हेल्थ टिप्स:औषधियो गुणों का खजाना है मुलेठी जानिए इसके सेवन करने से होने वाले फायदे
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मुलेठी, जिसे अंग्रेज़ी में "Licorice" कहा जाता है, एक प्रसिद्ध औषधीय पौधा है जिसका उपयोग प्राचीन समय से चिकित्सा और स्वास्थ्य लाभों के लिए किया जा रहा है। यह अपने मीठे स्वाद और औषधीय गुणों के कारण आयुर्वेद, यूनानी और पारंपरिक चीनी चिकित्सा में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। आइए जानते हैं मुलेठी के सेवन से होने वाले कुछ प्रमुख फायदे:
1. गले और श्वसन तंत्र के लिए फायदेमंद
मुलेठी का उपयोग गले के संक्रमण, खांसी और जुकाम के इलाज में किया जाता है। इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-माइक्रोबियल गुण गले की सूजन को कम करने और श्वसन तंत्र को साफ करने में मदद करते हैं।
2. पाचन तंत्र के लिए लाभकारी
मुलेठी में पाए जाने वाले तत्व पेट के अल्सर, एसिडिटी और कब्ज जैसी समस्याओं को कम करने में सहायक होते हैं। यह पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है और पेट के रोगों से राहत प्रदान करता है।
3. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मददगार
मुलेठी में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। यह शरीर को फ्री रेडिकल्स से बचाता है और संक्रमणों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाता है।
4. त्वचा के लिए लाभदायक
मुलेठी का उपयोग त्वचा की विभिन्न समस्याओं जैसे एक्जिमा, सोरायसिस और अन्य एलर्जी के इलाज में किया जाता है। यह त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाने में मदद करता है।
5. मानसिक स्वास्थ्य के लिए सहायक
मुलेठी में पाए जाने वाले प्राकृतिक तत्व तनाव और चिंता को कम करने में मदद करते हैं। यह मानसिक शांति प्रदान करता है और मस्तिष्क की कार्यक्षमता को बढ़ाता है।
6. हार्मोनल संतुलन में सहायक
मुलेठी महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन को दूर करने में भी सहायक है। यह मासिक धर्म की अनियमितता और रजोनिवृत्ति के लक्षणों को कम करने में मदद करता है।
सेवन के तरीके
मुलेठी का सेवन चाय, पाउडर, या कैप्सूल के रूप में किया जा सकता है। इसे किसी भी रूप में सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह लेना उचित है, खासकर यदि आप गर्भवती हैं या किसी अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्या से पीड़ित हैं।
निष्कर्ष
मुलेठी एक प्राकृतिक औषधि है जिसके अनेक स्वास्थ्य लाभ हैं। नियमित और संतुलित सेवन से यह विभिन्न शारीरिक और मानसिक समस्याओं से राहत दिलाने में सहायक हो सकता है। हमेशा ध्यान रखें कि किसी भी औषधीय पौधे का सेवन चिकित्सक की सलाह से ही करना चाहिए।


माता-पिता बच्चे की कई आदतों को लिए जिम्मेदार होते हैं। बचपन में माता-पिता अपने बच्चे को गर्म चीजों और सड़क में दौड़ती गाड़ियों से बचाने के लिए डरा देते हैं। यह छोटी-छोटी आदतें कुछ वर्षों के बाद बच्चों के लिए बड़ी समस्या का कारण बन जाती हैं। बड़े होने के बाद ये आदतें बच्चे के मन में डर का कारण बन सकती हैं। इस वजह से होने एंग्जाइटी बच्चों की लाइफस्टाइल को प्रभावित कर सकती है।
बच्चों को सोने में कठिनाई हो सकती है। डर या एंग्जाइटी होने पर बच्चा सोते समय बार-बार उठ सकता है। साथ ही, बच्चे को थकान और कमजोरी महसूस होने लगती है। नींद की कमी की वजह से बच्चा एक एक्टिव हो जाता है।
मानसून का मौसम और रिमझिम बारिश का अपना ही आनंद है, हालांकि बरसात के दिनों में आपको सेहत को लेकर विशेषतौर पर सावधान रहने की आवश्यकता होती है। मानसून के समय में वैसे तो मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारियों का खतरा रहता ही है, साथ ही ये मौसम पाचन के लिए भी दिक्कतें बढ़ा देता है। बढ़ी हुई नमी हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस को बढ़ाने वाली हो सकती है जिसके कारण गैस्ट्रिक समस्याओं का होना आम है।
