बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना का अमेरिका पर बड़ा आरोप, बोलीं-मुझे सत्ता से हटाने की रची गई थी बड़ी साजिश

डेस्क: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने बड़ा आरोप लगाया है और उन्होंने कहा है कि मुझे सत्ता से हटाने के लिए बड़ी साजिश रची गई थी। उन्होंने अमेरिका पर उन्हें सत्ता से बेदखल करने का आरोप लगाया है। हसीना ने कहा है कि सेंट मार्टिन द्वीप नहीं देने के कारण ही अमेरिका ने उन्हें सत्ता से हटाने की योजना बनाई थी। उनका कहना है कि इस द्वीप के मिलने से अमेरिका को बंगाल की खाड़ी पर प्रभाव जमाने में मदद मिल सकती थी। हसीना ने अपने देश के लोगों को आगाह किया और कहा कि आप सब कट्टरपंथियों के बहकावे में न आएं।

इकोनॉमिक्स टाइंम्स की खबर में कहा गया है कि शेख हसीना ने अपने करीबी सहयोगियों के जरिए भेजे गए संदेश में ये बातें कही है। इकनॉमिक टाइम्स को हसीना का ये संदेश हासिल हुआ है। शेख हसीना ने छात्रों के उग्र विरोध प्रदर्शन के बाद 5 अगस्त को पीएम पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ दिया था। वे फिलहाल भारत में सुरक्षित स्थान पर रह रही हैं।

संदेश में हसीना ने कहा, 'मैंने इस्तीफा दे दिया, ताकि मुझ लाशों का जुलूस न देखना पड़े। वे छात्रों की लाशों पर सत्ता में आना चाहते थे, लेकिन मैंने ऐसा नहीं होने दिया। मैंने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।' उन्होंने आगे कहा, 'मैं सत्ता में बनी रह सकती थी, अगर मैंने सेंट मार्टिन द्वीप की संप्रभुता को त्याग दिया होता और अमेरिका को बंगाल की खाड़ी पर अपना प्रभुत्व कायम करने दिया होता। मैं अपने देश के लोगों से विनती करती हूं, कृपया कट्टरपंथियों के बहकाएं में न आएं।'

विल्सन सेंटर में दक्षिण एशिया संस्थान के निदेशक माइकल कुगेलमैन ने शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद जॉय के आरोपों को खारिज कर दिया, जिन्होंने विरोध प्रदर्शन के पीछे विदेशी हस्तक्षेप का दावा किया था, उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में अशांति के लिए अंदरूनी कारक ही जिम्मेदार हैं। हसीना सरकार की प्रदर्शनकारियों पर कठोर कार्रवाई ने आंदोलन को बढ़ा दिया। उन्होंने कहा कि "मेरा दृष्टिकोण बहुत सरल है। मैं इसे एक ऐसे संकट के रूप में देखता हूं जो पूरी तरह से आंतरिक कारकों से प्रेरित था, जो छात्र किसी विशेष मुद्दे, नौकरी कोटा से नाखुश थे जो उन्हें पसंद नहीं था और वे सरकार के बारे में चिंतित थे। शेख हसीना की कुगेलमैन ने कहा, सरकार ने छात्रों पर बहुत सख्ती की और इसके बाद आंदोलन बहुत बड़ा हो गया और यह केवल आंतरिक कारकों से प्रेरित था।

बांग्लादेश में टूटा हिंदुओं के सब्र का बांध, शुरू हुआ हिंसा का विरोध, ढाका की सड़कों पर उमड़ा जनसैलाब

डेस्क: बांग्लादेश में बदलते सियासी हालात के बीच हिंदुओं के खिलाफ व्यापक हिंसा देखने को मिली है। इस बीच बांग्लादेश की राजधानी ढाका और उत्तर-पूर्वी बंदरगाह शहर चटगांव में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के हजारों लोगों ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया है। उन्होंने देश भर में मंदिरों, उनके घरों और व्यवसायों पर हमलों के बीच सुरक्षा की मांग की है। प्रदर्शन में शामिल लोग अल्पसंख्यकों पर अत्याचार करने वालों के खिलाफ मुकदमा चलाने में तेजी लाने के लिए विशेष न्यायाधिकरणों की स्थापना, अल्पसंख्यकों के लिए 10 प्रतिशत संसदीय सीट, अल्पसंख्यक संरक्षण कानून लागू करने जैसी अन्य मांग कर रहे हैं। 

हिंदू प्रदर्शनकारियों की रैली के चलते शनिवार को मध्य ढाका के शाहबाग में तीन घंटे से अधिक समय तक यातायात अवरुद्ध रहा। छात्रों सहित हजारों मुस्लिम प्रदर्शनकारियों ने भी यहां उनके साथ मिलकर अल्पसंख्यकों के हित के लिए एकजुटता व्यक्त की। बांग्लादेशी हिंदुओं को शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने और सोमवार को भारत भाग जाने के बाद हिंसा और लूटपाट का खामियाजा भुगतना पड़ा है। कई हिंदू मंदिरों, घरों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों में तोड़फोड़ की गई है। इतना ही नहीं बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग पार्टी से जुड़े कम से कम दो हिंदू नेता हिंसा में मारे गए हैं। 

