पहले चरण में मोदी सरकार के आठ मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर, किसके नाम दबेगा ईवीएम?

#8_union_ministers_are_contesting_in_lok_sabha_election_phase_1

लोकसभा चुनाव के पहले चरण के लिए मतदान शुरू हो चुका है।इस चरण में कई बड़े चेहरों की किस्मत दांव पर हैं। राजनीतिक पंडितों की मानें तो, पहला चरण निर्णायक होगा, क्योंकि इसमें भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए और कांग्रेस के नेतृत्व वाले इंडिया गठबंधन के कई राजनीतिक दिग्गजों के भाग्य का फैसला होने वाला है। खासतौर पर पहले चरण में के आठ केंद्रीय मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर। 

इन मंत्रियों में नागपुर से चुनाव लड़ रहे सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, अलवर से चुनाव मैदान में उतरे पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव, डिब्रूगढ़ सीट से मैदान में उतरे आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल, अरुणाचल पश्चिम में चुनाव लड़ रहे पृथ्वी विज्ञान मंत्री किरेन रिजिजू, राजस्थान की बीकानेर लोकसभा सीट से किस्मत आजमा रहे कानून राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, जम्मू कश्मीर की उधमपुर सीट से चुनाव लड़ रहे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह, मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी राज्य मंत्री संजीव बालियान और ग्रामीण विकास राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते शामिल हैं। जानते हैं कि, पहले चरण में किस हाईप्रोफाइल सीटों पर सभी की निगाहें रहेंगीः-

नितिन गडकरी (नागपुर): केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी महाराष्ट्र की नागपुर सीट से लगातार तीसरी जीत की कोशिश कर रहे हैं। इस सीट पर गडकरी और नागपुर पश्चिनम से कांग्रेस के विधायक और उम्मीदवार विकास ठाकरे के साथ मुकाबला है। नितिन गडकरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में एक प्रमुख चेहरा रहे हैं और वह दोनों कार्यकाल में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री रहे हैं। 2019 के चुनावों में, गडकरी ने 55.7 प्रतिशत के भारी वोट शेयर के साथ जीत दर्ज की थी। उन्होंने मौजूदा महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले को हराया था।

किरेन रिजिजू(अरुणाचल पश्चिम): मोदी सरकार के एक और मंत्री किरेन रिजिजू एक बार फिर से अरुणाचल पश्चिम सीट से चुनाव मैदान में हैं। रिजिजू 2019 में भी यहां से जीते थे। इस बार उनका मुकाबला कांग्रेस उम्मीदवार और पूर्व मुख्यमंत्री नबाम तुकी है। 2019 में अरुणाचल पश्चिम सीट पर 78.50% मतदान हुआ था। 

सर्बानंद सोनोवाल(डिब्रूगढ़): असम के पूर्व मुख्यमंत्री सोवोनाल डिब्रूगढ़ सीट से भाजपा के प्रत्याशी हैं। वह मोदी सरकार में आयुष मंत्री हैं। 2019 में डिब्रूगढ़ से भाजपा के रामेस्वर तेली जीते थे। 2024 चुनाव में सर्बानंद सोनोवाल का मुकाबला लुरीनज्योति गोगोई से होगा जो कांग्रेस के सहयोगी दल एजेपी के उम्मीदवार हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में डिब्रूगढ़ सीट पर 81.9% लोगों ने वोटिंग की थी। 

संजीव बालियान (मुजफ्फरनगर): उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट से इस बार केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान तीसरी बार बीजेपी के उम्मीदवार हैं। उनके खिलाफ सपा से जाट नेता हरेंद्र मलिक और बसपा से दारा सिंह प्रजापति उम्मीदवार हैं। 2014 और 2019 के चुनाव में बालियान ने इस सीट से जीत हासिल की थी। मुजफ्फरनगर में ठाकुर मतदाता नाराज माने जा रहे हैं, तो जाट वोटों में बिखराव भी उनके लिए चुनौती बना हुआ है, तो मुस्लिम वोटर सपा के साथ एकजुट हैं। ऐसे में बालियान की राह आसान नहीं है।

अर्जुनराम मेघवाल (बीकानेर): अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित राजस्थान की बीकानेर लोकसभा सीट से बीजेपी के दिग्गज नेता और केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल चुनावी मैदान में हैं। उनके खिलाफ कांग्रेस ने पूर्व मंत्री गोविंद राम मेघवाल को उतारा है। अर्जुनराम मेघवाल बीकानेर सीट से तीन बार सांसद रह चुके हैं और अब चौथी बार चुनावी मैदान में हैं।

भूपेंद्र यादव (अलवर सीट): राजस्थान की अलवर लोकसभा सीट से बीजेपी ने दिग्गज नेता और केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव भूपेंद्र यादव को उम्मीदवार बनाया है। उनके खिलाफ कांग्रेस से विधायक ललित यादव उम्मीदवार हैं। साल 2019 में अलवर से बाबा बालक नाथ ने जीत हासिल की थी, लेकिन इस बार बीजेपी ने भूपेंद्र यादव को टिकट दिया है।

जितेंद्र सिंह(उधमपुर): केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह एक बार फिर जम्मू कश्मीर की उधमपुर सीट से भाजपा के प्रत्याशी हैं। 2019 में यहां से जितेंद्र सिंह ही जीते थे। उनके सामने इस बार कांग्रेस से चौधरी लाल सिंह हैं। पिछले चुनाव में उधमपुर सीट पर 79.7% लोगों ने वोटिंग की थी। 

