वक्फ बोर्ड क्या होते हैं, कानून में संशोधन की जरूरत क्यों पड़ी?
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केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार वक्फ बोर्ड के अधिकारों को कम करने का प्लान बनाया है। इसको लेकर केन्द्र की मोदी सरकार ने वक्फ बोर्ड अधिनियम में संशोधन का बिल संसद में पेश किया।इस नए बिल में किसी जमीन को अपनी संपत्ति यानी वक्फ की संपत्ति बताने वाली पावर पर रोक लगेगी।सरकार का कहना है कि इस विधेयक के जरिए वक्फ बोर्ड को मिली असीमित शक्तियों पर अंकुश लगाकर बेहतर और पारदर्शी तरीके से प्रबंधन किया जाएगा। सरकार ने इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजने की सिफारिश की है।

वक्फ और वक्फ की संपत्तियों को लेकर हिंदुस्तान में गाहे ब गाहे चर्चा होती रहती है। हममें से ज़्यादातर लोगों ने वक्फ के बारे में सुना तो है, लेकिन जानते नहीं कि वक्फ होता क्या है।आइये समझते हैं कि वक्फ बोर्ड क्या है, इसे कौन-कौन सी पावर मिली हुई है।

*वक्फ बोर्ड क्या है*
वक्फ अरबी भाषा के वकुफा शब्द से बना है, जिसका अर्थ होता है ठहरना। इसी से बना वक्फ। यानी ऐसी जमीनें जो किसी व्यक्ति या संस्था के नाम नहीं है। वक्फ एक ऐसी संपत्ति होती है, जो जन-कल्याण को समर्पित हो। वक्फ कोई भी चल या अचल संपत्ति हो सकती है, जिसे इस्लाम को मानने वाला कोई भी व्यक्ति धार्मिक कार्यों के लिए दान कर सकता है। इस दान की हुई संपत्ति की कोई भी मालिक नहीं होता है। दान की हुई इस संपत्ति का मालिक अल्लाह को माना जाता है। लेकिन, उसे संचालित करने के लिए कुछ संस्थान बनाए गए है। वक्फ की संपत्ति का संचालन करने के लिए वक्फ बोर्ड होते हैं। ये स्थानीय और राज्य स्तर पर बने होते हैं।
वक्फ बोर्ड का एक सर्वेयर होता है। वही तय करता है कि कौन सी संपत्ति वक्फ की है, कौन सी नहीं। इस निर्धारण के तीन आधार होते हैं- अगर किसी ने अपनी संपत्ति वक्फ के नाम कर दी, अगर कोई मुसलमान या मुस्लिम संस्था जमीन की लंबे समय से इस्तेमाल कर रहा है या फिर सर्वे में जमीन का वक्फ की संपत्ति होना साबित हुआ। वक्फ बोर्ड मुस्लिम समाज की जमीनों पर नियंत्रण रखने के लिए बनाया गया था। जिससे इन जमीनों के बेजा इस्तेमाल को रोकने और गैरकानूनी तरीकों से बेचने पर रोक के लिए बनाया गया था।

*भारत में कब बना वक्फ बोर्ड?*
1947 में आज़ादी के बाद पूरे देश में पसरी वक्फ संपत्तियों के लिए एक स्ट्रक्चर बनाने की बात हुई। इसी तरह साल 1954 में संसद ने वक्फ एक्ट 1954 पास किया। इसी के नतीजे में वक्फ बोर्ड बना। ये एक ट्रस्ट था, जिसके तहत सारी वक्फ संपत्तियां आ गईं। 1955 में यानी कानून लागू होने के एक साल बाद, इस कानून में संशोधन कर राज्यों के लेवल पर वक़्फ बोर्ड बनाने का प्रावधान किया गया। इसके बाद साल 1995 में नया वक्फ बोर्ड एक्ट आया और 2013 में इसमें संशोधन किये गए।
फिलहाल जो व्यवस्था है, वो इन्हीं कानूनों और संशोधनों के तहत चल रही है। प्रायः मुस्लिम धर्मस्थल वक्फ बोर्ड एक्ट के तहत ही आते हैं। लेकिन इसके अपवाद भी हैं। जैसे ये कानून अजमेर शरीफ दरगाह पर लागू नहीं होता। इस दरगाह के प्रबंधन के लिए दरगाह ख्वाजा साहिब एक्ट 1955 बना हुआ है।