हम में से ज्यादातर लोग दिन की शुरुआत चाय-कॉफी के साथ करते हैं, इसका अधिक सेवन आपके पाचन के लिए नुकसानदायक हो सकता है। हालांकि इसकी जगह पर हर्बल का सेवन करना अच्छा विकल्प माना जाता है। जैसे अदरक की चाय पीना पाचन स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। अदरक शरीर में पाचन एंजाइम और गैस्ट्रिक जूस के उत्पादन को उत्तेजित करने में मदद करता है। इससे पेट फूलने जैसे पाचन संबंधी लक्षणों को कम कर सकते हैं। नींबू पानी पीना भी पाचन के लिए फायदेमंद है।
छाछ और दही आदि को प्रोबायोटिक्स से भरपूर माना जाता है जो आंत में गुड बैक्टीरिया को बढ़ावा देने और पाचन को ठीक रखने में मददगार है। छाछ लोकप्रिय भारतीय पेय है जो भोजन के पाचन को ठीक रखने और पेट की समस्याओं को कम करने में आपके लिए लाभकारी है। यह पेय आपके शरीर को पोषण देने और हाइड्रेट रखने में भी बहुत फायदेमंद माना जाता है। इसके नियमित सेवन से कई प्रकार के स्वास्थ्य लाभ हो सकते हैं।
एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर हल्दी में पाए जाने वाला करक्यूमिन आपकी सेहत के लिए कई प्रकार से लाभप्रद है। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता तो बढ़ती ही है साथ ही ये मल त्याग, पेट दर्द और दस्त को कम करके आंतों की समस्याओं को कम करने में भी फायदेमंद है। इसी तरह से पुदीने के रस को पानी में मिलाकर पीने से भी पाचन संबंधित समस्याओं के जोखिमों को कम किया जा सकता है।
भारत समेत दुनियाभर में हृदय रोग की समस्या बहुत तेजी से बढ़ रही है। कोविड काल के बाद हृदय रोग का जोखिम भारतीयों में काफी बढ़ा है। उच्च रक्तचाप, हाई कोलेस्ट्रॉल, धूम्रपान, मोटापा और अस्वस्थ जीवनशैली के कारण हृदयाघात और स्ट्रोक समेत हृदय संबंधी कई समस्याएं हो सकती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक , हृदय रोग भारत में मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है।
योग विशेषज्ञों के मुताबिक किसी भी योगासन से अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए उसका सही तरीके से अभ्यास किया जाना आवश्यक माना जाता है। वीरभद्रासन योग की कई मुद्राएं हैं, ऐसे में किसी विशेषज्ञ से बेहतर प्रशिक्षण के बाद ही इस अभ्यास की शुरुआत करें। इस योग के लिए सबसे पहले सीधी मुद्रा में खड़े हो जाएं। अब अपनी बाहों को फर्श के समानांतर उठाते हुए सिर को बाईं ओर मोड़ें। बाएं पैर को भी 90 डिग्री बाईं ओर मोड़ें। कुछ देर तक इस अवस्था में बने रहें। इसी तरह से दूसरी तरफ का भी अभ्यास करें।
एनाफिलीज मच्छर
एनाफिलीज मच्छर के काटने के लक्षण
मस्तिष्क हमारे पूरे शरीर को नियंत्रित करने वाला अंग है, यही कारण है कि इसके विशेष देखभाल की भी आवश्यकता होती है। लाइफस्टाइल और आहार में गड़बड़ी के साथ कई तरह की पर्यावरणीय स्थितियों के कारण इस अंग से संबंधित दिक्कतें बढ़ती देखी जा रही हैं। यहां तक कि कम उम्र के लोग भी मस्तिष्क रोगों के शिकार पाए जा रहे हैं। मस्तिष्क में ट्यूमर वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ती ऐसी ही एक समस्या है।
ब्रेन ट्यूमर और इसके कारण
रांची रिम्स में न्यूरोसर्जन डॉ विकास कुमार बताते हैं, ब्रेन ट्यूमर के लक्षण ट्यूमर के आकार और स्थान पर निर्भर करते हैं। कई मामलों में लक्षण इस बात पर भी निर्भर करते हैं कि ब्रेन ट्यूमर कितनी तेजी से बढ़ रहा है? सिरदर्द होना इसका प्रारंभिक संकेत माना जाता है। अक्सर होने वाले सिरदर्द को अनदेखा न करें।
लगातार या तेज सिरदर्द की समस्या के अलावा बिना स्पष्ट कारण के उल्टी और मतली की दिक्कत होते रहना भी ट्यूमर का संकेत हो सकता है। ट्यूमर की समस्या वाले कई लोगों में धुंधला दिखने, दृष्टि में परिवर्तन या दोहरी दृष्टि जैसी दिक्कत भी देखी जाती रही है।
मस्तिष्क हमारे पूरे शरीर का मास्टरमाइंड माना जाता है। शरीर में होने वाले सभी कार्यों का संचालन इसी अंग द्वारा किया जाता है, यही कारण है कि मस्तिष्क का स्वस्थ और फिट रहना बहुत जरूरी है। ये अंग लगातार काम करता रहता है, यहां तक कि जब आप रात को बिस्तर पर आराम से सो रहे होते हैं, तब भी आपका मस्तिष्क काम करता है और शरीर को आने वाले दिन के लिए तैयार कर रहा होता है। अब चूंकि ये अंग काफी मेहनत करता है ऐसे में इसी हिसाब को मस्तिष्क को पोषण की भी आवश्यकता होती है।
Aug 03 2024, 13:44
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