महायुद्ध की आहट! अमेरिका ने तैनात किए वॉरशिप, इजरायल की बन रहा ढाल, क्या एक और युद्ध की हो रही है तैयारी?, यहां पढ़िए, पूरी खबर

हानिया की मौत का बदला लेने के लिए ईरान के लड़ाके इजरायल पर हमला कर सकते हैं. इसी की अगली कड़ी के तहत अमेरिका ने इजरायल को सेफगार्ड करने के लिए मिडिल ईस्ट में लड़ाकू विमान और वारशिप तैनात कर दिए हैं. यह घोषणा ईरान और उसके क्षेत्रीय सहयोगियों के तेहरान में हमास नेता और बेरूत में हिजबुल्लाह कमांडर की हत्या का बदला लेने की कसम खाने के बाद आई है.

अमेरिका की ओर से जारी बयान में कहा गया कि अमेरिकी रक्षा विभाग मध्य पूर्व में एक लड़ाकू जेट स्क्वाड्रन ले जाएगा. इस इलाके में वह एक विमानवाहक पोत बनाए रखेगा. पेंटागन ने कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडन ने ईरान के हमलों से इजरायल की रक्षा करने के लिए तैयारी के तहत ये कदम उठाए हैं.

अमेरिकी सैनिकों की सुरक्षा में मदद करने के लिए अमेरिकी सैन्य उपस्थिति को मजबूत करने के लिए ऐसा किया गया. पेंटागन ने ईरान के खिलाफ़ निवारक के रूप में कम से कम अगले साल तक इस क्षेत्र में लगातार एक वाहक रखने का फैसला किया है. हालांकि लड़ाकू जेट स्क्वाड्रन कहां से आ रहा है या यह मध्य पूर्व में कहां तैना होगा, इसकी जानकारी नहीं है.

डिफेंड सेक्रेटरी लॉयड ऑस्टिन ने यूरोपीय और मिडिल पूर्व इलाकों में एक्स्ट्रा बैलिस्टिक मिसाइल आदि भी भेजे हैं. वहां जमीन से काम करने वाले बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा हथियार ज्यादा से ज्यादा भेजने के लिए कदम उठाए हैं. गुरुवार दोपहर ही इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ बातचीत में बाइडन ने बैलिस्टिक मिसाइलों और ड्रोन से संभावित हमलों से बचाने के लिए नए अमेरिकी सैन्य तैनाती पर चर्चा की थी. अमेरिका की मिडिल ईस्ट और पूर्वी भूमध्य सागर में लगातार युद्धपोतों की मौजूदगी रही है. इनमें दो नौसेना विध्वंसक, यूएसएस रूजवेल्ट और यूएसएस बुल्केली, साथ ही यूएसएस वास्प और यूएसएस न्यूयॉर्क शामिल हैं. मिडिल ईस्ट में कौन से नए जहाज जाएंगे, यह अभी क्लियर नहीं है.

अप्रैल में भी अमेरिकी सेना ने ईरान के इजरायल के खिलाफ दागी गई दर्जनों मिसाइलों और ड्रोन को रोका था. उनमें से लगभग सभी को मार गिराने में मदद भी की थी. तेहरान में हमास के बड़े लीडर इस्माइल हानिया और मंगलवार को बेरूत में हिजबुल्लाह कमांडर फौद शुकुर की हत्याओं से लड़ाई और ज्यादा पैनी होती चली जा रही है. ईरान ने हमले के बाद जवाब देने की धमकी दी है. वहीं, इजरायल ने हमास के नेताओं को मारने की कसम खाई है क्योंकि उस ग्रुप की ओर से 7 अक्टूबर को हमला किया था जिसमें काफी जानें गई थीं.

