2024 के लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी ने बहाया खूब पसीना, 75 दिनों में 206 रैलियां और रोड शो, 80 इंटरव्यू
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लोकसभा चुनाव का प्रचार थमने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कन्याकुमारी में ध्यान में लीन हैं। पीएम मोदी विवेकानंद रॉक मेमोरियल के ध्यान मंडपम में 45 घंटे के ध्यान में बैठे है। फनका ये ध्यान 75 दिनों की जी-तोड़ मेहनत के बाद शुरू हुआ है। दरअसल, 16 मार्च को चुनाव कार्यक्रम की घोषणा किए जाने के बाद से कुल 206 जनसभाएं और रोड शो किए। पीएम मोदी ने रैलियां और रोड शो के अलावा रिकॉर्ड स्तर पर मीडिया कर्मियों को इंटरव्यू दिए हैं, जिनकी संख्या 80 है। अपने तीसरे टर्म के लिए पीएम मोदी ने खूब पसीना बहाया है। जिसके बाद अब ने 45 घंटे के लिए ध्यान की मुद्रा में हैं।
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औसतन प्रतिदिन एक से अधिक साक्षात्कार दिए
पीएम मोदी ने गुरुवार को पंजाब के होशियारपुर में रैली के साथ अपने चुनाव प्रचार का समापन किया। प्रधानमंत्री मोदी ने 16 मार्च को कन्याकुमारी से ही अपने चुनाव प्रचार की शुरुआत की थी। बीते 75 दिनों में प्रधानमंत्री ने 206 चुनावी कार्यक्रमों में शिरकत की। इनमें चुनावी रैलियां-रोड शो शामिल हैं। इनके अलावा पीएम मोदी ने विभिन्न मीडिया संस्थानों को 80 के करीब इंटरव्यू भी दिए हैं। मतदान शुरू होने के बाद से औसतन उन्होंने प्रतिदिन एक से अधिक साक्षात्कार दिए हैं।
2019 के मुकाबले ज्यादा रैलियां
2024 में उन्होंने ज्यादा चुनाव प्रचार किया और जनसभाओं को संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने इससे पहले 2019 के चुनावों के दौरान लगभग 145 रैलियां और रोड में हिस्सा लिया था। इस बार चुनाव प्रचार का समय 75 दिनों का था, जबकि पांच साल पहले चुनाव में 68 दिन थे। निर्वाचन आयोग ने जब चुनावों की घोषणा की थी तो पीएम मोदी दक्षिण भारत के राजनीतिक दौरे पर थे। इस दौरान उन्होंने 15 मार्च से 17 मार्च के बीच तीन दिनों में दक्षिण भारत के सभी पांच राज्यों को कवर किया था।
इन राज्यों पर रहा फोकस
पीएम मोदी ने जिन राज्यों में सबसे ज्यादा प्रचार किया, उनमें उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और ओडिशा का नाम प्रमुख है। अपने विभिन्न इंटरव्यू में पीएम मोदी ने दावा किया कि भाजपा इन आम चुनाव में बंगाल में अच्छा प्रदर्शन करेगी और राज्य में अधिकतम सीटों पर जीत दर्ज करेगी। विपक्ष के संविधान में बदलाव के आरोपों पर पीएम मोदी ने कहा कि जब तक वह जीवित हैं, तब तक कोई भी संविधान के मूल सिद्धांतों के साथ खिलवाड़ नहीं कर सकता। पीएम मोदी ने संविधान में संशोधन को लेकर कांग्रेस को ही कटघरे में खड़ा किया।
तीसरे टर्म के पहले 125 दिन का रोडमैप तैयार
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने तीसरे कार्यकाल के लिए खूब मेहनत की है। इसके अलावा उन्होंने अपने थर्ड टर्म के पहले 125 दिनों का रोडमैप तैयार कर लिया है। उनका कहना है कि सरकार बनते ही, तीसरे टर्म में अगले 125 दिन में क्या होगा, सरकार क्या करेगी, सरकार कैसे करेगी, सरकार किसके लिए करेगी, सरकार कब तक करेगी, इसके रोडमैप पर काम कर लिया गया है। इसमें भी 25 दिन विशेष तौर पर युवाओं के लिए केंद्रित किए गए हैं, अगले 5 साल में कौन से बड़े निर्णय लेने हैं, इसकी भी रूपरेखा खींची जा चुकी है। अगले 25 साल के विजन पर भी उनकी सरकार तेजी से आगे बढ़ रही है।
