दिल्ली:दिल्ली में मानसून की पहली बारिश ने थामी दिल्ली की रफ्तार,एयरपोर्ट पर बड़ा,डूबा मिंटो ब्रिज...


 

नई दिल्ली : दिल्ली में आज की तेज बारिश ने लोगों को गर्मी से राहत जरूर दी. लेकिन दिल्ली की बारिश लोगों के लिए मुसीबत बनकर आई. दिल्ली की तेज बारिश ने शहर की रफ्तार भी ब्रेक लगा दिया।

आलम ये है कि दिल्ली की लगभग सारी सड़कों से लबालब पानी भरी हुई है. सुबह से ही आईटीओ समेत दिल्ली में कई जगहों पर जाम लग गया है. 

वहीं दफ्तर के लिए निकलने वाले लोगों को कितनी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. हमेशा की तरह इस बार भी पहली बरसात में ही मिंटो ब्रिज पर पहले जैसे ही खौफनाक नजारा दिखा. सड़कों पर भरे पानी में लोग अपनी कारों और बाइको को निकालने के लिए मशक्कत करते नजर आए.

आज का इतिहास:आज ही के दिन भड़की थी पहले विश्व युद्ध की चिंगारी, जानते है 28 जून की महत्वपूर्ण घटनाएं


नयी दिल्ली : 28 जून साल 1914 विश्व इतिहास में ये तारीख एक भीषण नरसंहार की पहली चिंगारी की याद दिलाती है. आज ही के दिन साल 1914 में ऑस्ट्रिया-हंगरी के युवराज की आर्चड्यूक फ़र्डिनेंड और उनकी पत्नी सोफी की हत्या की गई थी. इस हत्या से ऑस्ट्रिया का राजघराना बौखला गया और उसे हत्या में सर्बिया की साजिश लग रही थी. 

ऑस्ट्रिया-हंगरी के सम्राट फ्रांत्स योजेफ ने प्रिंस की हत्या के ठीक एक महीने बाद 28 जुलाई 1914 को सर्बिया के खिलाफ युद्ध की घोषणा की. धीरे-धीरे इस युद्ध का दायरा बढ़ने लगा और यूरोप के अधिकांश देश इसमें कूद पड़े. मुख्य रूप से यह युद्ध सेंट्रल पॉवर्स यानी जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी और तुर्की के खिलाफ मित्र गुट यानी फ्रांस, ग्रेट ब्रिटेन, रूस, इटली, जापान और 1917 से अमेरिका के बीच लड़ा गया. यह युद्ध सेंट्रल पॉवर्स की हार के बाद ही खत्म हुआ. 

11 नवंबर 1918 को युद्धविराम से पहले ही जर्मनी में जन-असंतोष इतना बढ़ गया था कि सम्राट विलहेल्म द्वितीय को सिंहासन छोड़ना पड़ा और नीदरलैंड में शरण लेनी पड़ी. करीब चार साल तक चले इस महायुद्ध में 1.7 करोड़ लोगों की मौतें हुईं. इसे आधुनिक इतिहास का पहला ‘वैश्विक महाभारत’ भी कहा जा सकता है. 

इतिहास के दूसरे अंश मे बात अनोखी सर्जरी के होगी. बात है अमेरिका के रहने वाले 34 साल के थॉमस (बदला हुआ नाम) की जो अपनी लिवर की समस्या से परेशान थे. उनके लिवर का अंदरूनी हिस्सा काम नहीं कर रहा था जब उन्होंने इसकी जांच कराई तो पता चला कि उन्हें हेपेटाइटिस बी और एड्स दोनों है. ऐसे में डॉक्टरों ने उन्हें लिवर ट्रांसप्लांट करने की सलाह दी. लेकिन थॉमस को इतनी सारी बीमारियां थीं कि कोई भी डॉक्टर ट्रांसप्लांट करने को तैयार नहीं था. बाद में डॉक्टर थॉमस स्टार्जल और डॉक्टर जॉन फंग लिवर ट्रांसप्लांट करने को राजी हो गए. इन दोनों डॉक्टरों ने तय किया कि थॉमस को लंगूर का लिवर ट्रांसप्लांट किया जाएगा. उस समय तक ये माना जाता था कि लंगूर के लिवर पर HIV वायरस का असर नहीं होता. 28 जून को 1992 में डॉक्टरों की एक टीम ने आखिरकार जटिल ऑपरेशन को सफल अंजाम दिया. इस तरह थॉमस को 15 साल के एक लंगूर का लिवर ट्रांसप्लांट किया गया. लेकिन ऑपरेशन के महज 26 दिन बाद थॉमस की ब्रेन हैमरेज से मौत हो गई।

इतिहास के तीसरे अंश में बात क्वीन विक्टोरिया की करेंगे. 28 जून साल 1838 में क्वीन विक्टोरिया का राज्याभिषेक किया गया था. 20 जून 1837 को ब्रिटेन के किंग विलियम IV का निधन हो हुआ था किंग विलियम की कोई संतान नहीं थी, इस वजह से विक्टोरिया को ब्रिटेन की रानी बनाया गया. इस तरह महज 19 साल की उम्र में विक्टोरिया के हाथों में ब्रिटेन की कमान आ गई थी. 

