ी ने शूटिंग में दिलाया। तीसरा मेडल स्वप्निल कुसाले ने जीता जो ब्रॉन्ज मेडल था। यह मेडल भी शूटिंग में ही मिला। भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने पिछले ओलंपिक की तरह इस बार भी ब्रॉन्ज जीता। रेसलिंग में अमन सहरावत ने भारत को ब्रॉन्ज दिलाया और आखिरी मेडल (सिल्वर) नीरज चोपड़ा ने दिलाया।

कोलकाता लेडी डॉक्टर की हत्या-रेप मामले में घिरी ममता बनर्जी, पहली बार नहीं लगा आरोपियों को बचाने का आरोप

#mamata_banerjee_on_kolkata_rape_case 

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ के साथ हैवानियत की हदें पार की गई।पहले अस्मत लूटी गई, फिर बेरहमी से मौत के घाट उतारा गया। इस घटना ने एक बार फिर निर्भया कांड की याद दिला दी। जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। देश भर में भारी प्रदर्शन और लोगों के आक्रोश को देखते हे लेडी डॉक्टर रेप-मर्डर केस की जांच सीबीआई क सौंप दी गी है। दिल्ली से सीबीआई की 25 सदस्यीय टीम कोलकाता पहुंच चुकी है और जांच शुरू कर दी है। इस बीच राज्य की ममता बनर्जी सरकार सवालों के घेरे में है।

एक तरफ जहां विपक्षी बीजेपी और सीपीएम प्रशासन की लापरवाही को मुद्दा बनाकर बंगाल सरकार से इस्तीफा मांग रही हैं। वहीं दूसरी तरफ उनकी पार्टी के नेता और सहयोगी कांग्रेस भी ममता सरकार पर हमलावर है। कलकत्ता हाईकोर्ट ने तो यहां तक पूछ दिया कि आखिर ममता सरकार उसे प्रोटेक्ट क्यों कर रही हैं?

दरअसल, आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के प्रिंसिपल प्रो. (डॉ.) संदीप घोष ने कल यानी सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके कुछ ही देर बाद उन्हें कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में नियुक्त कर दिया गया। ममता सरकार के इसी फैसले की आलोचना हुई। हाईकोर्ट ने अदालत में मौजूद ममता सरकार के वकील से पूछा, ‘आप उनका बचाव क्यों कर रहे हैं? उनका बयान रिकॉर्ड करिए। उन्हें जो कुछ भी पता है, उन्हें बताने दीजिए।’हाईकोर्ट ने सवाल उठाया कि नैतिक जिम्मेदारी लेकर इस्तीफा देने वाले प्रिंसिपल को दूसरे सरकारी कॉलेज का प्रिंसिपल कैसे बनाया जा सकता है? 

हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब किसी मुद्दे पर बंगाल सरकार की फजीहत हो रही है। पहले भी संदेशखाली केस जैसे बड़े मुद्दों पर ममता बनर्जी चौतरफा घिर चुकी हैं।2024 के लोकसभा चुनाव से पहले संदेशखाली के मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस बैकफुट पर आई थी। आरोप था कि तृणमूल के नेता शक्ति का इस्तेमाल कर इन इलाकों में महिलाओं का यौन शोषण करते हैं। ममता ने इस मुद्दे को बीजेपी प्रायोजित बताया।

लाल किले में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की सीट को लेकर विवाद, ओलंपिक पदक विजेताओं के साथ बैठे आए नजर

#congress_leader_rahul_gandhi_sitting_arrangement_controversy 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित किया। इस कार्यक्रम में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने भी हिस्सा लिया। स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान राहुल गांधी को ओलंपिक पदक विजेताओं के साथ सबसे आखिरी पंक्ति में बैठे नजर आए। जैसे ही ये तस्वीरें आई, कांग्रेस ने सवाल उठा दिया। अब राहुल गांधी की सीट को लेकर विवाद हो गया है।

प्रोटोकॉल के मुताबिक, लोकसभा में विपक्ष के नेता, जिनका दर्जा कैबिनेट मंत्री के बराबर होता है, उनको हमेशा आगे की पंक्ति में सीट दी जाती है। जहां फिलहाल भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण, शिवराज सिंह चौहान, अमित शाह और एस जयशंकर बैठे थे। 

ऐसे में कांग्रेस ने राहुल गांधी की सीट को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। पार्टी के राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने कहा, "रक्षा मंत्रालय इतना खराब व्यवहार क्यों कर रहा है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को चौथी कतार में बैठाया गया है। नेता प्रतिपक्ष का पद किसी भी केंद्रीय मंत्री से बड़ा होता है। लोकसभा में वह प्रधानमंत्री के बाद आते हैं। राजनाथ सिंह जी आप रक्षा मंत्रालय को राष्ट्रीय समारोह का राजनीतिकरण करने की इजाजत कैसे दे सकते हैं। आपसे इसकी उम्मीद नहीं थी।"

