क़ुरआन व हदीस की शिक्षा के मुताबिक जीवन गुज़ारें : मुफ्ती अख्तर
गोरखपुर। मकतब इस्लामियात तुर्कमानपुर में महान दीनी महफ़िल हुई। क़ुरआन-ए-पाक की तिलावत हाफिज मो. अशरफ रज़ा ने की। नात अलहम खान, आहिल मारूफ, अब्दुल समद, गुलाम वारिस ने पेश की।
अध्यक्षता करते हुए मुफ्ती अख्तर हुसैन ने कहा कि मुसलमान क़ुरआन व हदीस की शिक्षा के मुताबिक जीवन गुज़ारें। शिक्षा पर मुसलमान विशेष ध्यान दें। शिक्षा के बगैर कोई भी मनुष्य, समुदाय व समाज विकास नहीं कर सकता है। मुसलमानों ने विज्ञान के हर क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और विज्ञान को मजबूती प्रदान की है। विज्ञान का कोई क्षेत्र ऐसा नहीं जिसमें मुसलमानों ने अपना योगदान न दिया हो। मुसलमानों के लिए ज्ञान के क्या मायने हैं, उसे क़ुरआन-ए-पाक ने अपनी पहली ही आयत में स्पष्ट कर दिया है। अतीत में मुसलमानों ने उसी आयते करीमा का पालन करते हुए वह स्थान प्राप्त कर लिया था जिसके बारे में आज कोई सोच भी नहीं सकता है।
उन्होंने कुरआन व हदीस पढ़ने उसके अर्थ को समझने की अपील करते हुए पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से मजबूती के साथ ताल्लुक जोड़ने की बात कही। शिक्षा हासिल करने और सही दिशा में प्रयासरत रहने की बात भी की।
विशिष्ट वक्ता मुफ्ती मो. अजहर शम्सी ने कहा कि अल्लाह ने इंसान को अपनी इबादत और बंदगी के लिए पैदा फरमाया है। हमारी रहनुमाई के लिए अल्लाह ने पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को भेजा और उन पर कुरआन-ए-पाक नाज़िल फरमाया। बेहतर दीनी व दुनियावी ज़िंदगी के लिए क़ुरआन और हदीस की तालीमात पर अमल करना होगा। इस पर अमल करने वाले ईमान वाले हैं। पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पूरी ज़िंदगी दुनिया में अमन चैन व ईमानी हिदायत के लिए काम करते रहे। उन्होंने हर पीड़ित व मज़लूम की न सिर्फ सहायता की, बल्कि उसके लिए त्याग भी किया।
अंत में दरूदो सलाम पढ़कर मुल्क में खुशहाली व तरक्की की दुआ मांगी गई। संचालन मौलाना दानिश रज़ा अशरफी ने किया। महफ़िल में हाफिज सैफ अली, नूर आलम, आतिफ अहमद, मोहम्मद असद, लब्बैक हुसैन, मोहम्मद आसिफ, मोहम्मद यासिर, मोहम्मद उबैद, मोहम्मद कैफ, मो. सफियान आदि ने शिरकत की।
Apr 29 2024, 17:16