बता दें विक्टोरिया 63 सालों तक ब्रिटेन की महारानी रहीं. उनके कार्यकाल में ब्रिटेन ने हर क्षेत्र में तरक्की की और एक विश्व शक्ति के रूप में उभरा. कहा जाता है कि रानी ने अपने कार्यकाल में एक चौथाई दुनिया पर राज किया था।

देश- दुनिया में 28 जून का इतिहास 

2012: तीन दशक से पाकिस्तान की जेल में बंद सुरजीत सिंह को पाकिस्तान ने भारत को सौंपा. 

2009: भारत के अलग-अलग शहरों में समलैंगिकता को लीगल करने के लिए गे प्राइड परेड का आयोजन किया गया. 

1926: गोटलिब डैमलर और कार्ल बेन्ज ने दो कंपनियों का विलय कर मर्सिडीज-बेंज की शुरुआत की. 

1921: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव का आंध्रप्रदेश में जन्म हुआ. 

1846: एडोल्फ सैक्स ने वाद्य यंत्र सेक्सोफोन का पेटेंट कराया.

NEET पेपर लीक; प्रयागराज के डॉक्टर ने बेटे की जगह सॉल्वर बैठाया, अब पिता-पुत्र फरार_

प्रयागराजः नीट पेपर लीक मामले में प्रयागराज से भी कनेक्शन सामने आया है. प्रयागराज के एक डॉक्टर के बेटे ने अपनी जगह दूसरे अभ्यर्थी को बैठाया था. 

मुन्नाभाई का पता चलने के बाद जांच को आगे बढ़ाने के लिए बिहार पुलिस ने प्रयागराज के यमुना नगर इलाके में छापेमारी की थी.

 हालांकि छापेमारी से पहले ही डॉक्टर और उसका बेटा फरार हो चुके थे. जिनकी तलाश में आई बिहार पुलिस को खाली हाथ वापस जाना पड़ा.

आरपी पांडेय के बेटे की जगह जोधपुर के एमबीबीएस छात्र दे रहा था परीक्षा

जानकारी के मुताबिक, नैनी इलाके में अक्षयवट हॉस्पिटल एंड ट्रामा सेंटर के संचालक%% ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. आरपी पांडेय ने अपने बेटे राज पांडेय को नीट की परीक्षा पास करवाने के लिए सॉल्वर गैंग से संपर्क किया था आरपी पांडेय के बेटे का सेंटर बिहार के मुजफ्फरपुर के डीएवी कॉलेज में था. इसके बाद जोधपुर एम्स के एमबीबीएस छात्र हुकमा राम को डॉक्टर के बेटे की जगह परीक्षा देने के लिए तैयार किया ओपीगया उसका फर्जी आधार कार्ड भी साल्वर गैंग ने ही बनवाया था. लेकिन परीक्षा देते हुए समय सॉल्वर हुकमा राम पकड़ लिया गया था.

पूछताछ के दौरान प्रयागराज के ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. आरपी पांडेय के बारे में जानकारी दी थी. उसने यह भी बताया था कि साल्वर गैंग ने उसे डॉक्टर के बेटे राज पांडेय की जगह परीक्षा देने के लिए 4 लाख रुपए दिए गए थे. वहीं, हुकमा राम लापरवाही का फायदा उठाते हुए मौके से फरार हो गया था.

मुन्ना भाई के फरार होने के बाद प्रयागराज आयी थी पुलिस

इसके बाद बिहार के मुजफ्फरपुर की पुलिस ने हफ्ते भर पहले प्रयागराज के नैनी इलाके में छापेमारी की थी. लेकिन छापेमारी से पहले डॉक्टर आरपी पांडेय और उसका बेटा राज पांडेय दोनों फरार हो चुके थे.

