क्या झारखंड सरकार में बढेगा बन्ना गुप्ता का कद,पिछले दिन सीएम चंपाई सोरेन के बैठक में गुप्ता को वरियता के क्रम मिले स्थान के बाद चर्चा तेज
झारखण्ड डेस्क
क्या झारखंड सरकार में कांग्रेस कोटे से मंत्री बन्ना गुप्ता का कद बढ़ेगा. इस बात का क्यास इस बात से लगाने लगा है कि मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन की अध्यक्षता में पिछले मंगलवार को प्रोजेक्ट भवन में हुई विभागों की एक समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री के ठीक बगल सीट में वरीयता क्रम में पहले आने वाले मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव की जगह मंत्री बन्ना गुप्ता को जगह दी गई। उसके बाद से यह चर्चा जोरों से है कि सरकार में मंत्री बन्ना गुप्ता का कद बढ़ने वाला है।
पहले तक चंपाई सरकार में मुख्यमंत्री के बाद वरीयता क्रम में आलमगीर आलम का स्थान होता था। मुख्यमंत्री आवास में चाहे इंडिया गठबंधन की बैठक हो या सचिवालय में विभागों की समीक्षा, सभी में मुख्यमंत्री के बगल में हमेशा आलमगीर आलम ही बैठे देखे जाते थे। मंगलवार की समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री के बगल में बन्ना बैठे न कि डॉ उरांव। समीक्षा बैठक में उपस्थित सभी आला अधिकारी भी इससे काफी अचंभित हो गए। एक अधिकारी ने बताया कि शुरुआत में मुख्यमंत्री के बगल में डॉ उरांव के बैठे जाने का नेम प्लेट लगा था। हालांकि बाद में इस नेम प्लेट की जगह मंत्री बन्ना गुप्ता का नेम प्लेट लगा दिया गया।
ओबीसी वोट बैंक साधने की कांग्रेस की बड़ी कोशिश
लोकसभा चुनाव में पांचों एसटी सीटें जीतने के बाद इंडिया गठबंधन इस बात से तो बेफ्रिक है कि नवंबर-दिसंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव में आदिवासी वोट ज्यादा से ज्यादा उनके पक्ष में ही रहेगा। गठबंधन के घटक दलों खासकर कांग्रेस पार्टी की चिंता ओबीसी वोट बैंक की है। केंद्र के मोदी कैबिनेट में जिस तरह ओबीसी वर्ग से आने वाले अन्नपूर्णा देवी और संजय सेठ को जगह दी गई, उसे देख इंडिया गठबंधन की यह चिंता और भी बढ़ गई है।
राजनीति में एक अहम वोट बैंक कुरमी की एक बड़ी आबादी एनडीए घटक दल वाली आजसू के साथ है। फिलहाल कांग्रेस के पास ओबीसी वर्ग से बन्ना गुप्ता, प्रदीप यादव, दीपिका पांडेय सिंह, अंबा प्रसाद, जयप्रकाश भाई पटेल सरीके नेता हैं।
इस बारे में जब मंत्री बन्ना गुप्ता से बातचीत करने की कोशिश की गई, तो उन्होंने बात करने से साफ इनकार कर दिया। वहीं, मंत्री रामेश्वर उरांव से भी बातचीत करने की कई बार कोशिश की गई, लेकिन बात नहीं हो सकी।
वरीयता में बन्ना पीछे, आलमगीर के बाद डॉ उरांव का स्थान
