याह्या सिनवार बना हमास का नया चीफ, इजराइली हमले का है मास्टर माइंड

#yahya_sinwar_became_new_leader_of_hamas 

इस्माइल हानिया की मौत के बाद याह्या सिनवार को हमास का चीफ बनाया गया है। हमास ने मंगलवार को एक बयान जारी कर इसकी जानकारी दी। इससे पहले याह्या सिनवार सिर्फ गाजा में हमास की कमान संभाल रहा था।याह्या सिनवार पिछले साल 7 अक्टूबर को इजराइल पर किये गए हमलों का मुख्य साजिशकर्ता है। बता दें कि बीते दिनों ईरान की राजधानी तेहरान में हानिया की हत्या कर दी गई थी। हनिया की हत्या के बाद से ये सर्वोच्च पद खाली था। अब याह्या सिनवार को हमास का चीफ बनाया गया है।

7 अक्टूबर को दक्षिणी इजराइल में हुए हमले में सिनवार को ही सूत्रधार माना जाता है। इस हमले में लगभग 1,200 लोग मारे गए थे और 251 बंधक बनाए गए थे। इसी हमले से गाजा में चल रहे युद्ध की शुरुआत हुई थी। इजरायल पर सात अक्टूबर को हमले के बाद से सिनवार सार्वजनिक रूप से सामने नहीं आया है। इजराइल में हमले के बाद से सिनवार गाजा में ही छिपा हुआ है।इजरायली सेना का दावा है कि सिनवार गाजा की सुरंगों में छुपा हुआ है।

सिनवार ही क्यों चुना गया हमास का चीफ

आमतौर पर किसी चीफ के मरने के बाद उनकी जगह डिप्टी चीफ लेता है, लेकिन हमास के डिप्टी चीफ रहे सालेह अल-अरूरी की हत्या इसी साल जनवरी में हो गई थी। इजराइली सेना ने एक ड्रोन हमले में हमास के नंबर-2 नेता को मार दिया था। हमास के पॉलिटिकल विंग में नंबर-1 और नंबर-2 दोनों की कुर्सी खाली हो गई थीं। फिलहाल, हमास में कोई ऐसा नेता नहीं है, जो इजराइल की जंग का गाजा की स्थिति को सिनवार से बेहतर समझ सके। ऐसे में उसे चीफ बनाया गया है।

शरणार्थी शिविर में पैदा हुआ सिनवार

सिनवार का हमास के साथ जुड़ाव का एक लंबा इतिहास रहा है। 1962 में खान यूनिस शरणार्थी शिविर में पैदा हुआ सिनवार हमास के मिलिशिया अल कसम ब्रिगेड के संस्थापकों में से एक है। सिनवार इजरायली अदालत से आजीवन कारावास की सजा पा चुका है और लंबा समय इजरायल की जेल में बिताया है। 

22 साल जेल में रहा सिनवार

दो इजरायली सैनिकों और चार फिलिस्तीनियों का अपहरण और उनकी हत्या करने के आरोप में सिनवार को 1989 में गिरफ्तार किया गया था। उस वक्त याह्या की उम्र 19 साल थी। मुकदमा चला। बाद में उसे चार आजीवन कारावास की सजा सुनाई गईं। हालांकि, 2011 में इजराइली सैनिक गिलाद शालिट के बदले में 1000 से ज्यादा कैदियों की अदला-बदली के दौरान सिनवार को भी रिहा कर दिया गया था। तब तक सिनवार करीब 22 साल जेल में बिता चुका था। लंबे समय तक इजरायली जेल में रहने की वजह से सिनवार को हिब्रू का जानकार और इजरायली समाज की अच्छी समझ रखने वाले नेता के तौर पर देखा जाता है।

यरुशलम पोस्ट दावा करता है कि सिनवार एक कट्टरपंथी होने के साथ ही आत्ममुग्ध व्यक्ति भी है। वह कथित तौर पर मसीहाई विचार रखता है। सिनवार खुद को और हमास को ऐसे दूत के रूप में देखता है, जो पूरी दुनिया में इस्लाम फैलाएगा और दूसरे धर्म के लोगों को खत्म कर देगा। ये फिलिस्तीन की मुक्ति से शुरू होगा।सिनवार हमास के लड़ाकों को धर्म के योद्धा की तरह संबोधित करता है, वहीं इजरायल को शैतान की तरह पेश करता है।

कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद का विवादित बयान, कहा-बांग्लादेश जैसा हिंसक प्रदर्शन भारत में भी हो सकता है
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बांग्लादेश में भीषण रक्तपात मचा हुआ है।शेख हसीना के तख्ता पलट के तीन दिन हो चुके हैं, लेकिन प्रदर्शनकारी शांत होने का नाम नहीं ले रहे हैं। वहां अब भी हिंदुओं को चुन चुन कर निशाना बनाया जा रहा है। बांग्लादेश के कई शहरों में हिंदुओं के घरों में तोड़फोड़ की गई है। हिंदू मंदिरों को निशाना बनाया गया है, उनकी दुकानों में भी लूटपाट हुई है। पड़ोस में मची त्रासदी से भारत भी भयभीत बना हुआ है। इस बीच कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने विवादित बयान दिया है।सलमान खुर्शीद ने कहा है कि जो बांग्लादेश में हो रहा है, वो भारत में भी हो सकता है।

खुर्शीद शिक्षाविद मुजीबुर्रहमान की किताब शिकवा-ए-हिंद, द पॉलिटिकल फ्यूचर ऑफ इंडियन मुस्लिम्स' की लॉन्चिंग के मौके पर पहुंचे थे, जहां उन्होंने ये बयान दिया है। खुर्शीद ने कहा, "कश्मीर में सब कुछ सामान्य लग सकता है। यहां सब कुछ सामान्य लग सकता है। हम जीत का जश्न मना रहे हैं, हालांकि निश्चित रूप से कुछ लोगों का मानना है कि वह जीत या 2024 की सफलता शायद मामूली थी, शायद अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।" इसके साथ ही उन्होंने कहा, "बांग्लादेश में जो हो रहा है, वह यहां भी हो सकता है। हमारे देश में इसका प्रसार, चीजों को उस तरह फैलने से रोकता है, जिस तरह से यह बांग्लादेश में फैला है।"

