दिल्ली- एनसीआर में मौसम ने ली अचानक करवट हुई तेज बारिश,झमाझम बारिश से कई जगहो पर जलभराव


दिल्ली-एनसीआर में बुधवार शाम को अचानक मौसम ने करवट बदली। बारिश होने से उमस और पसीने से बेहाल लोगों को राहत मिली है। बीते दिनों से न के बराबर बारिश नहीं होने के कारण तापमान में भी लगातार इजाफा हो रहा था।

बुधवार सुबह से ही आसमान में बादलों की लुकाछिपी जारी थी। शाम होते-होते अचानक मौसम बदला और झमाझम बारिश शुरू हो गई, मौसम सुहाना होने से लोग बारिश का लुत्फ उठाते नजर आए। 

वहीं कुछ देर की ही बारिश में दिल्ली-एनसीआर के कई इलाकों में जलभराव से लोग हलाकान हैं। शाम का समय होने से लोग घरों की ओर नहीं जा पा रहे। जहां-तहां लोग फंस गए हैं। वहीं बारिश हल्की होने पर जब लोग एक साथ निकले तो जगह-जगह जाम जैसे हालात बन गए। 

बारिश के चलते सड़कों पर लगा जाम:

भारी बारिश के कारण नई दिल्ली के साउथ एक्सटेंशन इलाके में भयंकर ट्रैफिक जाम हो गया है। वाहन रेंगते हुए नजर आए। इसी तरह दिल्ली और नोएडा के भी अलग-अलग इलाकों के रास्तों पर जाम जैसे हालात रहे।

दिल्ली- एनसीआर में मौसम ने ली अचानक करवट हुई तेज बारिश,झमाझम बारिश से कई जगहो पर जलभराव


दिल्ली-एनसीआर में बुधवार शाम को अचानक मौसम ने करवट बदली। बारिश होने से उमस और पसीने से बेहाल लोगों को राहत मिली है। बीते दिनों से न के बराबर बारिश नहीं होने के कारण तापमान में भी लगातार इजाफा हो रहा था।

बुधवार सुबह से ही आसमान में बादलों की लुकाछिपी जारी थी। शाम होते-होते अचानक मौसम बदला और झमाझम बारिश शुरू हो गई, मौसम सुहाना होने से लोग बारिश का लुत्फ उठाते नजर आए। 

वहीं कुछ देर की ही बारिश में दिल्ली-एनसीआर के कई इलाकों में जलभराव से लोग हलाकान हैं। शाम का समय होने से लोग घरों की ओर नहीं जा पा रहे। जहां-तहां लोग फंस गए हैं। वहीं बारिश हल्की होने पर जब लोग एक साथ निकले तो जगह-जगह जाम जैसे हालात बन गए। 

बारिश के चलते सड़कों पर लगा जाम:

भारी बारिश के कारण नई दिल्ली के साउथ एक्सटेंशन इलाके में भयंकर ट्रैफिक जाम हो गया है। वाहन रेंगते हुए नजर आए। इसी तरह दिल्ली और नोएडा के भी अलग-अलग इलाकों के रास्तों पर जाम जैसे हालात रहे।

अनिद्रा से परेशान है तो शुरू कर दे ये योगासन आएगी अच्छी और गहरी नींद


अगर नींद नहीं आने की समस्या से परेशान हैं तो योगासन एक प्रभावी उपाय हो सकता है। योगासन न केवल शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार करता है, बल्कि मानसिक शांति और संतुलन भी प्रदान करता है। निम्नलिखित योगासन आपकी नींद की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद कर सकते हैं:

1. शवासन (Corpse Pose)

शवासन एक गहरे विश्राम का आसन है जो तनाव और चिंता को कम करने में मदद करता है।

विधि: पीठ के बल लेट जाएं, पैरों और हाथों को आरामदायक दूरी पर फैलाएं। आंखें बंद करें और गहरी सांस लें।

लाभ: मन को शांति मिलती है और मस्तिष्क शांत होता है, जिससे नींद में सुधार होता है।

2. बालासन

बालासन तनाव और थकान को दूर करने में मदद करता है।

विधि: घुटनों के बल बैठें और आगे झुकें, माथे को जमीन पर रखें और हाथों को आगे की ओर फैलाएं।

लाभ: यह आसन मस्तिष्क को शांत करता है और तनाव को कम करता है।

3. विपरीत करणी

 ;(Legs-Up-the-Wall Pose)

यह आसन रक्त प्रवाह को सुधारने और थकान को कम करने में मदद करता है।

विधि: दीवार के पास बैठें, फिर पीठ के बल लेटें और पैरों को दीवार के सहारे ऊपर उठाएं।

लाभ: यह आसन तंत्रिका तंत्र को शांत करता है और शरीर को आराम प्रदान करता है।

4. भ्रामरी प्राणायाम

भ्रामरी प्राणायाम मानसिक शांति और तनाव को कम करने में मदद करता है।

विधि: आरामदायक स्थिति में बैठें, आंखें बंद करें और गहरी सांस लें। फिर नाक से "हमिंग" ध्वनि निकालें।

