*एस्ट्राजेनेका का बड़ा फैसला, दुनियाभर से कोरोना वैक्सीन वापस मंगाई गई
#astrazeneca_withdrawing_corona_vaccine सुरक्षा को लेकर उपजे विवाद के बीच दिग्गज दवा निर्माता कंपनी एस्ट्राजेनेका ने अपनी कोरोना वैक्सीन को वापस लेनी शुरू की है।कंपनी ने कहा है कि वह दुनियाभर से अपनी वैक्सजेवरिया वैक्सीन को वापस मंगा रही है। बता दें कि कुछ दिनों पहले ही फर्मास्‍यूटिकल कंपनी एस्‍ट्राजेनेका ने एक कोर्ट में वैक्‍सीन के खतरनाक साइड इफेक्‍ट की बात स्‍वीकार की थी। इसके बाद कंपनी की ओर से यह कदम उठाया गया है।हालांकि, इसके लिए एस्ट्राजेनेका ने वैक्सीन के साइड इफेक्ट का तर्क नहीं दिया है बल्कि मार्केट में आई अपडेटेड वैक्सीन का हवाला दिया। साथ ही साथ कंपनी का दावा है कि उसकी वैक्सीन की मांग कम हो गई है। दिग्‍गज दवा निर्माता कंपनी एस्‍ट्राजेनेका ने कुछ दिनों पहले ही ब्रिटेन की एक अदालत में कोरोना वैक्‍सीन के साइड इफेक्‍ट की बात स्‍वीकार की थी। 50 से ज्‍यादा लोगों ने एस्‍ट्राजेनेका की ओर से विकसित कोरोना वैक्‍सीन के साइड इफेक्‍ट को लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। एस्‍ट्राजेनेका की वैक्‍सीन वैक्‍सजेव्रिया को लेकर सवाल उठाए गए थे। हालांकि, कंपनी का कहना है कि वैक्सजेव्रिया वैक्‍सीन का साइड इफेक्‍ट रेयर है। टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, आने वाले दिनों में ब्रिटेन और दूसरे देशों में भी वैक्सीन को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, आने वाले दिनों में ब्रिटेन और दूसरे देशों में भी वैक्सीन को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। टेलीग्राफ के अनुसार, वैक्सीन वापस लेने के लिए कंपनी का आवेदन 5 मार्च को किया गया था और 7 मई को प्रभावी हुआ। कंपनी ने यह भी कहा कि वह यूरोप के भीतर वैक्सीन वैक्सजेवरिया के मार्केटिंग ऑथराइजेशन को वापस लेने के लिए आगे बढ़ेगी। एस्ट्राजेनेका ने कहा, ‘चूंकि कई प्रकार की कोविड वैक्सीन विकसित की गई हैं इसलिए उपलब्ध अपडेटेड टीकों की संख्या अधिक है। इससे वैक्सजेवरिया वैक्सीन की मांग में गिरावट आई है। इसकी वजह से अब इसकी मैन्युफैक्चरिंग या सप्लाई नहीं की जा रही है। ब्रिटिश-स्वीडिश फार्मास्यूटिकल कंपनी एस्ट्राजेनेका का यह कदम ऐसे वक्त सामने आया है, जब कंपनी ने बीते दिनों ही स्वीकार किया है कि कुछ मामलों में कोविड वैक्सीन के साइड इफेक्ट सामने आए हैं और इसकी वजह से कुछ लोगों में थ्रंबोसिस थ्रंबोसाइटोपीनिया सिंड्रोम बीमारी के लक्षण देखे गए हैं, जिसमें लोगों में खून के थक्के जमने लग जाते हैं। एस्ट्राजेनेका कंपनी कोविड वैक्सीन को लेकर कई मुकदमों का सामना कर रही है। आरोप है कि कोविड वैक्सीन लगने के बाद कई लोगों की जान गई है। जैमी स्कॉट नामक एक व्यक्ति ने एस्ट्राजेनेका के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। स्कॉट का आरोप है कि वैक्सीन लेने के बाद उसके शरीर में खून के थक्के जमने की समस्या हुई और दिमाग में भी ब्लीडिंग हुई। इससे उसके मस्तिष्क को नुकसान हुआ। ऐसे ही कंपनी के खिलाफ 50 से ज्यादा मामले दर्ज हुए हैं। कंपनी ने भी कोर्ट में लिखित दस्तावेजों में स्वीकार किया कि कोरोना वैक्सीन के कुछ दुर्लभ मामलों में साइड इफेक्ट दिख सकते हैं। बता दें कि यूके स्थित फार्मा कंपनी ने भारत सरकार को वैक्सीन देने के लिए वैश्विक स्तर पर सबसे बड़े वैक्सीन निर्माता सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) से हाथ मिलाया। सीरम इंस्टीट्यूट ने कोविशील्ड नाम से वैक्सीन का निर्माण किया। भारत में 80 फीसदी लोगों को कोरोना की कोविशील्ड वैक्सीन लगाई गई है। वैक्सीन के साइड इफेक्ट की बात सामने आने के बाद देश में कई सवाल खड़े किए गए और केंद्र सरकार को घेरने की कोशिश की गई। इस बीच पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें कोविशील्ड वैक्सीन के दुष्प्रभावों की जांच के लिए एक मेडिकल एक्सपर्ट पैनल बनाने का निर्देश जारी करने की मांग की गई।
ममता सरकार को हाई कोर्ट से राहत, बंगाल शिक्षक भर्ती मामले में हाई तोक्ट के फैसले पर लगाई अंतरिम रोक
#west_bengal_teacher_recruitment_scam

पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाले पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई। इसमें शीर्ष कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि सीबीआई अपनी जांच जारी रखे, लेकिन कर्मचारी-उम्मीदवारों पर कोई एक्शन न ले। कलकत्ता हाईकोर्ट ने इस साल 22 अप्रैल को पश्चिम बंगाल के सरकारी स्कूलों की 25 हजार 753 नियुक्तियों को अवैध करार दे दिया था। साथ ही इन शिक्षकों को 7-8 साल के दौरान मिली सैलरी 12% इंटरेस्ट के साथ लौटाने के निर्देश भी दिए थे। इसके लिए कोर्ट ने 6 हफ्ते का समय दिया था।

बता दें कि पश्चिम बंगाल सरकार ने 25 हजार शिक्षकों की नियुक्ति को रद्द करने के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से पूछा कि जब भर्ती प्रक्रिया पर पहले से सवाल उठ रहे थे तो नई नियुक्तियां क्यों की गईं?

अदालत में वकील नीरज कौशल कौल ने पश्चिम बंगाल सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि शिक्षकों और छात्रों के अनुपात को देखकर ही भर्तियां की गईं थीं। उन्होंने कहा कि सीबीआई ने भी 25 हजार शिक्षकों की नियुक्ति को अवैध नहीं कहा है। राज्य सरकार के दूसरे वकील जयदीप गुप्ता ने हाईकोर्ट के फैसले को गलत करार देते हुए कहा कि यह शीर्ष अदालत के ही फैसले के विपरीत है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों की नियुक्ति को रद्द करने का फैसला हाईकोर्ट के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। इसके बाद मुख्य न्यायाधीश ने सवाल पूछा कि शिक्षक भर्ती से जुड़ी कॉपियां क्यों खत्म की गईं? जिसके जवाब में वकील ने कहा कि कॉपियां अब नहीं मिल सकती। सुप्रीम कोर्ट ने फिर पूछा का आखिर ऐसा कैसे हो सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा है कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो लोग अपना भरोसा खो देंगे।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मामले को व्यवस्थागत धोखाधड़ी बताया। कोर्ट ने कहा कि आज नौकरियों की कमी है। अगर जनता का भरोसा चला गया तो कुछ नहीं बचेगा। कोर्ट ने फटकार लगाते हुए यह भी कहा कि राज्य सरकार के पास यह दिखाने के लिए कुछ भी नहीं है कि डेटा उसके अधिकारियों ने मेनटेन किया था और इसकी उपलब्धता के बारे में पूछा गया था। बंगाल के शिक्षक भर्ती घोटाले में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच सुनवाई कर रही है।

पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती को रद्द करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले पर अंतरिम रोक लगाई है। कहा है कि वैध और अवैध भर्तियों को अलग करने की जरूरत है। तौर-तरीके पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से तय किए जाएंगे। सिर्फ उन्हीं अभ्यर्थियों को वेतन लौटाने की जरूरत है, जिनकी भर्ती अवैध है, यह हमारे फैसले पर निर्भर करेगा। 16 जुलाई से मामले में रेगुलर सुनवाई होगी।
ममता सरकार को सुप्रीम कोर्ट से राहत, बंगाल शिक्षक भर्ती मामले में हाई तोक्ट के फैसले पर लगाई अंतरिम रोक
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पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाले पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई। इसमें शीर्ष कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि सीबीआई अपनी जांच जारी रखे, लेकिन कर्मचारी-उम्मीदवारों पर कोई एक्शन न ले। कलकत्ता हाईकोर्ट ने इस साल 22 अप्रैल को पश्चिम बंगाल के सरकारी स्कूलों की 25 हजार 753 नियुक्तियों को अवैध करार दे दिया था। साथ ही इन शिक्षकों को 7-8 साल के दौरान मिली सैलरी 12% इंटरेस्ट के साथ लौटाने के निर्देश भी दिए थे। इसके लिए कोर्ट ने 6 हफ्ते का समय दिया था।

बता दें कि पश्चिम बंगाल सरकार ने 25 हजार शिक्षकों की नियुक्ति को रद्द करने के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से पूछा कि जब भर्ती प्रक्रिया पर पहले से सवाल उठ रहे थे तो नई नियुक्तियां क्यों की गईं?

अदालत में वकील नीरज कौशल कौल ने पश्चिम बंगाल सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि शिक्षकों और छात्रों के अनुपात को देखकर ही भर्तियां की गईं थीं। उन्होंने कहा कि सीबीआई ने भी 25 हजार शिक्षकों की नियुक्ति को अवैध नहीं कहा है। राज्य सरकार के दूसरे वकील जयदीप गुप्ता ने हाईकोर्ट के फैसले को गलत करार देते हुए कहा कि यह शीर्ष अदालत के ही फैसले के विपरीत है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों की नियुक्ति को रद्द करने का फैसला हाईकोर्ट के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। इसके बाद मुख्य न्यायाधीश ने सवाल पूछा कि शिक्षक भर्ती से जुड़ी कॉपियां क्यों खत्म की गईं? जिसके जवाब में वकील ने कहा कि कॉपियां अब नहीं मिल सकती। सुप्रीम कोर्ट ने फिर पूछा का आखिर ऐसा कैसे हो सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा है कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो लोग अपना भरोसा खो देंगे।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मामले को व्यवस्थागत धोखाधड़ी बताया। कोर्ट ने कहा कि आज नौकरियों की कमी है। अगर जनता का भरोसा चला गया तो कुछ नहीं बचेगा। कोर्ट ने फटकार लगाते हुए यह भी कहा कि राज्य सरकार के पास यह दिखाने के लिए कुछ भी नहीं है कि डेटा उसके अधिकारियों ने मेनटेन किया था और इसकी उपलब्धता के बारे में पूछा गया था। बंगाल के शिक्षक भर्ती घोटाले में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच सुनवाई कर रही है।

पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती को रद्द करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले पर अंतरिम रोक लगाई है। कहा है कि वैध और अवैध भर्तियों को अलग करने की जरूरत है। तौर-तरीके पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से तय किए जाएंगे। सिर्फ उन्हीं अभ्यर्थियों को वेतन लौटाने की जरूरत है, जिनकी भर्ती अवैध है, यह हमारे फैसले पर निर्भर करेगा। 16 जुलाई से मामले में रेगुलर सुनवाई होगी।
व्लादिमीर पुतिन ने बनाया रिकॉर्ड, फिर बने रूस के राष्ट्रपति, पांचवीं बार ली शपथ
#vladimir_putin_oath_as_russia_president_fifth_times