*शाहीन बाग को लेकर भड़काऊ बयान*
खुर्शीद ने यह भी कहा कि (मुस्लिम) महिलाओं के नेतृत्व में सीएए-एनआरसी कानून के खिलाफ दक्षिण पूर्वी दिल्ली के शाहीन बाग में हुए विरोध प्रदर्शन ने देशभर में इसी तरह के प्रदर्शनों को प्रेरित किया। 100 दिन तक चले इस आंदोलन को खुर्शीद ने असफल बताया क्योंकि कई लोग अभी भी जेल में हैं। उन्होंने कहा कि शाहीन बाग जैसा आंदोलन आज देश में नहीं हो सकता।
खुर्शीद ने कहा, 'क्या आपको बुरा लगेगा अगर मैं कहूं कि शाहीन बाग विफल रहा? हम में से बहुत से लोग मानते हैं कि शाहीन बाग सफल रहा। लेकिन मैं जानता हूं कि शाहीन बाग से जुड़े लोगों के साथ क्या हो रहा है, उनमें से कितने लोग अभी भी जेल में हैं, उनमें से कितनों को जमानत नहीं मिल पा रही है और उनमें से कितनों को इस देश का दुश्मन बताया जा रहा है।' उन्होंने आगे कहा, 'अगर मैं खुद से पूछूं कि क्या शाहीन बाग की पुनरावृत्ति होगी, तो मुझे यकीन नहीं है कि होगी क्योंकि लोगों ने वास्तव में बहुत कुछ सहा है।'
विनेश फोगाट के अयोग्‍य घोषित होने पर पीएम मोदी ने बढ़ाया हौसला, कहा-आप हमारी चैंपियन*
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भारतीय पहलवान विनेश फोगाट पेरिस ओलंपिक से बाहर हो गईं। फाइनल मुकाबले से ऐन पहले उन्हें डिसक्वालीफाई कर दिया गया। दरअसल, विनेशा फोगाट कुश्ती के 50 किलोग्राम भार वर्ग में हिस्सा ले रही थीं। फाइनल मुकाबले से पहले उनका वजन 100 ग्राम ज्यादा निकला, इसलिए उन्हें डिसक्वालीफाई कर दिया गया। विनेश के बाहर होने के साथ ही भारत को ओलंपिक में बड़ा झटका लगा। हालांकि, ऐसे समय में भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पहलवान फोगाट का हौसला बढ़ाया है। विनेश पर एक्शन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पेरिस फोन लगाया। पीएम मोदी ने कहा है कि विनेश आप चैंपियन हैं। आप देश की गौरव हैं और हर भारतीय के लिए प्रेरणा हैं। वहीं, प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर फोगाट को चैंपियन बताया है। पीएम ने लिखा, "विनेश आप चैंपियनों में चैंपियन हैं! आप भारत का गौरव हैं और हर भारतीय के लिए प्रेरणा हैं। आज की असफलता दुख देती है। काश मैं शब्दों में उस निराशा को व्यक्त कर पाता जो मैं अनुभव कर रहा हूं। साथ ही, मैं जानता हूँ कि आप लचीलेपन की प्रतिमूर्ति हैं। चुनौतियों का सामना करना हमेशा से आपका स्वभाव रहा है। और मजबूत होकर वापस आओ! हम सब आपके लिए प्रार्थना कर रहे हैं।" *पीएम ने पीटी उषा से की बात* समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, पीएम मोदी ने भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष पीटी उषा से इस मुद्दे पर चर्चा की उनसे इस मुद्दे पर प्रत्यक्ष जानकारी मांगी तथा विनेश की हार के बाद भारत के पास क्या विकल्प हैं, इस बारे में भी जानकारी ली। उन्होंने विनेश के मामले में मदद के लिए सभी विकल्पों पर विचार करने को कहा। उन्होंने पीटी उषा से विनेश की मदद के लिए उनकी अयोग्यता के बारे में कड़ा विरोध दर्ज कराने की भी बात कही। *एक दिन में जीते तीन मुकाबले* विनेश फोगट ने मंगलवार को ओलंपिक के फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनकर इतिहास रच दिया था। विनेश फोगाट ने 6 जुलाई को प्री क्वार्टर, क्वार्टर फाइनल और सेमीफाइनल मुकाबला खेला। पहले मुकाबले में ओलंपिक चैंपियन, दूसरे मुकाबले में यूरोपियन चैंपियन और तीसरे मुकाबले में पैन अमेरिकन चैंपियन को हराते हुए फाइनल में जगह बना ली। लेकिन फाइनल मुकाबला 6 जुलाई को नहीं हुआ और यह 7 जुलाई के लिए तय था। 7 जुलाई के मुकाबले के लिए आज सुबह दोबारा वजन हुआ, जिसमें फोगाट का वजन बढ़ा पाया गया और डिसक्वालीफाई हो गईं।
शेख हसीना के देश छोड़ते ही जेल से बाहर आईं खालिदा जिया, क्या बनेंगी देश की प्रधानमंत्री?
#bangladesh_begum_khaleda_zia_released
शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने और देश छोड़कर जाने के कुछ ही घंटों बाद बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने एक बड़ा फैसला लिया। उन्होंने जेल में बंद विपक्षी नेता और पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया को रिहा करने का आदेश दिया। राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन के आदेश के बाद बांग्लादेश में भीषण रक्तपात और हिंदुओं पर अत्याचार के बीच बेगम खालिदा जिया जेल से बाहर आ चुकी हैं। माना जा रहा है कि तीन महीने बाद सेना के समर्थन से बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की अध्यक्ष बेगम खालिदा जिया सरकार बनाएंगी। बांग्लादेश में सियासत ने तेजी से करवट ली है। एक तरफ 45 मिनट के अंदर शेख हसीना सत्ता से बेदखल हुईं, वहीं, दूसरी तरफ नजरबंद खालिदा की रिहाई का फरमान सोमवार रात को जारी हुई और मंगलवार को वह बाहर भी आ गईं। संसद भंग होने के ठीक बाद पूर्व प्रधानमंत्री और बीएनपी अध्यक्ष बेगम खालिदा जिया को आधिकारिक तौर पर रिहा कर दिया गया है। बंगभवन से जारी मीडिया रिलीज में इस फैसले का खुलासा किया गया। प्रेस रिलीज में यह भी कहा गया है, कि छात्र आंदोलन और विभिन्न मामलों में 1 जुलाई से 5 अगस्त तक हिरासत में लिए गए लोगों की रिहाई की प्रक्रिया शुरू हो गई है। सोमवार को राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने सेना प्रमुख जनरल वकर-उज-जमान, नौसेना और वायु सेना प्रमुखों और बीएनपी और जमात-ए-इस्लामी पार्टी सहित कई विपक्षी दलों के शीर्ष नेताओं के साथ बैठक करने के बाद खालिदा को रिहा करने पर सहमति जताई थी। वह फिलहाल एवरकेयर अस्पताल में इलाज करा रही हैं। बीएनपी मीडिया सेल के सदस्य शैरूल कबीर खान ने कहा, कि "राष्ट्रपति शहाबुद्दीन ने बेगम जिया की रिहाई का आदेश दिया है। यह खुशी शब्दों से परे है।" 2018 में भेजा गया था जेल, मिली थी 17 साल की सजा शेख हसीना की प्रबल विरोधी मानी जाने वाली 78 वर्षीय खालिदा जिया मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की प्रमुख हैं। खालिदा जिया 1991 में बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं। उनका राजनीतिक जीवन उनके पति जियाउर रहमान की हत्या के बाद शुरू हुआ। खालिदा जिया को भ्रष्टाचार के एक मामले में 17 साल की सजा सुनाए जाने के बाद 2018 में जेल भेज दिया गया था। शेख हसीना की सरकार ने 25 मार्च 2020 को खालिदा जिया की सजा को निलंबित करते हुए एक कार्यकारी आदेश के माध्यम से उन्हें अस्थायी रूप से जेल से रिहा कर दिया था। इस आदेश में शर्त थी, कि वह अपने गुलशन घर में रहेंगी और महामारी के दौरान देश से बाहर नहीं जाएंगी। तब से उन्हें जेल से बाहर रखने के लिए कई बार इस अवधि को बढ़ाया गया है। खालिदा जिया को शेख हसीना का कट्टर विरोधी माना जाता है। अवामी लीग ने खुद को उदारवादी और धर्मनिरपेक्ष विचारधारा वाली पार्टी बताया, उसने अक्सर बीएनपी पर कट्टरपंथी उग्रवादियों का समर्थन करने का आरोप लगाया।
