जल्द ही इन इलेक्ट्रॉनिक गजट से लैस होंगे बिहार पुलिस के जांच अधिकारी, तकरीबन 200 करोड़ रुपये होंगे खर्च*

डेस्क : देश में तीन नए कानूनों के लागू होने के बाद पुलिस का डिजिटल कामकाज बढ़ गया है। ऐसे में अब बिहार पुलिस को स्मार्ट बनाने की तैयारी शुरू कर दी गई है। बिहार पुलिस के इंवेस्टिगेटिंग अफसर अब लैपटॉप और स्मार्टफोन से लैस होंगे, जिससे डिजिटल कामकाज में तेजी आएगी। पुलिस महकमे के जांच पदाधिकारियों को लैपटॉप और मोबाइल जल्द मिलेंगे। गृह विभाग इससे संबंधित प्रस्ताव जल्द कैबिनेट की स्वीकृति के लिए भेजेगा। अभी पुलिस में जांच पदाधिकारियों की संख्या 23 हजार है। इस वर्ष के अंत तक संख्या करीब 25 हजार हो जाएगी। इसके अलावा डीएसपी रैंक के सुपरविजन अधिकारियों की संख्या भी करीब दो हजार है। पहले चरण में 10 हजार जांच पदाधिकारियों यह दिया जाएगा। फिर शेष पदाधिकारियों को आपूर्ति होगी। इस पर 200 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। विभाग में इस बात पर भी मंथन चल रहा है कि जांच पदाधिकारियों को इसके लिए निर्धारित राशि दी जाए। पदाधिकारी मानक के अनुरूप पसंद के इलेक्ट्रॉनिक सामान खरीद सकेंगे। इसे संभालने की जवाबदेही भी अधिकारी की ही होगी। उनका जहां तबादला होगा, वहां साथ ले जाएंगे। पद से हटने, पोस्टिंग या प्रोन्नति होने पर गैजेट उत्तराधिकारी को सौंपकर जाना होगा।
दिल्ली कोचिंग हादसे के बाद पटना में प्रशासन हुआ अलर्ट, राजधानी में संचालित 20 हजार कोचिंग संस्थानों की आज से होगी जांच

डेस्क : दिल्ली के कोचिंग संस्थान के बेसमेंट में पानी भरने से तीन छात्र-छात्राओं की मौत के बाद बिहार में प्रशासन सतर्क हो गया है। राजधानी पटना में उक्त घटना के बाद विशेष सतर्कता बरती जा रही है। पटना जिले में चल रहे बड़े-छोटे 20 हजार कोचिंग संस्थानों की जांच के आदेश दिए गए हैं। सोमवार को पटना जिलाधिकारी डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने अनुमंडल पदाधिकारियों के नेतृत्व में छह टीमें गठित की। जिलाधिकारी ने बताया कि दिल्ली के कोचिंग संस्थान में हुई घटना को देखते हुए यहां भी सतर्कता जरूरी है। छह टीमें बनाई गई हैं। इनका नेतृत्व संबंधित अनुमंडल पदाधिकारी करेंगे। टीम में संबंधित नगर परिषद या नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी, प्रखंड या अनुमंडल शिक्षा पदाधिकारी, थाना प्रभारी, अग्निशमन पदाधिकारी, अंचलाधिकारी को शामिल किया गया है। टीम आज मंगलवार से जांच कार्य शुरू करेगी। दो सप्ताह में रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है। रिपोर्ट में यदि कोचिंग मानक के अनुरूप नहीं मिले तो उन्हें बंद किया जाएगा। बता दें राजधानी पटना में भारी संख्या में कोचिंग संस्थान संचालित है। जिनमें लाखों की संख्या में छात्र-छात्राएं पढ़ाई करने आते है। जिनमें कई आवासीय कोचिंग संस्थान भी शामिल है।
तेजस्वी के बिहार में सभी जिलों से चीख और गोलियों की आ रही आवाज के बयान पर जदयू का पलटवार, कहा- तथ्यों की जांच कर लगाए आरोप