4 जून को घोषित होंगे नतीजे
प्रधानमंत्री मोदी के इस धुआंधार चुनाव प्रचार का जनता पर कितना असर रहा, इसका पता तो 4 जून को ही लगेगा जब चुनाव परिणाम घोषित होंगे। करीब 73 साल की उम्र में मोदी ने जितनी सभाएं की और जो दूरी तय की, इस मामले में उनके नजदीक भी कोई नेता नहीं टिकता। वह अपनी पार्टी के लिए मतदाताओं को आकर्षित वाला सबसे बड़ा आकर्षण रहे। इस दौरान दिए गए भाषणों के लिए आलोचकों ने उनकी आलोचना भी की तो भाजपा के उत्साही समर्थकों का जोश भी बढ़ा।






प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कन्याकुमारी के विवेकानंद रॉक मेमोरियल के ध्यान मंडपम में 45 घंटे का ध्यान शुरू हो गया है।75 दिनों की लंबी चुनावी प्रक्रिया के बाद कल शाम जब प्रचार का शोर थमा तो प्रधानमंत्री ध्यान लगाने के लिए कन्याकुमारी पहुंच गए। पीएम मोदी कल देर शाम से विवेकानंद रॉक मेमोरियल में मेडिटेशन कर रहे हैं। वे एक जून की शाम तक विवेकानंद रॉक मेमोरियल में ध्यानमग्न रहेंगे। आज उनके ध्यान का दूसरा दिन है। 30 मई को लोकसभा चुनाव का शोर थमते ही पीएम मोदी कन्याकुमारी पहुंचे। सबसे पहले वो भगवती अम्मन गए। दक्षिण भारतीय पारंपरिक वस्त्र में वो नंगे पांव हाथ जोड़ते हुए पीएम मोदी मंदिर के अंदर गए। इसके बाद मंदिर में मौजूद पुजारियों ने पीएम को विधिवत पूजा कराई। वो शाम की आरती में शामिल हुए। मंदिर की परिक्रमा की। पुजारियों ने उन्हें अंगवस्त्र दिया। पीएम मोदी को देवी मां की एक तस्वीर भी भेंट की गई। बता दें कि अम्मन मंदिर 108 शक्ति पीठों में एक है। ये मंदिर करीब 3000 साल पुराना है।अम्मन मंदिर में पूजा पाठ के बाद प्रधानमंत्री मोदी एक बोट से विवेकानंद रॉक मेमोरियल के ध्यान मंडपम पहुंचे। ध्यान मंडपम में उन्होंने विवेकानंद और राम कृष्ण परमहंस के सामने हाथ जोड़े। फूल चढ़ाए। इसके बाद पीएम मोदी ध्यान साधना में बैठ गए। कई मायनों में खास है ये स्थल पीएम मोदी के ध्यान का एक वीडियो सामने आया है, वीडियो में पीएम मोदी भगवा कुर्ता और गमछे में दिख रहे हैं। वे स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा के समक्ष बैठकर ध्यान कर रहे हैं। उनके हाथों में माला है और ओम की आवाज गूंज रही है। इस ध्यान मंडपम की खास बात यह है कि यह वही स्थान है, जहां स्वामी विवेकानंद ने देश भ्रमण के बाद तीन दिनों तक ध्यान किया था। समुद्र तट से करीब 500 मीटर दूर स्थित चट्टान पर विवेकानंद 24 दिसंबर 1892 को तैर कर पहुंचे थे। 25 से 27 दिसंबर तक उन्होंने इसी चट्टान पर ध्यान किया था। यहीं उन्होंने विकसित भारत का सपना देखा था। ऐसी मान्यता है कि इस स्थान पर देवी पार्वती ने एक पैर पर खड़े होकर साधना की थी। ध्यान को लेकर विपक्ष के निशाने पर पीएम वहीं, पीएम मोदी के ध्यान को लेकर विपक्ष लगातार निशाना साध रहा है। कांग्रेस का कहना है कि ये चुनाव आचार संहिता का सीधा- साधा उल्लंघन है। कांग्रेस ने चुनाव आयोग से अपील की है कि ये सुनिश्चित किया जाए कि मीडिया द्वारा मोदी के इस ध्यान लगाने के कार्यक्रम का प्रसारण न किया जाए। इतना ही नहीं टीएमसी की प्रमुख ममता बनर्जी ने कहा कि यदि पीएम मोदी का ध्यान कार्यक्रम प्रसारित हुआ तो पार्टी चुनाव आयोग से शिकायत करेगी।सीपीआईएम ने तो मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने पत्र लिखते हुए PM के मेडिटेशन के दौरान इससे जुड़ी खबरों का प्रसारण पर लगाई जाए। विपक्ष के इस हंगामे के बीच आइए जानते हैं कि क्या पीएम मोदी का ध्यान लगाना सच में आचार संहिता का उल्लंघन है।