ताजमहल के अंदर दो युवकों ने चढ़ाया गंगाजल, वीडियो भी बनाया, पुलिस ने लिया ये बड़ा एक्शन

 ताजमहल में शनिवार सुबह दो युवक ताजमहल में गंगाजल लेकर पहुंचे और दोनों के अंदर जल चढ़ाने की खबर आ रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस दौरान जाते हुए दोनों युवकों ने वीडियो भी बनाया। वीडियो में देखा जा सकता है कि दोनों युवक 1 लीटर की पानी की बोतल लेकर अंदर जाते है और फिर ताजमहल के अंदर जल चढ़ा देते हैं। जानकारी मिलते ही CISF एक्टिव हो गई और दोनों युवकों को अरेस्ट कर लिया। मामले में डीसीपी सूरज राय ने कहा कि गंगाजल चढ़ाया या नहीं इस बात की पुष्टि अभी नहीं हुई है। फिलहाल मामले की जांच की जा रही है।

जानकारी के अनुसार दोनों युवक हिंदू महासभा से जुड़े हैं। वीडियो में देखा जा सकता है कि दोनों युवक ताजमहल में बने मकबरे में पहुंचते हैं। इसके बाद एक युवक वीडियो बनाता है और दूसरा मकबरे पर गंगाजल चढ़ाता है। बता दें के कुछ दिन पहले हिंदू महासभा आगरा की जिलाध्यक्ष मीनार राठौर कांवड़ लेकर ताजमहल पहुंची थीं। इसके बाद पुलिस ने उन्हें पश्चिमी गेट पर रोक दिया। 

इस दौरान वो करीब 4 घंटे तक वहां खड़ी रही। ऐसे में आज शनिवार सुबह मथुरा की जिलाध्यक्ष छाया गौतम के साथ श्याम और वीनेश कुंतल नामक दो कार्यकर्ता पहुंचे और उन्होंने मकबरे पर गंगाजल चढ़ाया। हिंदू महासभा मथुरा की अध्यक्ष छाया गौतम ने कहा कि वे 31 जुलाई को अपने साथियों के साथ डाक कांवड़ लेकर चली थीं। दो अगस्त की रात कांवड़ मथुरा पहुंचते ही प्रशासन ने रात 12 बजे छाया गौतम को उनके घर में ही हाउस कर लिया गया।

ये है दुनिया का सबसे छोटा फोन! मोबाइल रिचार्ज जितनी है कीमत, जानिए इसकी खासियतें

क्या आप दुनिया का सबसे छोटा फ्लिप फोन के बारे में जानते हैं। दुनिया का सबसे छोटा फोन कितना छोटा है और इसमें क्या-क्या खासियतें हैं। यकीन मानिए इस फोन को देखकर आप भी दंग रह जाएंगे! इस फोन का नाम SKYSHOP Long-CZ-J9 है जो दुनिया का सबसे छोटा Flip फोन है। इसे आप अमेजन या अली एक्सप्रेस से सिर्फ 1,731 रुपये में ऑर्डर कर सकते हैं। प्राइस के हिसाब से इसमें कई धांसू फीचर्स देखने को मिल रहे हैं। फीचर्स की बात करें तो Bluetooth Dialer और Voice Changer जैसे फीचर्स को सपोर्ट करता है। इसमें आप एक माइक्रो सिम कार्ड यूज कर सकते हैं, माइक्रो सिम कार्ड स्लॉट, सभी भारतीय सिम कार्ड को सपोर्ट करता है पर इसमें आपको जियो सिम को सपोर्ट नहीं मिलेगा। ये फोन 300mAh बैटरी से लैस है और लगभग 2 घंटे का टॉक टाइम, लगभग 3 दिन का स्टैंडबाय टाइम ऑफर कर रहा है।

हालांकि इस फोन में कुछ खामियां भी हैं, इसमें आपको कोई भी वाइब्रेशन मोटर नहीं मिलती जिसका मतलब है कि कॉल आने पर आपको फोन में कोई भी वाइब्रेशन फील नहीं होगी लेकिन डिवाइस बीटी डायलर, बीटी फ़ंक्शन: बीटी 3.0 को सपोर्ट करता है और इसमें बीटी म्यूजिक और मैजिक वॉयस चेंजर का भी खास ऑप्शन मिल रहा है।

इस फोन का वजन सिर्फ 18 ग्राम है और इसमें OLED 0.66 इंच डिस्प्ले लगा हुआ है। डिवाइस 32MB + 32MB मेमोरी, मिनी साइज और पोर्टेबल है। फोन के साथ कुछ एक्सेसरीज भी मिलती हैं जिसमें 1 X USB केबल, 1 X यूजर मैनुअल दिया गया है। देखा जाए तो इस फोन का प्राइस एक साल के मोबाइल रिचार्ज से भी कम है।

