मनुष्य सुपरमैन बनना चाहता है, इसके बाद देवता फिर भगवान”, भागवत के इस बयान ने कांग्रेस को कर दिया खुश
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को झारखंड के गुमला में ऐसा बयान दिया, जिससे सियासी पारा चढ़ता दिख रहा है। आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने बृहस्पतिवार को कहा कि आत्म-विकास करते समय एक मनुष्य सुपरमैन बनना चाहता है, इसके बाद वह देवता और फिर भगवान बनना चाहता है और विश्वरूप की भी आकांक्षा रखता है लेकिन वहां से आगे भी कुछ है क्या, यह कोई नहीं जानता है। मोहन भागवत के इस बयान ने कांग्रेस को खुश कर दिया है। कांग्रेस का दावा है कि संघ प्रमुख मोहन भागवत की हाल की टिप्पणी पीएम की आलोचना करती है। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को झारखंड के गुमला में एक गैर लाभाकारी संगठन द्वारा आयोजित ग्राम स्तरीय कार्यकर्ता बैठक को संबोधित किया। आरएसएस सरसंघचालक ने कहा कि प्रगति का कभी कोई अंत होता। जब हम अपने लक्ष्य तक पहुंचते हैं, तो हम देखते हैं कि अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है। उन्होंने आगे कहा कि एक आदमी सुपरमैन बनना चाहता है, फिर एक देव और फिर भगवान। आंतरिक और बाह्य दोनों ही प्रकार के विकासों का कोई अंत नहीं है। यह एक सतत प्रक्रिया है। बहुत कुछ किया जा चुका है, लेकिन अभी भी बहुत कुछ बाकी है।मोहन भागवत ने आगे कहा कि लोगों को मानव जाति के कल्याण के लिए अथक प्रयास करना चाहिए, क्योंकि विकास और मानव महत्वकांक्षा का कोई अंत नहीं है। मोहन भागवत के बयान पर कांग्रेस को बैठे बिठाए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर तंज कसने का मौका मिल गया है। कांग्रेस ने संघ प्रमुख के बयान के आधार पर पीएम मोदी पर 'नॉन-बायोलॉजिकल पीएम' वाले अपने तंज को धार दी है। कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने एक्स पर पोस्ट करते हुए प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधा है। कांग्रेस नेता ने एक्स पर पोस्ट किया,"मुझे यकीन है कि स्वयंभू नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री को इस ताज़ा अग्नि मिसाइल की ख़बर मिल गई होगी, जिसे नागपुर ने झारखंड से लोक कल्याण मार्ग को निशाना बनाकर दागा है।" बता दें कि लोकसभा चुनाव के दौरान एक समाचार चैनल को दिए गए इंटरव्यू में प्रधानमंत्री मोदी ने कथित तौर पर कहा था कि वह 'बायोलॉजिकल नहीं बल्कि भगवान द्वारा भेजे गए है।'पीएम मोदी ने कहा था, 'जब तक मेरी मां जीवित थीं, मुझे लगता था कि मैं बायोलॉजिकली रूप से पैदा हुआ हूं।उनके निधन के बाद, जब मैं अपने अनुभवों को देखता हूं, तो मुझे यकीन हो जाता है कि मुझे भगवान ने भेजा है। यह ताकत मेरे शरीर से नहीं है। यह मुझे भगवान ने दी है। इसलिए भगवान ने मुझे ऐसा करने की क्षमता, शक्ति, शुद्ध हृदय और प्रेरणा भी दी है। मैं भगवान द्वारा भेजा गया एक इंस्ट्रूमेंट मात्र हूं।' भागवत के इस बयान के बाद सियासी गलियारे में चर्चा फिर शुरू हो गई कि क्या आरएसएस और बीजेपी में वैचारिक टकराव तेज हो गया है। जिस तरह से मोहन भागवत ने सुपरमैन, भगवान बनने जैसे कमेंट किए, ऐसी अटकलें लग रही कि प्रधानमंत्री और बीजेपी के वैचारिक स्रोत में टकराव की स्थिति है। मोहन भागवत के कमेंट को कांग्रेस ने पीएम मोदी पर तंज के तौर पर ही पेश किया है।
ट्रिगर दबाने वाली थीं आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर की मां, पुणे पुलिस ने कोर्ट को बताई ये गंभीर बातें....

आईएएस प्रोबेशनर पूजा खेडकर की मां मनोरमा खेडकर के खिलाफ एफआईआर में आईपीसी की धारा 307 जोड़ने को उचित ठहराते हुए, पुणे पुलिस ने गुरुवार को महाराष्ट्र की एक अदालत को बताया कि आरोपी ने शिकायतकर्ता के सिर पर बंदूक तान दी थी। समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, अभियोक्ता ने अदालत को बताया कि जब वह ट्रिगर दबाने वाली थीं, तो शिकायतकर्ता डर के मारे झुक गईं, जबकि अन्य आरोपियों ने उन्हें रोक लिया।