लाभ: यह प्राणायाम मस्तिष्क को शांत करता है और नींद में सुधार करता है।

5.अधोमुखश्वानासन

यह आसन शारीरिक और मानसिक तनाव को कम करने में मदद करता है।

विधि: अपने हाथों और घुटनों पर आएं, फिर अपने कूल्हों को ऊपर उठाएं, शरीर को एक उल्टे "V" के आकार में लाएं।

लाभ: यह आसन रक्त संचार को सुधारता है और तंत्रिका तंत्र को शांत करता है।

6. जानुशीर्षासन

यह आसन मन को शांति और शरीर को आराम देता है।

विधि: पैरों को फैलाकर बैठें, एक पैर को मोड़ें और दूसरे पैर की ओर झुकें।

लाभ: यह आसन शरीर को खींचता है और तंत्रिका तंत्र को शांत करता है।

योगासन को नियमित रूप से करने से आप न केवल नींद की गुणवत्ता में सुधार कर सकते हैं, बल्कि समग्र स्वास्थ्य में भी सुधार कर सकते हैं। ध्यान रहे कि किसी भी योगासन को शुरू करने से पहले एक योग्य योग प्रशिक्षक से परामर्श अवश्य करें।

कलम के जादूगर मुंशी प्रेमचंद की आज 114 वी जयंती,आइए जानते है उनके अनमोल विचार


दिल्ली :- मुंशी प्रेमचंद, जिन्हें हिंदी और उर्दू साहित्य में कालजयी लेखक माना जाता है, का जन्म 31 जुलाई 1880 को वाराणसी के पास लमही गाँव में हुआ था। उनका असली नाम धनपत राय श्रीवास्तव था। उन्होंने अपने साहित्यिक करियर में सामाजिक मुद्दों, गरीबी, ग्रामीण जीवन और शोषण जैसे विषयों को प्रमुखता से उठाया।

प्रेमचंद ने अपने लेखन में भारतीय समाज के यथार्थ को सजीव रूप में प्रस्तुत किया। उनकी प्रमुख कृतियों में 'गोदान', 'गबन', 'सेवासदन', 'निर्मला', और 'रंगभूमि' शामिल हैं। उन्होंने लगभग 300 कहानियाँ लिखीं, जिनमें 'कफन', 'पूस की रात', 'ईदगाह', और 'बड़े भाई साहब' जैसी प्रसिद्ध कहानियाँ शामिल हैं।

मुंशी प्रेमचंद का साहित्यिक योगदान इतना महत्वपूर्ण है कि उन्हें 'उपन्यास सम्राट' की उपाधि से नवाजा गया। उन्होंने अपनी लेखनी के माध्यम से सामाजिक न्याय और सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी रचनाएँ आज भी प्रासंगिक और प्रेरणादायक मानी जाती हैं।

आइए जानते है मुंशी प्रेमचंद के 25 अनमोल विचार- 

मुंशी प्रेमचंद के अमूल्य वचन- 

 

1. आशा उत्साह की जननी है। आशा में तेज है, बल है, जीवन है। आशा ही संसार की संचालक शक्ति है।

 

2. आदमी का सबसे बड़ा शत्रु उसका अहंकार है।

 

3. आत्मसम्मान की रक्षा हमारा सबसे पहला धर्म ओर अधिकार है।

 

 

4. निराशा संभव को अससंभव बना देती है।

 

5. सोने और खाने का नाम जिंदगी नहीं है, आगे बढ़ते रहने की लगन का नाम ही जिंदगी हैं।

6. कुल की प्रतिष्ठा भी सदव्यवहार और विनम्रता से होती है, हेकड़ी और रौब दिखाने से नहीं।

 

7. आकाश में उड़ने वाले पंछी को भी अपना घर याद आता है।

 

8. अन्याय होने पर चुप रहना, अन्याय करने के ही समान है।

 

9. दौलतमंद आदमी को जो सम्मान मिलता है, वह उसका नहीं, उसकी दौलत का सम्मान है।

10. जीवन का सुख दूसरों को सुखी करने में है, उनको लूटने में नहीं।

 

11. न्याय और नीति सब लक्ष्मी के ही खिलौने हैं। इन्हें वह जैसे चाहती है, नचाती है।

12. संतान वह सबसे कठिन परीक्षा है जो ईश्वर ने मनुष्य को परखने के लिए गढ़ी है।

 

13. आलोचना और दूसरों की बुराइयां करने में बहुत फर्क है। आलोचना करीब लाती है और बुराई दूर करती है।

 

14. क्रोध मौन सहन नहीं कर सकता हैं। मौन के आगे क्रोध की शक्ति असफल हो जाती है। 

 

15. प्रेम एक बीज है, जो एक बार जमकर फिर बड़ी मुश्किल से उखड़ता है।

 

16. स्वार्थ में मनुष्य बावला हो जाता है।

 

17. कार्यकुशल व्यक्ति की सभी जगह जरूरत पड़ती है।

 

18. कुल की प्रतिष्ठा भी विनम्रता और सद्‍व्यवहार से होती है, हेकड़ी और रुआब दिखाने से नहीं।

19. विलासियों द्वारा देश का उद्धार नहीं हो सकता। उसके लिए सच्चा त्यागी होना पड़ेगा।

 

