भदोही में ऐतिहासिक है हरियांव गांव का प्राचीन शिव मंदिर परिक्रमा करने पर बनता है ओमकार का आकार
नितेश श्रीवास्तव ,भदोही। मखमली कालीनों के लिए पूरे विश्व में विख्यात भदोही भी ऐतिहासिक रूप से काफी समृद्ध है। 15वीं शताब्दी में यहां आए बघेल राजवंशों की छावनी आज भी है यहां आज भी राजवंश परिवार से जुड़े लोग रह रहे हैं ।
भदोही के हरिगांव स्थित बघेल छावनी काफी दूर-दूर तक प्रसिद्ध है। यहां प्राचीन भगवान शिव की नर्मदेश्वर शिवलिंग स्थापित है।बता दें कि भदोही के हरिगांव में स्थित बघेल छावनी समृद्धि इतिहास को अपने अंदर समेटे हुए हैं । यहां स्थित मंदिर परिसर का इतिहास कोणार्क कालीन है । इस मंदिर परिसर में विशाल पीपल के वृक्ष का भी अपना एक इतिहास है।
बघेल परिवार से जुड़ी हुई डॉ ऋचा सिंह बताती है कि इस पीपल के वृक्ष के समीप ही भगवान सूर्य का एक मंदिर था जो की हजारों वर्ष पुराना कोणार्क काल का था । हमारे पति स्वर्गीय अजीत कुमार सिंह ने 1993 में मंदिर का पुनरुद्धार करवाया । जिसका नाम सिद्धपीठ शिवायतन एवं सूर्य मंदिर रखा गया। स्वर्गीय अजीत सिंह ने मंदिर में भगवान शिव के पंचायतन की स्थापना की और भगवान शिव के अंगी देवताओं को भी स्थापित किया।
जिनमें भगवान शिव समेत भगवान श्री कृष्ण भगवान सूर्य भगवती दुर्गा देवी भगवान रामचंद्र भगवान गणेश भगवान नंदी हनुमान जी आदि का विग्रह उपस्थित है । खास बात यह है कि मंदिर जिस स्थान पर चबूतरे पर बना हुआ है उसकी परिक्रमा ओमकार है। यानी परिक्रमा करने पर गोल नहीं ओम का आकार बनता है जो की एक बहुत ही विशिष्ट बात है और पूरे भारतवर्ष में अथवा पूरे विश्व में यह तीसरा ऐसा स्थान है जहां पर ओंकार की परिक्रमा उपस्थित है। इस संबंध में डॉ ऋचा सिंह बताती है कि 2007 में पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम बघेल छावनी पहुंची और मूर्ति की जांच पड़ताल की साथ ही उन्होंने पीपल के वृक्ष की पड़ताल भी की ।
अपनी जांच के बाद उन्होंने बताया कि यह मूर्ति कोणार्क कालीन की हो सकती है जो की छठवीं शताब्दी मानी जाती है । यह पीपल का वृक्ष तकरीबन 700 वर्ष पुराना है । पुरातत्व विभाग के अनुसार यह बहुत ही दुर्लभ प्रतिमा है।
Aug 13 2024, 17:38