तुर्की सरकार ने इंस्टाग्राम पर लगाया बैन, वजह जानकर हो जाएंगे हैरान

#turkey_blocked_instagram 

तुर्की ने अचानक ही पूरे देश में इंस्टाग्राम पर रोक लगा दी है। देश के सूचना प्रौद्योगिकी नियामक ने शुक्रवार को इसकी जानकारी दी। हालांकि, इंस्टाग्राम पर प्रतिबंध लगाने के फैसले के वजह को लेकर तुर्की की तरफ से कोई जानकारी नहीं दी गई है। साथ ही यह भी नहीं बताया गया है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लगा यह प्रतिबंध कब तक लागू रहेगा। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो इंस्टाग्राम पर यह प्रतिबंध हमास के बड़े नेता इस्माइल हनीया की मौत की वजह से लगाया गया है।

माना जा रहा है कि इंस्टाग्राम ने इस्माइल हनीया की मौत वाले शोक संदेश को ब्लॉक कर दिया था। जिसके बाद तुर्की की सरकार ने ये कदम उठाया है। दरअसल, तुर्की के संचार अधिकारी फहरेटिन अल्तुन की बुधवार को इंस्टाग्राम की आलोचना करते हुए कहा कि प्लेटफॉर्म ने हमास प्रमुख इस्माइल हानिया की हत्या पर शोक संदेशों को ब्लॉक कर दिया है।

अल्तुन ने एक्स पर कहा,यह सेंसरशिप है, पूरी तरह से।उन्होंने कहा कि इंस्टाग्राम ने अपने इस कदम के लिए कोई नीतिगत उल्लंघन का हवाला नहीं दिया है। हम इन प्लेटफॉर्म के खिलाफ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करना जारी रखेंगे, जिन्होंने बार-बार दिखाया है कि वे शोषण और अन्याय की वैश्विक व्यवस्था की सेवा करते हैं। हम हर अवसर पर और हर मंच पर अपने फलस्तीनी भाइयों के साथ खड़े रहेंगे। फलस्तीन जल्द या बाद में आजाद होगा। इजरायल और उसके समर्थक इसे रोक नहीं पाएंगे।

मीडिया रिपोर्सट्स के मुताबिक इंस्टाग्राम पर लगाए गए बैन की वजह से 5 करोड़ यूजर्स प्रभावित हुए है। तुर्की की कुल आबादी लगभग 8.5 करोड़ है। ऐसे में तुर्की की जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा इंस्टाग्राम का इस्तेमाल करता है।

हालांकि तुर्किये में ऐसा में पहली बार नहीं हुआ है, जब किसी सोशल मीडिया ऐप या बेवसाइट को बैन किया गया है। इससे पहले भी तुर्किये विकीपीडिया को बैन कर चुका है। उसने साल 2017 से 2020 के बीच विकीपीडिया को उग्रवाद और राष्ट्रपति से जुड़े आर्टिकल के चलते बैन कर दिया था।

दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली कोचिंग हादसे की सीबीआई जांच के दिए आदेश, पुलिस और एमसीडी को लगाई कड़ी फटकार

#delhi_old_rajendra_nagar_students_death_case_delhi_high_court_gives_investigation_to_cbi 

दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर कोचिंग हादसा मामले की जांच दिल्ली हाई कोर्ट ने सीबीआई को सौंप दी है। जांच की निगरानी सेंट्रल विजिलेंस कमेटी के अधिकारी करेंगे। आज हुई सुनवाई में हाई कोर्ट ने अब तक की जांच पर सवाल उठाते हुए दिल्ली पुलिस और एमसीडी को जमकर फटकार लगाई।

दिल्ली हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और जस्टिस तुषार राव गेडेला की बेंच ने शुक्रवार को कहा, ''मामले की गंभीरता को देखते हुए हम जांच सीबीआई को ट्रांसफर कर रहे हैं।'' साथ ही जज ने कहा कि दिल्ली के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी बने। कोर्ट ने कहा, 'लोगों को जांच पर शक न हो, साथ ही सरकारी कर्मचारियों के भ्रष्टाचार में शामिल होने से जांच प्रभावित न हो, इसलिए यह फैसला लिया गया है।' इसमें डीडीए के वीसी (उपाध्यक्ष), एमसीडी कमिश्नर, पुलिस कमिश्नर भी इसमें शामिल हों। जज ने चीफ सेक्रेट्री की अध्यक्षता वाली कमेटी को 4 सप्ताह में रिपोर्ट देने को कहा।