20. घर सेवा की सीढ़ी का पहला डंडा है। इसे छोड़कर तुम ऊपर नहीं जा सकते।

 

21. जीवन का वास्तविक सुख, दूसरों को सुख देने में है; उनका सुख छीनने में नहीं।

 

22. उपहास और विरोध तो किसी भी सुधारक के लिए पुरस्कार जैसे हैं।

 

23. अधिकार में स्वयं एक आनंद है, जो उपयोगिता की परवाह नहीं करता।

 

24. धन खोकर अगर हम अपनी आत्मा को पा सकें तो यह कोई महंगा सौदा नहीं।

25. गलती करना उतना गलत नहीं, जितना उसे दोहराना है।

मुंशी प्रेमचंद की 114वीं जयंती के अवसर पर, हम उनके अद्वितीय साहित्यिक योगदान को सलाम करते हैं और उनके जीवन और कृतियों से प्रेरणा लेते हैं।

आज कामिका एकादशी व्रत,जानते हैपूजा के लिए शुभ मूहर्त,पूजन विधि, और महत्व

नयी दिल्ली : आज कामिका एकादशी व्रत है। साथ ही आज रोहिणी नक्षत्र पूर्वाह्न 10 बजकर 13 मिनट तक उपरांत मृगशिरा नक्षत्र का आरंभ। आइए जानते हैं आज शुभ मुहूर्त और पूजा का समय कब से कब तक रहेगा।

राष्ट्रीय मिति श्रावण 09, शक संवत 1946, श्रावण कृष्ण एकादशी, बुधवार, विक्रम संवत 2081। सौर श्रावण मास प्रविष्टे 16, मुहर्रम 24, हिजरी 1446 (मुस्लिम) तदनुसार अंग्रेजी तारीख 31 जुलाई सन् 2024 ई। सूर्य दक्षिणायन, उत्तर गोल, वर्षा ऋतु। राहुकाल मध्याह्न 12 बजे से 01 बजकर 30 मिनट तक।

एकादशी तिथि अपराह्न 03 बजकर 56 मिनट तक उपरांत द्वादशी तिथि का आरंभ। रोहिणी नक्षत्र पूर्वाह्न 10 बजकर 13 मिनट तक उपरांत मृगशिरा नक्षत्र का आरंभ। ध्रुव योग अपराह्न 02 बजकर 14 मिनट तक उपरांत व्याघात योग का आरंभ। बालव करण अपराह्न 03 बजकर 56 मिनट तक उपरांत तैतिल करण का आरंभ। चन्द्रमा रात्रि 10 बजकर 16 मिनट तक वृष उपरांत मिथुन राशि पर संचार करेगा।

आज के व्रत त्योहार कामिका एकादशी व्रत, सर्वार्थ सिद्धि योग।

सूर्योदय का समय 31 जुलाई 2024 : सुबह 5 बजकर 42 मिनट पर।

सूर्यास्त का समय 31 जुलाई 2024 : शाम में 7 बजकर 12 मिनट पर।

कामिका एकादशी का महत्व

पदम पुराण के अनुसार जो मनुष्य शिव के प्रिय श्रावण मास में भगवान श्रीधर का पूजन करता है उसके द्वारा गंधर्वों और नागों सहित सम्पूर्ण देवताओं की पूजा हो जाती है। यह एकादशी स्वर्गलोक तथा महान पुण्यफल प्रदान करने वाली है। जो मनुष्य श्रद्धा के साथ इसकी महिमा का श्रवण करता है वह सब पापों से मुक्त हो श्री विष्णु लोक में जाता है। विशेष रूप से, इस दिन तुलसी के पत्ते का प्रयोग करने से व्रत का महत्व और भी बढ़ जाता है। कामिका एकादशी के व्रत के दौरान किए गए दान-पुण्य का भी विशेष महत्व है, जिससे व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है और उसके जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति के मन, वचन और कर्म की शुद्धि होती है और उसे भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।

कामिका एकादशी की पूजा विधि

इस दिन प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र को गंगाजल से शुद्ध करें। पूजा स्थल को साफ कर एक चौकी पर पीला वस्त्र बिछाएं और उस पर भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। धूप, दीप, फूल, चंदन, अक्षत और नैवेद्य आदि से भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा करें। पूजा में तुलसी पत्र का विशेष महत्व है, इसलिए तुलसी के पत्तों का उपयोग अवश्य करें। इसके बाद, विष्णु सहस्रनाम, भगवद गीता का पाठ करें और विष्णु मंत्रों का जाप करें। "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप विशेष रूप से लाभकारी होता है। दिनभर निराहार रहकर भगवान विष्णु का स्मरण करें और सत्कर्म करें।

शाम को पुनः भगवान विष्णु की आरती करें और फलाहार ग्रहण करें। रात्रि में जागरण कर विष्णु भजन-कीर्तन करें। अगले दिन द्वादशी को ब्राह्मणों को भोजन कराकर व्रत का पारण करें।भगवान कृष्ण ने कहा है कि- 'कामिका एकादशी के दिन जो व्यक्ति भगवान के सामने घी अथवा तिल के तेल काअखंड दीपक जलाता है उसके पुण्यों की गिनती चित्रगुप्त भी नहीं कर पाते हैं।'जो लोग किसी कारण से एकादशी व्रत नहीं कर पाते हैं, उन्हें भी एकादशी के दिन खानपान एवं व्यवहार में पूर्ण संयम का पालन करना चाहिए। एकादशी के दिन चावल खाना भी वर्जित है।

