30 जून का इतिहास : 1894 में आज ही के दिन पेरिस में हुई थी अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति की स्थापना

नयी दिल्ली :* 30 जून का इतिहास काफी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि 1894 में आज ही के दिन सोलबॉन पेरिस में अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति की स्थापना हुई थी। 1938 में 30 जून को ही बच्चों का पसंदीदा कार्टून चरित्रों में शुमार सुपरमैन पहली बार कॉमिक्स के पन्नों पर आया था। 

1947 में आज ही के दिन भारत के विभाजन की घोषणा के बाद बंगाल और पंजाब के लिए बाउंड्री कमीशन के सदस्यों की घोषणा थी।

30 जून का इतिहास काफी महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि 2000 में आज ही के दिन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने अमेरिका में डिजिटल हस्ताक्षर को कानूनी मान्यता दी थी। 2012 में आज ही के दिन मोहम्मद मुर्सी मिस्र के राष्ट्रपति बने थ्

2012 में 30 जून को ही मोहम्मद मुर्सी मिस्र के राष्ट्रपति बने थे।

2005 में आज ही के दिन ब्राजील ने कनफ़ेडरेशन फ़ुटबाल कप जीता था।

2005 में आज ही के दिन स्पेन ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दी थी।

2000 में 30 जून को ही अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने अमेरिका में डिजिटल हस्ताक्षर को कानूनी मान्यता दी थी।

1997 में आज ही के दिन हांगकांग से ब्रिटिश हुकूमत खत्म हुई थी।

1960 में 30 जून को ही अमेरिका ने क्यूबा से चीनी का आयात बंद करने का फैसला किया था।

1938 में आज ही के दिन कार्टून सुपरमैन पहली बार कॉमिक में नजर आया था।

1894 में 30 जून के दिन ही लंदन में टॉवर ब्रिज काे खोला गया था। 

1894 में आज ही के दिन सोलबॉन पेरिस में अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति की स्थापना हुई थी।

1876 में 30 जून को ही सर्बिया ने तुर्की के खिलाफ युद्ध की घोषणा की थी।

1868 में आज ही के दिन क्रिस्टोफर श्लेस ने टाइपराइटर के लिए पेटेंट अधिकार हासिल किया था।

1294 में 30 जून को ही स्विट्जरलैंड के बर्ने प्रांत से यहूदियों को बाहर निकाला गया था।

झारखंड क्षेत्रीय कार्यकर्ता प्रतियोगिता परीक्षा के लिए नोटिफिकेशन जारी, 510 पदों के लिए आवेदन 1 अगस्त से


 नई दिल्ली:- दसवीं उत्तीर्ण अभ्यर्थियों के लिए सरकारी नौकरी पाने का सुनहरा मौका है। झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) की ओर से झारखंड क्षेत्रीय कार्यकर्ता प्रतियोगिता परीक्षा 2024 के लिए नोटिफिकेशन जारी कर भर्ती का एलान किया गया है। अधिसूचना के मुताबिक इस भर्ती के लिए आवेदन प्रक्रिया 1 अगस्त 2024 से शुरू की जाएगी।

आवेदन शुरू होते ही अभ्यर्थी ऑनलाइन माध्यम से जेएसएससी की ऑफिशियल वेबसाइट jssc.nic.in पर जाकर फॉर्म भर सकेंगे। आवेदन की लास्ट डेट 31 अगस्त 2024 तय की गई है। एप्लीकेशन फॉर्म भरने से पहले उम्मीदवार पात्रता एवं मापदंड की जांच अवश्य कर लें।

कौन ले सकेगा इस भर्ती में भाग

इस भर्ती में आवेदन के लिए अभ्यर्थी ने आवेदन प्राप्त होने की अंतिम तिथि तक मान्यता प्राप्त शैक्षिणक संस्थान से न्यूनतम मैट्रिक/ 10वीं कक्षा उत्तीर्ण होना आवश्यक है। इसके साथ ही अभ्यर्थी की न्यूनतम आयु 18 वर्ष से कम और अधिकतम आयु 35 वर्ष से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। आरक्षित वर्ग से आने वाले उम्मीदवारों को आयु सीमा में निर्धारित वर्षों की छूट दी जाएगी। आयु की गणना 1 अगस्त 2024 को ध्यान में रखकर की जाएगी।

आवेदन शुल्क

इस भर्ती में आवेदन के लिए अभ्यर्थियों को 100 रुपये शुल्क के रूप में भुगतान करना होगा। एससी/ एसटी वर्ग के अभ्यर्थियों को 50 रुपये जमा करना होगा। आवेदन शुल्क ऑनलाइन माध्यम से जमा किया जा सकेगा।