*कैसे काम करता है वक्फ बोर्ड*
वक्फ बोर्ड देशभर में जहां भी कब्रिस्तान की घेरेबंदी करवाता है, उसके आसपास की जमीन को भी अपनी संपत्ति करार दे देता है। इन मजारों और आसपास की जमीनों पर वक्फ बोर्ड का कब्जा हो जाता है। चूंकि 1995 का वक्फ एक्ट कहता है कि अगर वक्फ बोर्ड को लगता है कि कोई जमीन वक्फ की संपत्ति है तो यह साबित करने की जिम्मेदारी उसकी नहीं, बल्कि जमीन के असली मालिक की होती है कि वो बताए कि कैसे उसकी जमीन वक्फ की नहीं है। 1995 का कानून यह जरूर कहता है कि किसी निजी संपत्ति पर वक्फ बोर्ड अपना दावा नहीं कर सकता, लेकिन यह तय कैसे होगा कि संपत्ति निजी है? अगर वक्फ बोर्ड को सिर्फ लगता है कि कोई संपत्ति वक्फ की है तो उसे कोई दस्तावेज या सबूत पेश नहीं करना है। सारे कागज और सबूत उसे देने हैं जो अब तक दावेदार रहा है। कौन नहीं जानता है कि कई परिवारों के पास जमीन का पुख्ता कागज नहीं होता है। वक्फ बोर्ड इसी का फायदा उठाता है क्योंकि उसे कब्जा जमाने के लिए कोई कागज नहीं देना है।

*क्यों पड़ी संशोधन की जरुरत*
सरकार का कहना है कि वक्फ बोर्ड कानून में संशोधन करके केंद्रीय पोर्टल और डेटाबेस के माध्यम से वक्फ के पंजीकरण के तरीके को सुव्यवस्थित करना है। इसमें कहा गया है कि किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज करने से पहले सभी संबंधितों को उचित नोटिस के साथ राजस्व कानूनों के अनुसार कार्रवाई की जाएगी। रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार का कहना है कि संशोधन विधेयक के पीछे का मकशद वक्फ बोर्डों के कामकाज में जवाबदेही और पारदर्शिता बढ़ाना है। इन निकायों में महिलाओं की अनिवार्य भागीदारी सुनिश्चित करना है। सरकार की तरफ से कहा गया है कि यह संसोधन मुस्लिम समुदाय की मांग पर किया जा रहा है।
वक्फ बिल पर अखिलेश यादव ने ऐसा क्या कहा कि भड़के अमित शाह, बोले-आप इस तरह की गोलमोल बातें नहीं कर सकते

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संसदीय कार्य और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने गुरुवार को लोकसभा में 'वक्फ (संशोधन) विधेयक-2024' पेश किया। इस दौरान सदन में विपक्षी पार्टियों ने एक सुर में इस बिल का विरोध करते हुए हंगामा किया। सदन की कार्यवाही के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के बीच तीखी नोकझोंक भी देखने को मिली। इस दौरान अमित शाह सपा मुखिया पर भी भड़कते हुए नजर आए।

लोकसभा में पेश वक्फ बिल के विरोध में अखिलेश यादव ने कहा, ये सोची समझी राजनीति के तहत हो रहा है। अखिलेश ने इस बिल को धार्मिक आस्था पर हमला बताते हुए कहा कि साजिश के तहत बिल लाया जा रहा है। उन्होंने इसे लोकतंत्र के खिलाफ बताया। इस दौरान अखिलेश ने स्पीकर के अधिकार छीने जाने की बात कही। उन्होंने कहा अगर जिलाधिकारी को सब ताकत दे देंगे तो आपको पता है कि एक जगह पर जिलाधिकारी ने क्या किया कि उसका असर आने वाली पीढ़ी तक को भुगतना पड़ा। बीजेपी अपनी हताश, निराश और चंद कट्टर समर्थकों के तु्ष्टिकरण के लिए ये बिल लाने का काम कर रही है। अखिलेश यादव ने लोकसभा स्पीकर से कहा, महोदय मैंने सुना है कि कुछ अधिकार आपके भी छीने जा रहे हैं इसलिए हम सब को आपके लिए भी लड़ना पड़ेगा।

