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Jul 15 2024, 16:02

गजब : बिहार का एक ऐसा गांव जहां परिवार से अधिक संख्या में है नाव, जानिए क्यों…

डेस्क : बिहार में कई ऐसे अद्भुत गांव है जो अपने नाम, संस्कृति और विशेष कारणों से अपनी अलग पहचान बनाते है। ऐसे में आज हम आपको एक ऐसे गांव के विषय में बताने जा रहे जिसकी विशेषता जानकर आप आश्चर्य में पर जाएंगे। 

बिहार के सारण प्रमंडल अंतगर्त सीवान जिले में एक ऐसा गांव है जहां परिवार की संख्या से भी अधिक नाव है। इस गांव का नाम है तीर बलुआ गांव है। गंडक और सरयू नदी के तट पर स्थित इस गांव में परिवार की संख्या 120 है। लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि इससे अधिक यहां नाव की संख्या है। इस गांव में तकरीबन 150 नाव है। 

अब आप यह समझ रहे होंगे कि यह इस गांव में निवास करने वाले लोगों का शौक होगा, लेकिन ऐसा नहीं है। यहां के लोगों के लिए नाव रखना शौक नहीं बल्कि मजबूरी है। यह गांव अपने आप में भी काफी अजूबा है। यहां के लोगों की पूरी दिनचर्या नाव पर ही व्यतीत हो जाता है। नहाने-धोने से लेकर बर्तन मांजने तक का काम नाव पर ही होता है।

तीर बलुआ गांव के एक निवासी ने बताया कि इस गांव में कुल परिवारों की संख्या 120 है। जबकि यहां नाव की 150 के आस-पास है। यानि कि यहां परिवार की संख्या से अधिक नावों की संख्या है। यहां के लोगों के पास बाइक, कार या घोड़ा सहित अन्य साधन भले ना मिले, लेकिन प्रत्येक घर में नाव जरूर मिल जाएगा। इस गांव के लोगों की डोर नाव बन गयी है। सभी दैनिक कार्य नाव के सहारे हीं होता है। चाहे वे नहाने, कपड़ा धोने, बर्तन मांजने, खेती बाड़ी करने जाना, पशुओं के चारा लाने, फसलों को लाने, जीविका के लिए मछली पकड़ने या फिर जीवन बचाना हो, सभी काम नाव से हीं होता है।

आखिर क्या है इसकी वजह ?

स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां प्रत्येक वर्ष नदियों में पानी बढ़ने से बाढ़ आ जाता है। इस वजह से नाव ही एक सहारा बचता है। अगर नदी के तट पर रिंग बांध बन जाए तो बाढ़ की समस्या से निजात मिलेगा और बाढ़ के साथ-साथ नाव रखने की समस्या से भी निजात मिल जाएगा। ग्रामीणों ने बताया कि बाढ़ के समय आपदा विभाग या जिला प्रशासन की ओर से कोई राहत नहीं दी जाती है। बाढ़ के दिनों में फसल भी पूरी तरीके से बर्बाद हो जाता है। खाने-पीने तक के लाले पड़ने लगते हैं। जैसे-तैसे व्यवस्था की जाती है। इसके बावजूद राहत सामग्री नहीं मिल पता है।

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Jul 15 2024, 12:28

सत्ता संरक्षण के बिना मगही भाषा का विकास संभव नहीं, संविधान की 8वीं अनुसूची में किया जाए शामिल : जीतन राम मांझी

डेस्क : मगही भाषा को लेकर केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने बड़ी मांग है। उन्होंने इसे संविधान की 8वीं अनुसूची मे शामिल किये जाने की मांग की है। केन्द्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि मगही को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाए। उन्होंने कहा कि सत्ता संरक्षण के बिना मगही भाषा का विकास संभव नहीं है।

बीते रविवार को कॉलेज ऑफ कॉमर्स आर्ट्स एंड साइंस पटना में डॉ राम प्रसाद सिंह अंतरराष्ट्रीय साहित्य पुरस्कार वितरण समारोह और मगही भाषा के विकास में बाधक तत्व विषय पर विचार गोष्ठी का उद्घाटन किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि मैथिली भाषा आठवीं अनुसूची में इसलिए शामिल हो गई क्योंकि उसे सत्ता का संरक्षण प्राप्त था। मगही को सत्ता का संरक्षण दिलाने के लिए प्रयास करने की जरूरत है। 

