असम में TATA का सेमीकंडक्टर प्लांट, 26000 लोगों को मिलेगा रोज़गार, समूह के चेयरमैन ने बताया देश के लिए इसका महत्व
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टाटा समूह के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने असम के मोरीगांव में टाटा की नई सेमीकंडक्टर इकाई के लिए भूमि पूजन समारोह के दौरान सेमीकंडक्टर उद्योग के महत्व पर जोर देते हुए इसे भविष्य के लिए आधारभूत उद्योग बताया। यह इकाई 27,000 करोड़ रुपये के निवेश से स्थापित की जाएगी। चंद्रशेखरन ने भरोसा जताया कि 2025 तक कुछ सुविधाएं पूरी हो जाएंगी और उसके तुरंत बाद परिचालन शुरू हो जाएगा। इस समारोह में असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा भी शामिल हुए, जिन्होंने चंद्रशेखरन के साथ मिलकर 'भूमि पूजन' किया। इस इकाई से 15,000 प्रत्यक्ष और 11,000 से 13,000 अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होने की उम्मीद है।
चंद्रशेखरन ने मीडिया से कहा, "सेमीकंडक्टर उद्योग हमारे भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है। चिप्स हमारे दैनिक जीवन के हर पहलू का अभिन्न अंग होंगे, इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोबाइल से लेकर मोबाइल प्रौद्योगिकी, रक्षा और स्वास्थ्य सेवा तक। कृत्रिम बुद्धिमत्ता को तेजी से अपनाए जाने के साथ, चिप्स की मांग में वृद्धि ही होगी।" उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कई देश इस क्षेत्र में प्रवेश करने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन केवल कुछ ही देशों के पास यह क्षमता है। उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत ने एक साहसिक कदम उठाया है और टाटा समूह को इस पहल का हिस्सा बनने पर गर्व है। हम तमिलनाडु, कर्नाटक और अब असम में उन्नत सेमीकंडक्टर असेंबली और परीक्षण सुविधा के साथ संपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक्स मूल्य श्रृंखला का निर्माण कर रहे हैं। हम गुजरात के वलेरा में एक फैब और एक डिज़ाइन हाउस भी स्थापित कर रहे हैं।"
चंद्रशेखरन ने कहा कि असम में यह सुविधा सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम बनाने में मदद करेगी। उन्होंने कहा, "पूरी क्षमता पर, यह 27,000 लोगों को रोजगार देगा, जिसमें 15,000 प्रत्यक्ष नौकरियां और 12,000 अप्रत्यक्ष नौकरियां शामिल हैं। इसके अलावा, यह विभिन्न घटकों का उत्पादन करने वाली कंपनियों को आकर्षित करेगा, जिससे एक संपन्न इलेक्ट्रॉनिक्स हब बनेगा।" उन्होंने 2025 तक सुविधाओं के एक हिस्से के पूरा होने और परिचालन शुरू होने का अनुमान लगाया। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि इस इकाई के 18 महीनों के भीतर चालू होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा, "आज का 'भूमि पूजन' एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह इकाई भारत में कहीं भी स्थापित की जा सकती थी, लेकिन उन्होंने असम को चुना, जो हमारे राज्य के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है।"
केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्लांट की क्षमताओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह प्रतिदिन लगभग 4.83 करोड़ चिप्स का निर्माण करेगा। उन्होंने कहा, "इस प्लांट का अनूठा पहलू यह है कि इसमें इस्तेमाल की जाने वाली सभी प्रमुख तकनीकें भारत में विकसित की गई हैं। चिप्स का इस्तेमाल इलेक्ट्रिक वाहनों और संचार और नेटवर्क इंफ्रास्ट्रक्चर में किया जाएगा।"
अधिकारियों ने बताया कि भारत में सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम के विकास के लिए कार्यक्रम दिसंबर 2021 में 76,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ शुरू किया गया था। जून 2023 में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुजरात के साणंद में सेमीकंडक्टर इकाई स्थापित करने के माइक्रोन के प्रस्ताव को मंजूरी दी। असम में टाटा की सेमीकंडक्टर इकाई को दो अन्य इकाइयों के साथ इस साल 29 फरवरी को मंजूरी मिली। असम इकाई उन्नत सेमीकंडक्टर पैकेजिंग तकनीक विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करेगी, जिसमें फ्लिप चिप और आई-एसआईपी (पैकेज में एकीकृत प्रणाली) तकनीकें शामिल हैं। ये तकनीकें ऑटोमोटिव, संचार और नेटवर्क इंफ्रास्ट्रक्चर अनुप्रयोगों के लिए महत्वपूर्ण हैं।