इंदौर: TV और मोबाइल देखने से रोका तो थाने पहुंचे बच्चे, माता-पिता पर करा दी FIR, हाईकोर्ट पहुंचा मामला

 मध्यप्रदेश के इंदौर में माता-पिता द्वारा मारपीट करने और ज्यादा समय तक मोबाइल चलाने के मामले में बच्चों को रोकने के मामले में एक हैरान और समाज को सोचने पर मजबूर करने वाला मामला सामने आया है. बच्चों को माता-पिता ने टीवी देखने और मोबाइल चलाने से रोका था, बच्चों ने इस मामले में साल 2021 में क्षेत्र के चंदन नगर थाने में जुवेनाइल एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज करा दी गई थी. इस मामले में जिला कोर्ट में चल रही सुनवाई को बच्चों के परिजनों ने हाईकोर्ट में चैलेंज किया और हाईकोर्ट ने जिला ट्रायल पर अंतरिम रोक लगा दी है.

इंदौर के चंदन नगर थाना क्षेत्र में 21 साल की बेटी और 8 साल के बेटे ने अपने माता-पिता के खिलाफ साल 2021 में शिकायत दर्ज कराई थी, जहां बच्चों का आरोप था कि माता-पिता उन्हें टीवी देखने, मोबाइल चलाने से रोकते थे. इस कारण उन्हें रोज डांटते थे. साथ ही मारपीट भी करते थे. इस मामले में चंदन नगर पुलिस ने बच्चों की शिकायत पर जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत मामला दर्ज किया था. 

पुलिस ने माता-पिता के खिलाफ चालान पेश किया और इस मामले में जिला कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई. कोर्ट ने मामले की सुनवाई भी शुरू कर दी है, जिसके बाद बच्चों के पिता अर्जुन ने और मां ने इस मामले को हाईकोर्ट में अपने वकील और रिटायर्ड डीआईजी धर्मेंद्र चौधरी के माध्यम से चुनौती दी. 

अधिवक्ता धर्मेंद्र चौधरी के अनुसार, "याचिका में कहा गया है कि 25 अक्टूबर 2021 को बच्चे थाने पहुंचे थे और पुलिस को बताया कि माता-पिता उनके मोबाइल और टीवी देखने पर उन्हें डांटते हैं. हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के बाद जिला कोर्ट में माता-पिता के खिलाफ शुरू हुए ट्रायल पर अंतरिम रोक लगा दी है. चौधरी ने कहा कि बच्चों द्वारा की गई शिकायत का यह पहला मामला है, जिसमें परिजनों को ऐसे मामले में अन्य परिजनों के साथ मिलकर मामले को सुलझाना चाहिए और बच्चों समझाइश देना चाहिए.

ममता ने 01 रुपए में दी सौरव गांगुली को 350 एकड़ जमीन, कलकत्ता हाईकोर्ट में पीआईएल दायर

भारतीय किक्रेट टीम के पूर्व कप्तान और बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष सौरव गांगुली को फैक्ट्री बनाने के लिए एक रुपये में 999 साल के लिए जमीन का पट्टा कैसे दिया गया ? इस बाबत कलकत्ता हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी है। पश्चिम मेदिनीपुर में फैक्ट्री के लिए एक रुपये में जमीन देने के खिलाफ जनहित याचिका की सुनवाई अब कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जयमाल्य बागची की खंडपीठ में होगी। जनहित याचिका में ममता बनर्जी की सरकार से जमीन देने पर भी सवाल किये गए हैं। इस मामले की सुनवाई चिटफंड मामलों के लिए गठित खंडपीठ में होगी। मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने बताया कि चिटफंड मामले की सुनवाई पहले से ही न्यायमूर्ति जयमाल्य बागची की खंडपीठ कर रही है। इसलिए वह ही इस जनहित मामले की भी सुनवाई करेंगे। 