मंत्र-

यहां कुछ विष्णु मंत्र दिए गए हैं जिन्हें कामिका एकादशी के दिन जप कर पुण्य अर्जित कर सकते हैं।

विष्णु गायत्री मंत्र

"ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्"

नारायण मंत्र

"ॐ नारायणाय नमः"

अच्युतानंद गोविंद मंत्र

"अच्युतानंद गोविंद माधव शत कीर्तनं वासुदेव हृषीकेश"

अष्टाक्षर मंत्र:

"ॐ नमो नारायणाय"

आज का शुभ मुहूर्त 31 जुलाई 2024 :

ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 बजकर 18 मिनट से 5 बजे तक। विजय मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 42 मिनट से 3 बजकर 36 मिनट तक रहेगा। निशिथ काल मध्‍यरात्रि रात में 12 बजकर 7 मिनट से 12 बजकर 49 मिनट तक। गोधूलि बेला शाम 7 बजकर 13 मिनट से 7 बजकर 34 मिनट तक। अमृत काल सुबह 7 बजकर 23 मिनट से 9 बजकर 5 मिनट तक।

आज का अशुभ मुहूर्त 31 जुलाई 2024 :

राहुकाल सुबह 12 बजे से 1 बजकर 30 मिनट तक। सुबह 10 बजकर 30 मिनट से 12 बजे तक गुलिक काल। सुबह 7 बजकर 30 मिनट से 9 बजे तक यमगंड। दुर्मुहूर्त काल दोपहर में 12 बजे से 12 बजकर 54 मिनट तक।

भारत की पहली अंडर वाटर ट्रेन जिसमें बैठते ही खड़े हो जाते हैं रौंगटे; दूर- दूर से देखने पहुंचते हैं लोग

नयी दिल्ली : भारत अब तेजी से बदल रहा है. भारतीय रेलवे भी बदलाव के इस दौर में पीछे नहीं है. वह ऐसे- ऐसे कारनामे कर रही है कि आप हैरान रह जाएंगे. आज हम आपको पानी के अंदर चलने वाली भारत की पहली ट्रेन के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसमें सफर करना अपने आप में खास अहसास होता है.

भारत की पहली अंडरवॉटर ट्रेन

 लंबी दूरी पर चलने वाली सामान्य ट्रेन नहीं बल्कि कोलकाता में चलने वाली मेट्रो ट्रेन है. इसकी शुरुआत इसी साल हुई है. यह ट्रेन कोलकाता के ईस्ट-वेस्ट मेट्रो कॉरिडोर पर हावड़ा मैदान स्टेशन से चलती है. 

पीएम मोदी ने इस साल किया उदघाटन

देश की इस पहली अंडर वाटर ट्रेन सर्विस का उद्घाटन पीएम मोदी ने इसी साल 15 मार्च को किया था. पानी के नीचे दौड़ने वाली इस ट्रेन के शुरू होने के साथ ही भारत ने तकनीक के मामले में एक और मील का पत्थर छू लिया था. 

हुगली नदी के नीचे से निकलती है ट्रेन

यह अंडर- वाटर ट्रेन सेवा कोलकाता को दो हिस्सों में बांटने वाली हुगली नदी के नीचे से निकाली गई है. इसके लिए नदी के नीचे करीब 30 मीटर गहराई में सुरंग तैयार की गई. फिर उसके बाद ट्रैक डालकर उसे ट्रेन चलने लायक बनाया गया. 

गुजरने में लगते हैं महज 45 सेकंड

यह ट्रेन जैसे ही हुगली नदी के नीचे पहुंचती है तो सुरंग के चारों ओर से बह रहे पानी का प्रभाव साफ झलकने लगता है. नदी के नीचे यह ट्रेन 520 मीटर लंबी सुरंग को पार करती है, जिसे क्रॉस करने में लगभग 45 सेकंड का समय लगता है. 

15 साल में बनकर तैयार हुआ प्रोजेक्ट

कोलकाता में इस अंडर- वाटर ट्रेन को चलाने के लिए बने ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर पर वर्ष 2009 में काम शुरू हुआ था. इसके बाद वर्ष 2017 में हुगली नदी के नीचे सुरंग बनाने का काम आरंभ हुआ और अंत में इस साल ट्रेन सेवा चालू हो गई।

अगर आपके बच्चे भी हारने से डरते हैं,तो उन्हें सीखाएं सुधा मूर्ति की ये बातें ना रहेगा हार का डर,ना जीत का घमंड, खुश रहेगा मन

नई दिल्ली:- सुधा मूर्ति एक प्रसिद्ध भारतीय लेखिका, समाज सेविका और इंजीनियर हैं जो अपने सामाजिक कार्यों, विशेष रूप से सामाजिक मुद्दों और मानवीय मूल्यों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने भारत में शिक्षा, ग्रामीण विकास और महिला सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