सेमीकंडक्टर चिप डिजाइन में उद्योग के लिए तैयार लगभग 85,000 पेशेवरों को भारत भर के 113 शैक्षणिक संस्थानों में प्रशिक्षित किया जा रहा है, जिनमें पूर्वोत्तर क्षेत्र के नौ संस्थान भी शामिल हैं। टाटा संस की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स प्राइवेट लिमिटेड असम में इस सुविधा का निर्माण करेगी, जो भारत के सेमीकंडक्टर उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण कदम होगा।





जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटे आज पूरे पांच साल हो गए। 5 अगस्त 2019 को संसद में आर्टिकल 370 हटने के बाद राज्य का स्पेशल स्टेटस खत्म हो गया था। साथ ही राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया गया था। धारा 370 हटाने की पांचवीं वर्षगांठ के मद्देनजर जम्मू-कश्मीर में शहर से लेकर गांव तक कड़ी निगरानी की जा रही है। जम्मू के अखनूर इलाके में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने अखनूर एलओसी इलाके में जगह-जगह चेकपोस्ट बनाई है और सुरक्षा बल के जवान गश्त कर रहे हैं। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर पुलिस के साथ-साथ अन्य सुरक्षा एजेंसियां भी अलर्ट मोड पर हैं। सुरक्षा बलों द्वारा वाहनों और दस्तावेजों की भी गहननता से जांच की जा रही है। केन्द्र की मोदी सरकार ने जब अनुच्छेद 370 को हटाया था तो कहा था कि कश्मीर में विकास और सुरक्षा के रास्ते में ये बाधक है। सरकार की मानें तो अनुच्छेद 370 के कारण कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववाद बढ़ रहा था और राज्य के लोगों को देश की मुख्यधारा से जोड़ने में मुश्किलें आ रही थी। ऐसे में अहम सवाल है कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद से अब तक इन पांच सालो में जम्मू-कश्मीर की तस्वीर कितनी बदली? सरकार की मानें तो पहले की तुलना में राज्य में आतंकवादी घटनाओं में कमी दर्ज की गई है। बीते महीने जुलाई में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लोकसभा में जानकारी देते हुए बताया था कि इस साल 21 जुलाई तक 11 आतंकवाद से संबंधित घटनाओं और 24 मुठभेड़ों या आतंकवाद विरोधी अभियानों में नागरिकों और सुरक्षा कर्मियों सहित कुल 28 लोग मारे गए हैं। पिछले महीने, जम्मू और कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के मच्छल सेक्टर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर पाकिस्तान बॉर्डर एक्शन टीम के हमले को भारतीय सेना के जवानों ने नाकाम कर दिया था, जिसमें एक पाकिस्तानी घुसपैठिया मारा गया था। इस हमले में भारतीय सेना का एक जवान शहीद हो गया, जबकि मेजर रैंक के एक अधिकारी समेत चार अन्य घायल हो गए थे। आधिकारिक आंकड़ों की मानें को स्थानीय स्तर पर विरोध प्रदर्शन और पथराव की घटनाएं खत्म हो गई है। कानून-व्यवस्था की स्थिति में सुधार हुआ है। साथ ही निर्दोषों की हत्याओं पर भी रोक लगी है। नागरिक मृत्यु में 81 प्रतिशत की कमी आई है। साथ ही सैनिक की शहादत में भी यहां 48 प्रतिशत की कमी आई है। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद 2020 में राज्य में जिला विकास परिषद (डीडीसी) का चुनाव कराकर राज्य को लोकतंत्र से जोड़ने की पहल की गई। मोदी सरकार की ओर से वाल्मिकी समुदाय, माताएं, बहनें, ओबीसी, पहाड़ी, गुज्जर-बकरवाल आदि को आरक्षण का लाभ दिया गया। जम्मू-कश्मीर में बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य, पर्यटन, परिवहन, उद्योग, शिक्षा, हवाई अड्डे सहित लगभग हर क्षेत्र में विकास किया गया है। जो राज्य के विकास के लिए अहम कड़ी है। घारा 370 हटने के बाद राज्य में आर्थिक विकास को गति मिल रही है। निजी निवेशक कश्मीर में जमीन खरीदने और कंपनियां स्थापित करने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं। जम्मू कश्मीर में औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिल रहा है। जिससे रोजगार के अवसरों में वृद्धि होगी और इसका लाभ राज्य के लोगों को बड़े पैमाने पर मिलेगा। साथ ही जम्मू-कश्मीर में सदियों पुराने धार्मिक स्थलों का विकास राज्य के सांस्कृतिक पुनर्निर्माण की दिशा में अहम कदम है। जिससे पर्यटन के क्षेत्र में असीम संभावनाओं का द्वार खुल रहा है। इसी कड़ी में इस साल अमरनाथ श्रद्धालुओं की संख्या में रिकॉर्ड तोड़ इजाफा देखने को मिल रहा है। बता दें कि केंद्र सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 को रद्द कर दिया था। इसके जरिए जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा मिला था। अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जम्मू, कश्मीर और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश में बांट दिया गया था।
Aug 05 2024, 13:59
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