फग्गन सिंह कुलस्ते(मंडला): केंद्रीय मंत्री कुलस्ते मध्य प्रदेश की मंडला सीट से भाजपा के उम्मीदवार हैं। 2019 साल यहां से फग्गन सिंह कुलस्ते जीते थे। इस बार उनके सामने ओंकार सिंह मरकाम कांग्रेस का चेहरा हैं। 2019 में इस सीट पर 81.5% लोगों ने मतदान किया था।

लोकसभा चुनाव 2024: पहले चरण में 21 राज्यों की 102 सीटों पर वोटिंग शुरू, पीएम मोदी ने की ये अपील*
#lok_sabha_election_2024_voting_1st_phase दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक महोत्सव की शुरुआत आज हो गई है। पहले चरण में 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 102 सीटों पर मतदान हो रहा है। पहले चरण में 1600 से ज्यादा उम्मीदवार मैदान हैं। इस चरण में नौ केंद्रीय मंत्री, दो पूर्व मुख्यमंत्री और एक पूर्व राज्यपाल की किस्मत भी दांव पर है। वोटिंग सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक जारी रहेगी। हालांकि, कुछ राज्यों में वोटिंग खत्म होने का समय अलग भी है। *देश के इन राज्यों में मतदान, जानिए क्षेत्रवार सीटों के आंकड़ेः-* • तमिलनाडु 39 • राजस्थान 12 • उत्तर प्रदेश 8 • मध्य प्रदेश 6 • उत्तराखंड 5 • बिहार 4 • जम्मू-कश्मीर 1 • छत्तीसगढ़ 1 • पश्चिम बंगाल 3 • असम 5 • अरुणाचल 2 • मणिपुर 2 • मेघालय 2 • मिजोरम 1 • नगालैंड 1 • सिक्किम 1 • त्रिपुरा 1 • महाराष्ट्र 5 • अंडमान-निकोबार 1 • लक्षद्वीप 1 • पुडुचेरी 1 *युवा भारी संख्या में वोटिंग करें, बनाएं रिकॉर्ड- पीएम मोदी* मतदान शुरू होने से पहले पीएम मोदी ने एक्स पर पोस्ट किया है। उन्होंने लिखा, लोकतंत्र का सबसे बड़ा उत्सव आज से शुरू हो रहा है। लोकसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान में 21 राज्यों और संघ शासित प्रदेशों की 102 सीटों के लिए वोट डाले जाएंगे। इन सभी सीटों के मतदाताओं से मेरा आग्रह है कि वे अपने मताधिकार का प्रयोग जरूर करें और वोटिंग का नया रिकॉर्ड बनाएं। पहली बार वोट देने जा रहे अपने युवा साथियों से मेरी यह विशेष अपील है कि वे भारी संख्या में मतदान करें। लोकतंत्र में हर वोट कीमती है और हर आवाज का महत्त्व है। *बनाए गए हैं 1. 87 लाख मतदान केंद्र* पहले चरण के चुनाव में चुनाव आयोग के मुताबिक 18 लाख से अधिक मतदान अधिकारी 16.63 करोड़ से अधिक मतदाताओं का स्वागत करेंगे. 1. 87 लाख मतदान केंद्र बनाए गए हैं. मतदाताओं में 8.4 करोड़ पुरुष, 8.23 करोड़ महिला और 11,371 थर्ड जेंडर के मतदाता शामिल हैं। *सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम* मतदान और सुरक्षा कर्मियों को लाने-ले जाने के लिए 41 हेलीकॉप्टर, 84 विशेष ट्रेनें और लगभग 1 लाख वाहन तैनात किए गए हैं. चुनाव आयोग ने शांतिपूर्ण और सुचारु रूप से चुनाव कराने के लिए कई निर्णायक कदम उठाए हैं
लोकसभा चुनाव 2024: कल पहले चरण के लिए डाले जाएगें वोट, 21 राज्यों की कुल 102 सीटों पर होगा मतदान

#thefirstphase_polling 

लोकसभा चुनाव के पहले चरण के लिए 19 अप्रैल यानी कल शुक्रवार को वोटिंग होनी है। पहले दौर के चुनाव में 21 राज्यों की कुल 102 सीटों पर वोटिंग है। पहले चरण में अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, राजस्थान, सिक्किम, तमिलनाडु, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड पश्चिम बंगाल, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह सहित राज्य और केंद्रशासित प्रदेश पुडुचेरी, जम्मू-कश्मीर और लक्षद्वीप में । इस चरण में मतदाता चुनाव मैदान में उतरे 1625 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे। कुछ संवेदनशील इलाकों और क्षेत्रों को छोड़कर 19 अप्रैल को सुबह आठ बजे से शाम पांच बजे तक होगी। मतदान के दौरान चुनाव आयोग ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं और मतदान केंद्रों पर केंद्रीय बल की तैनाती की गई है।

पहले चरण में 102 संसदीय सीटों पर वोटिंग

आम चुनाव 2024 के पहले चरण के लिए मतदान 19 अप्रैल को 21 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के 102 संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों (सामान्य- 73; एसटी-11; एससी-18) और 92 विधानसभा क्षेत्रों के लिए होगा। अरुणाचल और सिक्किम में राज्य विधानसभा चुनाव भी साथ हो रहे हैं। इसमें सभी चरणों के मुकाबले संसदीय क्षेत्रों की संख्या सबसे अधिक है। मतदान सुबह 7 बजे शुरू होगा और शाम 6 बजे खत्म होगा। पहले चरण के चुनाव में चुनाव आयोग के मुताबिक 18 लाख से अधिक मतदान अधिकारी 16.63 करोड़ से अधिक मतदाताओं का स्वागत करेंगे। इसके लिए 1.87 लाख मतदान केंद्र बनाए गए हैं। मतदाताओं में 8.4 करोड़ पुरुष: 8.23 करोड़ महिला और 11,371 थर्ड जेंडर के मतदाता शामिल हैं। 35.67 लाख पहली बार वोट देने वाले मतदाता वोट डालने वाले हैं। 20-29 वर्ष आयु वर्ग के 3.51 करोड़ युवा मतदाता हैं।