उनका जीवन किसी प्रेरणा से कम नहीं है। छात्र और बच्‍चे उनसे कड़ी मेहनत, विनम्रता और दृढ़ता सीख सकते हैं। इस आर्टिकल में हम आपको सुधा मूर्ति की कही कुछ ऐसी बातें बताने जा रहे हैं, जो हर बच्‍चे को छात्र को आगे बढ़ने के लिए प्रेरिंग करेंगी। अगर आपके बच्‍चे का आत्‍मविश्‍वास कम है या उसे हिम्‍मत की जरूरत है, तो आप उसे सुधा मूर्ति की कही इन बातों के बारे में जरूर बताएं।

सीखना बंद नहीं करना है

सुधा मूर्ति का कहना है कि सीखना बंद नहीं करना है। ये दुनिया लगातार बदलती रहती है इ‍सलिए आपका अप-टू-डेट रहना जरूरी है। आपको लेटेस्‍ट जानकारी और ट्रेंड से अवगत होना चाहिए। आप जितना ज्‍यादा सीखेंगे, उतने ही बेहतर बनेंगे और जिंदगी में आगे बढ़ेंगे। बच्‍चों के आगे तो सीखने के लिए बहुत कुछ है इसलिए सुधा मूर्ति का यह कोट उनके बहुत काम आने वाला है।

सपनों को छोड़ें नहीं

आपको कभी भी अपने सपनों को छोड़ना नहीं चाहिए। सपने को पूरा करना कितना ही मुश्किल क्‍यों न लग रहा हो, आपको हिम्‍मत नहीं हारनी है। अगर आप कड़ी मेहनत करते हैं और हिम्‍मत नहीं हारते हैं, तो आज नहीं तो कल आपको अपनी मंजिल जरूर मिल जाएगी। बच्‍चे कम उम्र से ही इस बात काे सीख लें, तो वो अपनी जिंदगी में काफी कुछ हासिल कर सकते हैं।

फेल होने से डरो मत

बच्‍चों को सिखाएं कि फेल होने से डरना नहीं बल्कि अपनी फेलियर से सीखना चाहिए। सुधा मूर्ति भी यही कहती हैं कि फेलियर सीखने और आगे बढ़ने का एक हिस्‍सा है। आप जितने ज्‍यादा फेल होंगे, उतना ही बेहतर अपनी गलतियों से सीख पाएंगे। बच्‍चों को फेलियर से डरने के बजाय उनसे सीखने की सीख दें।

तुलना न करें

सुधा मूर्ति कहती हैं कि आपको अपनी तुलना दूसरों से नहीं करनी चाहिए। अगर आपकी क्‍लास में किसी बच्‍चे के आपसे ज्‍यादा नंबर आए हैं, तो आप दुखी न हों। हो सकता है कि वो पढ़ाई में अच्‍छा हो और आप स्‍पोर्ट्स में माहिर हों। हर बच्‍चे की काबिलियत अलग-अलग होती है इसलिए खुद की दूसरों से तुलना नहीं करनी चाहिए।

खुद पर भरोसा करें

आप अपने ऊपर और अपनी काबिलियित एवं क्षमता पर भरोसा करें। अगर आप खुद पर भरोसा नहीं करते हैं, तो फिर कोई और भी आप पर भरोसा नहीं करेगा। अपने लक्ष्‍यों को पाने के लिए अपनी योग्‍यता पर भरोसा करें और आत्‍मविश्‍वास रखें। आपको अपने बच्‍चे को यही सिखाना है और उसका आत्‍मविश्‍वास बढ़ाना है। इसके अलावा आपको अपने बच्‍चे के अंदर दयालुता का भाव भी डालना है। उसे अपने और दूसरों के लिए दया का भाव रखने के लिए कहें।

आज 51वें जन्मदिन पर विशेष : वो गाना जिसने खोल दिए सोनू निगम की किस्मत के बंद ताले, दिल टूटने पर आज भी यही सुनते हैं लोग


नयी दिल्ली : सोनू निगम हिंदी सिंगिंग इंडस्ट्री के सबसे पॉपुलर और सफल सिंगर्स में से हैं। देश ही नहीं, विदेश में भी उनकी तगड़ी फैन फॉलोइंग है। बचपन से ही स्टेज पर अपनी सुरीली आवाज का जादू बिखेरने वाले सोनू निगम को संगीत की दुनिया में अपना नाम-पहचान बनाने के लिए खूब पापड़ बेलने पड़े, लेकिन आखिरकार वह उस मुकाम तक पहुंचने में सफल रहे।

सोनू निगम हिंदी सिंगिंग इंडस्ट्री के ऐसे कलाकार हैं जो आज किसी परिचय का मोहताज नहीं हैं। उनकी आवाज आज हिंदुस्तान की भी पहचान बन चुकी है। उनकी आवाज के देश में ही नहीं दुनियाभर में कद्रदान हैं। आज भले ही सोनू निगम इंडस्ट्री के सबसे सफल और महेंगे सिंगर्स में से एक हैं, लेकिन एक दौरा था जब उन्हें काबिलियत होने के बाद भी काफी संघर्षों से होकर गुजरना पड़ा। 

सिंगिंग तो सोनू निगम को विरासत में मिली थी, लेकिन यहां तक पहुंचने में उन्हें काफी मेहनत करनी पड़ी। 