* डेस्क : बिहार में अपराध को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने है। दोनो ओर से एक-दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाए जा रहे है। बीते सोमवार को बिहार विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव ने राज्य में अपराध को लेकर सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट लिखा है। इसमें उन्होंने कहा है कि बिहार के सभी जिलों से चीख और गोलियों की आवाज आ रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार में चारों तरफ से चीखें और गोलियों की आवाजें सुनाई दे रही हैं। लहू से लथपथ सड़कें और गलियां के अलावा खून से सने अखबार दर्शा रहे हैं कि प्रदेश में महामंगलराज है। एनडीए के लिए मंगलराज की यही वास्तविक परिभाषा है। तेजस्वी ने अपने इस पोस्ट में पिछले कुछ दिनों के दौरान प्रदेश में हुई 53 अलग-अलग आपराधिक घटनाओं की पूरी सूची जारी की। वे अपराध पर अंकुश लगाने में प्रदेश की नीतीश सरकार को पूरी तरह विफल बताया। इधर नेता प्रतिपक्ष के इस आरोप पर सत्ताधारी जदयू की ओर से पलटवार किया गया है। जदयू के प्रदेश प्रवक्ता नीरज कुमार और हिमराज राम ने अपराध पर तेजस्वी यादव की ओर से पेश आपराधिक घटनाओं के दावे को महज आंकड़ेबाजी बताया है। साथ ही सही तरीके से तथ्यों की जांच कर आरोप लगाने की सलाह दी है। प्रवक्ताओं ने कहा है कि नीतीश कुमार की सरकार में कोई भी व्यक्ति अपराध कर कानून के जबड़े से बच नहीं सकता। प्रवक्ताओं ने कहा कि नीतीश कुमार के साथ गठबंधन सरकार में तेजस्वी यादव पहली बार 21 महीने तक और फिर दूसरी बार 17 महीने तक सत्ता के भागीदार रहे। उस दौरान भी आपराधिक घटनाएं होती थी, वहीं अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई भी होती थी। उन्होंने कहा कि सत्ता में कुल 38 महीने तक भागीदार रहते उनका ट्विटर मौन क्यों हो जाता था? साथ ही सत्ता में भागीदार रहते अपराध के खिलाफ हुई कार्रवाई से उन्होंने अपनी आखें बंद कर ली थी क्या? प्रवक्ताओं ने कहा कि तेजस्वी यादव अखबार की कतरनों के आधार पर राज्य में अपराध को लेकर फर्जी दावा करते हैं, जबकि उनके किए दावों में कई घटनाएं घटित नहीं पाई गई हैं।
हाजीपुर में बड़ा हादसा : ऑटो और ट्रक की आमने-सामने टक्कर में 4 की मौत, 3 गंभीर रुप से घायल

डेस्क : हाजीपुर से एक बड़ी खबर सामने आई है। जहां आज सोमवार को ऑटो और ट्रक में भीषण टक्कर में चार लोगों की मौत हो गई है। वहीं तीन लोग गंभीर रुप से घायल हुए है। जिन्हें इलाज के लिए पटना पीएमसीएच रेफर किया गया है। घटना वैशाली थाना क्षेत्र के चकौस के पास हुई।  

बताया जा रहा है कि वैशाली थाना क्षेत्र के भगवानपुर रत्ती गांव स्थित कोल्ड स्टोरेज के निकट ट्रक और टेंपो के भीषण टक्कर हो गई। जिसमें टेंपो सवार 4 लोगों की मौके पर मौत हो गई। जबकि तीन व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो गए। सभी मृतक मुजफ्फरपुर जिले के मोतीपुर निवासी बताया गए है। 