अखिलेश ने सदन अध्यक्ष के हक की बीत की जिस पर अमित शाह अपनी सीट से उठकर खड़े हो गए और नाराज होते हुए कहा कि अखिलेश जी गोलमोल बातें ना करें। अखिलेश की बात को सुनते ही अमित शाह ने उन्हें बीच में टोकते हुए कहा कि स्पीकर महोदय, ये (अखिलेश) आसन का अपमान कर रहे हैं। अखिलेश अध्यक्ष के अधिकार के संरक्षक नहीं हैं।

बेहिसाब संपत्ति मामले में तमिलनाडु के दो मंत्रियों के खिलाफ होगी सुनवाई, कोर्ट ने पेश होने का दिया निर्देश




मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु के राजस्व मंत्री केकेएसएसआर रामचंद्रन और वित्त मंत्री थंगम थेनारासु को आय से अधिक संपत्ति मामलों में बरी किए जाने के ट्रायल कोर्ट के आदेश को बुधवार को रद्द कर दिया। रामचंद्रन और थेनारासु को सतर्कता और भ्रष्टाचार निरोधक निदेशालय की ओर से दर्ज किए गए मामलों में मुकदमे का सामना करना होगा। हाईकोर्ट ने निचली अदालत को दोनों के खिलाफ आरोप तय करने और कानून के अनुरूप कार्यवाही का निर्देश दिया।


जस्टिस एन आनंद वेंकटेश ने विरिधुनगर जिले की सांसदों और विधायकों के मामलों की विशेष अदालत के 20 जुलाई, 2023 और 12 दिसंबर, 2022 के आदेश के खिलाफ अपनी ओर से दायर आपराधिक पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई की। विशेष अदालत के आदेश में रामचंद्रन और थंगम थेनारासु को आय से अधिक संपत्ति मामलों में बरी किया गया था। अभियोजन पक्ष के अनुसार, रामचंद्रन ने अपने और अपनी पत्नी पी विसालाक्षी के अलावा अपने मित्र केएसपी षणमुगामूर्ति के नाम पर आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति तब अर्जित की थी, जब वह द्रमुक सरकार के दौरान 2006 से 2011 के बीच स्वास्थ्य और पिछड़ा वर्ग मंत्री थे। थेनारासु पर आरोप हैं कि उन्होंने अपने और अपनी पत्नी टी मणिमेगलाई के नाम पर 2006 से 2011 के बीच आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति तब अर्जित की थी, जब वह स्कूल शिक्षा मंत्री थे।
नागासाकी परमाणु स्मारक समारोह में इस्राइल को न बुलाए जाने पर विवाद, अमेरिकी राजदूत भी नहीं होंगे शामिल


जापान के नागासाकी में परमाणु बम विस्फोट की याद में बनाए गए स्मारक पर हर साल होने वाला समारोह इस बार राजनीति का शिकार हो गया है। नागासाकी के मेयर ने पश्चिम एशिया में जारी हिंसा के चलते इस्राइल को कार्यक्रम के लिए आमंत्रित नहीं किया है। इस बात से अमेरिका नाराज हो गया है और यही वजह है कि जापान में अमेरिका के राजदूत रहम इमैनुएल ने नागासाकी स्मारक सेवा समारोह में शामिल नहीं होने का फैसला किया है।


अमेरिकी दूतावास ने बयान जारी कर कहा है कि राजदूत इमैनुएल शुक्रवार को आयोजित होने वाले कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे। बयान के अनुसार, इस्राइल को आमंत्रित नहीं करने के फैसले से कार्यक्रम का राजनीतिकरण हो गया है। अमेरिका के राजदूत शुक्रवार को नागासाकी जाने के बजाय टोक्यो में ही एक बौद्ध मंदिर में नागासाकी परमाणु बम विस्फोट के पीड़ितों को सम्मानित करेंगे। नागासाकी के मेयर शिरो सुजुकी ने बीते जून में ही इस बात के संकेत दे दिए थे कि वह नागासाकी परमाणु बम स्मारक सेवा में इस्राइल को आमंत्रित नहीं करेंगे। नागासाकी के मेयर ने पिछले हफ्ते एलान किया कि कार्यक्रम के दौरान विरोध, तोड़फोड़ और हमले जैसी आशंका को देखते हुए इस्राइल को कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं किया गया है। मेयर ने कहा कि वह चाहते हैं कि नागासाकी परमाणु बम पीड़ितों को शांतिपूर्ण और गंभीर माहौल में श्रद्धांजलि दी जाए।