 बिहार पुलिस ने आरोपी डॉक्टर के अस्पताल के स्टाफ से उनके बारे में पूछताछ की लेकिन किसी ने डॉक्टर और उसके बेटे के बारे में कुछ खास जानकारी नहीं दी. बल्कि उनकी तरफ से बताया गया कि डॉक्टर कई दिनों से अस्पताल नहीं आ रहे हैं. इसके साथ ही उनका मोबाइल भी स्विच ऑफ है।

आरोपियों की तलाश में अलग अलग राज्यों में छापेमारी

प्रयागराज के रहने वाले डॉक्टर के बेटे की जगह दूसरे को परीक्षा में बैठाए जाने के मामले को लेकर बिहार पुलिस ने प्रयागराज से लेकर जोधपुर तक आरोपियों की तलाश में छापेमारी की है. बिहार के मुजफ्फरपुर की पुलिस प्रयागराज में जहां अभ्यर्थी और उसके पिता को पुलिस तलाश रही है. वहीं, राजस्थान के जोधपुर में मेडिकल की पढ़ाई करने वाले मुन्नाभाई हुकमा राम की तलाश में दबिश दिया गया, लेकिन वो भी फरार है।  

डॉक्टर के पकड़े जाने के बाद पेपर लीक गैंग से जुड़े कई अहम खुलासे भी हो सकते हैं. जिस कारण पुलिस की टीमें लगातार इन आरोपियों की तलाश में अलग अलग स्थानों पर छापेमारी की जा रही है।

आज का इतिहास : सूअर के बाल को हड्डी पर चिपकाकर बना था पहला टूथब्रश, 523 साल पहले चीन के राजा ने कराया था इसे पेटेंट


नयी दिल्ली : सुबह उठते से ही सबसे पहला काम ब्रश करना होता है। क्या आप जानते हैं कि आज के दिन से ब्रश का इतिहास भी जुड़ा है। आज ही के दिन 1498 में चीनी शासक होंगझी ने टूथब्रश का पेटेंट कराया था।

वैसे तो दांत साफ करने का इतिहास काफी पुराना है। कहा जाता है कि 3000 BC में लोग दांतों को चमकदार बनाने के लिए पेड़ की पतली डाली का इस्तेमाल करते थे। 1600 BC के आसपास चीनी लोग खुशबूदार पेड़ों की डालियों का इस्तेमाल करने लगे। इससे दांत तो साफ होने लगे साथ ही सांसों की बदबू की समस्या से भी निजात मिली।

इसी समय लोगों ने जानवरों के बालों को एक लकड़ी के हत्थे पर लगाकर उससे ब्रश करना शुरू किया। अभी तक टूथपेस्ट नहीं बना था। लोग टूथपेस्ट की जगह मिट्टी, राख, अंडे के छिलकों का पेस्ट और कई तरह की चीजों का इस्तेमाल करते थे।

साल 1498 में चीन के मिंग वंश के राजा होंगझी ने सूअर के बालों से पहला टूथब्रश बनाया था। इन बालों को एक हड्डी या लकड़ी पर लगाया गया था। इसका फायदा ये था कि ये दांतों की ज्यादा बेहतर तरीके से सफाई कर सकता था।

इसके बाद टूथब्रश का इस्तेमाल बढ़ने लगा और दुनियाभर में होंगझी का बनाया ये टूथब्रश इस्तेमाल होने लगा। 1690 में पहली बार इसके लिए टूथब्रश शब्द का इस्तेमाल किया गया था। एंथनी वुड नाम के एक शख्स ने अपनी आत्मकथा में लिखा था कि उसने एक दूसरे आदमी से टूथब्रश खरीदा। कहा जाता है कि टूथब्रश शब्द का ये पहली बार इस्तेमाल था।

साल 1780 में विलियम एडिस ने पहली बार बड़े पैमाने पर टूथब्रश को बनाने का काम शुरू किया। उन्होंने इस ब्रश में घोड़े के बालों का इस्तेमाल किया था। कहा जाता है कि विलियम को टूथब्रश बनाने का आइडिया जेल में रहने के दौरान आया था।

दरअसल, उस समय जेल में रह रहे कैदी दांत साफ करने के लिए मिट्टी और राख का ही इस्तेमाल किया करते थे। विलियम ने एक हड्डी में ग्लू की मदद से बालों को चिपका दिया और इस तरह ब्रश तैयार हो गया। विलियम जब जेल से बाहर निकले तो उन्होंने टूथब्रश बनाने का काम शुरू कर दिया। आज उनकी विस्डम टूथब्रश नाम से कंपनी है।

1844 में पहली बार तीन लाइन वाला टूथब्रश बनाया गया। अभी तक टूथब्रश की डिजाइन और मटेरियल में ज्यादा बड़े बदलाव नहीं हुए थे। साल 1935 में वालेस कैरोथर्स ने एक सुपर पॉलिमर बनाया जिसे नायलोन नाम दिया गया।