सोनू निगम का बर्थडे आज

कभी शादी-ब्याह में स्टेज शो करने वाले सोनू निगम आज उस मुकाम पर हैं, जहां पहुंचना हर किसी के बस की बात नहीं है। शोहरत के सातवें आसमान पर काबिज सोनू निगम का आज यानी 30 जुलाई को जन्मदिन है। तो चलिए उनके बर्थडे पर आपको उनके उस गाने के बारे में बताते हैं, जिसने उनकी सफलता में खास भूमिका निभाई है और साथ ही उनसे जुड़े भी कुछ दिलचस्प किस्सों से आपको रूबरू कराते हैं।

सोनू निगम ने पिता के साथ गाना शुरू किया था

सोनू निगम का जन्म 30 जुलाई 1973 को हरियाणा के फरीदाबाद में हुआ था। उनके पिता अगम कुमार निगम भी एक सिंगर थे और इनसे सोनू निगम को विरासत में सिंगिंग मिली। उन्होंने बहुत कम उम्र में ही पिता के साथ स्टेज पर गाना शुरू कर दिया था। जब वह सिर्फ चार साल के थे, उन्होंने पहली बार मंच पर 'क्या हुआ तेरा वादा' गाना गाया। इसके बाद उन्होंने कई बार अपने पिता के साथ स्टेज पर परफॉर्म किया।

करियर के लिए मुंबई की पकड़ी ट्रेन

पिता के साथ स्टेज पर गाने के बाद सोनू निगम ने गायकी में करियर बनाने और संगीत की शिक्षा के लिए मुंबई का रुख कर लिया। हालांकि, मुंबई में उन्हें कई साल तक संघर्ष करना पड़ा। काबिलियत होते हुए भी कुछ साल उन्हें कोई काम नहीं मिला, इसके बाद भी वह पीछे नहीं हटे और 1990 की दशक के शुरुआत में टी-सीरीज के कई भजनों और कवर सॉन्ग्स में अपनी आवाज दी।

जब सोनू निगम के करियर को लगे पंख

सोनू निगम ने पहला गाना 'जानम (1990)' फिल्म के लिए गाया था, लेकिन ये फिल्म कभी रिलीज नहीं हो सकी। इसके बाद उन्होंने दूरदर्शन के शो 'तलाश' के लिए 'हम तो छैला बन गए' गाया। फिर उनका पहला फिल्मी गाना 'ओ आसमान वाले' रिलीज हुआ जो उन्होंने 'आज मेरी जान' के लिए गाया था। इसके बाद भी उन्हें कोई खास पहचान नहीं मिल पाई। हालांकि, 1992 में आया उनका एल्बम 'रफी की यादें' काफी मशहूर रहा, लेकिन उन्हें सफलता दिलाई 'बेवफा सनम (1995)' के सुपरहिट गाने 'अच्छा सिला दिया' ने, जिसने उनके सिंगिंग करियर को पंख लगा दिए।

सोनू निगम के हिट गाने

अच्छा सिला दिया, सोनू निगम के करियर के लिए मील का पत्थर साबित हुआ। ये वो गाना था जिसके बाद कभी सोनू निगम को पलटकर पीछे देखने की जरूरत नहीं पड़ी। इसके बाद उन्होंने एक से बढ़कर एक हिट सॉन्ग दिए, जिनमें 1997 में रिलीज हुई ब्लॉकबस्टर 'बॉर्डर' का गाना 'संदेशे आते हैं' भी शामिल है। ये गाना उनके करियर को एक नई ऊंचाई पर ले गया। सोनू निगम ने अपने करियर में 'अभी मुझमें कहीं', 'सूरज हुआ मद्धम', 'जिंदगी मौत ना बन जाए', 'मुझे रात दिन', 'ये दिल', 'कल हो ना हो', 'तुमसे मिल के दिल का', 'भगवान है कहां रे तू' और 'जाने नहीं देंगे' जैसे सुपरहिट गाने गए हैं।

जब 'हनुमान चालीसा' ने बचाई थी जान, पाकिस्तान में उड़ गए थे गाड़ी के परखच्चे

हिंदू धर्म में हनुमान जी को सर्वशक्तिशाली देवता माना जाता है. हनुमान चालीसा को लेकर हिंदू धर्म को मानने वालों का विश्वास है कि इससे हर संकट दूर हो जाता है. सोनू निगम का भी मानना है कि हनुमान जी में बहुत शक्ति है. उन्होंने बताया था कि इस वजह से उनके ऊपर से काफी बड़ी मुसीबत टली थी. टाइम्स नाऊ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ये किस्सा है 10 अप्रैल 2004 का जब सोनू निगम पाकिस्तान के जियो टीवी के एक कॉन्सर्ट में फैमिली के साथ गए थे.

वो जगह आर्मी एरिया में थी और सोनू कॉन्सर्ट पूरा होने के बाद वापस जा रहे थे, तभी वहां एक धमाका हुआ और उनकी पास की एक गाड़ी के परखच्चे उड़ गए. 