दरअसल पूर्व मंत्री आलमगीर आलम के मंत्री पद छोड़े जाने के बाद से ही कांग्रेस विधायक दल के नेता का पद खाली है। मुख्यमंत्री के बगल में बन्ना की उपस्थिति से यह संकेत मिलता है कि उन्हें यह पद दिया जा सकता है। लेकिन यहां एक तकनीकी पेच भी बन सकता है। हेमंत सोरेन के 29 दिसंबर 2019 को ली गई शपथ में उनके साथ आलमगीर आलम, डॉ रामेश्वर उरांव और सत्यानंद भोक्ता ने शपथ ली थी।
उसके करीब एक माह बाद यानी 28 जनवरी 2020 को अन्य मंत्री जिनमें बन्ना गुप्ता भी थे, ने शपथ ली। कैबिनेट में वरीयता का क्रम हमेशा शपथ लेने के आधार पर निर्धारित होता है। आलमगीर के हटने के बाद वरीयता के क्रम में डॉ. उरांव का स्थान आता है। लेकिन उनकी जगह मंत्री बन्ना गुप्ता को मुख्यमंत्री के बगल में जगह दी गई। ऐसे में मंत्री बन्ना का कद बढ़ाने के लिए सरकार एक नोटिफिकेशन भी जारी कर सकती है।












झारखंड डेस्क आज आपको झारखंड के एक ऐसे गांव की जानकारी दे रहे हैं जहां आजादी के बाद से आज तक एक भी मामला थाने में दर्ज नही हुआ है गांव के लोग शत प्रतिशत पढ़े लिखे हैं। यह गांव है रामगढ़ जिले के चेटर गांव । जो काफी अनोखा है. इस गांव में आज तक आजादी के बाद थाना में एक भी क्रिमिनल केस या फिर किसी भी अन्य तरह का मामला दर्ज नहीं है. इस गांव के हर घर में आपको कोई ना कोई शिक्षक या फिर ग्रेजुएट या पीएचडी करने वाला मिल जाएगा. दरअसल, गांव में छोटे-छोटे मसले तो होते हैं.लेकिन उसे अखाड़ा में बैठकर बड़ा शांतिपूर्वक सुलझा लिया जाता है और अखाड़ा का जो फैसला होता है वह सब सर झुका कर मानते हैं. फैसला भी बड़ा सरल और सहज ढंग से व आपसी सहमति से होता है. गांव में अखाड़ा( पंच) में गांव के वरिष्ठ और पढ़े-लिखे 10 से 12 सदस्य होते हैं.यह सदस्य मिलकर छोटी बड़ी हर मसले का हल निकालते हैं.अखाड़ा के मुख्य सदस्य डॉ विनोद कुमार ने बताया कि इस गांव का शुरू से ही शिक्षा के प्रति रुझान रहा है. हर घर में आपको कोई ना कोई ग्रेजुएट मिल जाएगा. पिछले जेपीएससी में हमारे गांव की बच्ची सोनाली ने सफलता के परचम लहराया और अभी चतरा में पोस्टेड है. उन्होंने बताया कि हमारे गांव के लोग लड़ाई झगड़ा से लोग कोसो दूर रहते हैं.यहां पर आपको पढ़ने लिखने शांति का माहौल मिलेगा.यहां पर लगभग 30% घर में शिक्षक रहते हैं.यह शिक्षक सरकारी स्कूल में काम करते हैं तो कुछ प्राइवेट भी है. यहां के स्थानीय लोग अधिकतर खेती-बाड़ी पर निर्भर है. इस गांव की एक और खास बात यह है कि एक ही मोहल्ले में आदिवासी, हिंदू ,सिख व इसाई हर धर्म के लोग मिल जाएंगे. लेकिन इसके बावजूद यहां पर एक भी लड़ाई झगड़ा छोड़िये तेज बात करने की आवाज तक भी नहीं आती. गांव के थाना प्रभारी रंजीत कुमार सिन्हा बताते हैं इस गांव के लोग बड़े मिलनसार है. आपस में बहुत मिलजुल के रहते हैं और अगर कोई भी मसला होता है तो पंचायत में आपसी सहमति से और बहुत ही इज्जत के साथ सुलझाते हैं, इस गांव के लोगों का मैं खुद भी निजी तौर पर बहुत इज्जत करता हूं.
Jun 17 2024, 19:38
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