मीडिया रिपोर्ट में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा के बढ़ते मामलों को उजागर किया गया है। ‘ढाका ट्रिब्यून’ अखबार के अनुसार अल्पसंख्यकों के अधिकारों की वकालत करने वाले एक प्रमुख संगठन, बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई ओइक्या परिषद ने मुख्य सलाहकार डॉ मुहम्मद यूनुस को एक खुला पत्र जारी किया है, जिसमें पांच अगस्त को शेख हसीना सरकार के पतन के बाद से 52 जिलों में उत्पीड़न की 205 घटनाओं का विवरण दिया गया है। प्रदर्शनकारियों ने आठ सूत्री मांग पत्र सामने रखा है। इसमें अल्पसंख्यकों पर अत्याचार करने वालों पर मुकदमों में तेजी लाने के लिए विशेष न्यायाधिकरणों की स्थापना, पीड़ितों को मुआवजा तथा अल्पसंख्यक संरक्षण कानून को तत्काल लागू करना

ढाका में हिंदुओं ने कहा, यह देश किसी के बाप का नहीं है, हमने खून दिया है, जरूरत पड़ी तो फिर से खून देंगे, हम बांग्लादेश नहीं छोड़ेंगे

बांग्लादेश में शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर देश से भागने के बाद से जमात इस्लामी और मुख्य विपक्षी पार्टी बीएपी के समर्थक और प्रदर्शनकारी छात्र विरोध प्रदर्शन की नई कहानी लिख रहे हैं। प्रदर्शनकारी छात्रों की आड़ में कुछ कट्टरपंथी लोग हिंदुओं को निशाना बना रहे हैं। इसके बाद शुक्रवार को सैंकड़ों बांग्लादेशी हिंदुओं ने ढाका में विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि यह देश सभी का है। इसके साथ ही समुदाय की सुरक्षा के लिए कदम उठाए जाने की मांग भी की है।

रैली निकाल कर प्रदर्शन कर रहे हिंदुओं ने नारे लगाते हुए कहा कि यह देश किसी के बाप का नहीं है। हमने खून दिया है। जरूरत पड़ी तो फिर से खून देंगे। हम बांग्लादेश नहीं छोड़ेंगे। इस दौरान उन्होंने बांग्लादेश के सोशल वर्कर पर भी निशाना साधा है। जिन्होंने हिंसा से अब तक चुप्पी साधे रखी है। रैली में शामिल एक युवक कनु कुमार ने कहा हिंदू समुदाय अपने घरों और दुकानों की सुरक्षा चाहता है। इस दौरान उन्होंने एक मंत्रालय और अल्पसंख्यक सुरक्षा आयोग की मांग भी की। इसके साथ ही अल्पसंख्यकों के खिलाफ हमलों को रोकने के लिए उन्होंने सख्त कानून बनाने और उसे लागू करने, संसद में अल्पसंख्यकों के लिए 10 प्रतिशत सीटें रिजर्व करने की मांग की।

शेख हसीना के हटने के बाद हिंदुओं पर हमले बढ़े

बांग्लादेश हिंदू, बौद्ध ईसाई की ओइक्या परिषद् के अनुसार शेख हसीना के सत्ता के हटने के बाद से ही देश के 64 में से 52 जिलों में अल्पसंख्यक समुदायों के उत्पीड़न की 205 घटनाएं रिपोर्ट की गई हैं। संगठन ने देश के अंतरिम नेता मोहम्मद यूनुस को लिखे पत्र में कहा कि देशभर के अल्पसंख्यकों में गहरी आशंका, चिंता और अनिश्चितता है।

प्राइवेट पार्ट से खून, गले की हड्डियां टूटी, पूरे शरीर में जख्म; कोलकाता की डॉक्टर से दरिंदगी के बाद उबले लोग

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में पीजी 2nd ईयर की एक छात्रा का शव मिलने से हड़कंप मच गया है. पुलिस ने साफ कर दिया कि यह आत्महत्या का मामला नहीं है. इसके बाद पोस्टमार्टम रिपोर्ट में जो खुलासा हुआ है, हर कोई हैरान है. 

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘उसकी दोनों आंखों और मुंह से खून बह रहा था, चेहरे और नाखून पर चोट के निशान थे. पीड़िता के प्राइवेट पार्ट से भी खून बह रहा था. उसके पेट, बाएं पैर, गर्दन, दाएं हाथ और होंठों पर भी चोट के निशान थे.