सोनू निगम ने बताया था कि जब उनके सामने गाड़ी के परखच्चे उड़े तो हो डर गए और तुरंत हनुमान चालीसा पढ़ने लगे और तब पढ़े जब तक वो एयरपोर्ट तक नहीं पहुंच गए.'न्यूज फास्ट' से साभार। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस ब्लास्ट का निशाना सोनू निगम पर ही था लेकिन वो बाल-बाल बचे. वहीं सोनू निगम ने कहा था कि हनुमान जी ने उन्हें बचाया था और उसके बाद से हनुमान जी में उनकी श्रद्धा और बढ़ गई थी।

संसद में उठा छात्रों की सुरक्षा का मुद्दा जिम्मेदार आप.. जिम्मेदार आप ' के लगे नारे; BJP ने लगाए गंभीर आरोप


नई दिल्ली:- दिल्ली में जलभराव से कोचिंग में तीन छात्रों की मौत का मामला सोमवार को संसद के दोनों सदनों में गूंजा। राज्यसभा में कार्य स्थगन प्रस्ताव लाकर इस पर अल्पकालिक चर्चा कराई गई तो लोकसभा में शून्यकाल में इसे उठाया गया। छात्र-छात्राओं की मुत्यु पर दुख तो सभी ने जताया, लेकिन जब जिम्मेदारी पर बात आई तो बजबजाते नालों और गंदे जलभराव में भी दलीय निष्ठा की धारा साफ दिखाई दी।

भाजपा ने कुछ शिकायतों का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि आम आदमी पार्टी के स्थानीय विधायक सहित अधिकारियों ने शिकायतों का संज्ञान नहीं लिया। नालों की सफाई नहीं कराई गई, जिसकी वजह से घटना हुई। 

वहीं, आम आदमी पार्टी ने तर्क दिया कि अधिकारी उपराज्यपाल के प्रभाव में हैं, सरकार के मंत्रियों के कहने पर भी नाला सफाई नहीं कराई। वहीं, कांग्रेस बहुत सधे अंदाज में चर्चा करती नजर आई। जलभराव के लिए किसी को जिम्मेदार ठहराने की बजाए बढ़ते को¨चग कल्चर पर घटना का ठीकरा फोड़ने का प्रयास किया।

'सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंगी'

राज्यसभा में कार्य स्थगन के लिए नोटिस देने वालों में भाजपा सदस्यों के साथ ही आम आदमी पार्टी की सांसद स्वाति मालीवाल भी शामिल थीं। सभापति जगदीप धनखड़ ने इसे स्वीकार किया। चर्चा की शुरुआत भाजपा की ओर से सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने की। कहा कि तीन छात्रों की मृत्यु हो गई, लेकिन जिम्मेदारों की आंखों में आंसू क्या, माथे पर शिकन तक नहीं है। 

उन्होंने कहा कि 26 जून से 22 जुलाई तक शिकायतें और रिमाइंडर दिए गए कि उक्त कोचिंग संस्थान की लाइब्रेरी अवैध रूप से बेसमेंट में चल रही है। घटना हो सकती है, लेकिन सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंगी। शिकायतों के इस क्रम के बीच नौ जुलाई को इमारत को फायर की एनओसी दे दी गई।

'दिल्ली सरकार नहीं, केंद्र सरकार जिम्मेदार'

भाजपा सांसद ने आरोप लगाया कि सरकार जल निकासी और नालों की सफाई की बजाए प्रचार और वक्फ बोर्ड पर पैसा खर्च कर रही है। तृणमूल सांसद डेरेक ओ ब्राइन ने सवाल उठाया कि क्या इस तरह की चर्चा मणिपुर, नीट, चीन के कब्जे जैसे मुद्दों पर कराई जाएगी। यही बात डीएमके सांसद तिरुचि शिवा ने कही। आप का समर्थन करते हुए कहा कि चूंकि एलजी फैसले लेते हैं, इसलिए दिल्ली सरकार नहीं, केंद्र सरकार जिम्मेदार है। 

आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने कहा कि कोचिंग और लाइब्रेरी को रेगुलेट केंद्र सरकार करेगी। यह संस्थान 25-30 साल से चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार दिल्ली सरकार के पास नहीं है। अधिकारी सिर्फ एलजी की बात सुनते हैं। मंत्री अफसरों से कहते रहे, लेकिन उन्होंने नाला सफाई की बात नहीं सुनी।

'आप सरकार काम नहीं कर रही, सत्ता भोग रही'

कांग्रेस सदस्य रणदीप सुरजेवाला ने भी इसी तरह की चर्चा नीट, चीन, मणिपुर आदि पर कराने की मांग की। कहा कि भाजपा सरकार ने शिक्षा का निजीकरण और व्यवसायीकरण कर दिया है। रोजगार की कमी है। सरकारी स्कूलों की संख्या घटी है।

स्कूल-कालेजों में शिक्षकों के पद रिक्त हैं, इसलिए कोचिंग संस्थान बढ़े हैं। इसी कारण यह घटना हुई है। वहीं, लोकसभा में शून्यकाल में भाजपा सांसद बांसुरी स्वराज ने इस मुद्दे को उठाया और कहा आप सरकार काम नहीं कर रही, सत्ता भोग रही है। समिति बनाकर घटना की जांच होनी चाहिए।