दिल्ली हाई कोर्ट में दिल्ली एमसीडी कमिश्नर और डीसीपी पेश हुए। हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस से पूछा कि आप सड़क पर जा रहे किसी व्यक्ति को कैसे अरेस्ट कर सकते हैं? आपको माफी मांगनी चाहिए। पुलिस का सम्मान तब होता है, जब आप अपराधी को गिरफ्तार करें, निर्दोष को नहीं। अगर आप किसी निर्दोष (मनुज कथूरिया) को गिरफ्तार करते हैं और दोषी को छोड़ देते हैं तो यह दुख की बात है। अच्छा हुआ, आपने पानी का चालान नहीं काटा। कोर्ट की फटकार के बाद दिल्ली पुलिस ने माफी मांगी।

एमसीडी ने बताया कि मामले में कार्यवाही की गई है, हमने नालों की भी सफाई की है। इस पर हाई कोर्ट ने पूछा कि क्या आपने जमीन पर जा कर निरीक्षण किया है? दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि एमसीडी के साथ समस्या यह है कि कोर्ट के समय समय पर आदेश देने के बावजूद वो आदेश लागू नहीं होता। अधिकारी कानून के अधिकार क्षेत्र से बाहर नहीं जा सकते। हाई कोर्ट ने पूछा कि जूनियर इंजीनियर के खिलाफ क्या कारवाई हुई। जिसकी ये जिम्मेदारी थी कि वो इस हिस्से को देखे। मानसून से कैसे निपटा जाए इसको लेकर कोई तैयारी नही की। ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कारवाई होनी चाहिए। अगर हर तरफ से पूसा रोड पर पानी आता है तो पानी को कम करने को लेकर या पानी ना आए उसको लेकर क्या कारवाई की।

मनु भाकर लगाएंगी मेडल की हैट्रिक, तीसरे इवेंट के फाइनल में बनाई जगह

#manu_bhaker_in_final_of_25_meter_pistol_event_paris_olympics 

मनु भाकर ने पेरिस ओलंपिक खेलों में भारत के लिए अभूतपूर्व तीसरे पदक की ओर कदम बढ़ा दिया। मनु ने निशानेबाजी की 25 मीटर महिला पिस्टल स्पर्धा के फाइनल के लिए क्वालीफाई कर लिया है।दो ब्रॉन्ज मेडल जीतने के बाद अब ये शूटर तीसरे मेडल के भी बेहद करीब पहुंच चुकी हैं।

मनु भाकर ने शुक्रवार को 25 मीटर पिस्टल इवेंट के क्वालिफिकेशन राउंड में कमाल का प्रदर्शन करते हुए फाइनल में जगह बनाई। मनु भाकर क्वालिफिकेश राउंड में दूसरे स्थान पर रहीं। मनु ने प्रिसिजन में 294 और रेपिड में 296 अंक के साथ कुल 590 अंक जुटाकर क्वालीफिकेशन में दूसरा स्थान हासिल करते हुए फाइनल में प्रवेश किया। मनु ने प्रिसिजन दौर में 10-10 निशानों की तीन सीरीज में क्रमश: 97, 98 और 99 अंक जुटाए।

मनु भाकर ने अगर 25 मीटर पिस्टल इवेंट में भी मेडल जीत लिया तो वो इतिहास रच देंगी। पहले कभी किसी भारतीय ने एक ओलंपिक में लगातार तीन मेडल नहीं जीते हैं और मनु के पास ये काम करने का मौका है। मनु भाकर ने अगर तीसरा मेडल जीत लिया तो वो भारतीय इतिहास की पहली खिलाड़ी होंगी जिनके नाम तीन ओलंपिक मेडल होंगे।