कोलकाता पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अपराध तड़के तीन से छह बजे के बीच हुआ. उन्होंने कहा, ‘‘उसकी गर्दन की हड्डी भी टूटी हुई पाई गई.’’ उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि पहले उसका गला घोंटा गया. उन्होंने कहा, ‘‘हम पोस्टमार्टम की पूरी रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं, जिससे हमें अपराधियों की पहचान करने में मदद मिलेगी.’’ 

कोलकाता के एक सरकारी अस्पताल में शुक्रवार को पीजीटी की ट्रेनी महिला डॉक्टर का अर्ध निर्वस्त्र शव पाया गया. ट्रेनी महिला डॉक्टर छाती रोग चिकित्सा विभाग की द्वितीय वर्ष की छात्रा थी और गुरुवार की रात ड्यूटी पर तैनात थी. ट्रेनी महिला डॉक्टर के शव पर चोट के निशान मिले हैं. उसकी प्रारंभिक पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यौन उत्पीड़न के बाद हत्या किए जाने का संकेत मिला है. 

इधर, ट्रेनी महिला डॉक्टर के पिता ने आरोप लगाया था कि आर जी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के अंदर उसके साथ बलात्कार किया गया और इसके बाद उसकी हत्या कर दी गई तथा अब सच्चाई को छिपाने का प्रयास किया जा रहा है.

पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘‘ट्रेनी महिला डॉक्टर का शव उसके साथियों ने इमरजेंसी भवन के सेमिनार हॉल से बरामद किया. हम चिकित्सकों, नर्सों और अन्य लोगों से बात कर रहे हैं जो कल रात उसके साथ ड्यूटी पर थे. मामले की जांच की जा रही है.

ममता बनर्जी ने परिजनों से की बात

सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने महिला के माता-पिता को फोन किया और उन्हें दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया. पीड़िता के पिता ने कहा, ‘‘...मेरी बेटी की हत्या करने से पहले उसके साथ बलात्कार किया गया है. उसके शरीर पर चोट का निशान इसका साक्ष्य है. वह अर्द्ध निर्वस्त्र अवस्था में मिली है. सच को छिपाने का प्रयास किया जा रहा है. मैं नहीं समझ पा रहा हूं कि वे (अस्पताल अधिकारी) जांच में विलंब क्यों कर रहे हैं .

मीडिया में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, अस्पताल की एक चिकित्सक ने नाम नहीं उजागर करने की शर्त पर कहा, ‘‘उन्होंने रात करीब दो बजे अपने जूनियर्स के साथ भोजन किया. इसके बाद वह सेमिनार रूम में चली गईं, चूंकि वहां कोई अलग से आराम करने के लिये कमरा नहीं है.’’ पुलिस अधिकारी ने बताया, ‘‘शव के गाल, नाक, होठ, भौंहों के बीच और गर्दन पर खरोंच के निशान हैं. इन निशानों से पता चलता है कि वहां संघर्ष हुआ था.’’ उन्होंने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पुलिस को यह समझने में मदद मिलेगी कि क्या उसके साथ यौन उत्पीड़न हुआ था और उसकी हत्या कैसे की गई. उन्होंने बताया कि बृहस्पतिवार की देर रात उसके साथ ड्यूटी पर मौजूद पांच लोगों से पूछताछ की जा रही है.

स्वास्थ्य सचिव एनएस निगम और कोलकाता पुलिस आयुक्त विनीत गोयल ने अस्पताल का दौरा किया और चिकित्सा प्रतिष्ठान के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की. अस्पताल के अधिकारियों ने चिकित्सक की मौत की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया है.

डॉक्टरों ने की हड़ताल

आर जी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के पीजीटी चिकित्सकों ने दोषियों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग करते हुए आपातकालीन वार्ड को छोड़कर सभी विभागों में काम करना बंद कर दिया है. कई छात्र संगठनों ने महिला चिकित्सक की मौत की त्वरित जांच की मांग को लेकर रैली निकाली. विधायक अग्निमित्र पॉल सहित कई विपक्षी भाजपा नेताओं ने भी अस्पताल का दौरा किया और मजिस्ट्रेट से स्वतंत्र जांच कराने की मांग की.

सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के नेता डॉ. शांतनु सेन ने संवाददाताओं को बताया, ‘‘ हम पूरी घटना की निष्पक्ष, पारदर्शी और विस्तृत जांच चाहते हैं.’’ ‘इंडियन मेडिकल एसोसिएशन’ के अध्यक्ष रह चुके सेन ने कहा कि ममता बनर्जी प्रशासन हमेशा महिलाओं की सुरक्षा के पक्ष में रहा है. राज्यसभा के सदस्य रह चुके सेन ने कहा कि जांच शुरू हो चुकी है. ‘एसोसिएशन ऑफ हेल्थ सर्विस डॉक्टर्स’ के वरिष्ठ सदस्य डॉ. मानस गुमटा ने आरोप लगाया कि मामले को ‘दबाने’ की कोशिश की जा रही है. गुमटा ने कहा, ‘‘यह अप्रत्याशित है, और बंगाल में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ.’