भर्ती विवरण

इस भर्ती के माध्यम स कुल 510 रिक्त पदों पर नियुक्तियां की जाएंगी। इसमें से अनारक्षित वर्ग के लिए 230 पद, अनुसूचित जनजाति के लिए 133 पद, अनुसूचित जाति के लिए 44 पद, अत्यंत पिछड़ा वर्ग (अनु.-1) के लिए 45 पद, पिछड़ा वर्ग (अनु.-2) के लिए 7 पद और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 51 पद आरक्षित हैं।

हरियाणा में 6 हजार कॉन्स्टेबल पदों के लिए पुनः शुरू हुए आवेदन, इन डेट्स में कर सकते हैं अप्लाई


नई दिल्ली:- पुलिस विभाग में नौकरी पाने की चाह रखने वाले युवाओं के लिए सुनहरा मौका है। हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (HSSC) की ओर से ग्रुप सी कॉन्स्टेबल के 6000 रिक्त पदों पर निकाली गई भर्ती के लिए आवेदन पुनः शुरू कर दिए गए हैं। 

यह जानकारी HSSC की ओर से नोटिफिकेशन जारी कर दी गई है। अधिसूचना के मुताबिक अभ्यर्थी इस भर्ती में शामिल होने के लिए आज यानी 29 जून 2024 से 7 जुलाई 2024 तक आवेदन प्रक्रिया पूर्ण कर सकते हैं। एप्लीकेशन फॉर्म ऑनलाइन माध्यम से HSSC की ऑफिशियल वेबसाइट www.hssc.gov.in पर जाकर भरा जा सकता है।

पात्रता एवं मापदंड

कॉन्स्टेबल पदों पर आवेदन के लिए अभ्यर्थियों का किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड/ संस्थान से 10+2 या इसके समकक्ष उत्तीर्ण होना चाहिए। इसके साथ ही अभ्यर्थी ने मैट्रिक स्तर पर हिंदी या संस्कृत एक विषय के रूप में पढ़ा हो। शैक्षिक योग्यता के अलावा आवेदन करते समय अभ्यर्थी की न्यूनतम आयु 18 वर्ष एवं अधिकतम आयु 25 वर्ष से ज्यादा न हो।आरक्षित वर्ग से आने वाले उम्मीदवारों को ऊपरी आयु में नियमानुसार छूट प्रदान की जाएगी।

कैसे करें आवेदन

इस भर्ती में आवेदन के लिए सबसे आधिकारिक वेबसाइट hssc.gov.in पर विजिट करें।

इसके बाद पब्लिक नोटिस में जाकर भर्ती से संबंधित नोटिफिकेशन पर क्लिक करें।

अब इसमें दिए गए https://adv062024.hryssc.com/ लिंक पर क्लिक करें।

नए पोर्टल पर अब आपको न्यू कैंडिडेट लिंक पर क्लिक करना है और मांगी गई डिटेल भरकर रजिस्ट्रेशन पूरा करना है।

पंजीकरण करने के बाद अभ्यर्थी रजिस्टर्ड कैंडिडेट बटन पर क्लिक करके आवेदन प्रक्रिया पूर्ण कर लें।इस भर्ती में आवेदन के साथ उम्मीदवारों को किसी भी प्रकार का शुल्क जमा नहीं करना है। भर्ती से जुड़ी अधिक जानकारी के लिए अभ्यर्थी ऑफिशियल वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं।

आज का इतिहास:सन् 2000 में आज ही के दिन विश्व की प्रमुख कंपनी IBM ने बनाया था विश्व का सबसे तेज कंप्यूटर



नयी दिल्ली ::29 जून का इतिहास काफी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि देश में हर साल 29 जून को राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस मनाया जाता है। रोज की जिंदगी में और योजना एवं डेवलपमेंट प्रोसेस में सांख्यिकी के महत्त्व के प्रति लोगों को जागरूक करना है।

1444 में आज ही के दिन सिकंदरबेग ने ऑटोमन साम्राज्य की सेना को हरा दिया था। 1613 में आज ही के दिन शेक्सिपयर का लंदन स्थित ग्लोब थियेटर आग लगने से क्षतिग्रस्त हुआ था।

29 जून का इतिहास इस प्रकार है:

2014 में 29 जून को ही सायना नेहवाल ने ऑस्ट्रेलियन सुपर सीरीज जीती थी।

2012 में आज ही के दिन हॉलीवुड अभिनेता टॉम क्रूड और उनकी पत्नी केटी होम्स का तलाक हुआ था।

2008 में 29 जून को ही जनहित फाउण्डेशन को पर्यावरण क्षेत्र का प्रसिद्ध पुरस्कार आइकॉम दिया गया था।