 पश्चिम बंगाल सरकार ने पश्चिम मेदिनीपुर जिले के चंद्रकोणा में एक फिल्म सिटी बनाने के लिए प्रयाग समूह को 750 एकड़ जमीन दी थी। प्रयाग ग्रुप ने 2700 करोड़ रुपए का निवेश का वादा किया था। प्रारंभिक आवंटन भूमि सहित परियोजना की कुल लागत के लिए थी। बाद में कंपनी का नाम चिटफंड मामले में आया और इसे लेकर काफी बवाल मचा था। कंपनी पर आरोप लगा कि जमाकर्ताओं से 2700 करोड़ रुपये फर्जी रूप से लिए गये थे। प्रयाग ग्रुप ने फिल्म सिटी बनाने में यहीं निवेश किया था। इस बीच चिटफंड मामले में नाम आने पर राज्य में खूब हंगामा मचा। सरकार ने जमाकर्ताओं को पैसा लौटाने के लिए प्रयाग समूह की सभी संपत्तियां जब्त कर ली। इनमें चंद्रकोणा की 750 एकड़ जमीन भी शामिल थी। अब ममता बनर्जी की सरकार ने सौरव गांगुली को करीब 350 एकड़ जमीन दे दी है। एक रुपये में 999 वर्षों के लिए पट्टे पर जमीन दी गई है। राज्य के इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में केस दायर किया गया। शेख मसूद नामक जमाकर्ता ने कोर्ट मेंएक जनहित मामला दायर किया है। उनके वकील शुभाशीष चक्रवर्ती ने कहा कि राज्य को प्रयाग समूह की संपत्तियों को जब्त करना था और जमाकर्ताओं को पैसा लौटाना था। इसी तरह चंद्रकोणा की जमीन को भी बेचकर जमाकर्ताओं का पैसा लौटाना था। लेकिन सरकार ऐसा नहीं कर रही है। वहीं दूसरी ओर सौरव गांगुली को फैक्ट्री बनाने के लिए उस जमीन का एक बड़ा हिस्सा एक रुपये में 999 साल के लिए पट्टे पर दे दिया गया है। उन्होंने सवाल किया कि सरकार किसी को वह जमीन कैसे दे सकती है। वह जमीन जमाकर्ताओं के पैसे से खरीदी गयी थी और उसे जमाकर्ताओं को लौटाना सरकार की जिम्मेदारी है।

भगवान राम के अस्तित्व का कोई प्रमाण नहीं” डीएमके नेता एसएस शिवशंकर का विवादित बयान

#dmk_leader_said_there_is_no_evidence_of_lord_ram_existence 

तमिलनाडु सरकार के मंत्री एसएस शिवशंकर ने भगवान राम पर विवादित बयान देकर सियासी बवाल खड़ा कर दिया है।शिवशंकर ने यह दावा करके विवाद खड़ा कर दिया कि भगवान राम के अस्तित्व को साबित करने के लिए कोई ऐतिहासिक सबूत नहीं है।एस. एस. शिवशंकर के बयान की बीजेपी ने निंदा की है।

अरियालुर में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डीएमके नेता ने कहा कि तमिलनाडु के लोगों का कर्तव्य है कि वे चोल सम्राट राजेंद्र चोल (राजेंद्र प्रथम) की विरासत का जश्न मनाएं और उनका सम्मान करें। हम चोल वंश के सम्राट राजेंद्र चोल का जन्मदिन मनाते हैं। हमारे पास शिलालेख, उनके द्वारा बनाए गए मंदिर और उनके द्वारा बनाई गई झील जैसे पुरातात्विक सबूत हैं।

एसएस शिवशंकर ने आगे कहा कि, लेकिन भगवान राम के बारे में ऐसा नहीं कहा जा सकता है, जिनके बारे में (इतिहास में) कोई सबूत नहीं है।डीएमके नेता इतने पर ही नहीं रुके। उन्होंने कहा कि वे दावा करते हैं कि भगवान राम 3,000 साल पहले रहते थे और उन्हें अवतार कहते हैं। अवतार पैदा नहीं हो सकता। अगर राम अवतार थे तो उनका जन्म नहीं हो सकता था। अगर उनका जन्म हुआ तो वे भगवान नहीं हो सकते थे।

डीएमके के मंत्री शिवशंकर ने आगे कहा कि रामायण और महाभारत में लोगों के लिए सीखने के लिए कोई ‘जीवन का पाठ’ नहीं है। जबकि तमिल संत-कवि तिरुवल्लुवर द्वारा 2,000 साल पहले लिखे गए दोहों के संग्रह तिरुक्कुरल में ऐसा है।