कार्यक्रम मुख्य अतिथि के रुप में शामिल हुए नेपाल के पूर्व मंत्री भरत प्रसाद साह ने कहा कि नेपाल में दस लाख से अधिक लोग मगही भाषी हैं। भाषा और संस्कृति में काफी समानताएं हैं, जरूरत विस्तार देने की है। प्रो. ललन कुमार सिंह को हिंदी, ओम प्रकाश जमुआर को मगही और हिंदी तथा नेपाल के भुवनेश्वर महतो को मगही भाषा के विकास के लिए सम्मानित किया गया।

वहीं विशिष्ट अतिथि विश्वविद्यालय सेवा आयोग के अध्यक्ष प्रो. गिरीश कुमार चौधरी ने कहा कि साहित्य के क्षेत्र में छात्रों की कम होतीरुचि चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि पाली, उर्दू, मगही, अरबी, हिन्दी और फारसी जैसे विषयों में छात्रों की दिलचस्पी कम होती जा रही है। इसलिए इन भाषाओं के शिक्षकों को इस ओर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।

पीपीयू के कुलपति प्रो. आरके सिंह ने एमयू के कुलपति से विवि और महाविद्यालयों में नाम पट्टिका मगही में लिखवाने का सुझाव दिया। मवि के कुलपति प्रो. एस पी शाही ने अगले वर्ष विवि में स्वर्गीय डॉ राम प्रसाद सिंह जयंती समारोह आयोजित करने की घोषणा की।

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Jul 15 2024, 10:40

राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री ने किया स्वीकार, अंचल स्तरीय कार्यालयों में बड़े पैमाने पर व्याप्त है भ्रष्टाचार

डेस्क : बिहार के अंचल स्तरीय कार्यालयों में म्यूटेशन समेत जमीन से जुड़े अन्य कार्यों में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार व्याप्त है। दलालों का वर्चस्व कायम है और राजस्व कर्मचारी समेत निचले स्तर के कर्माचारी बिना पैसा लिए कोई काम नहीं करते है। इस बात को बिहार सरकार के राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री डॉ. दिलीप कुमार जायसवाल ने खुद स्वीकार किया है। 

उन्होंने कहा है कि राजस्व कर्मचारी और उनके नीचे स्तर के मुंशी और दलालों ने भू-माफियाओं के साथ मिलकर स्थिति को गंभीर बना दिया है। गरीब लोगों के भी कोई काम बिना पैसा लिये नहीं हो रहे। अंचल स्तर पर हो रहे इस भ्रष्टाचार से विभाग की बदनामी हो रही है।

मंत्री ने सर्वे प्रशिक्षण संस्थान में अपर समाहर्ताओं के साथ समीक्षा बैठक के दौरान सभी एडीएम से सवाल किया कि क्या हम भ्रष्टाचार के इस दाग से मुक्त हो सकते हैं? उन्होंने विभागीय पदाधिकारी समेत सभी एडीएम को निर्देश दिया कि मजबूत इच्छा शक्ति से इस समस्या को ठीक किया जा सकता है। मंत्री ने अफसरों से अपील की कि इस महीने से भ्रष्टाचार को 10 फीसदी कम करने का अभियान शुरू करें।

बदनामी कम करने में एडीएम पहल करें 

मंत्री ने कहा कि विभाग की बदनामी कम करने के लिए एडीएम को पहल करनी होगी। यह बदलाव एक दिन में नहीं होने वाला, लेकिन इच्छाशक्ति मजबूत हो, तो काम मुश्किल नहीं है। एडीएम का आदेश राजस्व कार्यालय में महीनों तक लंबित पड़ा रहता है। अंचलाधिकारी या भूमि सुधार उप-समाहर्ता उनका पालन नहीं करते हैं। एडीएम का डर नीचे के पदाधिकारियों तक होना चाहिए। इसके लिए वे निचले कार्यालयों की नियमित एवं सघन जांच करें। अंचल कार्यालयों में फीफो (फर्स्ट कॉम, फर्स्ट आउट) के उल्लंघन की संख्या बहुत अधिक है। अभी इसके 11 हजार 73 मामले लंबित हैं। बिना एडीएम की अनुमति के फीफो का उल्लंघन नहीं होना चाहिए। जिन अंचलों के सीओ इसका उल्लंघन करते हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।

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Jul 15 2024, 10:35

बीपीएससी तीसरे चरण की शिक्षक नियुक्ति परीक्षा में देखने को मिलेंगे कई बदलाव, जानिए पूरा डिटेल