व्लादिमीर पुतिन ने पांचवी बार मॉस्को में राष्ट्रपति पद की शपथ ली। इसके साथ ही एक बार फिर रूस की कमान अपने हाथ में ले ली।राष्ट्रपति चुनाव के लिए रूस में 15 से 17 मार्च तक मतदान हुए थे। जिसके बाद 18 मार्च को चुनाव के नतीजे सामने आए थे, जिसमें पुतिन ने 87 प्रतिशत वोट हासिल कर एक बार फिर सत्ता हासिल की।दुनिया के सबसे दिग्गज और ताकतवर नेताओं में शुमार रूस के राष्ट्रपति के रूप में व्लादिमीर पुतिन ने मंगलवार को क्रेमलिन में एक भव्य समारोह में अपना पांचवां कार्यकाल शुरू किया।जोसेफ स्टालिन के बाद क्रेमलिन के सबसे लंबे समय तक शासन करने वाले नेता के रूप में, पुतिन का नया कार्यकाल 2030 तक चलेगा।

शपथ ग्रहण के बाद समारोह को संबोधित करते हुए पुतिन ने कहा कि रूस का नेतृत्व करना एक पवित्र कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि इस कठिन अवधि के बाद रूस एक बार फिर मजबूती के साथ उभरेगा।  पुतिन ने कहा कि रूस अन्य देशों के साथ संबंध विकसित करने के लिए तैयार है। रूस को हर खतरे और चुनौती को मुहंतोड़ जबाव देने के लिए तैयार होना होगा।

राष्ट्रपति के तौर पर पांचवीं बार शपथ लेने के साथ ही पुतिन ने अपने इरादे साफ कर दिए हैं। पुतिन ने शपथ लेने के बाद पहले पहले ही संबोधन में स्पष्ट शब्दों में कह दिया है कि यह पश्चिमी देशों पर निर्भर है कि वह रूस से बातचीत करना चाहते हैं या फिर रूस के विकास में बाधा डालने की कोशिश करते हुए हमारे गुस्से का शिकार होना चाहते हैं। पुतिन ने पश्चिम का नाम लेकर अप्रत्यक्ष तौर पर नाटो को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर हम पर दबाव डालना जारी रखा तो तबाही के लिए तैयार रहें।

पुतिन ने कहा कि यदि वे बातचीत करना चाहते हैं तो उसमें सुरक्षा और रणनीतिक स्थिरता जैसे मुद्दे शामिल होने चाहिए. जो भी बातचीत हो वो समान शर्तों पर होनी चाहिए और उसमें अहंकार और खुद को सुपीरियर मानने जैसा भाव नहीं होना चाहिए।

बता दें कि देश में जनमत संग्रह के जरिए तीन दिन तक मतदान की प्रक्रिया चली थी। मतदान सर्वेक्षक संस्था पब्लिक ओपिनियन फाउंडेशन (एफओएम) के एग्जिट पोल के मुताबिक, पुतिन ने 87.8% वोट हासिल किए। यह रूस के सोवियत इतिहास के बाद का सबसे बड़ा परिणाम है। रशियन पब्लिक ओपिनियन रिसर्च सेंटर (वीसीआईओएम) ने पुतिन को 87% पर रखा है। नतीजों के अनुसार, कम्युनिस्ट उम्मीदवार निकोलाई खारितोनोव दूसरे स्थान पर रहे। निकोलाई को महज 4% वोट ही मिले। वहीं नवागंतुक व्लादिस्लाव दावानकोव तीसरे और लियोनिद स्लतस्की चौथे स्थान पर रहे।
छत्तीसगढ़ में तीसरे चरण की 7 लोकसभा सीटों में मतदान समाप्त, जानिए कहां कितने प्रतिशत पड़े वोट


रायपुर- छत्तीसगढ़ में तीसरे चरण के लिए 7 लोकसभा सीटों रायपुर, बिलासपुर, कोरबा, रायगढ़, दुर्ग, जांजगीर-चांपा और सरगुजा में आज मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया. सुबह 7 बजे से शुरू हुई मतदान प्रक्रिया शाम 6 बजे ख़त्म हो गई. अब जो लोग पोलिंग बूथ में हैं, वही मतदान कर सकेंगे.