2005 में आज ही के दिन भारत और अमेरिका में समग्र 10 वर्षीय समझौता हुआ था।

2004 में 29 जून को ही पूर्वी एशिया सम्मलेन (जकार्ता) में आसियान को प्रमुख ताकत बनाने पर सहमति बनी थी।

2000 में 29 जून को ही विश्व की प्रमुख कंपनी IBM द्वारा विश्व का सबसे तेज कंप्यूटर बनाया गया था।

1991 में आज ही के दिन सोवियत संघ के विघटन के बाद पूर्वी देशों के सहयोग संगठन ‘कामकोन’ को भंग किया गया था।

1997 में आज ही के दिन जर्मनी में विश्वनाथन आनंद ने फ्रैंकफुर्ट चैस क्लासिक टूर्नामेंट जीता था।

1974 में 29 जून को ही सेशेल्स द्वीपसमूह को स्वतंत्रता मिली थी।

1932 में आज ही के दिन सोवियत संघ और चीन ने अनाक्रमण संधि पर हस्ताक्षर किए थे।

1888 में 29 जून को ही शास्त्रीय संगीत की पहली रिकॉर्डिंग की गई थी।

1757 में आज ही के दिन मीर जाफर ने बंगाल, बिहार और ओडिसा के नवाब की गद्दी संभाली थी।

1613 में 29 जून को ही विलियम शेक्सपियर का ग्लेाब थियेटर आग लगने से क्षतिग्रस्त हुआ था।

1444 में आज ही के दिन सिकंदरबेग ने ऑटोमन साम्राज्य की सेना को हरा दिया था।

29 जून का इतिहास : 

जन्मे प्रसिद्ध व्यक्ति

1901 में आज ही के दिन भारत के अमर शहीद प्रसिद्ध क्रांतिकारियों में से एक राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी का जन्म हुआ था।

1893 में 29 जून के दिन ही प्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिक एवं सांख्यिकीविद पी. सी. महालनोबिस का जन्म हुआ था।

1861 में आज ही के दिन हिंदी के लेखक देवकीनन्दन खत्री का जन्म हुआ था।

29 जून को हुए निधन

2016 में आज ही के दिन भारतीय मूर्तिकार और चित्रकार के.जी.सुब्रह्मण्यम का निधन हुआ था।

1873 में 29 जून के दिन ही बंगला भाषा के प्रसिद्ध कवि माइकल मधुसूदन दत्त का निधन हुआ था।

1966 में आज ही के दिन भारत के विद्वान, भाषा-वैज्ञानिक और गणितज्ञ दामोदर धर्मानंद कोसांबी का निधन हुआ था।

1961 में 29 जून के दिन ही भारत के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी और प्रथम रक्षा मंत्री रहे सरदार बलदेव सिंह का निधन हुआ था।

1931 में आज ही के दिन भारतीय साहित्यकार और पत्रकार मेहता लज्जाराम का निधन हुआ।

भारत के पांच सबसे खूबसूरत और चर्चित घाट, जहा की खूबसूरती दुनियाभर में है विख्यात,आइए जानते है क्या है इनमे खास


नयी दिल्ली : जब हम किसी जगह पर जाने की बात करते हैं, तो दर्शनीय हिल स्टेशन, खूबसूरत समुद्र के किनारे, रोमांचक जंगल, शांत द्वीप और खूबसूरत ऐतिहासिक स्थल हमारे दिमाग में आते हैं। भारत में ऐसी कई खूबसूरत और मंत्रमुग्ध करने वाली घाटियां स्थित हैं, जो भारत की सुंदरता को और बढ़ा देती हैं। वाराणसी से लेकर हरिद्वार तक, देश में कई ऐसे पवित्र घाट हैं जहां लोग डुबकी लगाने और यहां की आबोहवा को महसूस करने के लिए दुनियाभर से आते हैं. यहां पवित्र नदियों का प्रवाह सैलानियों को बरसों से आकर्षित करता रहा है. 

आइए जानते हैं देश के 5 फेमस घाटों के बारे में। यूं तो भारत में कई नदियां हैं जो पुराने शहरों से होकर गुजरती हैं. इन शहरों के लिए ये नदियां बेहद अहम रही हैं. यही वजह है कि इन शहरों से गुजरती इन नदियों के किनारे कई खूबसूरत घाट बनाए गए. इन घाटों पर आज बड़ी संख्‍या में श्रद्धालु पहुंचते हैं और अपनी आस्था व्‍यक्‍त करते हैं. 

भारत में कई ऐसे घाट हैं जहां का अपना कल्‍चर है, संगीत है और आबोहवा है. यह आबोहवा भारतीय ही नहीं, विदेशियों को भी हर साल बड़ी संख्‍या में आकर्षित करती आई है.आज हम आपको कुछ ऐसे ही खूबसूरत घाटों की जानकारी देंगे जो दुनियाभर में काफी फेमस हैं.