भूमि विवाद मामले में मनोरमा खेडकर की पांच दिनों की हिरासत की मांग करते हुए, पुणे पुलिस ने उन्हें, उनके पति दिलीप और तीन अन्य लोगों को, जिन्हें एफआईआर में आरोपी के रूप में दिखाया गया है, “प्रभावशाली और राजनीतिक रूप से सक्रिय” व्यक्ति बताया, पौड की अदालत ने उन्हें 20 जुलाई तक पुलिस हिरासत में भेज दिया। इससे पहले गुरुवार को पुणे ग्रामीण पुलिस ने रायगढ़ जिले के महाड में एक लॉज से मनोरमा खेडकर को हिरासत में लिया और गिरफ्तार करने से पहले पौड पुलिस स्टेशन ले आई, पुणे ग्रामीण के पुलिस अधीक्षक पंकज देशमुख ने पहले बताया था।

धडवली के 65 वर्षीय किसान पंढरीनाथ पासलकर ने मनोरमा खेडकर, उनके पति दिलीपराव खेडकर और कई अन्य अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 323, 504, 506, 143, 144, 147, 148 और 149 और शस्त्र अधिनियम की धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई है। पुणे ग्रामीण पुलिस ने उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 307 (हत्या का प्रयास) भी लगाई है।

पुलिस ने मनोरमा और दिलीप खेडकर की तलाश शुरू की थी, जब एक वीडियो सामने आया था, जिसमें वह 2023 में पुणे के मुलशी तहसील के धडवाली गांव में भूमि विवाद को लेकर कुछ लोगों को बंदूक से धमकाते हुए दिखाई दे रही थी। मनोरमा, उसके पति दिलीप और तीन अन्य पर 4 जून, 2023 को पुणे के मुलशी तहसील के धडवाली गांव में भूमि विवाद को लेकर पंढरीनाथ पासलकर को बंदूक से धमकाने का आरोप है।

पुलिस ने आरोप लगाया कि मनोरमा न तो जांचकर्ताओं के साथ सहयोग कर रही थी और न ही दिलीप खेडकर और अन्य तीन आरोपियों के ठिकाने और अपराध में इस्तेमाल की गई पिस्तौल और चार पहिया वाहन के बारे में जानकारी साझा कर रही थी।

पुलिस ने कहा कि वे हथियार जब्त करना चाहते हैं और इसके लिए उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ की जरूरत है। अभियोजन पक्ष ने यह भी कहा कि पुलिस मामले में अन्य आरोपियों का पता लगाना चाहती है। बचाव पक्ष के वकील निखिल मलानी ने पुलिस हिरासत के लिए अभियोजन पक्ष की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि मनोरमा ने इस मामले में शिकायतकर्ता के खिलाफ मामला दर्ज कराया था। उन्होंने कहा कि उस मामले में आरोप पत्र भी दाखिल किया गया था। 

मलानी ने कहा, "मौजूदा शिकायतकर्ता (अपने खिलाफ दर्ज मामले के कारण) बैकफुट पर था। लेकिन हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल होने के बाद, वह आगे आया और अपने मुवक्किल के खिलाफ मामला दर्ज कराया।" उन्होंने तर्क दिया कि जब उनके मुवक्किल के खिलाफ पहली बार मामला दर्ज किया गया था, तो एफआईआर में सभी धाराएं गैर-जमानती थीं, लेकिन पुलिस ने 17 जुलाई को अचानक आईपीसी की धारा 307 (हत्या का प्रयास) जोड़ दी। उन्होंने कहा कि चूंकि यह गैर-जमानती धारा है, इसलिए उसे गिरफ्तार कर लिया गया। उन्होंने अदालत को बताया कि मनोरमा के खिलाफ मामला "बाद में" दर्ज किया गया था क्योंकि यह कथित घटना के 13 महीने बाद दर्ज किया गया था। उन्होंने कहा, "एफआईआर में धारा 307 (हत्या का प्रयास) के बारे में कोई वैध आशंका या तर्क नहीं है।" दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद अदालत ने मनोरमा को 20 जुलाई तक पुलिस हिरासत में भेज दिया।

पूजा खेडकर कौन हैं और क्या विवाद है?

पूजा खेडकर संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की उम्मीदवारी में विकलांगता और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) प्रमाण पत्र के बारे में अपने दावों के साथ-साथ पुणे कलेक्टर कार्यालय में अपने कार्यकाल के दौरान अपने आचरण के लिए जांच के दायरे में हैं। विवाद के बीच, सरकार ने मंगलवार को पूजा खेडकर के 'जिला प्रशिक्षण कार्यक्रम' को रोक दिया, जिन्हें पहले पुणे से सुपरन्यूमेरी सहायक कलेक्टर के रूप में वाशिम स्थानांतरित किया गया था, क्योंकि उन्हें "आवश्यक कार्रवाई" के लिए मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में वापस बुलाया गया था।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को पीटीआई को बताया कि पुणे भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो इकाई को पूजा खेडकर के पिता दिलीप खेडकर, जो एक सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारी हैं, के खिलाफ कथित आय से अधिक संपत्ति के संबंध में खुली जांच की मांग करने वाली एक शिकायत मिली है। कथित आय से अधिक संपत्ति के मामले में उनके खिलाफ एसीबी के नासिक डिवीजन द्वारा पहले से ही जांच चल रही है। इसलिए, भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसी की पुणे इकाई ने एसीबी मुख्यालय से निर्देश मांगे हैं कि या तो नई शिकायत को चल रही जांच में शामिल किया जाए या एक अलग खुली जांच की जाए।