बता दें कि छत्तीसगढ़ की सभी सात लोकसभा सीटों में 168 प्रत्याशी मैदान पर हैं. इन लोकसभा क्षेत्रों में मतदाताओं की संख्या 1 करोड़ 39 लाख 01 हजार 285 है. इस बीच चुनाव आयोग ने सुबह 1 बजे के आंकड़े जारी कर दिए हैं. निर्वाचन आयोग द्वारा जारी आंकड़े के अनुसार छतीसगढ़ की 7 सीटों पर अब तक 66.87 % मतदान हुआ है. अब तक बिलासपुर में सबसे कम 60.05 % मतदान हुआ है. वहीं सबसे ज्यादा 75.84 % मतदान रायगढ़ में हुआ है.

*जानिए कहां कितना प्रतिशत हुआ मतदान*

बिलासपुर लोकसभा – 60.05 %

दुर्ग लोकसभा – 67.33 %

जांजगीर चम्पा लोकसभा – 62.44 %

कोरबा लोकसभा – 70.60 %

रायगढ़ लोकसभा – 75.84 %

रायपुर लोकसभा – 61.25 %

सरगुजा लोकसभा – 74.17 %

*साल 2019 में लोकसभा चुनाव के मतदान प्रतिशत*

बिलासपुर लोकसभा – 64.36 %

दुर्ग लोकसभा – 71.68 %

जांजगीर चम्पा लोकसभा – 65.58 %

कोरबा लोकसभा – 75.28 %

रायगढ़ लोकसभा – 77.78 %

रायपुर लोकसभा – 66.00 %

सरगुजा लोकसभा – 77.30 %

*किस लोकसभा सीट में हैं कितने प्रत्याशी*

रायपुर – 38

बिलासपुर – 37

कोरबा – 27

दुर्ग – 25

रायगढ़ – 13

सरगुजा – 10

जांजगीर-चांपा – 18
आईएएस पी दयानंद और बसवाराजू ने किया मतदान…


रायपुर- लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में रायपुर लोकसभा क्षेत्र के लिए हुए मतदान में मुख्यमंत्री के सचिव पी दयानंद और आईएएस बसवाराजू ने भी अपनी भागादारी सुनिश्चित की. दोनों अधिकारियों देवेंद्र नगर के आदर्श मतदान केंद्र में अपने मताधिकार का प्रयोग किया.
कांग्रेस में होता है नारियों का अपमान, तंदूर कांड इनके ही नेता ने किया : CM साय

रायपुर/बगिया- मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज अपने गृह ग्राम बगिया में सपरिवार मतदान किया। मतदान के बाद पत्रकारों से चर्चा के दौरान सपा नेता रामगोपाल यादव द्वारा राम मंदिर के वास्तु शास्त्र पर सवाल उठाए जाने पर सीएम साय ने कहा कि ये राम विरोधी लोग हैं, जो कुछ भी बोलते हैं। इन्होंने तो राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण भी ठुकरा दिया था, तो इनसे क्या उम्मीद कर सकते हैं। जबकि निमंत्रण किसी का भी हो उसे स्वीकार किया जाता है। उन्होंने कहा कि राम के अस्तित्व पर सवाल उठाने वाले आज ऐसी बातें कर रहे हैं।

लालू यादव द्वारा मुस्लिमों को आरक्षण दिये जाने की मांग पर साय ने कहा कि लालू यादव जैसे लोगों की पार्टियां तुष्टीकरण की राजनीति करने के कारण ही अब विलुप्ति की कगार पर है।

कांग्रेस में राष्ट्रीय प्रवक्ता रही राधिका खेड़ा के उनके पार्टी के नेता द्वारा अपमान पर श्री साय ने कहा कि कांग्रेस की कथनी और करनी में जमीन-आसमान का अंतर है। जो बोलते हैं ठीक उसके विपरीत ये लोग करते हैं। ये नारी सम्मान की बात करते हैं, लेकिन कांग्रेस में हमेशा नारियों का अपमान हुआ है। महिला को काट-काट कर तंदूर में जलाने का काम भी कांग्रेसियों ने किया है। राष्ट्रीय प्रवक्ता होने के बावजूद भी राधिका खेड़ा को अपने ही घर कांग्रेस भवन में इतना प्रताड़ित किया गया की उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके देश दुनिया के सामने कांग्रेस का जो चरित्र है, उसे उजागर किया।