जिन निर्वाचन क्षेत्रों में होगा मतदान

1. अरुणाचल प्रदेश (2 सीटें) जिसमें अरुणाचल प्रदेश पूर्व और अरुणाचल प्रदेश पश्चिम शामिल हैं।

2. असम (5 सीटें) जिसमें डिब्रूगढ़, जोरहाट, काजीरंगा, लखीमपुर, सोनितपुर शामिल हैं।

3. बिहार (4 सीटें) जिसमें औरंगाबाद, गया, जमुई, नवादा शामिल हैं।

4. छत्तीसगढ़ से बस्तर की एक सीट।

5. मध्य प्रदेश (6 सीटें) जिसमें छिंदवाड़ा, बालाघाट, जबलपुर, मंडला, सीधी, शहडोल शामिल हैं।

6. महाराष्ट्र (5 सीटें) जिनमें नागपुर, चंद्रपुर, भंडारा-गोंदिया, गढ़चिरौली-चिमूर, रामटेक शामिल हैं।

7. मणिपुर (2 सीटें): आंतरिक मणिपुर, बाहरी मणिपुर।

8. मेघालय की दो सीटें – शिलांग, तुरा।

9. मिजोरम, नागालैंड, पुडुचेरी, सिक्किम, लक्षद्वीप से एक-एक सीट।

10. राजस्थान (12): गंगानगर, बीकानेर, चूरू, झुंझुनू, सीकर, जयपुर ग्रामीण, जयपुर, अलवर, भरतपुर, करौली-धौलपुर, दौसा, नागौर।

11. तमिलनाडु: पहले चरण में सभी 39 सीटों पर मतदान होगा।

ये हैं: तिरुवल्लुर, चेन्नई उत्तर, चेन्नई दक्षिण, चेन्नई सेंट्रल, श्रीपेरंबुदूर, कांचीपुरम, अराक्कोनम, वेल्लोर, कृष्णागिरी, धर्मपुरी, तिरुवन्नमलाई, अरणी, विलुप्पुरम, कल्लाकुरिची, सलेम, नामक्कल, इरोड, तिरुप्पुर, नीलगिरी, कोयंबटूर, पोलाची, डिंडीगुल, करूर, तिरुचिरापल्ली, पेरम्बलूर, कुड्डालोर, चिदंबरम, मयिलादुथुराई, नागापट्टिनम, तंजावुर, शिवगंगा, मदुरै, थेनी, विरुधुनगर, रामनाथपुरम, थूथुकुडी, तेनकासी, तिरुनेलवेली, कन्नियाकुमारी।

12. उत्तर प्रदेश: चरण 1 में आठ निर्वाचन क्षेत्रों -पीलीभीत, सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, नगीना, मोरादाबाद और रामपुर में मतदान होना है।

13. पश्चिम बंगाल: कूचबिहार, अलीपुरद्वार और जलपाईगुड़ी में मतदान होगा।

14. अंडमान और निकोबार द्वीप समूह (1 सीट): अंडमान और निकोबार द्वीप समूह।

15. जम्मू-कश्मीर: उधमपुर की एक सीट पर।

चुनाव मैदान में 1625 उम्मीदवार

चुनाव मैदान में 1625 उम्मीदवार (पुरुष 1491; महिला-134) मैदान में हैं। मतदान और सुरक्षा कर्मियों को लाने-ले जाने के लिए 41 हेलीकॉप्टर, 84 विशेष ट्रेनें और लगभग 1 लाख वाहन तैनात किए गए हैं। चुनाव आयोग ने शांतिपूर्ण और सुचारु रूप से चुनाव कराने के लिए कई निर्णायक कदम उठाए हैं। मतदान प्रक्रिया को सुरक्षित करने के लिए मतदान केंद्रों पर पर्याप्त रूप से केंद्रीय बलों की तैनाती की गई है। 50 फीसदी से अधिक मतदान केंद्रों पर वेबकास्टिंग की जाएगी। सभी मतदान केन्द्रों पर माइक्रो पर्यवेक्षकों की तैनाती के साथ ही 361 पर्यवेक्षक तैनात किए गए हैं। जिनमें 127 सामान्य पर्यवेक्षक, 67 पुलिस पर्यवेक्षक, 167 फाइनेंसियल पर्यवेक्षक तैनात किए गए है।  

इन मतदाताओं को पिक एंड ड्रॉप सुविधा दी गई

इसके साथ ही 85 साल से अधिक उम्र के 14.14 लाख से अधिक वोटर पंजीकृत हैं और 13.89 लाख दिव्यांग वोटर हैं। 85 वर्ष से अधिक आयु के दिव्यांग मतदाताओं और मतदान केंद्रों पर आने का निर्णय लेने वालों को पिक एंड ड्रॉप सुविधा दी गई है। पीडब्ल्यूडी मतदाता ईसीआई सक्षम ऐप के माध्यम से व्हीलचेयर ब्रेल सुविधाएं भी बुक कर सकते हैं। 102 संसदीय क्षेत्रों में स्थानीय थीम के साथ मॉडल मतदान केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं। 5000 से अधिक मतदान केंद्रों का प्रबंधन पूरी तरह से सुरक्षा कर्मचारियों सहित महिलाओं द्वारा किया जाएगा और 1000 से अधिक मतदान केंद्रों का प्रबंधन विकलांग व्यक्तियों (पीडब्ल्यूडी) द्वारा किया जाएगा।