पेरिस ओलंपिकःभारतीय हॉकी टीम की ऐतिहासिक जीत, 52 साल बाद ऑस्ट्रेलिया को दी मात

#india_beats_australia_by_3_2_in_men_hockey_in_paris_olympics 

पेरिस ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम ने इतिहास रच दिया। भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने पेरिस ओलंपिक में पूल बी के अपने अंतिम मैच में ऑस्ट्रेलिया को 3-2 से हरा दिया है।ओलिंपिक हॉकी के इतिहास में भारत ने 52 साल बाद ऑस्ट्रेलिया को हराया है। 1972 के बाद ओलंपिक में भारत की ऑस्ट्रेलिया पर पहली जीत है। अब सभी ग्रुप मैच पूरे होने के बाद यह तय हो जाएगा कि इंडिया क्वार्टर फाइनल में किस टीम से भिड़ेगी।

पूल स्टेज में लगातार शानदार प्रदर्शन कर रही कोच क्रेग फुल्टन और कप्तान हरमनप्रीत सिंह की टीम ने अभी तक का सबसे बेहतरीन नतीजा हासिल करते हुए ऑस्ट्रेलिया को हराकर सनसनी फैला दी. पूल स्टेज के अपने आखिरी मैच में भारतीय टीम ने टोक्यो ओलंपिक की सिल्वर मेडलिस्ट ऑस्ट्रेलिया को रोमांचक मुकाबले में 3-2 से हरा दिया। 

इन ओलंपिक में भारतीय टीम के लिए कप्तान हरमनप्रीत सिंह ने डिफेंस की अपनी ड्यूटी संभालने के साथ ही लगातार पेनल्टी कॉर्नर और पेनल्टी स्ट्रोक्स से गोल दागकर टीम को जीत दिलाते रहे। यही कमाल उन्होंने उस ऑस्ट्रेलियाई टीम के खिलाफ भी किया, जिसने पिछले कई सालों में ओलंपिक, वर्ल्ड कप और कॉमनवेल्थ गेम्स में टीम इंडिया को बहुत दर्द दिया था। आखिरकार 1972 के बाद पहली बार टीम इंडिया ने ओलंपिक में ऑस्ट्रेलिया से अपनी कई हारों का बदला ले ही लिया।

इस बार भारत ने पूल स्तर पर सिर्फ़ एक मैच बेल्जियम के ख़िलाफ़ हारा है। बेल्जियम ने भारत को 2-1 से मात दी थी। पेरिस ओलंपिक में इससे पहले भारत न्यूज़ीलैंड और आयरलैंड को हरा चुका है। अर्जेंटीना के ख़िलाफ़ मैच ड्रा रहा था।

क्या पेरिस ओलंपिक में पुरुष से हुआ महिला बॉक्सर का मैच? इटली की बॉक्सर ने 46 सेकेंड में छोड़ा गेम, अब उठ रहे सवाल

#paris_olympic_gender_controversy 

पेरिस ओलंपिक में महिला बॉक्सिंग के एक मैच में बड़ा विवाद खड़ा हो गया है।ये मुकाबला गुरुवार को इटली की एंजेला कैरिनी और अल्जीरिया की इमान खलीफ के बीच हो रहा था। इटली की महिला बॉक्सर एजेंला करिनी ने खलीफ़ के ख़िलाफ़ रिंग में उतरने के 46 सेकेंड बाद ही मुक़ाबला छोड़ दिया। इस मुकाबले में इमान खलीफ़ को जीत दी गई। खलीफ़ पेरिस ओलंपिक की उन दो एथलीट्स में शामिल हैं जिन्हें पिछले साल निर्धारित मानदंडों पर खरा न उतरने के कारण वर्ल्ड चैंपियनशिप में हिस्सा लेने की अनुमति नहीं मिली थी। लेकिन इस बार पेरिस ओलंपिक में इन दोनों खिलाड़ियों को अनुमति मिली है।

 25 साल की खलीफ महिलाओं की वेल्टरवेट इवेंट में हिस्सा ले रही हैं। राउंड ऑफ 16 के मुकाबले में खलीफ का मुकाबला इटली की एंजेला कैरिनी से हुआ। कैरिनी ने 46 सेकेंड में ही मैच को छोड़ने का फैसला कर लिया। खलीफ का मुक्का इतना जोरदार था कि जान बचाने के लिए कैरिनी ने मैच को छोड़ने का फैसला किया। विवाद इसलिए है क्योंकि इमान खेलीफ में पुरुषों वाले क्रोमोसोम हैं।