इसके बाद से टूथब्रश में जानवरों के दांतों की जगह नायलोन का इस्तेमाल किया जाने लगा और इसी के साथ इनका इस्तेमाल भी बढ़ गया। 1960 के दशक में बाजार में इलेक्ट्रिक टूथब्रश भी आ गए। आज हर साइज, शेप, मटेरियल के हिसाब से बाजार में टूथब्रश उपलब्ध हैं।

1995: मध्यप्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा मिला

साल 1972 में पहली बार देश में बाघों की गिनती की गई थी, उसमें पता चला कि पूरे भारत में 1827 बाघ ही बचे हैं। इसके बाद साल 1973 में 9 टाइगर रिजर्व में प्रोजेक्ट टाइगर लॉन्च किया गया। इसके तहत पूरे देश में नए-नए टाइगर रिजर्व खोले गए और बाघ की आबादी को बढ़ाने के लिए अलग-अलग प्रयास किए गए।

ये प्रोजेक्ट बेहद सफल रहा और 90 के दशक तक बाघों की आबादी 3500 से भी ज्यादा हो गई। साल 1995 में आज ही के दिन मध्यप्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा मिला। उस समय पूरे देश में सबसे ज्यादा बाघ मध्यप्रदेश के टाइगर रिजर्व में पाए गए थे।

मध्यप्रदेश के पास लगातार 16 साल तक टाइगर स्टेट का दर्जा रहा लेकिन साल 2011 में कर्नाटक ने मध्यप्रदेश से ये उपलब्धि छीन ली। उसके बाद साल 2019 में जारी हुई टाइगर सेंसस में मध्यप्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा दोबारा मिल गया।

रिपोर्ट के मुताबिक 2014 से 2018 के दौरान पूरे भारत में बाघों की आबादी 2226 से बढ़कर 2977 हो गई है। इनमें से सबसे ज्यादा 526 बाघ केवल मध्यप्रदेश में हैं। इसके बाद कर्नाटक में 524 और उत्तराखंड में 442 बाघ है। भारत में हर 4 साल में बाघों की गिनती की जाती है।

1945: संयुक्त राष्ट्र के चार्टर पर 50 देशों ने साइन किया

1910 और 1950 के बीच ही दुनिया ने दो विश्वयुद्ध की भीषण त्रासदी को देखा था। हजारों लोगों की मौत हुई और देशों को भारी आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ा। 1945 में जब द्वितीय विश्वयुद्ध खत्म हुआ तब दुनियाभर के देशों ने अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बढ़ाने के उद्देश्य से एक संगठन बनाने की तैयारी की।

यूएन चार्टर पर साइन करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति हैरी एस ट्रूमैन।

साल 1945 में अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में इंटरनेशनल आर्गनाइजेशन की एक कांफ्रेंस का आयोजन किया गया था। ये कांफ्रेंस 25 अप्रैल से 26 जून तक चली और 50 देशों के प्रतिनिधियों ने इसमें हिस्सा लिया। इस कांफ्रेंस का उद्देश्य देशों के बीच शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देना था। इस कांफ्रेंस के आखिरी दिन एक चार्टर पर दस्तखत किए गए और 24 अक्टूबर 1945 से ये चार्टर लागू हो गया। यही संगठन आगे चलकर यूनाइटेड नेशंस नाम से जाना गया। आज दुनियाभर के 193 देश यूनाइटेड नेशंस के सदस्य है। 24 अक्टूबर 1945 के दिन यूनाइटेड नेशंस का चार्टर लागू हुआ था इसलिए 24 अक्टूबर को यूनाइटेड नेशन का स्थापना दिवस मनाया जाता है।

26 जून के दिन को इतिहास में और किन-किन महत्वपूर्ण घटनाओं की वजह से याद किया जाता है…

2012: तत्कालीन वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी ने अपने पद से इस्तीफा दिया। इसी साल 25 जुलाई को वे भारत के 13वें राष्ट्रपति बने।

2000: ICC यानी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल ने बांग्लादेश को टेस्ट टीम का दर्जा दिया।

1998: माइक्रोसॉफ्ट ने विंडोज-98 रिलीज किया। इसमें पहली बार एक्सटर्नल डिवाइस को कनेक्ट करने का ऑप्शन दिया गया।

1997: हैरी पॉटर सीरीज की पहली किताब ‘हैरी पॉटर एंड द फिलोसॉफर्स स्टोन’ पब्लिश हुई।

1974: अमेरिका के ओहियो में सुपर मार्केट में खरीदारी के लिए बार कोड का पहली बार इस्तेमाल हुआ।

1977: एल्विस प्रेस्ली ने अमेरिका के इंडियाना में अपना आखिरी कॉन्सर्ट किया।

1906: फ्रांस में पहली ग्रां प्रिक्स मोटर रेस का आयोजन हुआ।

के कोडिकुन्नील सुरेश को हराकर ओम बिरला बने लोकसभा स्पीकर


नयी दिल्ली : लोकसभा स्पीकर पद के लिए ओम बिरला चुने गए हैं. बीजेपी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के उम्मीदवार ओम बिरला ने कांग्रेस के कोडिकुन्नील सुरेश को बुधवार को चुनाव में हरा दिया है.