विष्णु देव साय ने कहा कि एक मुख्यमंत्री होने के नाते प्रदेश की 75 विधानसभाओं में 100 से अधिक चुनावी कार्यक्रमों में मैं शामिल हुआ। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने भी दौरे किए, साथ ही छत्तीसगढ़ भाजपा के बड़े नेताओं ने चुनावी सभाओं में शिरकत की। जहां जनता का अटूट विश्वास भारतीय जनता पार्टी के लिए दिखा एवं विशाल जनसैलाब उमड़ा। इसलिए मैं कह सकता हूं कि अभी तृतीय चरण का जो लोकसभा का चुनाव हो रहा है इसकी सातों सीट सहित सभी 11 सीटें भारतीय जनता पार्टी जीतेगी। उन्होंने 4 जून को भाजपा के सीटों की संख्या 400 पार होने की भी बात कही।
लोकसभा चुनाव के बीच सोनिया गांधी का वीडियो मैसेज, कांग्रेस और इंडिया गठबंधन को बताया संविधान और लोकतंत्र की रक्षा के लिए समर्पित
#sonia_gandhi_video_message
देश में लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण के मतदान के बीच कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने देश की जनता के नाम संदेश जारी किया है।उन्होंने एक वीडियो संदेश जारी कर देश की जनता से कांग्रेस के पक्ष में मतदान करने की अपील की है। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मंगलवार को जनता से झूठ व नफरत फैलाने वालों को खारिज करने और सभी के लिए ‘अधिक समान और उज्ज्वल’ भविष्य सुनिश्चित करने के वास्ते कांग्रेस को वोट देने की अपील की। उन्होंने वीडियो संदेश में कहा, ‘हाथ’ (कांग्रेस का चुनाव चिह्न) का बटन दबाएं’ आइए मिलकर शांति और सद्भाव के साथ सभी के लिए एक मजबूत व अधिक एकजुट भारत का निर्माण करें।”

सोनिया अपने वीडियो में बीजेपी पर भी हमलावर नजर आईं।उन्होंने कहा कि  आज देश के हर कोने में युवाओं को बेरोजगारी का सामना करना पड़ रहा है, महिलाओं को अत्याचार का सामना करना पड़ रहा है, दलितों, आदिवासियों, पिछड़े वर्गों और अल्पसंख्यकों को भयानक भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है। यह माहौल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा की मंशा के कारण है । उनका ध्यान केवल किसी भी कीमत पर सत्ता हासिल करने पर है। उन्होंने राजनीतिक लाभ के लिए नफरत को बढ़ावा दिया है।

कांग्रेस से राज्यसभा सांसद सोनिया गांधी ने आगे कहा कि कांग्रेस पार्टी और मैंने हमेशा सभी की प्रगति, वंचितों को न्याय और देश को मजबूत करने के लिए लड़ाई लड़ी है। कांग्रेस और इंडिया गठबंधन संविधान और लोकतंत्र की रक्षा के लिए समर्पित है। सभी के उज्ज्वल भविष्य के लिए कांग्रेस को वोट दें और साथ मिलकर एक मजबूत भारत का निर्माण करें।

वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि युवा बेरोजगारी की दर, महिलाओं के खिलाफ अपराध और दलितों, आदिवासियों व अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव अभूतपूर्व स्तर पर पहुंच गया है। उन्होंने दावा किया कि ये चुनौतियां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा की ‘नीयत और नीति’ से उपजी हैं, जिनका लक्ष्य समावेशिता और संवाद को खारिज करते हुए सत्ता हासिल करना है।