बांग्लादेश में आरक्षण के खिलाफ प्रदर्शन तेज, हिंसा में 39 लोगों की मौत
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नौकरी में आरक्षण खत्म करने की मांग कर रहे बांग्लादेश के छात्रों का आंदोलन हिंसक हो गया है। सरकारी नौकरियों के लिए आरक्षण प्रणाली में सुधार की मांग को लेकर छात्रों के विरोध प्रदर्शन के दौरान राजधानी ढाका समेत अन्य जगहों पर हिंसा भड़क गई है। जिसमें अब तक 39 लोगों की मौत हो गई। वहीं, 2,500 से अधिक लोग घायल हो गए। ढाका और अन्य शहरों में विश्वविद्यालय के छात्र 1971 में पाकिस्तान से देश की आजादी के लिए लड़ने वाले युद्ध नायकों के रिश्तेदारों के लिए कुछ नौकरियों को आरक्षित करने की प्रणाली के खिलाफ कई दिनों से रैलियां कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने ढाका के रामपुरा इलाके में सरकारी बांग्लादेश टेलीविजन भवन की घेराबंदी कर दी और इसके अगले हिस्से को क्षतिग्रस्त कर दिया। साथ ही वहां खड़े अनेक वाहनों को आग लगा दी। इससे वहां पत्रकारों सहित कई कर्मचारी फंस गए। दरअसल एक दिन पहले यानी बुधवार को ही बांग्लादेश के सरकारी टीवी बीटीवी ने प्रधानमंत्री शेख हसीना का इंटरव्यू लिया था। *स्कूल-कॉलेज अनिश्चितकाल के लिए बंद* बढ़ती हिंसा के कारण अधिकारियों को गुरुवार दोपहर से ढाका आने-जाने वाली रेलवे सेवाओं के साथ-साथ राजधानी के अंदर मेट्रो रेल को भी बंद करना पड़ा। आधिकारिक समाचार एजेंसी ने बताया कि सरकार ने प्रदर्शनकारियों को विफल करने के लिए इंटरनेट बंद करने का आदेश दिया है। शेख हसीना सरकार ने हिंसा को देखते हुए देश के सभी स्कूलों और विश्वविद्यालयों को अनिश्चितकाल के लिए बंद करने का आदेश दिया है। साथ ही हालात को काबू करने के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही राजधानी सहित देश भर में अर्धसैनिक बल बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश के जवानों को तैनात किया गया है। *बांग्लादेश मे बवाल की वजह* बांग्लादेश को साल 1971 में आजादी मिली थी। आजादी के बाद से ही बांग्लादेश में आरक्षण व्यवस्था लागू है। इसके तहत स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों को 30 प्रतिशत, देश के पिछड़े जिलों के युवाओं को 10 प्रतिशत, महिलाओं को 10 प्रतिशत, अल्पसंख्यकों के लिए 5 प्रतिशत और दिव्यांगों के लिए एक प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान था। इस तरह बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में 56 प्रतिशत आरक्षण था। साल 2018 में बांग्लादेश के युवाओं ने इस आरक्षण के खिलाफ प्रदर्शन किया। कई महीने तक चले प्रदर्शन के बाद बांग्लादेश सरकार ने आरक्षण खत्म करने का एलान किया। बीते महीने 5 जून को बांग्लादेश की सुप्रीम कोर्ट ने देश में फिर से आरक्षण की पुरानी व्यवस्था लागू करने का आदेश दिया। शेख हसीना सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील भी की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आदेश को बरकरार रखा। इससे छात्र नाराज हो गए और उन्होंने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। बांग्लादेश के विश्वविद्यालयों से शुरू हुआ ये विरोध प्रदर्शन अब बढ़ते-बढ़ते हिंसा में तब्दील हो गया है।
श्रीलंका दौरे के लिए भारतीय टीम का ऐलान, टी20 में सूर्यकुमार यादव को मिली कप्तानी, जानें उपकप्तान से भी कैसे चूके पंड्या

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भारत के श्रीलंका दौरे के लिए टीम की घोषणा हो गई है।सूर्यकुमार यादव को टी20 कप्तान बनाया गया है। बड़ी खबर ये है कि हार्दिक पंड्या अब टी20 टीम के उपकप्तान भी नहीं रहे। उनकी जगह शुभमन गिल को ये जिम्मेदारी सौंपी गई है। शुभमन गिल को वनडे टीम का भी उपकप्तान बना दिया गया है। वनडे सीरीज की बात करें तो रोहित शर्मा कमान संभालेंगे।

अगर श्रीलंका दौरे के लिए टीम इंडिया को देखें तो इसमें कई अहम बदलाव हुए हैं। सिलेक्शन कमेटी ने सूर्या पर भरोसा जताया है। सूर्या को टी20 की कप्तानी मिली है। वहीं शुभमन पर भी भरोसा जताया है। उन्हें टी20 के साथ-साथ वनडे टीम का भी उपकप्तान बनाया है। सिलेक्शन से पहले चर्चा थी कि हार्दिक पांड्या और सूर्या में कप्तानी को लेकर होड़ है। लेकिन बोर्ड ने अब इन खबरों पर विराम लगा दिया है।

रोहित शर्मा की टी20 में वापसी से पहले उनको ही अमेरिका और वेस्टइंडीज की मेजबानी में हुए विश्व कप का कप्तान माना जा रहा था। चयनकर्ताओं ने रोहित पर भरोसा जताया और हार्दिक को उप कप्तान बनाकर टी20 टीम का चयन किया। विश्व कप जीतने के बाद जब रोहित शर्मा ने इस फॉर्मेट से संन्यास की घोषणा की तो यह मान कर चला जा रहा था कि हार्दिक को ही कप्तान बनाया जाएगा।