घटना की जानकारी मिलते ही मौके पर आसपास के लोग जुट गए। सूचना पर पहुंची पुलिस स्थानीय लोगों की मदद से घायल को इलाज के लिए सदर अस्पताल भेजा गया है। बताया गया है कि सभी हाजीपुर सदर थाना क्षेत्र अन्तर्गत हरोली बूढ़ी माई स्थान से पूजा कर लौट रहे थे। स्थानिय वैशाली प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से सभी को घायलों को हाजीपुर सदर अस्पताल भेजा गया है। जो घायल हुए हैं उनकी भी हालत चिंताजनक है। 

इस संबंध में वैशाली थाना अध्यक्ष प्रवीण कुमार ने बताया कि तेज रफ्तार ट्रक ने ऑटो में सामने से ठोकर मार दिया है। घटनास्थल पर ही दो की मौत हुई है। और दो महिला की मौत सदर अस्पताल हाजीपुर में हुई है। कुल मिलाकर चार मौत हुई है। मामले की जांच पड़ताल की जा रही है।

प्रदेश के सरकारी विद्यालयों में लगे सबमर्सिबल बोरिंग की होगी जांच, शिक्षा विभाग के ACS ने पीएचईडी विभाग को भेजा पत्र

डेस्क : बिहार के सरकारी विद्यालयों में पेयजल की समस्या को दूर करने लिए सबमर्सिबल बोरिंग किया गया था, लेकिन उस बोरिंग से स्कलों में पानी नहीं मिल रहा। जिसकी वजह से स्कूल के बच्चों और कर्मचारियों को पानी की संकट का समाना करना पड़ता है। अब शिक्षा विभाग ने राज्य के सरकारी विद्यालयों में सबमर्सिबल बोरिंग की जांच करने का फैसला लिया है। जांच की जिम्मेदारी लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग (पीएचईडी) को सौंपी गई है। शिक्षा विभाग ने पीएचईडी से 15 दिनों में जांच रिपोर्ट देने का आग्रह किया है। यह जांच रैंडम होगी। इसके लिए विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ ने पीएचईडी को पत्र भेजा है।

मालूम हो कि पिछले छह-सात महीने में अभियान चलाकर सरकारी स्कूलों में सबमर्सिबल बोरिंग कराई गयी ताकि, बच्चों को स्वच्छ जल नल उपलब्ध हो सके। लेकिन, विभिन्न कारणों से हर जिले के कई स्कूलों में सबमर्सिबल बारिंग का फायदा बच्चों को नहीं मिल रहा था। 

औसतन हर स्कूल में ढाई लाख रुपए खर्च कर सबमर्सिबल बोरिंग करायी गई थी। सबमर्सिबल के साथ ही स्कूलों में पाइप बिछाने, छत पर टंकी बैठाने, बिजली कनेक्शन देने आदि कार्य करने थे। लेकिन, कई स्कूलों में स्थिति यह है कि बोरिंग तो कर दी गयी, पर वहां नल ही नहीं लगे हैं। ना ही पाइप बिछाई गई है। कई जगहों पर सबमर्सिबल बोरिंग की जा चुकी है, पर स्कूलों की छत पर टंकी नहीं लगी है, जिसके माध्यम से पानी की आपूर्ति नलों में की जा सके। कई जगह सबमर्सिबल बोरिंग है पर वह कारगर नहीं है। 

मिली जानकारी के अनुसार राज्य के करीब 13 हजार स्कूलों में अभियान चलाकर सबमर्सिबल बोरिंग की गई है। इसकी शुरुआत छह-सात महीने पहले हुई थी। जिलों से इसकी भी शिकायत आ रही है कि कई स्कूलों में बोरिंग कामयाब नहीं हैं, जिस कारण ठीक से पानी नहीं आ रहा है। उक्त 13 हजार स्कूलों के अलावा ऐसे भी स्कूल हैं, जहां पर पूर्व की विभिन्न योजनाओं से नल से जल की आपूर्ति हो रही है। विभाग का निर्देश था कि खासकर जिन स्कूलों में बच्चों की संख्या अधिक है, वहां सबमर्सिबल लगाई जाय। विभाग ने यह भी तय किया है कि हर स्कूल में लड़के और लड़कियों के लिए अलग-अलग शौचालय होंगे। इन शौचालयों में नल से पानी की आपूर्ति अनिवार्य रूप से होगी। दिन में कई बार शौचालयों की सफाई करायी जाएगी।