ममता बनर्जी की सरकार अपराध को छिपाने की कर रही कोशिश: अमित मालवीय

बीजेपी के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने बड़ा आरोप लगाया है, उनकहा कहना है कि डॉक्टर के साथ दुष्कर्म किया गया और उसकी हत्या कर दी गई.उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा ''कोलकाता के एक प्रमुख सरकारी अस्पताल में एक महिला डॉक्टर के साथ दुष्कर्म किया गया और उसकी हत्या कर दी गई. उनका नग्न शव ड्यूटी रूम में मिला. ममता बनर्जी की सरकार अपराध को छिपाने की कोशिश कर रही है. मीडिया को अंदर जाने की इजाजत नहीं दी जा रही है. उन्होंने संदेशखाली और चोपड़ा की घटना को सामने लाते हुए कहा, संदेशखाली से लेकर चोपड़ा तक पश्चिम बंगाल में कोई भी महिला सुरक्षित नहीं है.

उज्जैन महाकाल मंदिर की सुरक्षा में बड़ी चूक, गाड़ियों का काफिला लेकर घुसा भाजपा विधायक का बेटा, सभी गाड़ियां जब्त, मचा हड़कंप

 मध्य प्रदेश के उज्जैन में महाकाल लोक (परिसर) की सुरक्षा में बड़ी चूक का मामला सामने आया है. बीजेपी विधायक का बेटा अपनी गाड़ियों का काफिला लेकर मंदिर परिसर में घुस गया जिसके बाद डीएम और एसपी ने आरोपी के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आदेश दिया. इसके बाद विधायक के बेटे की गाड़ियों को फौरन जब्त कर लिया गया है. दरअसल शुक्रवार को नागपंचमी के मौके पर महाकाल मंदिर में लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी थी. 

इसी बीच महाकाल लोक की सुरक्षा व्यवस्था की बगैर परवाह किए देवास से बीजेपी विधायक गायत्री राजे पंवार के बेटे विक्रम सिंह पंवार अपनी गाड़ियों के काफिले के साथ महाकाल लोक के परिसर में प्रवेश कर गए. इस घटना के बाद वहां मौजूद प्रशासनिक अधिकारियों का पारा चढ़ गया. उन्होंने न सिर्फ गाड़ी के ड्राइवर को डांटा बल्कि तुरंत गाड़ियों को वहां से निकालने को कहा. इसके बाद डीएम और एसपी ने काफिले की गाड़ियों को जब्त करने का आदेश दे दिया. इसके बाद पुलिस ने विधायक के बेटे के काफिले में शामिल चार गाड़ियों को जब्त कर लिया.

यह घटना शुक्रवार दोपहर 3:30 बजे हुई. महाकाल लोक के इस परिसर में वीआईपी गाड़ियों का प्रवेश भी प्रतिबंधित है. इस जगह से वीआईपी व्यक्तियों को पैदल या ई-कार्ट के माध्यम से मंदिर तक पहुंचाया जाता है. इसके बावजूद, विधायक पुत्र का काफिला सीधे कंट्रोल रूम से होते हुए महाकाल लोक और फिर मानसरोवर तक पहुंच गया. इस दौरान वहां तैनात सुरक्षाकर्मियों में अफरातफरी मच गई, और उन्होंने गाड़ियों को रोकने का प्रयास किया.

घटना के समय उज्जैन के कलेक्टर नीरज सिंह और एसपी प्रदीप शर्मा कंट्रोल रूम में व्यवस्थाओं का निरीक्षण कर रहे थे. जब उन्होंने गाड़ियों का काफिला महाकाल लोक में देखा, तो उन्होंने त्वरित कार्रवाई करते हुए गाड़ियों को रोकने के लिए दौड़ लगाई. गाड़ी के ड्राइवर से तीखी बहस के बाद, उन्होंने गाड़ियों को जब्त करने का आदेश दे दिया. हालांकि, इस दौरान विक्रम सिंह पंवार पहले ही महाकाल मंदिर में दर्शन करने पहुंच चुके थे. उज्जैन के कलेक्टर नीरज सिंह ने घटना पर नाराजगी जताते हुए कहा, 'गाड़ियों के काफिले ने अनाधिकृत तरीके से प्रवेश किया है. सभी को जब्त कर थाने भेज दिया गया है.