हालांकि, चयनकर्ताओं ने चौंकाने वाला फैसला लेते हुए सूर्या को कप्तान बनाया। अब इस बारे में काफी चर्चा हो रही है कि हार्दिक को कप्तान क्यों नहीं बनाया गया। इसको लेकर इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि खिलाड़ियों के मन में हार्दिक को लेकर असहजता की भावना ने सूर्यकुमार को कप्तान बनाने में मदद की।

पांड्या की तुलना में यादव पर अधिक भरोसा

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि खिलाड़ियों के विश्वास के कारण वोट सूर्यकुमार के पक्ष में गया। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बीसीसीआई को जो 'फीडबैक' मिला, वह यह है कि खिलाड़ियों ने पांड्या की तुलना में यादव पर अधिक भरोसा किया और उनके अंदर खेलने को लेकर सहज थे। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि दो दिनों में कई घंटों तक चली चयन बैठक किसी भी अन्य बैठक के विपरीत थी, क्योंकि गर्म बहस और विचारों में मतभेद थे। उन खिलाड़ियों को कॉल किए गए, जो चयनकर्ताओं के दीर्घकालिक योजनाओं में शामिल थे।

भारत के श्रीलंका दौरे के लिए टीम की घोषणा

भारत की टी20 टीम: सूर्यकुमार यादव (कप्तान), शुभमन गिल (उपकप्तान), यशस्वी जयसवाल, रिंकू सिंह, रियान पराग, ऋषभ पंत (विकेटकीपर), संजू सैमसन (विकेटकीपर), हार्दिक पांड्या, शिवम दुबे, अक्षर पटेल, वाशिंगटन सुंदर, रवि बिश्नोई , अर्शदीप सिंह, खलील अहमद, मोहम्मद सिराज। 

वनडे टीम: रोहित शर्मा (कप्तान), शुभमन गिल (उपकप्तान), विराट कोहली, केएल राहुल (विकेटकीपर), ऋषभ पंत (विकेटकीपर), श्रेयस अय्यर, शिवम दुबे, कुलदीप यादव, मोहम्मद सिराज, वाशिंगटन सुंदर, अर्शदीप सिंह, रियान पराग, अक्षर पटेल, खलील अहमद, हर्षित राणा।

हत्या के प्रयास के बाद डोनाल्ड ट्रम्प ने दिया अपना पहला भाषण, कहा: 'ईश्वर मेरे साथ थे'

डोनाल्ड ट्रम्प ने गुरुवार को रिपब्लिकन नेशनल कन्वेंशन में मुख्य भाषण देते हुए कहा कि वे नवंबर में होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में "अविश्वसनीय जीत" हासिल करेंगे। डोनाल्ड ट्रम्प ने रिपब्लिकन पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद के लिए नामांकन स्वीकार किया, जो उनकी हत्या से बच निकलने पर उत्साहित थी और जो बिडेन के पुनर्निर्वाचन अभियान के स्पष्ट विस्फोट से उत्साहित थी। मिल्वौकी में भीड़ से डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा, "अब से चार महीने बाद, हमें एक अविश्वसनीय जीत मिलेगी," इसके बाद उन्होंने "अमेरिका के आधे हिस्से के लिए नहीं, बल्कि पूरे अमेरिका के लिए राष्ट्रपति बनने" की कसम खाई।

पिछले सप्ताहांत एक रैली के दौरान 20 वर्षीय व्यक्ति द्वारा उन पर गोली चलाने के बाद यह डोनाल्ड ट्रम्प का पहला भाषण था, जिससे उनके एक कान में मामूली चोट आई, लेकिन एक राहगीर की मौत हो गई। डोनाल्ड ट्रम्प ने हमले के अपने अनुभव का वर्णन करते हुए कहा कि हर जगह खून बह रहा था, और फिर भी, एक तरह से "मुझे बहुत सुरक्षित महसूस हुआ, क्योंकि ईश्वर मेरे साथ थे"। डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा, "अगर मैंने आखिरी क्षण में अपना सिर नहीं हिलाया होता, तो हत्यारे की गोली बिल्कुल निशाने पर लगती और मैं आज रात आपके साथ नहीं होता।" उन्होंने कहा, "मुझे आज रात यहाँ नहीं होना चाहिए था," उन्होंने आगे कहा, "मैं केवल सर्वशक्तिमान ईश्वर की कृपा से ही इस क्षेत्र में आपके सामने खड़ा हूँ। बहुत से लोग कहते हैं कि यह एक दैवीय क्षण था।" 