शिवशंकर के बयान पर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के अन्नामलाई ने निशाना साधा। अन्नामलाई ने कहा कि भगवान श्री राम के प्रति द्रमुक का अचानक जुनून वास्तव में देखने लायक है-किसने सोचा होगा? क्या यह दिलचस्प नहीं है कि डीएमके नेताओं की यादें कितनी जल्दी फीकी पड़ जाती हैं? क्या वे वही लोग नहीं थे जिन्होंने नए संसद परिसर में चोल वंश के सेंगोल को स्थापित करने के लिए हमारे पीएम मोदी का विरोध किया था? यह लगभग हास्यास्पद है कि डीएमके को लगता है कि तमिलनाडु का इतिहास 1967 में शुरू हुआ था। अचानक देश की समृद्ध संस्कृति और इतिहास के लिए उनका प्यार अचानक उमड़ पड़ा है।

सीएम योगी के 'बुलडोजर एक्शन' में अयोध्या में रेप के आरोपी SP नेता की बेकरी ध्वस्त

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा पीड़िता की मां से मुलाकात करने और उन्हें न्याय का आश्वासन देने के एक दिन बाद शनिवार को अयोध्या में 12 वर्षीय लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार के मुख्य आरोपी की बेकरी को ध्वस्त कर दिया गया। 'ड्रोन तकनीक का उपयोग करके भारी पुलिस निगरानी में इसे अंजाम दिया गया।

बेकरी के मालिक मोइद खान, जो भद्रासा में समाजवादी पार्टी के पदाधिकारी हैं, और उनके कर्मचारी राजू खान को मामले के सिलसिले में 30 जुलाई को पुराकलंदर इलाके से गिरफ्तार किया गया था। पुलिस सूत्रों के अनुसार, दोनों ने दो महीने पहले लड़की के साथ बलात्कार किया और उसे रिकॉर्ड कर लिया। अपराध का खुलासा तब हुआ जब हाल ही में हुई मेडिकल जांच में पीड़िता के गर्भवती होने का पता चला।

अयोध्या के एसएसपी राज करण नय्यर ने खुलासा किया कि आरोपी ने नाबालिग पर हमले की वीडियो रिकॉर्डिंग की और फुटेज का इस्तेमाल उसे डराने-धमकाने और उसका शोषण करने के लिए किया। नैय्यर ने कहा, "ढाई महीने तक, खान ने उसे डराने और धमकाने के लिए वीडियो का इस्तेमाल करते हुए उसका यौन शोषण करना जारी रखा। खान ने अपने कर्मचारी राजू की सहायता से ये कृत्य किए।"

इस बीच, अयोध्या के सांसद और सपा नेता अवधेश प्रसाद ने खान के कार्यों के बारे में अनभिज्ञता जताई और मामले पर मीडिया की पूछताछ से परहेज किया।

पीड़िता की मां ने लखनऊ में मुख्यमंत्री से उनके सरकारी आवास पर मुलाकात के बाद मीडिया से कहा, "सीएम ने आश्वासन दिया है कि बुलडोजर कार्रवाई होगी और अपराधी के लिए अनुकरणीय सजा होगी।" मुख्यमंत्री ने एक्स पर कहा, "मैंने अयोध्या जिले के बीकापुर निर्वाचन क्षेत्र के विधायक डॉ. अमित सिंह चौहान के साथ अयोध्या के पीड़ित परिवार के सदस्यों से मुलाकात की।"

बैठक की एक तस्वीर साझा करते हुए, जिसमें परिवार के सदस्यों के चेहरे धुंधले थे, पोस्ट किया, “दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा, (और) उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। "हम लड़की को न्याय दिलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। बैठक के कुछ घंटे बाद ही पूराकलंदर थाने के प्रभारी रतन शर्मा और भदरसा पुलिस चौकी प्रभारी अखिलेश गुप्ता को निलंबित कर दिया गया।

भारतवंशी कमला हैरिस ने रचा इतिहास, अमेरिकी चुनाव में बनीं डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार

#kamala_harris_formally_chosen_as_democratic_candidate_for_us_presidential_elections 