बांग्लादेश में अब छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट को घेरा, चीफ जस्टिस ने किया इस्तीफे का ऐलान, 52 जिलों में हिंदुओं पर हो रहे लगातार हमले

बांग्लादेश में शनिवार को एक बार फिर से विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। प्रदर्शनकारियों ने अब ढाका में सुप्रीम कोर्ट को घेर लिया और चीफ जस्टिस सहित सभी जजों को एक घंटे के भीतर इस्तीफा देने को कहा। बांग्लादेश में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ओबैदुल हसन ने इस्तीफा देने की घोषणा की है। उनके इस्तीफे की मांग को लेकर प्रदर्शनकारी छात्रों ने शनिवार सुबह सुप्रीम कोर्ट को घेर लिया। प्रदर्शनकारी बड़ी तादाद में वहां इकट्ठा हुए थे।

छात्रों ने कहा, "अगर जजों ने इस्तीफे नहीं दिए तो हसीना की तरह उन्हें भी कुर्सी से खींचकर उतार देंगे।" प्रदर्शनकारी छात्रों ने आरोप लगाए थे कि सुप्रीम कोर्ट के जज हसीना से मिले हुए हैं। इन जजों ने अंंतरिम सरकार से पूछे बिना ही शनिवार को पूरी कोर्ट की एक बैठक बुलाई। इस मीटिंग के चलते प्रदर्शनकारियों ने एक घंटे के भीतर जजों से इस्तीफा देने की मांग की।

वहीं, बांग्लादेश में हसीना के इस्तीफे के बाद से हिंसा, लूटपाट और आगजनी की घटनाएं बढ़ गई हैं। इनके खिलाफ शुक्रवार को हिंदू जागरण मंच ने ढाका में प्रदर्शन किया। बांग्ला अखबार ढाका ट्रिब्यून के मुताबिक शाहबाग चौक पर हजारों लोग जमा हुए और हिंसा के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने हरे कृष्णा-हरे रामा के नारे भी लगाए।

ढाका में प्रदर्शनकारी ने कहा कि दिनाजपुर में चार हिंदू गांवों को जला दिया गया है। लोग बेसहारा हो गए हैं, छुप-छुपकर रहने को मजबूर हैं। बांग्लादेश में शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद से ही हिंदू समुदाय पर हमले बढ़ गए हैं। प्रदर्शन के दौरान हिंदू समुदाय ने अल्पसंख्यक मंत्रालय की स्थापना, अल्पसंख्यक संरक्षण आयोग का गठन, अल्पसंख्यकों के खिलाफ हमलों को रोकने के लिए सख्त कानून बनाने और संसद में अल्पसंख्यकों के लिए 10 फीसदी सीटें रखने की मांग की।

प्रदर्शनकारियों ने हिंसा से प्रभावित लोगों के लिए मुआवजा भी मांगा। इसके अलावा तोड़े गए मंदिरों को फिर से बनाने की भी मांग की। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वे इस देश में पैदा हुए हैं। यह उनके पूर्वजों की जमीन है। यह देश उनका भी उतना ही है। वे भले ही यहां मार दिए जाएं, फिर भी अपना जन्मस्थान बांग्लादेश नहीं छोड़ेंगे। अपना अधिकार पाने के लिए सड़कों पर रहेंगे।

बांग्लादेश में हिंसा के बाद से ही हजारों बांग्लादेशी हिंदू भारत आने के लिए सीमा पर पहुंचे हुए हैं। उन्हें समझा-बुझाकर वापस भेजा जा रहा है। हिंदू नागरिकों के खिलाफ हिंसा को लेकर शेख हसीना की अवामी लीग ने भी चिंता जताई है। पार्टी ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि बांग्लादेश में 5 अगस्त से ही हिंदू अपने साथियों, संपत्तियों और मंदिरों पर हमलों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं। बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के खिलाफ जारी हिंसा के बीच संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के प्रवक्ता ने कहा कि वह नस्लीय आधार पर किसी भी हमले या हिंसा के खिलाफ हैं। उन्होंने हिंसा को खत्म करने की अपील की।

बांग्लादेश की आबादी 17 करोड़ है, जिसमें हिंदू करीब 7.95% (1.35 करोड़) हैं। बांग्लादेश में हिंदू दूसरा सबसे बड़ा धर्म है। देश के 64 में से 61 जिले में हिंदुओं की बड़ी आबादी रहती है। रिपोर्ट्स के मुताबिक बांग्लादेश में हिंदू, हसीना की पार्टी अवामी लीग के समर्थक माने जाते हैं। यही वजह है कि अब वे निशाने पर हैं। बांग्लादेश हिंदू, बौद्ध, ईसाई एकता परिषद के मुताबिक, देश के 64 में से 52 जिले में हिंदुओं और उनकी संपत्तियों को निशाना बनाया गया। परिषद ने कहा है कि अल्पसंख्यकों की आबादी डर-डरकर जीने को मजबूर है। उन्होंने सरकार प्रमुख मोहम्मद यूनुस से सुरक्षा और संरक्षण की मांग की है।

*क्या है मोदी सरकार 3.0 के 100 दिन का एजेंडा?

