गम्हरिया एमटीसी मॉल के पास हुए 9 अप्रैल को बमबाजी का पुलिस ने किया उद्भेदन,दो अपराधी गिरफ्तार,एक की तलाश जारी
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सरायकेला : कोल्हान के आदित्यपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत गम्हरिया एमटीसी मॉल के पास बीते 9 अप्रैल की रात्रि 9:30 बजे आसपास हिस्ट्रीशीटर अपराधी उत्तम दास उर्फ बाबू दास और बिल्डिंग मटेरियल सप्लायर अजय प्रताप सिंह पर हुए बोतल बम हमला मामला में सरायकेला एसपी द्वारा गठित किए गए एसआईटी को सफलता हाथ लगी है. एसआईटी टीम ने बमबाजी घटना में शामिल दो अपराधियों को गिरफ्तार कर लिया है । जिनमें मुख्य रूप से मोती बिश्नोई समेत एक अन्य अपराधी मन्तोष महतो को गिरफ्तार कर लिया है। सरायकेला सीडीपीओ संतोष कुमार मिश्रा द्वारा प्रेस वार्ता आयोजित कर दोनो अपराधियों के पकड़े जाने के मामले की जानकारी दी गयी । एसडीपीओ द्वारा बताया गया कि बमबाजी घटना में शामिल दोनों अपराधियों को गिरफ्तार किया है ।जिनके द्वारा व्यवसाय में वर्चस्व और आपसी रंजिश के चलते बमबाजी की गई थी, गिरफ्तार अपराधी मोतीलाल विश्वनोई का अपराधिक इतिहास है ,जिस पर आदित्यपुर थाना में पांच आपराधिक मामले दर्ज हैं। वहीं गिरफ्तार मंतोष महतो भी पूर्व में अपराधी घटनाओं में शामिल रहा है ।एसडीपीओ द्वारा बताया गया कि मंगलवार रात बमबाजी की घटना में एक अन्य अपराधी भी शामिल है, जो फिलहाल पुलिस की गिरफ्त से बाहर है । जिसे गिरफ्तारी को लेकर छापामारी चलाया जा रहा है। पुलिस के अनुसार घटना में अन्य लोग भी शामिल है जिनकी पड़ताल चल रही है। विस्फोटक पदार्थ को ज़ब्त कर भेजा जा रहा एफएसएल जांच के लिए एसडीपीओ ने बताया कि की घटना के बाद पुलिस ने घटनास्थल के पास से 3 मोबाईल ,घटनास्थल पर लगे सी०सी०टी०वी० कैमरा का डी०वी०आर०, घटना को अंजाम देते समय अभियुक्तों के द्वारा पहना हुआ कपड़ा बरामद किया गया है ,जिसे जांच के लिए रांची एफएसएल लैब भेजा जाएगा ।
सभी शस्त्र अनुज्ञप्ति धारी को शस्त्र और उसके लाइसेंस को निकटम थाना में जमा करने का निर्वाचन अधिकारी ने दिया आदेश


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सरायकेला : लोकसभा आम निर्वाचन 2024 के स्वच्छ, शांतिपूर्ण एवं भयमुक्त आयोजन हेतु जिला निर्वाचन पदाधिकारी -सह- उपायुक्त, सरायकेला श्री रवि शंकर शुक्ला द्वारा आदेश दिया गया है कि सभी शस्त्र अनुज्ञप्ति धारी जिन्होंने अन्य जिला/ राज्य से शस्त्र अनुज्ञप्ति प्राप्त कर शस्त्र धारित किया हैं एवं वर्तमान में सरायकेला जिला में निवास करते हुए शस्त्र का उपयोग कर रहे हैं। 

वैसे सभी अनुज्ञप्तिधारियों को वे सरायकेला जिला के जिस भी थाना क्षेत्र में निवास करते हो वे संबंधित थाना में अपना शस्त्र अनुज्ञप्ति एवं उस पर धारित शस्त्र का सत्यापन दो दिनों के अंदर करना अनिवार्य रूप से सुनिश्चित करेंगे।