इसके उलट हिरोशिमा में मंगलवार को हुए स्मारक समारोह में जापान में इस्राइल के राजदूत को आमंत्रित किया गया था। हिरोशिमा के कार्यक्रम में अमेरिकी राजदूत समेत कई अन्य देशों के राजदूत भी मौजूद रहे। गौरतलब है कि हिरोशिमा के कार्यक्रम में फलस्तीन के प्रतिनिधियों को आमंत्रित नहीं किया गया था। नागासाकी के कार्यक्रम में अमेरिका राजदूत के शामिल न होने के साथ ही कनाडा, जर्मनी, फ्रांस, इटली और ब्रिटेन समेत कई अन्य देश भी अपने निचले स्तर के दूत ही कार्यक्रम में भेज सकते हैं। विभिन्न देशों को राजदूतों ने एक साझा बयान में कहा है कि इस्राइल को कार्यक्रम से बाहर रखने से गलत संदेश जाएगा।

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 6 अगस्त, 1945 को हिरोशिमा पर संयुक्त राज्य अमेरिका परमाणु बम गिराया था, जिससे शहर तबाह गया था। इससे 1,40,000 लोग मारे गए थे। तीन दिन बाद अमेरिका ने नागासाकी पर दूसरा परमाणु बम गिराया, जिसमें 70,000 लोगों की जान चली गई थी। इन हमलों के बाद जापान ने 15 अगस्त, 1945 को आत्मसमर्पण कर दिया।
उत्तराखंड में मनाया जाएगा आठवां बर्ड फेस्टिवल, पक्षियों की कुल प्रजातियों का 50 प्रतिशत अकेले इसी राज्य में





राज्य में आठवां उत्तराखंड बर्ड फेस्टिवल मानने की तैयारी शुरू कर दी गई है. इस साल मसूरी वन प्रभाग में 18 से 20 अक्टूबर तक उत्तराखंड बर्ड फेस्टिवल का आयोजन किया जाएगा. वन मंत्री सुबोध उनियाल ने फेस्टिवल की तारीख का ऐलान किया है. साथ ही इससे संबंधित वेबसाइट को भी लॉन्च किया गया.


उत्तराखंड में पक्षियों की कुल प्रजातियों में से 50 प्रतिशत से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती हैं और राज्य के कई क्षेत्रों में चिड़िया की विभिन्न प्रजातियों की भरमार है. उत्तराखंड के कई क्षेत्र बर्ड वाचिंग डेस्टिनेशन के लिहाज से मुफीद माने जाते हैं. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वर्ल्ड वाचिंग का शौक रखने वाले लोगों की अच्छी खासी संख्या है. ऐसे में उत्तराखंड में बर्ड वाचिंग डेस्टिनेशन के रूप में कई क्षेत्रों को विकसित किया जा सकता है.


वन मंत्री सुबोध उनियाल ने अधिकारियों के साथ इस संबंध में बातचीत की. जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया कि राज्य में बर्ड वाचिंग के लिए बेहतर स्थानों को चिन्हित किया जाएगा और इन्हें डेस्टिनेशन के रूप में भी स्थापित किया जाएगा. साथ ही नेचर गाइड की तरह ही बर्ड वाचिंग के लिए गाइड के रूप में स्थानीय लोगों को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा.

लोगों को मिलेगा रोजगार

वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि बर्ड फेस्टिवल को रेगुलर रूप से आयोजित किया जाना जरूरी है और पिछले सालों में इसे कई बार बड़े स्तर पर आयोजित नहीं किया गया, लेकिन अब भविष्य में इसे अनिवार्य रूप से हर साल आयोजित किया जाए, इसके लिए खाका तैयार किया जाएगा. उन्होंने कहा कि इसके जरिए लोगों को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे और वह बेहतर आमदनी से जुड़ पाएंगे
सोने की कीमतों में आई गिरावट, लेकिन चांदी में आया उछाल; जानिए ग्लोबल लेटेस्ट प्राइस