'जिम्मेदारों पर कार्रवाई होनी चाहिए'

कांग्रेस के शशि थरूर ने पीड़ित परिवारों को क्षतिपूर्ति की मांग उठाई। निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने निष्पक्ष जांच कराने की बात कही तो अखिलेश यादव ने भी जोर दिया कि जिम्मेदारों पर कार्रवाई होनी चाहिए। अधिकारियों ने ही एनओसी दी होगी। यूपी में जैसे अवैध इमारतों पर बुल्डोजर चलता है, वैसा यहां भी चलेगा या नहीं? कांग्रेस के केसी वेणुगोपाल ने कहा कि को¨चग संचालक माफिया की तरह काम कर रहे हैं।

कोचिंग के लिए स्पष्ट है कानून, राज्यों को लेनी होगी जिम्मेदारी

प्रधान केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने इस चर्चा पर दोनों सदनों में अपना पक्ष रखा। उन्होंने बताया कि 2017 से अब तक समय-समय पर कई बार कोचिंग संस्थानों के संचालन के संबंध में मार्गदर्शिका राज्यों को भेजी गई है। इस वर्ष की जनवरी में एडवाइजरी भेजी थी। अगर उसका पालन होता तो यह घटना नहीं होती। कोचिंग संस्थान पर सवाल उठाए जाने पर किसी का नाम लिए बिना बोले कि कुछ लोगों के मन में मैकालेवाद का भूत अभी तक चढ़ा हुआ है। प्रधान ने कहा कि कोचिंग सेंटर संचालन के लिए कानून स्पष्ट है। राज्यों को जिम्मेदारी लेनी पड़ेगी। सरकार शिक्षा में सुधार चाहती है। इसके लिए समिति बनाई है, सभी सांसद उसमें सुझाव दें। वहीं, नीट और पेपर लीक के मुद्दे पर उन्होंने गैर भाजपा शासित राज्यों की घटनाएं गिनाईं और कहा कि मोदी सरकार पूरी पारदर्शिता चाहती है और हर विषय पर चर्चा के लिए तैयार है।

आपकी पर्सनालिटी को कमजोर बनाती हैं ये आदतें

दिल्ली:- हमारी पर्सनालिटी का हमारे करियर और पर्सनल लाइफ पर भी बहुत प्रभाव पड़ता है. जब भी हम किसी से मिलते हैं, तो सामने वाले सबसे पहले हमारे बात करने के तरीका, ड्रेसिंग सेंस और उठने-बैठने के तरीके को नोटिस करता है. लेकिन कई बार हमारी कुछ आदतें ऐसी होती हैं जिसके कारण हमारी पर्सनालिटी लोगों को सामने कमजोर लगने लगती है. लेकिन करियर में किसी मुकाम पर पहुंचने के लिए पर्सनालिटी बेहतर होना बेहद जरूरी है.लेकिन अनजाने में हमारी कई आदतें सामने वाले के सामने हमारी पर्सनालिटी का डाउन कर देती हैं. इसलिए हमें उन्हें बदलने का प्रयास करना चाहिए. चलिए जानते हैं उन आदतों के बारे में

1. आत्म-संकोच (Self-Doubt): आत्म-संकोच आपके आत्मविश्वास को कमजोर करता है। जब आप लगातार खुद पर संदेह करते हैं, तो आप अपने कौशल और क्षमताओं को कमतर समझने लगते हैं। इससे आप नए अवसरों को अपनाने और अपने लक्ष्य प्राप्त करने में संकोच करने लगते हैं। आत्म-संकोच को दूर करने के लिए अपने सकारात्मक पक्ष को पहचानें और अपने ऊपर विश्वास बनाए रखें।

2. नकारात्मक सोच (Negative Thinking): नकारात्मक सोच आपकी मानसिक स्थिति और व्यक्तित्व पर गहरा प्रभाव डालती है। नकारात्मक विचार आपके आत्म-सम्मान को कम करते हैं और आपको हमेशा चिंता और तनाव में रखते हैं। सकारात्मक सोच विकसित करने के लिए, अपनी सोच को बदलें और हर स्थिति में सकारात्मक पहलू को देखें।

3. आलस्य (Procrastination): आलस्य और कार्यों को टालना आपकी उत्पादकता और प्रगति को बाधित करता है। जब आप अपने कामों को समय पर नहीं करते, तो इससे आपके पेशेवर और व्यक्तिगत जीवन में समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। समय प्रबंधन और अनुशासन से आलस्य पर काबू पाएं और अपने कामों को प्राथमिकता दें।

4. नकारात्मक संबंध (Negative Relationships): आपके जीवन में नकारात्मक और विषाक्त संबंध आपकी ऊर्जा और आत्मविश्वास को कमजोर कर सकते हैं। ऐसे लोग जो आपको नीचा दिखाते हैं या आपका समर्थन नहीं करते, वे आपके विकास में बाधा बन सकते हैं। स्वस्थ और सकारात्मक संबंध बनाएं, जो आपके व्यक्तित्व को बढ़ावा दें और आपको प्रोत्साहित करें।

इन आदतों से बचकर और सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाकर आप अपनी पर्सनालिटी को मजबूत बना सकते हैं और अपने जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।