ट्रम्प ने कहा, "इस सप्ताह के सम्मेलन में जब वक्ता गोलीबारी पर चर्चा कर रहे थे, तब हमने ईश्वरीय हस्तक्षेप के कुछ संदर्भ सुने हैं, और ट्रम्प यहाँ भी इसी विषय पर बात कर रहे हैं।" ट्रम्प ने कहा, "मैं पूरे अमेरिका के लिए राष्ट्रपति बनने की दौड़ में हूँ, आधे अमेरिका के लिए नहीं, क्योंकि आधे अमेरिका के लिए जीतने में कोई जीत नहीं है," उन्होंने अभी भी अपने कान पर पट्टी बाँधी हुई थी। डोनाल्ड ट्रम्प ने भीड़ से "यूएसए" के नारे के बीच मंच संभाला, जिसमें लोगों ने उनके बारे में दैवीय शब्दों में बात की। वार्म-अप एक्ट में 1980 के दशक के कुश्ती आइकन हल्क होगन की शर्ट फाड़ना और षड्यंत्र सिद्धांतकार और दूर-दराज़ मीडिया गुरु टकर कार्लसन शामिल थे, जिन्होंने ट्रम्प के बचने को एक ऐतिहासिक क्षण बताया।

कार्लसन ने कहा कि हत्या के प्रयास में, ट्रम्प "एक राष्ट्र के नेता" बन गए।

78 वर्षीय ट्रम्प ने घोटालों की झड़ी को पीछे छोड़ दिया है, बिडेन से 2020 के चुनाव में अपनी हार को पलटने का उनका अभूतपूर्व प्रयास, और मई में न्यूयॉर्क आपराधिक मुकदमे में उनके 34 गुंडागर्दी के मामले के बाद अब, जब रिपब्लिकन उनके पीछे पहले से कहीं ज़्यादा एकजुट हैं, तो वे सत्ता में वापसी को लेकर तेज़ी से उत्साहित हैं।

जो बिडेन लड़खड़ा रहे हैं

शुक्रवार को, 81 वर्षीय जो बिडेन अपनी ही डेमोक्रेटिक पार्टी द्वारा वापस लेने और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस या किसी अन्य उम्मीदवार के लिए रास्ता बनाने के लिए मजबूर होने के करीब थे, क्योंकि उनके लड़खड़ाते शारीरिक स्वास्थ्य के कारण नवंबर में उन्हें हार का सामना करना पड़ सकता है।

ट्रम्प के वरिष्ठ सलाहकार जेसन मिलर ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि अगर बिडेन बाहर हो जाते हैं तो ट्रम्प के लिए "कुछ भी मौलिक रूप से नहीं बदलेगा" उनके भाषण के दौरान ट्रम्प का परिवार भी मौजूद था, उनके बेटे एरिक ने भीड़ को "लड़ो, लड़ो, लड़ो!" के नारे लगाने के लिए उकसाया

ट्रम्प की पत्नी मेलानिया, जो पूरे अभियान के दौरान ज्यादातर अनुपस्थित रही हैं, तालियों की गड़गड़ाहट के बीच पहुँचीं, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं कहा - ऐसे आयोजनों में अमेरिकी राजनीतिक परंपरा से यह एक उल्लेखनीय बदलाव है ।

पेरिस ओलंपिक के लिए भारत की ओर से जाएंगे 117 खिलाड़ी, सूची जारी

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पेरिस ओलंपिक का आगाज 26 जुलाई को हो रहा है। पेरिस ओलंपिक में भाग लेने वाले भारतीय दल की सूची जारी कर दी गई है। पेरिस ओलिंपिक में भारत के 117 खिलाड़ी हिस्सा लेंगे। खेल मंत्रालय ने इसके अलावा सपोर्ट स्टाफ के 140 सदस्यों को भी मंजूरी दी है। जिसमें खेल अधिकारी भी शामिल हैं। लंदन ओलिंपिक के ब्रॉन्ज मेडलिस्ट पूर्व शूटर गगन नारंग को दल प्रमुख बनाया गया है। 

ओलंपिक के लिए जिन खिलाड़ियों ने क्वालीफाई किया था उनमें से केवल गोला फेंक की एथलीट आभा खटुआ का नाम सूची में नहीं है। विश्व रैंकिंग के जरिए कोटा हासिल करने वाली आभा खटुआ का नाम हटाने को लेकर कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है। कुछ दिन पहले विश्व एथलेटिक्स की ओलंपिक में भाग लेने वाले खिलाड़ियों की सूची से उनका नाम हटा दिया गया था।

ऐथलेटिक्स और शूटिंग में सर्वाधिक

कुल 117 खिलाड़ियों की लिस्ट में सर्वाधिक 29 (11 महिला और 18 पुरुष) खिलाड़ी ऐथलेटिक्स के हैं। उनके बाद शूटिंग (21) और हॉकी (19) का नंबर आता है। टेबल टेनिस में भारत के आठ जबकि बैडमिंटन में दो बार की ओलिंपिक मेडलिस्ट पीवी सिंधु सहित सात खिलाड़ी भाग लेंगे। रेसिलंग (6), आर्चरी (6) और बॉक्सिंग (6) में छह-छह खिलाड़ी चुनौती पेश करेंगे। इसके बाद गोल्फ (4), टेनिस (3), स्विमिंग (2), सेलिंग (2) का नंबर आता है। घुड़सवारी, जूडो, रोइंग और वेटलिफ्टिंग में एक-एक खिलाड़ी हिस्सा लेंगे। शूटिंग टीम में 11 महिला और 10 पुरुष खिलाड़ी शामिल हैं। टेबल टेनिस में पुरुष और महिला दोनों वर्ग में चार-चार खिलाड़ी शामिल हैं। 