भारत के सबसे खूबसूरत घाट हर की पौड़ी घाट उत्तराखंड के हरिद्वार में मौजूद

हर की पौड़ी भारत के सबसे फेमस घाटों में से एक है. यह घाट अपनी खूबसूरती के साथ-साथ धार्मिक महत्‍व के लिए भी प्रचलित है. मान्‍यता है कि समुद्र मंथन के बाद निकले अमृत को लेकर जब राक्षस और देव आकाश मार्ग से जा रहे थे तब यहां पर अमृत की कुछ बूंदें गिरी थी. इसलिए इस जगह पर डुबकी लगाना पवित्र माना जाता है.

त्रिवेणी घाट ऋषिकेश : ऋषिकेश में मौजूद त्रिवेणी घाट भी भारत के सबसे प्रसिद्ध घाटों में से एक गिना जाता है. एनएफ। ऋषिकेश शहर गंगा नदी के किनारे बसा है जहां लोग पूजा-पाठ के अलावा वॉटर एक्टिविटी के लिए भी बड़ी संख्‍या में आते हैं. यहां हर मौसम में सैलानियों की भीड़ रहती है और लोग यहां के वातावरण को जमकर एन्जॉय करते हैं.

संगम घाट प्रयागराज में मौजूद

 संगम घाट को भारत का सबसे पवित्र घाटों में से एक माना जाता है जहां गंगा, यमुना और सरस्वती एक साथ मिलती हैं. इन नदियों के मिलने का स्‍थल होने की वजह से ही इसे संगम नाम से पुकारा जाता है. कुंभ के दिनों में यहां का नजारा देखने लायक होता है.

वाराणसी का अस्‍सी घाट :

यह उत्तर प्रदेश का सबसे लोकप्रिय घाट है. यहां कई फिल्‍मों की भी शूटिंग की गई है. यह जगह अपने शांत वातावरण के लिए जाना जाता है. अस्सी घाट बनारस में गंगा नदी पर बना है जहां से कई ऐतिहासिक मंदिरों का नजारा देखने को मिलता है. इस घाट पर सूर्योदय के समय बोट पर बैठकर सवारी करना वाकई कमाल का अनुभव होता है.

भेड़ाघाट मध्य प्रदेश: भेड़ाघाट मध्य प्रदेश के सबसे खूबसूरत घाटों में गिना जाता है. यह जबलपुर संभाग में स्थित है और अपनी खूबसूरती के लिए दुनियाभर में फेमस है. यह शहर से लगभग 20 से 25 किलोमीटर की दूरी पर नर्मदा नदी पर बना है. यह संगमरमर की चट्टानों से घिरा है जहां गर्मियों में नाव करना बेहतरीन अनुभव देता है।

बीपीएससी असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती के लिए एप्लीकेशन प्रॉसेस स्टार्ट, 26 जुलाई तक कर सकते हैं अप्लाई

 नई दिल्ली:- बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन (BPSC) की ओर से कई डिपार्टमेंट में असिस्टेंट प्रोफेसर पदों पर भर्ती के लिए आवेदन प्रक्रिया 25 जून 2024 से शुरू कर दी गई है। जो भी अभ्यर्थी असिस्टेंट प्रोफेसर बनना चाहते हैं उनके लिए यह सुनहरा मौका है। इच्छुक अभ्यर्थी इस भर्ती में शामिल होने के लिए ऑनलाइन माध्यम से बीपीएससी की ऑफिशियल वेबसाइट bpsc.bih.nic.in पर जाकर फॉर्म भर सकते हैं।

 एप्लीकेशन फॉर्म भरने की अंतिम तिथि 26 जुलाई 2024 तय की गई है। फॉर्म भरने से पहले उम्मीदवार पात्रता की जांच अवश्य कर लें।

कौन कर सकता है आवेदन

इस भर्ती में फॉर्म भरने के लिए उम्मीदवार का किसी मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी/ संस्थान से एमडी/ एमएस/ डीएनबी उत्तीर्ण किया हो। इसके साथ ही अभ्यर्थी के पास निर्धारित वर्ष कार्य करने के अनुभव भी होना चाहिए। शैक्षिक योग्यता के अलावा अभ्यर्थी की अधिकतम आयु 45 वर्ष से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। पिछड़ा वर्ग एवं अत्यन्त पिछड़ा वर्ग के लिए ऊपरी आयु 48 वर्ष और एससी/ एसटी/ राज्य में स्वास्थ्य सेवा में कार्यरत अभ्यर्थियों के लिए 50 वर्ष निर्धारित की गई है।

इस भर्ती में आवेदन के लिए अनारक्षित श्रेणी से आने वाले उम्मीदवारों को 100 रुपये और एससी/ एसटी/ सभी वर्ग की महिला अभ्यर्थियों को 25 रुपये का भुगतान करना होगा। इन श्रेणियों के इतर सभी लोगों को 100 रुपये एप्लीकेशन फीस जमा करनी होगी।

दिल्ली:दिल्ली में मानसून की पहली बारिश ने थामी दिल्ली की रफ्तार,एयरपोर्ट पर बड़ा,डूबा मिंटो ब्रिज...