बड़ी खबर : बिहार की नीतीश सरकार को सुप्रीम कोर्ट से लगा बड़ा झटका, शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट के इस फैसले को फिलहाल रखा बरकरार

डेस्क : प्रदेश की नीतीश सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में 65 प्रतिशत जातिगत आरक्षण पर पटना हाईकोर्ट के रोक के फैसले पर मुहर लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में जातिगत आरक्षण की सीमा को बढ़ाकर 65 फीसदी किए जाने के सरकार के फैसले पर लगी रोक को हटाने से फिलहाल सु्प्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है। वहीं अब अगली सुनवाई सितंबर में होगी। 

बताते चले कि बिहार में जातिय जनगणना के बाद राज्य सरकार द्वारा जातिगत आरक्षण की सीमा को बढ़ाकर 65 फीसदी कर दी गई थी। वहीं सरकार के इस फैसले पर पटना हाई कोर्ट ने रोक लगाई थी, जिसके खिलाफ राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत का रुख किया था। 

अदालत ने बिहार सरकार की अर्जी पर सुनवाई को लेकर सहमति जरूर जताई है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने कहा, 'हम नोटिस जारी कर रहे हैं। इस मामले पर हम सितंबर में सुनवाई करेंगे। तब तक कोई अंतरिम राहत नहीं रहेगी।'

बता दें कि, बिहार सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पक्ष रख रहे थे। उन्होंने शीर्ष अदालत में कहा कि इस मामले पर तत्काल कोई फैसला लिया जाए। ऐसा इसलिए क्योंकि सितंबर में बढ़ाए गए आरक्षण के तहत बहुत सी नौकरियां निकली थीं और उनमें इंटरव्यू की प्रक्रिया चल रही है।

मेहता ने कहा, 'इस कानून के आधार पर हजारों अभ्यर्थियों के इंटरव्यू चल रहे हैं।' इस दौरान सरकार का ही पक्ष रख रहे एक अन्य वकील ने छत्तीसगढ़ का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने भी जातिगत आरक्षण की सीमा 50 फीसदी की थी। उस पर राज्य के उच्च न्यायालय ने रोक लगाई थी, लेकिन फिर सुप्रीम कोर्ट ने उस फैसले पर स्टे लगा दिया था।

बड़ी खबर : बिहार में गिरे 12 पुलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार, NHAI और सड़क परिवहन मंत्रालय को नोटिस जारी कर मांगा जवाब

डेस्क : बिहार में लगातार पुलों के गिरने के मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आज सोमवार को इससे जुड़ी जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए बिहार सरकार, NHAI और सड़क परिवहन मंत्रालय को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। बिहार सरकार, NHAI और सड़क परिवहन मंत्रालय की तरफ से जवाब दाखिल करने के बाद सुप्रीम कोर्ट में फिर से मामले की सुनवाई होगी।

दरअसल बिहार में दो साल के भीतर लगातार दर्जन भर पुल गिरने को लेकर बीते 4 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी। याचिकाकर्ता ने पिछले दो साल के भीतर 12 पुलों के गिरने का हवाला देते हुए स्ट्रक्चरल ऑडिट कराने का आदेश देने की मांग सुप्रीम कोर्ट से की थी। छोटे-बड़े सभी पुलों के गिरने की घटना की जांच कराने की मांग की गई थी। जिसपर आज सुनवाई करते हुए सुप्रीमो कोर्ट ने यह नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। 