30 सेकेंड के भीतर ही खलीफ़ से चेहरे पर पंच खाने के बाद उनकी प्रतिद्वंद्वी करिनी अपना हेडगियर ठीक करने कोच के पास पहुंचीं। दोबारा मुक़ाबला शुरू होने के चंद सेकेंड के भीतर ही वो अपने कॉर्नर में लौट गईं और लड़ने से इनकार कर दिया। इसके बाद जैसे ही खलीफ़ को विजेता घोषित किया गया।

मुक़ाबले के बाद एंजेला ने कहा- मैंने कभी ऐसा मुक्का नहीं खाया। मेरा दिल टूट गया। मैं एक वॉरियर हूं, मैं अपने पिता के सम्मान की खातिर रिंग में उतरी थी, लेकिन अपनी सेहत की हिफाजत के लिए मैंने मैच से हटना जरूरी समझा। ये मैच सही था या गलत, ये फैसला करना मेरा काम नहीं है। मैंने सिर्फ अपना काम किया।रिंग में उतरी, पर मेरी नाक में इतना दर्द था कि मैंने हटने का फैसला किया। इतने एक्सपीरियंस के बावजूद मैं कह रही हूं कि इतना तेज पंच मैंने जिंदगी में कभी नहीं खाया।

दरअसल, जिस इमान के सामने एंजेला मैच से हटीं, उन्हें एक साल पहले इंटरनेशनल बॉक्सिंग एसोसिएशन (IBA) ने जेंडर टेस्ट में फेल कर दिया था। इंटरनेशनल बॉक्सिंग एसोसिएशन ने इमान को पिछले साल दिल्ली में हुई विमंस वर्ल्ड चैंपियनशिप के गोल्ड मेडल मैच में नहीं खेलने दिया था। अब ओलिंपिक में इमान के पहला मैच जीतने के बाद सोशल मीडिया पर सवाल उठ रहे हैं कि रिंग में महिला के सामने पुरुष को क्यों उतार दिया गया।

इंटरनेशनल बॉक्सिंग एसोसिएशन ने भी इंटरनेशनल ओलिंपिक कमेटी (IOC) पर सवाल उठाया है। इंटरनेशनल बॉक्सिंग एसोसिएशन ने कहा कि इंटरनेशनल ओलिंपिक कमेटी नियमों का उल्लंघन कर रही है। महिला खिलाड़ियों के साथ न्याय और उनकी सुरक्षा को दरकिनार किया गया है।

अब इंटरनेशनल ओलंपिक कमिटी ने एक बयान जारी करते हुए कहा है कि ओलंपिक खेल पेरिस 2024 के मुक्केबाजी टूर्नामेंट में भाग लेने वाले सभी एथलीट प्रतियोगिता की एलिजिबिलिटी और प्रवेश नियमों का पालन करते हैं, साथ ही पेरिस 2024 मुक्केबाजी इकाई की निर्धारित सभी लागू चिकित्सा नियमों का पालन करते हैं। पिछली ओलंपिक मुक्केबाजी प्रतियोगिताओं की तरह, एथलीटों का लिंग और आयु उनके पासपोर्ट पर आधारित है। इंटरनेशनल ओलंपिक कमिटी ने अपने बयान में आगे कहा कि हमने कुछ रिपोर्ट्स में दो महिला एथलीटों के ओलंपिक खेल पेरिस 2024 में प्रतिस्पर्धा करने के बारे में भ्रामक जानकारी देखी है। दोनों एथलीट कई सालों से महिला वर्ग में इंटरनेशनल मुक्केबाजी टूर्नामेंट्स में खेल रही हैं, जिनमें ओलंपिक खेल टोक्यो 2020, अंतर्राष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ (आईबीए) वर्ल्ड चैंपियनशिप और आईबीए की ओर से अनुमोदित टूर्नामेंट शामिल हैं। ये दोनों एथलीट इंटरनेशनल बॉक्सिंग एसोसिएशन के अचानक और मनमाने फैसले के शिकार हुई थीं। 2023 में इंटरनेशनल बॉक्सिंग एसोसिएशन वर्ल्ड चैंपियनशिप के अंत में उन्हें बिना किसी उचित प्रक्रिया के अचानक अयोग्य घोषित कर दिया गया था।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने सीबीआई को सौंपी पुराने राजिंदर नगर में तीन आईएएस अभ्यर्थियों की मौत की जांच, पुलिस को लगाई फटकार

दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को पुराने राजेंद्र नगर में राऊ के आईएएस स्टडी सर्कल में तीन सिविल सेवा अभ्यर्थियों की मौत की जांच सीबीआई को सौंप दी।

अदालत ने केंद्रीय निगरानी आयुक्त को निर्देश दिया कि वह सीबीआई जांच की निगरानी के लिए एक अधिकारी नियुक्त करें और यह सुनिश्चित करें कि यह समय पर हो। उच्च न्यायालय ने कहा, "घटना की प्रकृति को ध्यान में रखते हुए और यह सुनिश्चित करने के लिए कि जनता को जांच के संबंध में कोई संदेह नहीं है, यह अदालत जांच को सीबीआई को स्थानांतरित करती है।"

अदालत के आदेश में कहा गया, "चूंकि केंद्रीय सतर्कता आयुक्त पर्यवेक्षी शक्ति का प्रयोग करता है, इसलिए यह अदालत आयुक्त को जांच की निगरानी के लिए एक सदस्य नियुक्त करने का निर्देश देती है।"

उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि दिल्ली में नालियां जैसी भौतिक बुनियादी सुविधाएं भी पर्याप्त नहीं हैं, लेकिन उनका रखरखाव भी खराब है और हाल की त्रासदियों से पता चला है कि नागरिक एजेंसियों को दिए गए उसके आदेशों का सही भावना से पालन नहीं किया जा रहा है और उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया जा रहा है। 

सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने सिविल सेवा अभ्यर्थियों की मौत पर दिल्ली पुलिस और नगर निगम को फटकार लगाई। दिल्ली पुलिस द्वारा कोचिंग संस्थान के पास से गुजर रहे एसयूवी चालक को गिरफ्तार करने का जिक्र करते हुए अदालत ने कहा, "दया की बात है कि आपने बेसमेंट में घुसने के लिए वर्षा जल का चालान नहीं किया है, जिस तरह आपने एसयूवी चालक को वहां अपनी कार चलाने के लिए गिरफ्तार किया था।"

27 जुलाई की शाम पुराने राजिंदर नगर में राऊ के आईएएस स्टडी सर्कल के बेसमेंट के अंदर बारिश का पानी गिरने से तीन सिविल सेवा अभ्यर्थियों, श्रेया यादव, तान्या सोनी और नेविन डाल्विन की मौत हो गई। घटना के बाद से विभिन्न कोचिंग संस्थानों में नामांकित छात्र विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, और कोचिंग सेंटरों में बेहतर सुरक्षा उपायों की मांग कर रहे हैं जो उनके जीवन के लिए खतरा हैं। कार्यवाही के बाद बहुत से कोचिंग संस्थानों को सीज़ लिया गया है।

कोल्ड वॉर के बाद रूस-अमेरिका समेत सात देशों में कैदियों की अदला-बदली, जानें कैसे हुई डील

#us_and_russia_completed_their_largest_exchange_of_prisoners_in_post_soviet_history

रूस और पश्चिम देशों के बीच शीत युद्ध के दौर के बाद कैदियों की सबसे बड़ी अदला-बदली हुई है। गुरुवार को हुई इस अदला-बदली में कुल 24 लोगों को रिहा किया गया है।सात अलग-अलग देशों के 26 लोगों को एक बेहद जटिल समझौते के तहत रिहा किया गया।कैदियों की अदला-बदली की इस डील को तुर्किये की राजधानी अंकारा में कराया गया है।