विदेशी बाजारों में कीमती धातुओं में गिरावट के बीच बुधवार को राष्ट्रीय राजधानी में सोने का भाव 350 रुपये गिरकर 71,350 रुपये प्रति 10 ग्राम रह गया। वहीं, चांदी 200 रुपये बढ़कर 82,200 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई।


पिछले सत्र में 99.9 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना मंगलवार को 71,700 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था। हालांकि, लगातार चार दिनों की भारी गिरावट के बाद चांदी की कीमतों में उछाल आया। अखिल भारतीय सर्राफा संघ के अनुसार, चांदी 200 रुपये बढ़कर 82,200 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई, जो पिछले कारोबार में 82,000 रुपये प्रति किलोग्राम थी।


इस बीच, 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना भी 350 रुपये गिरकर 71,000 रुपये प्रति 10 ग्राम रह गया। पिछले बंद भाव में यह 71,350 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था। व्यापारियों ने सोने की कीमतों में गिरावट का श्रेय घरेलू सीमा शुल्क में कमी और वैश्विक प्रभावों को दिया।


वैश्विक मोर्चे पर कॉमेक्स पर सोना 2393 डॉलर प्रति औंस पर बोला गया, जो पिछले बंद भाव से 16 डॉलर कम है। “डॉलर इंडेक्स के साथ-साथ यूएस ट्रेजरी यील्ड के बढ़ने से कॉमेक्स गोल्ड में गिरावट आई। इसके अलावा, अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में चांदी मामूली रूप से गिरकर 26.90 डॉलर प्रति औंस पर आ गई।

एचडीएफसी सिक्योरिटीज के रिसर्च एनालिस्ट दिलीप परमार ने कहा कि पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना (PBOC) द्वारा सोने की खरीद पर लगातार रोक से बुलियन पर दबाव पड़ा, जबकि यह लगातार तीसरा महीना था जब चीनी केंद्रीय बैंक ने कोई सोना नहीं खरीदा।

कोटक सिक्योरिटीज में कमोडिटी रिसर्च की एवीपी कायनात चैनवाला के अनुसार, अमेरिकी डॉलर और यूएस ट्रेजरी यील्ड में सुधार के कारण कॉमेक्स गोल्ड (दिसंबर) वायदा मंगलवार को कम हुआ।
जेपी नड्डा के नाम से BJP विधायक को आया फर्जी कॉल, UP से गिरफ्तार हुआ आरोपी



मध्य प्रदेश के बैतूल जिले से एक बड़ी धोखाधड़ी का मामला सामने आया है, जिसमें भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के नाम से सवा लाख रुपए की मांग की गई थी। आरोपी ने विधायक से पैसे मांगने के लिए एक फर्जी क्यूआर कोड भेजा था। इस मामले में आरोपी को उत्तर प्रदेश से गिरफ्तार कर लिया गया है।

दरअसल, बैतूल जिले की आमला सीट से बीजेपी के MLA डॉक्टर योगेश पंडाग्रे को तीन चार दिन पहले फोन कॉल आया था. कॉल करने वाले ने अपना नाम नीरज सिंह बताया तथा स्वयं को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के ऑफिस स्टाफ बताया था. नीरज सिंह MLA को बार-बार फोन करके सवा लाख रुपए की मांग रहा था. फोन करने वाला बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के कार्यक्रम कराने के लिए रुपयों की मांग कर रहा था. उसने MLA से रुपए ऑनलाइन ट्रांसफर करने के लिए बोला तथा इसके लिए MLA के whatsapp पर क्यूआर कोड भी भेजा. जब MLA डॉक्टर योगेश पंडाग्रे को संदेह हुआ तो इस मामले में गंज पुलिस थाने में इसकी शिकायत दर्ज की. पुलिस ने साइबर टीम की सहायता से अपराधी को नीरज सिंह राठौर पिता शिवराज सिंह राठौर (39 साल) निवासी ग्राम उमरी जिला जालौन उत्तरप्रदेश को कानपुर से गिरफ्तार कर लिया.