मतदान के लिए 12 फोटो पहचान पत्र मान्य

मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि मतदान के समय ऐसे मतदाता जिनके पास अपना मतदाता फोटो पहचान पत्र न हो, वे 12 अन्य वैकल्पिक फोटो पहचान पत्रों में से किसी एक को दिखा कर मतदान कर सकेंगे। वैकल्पिक पहचान पत्रों में आधार कार्ड, मनरेगा जॉब कार्ड, बैंको/डाकघरों द्वारा जारी किए गए फोटोयुक्त पासबुक, श्रम मंत्रालय की योजना के अन्तर्गत जारी स्वास्थ्य बीमा स्मार्ट कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, एनपीआर के अन्तर्गत आरजीआई द्वारा जारी किये गये स्मार्ट कार्ड, भारतीय पासपोर्ट, फोटोयुक्त पेंशन दस्तावेज, केन्द्र,राज्य सरकार,लोक उपक्रम और पब्लिक लिमिटेड कंपनियों द्वारा अपने कर्मचारियों को जारी किए गए फोटोयुक्त सेवा पहचान पत्र, सांसदों-विधायकों-विधान परिषद सदस्यों को जारी किये गये सरकारी पहचान पत्र और यूनिक डिसएबिलिटी आईडी (यूडीआईडी) सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय भारत सरकार द्वारा निर्गत कार्ड मतदेय स्थलों (पोलिंग बूथ) पर मतदाताओं की पहचान के लिए अनुमन्य होंगे।

केरल में ईवीएम मॉक ड्रिल में बीजेपी को मिले अधिक वोट ? चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में दिया जवाब

#eci_to_sc_reports_of_evms_showing_one_extra_vote_during_mock_poll 

लोकसभा चुनाव 2024 के तहत पहले चरण की वोटिंग शुरू होने में अब 24 घंटे से भी कम वक्‍त बचा है। वोटिंग से ठीक पहले सुप्रीम कोर्ट में ईवीएम मशीन की प्रमाणिकता को लेकर सुनवाई हुई। वहीं, वोटिंग से ठीक पहले कुछ जगह मॉक पोल के दौरान ईवीएम में गड़बड़ी की खबरें सामने आई है।इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा है कि उस आरोप की जांच की जाए जिसमें बताया गया है कि केरल में ईवीएम के मॉक ड्रिल के दौरान बीजेपी को अतिरिक्त वोट मिले थे। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना की अगुवाई वाली बेंच के सामने ईवीएम और वीवीपएटी के पर्ची के मिलान से संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान यह मामला उठाया गया। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना की अगुवाई वाली बेंच ने मामले में सुनवाई के दौरान मौखिक आदेश में चुनाव आयोग से कहा कि वह इस मामले में जो रिपोर्ट आई है उसे चेक करे।

इस आरोप पर चुनाव आयोग ने कोर्ट को बताया कि कासरगोड में ईवीएम में अनियमितता की खबरें गलत और आधारहीन है।वरिष्ठ उप निर्वाचन आयुक्त नीतेश कुमार व्यास ने न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की बेंच से कहा, ये खबरें गलत हैं। हमने जिलाधिकारी से आरोपों की पड़ताल की है और यह बात सामने आई है कि ये गलत हैं। हम अदालत में विस्तृत रिपोर्ट जमा करेंगे।

बता दें कि वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट में खबर की रिपोर्ट दिखायी थी कि मॉक ड्रिल के दौरान एक एक अतिरिक्त वोट भाजपा के पक्ष में पाया गया था।एडवोकेट प्रशांत भूषण ने केरल के कासरगोड में मॉक ड्रिल के दौरान ईवीएम में पाई गई अनियमितता का जिक्र किया। उन्होंने कोर्ट को बताया कि मॉक ड्रिल के दौरान एक एक अतिरिक्त वोट बीजेपी के पक्ष में पाया गया था। जस्टिस खन्ना ने चुनाव आयोग से कहा कि पूरी प्रक्रिया बताएं कि वीवीपैट को कैसे कैलिब्रेट किया जाता है, किस चरण में उम्मीदवार प्रतिनिधि शामिल होते हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए क्या तंत्र हैं कि कोई छेड़छाड़ न हो?

चुनाव आयोग ने कहा कि याचिकाएं सिर्फ आशंका हैं, और कुछ नहीं है। वीवीपैट सिर्फ एक प्रिटिंग मशीन है और सिंबल मशीन में अपलोड किए जाते हैं। जस्टिस खन्ना ने कहा कि आपने कहा कि वीवीपैट केवल एक प्रिंटर है। सिंबल का डेटा किस यूनिट में अपलोड किया जाता है? सुप्रीम कोर्ट में मौजूद ईसीआई अधिकारी ने डायस लेते हुए कहा कि मैं चुनाव योजना को देखता हूं। मैं जो भी कह रहा हूं अधिकारपूर्वक कह रहा हूं। मतपत्र इकाई केवल बटन नंबर बताती है। 3 दबा दिया गया है। बटन इकाई उम्मीदवारों के लिए तय नहीं है। कंट्रोल यूनिट में कुछ भी लोड नहीं है।हर एक मशीन में बटन नंबर अलग होता है।