अमेरिका की मौजूदा उपराष्ट्रपति कमला हैरिस को शुक्रवार को सत्तारूढ़ डेमोक्रेटिक पार्टी ने आगामी राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया। कमला हैरिस ने डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रतिनिधियों के वोट में राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बनने के लिए जरूरी वोटों की दहलीज पार कर ली है। शुक्रवार को 2350 डेमोक्रेटिक प्रतिनिधियों का समर्थन हासिल करने के साथ ही कमला हैरिस ने आधिकारिक तौर पर पार्टी की उम्मीदवारी हासिल कर ली है। राष्ट्रपति पद के लिए कमला हैरिस का सीधा मुकाबला रिपबल्किन कैंडिडेट और पूर्व प्रेसीडेंट डोनाल्ड ट्रंप से होगा।

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा पिछले महीने पद छोड़ने और राष्ट्रपति पद की दौड़ से हटने की घोषणा करने के बाद से ही कमला हैरिस को अगला उम्मीदवार माना जा रहा था। कमला हैरिस ने भी बाइडन के फैसले का सपोर्ट करने के साथ ही तत्काल वर्चुअल रोल कॉल में निर्विरोध आगे बढ़ गईं। कई संभावित उम्मीदवारों ने भी आखिरकार उनका समर्थन किया। शुक्रवार दोपहर को कमला हैरिस डेमोक्रेटिक पार्टी के 2,350 प्रतिनिधियों का समर्थन हासिल करने के बाद औपचारिक रूप से नामांकित हो गईं, जो नामांकन अर्जित करने के लिए जरूरी सीमा है।

हैरिस पहली भारतीय-अफ्रीकी मूल की महिला हैं जिन्हें राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बनाया गया है। कमला हैरिस पहली अश्वेत महिला और पहली दक्षिण एशियाई महिला हैं जो किसी प्रमुख अमेरिकी राजनीतिक दल की ओर से व्हाइट हाउस की रेस में शामिल हुई हैं। इस साल ये पहली बार होने जा रहा है जब कोई अश्वेत और एशियाई मूल की महिला अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ेगी। इस साल चुनाव में हैरिस के पास एक और बड़ा कीर्तिमान बनाने का मौका होगा। नवंबर में होने वाले चुनावों में हैरिस अगर डोनाल्ड ट्रंप को हरा देती हैं तो वह अमेरिका की पहली महिला राष्ट्रपति होंगी। अमेरिका में अबी तक कोई भी महिला राष्ट्रपति नहीं बनी है।

बता दें कि कमाला हैरिस की मां श्यामला गोपालन जो कि भारतीय थीं और उनके पिता डोनाल्ड जैस्पर हैरिस जमैका के हैं, वे दोनों अमेरिका में आकर बस गए थे। कमला हैरिस की मां कैंसर पर शोध कर रही थीं और साल 2009 में उनकी मौत हो गई। कमला के पिता डोनाल्ड हैरिस जमैका के रहने वाले थे, जो स्टैमफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाते थे। कमला हैरिस के माता-पिता तभी अलग हो गए थे, जब कमला और उनकी बहन माया हैरिस बहुत छोटी थीं।

कमला हैरिस ऑकलैंड में पली-बढ़ी हैं। उन्होंने हावर्ड यूनिवर्सिटी से स्नातक की डिग्री ली है। इसके बाद कमला ने कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की है। हैरिस सैन फ्रांसिस्को में जिला अटॉर्नी के रूप में भी काम कर चुकी हैं। वह 2003 में सैन फ्रांसिस्को की जिला वकील बनी थीं। कमला हैरिस दो बार अटॉर्नी जनरल रहीं और फिर 2017 में वो सांसद बनीं। वो ऐसा करने वाली दूसरी अश्वेत महिला थीं। सीनेटर के तौर पर वह राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ मुखर रही हैं। हालांकि, विदेश नीति पर उन्होंने ट्रंप का समर्थन भी किया है। वहीं, अमेरिका के इतिहास में उपराष्ट्रपति पद पर आसीन होने वाली पहली महिला थीं।

सुप्रीम कोर्ट में आया ऐसा केस, सीजेआई भी हुए हैरान, कहा-हम कुछ नहीं कर सकते

#supreme_court_bins_end_superstitions_pil 

सुप्रीम कोर्ट में अंधविश्वास खत्म करने की मांग को लेकर एक जनहित याचिका दाखिल की गई। जिसने सरकारों को अंधविश्वासों को खत्म करने के लिए कदम उठाने का निर्देश देने की मांग की थी। हालांकि, शीर्ष अदालत ने ये कहते हुए कि उसके पास हर मर्ज की दवा नहीं है, याचिका को स्वीकर करने से इनकार कर दिया जिसके बाद याचिकाकर्ता ने उसे वापस ले ली।