मीराबाई चानू एकमात्र वेटलिफ्टर

तोक्यो ओलिंपिक की सिल्वर मेडलिस्ट मीराबाई चानू दल में शामिल एकमात्र वेटलिफ्टर हैं। वह महिलाओं के 49 किग्रा वर्ग में चुनौती पेश करेंगी। तोक्यो ओलिंपिक में भारत के 119 खिलाड़ियों ने भाग लिया था जिन्होंने सात मेडल जीते थे।

पीएम मोदी की रूस यात्राः अमेरिका की धमकियों से नहीं डरता भारत

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प्रधानमंत्री मोदी की रूस यात्रा को खत्म हुए काफी समय बीत चुका है। हालांकि अब तक मीडिया में पीएम मोदी के रूस दौरे से जुड़ी खबरें जारी है। 8 जुलाई को प्रधानमंत्री मोदी रूस के दौरे पर पहुंचे थे। मॉस्को पहुंचने के बाद जब मोदी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन से मिले तो, दोनों नेताओं ने एक दूसरे को गले लगाया। इसकी चर्चा पश्चिमी देशों के साथ पूरा दुनिया में हुई। पीएम नरेंद्र मोदी की हालिया विदेश यात्राओं में सबसे ज़्यादा सुर्खियाँ बटोरने वाली यात्रा रही उनकी दो दिवसीय रूस यात्रा। इसने पश्चिमी दुनिया में एक अलग तरह की हलचल पैदा कर दी। नई दिल्ली और मॉस्को के बीच गहरे होते रिश्तों के कारण अमेरिका और यूरोपीय देश बेचैनी महसूस कर रहे हैं। 

अमेरिका ने मोदी की रूस यात्रा को लेकर आपत्ति जताई। मोदी के रूस दौरे का विरोध सिर्फ अमेरिका तक सीमित नहीं रहा। यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदिमिर जेलेंस्की ने कहा कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के नेता का दुनिया के सबसे बड़े खूनी हत्यारे को गले लगाना बेहद दुखद है। इससे यूक्रेन में शांति के प्रयासों को झटका लगा है।

पश्चिम के पास मोदी की यात्रा पर इस तरह की बाते करना का कोई ठोस कारण है नहीं। यह यात्रा तार्किक रूप से उस स्थिति का अनुसरण करती है जो भारत ने रूस के साथ अपने दीर्घकालिक संबंधों को बनाए रखने के लिए अपनाई है, यूक्रेन में रूस के सैन्य हस्तक्षेप के मद्देनजर उन्हें कमजोर करने के लिए पश्चिमी दबावों के बावजूद। अमेरिका और यूरोप ने सीधे तौर पर युद्ध में हिस्सा नहीं लिया लेकिन यूक्रेन को हर तरह की सैन्य और दूसरी तरह की मदद दी। चूंकि रूस के साथ सीधे युद्ध के भयंकर परिणाम हो सकते थे, इसलिए अमेरिका ने आर्थिक नुकसान पहुंचाने के लिए उस पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए। इनमें अंतरराष्ट्रीय भुगतान प्रणाली 'स्विफ्ट' से रूस को बाहर करना, उस देश से सामान खरीदने वाले देशों के साथ प्रतिकूल व्यवहार करना, अमेरिकी फेडरल रिजर्व सिस्टम में मास्को के विदेशी मुद्रा भंडार को जबरन जब्त करना और कई अन्य कदम शामिल थे।

अमेरिका और यूरोपीय प्रतिबंधों के कारण, रूस जिसकी अर्थव्यवस्था काफी हद तक पेट्रोलियम के निर्यात पर निर्भर थी, ने पश्चिमी ब्लॉक के बाहर के देशों को आकर्षित करने के लिए अपने तेल की कीमत में काफी कमी कर दी। ऐसी स्थिति में, भारत ने उस देश से तेल की खरीद काफी हद तक बढ़ा दी। इससे उसे काफी फायदा हुआ। अपनी लगभग 70 प्रतिशत पेट्रोलियम क्रूड जरूरतों के लिए बाकी दुनिया पर निर्भर रहने वाले भारत को लगभग 40 प्रतिशत कम कीमत पर रूसी तेल मिलना शुरू हो गया। इस प्रक्रिया में, उसने अरबों डॉलर बचाए। इसके अलावा, चूंकि रूस स्थानीय मुद्राओं में व्यापार करने के लिए तैयार था, इसलिए भारत अपने डॉलर के भंडार को बचा सकता था, क्योंकि तेल का भुगतान रुपये में किया जा रहा था। रुपये में इस समझौते से अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा मिला, जो भारत के लिए एक बड़ी राहत थी।

इन हालातों में साफ कहा जा सकता है कि अब समय बदल चुका है। भारत आर्थिक और सामरिक दोनों ही दृष्टि से मजबूत हुआ है। आज वह रक्षा वस्तुओं के मामले में काफी हद तक आत्मनिर्भर है। वह वैश्विक स्तर पर कई मिसाइल, बंदूकें और राइफलें भी निर्यात करता है। ऐसे में भारत रक्षा उत्पादन में स्थापित खिलाड़ियों से प्रतिस्पर्धा कर रहा है। आज वह अमेरिका की धमकियों के बावजूद स्वतंत्र विदेश नीति अपना रहा है, रूस से बड़ी मात्रा में तेल खरीद रहा है और रुपये में भुगतान कर रहा है। कई और देश भी अब धीरे-धीरे अमेरिकी डॉलर को छोड़ रहे हैं। भुगतान के डिजिटलीकरण के कारण आज भारत को स्विफ्ट से बाहर किए जाने जैसे अमेरिकी प्रतिबंधों का डर नहीं है।