सोनिया गांधी ने कहा, ‘हमारा संविधान और लोकतंत्र के खतरे में होने, गरीबों को पीछे छोड़ दिए जाने और हमारे समाज के ताने-बाने को कमजोर किए जाने का दृश्य मुझे पीड़ा से भर देता है।’ उन्होंने कहा, ‘आज मैं एक बार फिर आपका समर्थन मांगती हूं। हमारे ‘न्याय पत्र’ (घोषणापत्र) और गारंटी का उद्देश्य हमारे देश को एकजुट करना और भारत के गरीबों, युवाओं, महिलाओं, किसानों, श्रमिकों और वंचित समुदायों के लिए काम करना है।
सुनीता विलियम्स के तीसरे अंतरिक्ष मिशन की लॉन्चिंग टली, जानें क्यों रोकी गई उड़ान
#sunita_williams_boeing_third_space_mission_called_off भारतीय मूल की अमेरिकी एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स ने दुनियाभर में अपनी खास पहचान बनाई है। सुनीता विलियम्स अंतरिक्ष में रिकॉर्ड 322 दिन बिता चुकी हैं और उनके पास सबसे ज्यादा घंटे तक स्पेसवॉक करने वाली महिला वैज्ञानिक होने का रिकॉर्ड है। सुनीता नासा (NASA) की तरफ से पहले दो बार स्पेस मिशन के लिए अंतरिक्ष की यात्रा कर चुकी हैं। अब अपने तीसरे स्पेस मिशन पर अंतरिक्ष जाने की तैयारी में थी।सुनीता विलियम्स की तीसरी अंतरिक्ष यात्रा टल गई है। दरअसल तकनीकी खराबी के चलते उड़ान भरने से 90 मिनट पहले मिशन को रोकने का फैसला किया गया।

सुनीता विलियम्स मंगलवार को तीसरी बार अंतरिक्ष यात्रा पर जाने वाली थीं। सुनीता बोइंग के स्टारलाइनर अंतरिक्षयान से फ्लोरिडा के कैप कॉर्निवाल स्थित केनेडी स्पेस सेंटर से भारतीय समय के अनुसार, सुबह 8.04 बजे उड़ान भरने वाली थीं। हालांकि उड़ान भरने से 90 मिनट पहले वैज्ञानिकों को अंतरिक्ष यान के ऑक्सीजन वाल्व में तकनीकी खामी का पता चला, जिसके चलते उड़ान को रोक दिया गया। सुनीता विलियम्स के साथ नासा के वैज्ञानिक बैरी विल्मोर भी बोइंग के अंतरिक्षयान से अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन जाने वाले थे।


सुनीता विलियम्स इससे पहले अब तक दो बार अंतरिक्ष की यात्रा कर चुकी हैं. इससे पहले वो 2006 और 2012 में अंतरिक्ष जा चुकी हैं।नासा के मुताबिक, उन्होंने अंतरिक्ष में कुल 322 दिन बिताए हैं। 2006 में सुनीता ने अंतरिक्ष में 195 दिन और 2012 में 127 दिन बिताए थे।पहली यात्रा के दौरान उन्होंने चार बार स्पेस वॉक की थी। 2012 के मिशन की खास बात ये थी कि सुनीता ने तीन बार स्पेस वॉक की थी।सुनीता विलियम्स अंतरिक्ष की यात्रा करने वाली भारतीय मूल की दूसरी महिला हैं। उनसे पहले कल्पना चावला अंतरिक्ष जा चुकी थीं।
केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर नहीं हुआ कोई फैसला, सुप्रीम कोर्ट की ओर से कोई आदेश नहीं
#supreme_court_interim_bail_hearing_delhi_cm_arvind_kejriwal


दिल्ली शराब घोटाले में जेल में बंद दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई, लेकिन सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट की बेंच बिना कोई आदेश दिए उठ गई।इस मामले में कोर्ट की ओर से कोई आदेश नहीं जारी किया गया और सुनवाई 9 मई या अगले हफ्ते में पूरी होगी।केजरीवाल ने कोर्ट में अंतरिम जमानत देने की मांग की थी, जिस पर सुनवाई करते हुए 3 मई को जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा था कि लोकसभा चुनाव को देखते हुए केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर विचार किया जा सकता है।

आज सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों के वकीलों ने अपनी-अपनी दलीलें पेश कीं। सुप्रीम कोर्ट ने तमाम दलीलें सुनने के बाद 2ः30 बजे सीएम केजरीवाल पर फैसला सुनाने की बात कही थी। मगर आखिरी समय में सुप्रीम कोर्ट की बेंच बिना फैसला सुनाए ही उठ गई। अरविंद केजरीवाल की न्यायिक हिरासत आज खत्म हो गई थी और उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके अंतरिम जमानत की अर्जी डाली थी। वहीं सीएम की रिहाई के खिलाफ ईडी के वकील ने भी कई दलीलें पेश की, जिसके बाद कोर्ट इस नतीजे पर पहुंची है।