पिछले 3 सालों में अमेरिका और रूस की बीच कैदियों की अदला-बदली से जुड़ी ये तीसरी डील है। इससे पहले अप्रैल 2022 और दिसंबर 2022 में दोनों देश के बीच कैदियों की अदला-बदली हुई थी। इसे शीत युद्ध के बाद से अब तक की सबसे बड़ी अदला-बदली माना जा रहा है। डील के तहत अमेरिका, रूस और जर्मनी सहित 7 देशों की जेलों में कैद 26 कैदी रिहा किए गए। उनमें रूस में कैद 16 लोग शामिल थे। तीन अमेरिकी, कई रूसी राजनीतिक कैदी, और एक 19 वर्षीय रूसी-जर्मन नागरिक जो रूसी सैन्य अड्डे की तस्वीरें लेने के कारण जेल में बंद था। बदले में, आठ रूसियों को भी रिहा कर दिया गया-उनमें से सबसे कुख्यात वादिम क्रासिकोव, संघीय सुरक्षा सेवा में एक कर्नल था, जिसे 2019 में बर्लिन में एक पूर्व चेचन विद्रोही की हत्या करने पर जर्मनी में जेल में डाल दिया गया था।

यह समझौता पिछले दो वर्षों में रूस और अमेरिका के बीच कैदियों की अदला-बदली के लिए की गई बातचीत की श्रृंखला में नया है, लेकिन अन्य देशों से महत्वपूर्ण रियायतों की आवश्यकता वाला पहला सौदा है, जिसे राष्ट्रपति जो बाइडन ने अपने प्रशासन के अंतिम महीनों में एक कूटनीतिक उपलब्धि के रूप में घोषित किया था। अमेरिका को अपने नागरिकों की रिहाई के लिए एक बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है। रूस ने पश्चिम में गंभीर अपराधों के लिए दोषी ठहराए गए अपने नागरिकों की रिहाई पत्रकारों, असंतुष्टों और अन्य पश्चिमी बंदियों को मुक्त करने के बदले में सुनिश्चित कर ली।

बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, इस डील में 18 महीने से ज्यादा का समय लगा। ये डील वादिम क्रासिकोव की मॉस्को की रिहाई पर निर्भर कर रही थी। वादिम बर्लिन पार्क में एक हत्या को अंजाम देने के लिए जर्मनी में आजीवन कारावास की सजा काट रहा था, डील मे उसको रिहा कर दिया गया है। इससे पहले कैदियों की अदला-बदली की चर्चा में जेल में बंद रूसी विपक्षी नेता एलेक्सी नवलनी भी शामिल थे, लेकिन फरवरी में उनकी मैत हो जाने के बाद यह प्रस्ताव आगे नहीं बढ़ सका।

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने मॉस्को के वनुकोवो हवाई अड्डे पर लौटने वाले रूसियों से मुलाकात की।

इलेक्टोरल बॉन्ड मामले में नहीं होगी एसआईटी जांच, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका

#supreme_court_declines_pleas_on_electoral_bonds_sit_investigation

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए राजनीतिक पार्टियों को कॉरपोरेट कंपनियों से मिले राजनीतिक चंदे की 'स्पेशल इंवेस्टिगेटिव टीम' (एसआईटी) से जांच करवाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया।कोर्ट ने बॉन्ड स्कीम की जांच के लिए एक विशेष जांच टीम बनाने की मांग को सही नहीं माना।कोर्ट ने कहा कि निजी शिकायतों, मतलब किसी राजनीतिक दल और कॉरपोरेट संस्था के बीच एक दूसरे को फायदा पहुंचाने अलग-अलग दावों की जांच नहीं हो सकती है। ये बॉन्ड अब प्रतिबंधित है।

दरअसल, एनजीओ ‘कॉमन कॉज’ और ‘सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन’ (सीपीआईएल) की याचिका में राजनीतिक चंदे के जरिए कथित घूस देने की बात कही गई थी। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि इलेक्टरोल बॉन्ड से दिए गए चंदे में करोड़ों रुपये का घोटाला हुआ है। इस मामले की सीबीआई या फिर कोई भी अन्य जांच एजेंसी जांच नहीं कर रही है। ऐसे में हम मांग करते हैं कि कोर्ट की निगरानी में एसआईटी जांच करवाई जाए।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि यह मामला हवाला कांड, कोयला घोटाला की तरह है। इन मामलों में न केवल राजनीतिक दल बल्कि प्रमुख जांच एजेंसियां भी शामिल हैं। यह देश के इतिहास में सबसे खराब वित्तीय घोटालों में से एक है।