देश में लोकसभा चुनाव अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंच गया है। सात चरणों में होने वाले चुनाव में छह टरणों की वोटिंग खत्म हो चुकी है। अब बसआखिरी दौरे के लिए वोट डाले जाने हैं। इस बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को लेकर बयान दिया है, जिसपर बवाल मच गया है। विपक्षी दलों खासकर कांग्रेस ने पीएम मोदी के किलाफ मोर्चा खोल दिया है। दरअसल, प्रधानमंत्री ने इंटरव्यू के दौरान कहा है कि 1982 से पहले महात्मा गांधी को कोई नहीं जानता था।पीएम का दावा है कि रिचर्ड एटनबरो की फिल्म 'गांधी' के रिलीज के बाद दुनिया ने महात्मा गांधी को जाना। समाचार चैनल एबीपी न्यूज को दिए इंटरव्यू में महात्मा गांधी का जिक्र करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा है, "दुनिया में महात्मा गांधी एक बहुत बड़े महान आत्मा थे। क्या इस 75 साल में हमारी जिम्मेवारी नहीं थी क्या कि पूरी दुनिया महात्मा गांधी को जानें। कोई नहीं जानता है, माफ करना मुझे। पहली बार जब गांधी फिल्म बनी तब दुनिया में क्यूरिओसिटी हुई कि अच्छा ये कौन है? हमने नहीं किया जी। इस देश का काम था..." पीएम मोदी ने आगे कहा,"अगर मार्टिन लूथर किंग को दुनिया जानती है, अगर हमारे साउथ अफ्रीका के नेल्सन मंडेला जी को दुनिया जानती है, गांधी जी किसी से कम नहीं थे जी। ये मानना पड़ेगा जी। मैं दुनिया घूमने के बाद कह रहा हूं कि गांधी को और गांधी के माध्यम से भारत को तवज्जो मिलनी चाहिए थी।" *पीएम मोदी के बयान पर कांग्रेस का पलटवार* महात्मा गांधी को लेकर दिए गए पीएम नरेंद्र मोदी के बयान पर कांग्रेस पार्टी की तरफ से पलटवार किया गया है। पीएम मोदी के बयान को लेकर कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बयान दिया है। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, इन्होंने (पीएम नरेंद्र मोदी) अगर पढ़ा होता या पढ़े होते तो ऐसी बात महात्मा गांधी के बारे में नहीं बोलते। 80 से 90 देशों में उनका स्टैच्यू है। महात्मा गांधी ने जो काम किया उसके बारे में उन्हें पता नहीं तो उन्हें संविधान के बारे में भी पता नहीं होगा। गरीबों की वो बात करते थे। वो आजादी की विकास की बात करते थे। वहीं, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पीएम मोदी के बयान पर तंज कसा है। राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस टिप्पणी पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "सिर्फ 'एंटायर पॉलिटिकल साइंस' के छात्र को ही महात्मा गांधी के बारे में जानने के लिये फिल्म देखने की ज़रूरत रही होगी।" *विपक्ष ने खोला मोर्चा* वहीं, तृणमूल कांग्रेस की नेता और पूर्व सांसद महुआ मोइत्रा ने पीएम मोदी के इस बयान वाला वीडियो शेयर करते हुए लिखा है, "कोई गांधी को नहीं जानता था।" केरल कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर महात्मा गांधी की 1930 के दशक में लंदन, पेरिस और स्विट्ज़रलैंड की यात्रा की तस्वीरें साझा की हैं। केरल कांग्रेस ने एक्स पर लिखा, "लंदन, स्विट्ज़रलैंड और पेरिस में गांधी जहां भी गए भीड़ ने उन्हें घेर लिया। अपने जीवनकाल में गांधी दुनिया में सबसे लोकप्रिय नेता थे। भारत को अब भी गांधी और नेहरू के नाम से जाना जाता है। गांधी अपने सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों के लिए जाने जाते थे। कम से कम जब बात गांधी की हो, तब तो सच बोलिए।"
May 31 2024, 12:17
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