स्वास्थ्य केंद्रों पर केवल 10 फीसदी एंटी स्केन वेनम वैक्सीन की हो सकी खपत
नितेश श्रीवास्तव ,भदोही। जिले के सरकारी अस्पतालों में हर साल बड़ी संख्या में एंटी स्नेक वेनम की वैक्सीन एक्सपायर हो जाती है। जागरूकता की कमी और सांप काटने की घटना होने पर इलाज के बजाय झांड़-फूंक पर लोगों की निर्भरता के कारण वैक्सीन होते हुए भी लोग इसका लाभ नहीं उठा पाते। इसके कारण कई बार लोगों के जान भी बन आती है।
स्पायर होने वाली वैक्सीन बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट को वापस कर दिया जाता है। बीते एक साल में 614 वैक्सीन में केवल 65 वैक्सीन की खपत हो सकी है। दूसरी तरफ एक साल में पूरे जिले में करीब 319 सांप काटने की घटनाएं हुई।आगामी 21 जून से मानसून सीजन आरंभ हो जाएगा।
बारिश के दिनों में सर्पदंश की अधिकतर घटनाएं होती है। खासकर ग्रामीण इलाकों में इस तरह की घटनाएं अधिक होती है। खेतों काम कर रहे किसानों के अलावा कच्चे मकानों के कोनों में दुबके सांप कई बार लोगों को निशाना बना लेते हैं। इसमें महिलाएं, पुरूष और बच्चों समेत हर वर्ग के लोग होते हैं। माना जाता है कि अधिकतर सांप जहरीले नहीं होते हैं, लेकिन सर्पदंश के बाद होने वाली घबराहट के कारण कई बार लोगों की जान पर बन आती है।
सर्पदंश की घटनाओं से लोगाें की होने वाली मौतों को रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले के हर अस्पतालों पर एंटी स्नेक वेनम की पर्याप्त उपलब्धता रखी जाती है, लेकिन जागरूकता की कमी के कारण यह वैक्सीन पड़े-पड़े खराब हो जाते हैं। हर साल मानसून सीजन में जिले में सैकड़ों सर्पदंश की घटनाएं होती है। जिसमें अधिकतर घटनाएं ग्रामीण इलाकों में होती है। जहां लोग इलाज के बजाय झाड़-फूंक को तवज्जो देते हैं। जिले में बीते साल एक अप्रैल को जिले के सभी सेंटरों पर कुल 619 एंटी स्नेक वेनम वैक्सीन पहुंचाए गए, लेकिन उसमें से केवल 65 ही खर्च हो सके। इसके उलट जिले में करीब 319 सर्पदंश की छोटी-बड़ी घटनाएं हुई।
वैक्सीन की जगह झाड़-फूंक को दी तवज्जो
बीते साल ही अगस्त महीने में ऊंज के कुरमैचा गांव में सर्पदंश से एक महिला मंजू देवी की मौत हो गई। सांप काटने के बाद उसके परिजन झाड़-फूंक में जुट गए थे। इसी तरह जुलाई 2022 में कोईरौना इटहरा गांव में एक बच्ची की मौत हो गई थी। इस तरह दर्जनों ऐसे मामले आते हैं। जहां समय से वैक्सीन न लगने से सर्पदंश के कारण मौत हो जाता है।
एक वैक्सीन की अनुमानित कीमत 500 रुपये
जिले में हर साल 619 वैक्सीन शासन की ओर से विभाग को दिए जाते हैं। जिसमें 10 फीसदी ही यूज होते हैं। शेष वैक्सीन स्पायर हो जाते हैं। इस लिहाज से देखा जाए तो अगर 90 फीसदी वैक्सीन स्पायर हुआ तो शासन को दो लाख 77 हजार रुपये का नुकसान हुआ। विभाग स्पायर होने वाली वैक्सीन को बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट को वापस कर देता है। उनकी टीम निर्धारित स्वास्थ्य केन्द्रों से स्पायर वैक्सीन ले जाते हैं।
कहां कितना वैक्सीन और कितनी खपत
अस्पताल - वैक्सीन - खपत
जिला अस्पताल - 150-34
एमबीएस - 100-00
सौ शैय्या - 20-00
सुरियावां - 100-25
गोपीगंज - 50-03
औराई - 30-00
दुर्गागंज - 55-00
डीघ - 30-00
भदोही - 50-01
17 पीएचसी - 02-02 - 000
स्वास्थ्य केन्द्रों पर पर्याप्त वैक्सीन होता है। मानसून सीजन में सर्पदंश के मामले आते हैं तो लोगों को झाड़-फूंक की बजाय एंटी स्नैक वेनम को तवज्जो देनी चाहिए। ग्रामीण इलाकों में अभी जागरूकता का अभाव है, लेकिन शहरी इलाकों में लोग वैक्सीन जरूर लगवाते हैं। - डॉ. एसके चक, सीएमओ।
Jun 03 2024, 15:04