पूछताछ पर अपराधी ने MLA से फर्जी कॉल करके पैसों की मांग करने का जुर्म स्वीकार किया. अपराधी के कब्जे से एक मोबाइल फोन तथा मोबाइल नंबर 9336218380 की सिम बरामद की गई है. गंज थाना पुलिस ने अपराधी नीरज सिंह के खिलाफ धारा 308(2)BNS 2023, 66(D) IT ACT का मुकदमा दर्ज कर अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. भाजपा MLA योगेश पंडाग्रे ने बताया, ''किसी व्यक्ति का मेरे पास कॉल आया था जो अपने आपको भाजपा दफ्तर का पदाधिकारी बता रहा था. उसने मुझसे कहा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष आपसे बात करना चाहते हैं. फिर मेरे पास दोबारा कॉल आया तो मैंने बात की. मुझसे बोला गया कि 10 तारीख को आप आइए, कुछ आगे का प्लान करना है. मैं आवाज से समझ गया कि ये फेक कॉल है, क्योंकि आज कल इस प्रकार से ये काम किए जा रहे हैं. मैंने दिल्ली फोन करके इस स्थिति से अवगत कराया कि इस प्रकार से फेक कॉल करके विधायकों को प्रलोभन दिए जा रहे हैं. इसे लेकर मैंने FIR दर्ज कराई.

पुलिस ने अपराधी को कानपुर से गिरफ्तार कर लिया. सवा लाख की डिमांड की गई. मैंने मेरे साथियों से भी बात की तथा उन्हें भी सतर्क किया. मंत्रिमंडल विस्तार के नाम पर सवा लाख की का ऑनलाइन ट्रांजेक्शन की मांग की. इससे पहले भी ये व्यक्ति राजस्थान में इस प्रकार का काम करते हुए पकड़ाया है.'' SDOP शालिनी परस्ते ने बताया कि 4 अगस्त को आमला विधायक योगेश पंडाग्रे ने थाना गंज  में लिखित शिकायत दर्ज कराई थी कि नीरज नाम का शख्स उनसे 3-4 दिन से कॉल करके पैसों की मांग कर रहा है. उक्त व्यक्ति ने एक लाख पच्चीस हजार रुपये की मांग की तथा क्यूआर कोड भी भेजा. इस मामले में साइबर सेल की मदद ली गई तथा अपराधी को कानपुर से गिरफ्तार किया गया. अपराधी का नाम नीरज सिंह राठौर है, जो कि जालौन यूपी का रहने वाला है. खुद को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का स्टाफ बताकर किसी कार्यक्रम के आयोजन करने की बात कर रहा था. इस मामले में अपराधी को गिरफ्तार का न्यायिक हिरासत में भेजा गया है.
जेपीसी के पास भेजा जाएगा वक्फ विधेयक, संसोधन बिल का ओवैसी ने किया विरोध, बोले- आप मुसलमानों के दुश्मन
#waqf_bord_amendment_bill_2024_introduced_in_lok_sabha
केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पेश किया। इस बिल का कांग्रेस, सपा समेत इंडिया गठबंधन के दलों ने जोरदार विरोध किया है। इस बिल को लेकर लोकसभा में भारी हंगामा भी हुआ।किरेन रिजिजू ने कहा कि वक्फ एक्ट 1923 पूरे देश में लागू हुआ, जिसमें बलूचिस्तान और संथाल परगना भी शामिल हैं। ये एक्ट एप्लिकेबल नहीं है। इसलिए इसे रूल बुक में ही नहीं रहना चाहिए।

*बिल में धार्मिक आजादी में कोई हस्तक्षेप नहीं-रिजिजू*
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि इस बिल में धार्मिक आजादी में कोई हस्तक्षेप नहीं किया गया है। किसी तरह से संविधान का उल्लंघन नहीं हुआ है। किसी का हक छिनने की बात तो छोड़िए जिनको आज तक कभी मौका नहीं मिला। उनको हक देने के लिए यह बिल लाया गया है। किरेन रिजिजू ने कहा कि विपक्ष के लोग मुसलमानों को गुमराह कर रहे हैं। कल रात तक मुस्लिम प्रतिनिधिमंडल मेरे पास आए। कई सांसदों ने मुझे बताया है कि माफिया ने वक्फ बोर्डों पर कब्जा कर लिया है। कुछ सांसदों ने कहा है कि वे व्यक्तिगत रूप से इस विधेयक का समर्थन करते हैं, लेकिन अपनी राजनीतिक पार्टियों के कारण ऐसा नहीं कह सकते। हमने इस विधेयक पर देश भर में बहुस्तरीय विचार-विमर्श किया है।