डेस्क : प्रश्न-पत्र लीक होने से रोकने के लिए बिहार लोक सेवा आयोग अब नया प्रयोग करने की तैयारी में है। जो बीपीएससी द्वारा आयोजित तीसरे चरण की शिक्षक नियुक्ति परीक्षा में देखने को मिल सकता है। मिली जानकारी के अनुसार तीसरे चरण की शिक्षक नियुक्ति परीक्षा में प्रश्न पत्रों को लेकर नया प्रयोग करने की तैयारी में है। परीक्षा में कई तरह के बदलाव देखने को मिल सकते हैं। प्रश्न पत्र के लीक और वायरल होने से रोकने के लिए इसे कई सेट में तैयार किए जा रहे हैं। जिसमें एक ही जिले में अलग-अलग केंद्र पर प्रश्न पत्र के अलग-अलग सेट रहेंगे। प्रश्न पत्र सेट करने में भी काफी सावधानी बरती गई है। जहां से प्रश्न पत्रों की छपाई होती थी उसे भी इस बार बीपीएससी ने बदल दिया है। सभी परीक्षा केंद्रों को बदलने की भी संभावना है।

404 केन्द्रों पर होगी परीक्षा 

तीसरे चरण की शिक्षक नियुक्ति परीक्षा 19 से 22 जुलाई तक 27 जिलों के कुल 404 केंद्रों पर आयोजित होगी। इसमें छह लाख अभ्यर्थी अलग-अलग विषयों के शामिल होंगे। आयोग ने प्रवेश पत्र जारी कर दिया है। छात्रों को परीक्षा का शहर भी आवंटित कर दिया गया है। अभ्यर्थियों को परीक्षा केंद्र पर एक घंटा पहले प्रवेश मिलेगा। सभी केंद्रों पर जैमर लगाने का निर्देश दिया है। डीएम के निर्देशन में परीक्षा आयोजित होनी है।

यह होगी नई व्यवस्था

1. एक जिले में कई परीक्षा केंद्र पर प्रश्नपत्र के सेट अलग-अलग होंगे

2. जिस प्रिंटिंग प्रेस से प्रश्न पत्रों की छपाई होती थी उसे भी आयोग ने बदल दिया है।

3. पुराने सभी परीक्षा केंद्र इस बार बदले जाएंगे यानी नए सेंटर होंगे

87 हजार 774 से अधिक पदों पर होनी है भर्ती

बिहार में तीसरे चरण की शिक्षक भर्ती के तहत 87 हजार 774 से अधिक पदों को भरा जाना है। इसके लिए 4.63 लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किया है। प्राथमिक में 1,60,644, मध्य में 2,13,940, माध्यमिक में 1,44,735 और उच्च माध्यमिक में 61,986 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया है। इनमें कई अभ्यर्थियों ने कई वर्गों के लिए अलग-अलग आवेदन किया है। ऐसी स्थिति में परीक्षा में शामिल होने वाले अभ्यर्थियों की संख्या 5,81,305 के करीब है।

गौरतलब है कि शिक्षक बहाली के तीसरे चरण की परीक्षा इसी वर्ष 15 मार्च को हुई थी। परीक्षा के दिन हजारीबाग के कुर्रा, पदमा और बरही स्थित कोहिनूर होटल एवं मैरेज हॉल में झारखंड पुलिस की मदद से सघन छापेमारी की गई थी। इस दौरान पाया गया कि होटलों के कई कमरों के अलावा मैरेज हॉल में 270 से अधिक अभ्यर्थियों को बैठाकर प्रश्न पत्र का उत्तर रटवाया जा रहा था। मौके से जब्त किए गए प्रश्न पत्र का मिलान बीपीएससी कार्यालय से प्राप्त प्रश्न पत्रों से कराया गया, जो हूबहू एक जैसे पाए गए। इसके बाद परीक्षा रद्द कर दी गई थी।

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Jul 15 2024, 09:56

बिहार को उच्च शिक्षा के विकास के लिए अगले दो सालों में मिलेगे 600 करोड़, पीएम उषा को लागू करने की राज्य कैबिनेट से मिली स्वीकृति

डेस्क : बिहार को उच्च शिक्षा के विकास में अगले दो सालों में 600 करोड़ मिलने का रास्ता साफ हो गया है। प्रधानमंत्री उच्च शिक्षा अभियान (पीएम उषा) को लागू करने की राज्य कैबिनेट से स्वीकृति मिल गई है। पीएम उषा को जून, 2023 में ही राष्ट्रीय स्तर पर लॉन्च किया गया था, पर बिहार में इसे अब स्वीकृति मिली है। 