समय व्यतीत होने के उपरांत पुलिस अधिकारियों के द्वारा जांच अभियान चलाए जाने के दौरान यदि किसी व्यक्ति के पास अन्य जिला/ राज्य द्वारा निर्गत अनुज्ञप्ति एवं उस पर आधारित शस्त्र पाया जाएगा तो संबंधित व्यक्ति के विरुद्ध शस्त्र अधिनियम 2016 की सुसंगत धाराओं के तहत शस्त्र को जप्त कर अनुज्ञप्ति रद्द करने की कार्रवाई के साथ-साथ अनुज्ञप्ति धारी के विरुद्ध विधि सम्मत करवाई की जाएगी।

चाईबासा: देश के हो बहुल लोकसभा क्षेत्र कोलहान में संताल प्रत्याशी बनाए जानें से झामुमो में उठने लगे विरोध के स्वर
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चाईबासा: सिंहभूम के अखाड़े में गीता और जोबा का सियासी भिड़ंत दिलचस्प होने की बात हो रही हो लेकिन हकीकत मानें तो पश्चिमी सिंहभूम झामुमो के जिला कमेटी के अंदर इस बात को लेकर बिरोध के स्वर उठ रहें हैं. देश के 534 लोकसभा क्षेत्र में एक हो बहुल लोकसभा क्षेत्र कोलहान का सिंहभूम क्षेत्र है और इस सिंहभूम लोकसभा क्षेत्र में हो को टिकट ना देकर संथाल समुदाय से आने वाले को प्रत्याशी बनाया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। इतना ही नहीं अब तो प्रत्याशी बदलने की मांग उठने लगी है और पार्टी के अंदर खानें में।अब इस बीच देखना होगा किया रंग लायेगा देवेंद्र मांझी का संघर्ष या मधु कोड़ा के "कोड़े" से बिखर जायेगा जेएमएम का सपना। झामुमो का सबसे सुरक्षित किला में से एक माना जाना वाला कोल्हान से जैसे ही निर्वतमान सांसद गीता कोड़ा ने पलटी मार कमल की सवारी का फैसला किया, इंडिया गठबंधन के अंदर कई सियासतदानों की किस्मत खुलती नजर आयी, टिकट की दावेदारी में कई नाम एक साथ सामने आते दिखें, दीपक बरुआ से लेकर सुखराम उरांव का नाम उछलने लगा, और इसके साथ ही यह सवाल भी खड़ा होता दिखा कि गीता कोड़ा की पलटी के बाद इस सीट पर कांग्रेस की दावेदारी बरकरार रहेगी या फिर बदली परिस्थितियों में यह सीट झामुमो के खाते में जायेगी। आखिरकार यह सीट झामुमे के हिस्से आयी और अब झामुमो की ओर से जोबा मांझी को मैदान में उतारने का फैसला कर लिया गया है। जोर पकड़ रहा है जनजाति से चेहरा देने की मांग हालांकि राजमहल और लोहरदगा की तरह ही यहां भी जोबा मांझी के नाम का एलान के बाद कुछ हलकों से विरोध की खबर भी आई है, इस बात का दावा किया जा रहा है कि यदि इस 'हो' बहुल सीट से किसी 'हो' जनजाति से आने वाले चेहरे को मैदान में उतारा जाता, तो बेहतर होता. याद रहे कि कोल्हान में 'हो' जनजाति की बहुलता है, गीता कोड़ा और मधु कोड़ा भी इसी हो जनजाति से आते हैं और यही उनकी सियासी ताकत मानी जाती है। यही कारण है कि गीता कोड़ा की पलटी के बाद सियासी गलियारों में चाईबासा से जेएमएम विधायक दीपक बिरुआ का नाम तेजी से उछल रहा था, दीपक बिरुआ भी इसी हो जनजाति से आते हैं। *क्या है सामाजिक-सियासी समीकरण* यहां बता दें कि पश्चिमी सिंहभूम की कुल छह विधान सभा क्षेत्रों में से सरायकेला से चंपई सोरन, चाईबासा से दीपक बिरुआ, मझगांव से निरल पूर्ति, मनोहरपुर से जोबा मांझी और चक्रधरपुर से सुखराम उरांव झामुमो का झंडा बुलंद किये हुए हैं. कोल्हान की इकलौती सीट जगन्नाथपुर कांग्रेस के पास है। दावा किया जाता है कि जगन्नाथपुर विधान सभा में मधु कोड़ा का मजबूत जनाधार है, और कोल्हान के इस किले में पंजा की सवारी सोना राम सिंकु को विधान सभा पहुंचाने में मधु कोड़ा की अहम भूमिका रही है। *पिछले 23 वर्षों से जगन्नाथपुर विधान सभा पर मधु कोड़ा का जलबा* वर्ष 2000 में इसी सीट से जीत हासिल करने के बाद मधु कोड़ा ने झारखंड की सियासत में अपना परचम गाड़ा था, और उसके बाद यह सीट मधु कोड़ा परिवार के हाथ में ही रही, दो-दो बार खुद मधु कोड़ा और दो बार उनकी पत्नी गीता कोड़ा जगन्नाथपुर विधान सभा से विधान सभा तक पहुंचने में कामयाब रही। जब गीता कोड़ा को कांग्रेस के टिकट पर सांसद बना कर दिल्ली भेज दिया गया, तो कांग्रेस ने इस सीट से सोना राम सिंकु पर दांव लगाया और वह कांग्रेस का पंजा लहराने में कामयाब रहें। माना जा है कि सोना राम सिंकू की इस जीत के पीछे भी मधु कोड़ा की लोकप्रियता रही थी। कुल मिलाकर पिछले 23 वर्षों से इस सीट पर मधु कोड़ा का राजनीतिक वर्चस्व कायम है। *क्या जगन्नाथपुर से बाहर भी चल पायेगा मधु कोड़ा का जलबा?