#modi_govt_100_days_action_plan

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के पहले सौ दिन खास होते हैं। 2014 के चुनाव जीतकर सत्ता में आई मोदी सरकार ने पहले सौ दिन में ही काला धन को लेकर एसआईटी बनाने जैसे बड़े फैसले लिए। वहीं अपने दूसरे कार्यकाल के पहले सौ दिन में सरकार ने तीन तलाक, जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने जैसे बड़े फैसले लिए।पीएम मोदी की अगुवाई में अब तीसरी बार सरकार बनी है। सरकार गठन को दो महीने यानी 60 दिन से ज्यादा हो चुके हैं। ऐसे में मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के शुरुआती सौ दिन के एजेंडे को लेकर चर्चा हो रही है। माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 15 अगस्त के मौके पर सरकार के 100 दिन के एजेंड़ों के तहत कई बड़े ऐलान कर सकते हैं।

दरअसल, केंद्र सरकार के सभी मंत्रालयों और विभागों के शीर्ष नौकरशाहों को निर्देश दिया गया है कि वे एक-एक ऐसी प्रभावशाली परियोजनाओं की पहचान करें, जिन्हें नरेन्द्र मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले 100 दिन में लागू किया जाएगा। कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने सभी सचिवों को भेजे पत्र में यह भी कहा कि मंत्रालयों और विभागों को अपनी नीतियों और योजनाओं को तैयार करने और लागू करने में संपूर्ण सरकार के नजरिये को अपनाना होगा।

पत्र में कहा गया है कि मंत्रालय, विभाग जरूरी मंजूरी पाने के बाद उनके द्वारा तैयार 100 दिन के एजेंडा में कार्य बिंदुओं को लागू करने के लिए कदम उठाएंगे। सचिवों से कहा गया है कि प्रत्येक मंत्रालय और विभाग 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री के संबोधन के दौरान घोषित पंच प्रण के तहत लागू करने के लिए योजनाएं तैयार करेंगे।

इसी साल मार्च में जब लोकसभा चुनावों की तैयारियां चल रही थीं तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सरकार के सभी मंत्रियों को मंत्रालयों के लिए नई सरकार बनने के बाद पहले 100 दिनों का एजेंडा तैयार करने को कहा था। 21 फरवरी, 2024 को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट की बैठक हुई तो उन्होंने सभी कैबिनेट मंत्रियों को यह निर्देश दिया था। 4 जून को चुनावी नतीजे आने के बाद 9 जून को एक बार फिर से नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नई सरकार बनी। इसके तुरंत बाद प्रधानमंत्री ने 100 दिन के एजेंडे पर बैठक की।

मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले 100 दिनों का एजेंडा तैयार करने के लिए भारत सरकार के सचिवों के समूह बनाए गए थे। अलग—अलग सेक्टर के लिए कुल 10 समूह बनाए गए थे। इन सभी समूहों ने अपने प्रेजेंटेशन कैबिनेट सचिव और प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव के सामने दिए थे। 

कुछ प्रमुख लक्ष्यों में नए आपराधिक कानूनों को लागू करना और जम्मू कश्मीर में चुनाव कराना खास हैं। गृह मंत्रालय जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव सफलतापूर्वक संपन्न कराने पर ध्यान केंद्रित कर सकता है। अमित शाह ने कहा था कि केंद्र सरकार 30 सितंबर की सुप्रीम कोर्ट की समयसीमा से पहले चुनाव प्रक्रिया पूरी करना चाहती है। इसके अलावा ई—कॉमर्स, डाटा प्रोटेक्शन और विदेश व्यापार से संबंधित नीतियों में सुधार करने को भी इस एजेंडे में शामिल किया गया है।इस 100 दिवसीय एजेंडे में एक प्रमुख चर्चा विवादास्पद अग्निपथ सैन्य भर्ती योजना के बारे में हो सकती है, जिसकी गैर-भाजपा एनडीए सहयोगी समीक्षा चाहते हैं।

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय मोदी के तीसरे कार्यकाल के पहले 100 दिनों में 3,000 किलोमीटर राजमार्ग परियोजनाओं को पूरा करने की योजना बना रहा है। इसके अलावा, यह 700 किलोमीटर लंबे हाई-स्पीड कॉरिडोर को भी चालू कर सकता है। कुछ सूत्रों ने बताया कि दुर्घटना पीड़ितों के लिए कैशलेस उपचार की योजना को भी लागू किया जा सकता है।

बांग्लादेश के मुख्य न्यायाधीश को 'इस्तीफा' देने का दिया अल्टीमेटम, सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने सुप्रीम कोर्ट किया घेराव