सीजेआई ने कहा कि सामान्य प्रक्रिया का पालन करें। हमने खुलासा करने का आदेश दिया है। हम एक निश्चित बिंदु तक पहुंच गए हैं, जहां हमने योजना को रद्द कर दिया है।मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इलेक्टोरल बांड की खरीद संसद के बनाए कानून के तहत हुई। उसी कानून के आधार पर राजनीतिक दलों को चंदा मिला। अब हमें तय करना है कि क्या इसके तहत दिए गए चंदे की जांच की ज़रूरत है। यह याचिकाएं यह मानते हुए दाखिल की गई हैं कि राजनीतिक दलों को चंदा फायदा कमाने के लिए दिया गया ताकि उन्हें सरकारी कॉन्ट्रैक्ट मिले या उनके हिसाब से सरकार की नीति बदले। याचिकाकर्ता यह भी मानते हैं कि सरकारी एजेंसियां जांच नहीं कर पाएंगी।

उन्होंने आगे कहा कि हमने याचिकाकर्ता से यह कहा कि यह सब आपकी धारणा है। अभी ऐसा नहीं लगता कि कोर्ट सीधे जांच करवाना शुरू कर दे। जिन मामलों में किसी को आशंका है, उनमें वह कानून का रास्ता ले सकता है। समाधान न होने पर वह कोर्ट जा सकता है।

दिल्ली के शेल्टर होम आशा किरण में 20 दिन में 13 लोगों की मौत, केजरीवाल सरकार ने दिए जांच के आदेश

#13_children_died_in_20_days_disabled_shelter_home_asha_kiran_rohini_area

दिल्ली के रोहिणी इलाके से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है।मेंटली चैलेंज्ड के लिए बनाए गए शेल्टर होम आशा किरण में 20 दिनों में 13 बच्चों की रहस्मय तरीके से मौत हो गई है। मामला सामने आते ही प्राशासन से लेकर सरकार तक में हड़कंप मच गई। हरकत में आते हुए दिल्ली के आम आदमी पार्टी की मंत्री आतिशी ने तुरंत मजिस्ट्रियल जांच का आदेश दिया है।

दिल्ली सरकार मंत्री आतिशी ने शेल्टर होम में हो रही मौतों के मामले में एडिशनल चीफ सेक्रेटरी की राजस्व मंत्री को जांच करने का निर्देश दिया है और साथ ही 48 घंटे में इस जांच की रिपोर्ट भी मांगी है। आतिशी ने आदेश देते हुए कहा है कि रोहिणी में स्थित आशा किरण होम के बारे में अखबार में छपा हुआ है। आतिशी ने लिखा है कि मुझे पता चला है, ‘इस साल जनवरी से लेकर अब तक 20 बच्चों की रहस्मय तरीके से मौत हो चुकी है। हम इस तरह की चूक बर्दाश्त नहीं कर सकते, इसलिए जांच के आदेश दे रहे हैं।

आतिशी ने कहा, ये मौतें कथित तौर पर स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं और कुपोषण के कारण हुई हैं। यह दर्शाता है कि इन बच्चों को अपेक्षित सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। राजधानी दिल्ली में ऐसी बुरी खबर सुनना बहुत चौंकाने वाला है और अगर यह सच पाया जाता है तो हम इस तरह की चूक बर्दाश्त नहीं कर सकते।

आतिशी ने इस मामले में कहा कि इस मामले की गहन जांच की जानी चाहिए ताकि सभी शेल्टर होम की स्थिति में सुधार लाने और शेल्टर होम में रहने वालों को बेहतर सुविधाएं प्रदान करने के लिए पूरी व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए कठोर कदम उठाए जा सकें। आगे आतिशी ने कहा कि अगर ये मामला सही साबित होता है को इस मामले में जिन लोगों ने लापरवाही हुई है, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी और आगे चलकर ऐसी घटना पर रोक लगाए जाने को लेकर जरूरी कदम उठाए जाएंगे।

कमला हैरिस पर नस्लीय टिप्पणी का ट्रंप पर क्या होगा असर? कहीं भारतीयों और अश्वेतों की नाराजगी ना झेलनी पड़ जाए