पीएम उषा के तहत राज्य के विश्वविद्यालयों और डिग्री कॉलेजों में आधारभूत संरचना, शिक्षण व्यवस्था, शोध, प्रशिक्षण आदि के विकास के लिए आर्थिक मदद मिलेगी। इसके तहत हुई खर्च की राशि में केंद्र और राज्य का हिस्सा 6040 का होगा। पीएम उषा के तहत राज्य सरकार द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के प्रावधानों को लागू किया जाना है। उच्च शिक्षा के संस्थानों में आधारभूत संरचना के विकास, परीक्षा प्रणाली में सुधार आदि इस अभियान के मुख्य उद्देश्य हैं। साथ ही राज्यों में रोजगार क्षमता बढ़ाना भी इसका मकसद है।

19 जिलों के कॉलेजों को विशेष मदद

पीएम उषा के अंतर्गत बिहार के चिह्नित 19 जिलों के कॉलेजों को विशेष मदद का प्रस्ताव है। इन जिलों में मधेपुरा, गया, किशनगंज, पूर्णियां, जमुई, औरंगाबाद, लखीसराय, खगड़िया, मुंगेर, पूर्वी चंपारण, पश्चिम चंपारण, सीतामढ़ी, सुपौल और अररिया आदि शामिल हैं।

क्या है पीएम उषा 

उच्च शिक्षा के विकास के लिए राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) को नये रूप में जून, 2023 में पीएम उषा के नाम से देश में लागू किया गया। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के आलोक में रूसा की जगह पीएम उषा लागू हुआ। अभियान के लिए राज्यों में राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद का गठन किया गया है। परिषद के माध्यम से रूसा के तहत राज्यों को आर्थिक मदद मिल रही थी। 

रूसा का दूसरा चरण वर्ष 2018 में लागू हुआ। इन दोनों चरणों में मिलने वाली राशि में बिहार का 62 करोड़ हिस्सा बकाया है। उषा कार्यक्रम को लागू नहीं किये जाने के कारण यह बकाया राशि केंद्र से नहीं मिल रही थी। अब, इस राशि की मांग राज्य उच्च शिक्षा परिषद के माध्यम से किया जाएगा। विभिन्न राज्यों में पीएम उषा वित्तीय वर्ष 2023-24 में ही लागू हो गया था। बिहार में यह इस साल से लागू हो रहा है।

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Jul 15 2024, 09:42

मौसम का हाल : पटना सहित पूरे प्रदेश में इस हफ्ते बारिश के कम आसार, फिर बढ़ेगी गर्मी

डेस्क : पिछले कुछ दिनों के प्रदेश में हो रही बारिश ने प्रदेशवासियों को प्रचंड गर्मी से राहत दी है। लेकिन एकबार फिर से उन्हें भीषण गर्मी की मार झेलनी पड़ सकती है। पटना सहित पूरे राज्य में इस सप्ताह मानसूनी बारिश के आसार नहीं है। जिस कारण अधिकतम तापमान में बढ़ोतरी होने से लोगों को बैचैन करने वाली गर्मी का एहसास होगा। 

मौसम विभाग की ओर से प्रदेश का अधिकतम तापमान 37 से 39 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने की संभावना जताई गई है। वायुमंडल में स्थानीय परिस्थितियां बनने के कारण कुछ जगहों पर गरज व चमक के साथ हल्की बारिश हो सकती है।

मौसम विभाग के अनुसार इस सप्ताह प्रदेश से मानसून की ट्रफ रेखा नहीं गुजरने और चक्रवाती परिसंचरण नहीं बनने के करण मानसून के झमाझम बारिश होने की संभावना नहीं है। हालांकि जुलाई में अब तक मानसून की अच्छी बारिश हुई है। सूबे में 20 जून को मानसून प्रवेश किया था। जिसका प्रसार पूरे बिहार में 28 जून को हुआ। जून में मानसून की बारिश सामान्य से 52 प्रतिशत कम रही। लेकिन 14 जुलाई तक मानसून की बारिश सामान्य से 9 प्रतिशत ही कम है। प्रदेश में 324 मिलीमीटर बारिश होनी चाहिए, लेकिन 296.3 मिमी ही बारिश हुई है।