 

नई दिल्ली : दिल्ली में आज की तेज बारिश ने लोगों को गर्मी से राहत जरूर दी. लेकिन दिल्ली की बारिश लोगों के लिए मुसीबत बनकर आई. दिल्ली की तेज बारिश ने शहर की रफ्तार भी ब्रेक लगा दिया।

आलम ये है कि दिल्ली की लगभग सारी सड़कों से लबालब पानी भरी हुई है. सुबह से ही आईटीओ समेत दिल्ली में कई जगहों पर जाम लग गया है. 

वहीं दफ्तर के लिए निकलने वाले लोगों को कितनी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. हमेशा की तरह इस बार भी पहली बरसात में ही मिंटो ब्रिज पर पहले जैसे ही खौफनाक नजारा दिखा. सड़कों पर भरे पानी में लोग अपनी कारों और बाइको को निकालने के लिए मशक्कत करते नजर आए.

आज का इतिहास:आज ही के दिन भड़की थी पहले विश्व युद्ध की चिंगारी, जानते है 28 जून की महत्वपूर्ण घटनाएं


नयी दिल्ली : 28 जून साल 1914 विश्व इतिहास में ये तारीख एक भीषण नरसंहार की पहली चिंगारी की याद दिलाती है. आज ही के दिन साल 1914 में ऑस्ट्रिया-हंगरी के युवराज की आर्चड्यूक फ़र्डिनेंड और उनकी पत्नी सोफी की हत्या की गई थी. इस हत्या से ऑस्ट्रिया का राजघराना बौखला गया और उसे हत्या में सर्बिया की साजिश लग रही थी. 

ऑस्ट्रिया-हंगरी के सम्राट फ्रांत्स योजेफ ने प्रिंस की हत्या के ठीक एक महीने बाद 28 जुलाई 1914 को सर्बिया के खिलाफ युद्ध की घोषणा की. धीरे-धीरे इस युद्ध का दायरा बढ़ने लगा और यूरोप के अधिकांश देश इसमें कूद पड़े. मुख्य रूप से यह युद्ध सेंट्रल पॉवर्स यानी जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी और तुर्की के खिलाफ मित्र गुट यानी फ्रांस, ग्रेट ब्रिटेन, रूस, इटली, जापान और 1917 से अमेरिका के बीच लड़ा गया. यह युद्ध सेंट्रल पॉवर्स की हार के बाद ही खत्म हुआ. 

11 नवंबर 1918 को युद्धविराम से पहले ही जर्मनी में जन-असंतोष इतना बढ़ गया था कि सम्राट विलहेल्म द्वितीय को सिंहासन छोड़ना पड़ा और नीदरलैंड में शरण लेनी पड़ी. करीब चार साल तक चले इस महायुद्ध में 1.7 करोड़ लोगों की मौतें हुईं. इसे आधुनिक इतिहास का पहला ‘वैश्विक महाभारत’ भी कहा जा सकता है. 

इतिहास के दूसरे अंश मे बात अनोखी सर्जरी के होगी. बात है अमेरिका के रहने वाले 34 साल के थॉमस (बदला हुआ नाम) की जो अपनी लिवर की समस्या से परेशान थे. उनके लिवर का अंदरूनी हिस्सा काम नहीं कर रहा था जब उन्होंने इसकी जांच कराई तो पता चला कि उन्हें हेपेटाइटिस बी और एड्स दोनों है. ऐसे में डॉक्टरों ने उन्हें लिवर ट्रांसप्लांट करने की सलाह दी. लेकिन थॉमस को इतनी सारी बीमारियां थीं कि कोई भी डॉक्टर ट्रांसप्लांट करने को तैयार नहीं था. बाद में डॉक्टर थॉमस स्टार्जल और डॉक्टर जॉन फंग लिवर ट्रांसप्लांट करने को राजी हो गए. इन दोनों डॉक्टरों ने तय किया कि थॉमस को लंगूर का लिवर ट्रांसप्लांट किया जाएगा. उस समय तक ये माना जाता था कि लंगूर के लिवर पर HIV वायरस का असर नहीं होता. 28 जून को 1992 में डॉक्टरों की एक टीम ने आखिरकार जटिल ऑपरेशन को सफल अंजाम दिया. इस तरह थॉमस को 15 साल के एक लंगूर का लिवर ट्रांसप्लांट किया गया. लेकिन ऑपरेशन के महज 26 दिन बाद थॉमस की ब्रेन हैमरेज से मौत हो गई।

