इलेक्टोरल बॉन्ड मामले में नहीं होगी एसआईटी जांच, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका
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सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए राजनीतिक पार्टियों को कॉरपोरेट कंपनियों से मिले राजनीतिक चंदे की 'स्पेशल इंवेस्टिगेटिव टीम' (एसआईटी) से जांच करवाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया।कोर्ट ने बॉन्ड स्कीम की जांच के लिए एक विशेष जांच टीम बनाने की मांग को सही नहीं माना।कोर्ट ने कहा कि निजी शिकायतों, मतलब किसी राजनीतिक दल और कॉरपोरेट संस्था के बीच एक दूसरे को फायदा पहुंचाने अलग-अलग दावों की जांच नहीं हो सकती है। ये बॉन्ड अब प्रतिबंधित है।
दरअसल, एनजीओ ‘कॉमन कॉज’ और ‘सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन’ (सीपीआईएल) की याचिका में राजनीतिक चंदे के जरिए कथित घूस देने की बात कही गई थी। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि इलेक्टरोल बॉन्ड से दिए गए चंदे में करोड़ों रुपये का घोटाला हुआ है। इस मामले की सीबीआई या फिर कोई भी अन्य जांच एजेंसी जांच नहीं कर रही है। ऐसे में हम मांग करते हैं कि कोर्ट की निगरानी में एसआईटी जांच करवाई जाए।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि यह मामला हवाला कांड, कोयला घोटाला की तरह है। इन मामलों में न केवल राजनीतिक दल बल्कि प्रमुख जांच एजेंसियां भी शामिल हैं। यह देश के इतिहास में सबसे खराब वित्तीय घोटालों में से एक है।
सीजेआई ने कहा कि सामान्य प्रक्रिया का पालन करें। हमने खुलासा करने का आदेश दिया है। हम एक निश्चित बिंदु तक पहुंच गए हैं, जहां हमने योजना को रद्द कर दिया है।मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इलेक्टोरल बांड की खरीद संसद के बनाए कानून के तहत हुई। उसी कानून के आधार पर राजनीतिक दलों को चंदा मिला। अब हमें तय करना है कि क्या इसके तहत दिए गए चंदे की जांच की ज़रूरत है। यह याचिकाएं यह मानते हुए दाखिल की गई हैं कि राजनीतिक दलों को चंदा फायदा कमाने के लिए दिया गया ताकि उन्हें सरकारी कॉन्ट्रैक्ट मिले या उनके हिसाब से सरकार की नीति बदले। याचिकाकर्ता यह भी मानते हैं कि सरकारी एजेंसियां जांच नहीं कर पाएंगी।
उन्होंने आगे कहा कि हमने याचिकाकर्ता से यह कहा कि यह सब आपकी धारणा है। अभी ऐसा नहीं लगता कि कोर्ट सीधे जांच करवाना शुरू कर दे। जिन मामलों में किसी को आशंका है, उनमें वह कानून का रास्ता ले सकता है। समाधान न होने पर वह कोर्ट जा सकता है।
Aug 02 2024, 16:30