कांग्रेस की इस आपत्ति पर रक्षा मंत्रालय का बयान आया है।रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, स्वतंत्रता दिवस के मौके पर नेता प्रतिपक्ष के तौर पर राहुल गांधी के लिए आगे की सीट रिजर्व थी, लेकिन उन्होंने अपनी मर्जी से लाइन में पीछे बैठने का फैसला किया।

बता दें कि सफेद कुर्ता-पायजामा पहने राहुल गांधी भारतीय हॉकी टीम के फॉरवर्ड गुरजंत सिंह के बगल में बैठे नजर आ रहे हैं। आगे की रो में मनु भाकर और सरबजोत सिंह जैसे ओलंपिक पदक विजेता बैठे थे। ओलंपिक ब्रॉन्ज मेडलिस्ट हॉकी टीम के कप्तान हरमनप्रीत सिंह और पीआर श्रीजेश सहित टीम के सदस्य भी राहुल गांधी से आगे बैठे थे।

बता दें कि एक दशक में यह पहली बार था जब विपक्ष का कोई नेता स्वतंत्रता दिवस प्रोग्राम के लिए लाल किले पर मौजूद रहा।ऐसे में उसे पीछे बैठे जाने पर विवाद हो गया है।

मंकीपॉक्स वायरस ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित, डब्ल्यूएचओ ने दो साल में दूसरी बार किया ऐलान
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विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने मंकीपॉक्स वायरस को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिया  है।साल 2022 के बाद अब दूसरी बार इस बीमारी को वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य आपातकाल बताया गया है।मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अफ्रीकी महाद्वीप में इन दिनों मंकीपॉक्स संक्रमण काफी तेजी से बढ़ रहा है। इसे एमपॉक्स के नाम से भी जाना जाता है। इस साल अफ्रीका में 14,000 से अधिक मामले और 524 मौतें रिपोर्ट की गई हैं। एमपॉक्स के खतरे को देखते हुए डब्ल्यूएचओ ने बुधवार (14 अगस्त) को इसे 'वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल' घोषित कर दिया है।

डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ . टेड्रोस एडनोम घेब्रेयेसस ने कहा, एमपॉक्स को लेकर आपातकालीन समिति ने बैठक की और मुझे सलाह दी कि यह अंतरराष्ट्रीय चिंता विषय है। मैंने  इसे सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करने की सलाह को स्वीकार कर लिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन जमीनी स्तर पर काम कर रहा है और प्रभावित देशों और जोखिम वाले अन्य लोगों के साथ काम कर रहा है।

आशंका जताई जा रही है यह बीमारी अफ्रीका के अलावा दूसरे महाद्वीपों तक भी फैल सकती है। साल 2022 के बाद से ही मंकीपॉक्स के कुछ मामले आ रहे हैं, लेकिन केस कम थे तो इस बीमारी पर ध्यान नहीं दिया गया। पिछले साल भी अमेरिका और चीन में मंकीपॉक्स के केस आए थे। इसके बाद 2024 की शुरुआत से ही अफ्रीका के देशों में मामले लगातार बढ़ रहे हैं।

डब्ल्यूएचओ इसलिए भी चिंतित है क्योंकि मंकीपॉक्स के अलग-अलग प्रकोप में मृत्यु दर अलग-अलग देखी गई है। कई बार तो यह 10% से भी अधिक रही है। यह इसलिए अधिक खतरनाक साबित हो सकता है क्योंकि यह संक्रामक बीमारी है। इसलिए डब्ल्यूएचओ ने इसे लेकर सबसे उच्च स्तर का अलर्ट जारी किया है।

मंकीपॉक्स चेचक जैसी एक वायरल बीमारी है। आमतौर इस वायरस से संक्रमण के ज्यादा दुष्प्रभाव नहीं होते हैं, लेकिन दुर्लभ मामलों में यह घातक हो सकता है। इसके चलते फ्लू जैसे लक्षण दिखते हैं और शरीर पर मवाद से भरे घाव हो जाते हैं। यह वायरस ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस फैमिली का ही मेंबर है, जो चेचक (स्मालपॉक्स) के लिए भी जिम्मेदार है। इसका प्रकोप मुख्यरूप से समलैंगिक, बाइसेक्सुअल लोगों में अधिक देखा जाता रहा है। हालांकि रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र ने एक रिपोर्ट में अलर्ट किया था कि यौन संबंधों के अलावा भी इस संक्रमण को जोखिम कई और तरीके से हो सकता है, जिसको लेकर सभी लोगों को सावधानी बरतते रहने की आवश्यकता होती है।