शेख हसीना के देश छोड़ते ही जेल से बाहर आईं खालिदा जिया, क्या बनेंगी देश की प्रधानमंत्री?
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शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने और देश छोड़कर जाने के कुछ ही घंटों बाद बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने एक बड़ा फैसला लिया। उन्होंने जेल में बंद विपक्षी नेता और पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया को रिहा करने का आदेश दिया। राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन के आदेश के बाद बांग्लादेश में भीषण रक्तपात और हिंदुओं पर अत्याचार के बीच बेगम खालिदा जिया जेल से बाहर आ चुकी हैं। माना जा रहा है कि तीन महीने बाद सेना के समर्थन से बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की अध्यक्ष बेगम खालिदा जिया सरकार बनाएंगी। बांग्लादेश में सियासत ने तेजी से करवट ली है। एक तरफ 45 मिनट के अंदर शेख हसीना सत्ता से बेदखल हुईं, वहीं, दूसरी तरफ नजरबंद खालिदा की रिहाई का फरमान सोमवार रात को जारी हुई और मंगलवार को वह बाहर भी आ गईं। संसद भंग होने के ठीक बाद पूर्व प्रधानमंत्री और बीएनपी अध्यक्ष बेगम खालिदा जिया को आधिकारिक तौर पर रिहा कर दिया गया है। बंगभवन से जारी मीडिया रिलीज में इस फैसले का खुलासा किया गया। प्रेस रिलीज में यह भी कहा गया है, कि छात्र आंदोलन और विभिन्न मामलों में 1 जुलाई से 5 अगस्त तक हिरासत में लिए गए लोगों की रिहाई की प्रक्रिया शुरू हो गई है। सोमवार को राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने सेना प्रमुख जनरल वकर-उज-जमान, नौसेना और वायु सेना प्रमुखों और बीएनपी और जमात-ए-इस्लामी पार्टी सहित कई विपक्षी दलों के शीर्ष नेताओं के साथ बैठक करने के बाद खालिदा को रिहा करने पर सहमति जताई थी। वह फिलहाल एवरकेयर अस्पताल में इलाज करा रही हैं। बीएनपी मीडिया सेल के सदस्य शैरूल कबीर खान ने कहा, कि "राष्ट्रपति शहाबुद्दीन ने बेगम जिया की रिहाई का आदेश दिया है। यह खुशी शब्दों से परे है।" 2018 में भेजा गया था जेल, मिली थी 17 साल की सजा शेख हसीना की प्रबल विरोधी मानी जाने वाली 78 वर्षीय खालिदा जिया मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की प्रमुख हैं। खालिदा जिया 1991 में बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं। उनका राजनीतिक जीवन उनके पति जियाउर रहमान की हत्या के बाद शुरू हुआ। खालिदा जिया को भ्रष्टाचार के एक मामले में 17 साल की सजा सुनाए जाने के बाद 2018 में जेल भेज दिया गया था। शेख हसीना की सरकार ने 25 मार्च 2020 को खालिदा जिया की सजा को निलंबित करते हुए एक कार्यकारी आदेश के माध्यम से उन्हें अस्थायी रूप से जेल से रिहा कर दिया था। इस आदेश में शर्त थी, कि वह अपने गुलशन घर में रहेंगी और महामारी के दौरान देश से बाहर नहीं जाएंगी। तब से उन्हें जेल से बाहर रखने के लिए कई बार इस अवधि को बढ़ाया गया है। खालिदा जिया को शेख हसीना का कट्टर विरोधी माना जाता है। अवामी लीग ने खुद को उदारवादी और धर्मनिरपेक्ष विचारधारा वाली पार्टी बताया, उसने अक्सर बीएनपी पर कट्टरपंथी उग्रवादियों का समर्थन करने का आरोप लगाया।
पेरिस ओलंपिकः भारत का एक और पदक, विनेश फोगाट ने कुश्ती के फाइनल में बनाई जगह, गोल्ड पर नजर*
#vinesh_phogat_becomes_first_indian_female_wrestler_to_reach_olympic_final
पेरिस ओलंपिक का आज 12वां दिन है। भारत आज वेटलिफ्टिंग, रेसलिंग और एथलेटिक्स जैसे खेलों के मेडल इवेंट में नजर आएगा। पहले 11 दिन में 4 मेडल जीतने वाला भारत 12वें दिन अपने मेडल टैली में इजाफा करता दिखेगा। महिलाओं के 50 किलो कैटेगरी में विनेश फोगाट का मेडल तो पक्का हो चुका है। पेरिस ओलंपिक 2024 में विनेश फोगाट ने इतिहास रचते हुए कुश्ती के फाइनल में अपनी जगह बना ली है। इसी के साथ वह फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला बन चुकी हैं। क्यूबा की गुजमान लोपेज को 5-0 से हराकर पेरिस ओलंपिक में महिला कुश्ती स्पर्धा के 50 किलोवर्ग में स्वर्ण पदक जीतने की ओर कदम रख दिया। इससे पहले उन्होंने बड़ा उलटफेर करते हुए अब तक अपराजेय मौजूदा चैंपियन युई सुसाकी को शिकस्त देने के बाद यूक्रेन की ओकसाना लिवाच को हराकर सेमीफाइनल में जगह बनाई थी। इसी लय को कायम रखते हुए उन्होंने लोपेज को 5-0 के अंतर से शिकस्त देकर फाइनल का टिकट कटाया। इस स्पर्धा का फाइनल बुधवार को खेला जाएगा। विनेश के सामने अमेरिका की सारा ऐन हिल्डेब्रांड की चुनौती होगी। विनेश भारत की पहली महिला पहलवान है जो ओलंपिक के किसी वर्ग के फाइनल में पहुंची हैं। पुरुष वर्ग में सुशील कुमार और रवि दाहिया को ओलंपिक फाइनल खेलना का अनुभव है, लेकिन ये दोनों रजत पदक ही जीत पाए थे। ऐसे में विनेश के पास कुश्ती में देश का पहला स्वर्ण पदक विजेता बनने का मौका होगा। विनेश रियो और टोक्यो ओलंपिक में क्वार्टर फाइनल तक पहुंची थीं।
बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद भी नहीं थम रहा बवाल, अब शेख हसीना को गिरफ्तार कर वापस लाने की मांग*
#bangladesh_send_back_sheikh_hasina_bangladeshi_bar_association_president_urges_india *
बांग्लादेश में आरक्षण को लेकर शुरु हुए बवाल ने प्रधानमंत्री शेख हसीना से उनकी कुर्सी छीन ली। भारी प्रदर्शन के बाद तख्तापलट हो गया। प्रधानमंत्री शेख हसीना को भाग कर भारत में शरण लेना पड़ा है। उनके बांग्लादेश छोड़न के बाद भी बवाल थमता नहीं दिख रहा है। देश में हिंसक सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बीच शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग के 20 से ज्यादा नेताओं के शव मिले हैं।इसी बीच बांग्‍लादेश में शेख हसीना को गिरफ्तार कर वापस लाने की मांग उठी है। *शेख हसीना को अरेस्‍ट करने की मांग* बांग्‍लादेश के सुप्रीम कोर्ट बार एसोशियेशन के अध्‍यक्ष एम महबूब उद्दीन ने भारत से मांग की है कि वह पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनकी बहन शेख रेहाना को अरेस्‍ट करे और ढाका वापस भेजे। इस दौरान विपक्षी खालिदा जिया के कई समर्थक भी मौजूद थे। उन्‍होंने कहा कि हम भारत के लोगों के साथ अच्‍छे रिश्‍ते बनाना चाहते हैं। *शेख हसीना को बताया हत्‍यारी* सुप्रीम कोर्ट बार एसोस‍िएशन के अध्‍यक्ष ए.एम. महबूब उद्दीन खोकन ने कहा कि शेख हसीना ने बांग्लादेश में कई लोगों की हत्या की है। वो हत्‍यारी हैं।उन्‍होंने अध‍िकार‍ियों से देश में इमरजेंसी न लगाने का आग्रह क‍िया है।उन्‍होंने कहा, आपातकाल लागू करने की बात चल रही है। हम मोईन यू अहमद और फखरुद्दीन अहमद जैसी सरकार नहीं चाहते। छात्रों समेत कोई भी देश में इमरजेंसी नहीं चाहता। वे इसे स्वीकार नहीं करेंगे। अगर इमरजेंसी लागू की गई तो वे इसका विरोध करेंगे। बता दें कि खोकन खाल‍िदा जिया की पार्टी बीएनपी के ज्‍वाइंट सेक्रेटरी भी हैं।
बांग्लादेश में मुहम्मद यूनुस बनाए गए अंतरिम सरकार के मुखिया, सेना के शीर्ष पदों में भी फेरबदल