बदले गए NTA के महानिदेशक,आईएएस प्रदीप सिंह खरोला ने संभाला नए महानिदेशक का पदभार

Delhi ncr desk

नई दिल्ली :आईएएस प्रदीप सिंह खरोला को एनटीए का नया महानिदेशक बनाया गया है. हाल के दिनों में परीक्षाओं में अनियमितताओं के कारण केंद्र सरकार ने एनटीए के प्रमुख आईएएस सुबोध कुमार को उनके पद से हटा दिया और उनकी जगह प्रदीप सिंह खरोला को एनटीए के प्रमुख बनाया है. प्रदीप सिंह खरोला अभी आईटीपीओ के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक की जिम्मेदारी भी संभाल रहे हैं. 

जानें कौन हैं रिटायर्ड IAS अधिकारी प्रदीप सिंह खरोला, जिन्हें बनाया गया NTA का नया DG

1985 बैच के कर्नाटक कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी खरोला 2021 में नागरिक उड्डयन सचिव के पद से सेवानिवृत हुए थे. इसके बाद मार्च 2022 में उन्हें राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी (NRA) का अध्यक्ष नियुक्त किया गया. वर्तमान में वह आईटीपीओ के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक के रूप में भी काम करे हैं.

हेल्थ टिप्स:डायबिटीज मरीज के लिए नुकसानदायक है हेल्दी दिखने वाली ये 5 चीजें।

नयी दिल्ली : बढ़ते ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने के लिए कई छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है और जब हम ऐसा नहीं रख पाते हैं, तो डायबिटीज को कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता है। ऐसे ही कुछ फूड्स हैं जिन्हें हम हेल्दी समझ कर खाते हैं।

हेल्दी दिखने वाली चीजें जो ब्लड शुगर बढ़ाती हैं

आजकल के लाइफस्टाइल की वजह से डायबिटीज की समस्या आम हो गई है। यह बीमारी आज के समय में दिन-ब-दिन इतनी आम होती जा रही है कि लगभग आधी आबादी इसकी गिरफ्त में है या होने के खतरे में है। डायबिटीज के मरीजों को कई तरह के खाद्य पदार्थों से परहेज रखने को कहा जाता है, तो कई खाद्य पदार्थ उनके लिए बेहद जरूरी होते हैं। लेकिन समान्या और हेल्दी दिखने वाले कई खाद्य पदार्थ डायबिटीज के मरीजों के लिए नुकसानदायक साबित हो सकते हैं। इसलिए हर डायबिटीज के मरीजों के लिए कुछ खाद्य पदार्थों का सेवन सीमित करना आवश्यक है, क्योंकि ये उनके ब्लड शुगर स्तर को बढ़ा सकते हैं। 

आज हम आपको ऐसे पांच हेल्दी दिखने वाली चीजें के बारे में बताएंगे, जिन्हें डायबिटीज के मरीजों को सीमित मात्रा में खाना चाहिए या फिर उसका सेवन पूरी तरह से बंद कर देना चाहिए

सफेद चावल : सफेद चावल का ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI) अधिक होता है, जिसका मतलब है कि यह जल्दी से पचता है और रक्त शर्करा के स्तर को तेजी से बढ़ाता है। इसलिए डायबिटीज के मरीजों को सीमित मात्रा में इसका सेवन करना चाहिए।

वहीं वह सफेद चावल के बजाय, ब्राउन राइस या क्विनोआ का उपयोग कर सकते हैं, जिनमें अधिक फाइबर होता है और ये धीरे-धीरे पचते हैं, जिस कारण आपको जल्दी भूख भी नहीं लगती।

फलों का रस :

माना कि फलों का रस स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है। फलों का रस आप सब को प्राकृतिक लगता है, लेकिन इसमें उच्च मात्रा में शर्करा, जो कि डायबिटीज के मरीजों को नुकसान पहुंचा सकती है। फलों का रस बनाने के बाद उसमें फाइबर नहीं रहता, रहता है तो बस शर्करा। फलों के रस में मौजूद यह शर्करा तेजी से आपके ब्लड शुगर लेवल को बढ़ा सकती है, जिससे आपको नुकसान हो सकता है। इसलिए पूरे फल खाएं, जिसमें फाइबर भी शामिल हो और जो शर्करा के अवशोषण को धीमा कर दे।