वहीं मौसम विभाग ने आज सोमवार को किशनगंज जिला के एक या दो स्थानों पर बारिश का येलो अलर्ट जारी किया है। वहीं प्रदेश के उत्तर-पूर्व और दक्षिणी भागों के कुछ स्थानों में गरज व चमक के साथ हल्की बारिश की संभावना जताई है।

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Jul 14 2024, 20:06

शिक्षा विभाग के ACS डॉ. एस. सिद्धार्थ को मिली एक और बड़ी जिम्मेवारी, विभाग की ओर से अधिसूचना जारी

डेस्क : अपने साधारण जीवन शैली और काम के प्रति काफी ईमानदार छवि के लिए जाने जाने वाले वरिष्ठ आईएएस अधिकरी व बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ को एक और बड़ी जिम्मेवारी दी गयी है। 

डॉ. एस. सिद्धार्थ अनुग्रह नारायण सामाजिक संस्थान के नये निदेशक बनाये गये हैं। उन्हें इसका अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। इसे लेकर शिक्षा विभाग की ओर से अधिसूचना भी जारी कर दी गयी है।

शिक्षा विभाग की जारी अधिसूचना के अनुसार शिक्षा विभाग के सचिव बैद्यनाथ यादव को अनुग्रह नारायण सिन्हा सामाजिक अध्ययन संस्थान, पटना के अतिरिक्त प्रभार से मुक्त कर दिया गया है। वही शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव एस सिद्धार्थ को यह प्रभार दिया गया है। 

डॉ. एस सिद्धार्थ अनुग्रह नारायण सामाजिक संस्थान के नये निदेशक भी होंगे। तत्काल प्रभाव से यह आदेश लागू हो गया है।

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Jul 14 2024, 12:34

रुपौली विधानसभा उपचुनाव के परिणाम पर उपेन्द्र कुशवाहा की सामने आई प्रतिक्रिया, कहें यह बड़ी बात

डेस्क : रुपौली विधानसभा उपचुनाव का परिणाम चौकाने वाला आया है। चुनाव से पहले जहां इस सीट पर सीधा मुकाबला जदयू और राजद के बीच माना जा रहा था। वहीं इसके ठीक उलट आया है। इस सीट पर राजद और जदयू के बदले एक निर्दलिए प्रत्याशी की जीत ने सभी को चौका कर रख दिया है। इस नतीजे के आने से खुद महागठबंधन और एनडीए के प्रत्याशी और तमाम नेता भी हैरान हैं। 

निर्दलीय प्रत्याशी से लोकसभा चुनाव हारने के बाद बीमा भारती आज फिर विधानसभा चुनाव हार गयी है। रूपोली विधानसभा उपचनाव में एनडीए प्रत्याशी की हार पर राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर प्रतिक्रिया दी है।

उपेंद्र कुशवाहा ने कहा है कि रुपौली (पूर्णिया) में जद (यू.) उम्मीदवार की हार एनडीए के लिए माथे पर शिकन पैदा करने वाली है। परन्तु संतोष इस बात का है कि जनता राज्य में 2005 के पहले की स्थिति की जिम्मेवार पार्टी को बख्शने को अभी भी तैयार नहीं है। उप चुनाव का यह साफ संदेश है। 

बता दें पप्पू यादव के समर्थन के बावजूद बीमा भारती रूपौली से चुनाव नहीं जीत सकीं वही जेडीयू के कलाधर मंडल को तगड़ा झटका लगा है। निर्दलीय प्रत्याशी शंकर सिंह ने RJD के बीमा भारती और JDU के प्रत्याशी कलाधर मंडल को बुरी तरह हरा दिया। शंकर सिंह ने 68 हजार 70 वोट प्राप्त किया है। जेडीयू के कलाधर मंडल को 8 हजार 246 मतों से हराया जबकि आरजेडी की बीमा भारती को 37 हजार 451 वोटों से हराने का काम किया।

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Jul 14 2024, 10:41

बिहार के सुधा उत्पाद की विदेशों में बढ़ी मांग, अब पांच उत्पादों को निर्यात करने की तैयारी

डेस्क : बिहारी की सबसे बड़ी डेयरी उत्पाद करने सुधा के प्रॉडक्ट की विदेशों में मांग बढ़ी है। अमेरिकी इसके उत्पाद के मुरीद हो गए है। दरअसल हाल ही में न्यूयार्क में लगी प्रदर्शनी में बिहारी डेयरी उत्पाद को अमेरिकी लोगो ने काफी पसंद किया। जिसके बाद लोगों ने वहां के बाजारों में सुधा उत्पाद उतारने का आग्रह किया है। 