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बांग्लादेश में नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का मुखिया नियुक्त किया गया है। राष्ट्रपति के प्रेस सचिवालय ने मंगलवार देर शाम को इसकी पुष्टि की है। प्रेस सचिव ने एक बयान में बताया कि राष्ट्रपति और भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन के समन्वयकों के बीच हुई बैठक के दौरान अंतरिम सरकार की नियुक्ति का फैसला लिया गया। बैठक में तीनों सेनाओं के प्रमुख भी मौजूद थे। यह फैसला शेख हसीना के इस्तीफे के एक दिन बाद लिया गया है। हसीना ने नौकरियों में विवादित कोटा सिस्टम के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद देश छोड़ दिया है। फिलहाल वह भारत में हैं और जल्द ही किसी दूसरे देश में शरण ले सकती हैं।

राष्ट्रपति के प्रेस सचिव मो. जॉयनल आबेदीन ने बताया कि राष्ट्रपति भवन में मंगलवार रात राष्ट्रपति शहाबुद्दीन की तीनों सेनाओं के प्रमुखों और भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन के 13 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक में यह फैसला लिया गया। प्रेस सचिव ने कहा कि अंतरिम सरकार के अन्य सदस्यों के नाम विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ विचार-विमर्श के बाद तय किए जाएंगे। चार घंटे तक चली बैठक के बाद ऐलान किया किया गया। बैठक में सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमान, नौसेना प्रमुख एडमिरल एम नजमुल हसन, वायु सेना प्रमुख एयर मार्शल हसन महमूद खान, ढाका विश्वविद्यालय के कानून विभाग के प्रोफेसर आसिफ नजरुल और अंतरराष्ट्रीय संबंध विभाग के प्रोफेसर तंजीम उद्दीन खान मौजूद थे