मोदी सरकार में एक्शन में ईडी, 10 साल में 86 गुना बढ़ी छापेमारी और जब्ती अभियान

#national_ed_raids_in_money_laundering_cases_increased_in_10_years 

केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार केन्द्रीय एजेंसियों के दुरूपयोग का आरोप झेल रही है। सरकार की ओर से विपक्षी नेताओं पर जानबूझकर सरकारी एजेंसियों की ओर से कार्रवाई करने के आरोप लगते रहे हैं। इस बीच आंकड़ों से पता चलता है कि बीते 10 वर्षों में भाजपा शासनकाल के दौरान केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) एक्शन मोड में है।मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत ईडी की छापेमारी के मामलों में 2014 से पहले के 9 वर्षों की तुलना में पिछले 10 साल में 86 गुना बढ़ोतरी हुई है। वहीं पिछली समान अवधि की तुलना में गिरफ्तारी और संपत्तियों की जब्ती लगभग 25 गुना बढ़ गई है। 

एक रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल 2014 से मार्च 2024 के बीच के आंकड़ों की जुलाई 2005 से लेकर मार्च 2014 तक के आंकड़ों से तुलना करने पर पता चलता है कि ईडी की सक्रियता में बीते 10 वर्षों में काफी तेजी आई है। आंकड़ों से पता चलता है कि ईडी ने पिछले 10 वर्षों के दौरान पीएमएलए के तहत 5,155 मामले दर्ज किए जबकि संप्रग सरकार के कार्यकाल के दौरान कुल 1,797 एफआईआर दर्ज की गईं। इस तरह दोनों अवधि की तुलना करने पर पता चलता है कि मामलों में लगभग तीन गुना वृद्धि हुई है।

आंकड़ों से पता चलता है कि पहली बार 2014 के वित्तीय वर्ष में पीएमएलए के तहत किसी को दोषी ठहराया गया और अब तक 63 लोगों को इस कानून के तहत दंडित किया गया है। ईडी ने 2014-2024 की अवधि के दौरान देशभर में मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में 7,264 छापे मारे जबकि इससे पिछली अवधि में यह आंकड़ा केवल 84 था। इस तरह छापेमारी के मामलों में 86 गुना वृद्धि हुई। आंकड़ों में कहा गया है कि पिछले दस वर्षों के दौरान कुल 755 लोगों को गिरफ्तार किया गया और 1,21,618 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गई जबकि संप्रग काल में 29 गिरफ्तारियां हुईं और 5,086.43 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गई थी। इस तरह गिरफ्तारियां 26 गुना ज्यादा बढ़ गई जबकि संपत्तियों की जब्ती से जुड़े आंकड़े में भी 24 गुना का उछाल आया।

यूपीए के कार्यकाल में जहां 102 चार्जशीट दाखिल की गईं, वहीं एनडीए के 10 सालों में ये संख्या 1281 तक पहुंच गई। यूपीए के समय कुल मामलों के मुकाबले चार्जशीट दाखिल करने का प्रतिशत 6% से भी कम था, जबकि एनडीए के तहत ये आंकड़ा करीब 25% हो गया। जब ईडी किसी मामले की जांच पूरी कर लेती है और उन्हें पैसा साफ करने का (पहली नज़र में) सबूत मिल जाता है, तो वो कोर्ट में चार्जशीट दाखिल करती है। इसका मतलब है कि कोर्ट आरोपी के खिलाफ आरोप तय कर सकता है और मुकदमा शुरू हो सकता है।

पीएमएलए कानून को साल 2002 में बनाया गया था और 1 जुलाई 2005 को इसे लागू कर दिया गया था। यह कानून टैक्स की चोरी रोकने, काले धन और धन शोधन पर रोकथाम के लिए बनाया गया था। विपक्षी पार्टियों का आरोप है कि सरकार, विरोधियों के खिलाफ ईडी का इस्तेमाल कर रही है। हालांकि केंद्र सरकार का दावा है कि सत्ताधारी दल का एजेंसी पर कोई दबाव नहीं है और यह स्वतंत्र रूप से भ्रष्टाचार के खिलाफ काम करती है।