इतिहास के तीसरे अंश में बात क्वीन विक्टोरिया की करेंगे. 28 जून साल 1838 में क्वीन विक्टोरिया का राज्याभिषेक किया गया था. 20 जून 1837 को ब्रिटेन के किंग विलियम IV का निधन हो हुआ था किंग विलियम की कोई संतान नहीं थी, इस वजह से विक्टोरिया को ब्रिटेन की रानी बनाया गया. इस तरह महज 19 साल की उम्र में विक्टोरिया के हाथों में ब्रिटेन की कमान आ गई थी. 

बता दें विक्टोरिया 63 सालों तक ब्रिटेन की महारानी रहीं. उनके कार्यकाल में ब्रिटेन ने हर क्षेत्र में तरक्की की और एक विश्व शक्ति के रूप में उभरा. कहा जाता है कि रानी ने अपने कार्यकाल में एक चौथाई दुनिया पर राज किया था।

देश- दुनिया में 28 जून का इतिहास 

2012: तीन दशक से पाकिस्तान की जेल में बंद सुरजीत सिंह को पाकिस्तान ने भारत को सौंपा. 

2009: भारत के अलग-अलग शहरों में समलैंगिकता को लीगल करने के लिए गे प्राइड परेड का आयोजन किया गया. 

1926: गोटलिब डैमलर और कार्ल बेन्ज ने दो कंपनियों का विलय कर मर्सिडीज-बेंज की शुरुआत की. 

1921: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव का आंध्रप्रदेश में जन्म हुआ. 

1846: एडोल्फ सैक्स ने वाद्य यंत्र सेक्सोफोन का पेटेंट कराया.

NEET पेपर लीक; प्रयागराज के डॉक्टर ने बेटे की जगह सॉल्वर बैठाया, अब पिता-पुत्र फरार_

प्रयागराजः नीट पेपर लीक मामले में प्रयागराज से भी कनेक्शन सामने आया है. प्रयागराज के एक डॉक्टर के बेटे ने अपनी जगह दूसरे अभ्यर्थी को बैठाया था. 

मुन्नाभाई का पता चलने के बाद जांच को आगे बढ़ाने के लिए बिहार पुलिस ने प्रयागराज के यमुना नगर इलाके में छापेमारी की थी.

 हालांकि छापेमारी से पहले ही डॉक्टर और उसका बेटा फरार हो चुके थे. जिनकी तलाश में आई बिहार पुलिस को खाली हाथ वापस जाना पड़ा.

आरपी पांडेय के बेटे की जगह जोधपुर के एमबीबीएस छात्र दे रहा था परीक्षा

जानकारी के मुताबिक, नैनी इलाके में अक्षयवट हॉस्पिटल एंड ट्रामा सेंटर के संचालक%% ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. आरपी पांडेय ने अपने बेटे राज पांडेय को नीट की परीक्षा पास करवाने के लिए सॉल्वर गैंग से संपर्क किया था आरपी पांडेय के बेटे का सेंटर बिहार के मुजफ्फरपुर के डीएवी कॉलेज में था. इसके बाद जोधपुर एम्स के एमबीबीएस छात्र हुकमा राम को डॉक्टर के बेटे की जगह परीक्षा देने के लिए तैयार किया ओपीगया उसका फर्जी आधार कार्ड भी साल्वर गैंग ने ही बनवाया था. लेकिन परीक्षा देते हुए समय सॉल्वर हुकमा राम पकड़ लिया गया था.

पूछताछ के दौरान प्रयागराज के ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. आरपी पांडेय के बारे में जानकारी दी थी. उसने यह भी बताया था कि साल्वर गैंग ने उसे डॉक्टर के बेटे राज पांडेय की जगह परीक्षा देने के लिए 4 लाख रुपए दिए गए थे. वहीं, हुकमा राम लापरवाही का फायदा उठाते हुए मौके से फरार हो गया था.

मुन्ना भाई के फरार होने के बाद प्रयागराज आयी थी पुलिस

इसके बाद बिहार के मुजफ्फरपुर की पुलिस ने हफ्ते भर पहले प्रयागराज के नैनी इलाके में छापेमारी की थी. लेकिन छापेमारी से पहले डॉक्टर आरपी पांडेय और उसका बेटा राज पांडेय दोनों फरार हो चुके थे.