यह जनहित याचिका (PIL) चर्चित वकील अश्विनी उपाध्याय ने दायर की थी। उनका कहना था कि हर साल अंधविश्वास के कारण सैकड़ों लोगों की जान जाती है। उन्होंने अदालत से गुजारिश की कि सरकारों को लोगों में वैज्ञानिक सोच विकसित करने के लिए कदम उठाने का निर्देश दिया जाए।

सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिका दायर करने वाले वकील अश्विनी उपाध्याय से कहा कि ‘लोगों में वैज्ञानिक सोच का विकास न्यायिक आदेशों से नहीं किया जा सकता। हम यह निर्देश नहीं दे सकते कि छात्रों को स्कूलों में क्या सीखना चाहिए। यह सरकार के शिक्षा विभाग के विशेषज्ञों के नीतिगत दायरे में आता है। छात्रों पर पहले से ही पढ़ाई के बहुत अधिक विस्तारित पाठ्यक्रमों का बोझ है। हम न्यायिक आदेश से उसमें और इज़ाफा नहीं कर सकते।

जब याचिकाकर्ता ने कहा कि यह सामाजिक सुधारों के लिए एक वास्तविक जनहित याचिका है, तो सीजेआई ने कहा, संवैधानिक अदालतों में जनहित याचिका दायर करने से कोई समाज सुधारक नहीं बन जाता। आप अंधविश्वास के खिलाफ लोगों को शिक्षित करने के लिए जमीनी स्तर पर काम कर सकते हैं। उपाध्याय द्वारा अदालत को मनाने की तमाम कोशिशें नाकाम रहीं, जिसके बाद उन्होंने अपनी याचिका वापस ले ली।

सुप्रीम कोर्ट में आया ऐसा केस, सीजेआई भी हुए हैरान, कहा-हम कुछ नहीं कर सकते

#supreme_court_bins_end_superstitions_pil 

सुप्रीम कोर्ट में अंधविश्वास खत्म करने की मांग को लेकर एक जनहित याचिका दाखिल की गई। जिसने सरकारों को अंधविश्वासों को खत्म करने के लिए कदम उठाने का निर्देश देने की मांग की थी। हालांकि, शीर्ष अदालत ने ये कहते हुए कि उसके पास हर मर्ज की दवा नहीं है, याचिका को स्वीकर करने से इनकार कर दिया जिसके बाद याचिकाकर्ता ने उसे वापस ले ली।

यह जनहित याचिका (PIL) चर्चित वकील अश्विनी उपाध्याय ने दायर की थी। उनका कहना था कि हर साल अंधविश्वास के कारण सैकड़ों लोगों की जान जाती है। उन्होंने अदालत से गुजारिश की कि सरकारों को लोगों में वैज्ञानिक सोच विकसित करने के लिए कदम उठाने का निर्देश दिया जाए।

सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिका दायर करने वाले वकील अश्विनी उपाध्याय से कहा कि ‘लोगों में वैज्ञानिक सोच का विकास न्यायिक आदेशों से नहीं किया जा सकता। हम यह निर्देश नहीं दे सकते कि छात्रों को स्कूलों में क्या सीखना चाहिए। यह सरकार के शिक्षा विभाग के विशेषज्ञों के नीतिगत दायरे में आता है। छात्रों पर पहले से ही पढ़ाई के बहुत अधिक विस्तारित पाठ्यक्रमों का बोझ है। हम न्यायिक आदेश से उसमें और इज़ाफा नहीं कर सकते।

जब याचिकाकर्ता ने कहा कि यह सामाजिक सुधारों के लिए एक वास्तविक जनहित याचिका है, तो सीजेआई ने कहा, संवैधानिक अदालतों में जनहित याचिका दायर करने से कोई समाज सुधारक नहीं बन जाता। आप अंधविश्वास के खिलाफ लोगों को शिक्षित करने के लिए जमीनी स्तर पर काम कर सकते हैं। उपाध्याय द्वारा अदालत को मनाने की तमाम कोशिशें नाकाम रहीं, जिसके बाद उन्होंने अपनी याचिका वापस ले ली।