#donald_trump_attacks_on_kamala_harris

अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होने हैं। राष्ट्रपति पद की जंग हर दिन एक नया रंग दिखा रही है।डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति पद का चुनाव जीतने के एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं।रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप लगातार डेमोक्रेटिक उम्मीदवार कमला हैरिस पर लगातार हमलावर है। इस बार डोनाल्ड ट्रंप ने कमला हैरिस की नस्लीय पहचान पर सवाल उठाते नजर आ रहे हैं। ट्रंप ने आरोप लगाया कि कमला हैरिस अश्वेत पहचान का इस्तेमाल चुनावी फायदे के लिए कर रहीं हैं, जबकि कुछ दिन पहले तक वो भारतीय मूल की थीं।

डोनाल्ड ट्रंप ने शिकागो में नेशनल एसोसिएशन ऑफ ब्लैक जर्नलिस्ट्स कन्वेंशन को संबोधित करते हुए कहा था कि वह (कमला हैरिस) हमेशा से खुद को भारत से जुड़ा हुआ बताती थीं। वह भारतीय संस्कृति का प्रचार करती थीं, लेकिन अब वह अचानक से अश्वेत हो गई हैं। वह अश्वेत कब से हो गईं? अब वह चाहती हैं कि उन्हें अश्वेत के तौर पर पहचाना जाए। ट्रंप ने कहा था, 'मुझे नहीं पता कि वह भारतीय है या अश्वेत है? मैं भारतीयों और अश्वेतों दोनों का ही सम्मान करता हूं, लेकिन मुझे नहीं लगता कि हैरिस के मन में इन्हें लेकर सम्मान की भावना है? क्योंकि वह हमेशा से भारतीय थीं और खुद को भारत से जुड़ा हुआ बताती थी लेकिन अब वह अचानक से अश्वेत हो गई हैं।'

अब सवाल ये उठता है कि ट्रंप की इस टिप्पणी में कितना दम है? क्या कमला हैरिस के अश्वेत होने का चुनावी फायदेमिल सकता है? तो बता दें कि ऐसा संभव है। दरअसल, अमेरिकी चुनाव में श्वेतों के अलावा अश्वेतों, दक्षिण एशियाई मूल के लोगों का एक अच्छा-खासा वोटबैंक है। बाइडन के राष्ट्रपति चुनाव से पीछे हटने के बाद कमला हैरिस ने डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी संभाली है। उन्हें लगातार अश्वेतों और दक्षिण एशियाई मूल के लोगों का समर्थन मिल रहा है। हाल ही में हुए एक सर्वे में कमला हैरिस की रेटिंग में बढ़ोतरी भी दर्ज की गई थी। 

2020 के राष्ट्रपति चुनाव में जो बाइडेन को करीब 65 फीसदी भारतीय अमेरिकी वोट मिले थे। अब जबकि बाइडेन रेस में नहीं हैं तो उम्मीद जताई जा रही है कि कमला हैरिस के लिए यह समर्थन बढ़ सकता है। वहीं, रिपब्लिकन पार्टी की बात करें तो 2020 में ट्रंप को महज 28 फीसदी भारतीय अमेरिकी वोटर्स का साथ मिला था, जिसमें फिलहाल कोई खास बढ़ोतरी नहीं दिखाई दे रही है। एक रिसर्च के मुताबिक फिलहाल केवल 29 फीसदी भारतीय अमेरिकी ही ट्रंप का समर्थन कर रहे हैं।

ऐसे में कहा जा सकता है कि अश्वेतों और दक्षिण एशियाई मूल के लोगों के बीच कमला हैरिस की बढ़ती लोकप्रियता के बीच डोनाल्ड ट्रंप ने खुद अपने पैरों में कुल्हाड़ी मार ली है। डोनाल्ड ट्रंप की ये टिप्पणी भारतीय और अश्वेत अमेरिकियों दोनों को ही नाराज़ कर सकती है। ऐसे में किसी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की ओर से की गई इस तरह की टिप्पणी चुनाव में बड़ी गलती साबित हो सकती है।

अमेरिका में रह रहे भारतीय अमेरिकी और अश्वेत वोटर्स ने अगर कमला हैरिस की नस्लीय पहचान को लेकर ट्रंप की टिप्पणी से खुद को जोड़ना शुरू कर दिया तो मुमकिन है कि यह उनके लिए नुकसानदायक हो।