बता दें बिहार में पुल गिरने का सिलसिला उस वक्त शुरू हुआ था जब राज्य में महागठबंधन की सरकार थी। नीतीश कुमार पाला बदलकर आरजेडी के साथ आ गए थे। तेजस्वी यादव डिप्टी सीएम के साथ साथ पथ निर्माण विभाग के मंत्री भी थे। इसी दौरान बिहार में पुल गिरने का पहला मामला सामने आया था। भागलपुर में निर्माणाधीन अगुवानी पुल का एक हिस्सा गिर गया था और पुल के कुछ पाया गंगा में समा गए थे।

इस घटना को लेकर खूब सियासत भी हुई थी। पुल निर्माण कंपनी एसपी सिंगला के ऊपर गंभीर आरोप लगे थे। तत्कालीन पथ निर्माण मंत्री तेजस्वी यादव पर भी सवाल उठे थे। उस वक्त विपक्ष की भूमिका में रही बीजेपी ने खूब हंगामा मचाया था। अगुवानी पुल के बाद बिहार में पुल गिरने का सिलसिला लगातार जारी है। इसके बाद से बिहार में कई पुल गिर चुके हैं। हाल के दिनों में हर दिन पुलों के गिरने की घटनाएं सामने आई हैं।

बिहार के बड़े शहरों को जाम से निजात दिलाने की इन पांच महकमों मिली जिम्मेदारी, गृह विभाग ने जारी किया आदेश

डेस्क : राजधानी पटना समेत प्रदेश के कई बड़े शहरों में आए दिन लगने वाले जाम से आमलोगो को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। लेकिन अब जल्द ही उन्हें इससे निजात मिलेगी। जाम के झाम से निजात दिलाने की जिम्मेदारी अब पांच महकमे संभालेंगे। इनमें यातायात के अलावा परिवहन, पथ निर्माण, ग्रामीण कार्य और स्वास्थ्य विभाग को भी टास्क पूरा करना होगा। गृह विभाग ने इस संबंध में आदेश जारी किया है। 

यातायात चुस्त-दुरुस्त करने की शुरुआत पटना शहर से होगी। बाद में अन्य शहरों में इसे लागू किया जाएगा।

गृह विभाग से जारी आदेश के मुताबिक, एडीजी (ट्रैफिक) अन्य चारों विभागों के अधिकारियों के साथ हर माह समीक्षा बैठक कर सभी बिन्दुओं पर विचार-विमर्श करेंगे। सभी विभाग अपनी-अपनी जवाबदेही संभालेंगे और आपस में मंथन कर जाम से निजात पर ठोस कार्ययोजना को अंतिम रूप देंगे।

पुलिस के अलावा ट्रैफिक को नियंत्रित करने में परिवहन महकमा की भूमिका भी बेहद खास है। ओवरलोडिंग, वाहनों की फिटनेस से लेकर शहर की सड़कों पर बेतरतीब खड़े वाहनों खासकर ऑटो के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने में परिवहन महकमा की पहली जिम्मेदारी है। इसी तरह अन्य विभागों की जिम्मेदारी भी तय रहेगी, जिनकी मदद से ट्रैफिक व्यवस्था बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। 

पथ निर्माण और ग्रामीण कार्य विभाग की मुख्य जिम्मेदारी प्रमुख सड़कों की मरम्मति करने की होगी। अनेक स्थानों पर सड़क खराब होने से भी जाम लगता या दुर्घटनाएं होती हैं। इसके अलावा सड़कों पर साइनेज, इंडिकेटर, गोलंबर बनाना, सड़कों की चौड़ाई-लंबाई, मोड़, ब्लैक स्पॉट को दूर करना, जरूरत के मुताबिक स्कीड प्रूफ सड़क बनाना समेत ऐसी अन्य जरूरी चीजों को बहाल करने की महती जिम्मेदारी सड़क महकमे की ही है। इनकी मदद से सड़क दुर्घटनाओं को कम करके यातायात सुगम बनाया जा सकता है।

डेंगू एवं चिकनगुनिया को लेकर स्वास्थ्य विभाग सतर्क, स्वास्थ्य मंत्री ने अस्पतालों सभी जरुरी संसाधन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के दिए निर्देश