मामले की सुनवाई के दौरान ईडी ने कोर्ट को बताया कि अरविंद केजरीवाल साल 2022 में गोवा विधानसभा चुनाव के दौरान 7 स्टार ग्रैंड हयात होटल में ठहरे थे और होटल के बिल का भुगतान चनप्रीत सिंह द्वारा किया गया था। चनप्रीत सिंह पर आरोप है कि गोवा चुनाव में आम आदमी पार्टी के चुनाव प्रचार के लिए उन्हें ही कथित तौर पर फंड मिला था। ईडी के वकील एडिश्नल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने केजरीवाल की अंतरिम जमानत का विरोध करते हुए कहा कि 'यह राजनीति से प्रेरित मामला नहीं है। हम इस मामले में हो रही राजनीति को लेकर चिंतित नहीं हैं, लेकिन हमारी चिंता सबूतों को लेकर है। शुरुआत में अरविंद केजरीवाल पर हमारा फोकस नहीं था और न ही ईडी केजरीवाल के खिलाफ कार्रवाई का विचार कर रही थी, लेकिन जैसे जैसे जांच आगे बढ़ी तो केजरीवाल की भूमिका साफ हो गई।'

जमानत पर सुनवाई के दौरान जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि लोकसभा चुनाव चल रहा है। यह एक असाधारण मामला है। केजरीवाल चुने हुए मुख्यमंत्री हैं। वह किसी अन्य मामले में शामिल नहीं हैं। एसजी तुषार मेहता ने कहा कि कृपया मामले को पूरा सुनें। हम क्या उदाहरण स्थापित कर रहे हैं। वह एक मुख्यमंत्री हैं और प्रचार करना चाहते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कैंपेन से कोई नुकसान नहीं है। एसजी ने कहा कि अगर एक किसान को अपने खेत की देखभाल करनी है और एक किराना दुकान के मालिक को अपनी दुकान पर जाना है तो एक मुख्यमंत्री को आम आदमी से अलग कैसे माना जा सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक लोगों के साथ अलग व्यवहार नहीं किया जा सकता।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम केस की मेरिट पर नहीं जा रहे हैं, सिर्फ अंतरिम जमानत पर दलील रखिए. ये लोकसभा चुनाव के मद्देनजर राजनीतिक कार्यकारी को लेकर है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर हमने फैसला सुरक्षित रखा तो उसे सुनाना भी पड़ेगा। यदि हम फिर से याचिका स्वीकार करने का निर्णय लेते हैं तो चुनाव प्रचार का यह दौर चला जाएगा।

सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि अगर अदालत हमें अंतरिम जमानत का जवाब देने के लिए कहती है तो इस अदालत को उनकी भूमिका पर सुनवाई करनी चाहिए। अगर वह प्रचार नहीं करेंगे तो आसमान नहीं गिर जाएगा। सिर्फ इसलिए कि उनके पास समय खत्म हो रहा है। एसजी ने कहा कि हम राजधानी के सीएम के साथ काम कर रहे हैं और वह 6 महीने तक समन से बचते रहे हैं। कृपया कोई अपवाद न बनाएं, क्योंकि यह एक वास्तविक आम आदमी को हतोत्साहित करेगा।

अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सीएम को जमानत देने की तरफ इशारा किया था। कोर्ट ने सीएम केजरीवाल के वकील से पूछा कि जमानत मिलने के बाद केजरीवाल मुख्यमंत्री कार्यालय का कोई काम नहीं करेंगे। इसपर सीएम के वकील ने हलफनामा दायर करके कोर्ट की शर्त पूरी करने की गारंटी दी थी। ऐसे में कोर्ट ने 2ः30 बजे फैसला सुनाने की बात कही। मगर अब सुप्रीम कोर्ट की बेंच बिना फैसला सुनाए ही उठ गई। सीएम की याचिका पर अगली सुनवाई 9 मई को होगी।