मैदा : मैदा किसी भी रूप में अच्छा नहीं होता, खासकर डायबिटीज के मरीजों के लिए। मैदे से बनी चीजें, जैसे कि सफेद ब्रेड, पास्ता और पेस्ट्री तेजी से पचती हैं और रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ाती हैं। इसलिए डायबिटीज के मरीज इसके सेवन से बचें। आप इनके बजाय, पूरे अनाज से बनी चीजें चुनें, जिनमें अधिक फाइबर और पोषक तत्व शामिल हो।

फुल फैट मिल्क :

फुल फैट मिल्क और इससे बने उत्पादों में संतृप्त वसा की मात्रा अधिक होती है, जो इंसुलिन प्रतिरोध को बढ़ा सकती है और आपको परेशानी में डाल सकती है। इसलिए स्किम्ड मिल्क या लो-फैट डेयरी उत्पादों का चयन करें, जो संतृप्त वसा की मात्रा को कम करते हैं। इससे आप डायबिटीज के मरीज बनने से बचेंगे और अगर हैं तो आपका ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित रहेगा।

आलू :

आलू का ग्लाइसेमिक इंडेक्स उच्च होता है और इसे खाने से रक्त शर्करा के स्तर में तेजी से वृद्धि होती है। अक्सर ही डॉक्टर डायबिटीज के मरीजों को इसका सेवन करने से रोकते हैं। इसलिए आप उनकी बात सुने और इसके बजाय, मीठे आलू या अन्य गैर-स्टार्च वाली सब्जियों का सेवन करें, जिनका ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI) कम हो और वे अधिक पोषक तत्व प्रदान करें।

नसों में छुपे बैड कोलेस्ट्रॉल को साफ करेंगी ये 4 सस्ती चीजें, दिन में एक बार करें इस्तेमाल।

हेल्थ टिप्स:हेल्दी फैट से भरपूर काजू खाने से मिलते है कई फायदे


दिल्ली:- ड्राई फ्रूट में सबसे ज्यादा पसंद काजू पसंद किया जाता है।ड्राई फ्रूट्स में काजू सबसे अधिक स्वादिष्ट होता है। प्लांट बेस्ड प्रोटीन के लिए सबसे अधिक इसी पर भरोसा किया जाता है। काजू-बेस्ड दूध, दही और आइसक्रीम खूब चाव से खाया जाता है। पर काजू के सेवन से लोग डरते भी हैं। उन्हें लगता है कि काजू उनका वजन बढ़ा सकता है। 

जानकारी के अभाव में हम ऐसा सोचते हैं। इस नट्स में लाभकारी पोषक तत्वों की लंबी सूची है। हेल्दी रूप में इसे अपने नियमित भोजन में शामिल किया जा सकता है। इससे कई लाभ मिल सकते हैं।

हेल्दी फैट से भरपूर काजू

हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के अनुसार, काजू में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है। प्रोटीन एक जरूरी मैक्रोन्यूट्रिएंट है। इसलिए हर दिन विभिन्न खाद्य स्रोतों से इसकी भरपूर मात्रा प्राप्त करना जरूरी है।लगभग 18 काजू में 5 ग्राम प्रोटीन हो सकता है। यह महिलाओं की प्रोटीन जरूरतों का लगभग 11 प्रतिशत और पुरुषों के लिए 9 प्रतिशत है। काजू में स्वस्थ असंतृप्त वसा होती है। काजू में हेल्दी फैट मोनोअनसैचुरेटेड और पॉलीअनसेचुरेटेड दोनों रूप में रहता है। ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड दोनों ही पॉलीअनसेचुरेटेड फैट हैं, जो काजू को इसके बेहतरीन स्रोत बनाते हैं। काजू विटामिन के, थायमिन और विटामिन बी6 का भी स्रोत है। इसमें मैग्नीशियम, फास्फोरस, कॉपर, मैंगनीज, जिंक और आयरन भी मौजूद रहते हैं।

 काजू खाने से मिलने वाले फायदे 

1. काजू में हेल्दी फैट मोनोअनसैचुरेटेड और पॉलीअनसेचुरेटेड दोनों रूप में रहता है। हाई शुगर और कम फाइबर वाले स्टार्च खाद्य पदार्थों के स्थान पर काजू का उपयोग किया जा सकता है। यह खराब एलडीएल कोलेस्ट्रॉल (LDL) को कम करता है। यह कोलेस्ट्रॉल हृदय रोग का कारण बन सकता है। हाई कोलेस्ट्रॉल और हाई ब्लड प्रेशर की समस्या होने पर सौल्टेड काजू नहीं खाए।