*वक्फ बोर्ड की व्यवस्था ठीक तरीके से नहीं- किरेन रिजिजू*
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि के रहमान खान की अध्यक्षता वाली जेपीसी ने भी कहा कि वक्फ बोर्ड की व्यवस्था ठीक तरीके से नहीं है। मैनपॉवर अपर्याप्त है और फंड बहुत ज्यादा कम है। कहा गया कि वक्फ बोर्ड का सारा ध्यान मुतवल्ली बनाने और हटाने पर है। डॉक्यूमेंट्स को ठीक ढंग से रखने का प्रावधान नहीं है। देशभर के वक्फ बोर्ड का सर्वे होना चाहिए। वक्फ बोर्ड को कंप्यूराइज्ड करने की सिफारिश की गई थी। जेपीसी में खुद कहा गया कि वक्फ कानून को फिर से ठीक करने की जरूरत है।

*किरेन रिजिजू ने किया सच्चर कमेटी की रिपोर्ट का जिक्र*
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने बिल पेश करते हुए सच्चर कमेटी की रिपोर्ट का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि वक्फ बोर्ड की जितनी भी प्रॉपर्टी से उससे सिर्फ 163 करोड़ ही आमदनी होती है। अगर सही से मैनेज किया गया होता तो इससे 12 हजार करोड़ रुपये सालाना इकट्ठा हुए थे। ये बातें पुराने समय की है, आज ये और भी ज्यादा होगा। सच्चर कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया कि बोर्ड में महिला सदस्यों को भी जगह दी जाए। इसने कहा है कि महिलाओं और बच्चों को जगह दी जानी चाहिए। सच्चर कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर ही इस बिल को लाया गया है।

*वक्फ बोर्ड बिल ज्‍वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी को भेजा गया*
केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने वक्फ (संशोधन) विधेयक को ज्‍वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (जेपीसी) को भेजने का प्रस्ताव रखा। वक्फ (संशोधन) 2024 विधेयक लोकसभा में पेश किया गया है और सरकार ने विधेयक की आगे की जांच के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति गठित करने को कहा है।

*वक्फ बोर्ड संसोधन बिल का ओवैसी ने किया विरोध*
लोकसभा में सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि इस सदन के पास ये संशोधन करने की क्षमता नहीं है। वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 का विरोध करते हुए ओवैसी ने कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 25 के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है। उन्होंने कहा क‍ि यह न्यायिक स्वतंत्रता, शक्तियों के दमन के सिद्धांत का उल्लंघन करता है। उन्होंने कहा कि संपत्ति का वक्फ प्रबंधन मुसलमानों के लिए एक आवश्यक धार्मिक प्रथा है और इसे कानूनी मान्यता देने से इनकार करके सरकार ने मुसलमानों को अपनी वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन करने के तरीके को गंभीर रूप से प्रतिबंधित करने की कोशिश की है। ओवैसी ने सरकार से कहा कि आप मुसलमानों के दुश्मन हैं और यह विधेयक इसका सबूत है।
डोनाल्ड ट्रंप की रैली में गोलीबारी के पीड़ित डेविड डच ने दुखद हत्या के प्रयास पर तोड़ी चुप्पी

फिलाडेल्फिया में अपनी अभियान रैली के दौरान पूर्व राष्ट्रपति पर हत्या के प्रयास के बाद डोनाल्ड ट्रम्प के दो समर्थक घायल हो गए। इन समर्थकों में से एक, डेविड डच, ने अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद पहली बार बात की है, एक 57 वर्षीय मरीन ने बुधवार रात अपने वकील के माध्यम से एक बयान जारी किया, जिसमें उनके समर्थन के लिए सभी को धन्यवाद दिया गया।

जब वह मंच के पीछे खड़े थे, जहां ट्रंप बोल रहे थे, तब उनके सीने और लीवर में गोली लगने से घाव हो गए। शुरुआत में उन्हें चिकित्सकीय रूप से प्रेरित कोमा में रखा गया था। डेविड डच और उनका परिवार कॉम्पेरेटर के परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की। फॉक्स न्यूज को दिए एक बयान में, डेविड और उनकी पत्नी शेरी ने दोस्तों और साथी अमेरिकियों से मिले जबरदस्त समर्थन के लिए गहरा आभार व्यक्त किया।