नीट पेपर लीक मामले में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश, परीक्षा का परिणाम वेबसाइट पर अपलोड करने का निर्देश

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नीट पेपर लीक पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बड़ा आदेश दिया। नीट पेपर लीक मामले पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई। कोर्ट ने इस दौरान एनटीए को निर्देश दिया है कि वह अपनी वेबसाइट पर नीट-यूजी परीक्षा में छात्रों द्वारा प्राप्त अंकों को प्रकाशित करे और छात्रों की पहचान गुप्त रखी जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नतीजे शहर और केंद्र के हिसाब से अलग-अलग घोषित किए जाने चाहिए। साथ ही शनिवार दोपहर 12 बजे तक रिजल्ट जारी किए जाने का भी निर्देश दिया।वहीं सुप्रीम कोर्ट ने नीट-यूजी 2024 परीक्षाओं में पेपर लीक और कदाचार का आरोप लगाने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए 22 जुलाई की तारीख तय की है।

परीक्षा फिर से कराने पर क्या कहा?

इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट-यूजी 2024 को नए सिरे से कराने के लिए यह ठोस आधार होना चाहिए कि पूरी परीक्षा की शुचिता प्रभावित हुई है। सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने विवादों में घिरी राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा-स्नातक (नीट-यूजी) 2024 से जुड़ी याचिकाओं पर अहम सुनवाई की। पीठ ने परीक्षा रद्द करने, पुन: परीक्षा कराने और पांच मई को हुई परीक्षा में कथित अनियमितताओं की अदालत की निगरानी में जांच कराने का अनुरोध कर रहे याचिकाकर्ताओं से यह दिखाने के लिए कहा कि प्रश्न पत्र ‘‘व्यवस्थागत’’ तरीके से लीक किया गया और उससे पूरी परीक्षा पर असर पड़ा, इसलिए इसे रद्द करना जरूरी है।सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से यह भी कहा कि अगर आप हमारे सामने यह साबित कर देते हैं कि बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई तभी दोबारा परीक्षा कराने का आदेश दिया जा सकता है। 

अदालत ने कहा कि 131 छात्र दोबारा परीक्षा चाहते है। 254 छात्र दोबारा परीक्षा के खिलाफ है। दोबारा परीक्षा चाहने वाले 131 छात्र ऐसे हैं, जो एक लाख आठ हजार के अंदर नहीं आते और दोबारा परीक्षा का विरोध करने वाले 254 छात्र एक लाख आठ हजार के अंदर आते हैं। अगर 1 लाख 8 हजार लोगों को एडमिशन मिलता है, बाकी 22 लाख लोगों को दाखिला नहीं मिलता तो इसका मतलब ये तो नहीं कि पूरी परीक्षा को रद्द कर दिया जाए?

सुप्रीम कोर्ट नीट पर अगली और अंतिम सुनवाई सोमवार 22 जुलाई को करेगा। सीजेआई ने कहा कि दिन के 10:30 बजे हियरिंग शुरू हो जाएगी, ताकि दोपहर तक मामले का निपटारा किया जा सके। सॉल‍िसिटर जनरल ने कहा की 24 जुलाई से काउन्सलिंग शुरू करेंगे। हम ये जानकारी अदालत के संज्ञान में लाना चाहते हैं।

नीट पेपर लीक मामले में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश, परीक्षा का परिणाम वेबसाइट पर अपलोड करने का निर्देश नीट पेपर लीक पर

#neet_2024_ug_exam-paper_leak_case

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बड़ा आदेश दिया। नीट पेपर लीक मामले पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई। कोर्ट ने इस दौरान एनटीए को निर्देश दिया है कि वह अपनी वेबसाइट पर नीट-यूजी परीक्षा में छात्रों द्वारा प्राप्त अंकों को प्रकाशित करे और छात्रों की पहचान गुप्त रखी जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नतीजे शहर और केंद्र के हिसाब से अलग-अलग घोषित किए जाने चाहिए। साथ ही शनिवार दोपहर 12 बजे तक रिजल्ट जारी किए जाने का भी निर्देश दिया।वहीं सुप्रीम कोर्ट ने नीट-यूजी 2024 परीक्षाओं में पेपर लीक और कदाचार का आरोप लगाने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए 22 जुलाई की तारीख तय की है।

परीक्षा फिर से कराने पर क्या कहा?

इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट-यूजी 2024 को नए सिरे से कराने के लिए यह ठोस आधार होना चाहिए कि पूरी परीक्षा की शुचिता प्रभावित हुई है। सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने विवादों में घिरी राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा-स्नातक (नीट-यूजी) 2024 से जुड़ी याचिकाओं पर अहम सुनवाई की। पीठ ने परीक्षा रद्द करने, पुन: परीक्षा कराने और पांच मई को हुई परीक्षा में कथित अनियमितताओं की अदालत की निगरानी में जांच कराने का अनुरोध कर रहे याचिकाकर्ताओं से यह दिखाने के लिए कहा कि प्रश्न पत्र ‘‘व्यवस्थागत’’ तरीके से लीक किया गया और उससे पूरी परीक्षा पर असर पड़ा, इसलिए इसे रद्द करना जरूरी है।सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से यह भी कहा कि अगर आप हमारे सामने यह साबित कर देते हैं कि बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई तभी दोबारा परीक्षा कराने का आदेश दिया जा सकता है। 