* स्थानीय जानकारों का दावा है कि जगन्नाथपुर विधान सभा में निश्चित रुप से मधु कोड़ा की पकड़ मजबूत है, लेकिन जब बात लोकसभा चुनाव की होगी, तो उसका फैसला सिर्फ जगन्नाथपुर से नहीं होगा, उनके सामने इस संभावित लीड को सरायकेला, चाईबासा, मझगांव, मनोहरपुर और चक्रधरपुर विधान सभा में बनाये रखने की चुनौती होगी. यहां याद रहे कि जिस तरीके से जगन्नाथपुर विधान सभा में मधु कोड़ा के जादू की चर्चा होती है, ठीक उसी प्रकार कोल्हान में देवेन्द्र मांझी की कुर्बानी और संघर्ष की कहानियां भी याद की जाती है। इस सियासी जमीन पर फतह हासिल करने के बाद ही गीता कोड़ा दिल्ली के सफर पर निकल सकती है. जोबा मांझी कोल्हान में आदिवासी समाज की आवाज माने जाने वाले उसी देवेन्द्र मांझी की पत्नी है। 14 अक्टूबर 1994 गोईलकेरा बाजार में अपराधियों ने बम धमाके के साथ देवेन्द्र मांझी की हत्या कर दी थी। तब देवेन्द्र मांझी की गिनती शिबू सोरेन के बेहद करीबियों में होती थी, एक तरफ जहां देवेन्द्र मांझी कोल्हान में जंगल बचाओ की लड़ाई लड़ रहे थें, तो दूसरी ओर शिबू सोरेन संताल में महाजनी प्रथा के खिलाफ आवाज बुंलद कर रहे थें, दोनें की मुलाकात हजारीबाग जेल में हुई , जिसके बाद देवेन्द्र मांझी की गतिविधियां और भी तेज हो गयी, इसी दौरान 8 सितम्बर 1980 को बिहार पुलिस ने दर्जन भर आदिवासी युवकों को गोली से भून दिया। और इसके बाद देवेन्द्र मांझी ने पूरे कोल्हान में जन-आन्दोलन की मजबूत इबारत लिख दिया, जिसकी गूंज तात्कलीन राजधानी पटना तक सुनाई देने लगी, लेकिन14 अक्टूबर 1994 को आखिरकार उन्हे अपनी शहादत देनी पड़ी। यहां यह भी बता दें कि जोबा मांझी के पहले देवेन्द्र मांझी भी1985 में मनोहर पुर से विधायक रहे हैं। इसके पहले वह 1980 में वह चक्रधऱपुर से विधान सभा पहुंचे थें। जबकि जोबा मांझी खुद पांच बार मनोहर पुर से विधायक रही है. इस हालत में यदि जोबा मांझी का सियासी सफर और मधु कोड़ा का सामाजिक पकड़ की बात करें, यह मुकाबला बेहद दिलचस्प हो सकता है। *क्यों मजबूत नजर आ रहा है जोबा का पलड़ा* हालांकि इन दोनों की इस सियासी-सामाजिक पकड़ के साथ यदि हम झामुमो की जमीन को उसके साथ जोड़ कर देखने-समझने की कोशिश करें तो भाजपा की स्थिति कुछ कमजोर पड़ती सी नजर आती है, और इसका कारण है चाईबासा के सभी छह विधान सभाओं पर झामुमो-कांग्रेस का एकतरफा कब्जा। जबकि आज के दिन भाजपा किसी भी विधान सभा पर कब्जा नहीं है, दूसरी ओर से जिस गीता कोड़ा को उम्मीदवारी के सहारे इस बार वहां कमल खिलाने का ख्बाव पाला जा रहा है, उस गीता कोड़ा की जीत में झामुमो की सियासी जमीन कितना बड़ा योगदान था, यह भी एक बड़ा सवाल है। इस हालत में देखना दिलचस्प होगा कि झामुमो की इस ताकत के बगैर गीता कोड़ा कितना दम-खम दिखला पाती है। हालांकि विधान सभा चुनाव और लोकसभा चुनाव का वोटिंग पैटर्न अलग होता है, लेकिन यह इतना भी अलग नहीं होता है कि शुन्य से शिखर तक का सफर तय हो, और वह भी उस परिस्थिति में जब पूर्व सीएम हेमंत की गिरप्तारी के बाद आदिवासी समाज के बीच एक आक्रोश की लहर होने की बात कही जा रही है, यदि वास्तव में आदिवासी समाज के बीच पूर्व सीएम हेमंत की गिरप्तारी के बाद आक्रोश की लहर है तो इसका लाभ भी जोबा को मिल सकता है, हालांकि अभी तक लोकसभा चुनाव अपने पूरे रंग पर नहीं आया है, भाजपा के स्टार प्रचाकर के रुप में स्थापित हो चुके पीएम मोदी की रैली नहीं हुई है, देखना होगा कि उनकी इंट्री के बाद कोल्हान के इस सियासी जमीन में कितना बदलाव होता है, या एक बार फिर से कोल्हान के इस किले को ध्वस्त करने का सपना टूटता नजर आता है।
दमनक चतुर्थी व्रत आज इस विधि से करें भगवान गणेश का पुजन