डेस्क : प्रदेश में डेंगू और चिकनगुनिया जैसे बीमारी के प्रकोप को लेकर स्वास्थ्य विभाग अभी से सतर्क हो गया है। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा है कि राज्य में डेंगू एवं चिकनगुनिया से लोगों को सुरक्षित रखने के लिए स्वास्थ्य विभाग प्रतिबद्ध है। दोनों का प्रसार बढ़ने से पूर्व ही स्वास्थ्य विभाग ने मुकम्मल तैयारी कर ली है। राज्य के सभी चिकित्सा महाविद्यालय, सदर अस्पताल के साथ-साथ प्रखंड स्तर के सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में डेडिकेटेड बेड की व्यवस्था की जा रही है।

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य संस्थानों पर डेंगू जांच किट, ब्लड प्लेटलेट्स और दवा की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केद्रों में 2, जिला अस्पताल में 10 और राज्य के मेडिकल कॉलेजों में 20 मच्छरदानी युक्त डेडिकेटेड बेड की व्यवस्था की गई है। आवश्यकता अनुसार सभी सरकारी संस्थानों में डेडिकेटेड बेड की संख्या बढ़ाने का भी निर्देश दिया गया है। सभी जिलों में एंबुलेंस की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है।

साथ ही जिलों में डेंगू प्रभावित जगहों को चिन्हित कर बीमारी बढ़ने के कारणों का पता लगाने का आदेश दिया गया है। राज्य के हवाई अड्डों, स्टेशनों एवं बस स्टैंडों पर रैपिड रिस्पांस टीम (आरआरटी) गठित कर संभावित डेंगू मरीजों की खोज की जाएगी। डेंगू पर प्रभावी नियंत्रण के लिए अंतर विभागीय समन्वय स्थापित होगा। जिलों को पोर्टेबल थर्मल फॉगिंग मशीन की स्थिति का आकलन कर पर्याप्त संख्या में उपलब्ध कराने पर जोर दिया गया है।

पुलिस हिरासत में युवक की मौत के मामले में बड़ी कार्रवाई, थानेदार समेत 6 पुलिसकर्मी सस्पेंड

डेस्क : पटना के फुलवारीशरीफ थाना के थानेदार सहित 6 पुलिसकर्मियों पर बड़ी कार्रवाई हुई है। इन्हें सस्पेंड कर दिया गया है। इनपर यह कार्रवाई पुलिस हिरासत में युवक की मौत मामले में मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट पर हुई है। 

दरअसल फुलवारी शरीफ एसडीपीओ कार्यालय में अपहरण मामले में हिरासत में पूछताछ के दौरान तबीयत बिगड़ने पर 31 मार्च को जीतेश नाम के युवक की मौत हो गई थी। जिसकी जांच मानवाधिकारी आयोग ने की थी। मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट में लापरवाही की पुष्टि के बाद युवक की मौत के मामले में फुलवारीशरीफ थानेदार शफीर आलम सहित छह पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया है। 

घटना के बाद दो पुलिस पदाधिकारी रोहित कुमार व फिरोज आलम और 3 सिपाहियों को लाइन हाजिर किया गया था। मकसूद आलम को फुलवारीशरीफ थाने का नया थानेदार बनाया गया है।

बता दें फुलवारी निवासी सुरेंद्र सिंह ने बेटे सुशील के अपहरण की शिकायत बीते 7 जनवरी को फुलवारीशरीफ थाने में दर्ज कराई थी। उन्होंने रिश्तेदार जीतेश कुमार व रंजीत ठाकुर उर्फ बिट्टु ठाकुर को नामजद आरोपित बनाया था। इसी मामले में पुलिस ने बुद्धा घाट के समीप से 31 मार्च को जीतेश सहित दो अन्य युवकों को हिरासत में लिया था। पूछताछ के क्रम में जीतेश की तबीयत बिगड़ गई थी। इलाज के लिए एम्स ले जाने पर डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया गया था। आरोप लगे थे पुलिस की पिटाई से युवक की मौत हुई।