नवादा में अडानी का सीमेंट प्लांट लगने का हो रहा विरोध : यक्ष प्रश्न, ऐसे में कैसे होगा बिहार का विकास !
डेस्क : बिहार से झारखंड के अलग होने के बाद बिहार में बड़े उद्योग तकरीबन खत्म हो गए। प्रदेश में बड़े प्लांट के नाम पर बचे चीनी मिल भी वर्षो से बंद पड़े है। समय-समय पर उनके फिर से चालू करने की बात तो होती है लेकिन अबतक ऐसा नहीं हो पाया है। बिहार में किसी तरह का बड़ा इंडस्ट्री नहीं होने की वजह से रोजगार की तलाश में बड़ी संख्या में यहां से पलायन होता है। हालांकि अब एक आशा की किरण जगी है। सरकार के प्रयास से उद्योगपति बिहार में निवेश करने में दिलचस्पी दिखा रहे है।
देश की जानी-मानी अडानी ग्रुप की कंपनी अंबुजा सीमेंट ने बिहार में 1600 करोड़ की लागत से सीमेंट प्लांट लगाने का काम शुरू कर दिया है। नवादा के वारिसलीगंज में शुरू हो रहे अदाणी ग्रुप के सीमेंट प्लांट से हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा। प्राइवेट सेक्टर में नौकरियों की कमी झेलते बिहार राज्य में ये किसी कंपनी का सबसे बड़ा निवेश है। जाहिर है उद्योग के मामले में पिछड़े बिहार के लिए ये बहुत बड़ी बात है।
बीते 3 अगस्त को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अदाणी ग्रुप के इस सीमेंट ग्राइंडिंग प्लांट का शिलान्यास किया। 1600 करोड़ रुपये के निवेश से शुरू हो रहा यह प्लांट नवादा के वारिसलीगंज में है। यह बिहार झारखंड के बॉर्डर पर स्थित है। अदाणी ग्रुप की ACC Cement और अंबुजा सीमेंट के बैनर तले यह 6 MTPA की सीमेंट ग्राइंडिंग इकाई है। जो बिहार में देश की किसी भी सीमेंट कंपनी की ओर से किया गया सबसे बड़ा निवेश है।
अदाणी ग्रुप के एग्रो, ऑयल और गैस क्षेत्र के प्रबंध निदेशक प्रणव अदाणी का कहना है कि यह बिहार में सीमेंट क्षेत्र में अब तक का सबसे बड़ा निवेश है। एसीसी और अंबुजा सीमेंट हमारी प्रमुख कंपनियां हैं। बिहार में इस सीमेंट प्लांट के निर्माण होने से 250 लोगों को प्रत्यक्ष और एक हजार लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा।
हालांकि इस प्लांट का विरोध भी जारी है। प्लांट के शिलान्यास के पहले से ही कुछ स्थानीय लोगो द्वारा विरोध किया जा रहा है। सीमेंट फैक्ट्री की स्थापना के खिलाफ वारिसलीगंज बंद किया गया था। किसान संघर्ष समिति के बैनर तले किए गए बंद के आह्वान का मिला-जुला असर देखने को मिला था।
*विरोध करने वाले बता रहे यह वजह*
विरोध की दो वजहें प्रमुखता से गिनाई जा रही है। पहली यह कि विरोध कर रहे लोगों का मानना है कि वारिसलीगंज का इलाका कृषि प्रधान है। चीनी मिल की भूमि पर चीनी मिल की ही स्थापना होनी चाहिए थी। चीनी मिल की स्थापना संभव नहीं हो रही थी तो कृषि आधारित उद्योग लगाया जाना चाहिए था। इससे स्थानीय किसानों को लाभ होता। विरोध की दूसरी वजह स्वास्थ्य समस्या बताया जा रहा है। लोगों का मानना है कि सीमेंट प्लांट से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
*रोजगार का मिलेगा अवसर*
वैसे, विरोध करने वालों से इतर कुछ अलग राय रखने वाले लोगों का कहना है कि सीमेंट प्लांट से रोजगार सृजन होगा। इलाके की अर्थव्यस्था सुधरेगी। स्थानीय लोगों को इस प्लांट में रोजगार मिलने से राज्य से पलायन पर भी रोक लगेगी। साथ ही साथ इलाके का भी विकास होगा।
अब ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि जब भी बिहार में रोजी-रोजगार और पलायन की बात होती है तो लोग सरकार को कोसने लगते है। इनका कहना होता है कि सरकार प्रदेश के विकास के नहीं कुछ नहीं कर रही है। यहां कल-कारखाने नहीं होने की मजूबरन परिवार पालने के लिए दूसरे प्रदेश को पलायन करना पड़ता है। लेकिन जब सरकार इस दिशा में पहल कर रही है तो इसका विरोध क्यों। क्या ऐसे लोग नही चाहते कि प्रदेश का विकास हो। स्थानीय लोगों को रोजी-रोजगार मिले। यदि ऐसे ही बड़े निवेश का विरोध होता रहा तो फिर प्रदेश का विकास कैसे होगा।
Aug 07 2024, 17:29