2 मेंटल हेल्थ मजबूत करता है 

फ़ूड केमिस्ट्री जर्नल में प्रकाशित शोध के अनुसार, ओमेगा-3 फैटी एसिड हेल्दी ब्रेन की संरचना और फंक्शन से सकारात्मक रूप से जुड़ा हुआ है। यह मस्तिष्क में ब्लड फ्लो को बढ़ाने में मदद करता है। यह ब्रेन फ्लूइड की डेंसिटी बढ़ाता है। यह न्यूरोडीजेनेरेटिव रोग की शुरुआत को कम करता है। कोगनिटिव कार्य को बढ़ाता है और सूजन को कम करता है। काजू अमीनो एसिड ट्रिप्टोफैन का स्रोत भी है, जो न्यूरोट्रांसमीटर सेरोटोनिन के स्तर को बनाने और बढ़ाने के लिए जरूरी है। यह मूड को स्थिर करने, खुशी की भावनाओं को बढ़ाने, साउंड स्लीप में मदद करता है।

3 स्वस्थ गट के लिए जरूरी 

न्यूट्रीएंट जर्नल के अनुसार, नियमित रूप से काजू खाने से फाइबर, पॉलीफेनोल्स जैसे एंटी-इंफ्लेमेटरी प्लांट कंपाउंड मिलते हैं, जो अच्छे

 आंत स्वास्थ्य में योगदान दे सकते हैं। यह स्वस्थ माइक्रोबायोम बनाता है।

काजू में गैलेक्टो-ओलिगोसेकेराइड्स कार्बोहाइड्रेट होते हैं, जो प्रीबायोटिक के रूप में काम करता है। यह गुड पैथोजेन को पोषण देता है। यह प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार कर सूजन को कम करता है।

4 लंबे समय तक पेट भरा रखता है 

जर्नल ऑफ़ न्यूट्रिशन के अनुसार, काजू के पोषक तत्व पेट भरा हुआ महसूस कराते है। काजू के हाई प्रोटीन, हेल्दी फैट या कार्ब्स अधिक तृप्ति देते हैं। यह ब्लड शुगर लेवल को स्थिर करने के साथ-साथ वजन प्रबंधन में भी मदद कर सकता है।

क्या रोज काजू खाना सही है

काजू में ऑक्सालेट की मात्रा अधिक होती है। बहुत अधिक ऑक्सालेट वाले खाद्य पदार्थ किडनी स्टोन के कारण बनते हैं। इसलिए काजू खाने पर नियन्त्रण होना चाहिए। दूध के साथ खाने से कैल्शियम ऑक्सालेट अवशोषण को कम करने में मदद कर सकता है।

एक दिन में कितने काजू खाने चाहिए 

(3-4 cashew) 

वेट गेन से बचने के लिए प्रतिदिन 5 – 10 काजू से अधिक नहीं खाना चाहिए। वजन प्रबंधन के लिए प्रतिदिन 3-4 काजू का सेवन किया जा सकता है।

पश्चिम बंगाल रेल दुर्घटना के बाद फिर कवच सिस्टम चर्चा में,सरकार पर उठ रहे सवाल क्यों नहीं इस सिस्टम को नहीं किया जा रहा है पूरा..?


दिल्ली डेस्क 

 नई दिल्ली :भारत में ट्रेनों की सुरक्षा के लिए अचूक ‘कवच सिस्टम’ बनाया गया है, फिर भी बड़े-बड़े ट्रेन हादसे हो रहे हैं। इसका अर्थ है यह सिस्टम फेल है, या सरकार बड़ी बड़ी सब्ज़ीभाग दिखाकर जनता को धोखा दे रही है.

पश्चिम बंगाल में न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन के पास एक मालगाड़ी की टक्कर के बाद सोमवार को सियालदह जाने वाली कंचनजंगा एक्सप्रेस के कम से कम दो पिछले डिब्बे पटरी से उतर गए। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना के बाद कम से कम 15 लोगों के मरने की बात कही जा रही है और 60 लोग घायल की सूचना है । 

रेलवे के एक शीर्ष अधिकारी ने सोमवार को कहा कि कंचनजंगा एक्सप्रेस और मालगाड़ी के बीच टक्कर मानवीय भूल के कारण हुई। अधिकारी ने बताया कि मालगाड़ी के लोको पायलट ने सिग्नल की अनदेखी की। हादसे में मालगाड़ी के ड्राइवर और एक्सप्रेस ट्रेन के गार्ड की भी जान चली गई।