अदालत ने कहा कि 131 छात्र दोबारा परीक्षा चाहते है। 254 छात्र दोबारा परीक्षा के खिलाफ है। दोबारा परीक्षा चाहने वाले 131 छात्र ऐसे हैं, जो एक लाख आठ हजार के अंदर नहीं आते और दोबारा परीक्षा का विरोध करने वाले 254 छात्र एक लाख आठ हजार के अंदर आते हैं। अगर 1 लाख 8 हजार लोगों को एडमिशन मिलता है, बाकी 22 लाख लोगों को दाखिला नहीं मिलता तो इसका मतलब ये तो नहीं कि पूरी परीक्षा को रद्द कर दिया जाए?

सुप्रीम कोर्ट नीट पर अगली और अंतिम सुनवाई सोमवार 22 जुलाई को करेगा। सीजेआई ने कहा कि दिन के 10:30 बजे हियरिंग शुरू हो जाएगी, ताकि दोपहर तक मामले का निपटारा किया जा सके। सॉल‍िसिटर जनरल ने कहा की 24 जुलाई से काउन्सलिंग शुरू करेंगे। हम ये जानकारी अदालत के संज्ञान में लाना चाहते हैं।

बांग्लादेश में बवाल, सड़क पर उतरे छात्र, भारत ने अपने नागरिकों के जारी की एडवाइजरी, जानें पूरा मामला

#student_protesting_in_bangladesh 

बांग्लादेश में वाल मचा हुआ है। हजारों की संख्या में छात्र सड़कों पर उतर आए हैं। आरक्षण की मांग को लेकर हजारों छात्र सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। अब इस प्रर्दशन ने अपना हिंसक रूप ले लिया है। बुधवार 18 जुलाई को आरक्षण को लेकर बवाल खड़ा हो गया है। प्रदर्शन के दौरान छात्रों के बीच झड़प हो गई, जिसमें 6 लोगों की गोली लगने से मौत हो गई और 400 घायल हो गए।

ये झड़पें सोमवार को शुरू हुईं, जब सत्तारूढ़ अवामी लीग के छात्र मोर्चे के कार्यकर्ता प्रदर्शनकारियों के सामने आ गए।प्रदर्शनकारियों ने सत्तारूढ़ पार्टी की छात्र शाखा, बांग्लादेश छात्र लीग पर पुलिस के समर्थन से उनके शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन पर हमला करने का आरोप लगाया। प्रदर्शनकारी इस बात पर जोर दे रहे थे कि मौजूदा आरक्षण व्यवस्था सरकारी सेवाओं में मेधावी छात्रों के नामांकन को काफी हद तक रोक रही है।

हिंसा के कारण सरकार ने मंगलवार देर रात बांग्लादेश में सभी सरकारी और निजी विश्वविद्यालयों के साथ-साथ स्कूलों और कॉलेजों को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया तथा छात्रों से छात्रावास खाली करने को कहा गया।

बांग्लादेश में जिस रिजर्वेशन को लेकर छात्र लामबंद हो रहे हैं, वह दरअसल कुछ साल पहले भी विरोध की जद में था। 1971 के बांग्लादेश की आजादी के युद्ध में शामिल परिवार के सदस्यों के लिए सरकारी नौकरी में एक खास फीसद आरक्षण दिया जाता है, छात्र इसे खत्म करने की मांग कर रहे हैं और केवल मेरिट के आधार पर नौकरी देने के बात कर रहे हैं। बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना ने साफ किया है कि वे इसे समाप्त नहीं करने जा रही हैं और साथ ही, इस हिंसा के चलते हुई मौतों के जिम्मेदार लोगों को जरूर सजा देंगी।

आरक्षण में सबसे ज्यादा विवाद का केंद्र रहा है- स्वतंत्रता सेनानियों का कोटा। क्योंकि, कई लोगों का मानना था कि यह हसीना की अवामी लीग पार्टी के प्रति वफादार लोगों के पक्ष में जाता है। इसी पार्टी ने बांग्लादेशी मुक्ति संग्राम का नेतृत्व किया था। मगर कोटा सीटों में बहुत सारी वैकेंसीज़ रह गईं जबकि मेरिट सूची के कई लोग बेरोजगार रह गए।

भारत ने बांग्लादेश में हो रहे विरोध-प्रदर्शन के मद्देजनर यहां रहने वाले अपने नागरिकों के लिए बृहस्पतिवार को परामर्श जारी करते हुए कहा कि वे यात्रा करने से बचें और कम से कम बाहर निकलें। भारतीय उच्चायोग ने यहां एक बयान में कहा कि बांग्लादेश में मौजूदा हालात को देखते हुए बांग्लादेश में रहने वाले भारतीय समुदाय के सदस्यों और भारतीय छात्रों को यात्रा से बचने और अपने निवास स्थान से बाहर कम से कम आवाजाही की सलाह दी जाती है।मिशन ने किसी भी सहायता के लिए 24 घंटे चालू रहने वाले कई आपातकालीन नंबर भी जारी किए हैं। उच्चायोग की वेबसाइट के अनुसार बांग्लादेश में लगभग सात हजार भारतीय हैं।