 बिहार पुलिस ने आरोपी डॉक्टर के अस्पताल के स्टाफ से उनके बारे में पूछताछ की लेकिन किसी ने डॉक्टर और उसके बेटे के बारे में कुछ खास जानकारी नहीं दी. बल्कि उनकी तरफ से बताया गया कि डॉक्टर कई दिनों से अस्पताल नहीं आ रहे हैं. इसके साथ ही उनका मोबाइल भी स्विच ऑफ है।

आरोपियों की तलाश में अलग अलग राज्यों में छापेमारी

प्रयागराज के रहने वाले डॉक्टर के बेटे की जगह दूसरे को परीक्षा में बैठाए जाने के मामले को लेकर बिहार पुलिस ने प्रयागराज से लेकर जोधपुर तक आरोपियों की तलाश में छापेमारी की है. बिहार के मुजफ्फरपुर की पुलिस प्रयागराज में जहां अभ्यर्थी और उसके पिता को पुलिस तलाश रही है. वहीं, राजस्थान के जोधपुर में मेडिकल की पढ़ाई करने वाले मुन्नाभाई हुकमा राम की तलाश में दबिश दिया गया, लेकिन वो भी फरार है।  

डॉक्टर के पकड़े जाने के बाद पेपर लीक गैंग से जुड़े कई अहम खुलासे भी हो सकते हैं. जिस कारण पुलिस की टीमें लगातार इन आरोपियों की तलाश में अलग अलग स्थानों पर छापेमारी की जा रही है।

आज का इतिहास : सूअर के बाल को हड्डी पर चिपकाकर बना था पहला टूथब्रश, 523 साल पहले चीन के राजा ने कराया था इसे पेटेंट


नयी दिल्ली : सुबह उठते से ही सबसे पहला काम ब्रश करना होता है। क्या आप जानते हैं कि आज के दिन से ब्रश का इतिहास भी जुड़ा है। आज ही के दिन 1498 में चीनी शासक होंगझी ने टूथब्रश का पेटेंट कराया था।

वैसे तो दांत साफ करने का इतिहास काफी पुराना है। कहा जाता है कि 3000 BC में लोग दांतों को चमकदार बनाने के लिए पेड़ की पतली डाली का इस्तेमाल करते थे। 1600 BC के आसपास चीनी लोग खुशबूदार पेड़ों की डालियों का इस्तेमाल करने लगे। इससे दांत तो साफ होने लगे साथ ही सांसों की बदबू की समस्या से भी निजात मिली।

इसी समय लोगों ने जानवरों के बालों को एक लकड़ी के हत्थे पर लगाकर उससे ब्रश करना शुरू किया। अभी तक टूथपेस्ट नहीं बना था। लोग टूथपेस्ट की जगह मिट्टी, राख, अंडे के छिलकों का पेस्ट और कई तरह की चीजों का इस्तेमाल करते थे।

साल 1498 में चीन के मिंग वंश के राजा होंगझी ने सूअर के बालों से पहला टूथब्रश बनाया था। इन बालों को एक हड्डी या लकड़ी पर लगाया गया था। इसका फायदा ये था कि ये दांतों की ज्यादा बेहतर तरीके से सफाई कर सकता था।

इसके बाद टूथब्रश का इस्तेमाल बढ़ने लगा और दुनियाभर में होंगझी का बनाया ये टूथब्रश इस्तेमाल होने लगा। 1690 में पहली बार इसके लिए टूथब्रश शब्द का इस्तेमाल किया गया था। एंथनी वुड नाम के एक शख्स ने अपनी आत्मकथा में लिखा था कि उसने एक दूसरे आदमी से टूथब्रश खरीदा। कहा जाता है कि टूथब्रश शब्द का ये पहली बार इस्तेमाल था।

साल 1780 में विलियम एडिस ने पहली बार बड़े पैमाने पर टूथब्रश को बनाने का काम शुरू किया। उन्होंने इस ब्रश में घोड़े के बालों का इस्तेमाल किया था। कहा जाता है कि विलियम को टूथब्रश बनाने का आइडिया जेल में रहने के दौरान आया था।

दरअसल, उस समय जेल में रह रहे कैदी दांत साफ करने के लिए मिट्टी और राख का ही इस्तेमाल किया करते थे। विलियम ने एक हड्डी में ग्लू की मदद से बालों को चिपका दिया और इस तरह ब्रश तैयार हो गया। विलियम जब जेल से बाहर निकले तो उन्होंने टूथब्रश बनाने का काम शुरू कर दिया। आज उनकी विस्डम टूथब्रश नाम से कंपनी है।

1844 में पहली बार तीन लाइन वाला टूथब्रश बनाया गया। अभी तक टूथब्रश की डिजाइन और मटेरियल में ज्यादा बड़े बदलाव नहीं हुए थे। साल 1935 में वालेस कैरोथर्स ने एक सुपर पॉलिमर बनाया जिसे नायलोन नाम दिया गया।

