महिलाओं ने रखा वट सावित्री व्रत,पति की दीर्घायु के किया पूजन
नितेश श्रीवास्तव ,भदोही।जिले में बृहस्पतिवार ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को सुहागिन महिलाओं ने वट सावित्रि का व्रत रखा । इस दौरान सभी सुहागिन व्रती महिलाओं ने वट वृक्ष की विधि विधान से पूजा व अर्चना की और अपने पतियों के लिए लंबी आयु की भगवान से प्रार्थना की। इस क्रम में व्रती महिलाओ ने वट वृक्ष की पूजा अर्चना करने के बाद उसकी परिक्रमा भी की और अपने लिए अखंड सौभाग्य की कामना भी की।गोपीगंज में स्थित बड़े शिव व हनुमान गढी मंदिर में स्थित वट वृक्ष पर पूजा व परिक्रमा करने वाली व्रती महिलाओं की भीड़ सुबह चार बजे भोर से ही लगी रहीं । इस दौरान व्रत का पारण करने वाली महिलाओं ने वट सावित्री व्रत कथा को सुनकर अपने व्रत को पूर्ण किया।
पूराणों के अनुसार वट वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवताओं का वास होता है। इसलिए इस दिन सुहागिन महिलाओं अखंड सौभाग्य के लिए पूजन करती हैं। हिंदू धर्म में सुहागिन महिलाओं के लिए वट सावित्री व्रत बेहद खास माना जाता है। इस पुण्यकारी व्रत के लिए बृहस्पतिवार को भोर पहर से ही सुहागिन महिलाओं ने तैयारी शुरू कर दी थी। महिलाओं ने सूर्य ग्रहण से पहले विधि-विधान से पूजन किया।वहीं जिले के सरोई में सुहागिन महिलाओ द्वारा बरगद के पेड़ की फेरी लगाकर वट सावित्री व्रत का पूजन किया गया। दरअसल पुराणों में वट सावित्री व्रत की कथा का वर्णन है। पुराणों के अनुसार वट सावित्री व्रत कथा में राजर्षि अश्वपति की एक ही संतान थीं सावित्री। सावित्री ने वनवासी राजा द्युमत्सेन के पुत्र सत्यवान को अपने पति रूप में चुना था। लेकिन जब नारद जी ने उन्हें बताया कि सत्यवान अल्पायु हैं तो भी सावित्री ने अपना निर्णय नहीं बदला।
वह समस्त राजवैभव त्याग कर सत्यवान के साथ उनके परिवार की सेवा करते हुए वन में रहने लगीं। सत्यवान लकड़ियां काटने जंगल गए। वहां वह मूर्छित होकर गिर पड़े। सावित्री ने वट वृक्ष के नीचे अपने गोद में पति का सिर रख उसे लेटा दिया। उसी समय यमराज सत्यवान के प्राण लेने आए। यमराज सत्यवान के जीव को दक्षिण दिशा की ओर लेकर जा रहे हैं। सावित्री भी यमराज के पीछे-पीछे चल देती हैं। इस पर यमराज के कई बार मना करने पर वह नही मानी तो इस पर यमराज ने सावित्री पर खुश होकर तीन वरदान मांगने के लिए कहा। तब सावित्री ने उन तीनों वरदान में यमराज से अपनी पति के लिए जीवन मांगा था जिसके बाद तभी से इस व्रत का प्रारंभ हुआ है ।
Jun 06 2024, 16:54