मोदी सरकार में एक्शन में ईडी, 10 साल में 86 गुना बढ़ी छापेमारी और जब्ती अभियान*
#national_ed_raids_in_money_laundering_cases_increased_in_10_years केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार केन्द्रीय एजेंसियों के दुरूपयोग का आरोप झेल रही है। सरकार की ओर से विपक्षी नेताओं पर जानबूझकर सरकारी एजेंसियों की ओर से कार्रवाई करने के आरोप लगते रहे हैं। इस बीच आंकड़ों से पता चलता है कि बीते 10 वर्षों में भाजपा शासनकाल के दौरान केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) एक्शन मोड में है।मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत ईडी की छापेमारी के मामलों में 2014 से पहले के 9 वर्षों की तुलना में पिछले 10 साल में 86 गुना बढ़ोतरी हुई है। वहीं पिछली समान अवधि की तुलना में गिरफ्तारी और संपत्तियों की जब्ती लगभग 25 गुना बढ़ गई है। एक रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल 2014 से मार्च 2024 के बीच के आंकड़ों की जुलाई 2005 से लेकर मार्च 2014 तक के आंकड़ों से तुलना करने पर पता चलता है कि ईडी की सक्रियता में बीते 10 वर्षों में काफी तेजी आई है। आंकड़ों से पता चलता है कि ईडी ने पिछले 10 वर्षों के दौरान पीएमएलए के तहत 5,155 मामले दर्ज किए जबकि संप्रग सरकार के कार्यकाल के दौरान कुल 1,797 एफआईआर दर्ज की गईं। इस तरह दोनों अवधि की तुलना करने पर पता चलता है कि मामलों में लगभग तीन गुना वृद्धि हुई है। आंकड़ों से पता चलता है कि पहली बार 2014 के वित्तीय वर्ष में पीएमएलए के तहत किसी को दोषी ठहराया गया और अब तक 63 लोगों को इस कानून के तहत दंडित किया गया है। ईडी ने 2014-2024 की अवधि के दौरान देशभर में मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में 7,264 छापे मारे जबकि इससे पिछली अवधि में यह आंकड़ा केवल 84 था। इस तरह छापेमारी के मामलों में 86 गुना वृद्धि हुई। आंकड़ों में कहा गया है कि पिछले दस वर्षों के दौरान कुल 755 लोगों को गिरफ्तार किया गया और 1,21,618 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गई जबकि संप्रग काल में 29 गिरफ्तारियां हुईं और 5,086.43 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गई थी। इस तरह गिरफ्तारियां 26 गुना ज्यादा बढ़ गई जबकि संपत्तियों की जब्ती से जुड़े आंकड़े में भी 24 गुना का उछाल आया। यूपीए के कार्यकाल में जहां 102 चार्जशीट दाखिल की गईं, वहीं एनडीए के 10 सालों में ये संख्या 1281 तक पहुंच गई। यूपीए के समय कुल मामलों के मुकाबले चार्जशीट दाखिल करने का प्रतिशत 6% से भी कम था, जबकि एनडीए के तहत ये आंकड़ा करीब 25% हो गया। जब ईडी किसी मामले की जांच पूरी कर लेती है और उन्हें पैसा साफ करने का (पहली नज़र में) सबूत मिल जाता है, तो वो कोर्ट में चार्जशीट दाखिल करती है। इसका मतलब है कि कोर्ट आरोपी के खिलाफ आरोप तय कर सकता है और मुकदमा शुरू हो सकता है। पीएमएलए कानून को साल 2002 में बनाया गया था और 1 जुलाई 2005 को इसे लागू कर दिया गया था। यह कानून टैक्स की चोरी रोकने, काले धन और धन शोधन पर रोकथाम के लिए बनाया गया था। विपक्षी पार्टियों का आरोप है कि सरकार, विरोधियों के खिलाफ ईडी का इस्तेमाल कर रही है। हालांकि केंद्र सरकार का दावा है कि सत्ताधारी दल का एजेंसी पर कोई दबाव नहीं है और यह स्वतंत्र रूप से भ्रष्टाचार के खिलाफ काम करती है।
क्यों बढ़ रहा है केजरीवाल का शुगर? कोर्ट के सामने ईडी का खुलासा

#kejriwal_is_consuming_sugar_ed_claims

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने राउज एवेन्यू कोर्ट में याचिका दायर की थी कि उन्हें अपने निजी चिकित्सक से कंसल्ट करने की अनुमति दी जाए। इस आवेदन पर ईडी ने कोर्ट में अपना जवाब दाखिल कर दिया है। ईडी का कहना है कि केजरीवाल अपनी जमानत के लिए एक आधार बना रहे हैं। केजरीवाल ने कोर्ट में कहा है कि उन्हें हाई ब्लड शुगर है, लेकिन वह जेल में आम व मिठाई खा रहे हैं।

ईडी की तरफ से पेश हुए वकील जुहैब हुसैन ने बताया क‍ि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का शुगर बढ़ने की वजह उनका घर का खाना है। उन्हें घर से आलू पूरी, आम, मिठाई और मिठी चीजें खाने के लिए दी जा रही हैं। वहीं ईडी ने कोर्ट को बताया क‍ि अरविंद केजरीवाल चीनी वाली चाय पी रहे है और यह मेडिकल के आधार पर जमानत दाखिल करने का आधार बनाया जा रहा है।

अरविंद केजरीवाल के वकील विवेक जैन ने ईडी के वकील की दलीलों का विरोध करते हुए कहा कि जांच एजेंसी यह बयान मीडिया के लिए दे रही है। अरविंद केजरीवाल के वकील ने कहा क‍ि उनका फास्टिंग शुगर 243 था, जोकि बहुत ज्यादा है। केजरीवाल को डॉक्टर द्वारा निर्देशित भोजन ही दिया जा रहा है।

टाइम मैगजीन ने जारी की 100 प्रभावशाली लोगों की लिस्ट, बीजेपी सांसद के खिलाफ आंदोलन करने वाली साक्षी मलिक को मिला स्थान

#olympian_sakshi_malik_name_in_the_list_of_time_magazine_100_most_influential_people

टाइम मैगजीन ने दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची जारी की।जिसमें बॉलीवुड स्टार आलिया भट्ट, विश्व बैंक के अध्यक्ष अजय बंगा, माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्या नडेला, पहलवान साक्षी मलिक और भारतीय मूल के ब्रिटिश अभिनेता देव पटेल ने जगह बनाई है। टाइम मैगजीन की लिस्ट में शामिल पहलवान साक्षी मलिक भारत की एकमात्र महिला ओलंपिक पदक विजेता हैं। बता दें कि साक्षी ने पिछले साल भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ आंदोलन में मुख्य भूमिका निभाई थी। इस कारण बृजभूषण शरण सिंह को अपने पद से हाथ धोना पड़ा था और कुश्ती महासंघ ने फिर से चुनाव हुए थे।

