उलगुलान के बाद् कल्पना सोरेन के राजनितिक एजेंडा होंगे तय,कयास और सियासी चर्चाओं के बीच जानिए इस महारैली के पीछे क्या है उधेश्य...?
विनोद आनंद
आज रांची में उलगुलान रैली है।इस रैली में कल्पना सोरेन ने अपनी पार्टी जेएमएम जिला स्तर से लेकर पंचायत स्तर पर लोगों को रांची में जुटा रही है।उलगुलान का मतलब है जबरदस्त आंदोलन, क्रांति स्थानीय वह क्रांति जो उलगूलन के रूप में अंग्रेजी ताकत से लड़ने के लिए सिद्धू कानू और विरसा मुंडा ने किया था।आज मोदी सरकार के विरुद्ध उल्गुनान का विगुल कल्पना ने रांची से भरी है।
हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद से उनकी पत्नी कल्पना सोरेन ने जब से सक्रिय राजनीति में कदम रखी अपने पति और ससुर की विरासत को संभालने की पूरी कोशिस कर रही है।
उन्होंने मुंबई में जाकर दहाड़ लगायी।और पूरे देश का ध्यान अपने ओर खींचा।उसी तरह सी एम चंपई सोरेन के साथ दिल्ली के रामलीला मैदान भी गई जहां उन्होंने अपने अंदाज और राजनितिक परिपक्वता का परिचई दिया और जेएमएम संगठन को मज़बूती देने,हेमंत सोरेन को जेल जाने के बाद संगठन में आई रिक्तता को भरने का बीड़ा उठाया।
अब् इसी बीड़ा को पंख देने के उद्देश्य से कल्पना सोरेन ने 21 अप्रैल को रांची में उलगुलान रैली की कर रही है। इस रैली में राहुल गांधी और लालू प्रसाद यादव के भी आने की उम्मीद जताई जा रही जो।
संगठन पर भी मज़बूत पकड़ की कोशिश
उलगुलान रैली के बहाने झारखंड के सभी जिले से झामुमो के कार्यकर्ताओं को जुटाने की कोशिश की जा रही है।इसके लिए स्थानीय विधायक से लेकर जिला अध्यक्ष को भी लगाया गया है। जिला अध्यक्षों ने ब्लॉक अध्यक्ष तक को इसके लिए दिशा-निर्देश दे रखा जो।
उलगुलान रैली के पीछे का उधेश्य
आखिर उलगुलान रैली के बारे में लोग सोच रहे हैं कि यह् क्या है? उलगुलान रैली का मतलब ?
उलगुलान रैली के बहाने क्या कल्पना सोरेन झामुमो के नेताओं और कार्यकर्ताओं को एकसूत्र में बांधने की कोशिश कर रही है और कमान अपने हाथ में ले रही है।
यह सच कि यह ऐसा अवसर है जब कल्पना सोरेन जेएमएम के एक एक कार्यकर्ता वह से सीधे रूबरू होगी और विपक्ष के राजनीति में भी अपनी पकड़ मज़बूत् कर राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना पायेगी।हो सकता है अगर विपक्ष सरकार बनाने कि स्थिति में आ जाती है तो महत्वपूर्ण भूमिका में आ सकती है।
इस उलगूलन से कल्पना को कितना मिल सकता है फयादा
उलगुलान रैली को लेकर लोग यह चर्चा कर रहे हैं कि क्या कल्पना सोरेन को इस आंदोलन के राजनितिक फायदें हो सकते हैँ।यह तो तय् है कि वह एक झारखंड से गठबंधन के मज़बूत चेहरा के रूप में उभर रही है।हो सकता है गांडेय उप चुनाव के बाद वे राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में भी प्रतिस्थापित हो सकती है और जेल् से निकलने के बाद हेमंत केंद्रं की राजनीति कर सकते है। कयास तो कई लगाए जा रहे हैँ।लेकिन अब आने वाले समय में इस उलगुलान सफलता पर इसके इफेक्ट का पता चलेगा।
जबदस्त तरीके से आंदोलन करने वाली है? या इसका मतलब कुछ और है. उलगुलान रैली का कितना फायदा कल्पना सोरेन को मिलता है यह तो आने वाले दिनों में ही पता चलेगा.
Apr 21 2024, 14:30