अमेरिका के लोगो की मांग से उत्साहित बिहार राज्य दुग्ध सहकारी संघ लिमिटेड (कॉम्फेड) ने फिलहाल अपने पांच उत्पादों को निर्यात करने की तैयारी की है। इसके लिए फिलहाल अत्याधुनिक मशीनों से लैस नालंदा के साथ ही बरौनी व सीतामढ़ी डेयरी का चयन किया गया है। यहां के पांच उत्पादों घी, गुलाबजामुन, सोनपापड़ी, लस्सी व छांछ को निर्यात करने की तैयारी शुरू कर दी गयी है। 

नालंदा डेयरी ने निर्यात प्रमाणन के लिए एक्सपोर्ट काउंसिल ऑफ इंडिया (ईसीआई) को आवेदन किया है। ईसीआई की शर्तों के अनुरूप उत्पादों के निर्माण की बारीकी जांच के लिए शीघ्र ही टीम बिहारशरीफ आने वाली है। सूबे की अन्य डेयरियों को भी निर्यात की शर्तों पर खरा उतरने की तैयारी में जुटने का आदेश दे दिया गया है। इसके लिए कॉम्फेड स्तर से भी निगरानी रखी जा रही है।

निर्यात के लिए ये प्रमाणपत्र लेना जरूरी

आयात-निर्यात प्रमाणपत्र, पंजीकरण-सह-सदस्यता प्रमाणपत्र, जीएसटी पंजीकरण, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण का लाइसेंस होना अति आवश्यक है। इन प्रमाणपत्रों के लिए तीनों डेयरियों को जल्दबाजी करने को कहा गया है। 

नालंदा डयरी के महाप्रबंधक मो. मजिउद्दीन ने बताया कि टेट्रा पैक में लस्सी, छांछ व घी के निर्यात के लिए अनुमति मांगी गयी है।

कॉम्फेड के प्रबंध निदेशक रमेश कुमार मिश्रा ने कहा है कि बिहार के दुग्ध उत्पादकों की आय बढ़ाने के लिए कॉम्फेड कई नई योजनाओं पर काम कर रही है। इसी कड़ी में यहां के डेयरी उत्पादों के निर्यात की तैयारी शुरू की गयी है। उम्मीद है कि मल्टीनेशनल क्वालिटी कंट्रोल की जांच में सुधा के उत्पाद पूरी तरह खरे उतरेंगे।

भारत के टॉप टेन दूध उत्पादक राज्य

गौरतलब है कि दूध उत्पादन में बिहार नौवें स्थान पर है। टॉप टेन दूध उत्पादक राज्यों में उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, आंध्र प्रदेश, पंजाब, महाराष्ट्र, हरियाणा, बिहार, कर्नाटक के नाम शुमार हैं। बिहार में प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता 400 ग्राम रोजाना है। ये राष्ट्रीय औसत से मात्र 44 ग्राम कम है।

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Jul 14 2024, 10:25

जदयू के राष्ट्रीय महासचिव बनने के बाद पहली बार पार्टी कार्यालय पहुंचे मनीष कुमार वर्मा, सीएम नीतीश कुमार को लेकर कही यह बड़ी बात

डेस्क : जदयू के राष्ट्रीय महासचिव बनने के बाद बीते शनिवार को पहली बार मनीष कुमार वर्मा राजधानी पटना स्थित पार्टी के प्रदेश कार्यालय पहुंचे। जहां उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर बहुत बड़ी बात कही। उन्होंने कार्यकर्ताओं की भी जमकर ताऱीफ की। 

मनीष कुमार वर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने 18 वर्षों के कार्यकाल में बिहार की तस्वीर बदल दी। शिक्षा व स्वास्थ्य समेत तमाम क्षेत्र में अभूतपूर्व परिवर्तन हुए हैं। वहीं उन्होंने कार्यकर्ताओं की जमकर तारीफ करते हुए कहा कि कार्यकर्ताओं के बदौलत ही नीतीश कुमार जनता की सेवा कर रहे है। 

श्री वर्मा ने दावा किया कि 2025 के विधान सभा चुनाव में एनडीए की बड़ी जीत होगी।नीतीश कुमार के नेतृत्व में 2025 में बहुमत के साथ बिहार में एनडीए की सरकार बनेगी।