इसके अलावा, डच परिवार ने उनकी जान बचाने वाले साहसी पुरुषों और महिलाओं, एलेघेनी जनरल अस्पताल के मेडिकल स्टाफ, पुलिस, लाइफ़ फ़्लाइट क्रू और उनके ठीक होने की राह पर उनकी देखभाल करने वाले लोगों को धन्यवाद दिया।

वे कोरी कॉम्पेरेटर के परिवार के लिए संवेदना और प्रार्थना करते हैं, जिन्होंने रैली के दौरान अपनी पत्नी और बेटियों को गोलियों से बचाने में अपनी जान गंवा दी और जेम्स कोपेनहेवर, जो एक गोली से घायल हो गए थे।



*डेविड डच ने डोनाल्ड ट्रम्प की सराहना की*

इसके बाद वह ट्रंप को धन्यवाद देने गए, जो संयुक्त राज्य अमेरिका के पुनर्निर्माण और दुनिया के सबसे शक्तिशाली और आर्थिक रूप से मजबूत देश के रूप में अपनी स्थिति को फिर से स्थापित करने की अपनी लड़ाई से खतरे के सामने भी पीछे नहीं हटे। गंभीर चोटों का सामना करने वाले डच और कोपेनहेवर ने "अपने जीवन के सबसे चुनौतीपूर्ण समय में अपने सर्वोत्तम हितों की रक्षा करने के लिए" वकीलों को काम पर रखा।

कोपेनहेवर के वकील के अनुसार, उसे बांह और पेट में चोट लगी थी।  20 वर्षीय थॉमस मैथ्यू क्रुक्स ने ट्रम्प की रैली में गोलीबारी की, जिसमें बफ़ेलो टाउनशिप स्वयंसेवी अग्निशमन विभाग के 50 वर्षीय कोरी कॉम्पेटोर की मौत हो गई। एफबीआई अभी भी क्रुक्स की प्रेरणा की जांच कर रही है।
दक्षिणी जापान में शक्तिशाली भूकंप, क्यूशू द्वीप में जमीन से 8.8 किमी नीचे रहा केंद्र, सुनामी का अलर्ट जारी
#powerful_earthquake_strikes_southern_japan_tsunami_warning

जापान में एक बार फिर भूकंप के झटकों ने लोगों को सहमा दिया। गुरुवार को फिर दक्षिणी जापान में 7.1 तीव्रता का भूकंप आया. इसके झटके कई शहरों में महसूस किए गए है। भूकंप के बाद जापान ने सुनामी की चेतावनी जारी की है। भूकंप का केंद्र जापान के क्यूशू शहर में जमीन से करीब 8.8 किमी नीचे रहा। इसलिए मियाजाकी, कोची, कागोशिमा और इहिमे शहर में सुनामी की एडवाइजरी जारी की गई है।

भूकंप के ये झटके जापान के मियाजाकी इलाके में महसूस किए गए। रिएक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 7.1 मापी गई है। हालांकि, पहले इसे 6.9 बताया गया था, बाद में इसे रिवाइज किया गया।  भूकंप तेज झटकों की वजह से अब सुनामी की चेतावनी भी जारी की गई है। जापान के तटीय इलाके खासतौर पर मिायजाकी, कोची, इहिमे, कागोशिमा और आइता में सुनामी को लेकर अलर्ट जारी किया गया है। इसके लिए सरकार ने टास्क फोर्स का गठन भी कर दिया है।

जापान प्रशांत महासागर को घेरने वाली भूकंपीय दोष रेखा, प्रशांत 'फायर रिंग' पर स्थित है। यह दुनिया के सबसे अधिक भूकंप-प्रवण देशों में से एक है। जापान के उत्तर-मध्य क्षेत्र नोटो में 1 जनवरी को आए भूकंप में 300 से अधिक लोग मारे गए थे। इशिकावा में भूकंप से कई जगहों पर आग लग गई थी। इससे 200 इमारतें जलकर खाक हो गई थीं। अब फिर से इस तरह के भूकंप से लोगों में डर का माहौल है।