बांग्लादेश के मुख्य न्यायाधीश ओबैदुल हसन ने कथित तौर पर इस्तीफा देने का फैसला किया जब शनिवार को सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने राजधानी ढाका में सुप्रीम कोर्ट परिसर को घेर लिया और सीजे और अपीलीय प्रभाग के अन्य न्यायाधीशों को दोपहर 1 बजे (स्थानीय समय) तक पद छोड़ने का अल्टीमेटम जारी किया।

द ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, ओबैदुल हसन शाम को राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन से सलाह लेने के बाद अपना इस्तीफा देंगे। बांग्लादेश के मुख्य न्यायाधीश ने अदालत परिसर में प्रदर्शनकारियों के एकत्र होने के बाद शनिवार दोपहर को फैसले का खुलासा किया। डेली स्टार ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने धमकी दी थी कि अगर वे समय सीमा से पहले इस्तीफा देने में विफल रहे तो वे न्यायाधीशों के आवासों को घेर लेंगे।

लगभग 10:30 बजे, छात्रों और वकीलों सहित कई सौ प्रदर्शनकारी मुख्य न्यायाधीश और अपीलीय प्रभाग के न्यायाधीशों के इस्तीफे की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट परिसर में इकट्ठा होने लगे।

इससे पहले सुबह अंतरिम सरकार के युवा एवं खेल मंत्रालय के सलाहकार आसिफ महमूद ने फेसबुक पर पोस्ट कर मुख्य न्यायाधीश ओबैदुल हसन के बिना शर्त इस्तीफे और फुल कोर्ट मीटिंग रोकने की मांग की थी। विरोध के बीच, बांग्लादेश के मुख्य न्यायाधीश ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की पूर्ण अदालत की बैठक स्थगित कर दी, जिसमें यह तय करने पर सहमति हुई थी कि अदालत का कार्य वस्तुतः चलेगा या नहीं।

ओबैदुल हसन को पिछले साल सुप्रीम कोर्ट का नेतृत्व करने के लिए नियुक्त किया गया था और उन्हें पूर्व प्रधान मंत्री शेख हसीना के वफादार के रूप में देखा जाता है। 76 वर्षीय शेख हसीना सोमवार को हेलीकॉप्टर से पड़ोसी देश भारत की ओर भाग गईं, क्योंकि ढाका की सड़कों पर प्रदर्शनकारियों का हुजूम उमड़ पड़ा, जिससे उन्हें भागना पड़ा। 

शेख हसीना सरकार पर अपने हजारों राजनीतिक विरोधियों की गैर-न्यायिक हत्या सहित व्यापक मानवाधिकारों के हनन का आरोप लगाया गया था।

वायनाड पहुंचे पीएम मोदी, लैंडस्लाइड प्रभावित इलाकों का किया हवाई सर्वेक्षण

#pm_modi_visits_wayanad_landslide_affected_areas

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार (10 अगस्त) को केरल के वायनाड में लैंडस्लाइड प्रभावित इलाकों का दौरा किया। पीएम मोदी सुबह स्पेशल विमान से कन्नूर एयरपोर्ट पहुंचे। कन्नूर से मोदी भारतीय वायु सेना के हेलीकॉप्टर से वायनाड गए। उन्होंने रास्ते में लैंडस्लाइड प्रभावित चूरलमाला, मुंडक्कई और पुंचिरीमट्टम गांवों का हवाई सर्वेक्षण किया। मोदी ने वो जगह भी देखी, जहां से 30 जुलाई की तबाही शुरू हुई थी।

प्रधानमंत्री मोदी ने आपदा स्थल का दौरा करने से पहले वायनाड में हवाई सर्वेक्षण किया। प्रधानमंत्री के साथ केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन और केंद्रीय पर्यटन तथा पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री सुरेश गोपी भी मौजूद रहे। 

मोदी का हेलीकॉप्टर वायनाड स्थित कलपेट्टा के एक स्कूल में उतरा, जहां से वे सड़क के रास्ते लैंडस्लाइड प्रभावित इलाकों में गए हैं। मोदी वहां रेस्क्यू ऑपरेशन की जानकारी लेंगे। फिर राहत शिविरों और अस्पतालों में लैंडस्लाइड पीड़ितों और जिंदा बचे लोगों से मुलाकात करेंगे।इसके बाद प्रधानमंत्री अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे, जहां उन्हें हादसे और रेस्क्यू ऑपरेशन के बारे जानकारी दी जाएगी।

इससे पहले पीएम मोदी कन्नूर हवाई अड्डे पर उतरे, जहां राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और मुख्यमंत्री पिनारई विजयन ने प्रधानमंत्री का स्वागत किया। बता दें कि केरल सरकार ने आपदा प्रभावित क्षेत्र में पुनर्वास और राहत कार्य के लिए 2,000 करोड़ रुपये की सहायता मांगी है।