इसके बाद से टूथब्रश में जानवरों के दांतों की जगह नायलोन का इस्तेमाल किया जाने लगा और इसी के साथ इनका इस्तेमाल भी बढ़ गया। 1960 के दशक में बाजार में इलेक्ट्रिक टूथब्रश भी आ गए। आज हर साइज, शेप, मटेरियल के हिसाब से बाजार में टूथब्रश उपलब्ध हैं।

1995: मध्यप्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा मिला

साल 1972 में पहली बार देश में बाघों की गिनती की गई थी, उसमें पता चला कि पूरे भारत में 1827 बाघ ही बचे हैं। इसके बाद साल 1973 में 9 टाइगर रिजर्व में प्रोजेक्ट टाइगर लॉन्च किया गया। इसके तहत पूरे देश में नए-नए टाइगर रिजर्व खोले गए और बाघ की आबादी को बढ़ाने के लिए अलग-अलग प्रयास किए गए।

ये प्रोजेक्ट बेहद सफल रहा और 90 के दशक तक बाघों की आबादी 3500 से भी ज्यादा हो गई। साल 1995 में आज ही के दिन मध्यप्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा मिला। उस समय पूरे देश में सबसे ज्यादा बाघ मध्यप्रदेश के टाइगर रिजर्व में पाए गए थे।

मध्यप्रदेश के पास लगातार 16 साल तक टाइगर स्टेट का दर्जा रहा लेकिन साल 2011 में कर्नाटक ने मध्यप्रदेश से ये उपलब्धि छीन ली। उसके बाद साल 2019 में जारी हुई टाइगर सेंसस में मध्यप्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा दोबारा मिल गया।

रिपोर्ट के मुताबिक 2014 से 2018 के दौरान पूरे भारत में बाघों की आबादी 2226 से बढ़कर 2977 हो गई है। इनमें से सबसे ज्यादा 526 बाघ केवल मध्यप्रदेश में हैं। इसके बाद कर्नाटक में 524 और उत्तराखंड में 442 बाघ है। भारत में हर 4 साल में बाघों की गिनती की जाती है।

1945: संयुक्त राष्ट्र के चार्टर पर 50 देशों ने साइन किया

1910 और 1950 के बीच ही दुनिया ने दो विश्वयुद्ध की भीषण त्रासदी को देखा था। हजारों लोगों की मौत हुई और देशों को भारी आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ा। 1945 में जब द्वितीय विश्वयुद्ध खत्म हुआ तब दुनियाभर के देशों ने अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बढ़ाने के उद्देश्य से एक संगठन बनाने की तैयारी की।

यूएन चार्टर पर साइन करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति हैरी एस ट्रूमैन।

साल 1945 में अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में इंटरनेशनल आर्गनाइजेशन की एक कांफ्रेंस का आयोजन किया गया था। ये कांफ्रेंस 25 अप्रैल से 26 जून तक चली और 50 देशों के प्रतिनिधियों ने इसमें हिस्सा लिया। इस कांफ्रेंस का उद्देश्य देशों के बीच शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देना था। इस कांफ्रेंस के आखिरी दिन एक चार्टर पर दस्तखत किए गए और 24 अक्टूबर 1945 से ये चार्टर लागू हो गया। यही संगठन आगे चलकर यूनाइटेड नेशंस नाम से जाना गया। आज दुनियाभर के 193 देश यूनाइटेड नेशंस के सदस्य है। 24 अक्टूबर 1945 के दिन यूनाइटेड नेशंस का चार्टर लागू हुआ था इसलिए 24 अक्टूबर को यूनाइटेड नेशन का स्थापना दिवस मनाया जाता है।

26 जून के दिन को इतिहास में और किन-किन महत्वपूर्ण घटनाओं की वजह से याद किया जाता है…

2012: तत्कालीन वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी ने अपने पद से इस्तीफा दिया। इसी साल 25 जुलाई को वे भारत के 13वें राष्ट्रपति बने।

2000: ICC यानी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल ने बांग्लादेश को टेस्ट टीम का दर्जा दिया।

1998: माइक्रोसॉफ्ट ने विंडोज-98 रिलीज किया। इसमें पहली बार एक्सटर्नल डिवाइस को कनेक्ट करने का ऑप्शन दिया गया।

1997: हैरी पॉटर सीरीज की पहली किताब ‘हैरी पॉटर एंड द फिलोसॉफर्स स्टोन’ पब्लिश हुई।

1974: अमेरिका के ओहियो में सुपर मार्केट में खरीदारी के लिए बार कोड का पहली बार इस्तेमाल हुआ।

1977: एल्विस प्रेस्ली ने अमेरिका के इंडियाना में अपना आखिरी कॉन्सर्ट किया।

1906: फ्रांस में पहली ग्रां प्रिक्स मोटर रेस का आयोजन हुआ।