सत्ता संरक्षण के बिना मगही भाषा का विकास संभव नहीं, संविधान की 8वीं अनुसूची में किया जाए शामिल : जीतन राम मांझी
डेस्क : मगही भाषा को लेकर केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने बड़ी मांग है। उन्होंने इसे संविधान की 8वीं अनुसूची मे शामिल किये जाने की मांग की है। केन्द्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि मगही को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाए। उन्होंने कहा कि सत्ता संरक्षण के बिना मगही भाषा का विकास संभव नहीं है।
बीते रविवार को कॉलेज ऑफ कॉमर्स आर्ट्स एंड साइंस पटना में डॉ राम प्रसाद सिंह अंतरराष्ट्रीय साहित्य पुरस्कार वितरण समारोह और मगही भाषा के विकास में बाधक तत्व विषय पर विचार गोष्ठी का उद्घाटन किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि मैथिली भाषा आठवीं अनुसूची में इसलिए शामिल हो गई क्योंकि उसे सत्ता का संरक्षण प्राप्त था। मगही को सत्ता का संरक्षण दिलाने के लिए प्रयास करने की जरूरत है।
कार्यक्रम मुख्य अतिथि के रुप में शामिल हुए नेपाल के पूर्व मंत्री भरत प्रसाद साह ने कहा कि नेपाल में दस लाख से अधिक लोग मगही भाषी हैं। भाषा और संस्कृति में काफी समानताएं हैं, जरूरत विस्तार देने की है। प्रो. ललन कुमार सिंह को हिंदी, ओम प्रकाश जमुआर को मगही और हिंदी तथा नेपाल के भुवनेश्वर महतो को मगही भाषा के विकास के लिए सम्मानित किया गया।
वहीं विशिष्ट अतिथि विश्वविद्यालय सेवा आयोग के अध्यक्ष प्रो. गिरीश कुमार चौधरी ने कहा कि साहित्य के क्षेत्र में छात्रों की कम होतीरुचि चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि पाली, उर्दू, मगही, अरबी, हिन्दी और फारसी जैसे विषयों में छात्रों की दिलचस्पी कम होती जा रही है। इसलिए इन भाषाओं के शिक्षकों को इस ओर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।
पीपीयू के कुलपति प्रो. आरके सिंह ने एमयू के कुलपति से विवि और महाविद्यालयों में नाम पट्टिका मगही में लिखवाने का सुझाव दिया। मवि के कुलपति प्रो. एस पी शाही ने अगले वर्ष विवि में स्वर्गीय डॉ राम प्रसाद सिंह जयंती समारोह आयोजित करने की घोषणा की।
Jul 15 2024, 16:02