साक्षी मलिक के बारे टाइम मैगजिन ने लिखा, "वह भारत के सबसे प्रसिद्ध पहलवानों में से एक हैं। वह भारतीय कुश्ती महासंघ के प्रमुख बृजभूषण सिंह की तत्काल गिरफ्तारी और इस्तीफे की मांग के लिए 2023 की शुरुआत में दिल्ली के जंतर मंतर पर आंदोलन में शामिल हुई थीं। बृजभूषण सिंह पर महिला एथलीटों का यौन उत्पीड़न करने का आरोप है।"

टाइम मैगजीन में अपना नाम देखकर साक्षी मलिक काफी खुश हैं। उन्होंने एक्स पर लिखा 2024 का टाइम 100 सूची में शामिल होने पर गर्व है।साक्षी कुश्ती में भारत के लिए पदक जीतने वाली इकलौती महिला पहलवान हैं। साक्षी ने दो बार की वर्ल्ड चैंपियनशिप की ब्रॉन्ज मेडल विजेता विनेश फोगाट और टोक्यो ओलंपिक के ब्रॉन्ज मेडल विनर बजरंग पुनिया के साथ जंतर-मंतर पर बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया था।

टाइम के 'वर्ष 2024 के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों' में अमेरिकी ऊर्जा विभाग के ऋण कार्यक्रम कार्यालय के निदेशक जिगर शाह, येल विश्वविद्यालय में खगोल विज्ञान और भौतिकी की प्रोफेसर प्रियंवदा नटराजन, भारतीय मूल की रेस्तरां मालकिन अस्मा खान एवं रूसी विपक्षी नेता एलेक्सी नवेलनी की विधवा यूलिया नवेलनाया भी शामिल हैं।

बंगाल के मुर्शिदाबाद में रामनवमी शोभायात्रा पर छतों से की गई पत्थरबाजी और फेंके बम, लहूलुहान हुए हिंदू श्रद्धालु

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में रामनवमी के जुलूस पर पथराव एवं बमबाजी की खबर आ रही है। घटना में कई भक्तों को चोटें आईं हैं। कुछ की स्थित गंभीर बताई जा रही है। सोशल मीडिया पर बुधवार (17 अप्रैल 2024) को हुई इस घटना के वीडियो भी वायरल हो रहे हैं। वीडियो में पत्थर फेंकते लोग एवं सड़क पर बम फटते स्पष्ट नजर आ रहे हैं। इन्हीं में से एक वीडियो शेयर करते हुए भाजपा ने ममता बनर्जी की तुष्टिकरण की नीति पर सवाल खड़े किए हैं। बीजेपी ने लिखा, “पश्चिम बंगाल में रामनवमी की शोभा यात्राओं की सुरक्षा करने में ममता बनर्जी नाकाम साबित हुई हैं। ये स्थिति भयावह है। मुर्शिदाबाद के रेजिनगर में हिंदुओं को निशाना बनाया गया जो उस क्षेत्र में अल्पसंख्यक हैं।”

वही इस वीडियो में कई लोग छतों पर खड़े नजर आ रहे हैं। वो वहाँ से नीचे ईंट-पत्थर फेंक रहे हैं। नीचे शोभायात्रा में सम्मिलित लोग हैं जिनमें चीख पुकार मची नजर आ रही है। वीडियो में हेलमेट पहने कुछ पुलिसकर्मी भी नजर आ रहे हैं। वो छत से पत्थर फेंक रहे उपद्रवियों को समझाने की कोशिश कर रहे हैं। हालाँकि उनकी अपील का कोई भी प्रभाव हमलावरों पर होता नहीं नजर आ रहा है। 23 सेकेंड के इस वीडियो में नीचे खड़े लोग शोरगुल करते सुनाई दे रहे हैं। इस घटना पर बीजेपी नेता जगन्नाथ चट्टोपाध्याय ने अपना बयान जारी किया है। जगन्नाथ ने इस हमले के पीछे प्रशासनिक लापरवाही को मुख्य तौर पर जिम्मेदार बताया है। जगन्नाथ का आरोप है कि पहले से हमले की आशंका होने के बाद भी प्रशासनिक अफसरों ने सुरक्षा के कोई भी ठोस कदम नहीं उठाए थे। उन्होंने चुनाव आयोग से दोषी अफसर पर कार्रवाई करने की माँग की है। जगन्नाथ चट्टोपाध्याय ने जो वीडियो जारी किया है उसमें पश्चिम बंगाल पुलिस के साथ पैरामिलिट्री के जवान भी हालात को नियंत्रित करने का प्रयास करते नजर आ रहे हैं। बॉडी प्रोटेक्टर और हेलमेट पहने जवान दुकानों के आगे खड़े हो कर किसी को रोकने का प्रयास करते नजर आ रहे हैं।

वही इस वीडियो में जुलूस के बीच बम फटते नजर आ रहा है। इसके अतिरिक्त तस्वीरों में किसी रामभक्त के सिर से खून आता दिखाई दे रहा है तो किसी के कपड़े रक्त से सने हैं। लोगों को हड़बड़ी में इधर-उधर भागते भी देखा जा सकता है। ध्यान हो कि बंगाल में रामनवमी जैसे मौकों पर हिंदुओं द्वारा शोभा यात्रा निकालना मुश्किल हो गया है। मुर्शिदाबाद में कई स्थानों से मिले देसी बम रिकवर किए जाने की खबरों के बीच यह घटना देखने को मिली, जहाँ रामभक्तों पर खुले में देसी बम फेंके गए तथा कोई कुछ नहीं कर पाया। प्राप्त एक की रिपोर्ट के मुताबिक, इस घटना में 20 से अधिक लोग घाटल हुए हैं। एक महिला को गंभीर चोटें आई हैं जिसे मुर्शिदाबाद मेडिकल कॉलेज एंव चिकित्सालय में भर्ती कराया दया है। बाकियों को लोकल चिकित्सालय में भर्ती किया गया है।