बांग्लादेश की सेना में शीर्ष पदों पर फेरबदल

इधर, बांग्लादेश की सेना में शीर्ष पदों पर फेरबदल किया गया है। शेख हसीना के करीबी माने जाने वाले मेजर जनरल जियाउल अहसन को पद से हटा दिया गया है। लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद सैफुल आलम को सेना के कामकाज से दूर करते हुए विदेश मंत्रालय भेजा गया है।

देश में भयानक हिंसा जारी

इस बीच देश में भयानक हिंसा जारी है, जिसमें बड़ी संख्या में अवामी लीग के नेताओं और अल्पसंख्कों पर हमले हो रहे हैं। बांग्लादेश में हिन्दू परिवारों पर लगातार हमले हो रहे हैं। हिन्दुओं के घरों को जलाया जा रहा है। कट्टरपंथी हिन्दुओं पर टारगेडेट हमले कर रहे हैं। जेसोर जिले के साहपुर में कट्टरपंथियों ने हिन्दुओं के घरों में लूटपाट की और फिर घरों को तोड़फोड़ दिया। हुड़दंगियों ने साहपुर में हिन्दुओं के दर्जनों घरों को क्षतिग्रस्त कर दिया। हिन्दुओं के साथ मारपीट की।

सरकारी नौकरियों में कुछ खास लोगों के एक वर्ग के लिए आरक्षण प्रणाली के खिलाफ जुलाई के मध्य से छात्रों के विरोध प्रदर्शन शुरू हुए थे। जिसके बाद इन प्रदर्शनों ने हिंसक रूप ले लिया। जिसमें कई लोगों की जान चली गई। ताजा आंकड़ों के मुताबिक मृतकों की संख्या बढ़कर 440 तक हो चुकी है। वहीं, अवामी लीग की नेता शेख हसीना ने सोमवार को पद से इस्तीफा दे दिया और देश छोड़कर चली गईं। जिसके बाद देश में अंतरिम सरकार का गठन किया गया।

ईरान और इजरायल में अगर जंग हुई तो भारत पर क्या होगा असर?