ट्रेन एक्सीडेंट बचाव प्रणाली

भारतीय रेलवे ने मानव त्रुटि के कारण होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए ‘कवच’ (ट्रेन टक्कर बचाव प्रणाली) नामक एक स्वदेशी स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली विकसित की गयी है। भारतीय रेलवे ने इसे RDSO (रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन) के जरिए विकसित किया है। इस पर 2012 में काम शुरू हुआ था। इस सिस्टम को विकसित करने के पीछे रेलवे का उद्देश्य यही था कि ट्रेनों के एक्सीडेंट को रोका जा सके। 

इसका पहला ट्रायल साल 2016 में किया गया था। रेलवे के मुताबिक यह सबसे सस्ता ऑटोमैटिक ट्रेन टक्कर प्रोटेक्शन सिस्टम है। प्रौद्योगिकी सुरक्षा अखंडता स्तर 4 (एसआईएल-4) प्रमाणित है, जो उच्चतम प्रमाणीकरण स्तर है। इसका अर्थ है कि 10,000 में कवच द्वारा केवल एक त्रुटि की संभावना है।

कैसे करता है यह सिस्टम

कवच उच्च आवृत्ति रेडियो संचार का उपयोग करता है और टक्करों को रोकने के लिए निरंतर अद्यतन के सिद्धांत पर काम करता है। अगर ड्राइवर इसे नियंत्रित करने में विफल रहता है तो सिस्टम ट्रेन के ब्रेक को स्वचालित रूप से सक्रिय कर देता है। 

कवच सिस्टम से लैस दो लोकोमोटिव के बीच टकराव से बचने के लिए ब्रेक भी लगाता है। जैसे ही कोई लोको पायलट सिग्नल को जंप करता है तो कवच एक्टिव हो जाता है। यह लोको पायलट को अलर्ट करना शुरू कर देता है। इसके बाद यह स्वत: ही ब्रेक्स पर कंट्रोल करना शुरू कर देता है। सिस्टम को जैसे ही पता चलता है कि ट्रैक पर दूसरी ट्रेन आ रही है तो यह पहली ट्रेन की मूवमेंट को पूरी तरीके से रोक देता है। इसकी सबसे खास बात यह भी है कि अगर कोई ट्रेन सिगनल जंप करती है तो 5 किलोमीटर के दायरे में मौजूद सभी ट्रेनों की मूवमेंट रुक जाएगी। फिलहाल यह सभी रूटों पर इंस्टॉल नहीं किया गया है।

लोकसभा में रेल मंत्री की दी गई जानकारी

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने 29 मार्च को कवच के तहत लाए गए रूटों के बारे में लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में जानकारी दी थी। मार्च तक, दक्षिण मध्य रेलवे में 1455 किमी (रूट किलोमीटर) नेटवर्क मार्ग को कवच के तहत लाया गया है, जिसमें से 576 किमी महाराष्ट्र राज्य यानी मनमाड (छोड़कर) – धामाबाद और उदगीर – परभणी खंड के अंतर्गत आता है। यह भारतीय रेलवे के कुल नेटवर्क का लगभग 2 प्रतिशत है। मार्च 2024 की लक्षित पूर्णता तिथि के साथ कवच के रोलआउट की योजना नई दिल्ली-हावड़ा और नई दिल्ली-मुंबई खंडों पर की गई है। कवच के विकास पर कुल खर्च 16.88 करोड़ रुपये है।

अब भारत और श्रीलंका के बीच समुद्र में बनेगा पुल, आवागमन की सुविधा होंगी आसान


दिल्ली डेस्क 

नई दिल्ली : भारत और श्रीलंका को आपस में जोड़ने के लिए सुमद्र पर पुल बनाने की तैयारी चल रही है।

 श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने कहा है कि भारत और श्रीलंका के बीच प्रस्तावित भूमि संपर्क को लेकर अध्ययन अंतिम चरण में है।

क्षेत्र में विकास कार्यों का निरीक्षण करने के लिए उत्तर-पूर्वी जिले मन्नार की यात्रा पर पहुंचे विक्रमसिंघे ने कहा कि व्यवहार्यता अध्ययन का प्रारंभिक कार्य पूरा हो चुका है और अंतिम चरण जल्द ही पूरा हो जाएगा।

इस प्रस्ताव और दोनों देशों के बीच पावर ग्रिड कनेक्शन की संभावना पर इस सप्ताह विदेश मंत्री एस. जयशंकर की श्रीलंका यात्रा के दौरान चर्चा होने की संभावना है।