जबरन धर्मान्तरण करवाने के मामले में हजरतबल दरगाह के मौलवी पर हुई कार्रवाई, वक़्फ़ बोर्ड ने दिए जांच के आदेश

 जम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड ने श्रीनगर के हजरतबल दरगाह में हरियाणा निवासी सनीप कुमार को जबरन इस्लाम में परिवर्तित करने में शामिल होने के लिए हजरतबल दरगाह के मौलवी डॉ कमालुद्दीन फारूकी को उनके बर्खास्त कर दिया है। फारूकी को इमाम-ओ-खतीब, असर-ए-शरीफ, हजरतबल (हजरतबल की दरगाह) के कर्तव्यों से मुक्त करने के अलावा, उनके खिलाफ एक जांच भी शुरू की गई है। वक्फ बोर्ड के एक बयान में कहा गया है कि उसे इस संबंध में शिकायतें मिल रही हैं और उसने इन आरोपों का संज्ञान लिया है कि फारूकी ने जुमात उल विदा (ईद से पहले आखिरी शुक्रवार) की नमाज के दौरान जबरन धर्मांतरण की अध्यक्षता की थी।

इस मामले की जांच के लिए वक्फ बोर्ड द्वारा गठित जांच समिति की अध्यक्षता सैयद मोहम्मद हुसैन करेंगे, जो बोर्ड के सदस्य हैं। इसमें एक अन्य बोर्ड सदस्य गुलाम नबी हलीम और श्रीनगर के करण नगर में सैयद करम शाह साहिब के इमाम-ओ-खतीब (मुख्य मौलवी) मोहम्मद यासीन खान भी शामिल होंगे। फारूकी के खिलाफ कार्रवाई करने और जांच समिति के संबंध में निर्णय सांप्रदायिक सद्भाव पर प्रभाव के संबंध में आशंकाओं को देखते हुए बोर्ड द्वारा एक आपात बैठक के बाद लिया गया। वक्फ बोर्ड के केंद्रीय कार्यालय में आपातकालीन बैठक बुलाई गई और बोर्ड के प्रमुख इमाम-ओ-खतीब (विभिन्न धर्मस्थलों के मौलवी) ने भाग लिया। 

बैठक के बाद सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि जबरन धर्म परिवर्तन की घटना गंभीर शांति भंग का कारण बन सकती है और जनता के बीच कलह फैल सकती है। कुछ प्रमुख मौलवियों ने यह भी कहा कि जबरन धर्म परिवर्तन के इस मामले के दौरान, इस्लामी न्यायशास्त्र के अनुसार उचित प्रक्रियाओं, सरकार द्वारा स्थापित कानून और नियमों की अनदेखी की गई। 7 अप्रैल को संदीप कुमार को जबरन इस्लाम कबूल कराने के कुछ वीडियो वायरल होने के बाद बड़ा विवाद खड़ा हो गया था। संदीप कुमार नौहट्टा निवासी इस्लामवादी अनायत मुंतज़िर के घर पर घरेलू नौकर के रूप में काम करता था। अब यह पता चला है कि उसके नियोक्ता ने संदीप को इस्लाम कबूल करने और हजरतबल दरगाह पर कलमा पढ़ने के लिए मजबूर किया था। इसके बाद, भारतीय दंड संहिता (IPC) के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत निगीन पुलिस स्टेशन में 2024 की FIR 55 दर्ज की गई और जांच एक उप-निरीक्षक को सौंप दी गई।

ऐसा प्रतीत होता है कि कश्मीर में 10 अप्रैल (मंगलवार) को ईद पड़ने के मद्देनजर पुलिस ने अब तक अपनी जांच के संबंध में कोई विवरण नहीं दिया है। वक्फ बोर्ड द्वारा हजरतबल दरगाह के मौलवी के खिलाफ कार्रवाई की घोषणा नहीं करने का भी यही कारण प्रतीत होता है। हालांकि, सूत्रों ने कहा कि इसके बाद घटनाओं की शृंखला तय करते हुए, मंदिर में नियोक्ता अनायत मुंतज़िर के खिलाफ सख्त कार्रवाई की संभावना है।

इससे पहले दिन (बुधवार) में, जम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड की अध्यक्ष डॉ दरख्शां अंद्राबी ने हजरतबल दरगाह में ईद की नमाज अदा की। प्रार्थना के बाद उन्होंने पत्रकारों से बात की और कहा कि उन्होंने पूरी मानवता की भलाई के लिए प्रार्थना की है। उन्होंने कहा, दशकों की अशांति के बाद हमें जो शांति मिली है, उसके लिए हमें आभारी होना चाहिए। डॉ. अंद्राबी ने कहा, हम सभी को इस शांतिपूर्ण माहौल को बनाए रखने के लिए अपने प्रयास करने होंगे। हम बिना किसी कानून-व्यवस्था की समस्या के डर के आज ईद मना रहे हैं। सर्वशक्तिमान अल्लाह हमें शांति भंग करने वालों की बुरी नजर से बचाएं, और सद्भाव और समृद्धि हमारा भविष्य हो।