#if_israel_iran_war_starts_know_how_it_will_impact_india

ईरान में हमास के राजनीतिक विंग के प्रमुख इस्माइल हानिया की मौत के बाद ईरान और इजरायल के बीच तनाव बढ़े हैं। ईरान और इजराइल में बड़ी जंग की आशंका बढ़ गई है। इतना ही नहीं, पश्चिम की खुफिया एजेंसियों ने तो जंग की तारीख भी बता दी है। एजेंसियों के मुताबिक यह हमला 12 और 13 अगस्त के बीच हो सकता है। 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ईरान समर्थित हिजबुल्ला ग्रुप इजराइल के अंदर तक हमला करने की तैयारी में है। उसका कहना है कि अब वह मिलिट्री टारगेट तक ही सीमित नहीं रहेगा, यानी हिजबुल्ला इजराइल के रिहायशी इलाकों में भी हमला कर सकता है, जिससे आम नागरिकों की मौत होगी। इजराइल द्वारा हिजबुल्ला कमांडर को मार गिराने से वह गुस्से में है। ऐसे में अब सवाल उठ रहा है कि अगर यह जंग होती है तो भारत पर इसका क्या असर होगा?

जानकार मानते हैं कि ईरान और इजराइल के संघर्ष के बीच भारत की सबसे बड़ी चुनौती इन देशों और पश्चिमी एशिया के अन्य देशों में रह रहे अपने लाखों नागरिकों की सुरक्षा है। वर्ष 2021 के आंकड़ों के मुताबिक खाड़ी के क्षेत्र में 89 लाख भारतीय थे, जिनकी संख्या अब 1.1 करोड़ से ज्यादा होने की संभावना है। यही वजह है कि लेबनान में रहने वाले अपने नागरिकों को भारत सरकार की तरफ से चेतावनी दी गई है कि वह लेबनान से बाहर निकलें। एडवाइजरी में ये भी कहा गया है कि जो भारतीय किसी न किसी वजह से वहां रह गये हैं, वह कहीं बाहर नहीं निकलें, सतर्क रहें और बेरूत स्थित भारतीय दूतावास के संपर्क में रहें।इस बीच एयर इंडिया ने इजरायल की राजधानी तेल अवीव के लिए अपनी सारी उड़ानों को 08 अगस्त, 2024 तक के लिए रद्द कर दिया है।

कच्चे तेल की कीमतों पर असर

अंतरराष्ट्रीय बाजार में पिछले कुछ दिनों में कच्चे तेल की कीमतों में कमी देखने को मिली है, लेकिन अगर ईरान व इजरायल के बीच जंग होती है तो इसका सीधा असर कच्चे तेल पर पड़ेगा। आज की तारीख में भारत अपनी जरूरत का 85 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है और कुल खपत का 60 फीसद खाड़ी के देश सऊदी अरब, कुवैत, ईराक आदि से लेता है। ऐसे में भारत की आपूर्ति पर भी असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है।

बढ़ते कारोबार पर असर

खाड़ी क्षेत्र की स्थिति का सीधा असर इन देशों के साथ होने वाले द्विपक्षीय कारोबार पर भी होता है। पिछले वर्ष यूएई भारत का द्विपक्षीय कारोबार ही 86 अरब डॉलर का रहा था। जबकि सऊदी अरब के साथ 53 अरब डॉलर का कारोबार होता है। खाड़ी देशों के साथ भारत का द्विपक्षीय कारोबार वर्ष 2022-23 में 185 अरब डॉलर का रहा था।

भारत की डिफेंस सप्लाई पर हो सकता है असर

इजरायल और ईरान के बीच संघर्ष शुरू हो गया तो भारत के डिफेंस सप्लाई पर असर पड़ सकता है। रूस और यूक्रेन संघर्ष के बाद रूस से आने वाली सप्लाई पर असर हुआ तो भारत ने विकल्प के तौर पर यूएस, इजरायल और नाटो देशों को देखा। लेकिन अगर इजरायल-ईरान संघर्ष होता है तो उसमें यूएस की एंट्री तो होगी ही। ऐसे में यूएस, इजरायल और नाटो देश इन संघर्षों में उलझ जाएंगे। इजरायल-हमास संघर्ष में इजरायल पहले ही उलझा है। ऐसे में अगर एलएसी पर चीन कुछ हरकत करता है और चीन से विवाद बढ़ता है तो हमारे सपोर्ट और सप्लायर अपनी ही लड़ाई में व्यस्त होंगे, जिसका असर भारत पर पड़ सकता है। 