नेता प्रतिपक्ष और वायनाड के पूर्व सांसद राहुल गांधी ने वायनाड दौरे को लेकर पीएम मोदी को धन्यवाद कहा है। उन्होंने एक्स पर लिखा- पीएम के वायनाड जाने का फैसला अच्छा है। मुझे भरोसा है कि जब प्रधानमंत्री लैंडस्लाइड से हुई तबाही खुद देखेंगे, तो वह इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित कर देंगे। राहुल संसद में वायनाड हादसे को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग कर चुके हैं।

बता दे कि 30 जुलाई को भूस्खलन के कारण 400 के करीब लोगों की मौत हो गई तथा अनेक लोग लापता हैं। इस दक्षिणी राज्य में यह सबसे बड़ी प्राकृतिक आपदा है।9 दिन रेस्क्यू ऑपरेशन चलाने के बाद 8 अगस्त को सेना वायनाड से वापस लौट गई है। अभी एनडीआरएफ रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही है।

यहीं रहेंगे, वापस नहीं जाएंगे..', बांग्लादेश बॉर्डर पर नो मेंस लैंड में फंसे सैकड़ों हिन्दू, BSF ने भारत में घुसने से रोका

 बांग्लादेश में चल रही हिंसा के कारण वहाँ के नागरिक भारत में अवैध रूप से घुसने की कोशिश कर रहे हैं। उत्तर बंगाल की अंतरराष्ट्रीय सीमा पर तैनात सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने ऐसी कई कोशिशों को नाकाम कर दिया। BSF ने बताया कि बांग्लादेश के ठाकुरगाँव जिले के करीब 200 ग्रामीणों ने भारत में घुसने की कोशिश की, जिनमें से ज्यादातर अवामी लीग के सदस्य और हिंदू थे। BSF ने उन्हें रोकने के लिए हवा में गोलियाँ चलाईं।

उत्तर बंगाल फ्रंटियर BSF ने सोशल मीडिया साइट 'एक्स' (पूर्व में ट्विटर) पर बताया कि उन्होंने सतर्कता बरतते हुए बांग्लादेश बॉर्डर गार्ड (BGB) के साथ समन्वय कर, इन नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की और किसी भी सीमा उल्लंघन को रोका। हालाँकि, ग्रामीण बांग्लादेश लौटने से इनकार कर रहे हैं, क्योंकि भीड़ अवामी लीग के सदस्यों और हिंदुओं की तलाश कर रही है। भागे हुए लोग नो-मैन्स लैंड में ही फँसे हुए हैं, जहाँ सीमा पर बाड़ नहीं है। BSF ने उन्हें भारत से बाहर रखने के लिए एक मानव अवरोध बनाया।

BSF के DIG (उत्तर बंगाल फ्रंटियर) अमित त्यागी के अनुसार, ग्रामीण अभी भी अंतरराष्ट्रीय सीमा से 200 से 500 मीटर की दूरी पर डटे हुए हैं। करीब 600 बांग्लादेशी नो-मैन्स लैंड में हैं और भारत में प्रवेश की माँग कर रहे हैं। BSF और BGB, दोनों उन्हें वापस लौटने के लिए कह रहे हैं, लेकिन वे मना कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर साझा किए गए वीडियो में दिखाया गया है कि ठाकुरगाँव जिले के टेम्काभिता गाँव से बांग्लादेशी हिंदू और अन्य लोग नदी पार कर भारत में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन भीड़ द्वारा उन्हें निशाना बनाया जा रहा है। गाँव के लोग घर-बार छोड़कर जरूरी सामान के साथ पश्चिम बंगाल के उत्तरी दिनजापुर जिले की सीमा पर पहुँचे, जहाँ BSF ने उन्हें रोका हुआ है।

रिपोर्ट के अनुसार, सीमा पर कई जगहों पर इसी तरह के दृश्य देखने को मिल रहे हैं। एक अन्य स्थान पर BSF ने छह लोगों को जीरो पॉइंट पर रोका है, जहाँ सीमा पर कंटीले तारों की बाड़ नहीं है, जिससे यह जगह सीमा पार करने के लिए आकर्षक बन गई है। इसके कारण BSF कर्मियों पर काफी दबाव बढ़ गया है। स्थिति और गंभीर तब हो गई जब मंगलवार, 6 अगस्त 2024 की रात को अवामी लीग के पूर्व सांसद कमरुल अरेफिन, उनकी पत्नी और दो बेटियाँ पेट्रापोल-बेनापोल सीमा क्रॉसिंग पर बिना वैध वीजा के भारत में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे थे। उन्होंने अपने देश में जान का खतरा बताते हुए भारत में प्रवेश की अपील की, लेकिन BSF ने उन्हें रोककर वापस बांग्लादेश भेज दिया, जहाँ BGB ने उन्हें हिरासत में ले लिया। इसी तरह BGB ने दर्शना सीमा चौकी पर अवामी लीग के दो और राजनेताओं को रोक लिया।