वैसे भी इजरायल और ईरान दोनों भारत के लिए अहम हैं। जानकार बताते हैं कि खाड़ी क्षेत्र की स्थिति कई तरह से भारत के रणनीतिक हितों से जुड़े हुए हैं, इसलिए सरकार ज्यादा सतर्कता से आगे बढ़ रही है। ईरान और इजरायल दोनों ही भारत के रणनीतिक हितों के लिए महत्वपूर्ण है। इजरायल भारत का स्ट्रैटजिक सप्लायर है तो सेंट्रल एशिया रिपब्लिक और ईस्ट यूरोपियन देशों तक कनेक्टिविटी के लिए ईरान अहम है। इसलिए भारत चाबहार पोर्ट में ईरान के साथ मिलकर काम कर रहा है।

“तब मुझे निकाला था और आज...” हसीना के तख्तापलट पर तसलीमा का तंज

#taslima_nasreen_tweets_and_slams_on_sheikh_hasina 

निर्वासित बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन ने छात्र-नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शनों के बीच बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को लेकर बड़ी बात कही है। तसलीमा नसरीन ने कहा कि शेख हसीना को इस्तीफा देकर देश छोड़ना पड़ा। अपनी स्थिति के लिए वे खुद जिम्मेदार हैं। उन्होंने कट्टरपंथियों को पनपने दिया। तसलीमा नसरीन ने शेख हसीना पर अपनी भड़ास निकाली है और कहा है कि जिन इस्लामियों को खुश करने के लिए शेख हसीना ने मुझे देश से निकाल दिया और अब उन्हीं लोगों ने उन्हें देश से निकाल फेंका है।

तस्लीमा नसरीन ने पहले ही एक पोस्ट में कहा था, शेख हसीना पर "इस्लामवादियों को बढ़ाने" और भ्रष्टाचार में शामिल लोगों को पनपने देने का आरोप लगाया। उन्होंने अपने देश में सेना शासन के खिलाफ भी बात की और लोकतंत्र की वकालत की। तस्लीमा ने कहा कि आज "हसीना को इस्तीफा देकर देश छोड़ना पड़ा। वह अपनी स्थिति के लिए खुद जिम्मेदार थीं। उन्होंने इस्लामवादियों को बढ़ने दिया। उन्होंने अपने लोगों को भ्रष्टाचार में शामिल होने की इजाजत दी। अब बांग्लादेश को पाकिस्तान जैसा नहीं बनना चाहिए। सेना को शासन नहीं करना चाहिए। राजनीतिक दलों को लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता को वापस लाना चाहिए।'' 

तसलीमा नसरीन ने अपने दूसरे पोस्ट में लिखा, 'शेख हसीना ने इस्लामियों को खुश करने के लिए 1999 में मुझे मेरे देश से बाहर निकाल दिया। जब मैं अपनी मां को उनकी मृत्युशय्या पर देखने के लिए बांग्लादेश में दाखिल हुई थी और मुझे फिर कभी देश में प्रवेश नहीं करने दिया। वही, इस्लामवादी छात्र आंदोलन में शामिल रहे हैं, जिन्होंने आज शेख हसीना को देश छोड़ने के लिए मजबूर किया।'

बता दें कि तसलीमा नसरीन को 1994 में अपनी पुस्तक "लज्जा" को लेकर कट्टरपंथी संगठनों द्वारा मौत की धमकियों के चलते बांग्लादेश छोड़ना पड़ा था। 1993 में लिखी गई इस पुस्तक पर बांग्लादेश में प्रतिबंध लगा दिया गया था, लेकिन यह अन्य जगहों पर बेस्टसेलर बन गई। हसीना की कट्टर प्रतिद्वंद्वी खालिदा जिया उस समय प्रधानमंत्री थीं, लेखिका तब से निर्वासन की जिंदगी बिता रही हैं।

गौरतलब है कि बांग्लादेश में रविवार को सबसे घातक हिंसक प्रदर्शन हुआ जिसमें पुलिस के साथ झड़प में लगभग 100 प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई। इसके परिणामस्वरूप, प्रदर्शनकारियों ने सोमवार को प्रधान मंत्री आवास में तोड़फोड़ की थी। इसके बाद बदलते घटनाक्रम में शेख हसीना ने सीधे टकराव से खुद को दूर रखा और अपने पद से इस्तीफा दे दिया था और एक सैन्य विमान में बैठकर देश छोड़कर चली गईं। देश के सेना प्रमुख ने कुछ घंटों बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई और घोषणा की कि देश को चलाने के लिए एक अंतरिम सरकार बनाई जाएगी।