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सरायकेला :- भगवान गणेश जी को प्रसन्न करने के लिये दमनक चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को यह पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष 12 अप्रैल 2024 को दमनक चतुर्थी का उत्सव मनाया जाएगा। भगवान श्री गणेश जी को दमनक नाम से भी पुकारा जाता है। इस कारण से चैत्र माह के शुक्ल पक्ष कि चतुर्थी को गणेश दमनक चतुर्थी भी कहा जाता है।

भगवान श्री गणेश सभी संकटों का हरण करने वाले हैं, सभी दुख कलेश का नाश करने वाले है इसलिए इस दमनक चतुर्थी के दिन भगवान गणेश जी का व्रत एवं पूजन करने से सभी कष्टों का दमन होता है। शत्रुओं का नाश होता है।

गणेश पूजन विधि

दमनक चतुर्थी के दिन भगवान श्री गणेश जी का पूजन किया जाता है। इस दिन प्रात:काल उठते हू भगवान श्री गणेश जी का स्मरण करना चाहिए और उनके 11 नामों का स्मरण अवश्य करें। एकदंत, गजकर्ण, लंबोदर, कपिल, गजानन, विकट, विघ्नविनाशक, विनायक, भालचन्द्र, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष. भगवान के नाम स्मरण के पश्चात स्नान इत्यादि कार्यों से निवृत होकर पूजन का आरंभ करना चाहिए।

भगवान गणेश जी के सम्मुख बैठ कर ध्यान करें और पुष्प, रोली ,अक्षत आदि चीजों से पूजन करें और विशेष रूप से सिन्दूर चढ़ाएं तथा दूर्बा अर्पित करनी चाहिए। गणेश जी को लड्डू प्रिय हैं उन्हें यह चढ़ाने चाहिये। गणेश जी के मंत्र ॐ चतुराय नम: , ॐ गजाननाय नम: , ॐ विघ्रराजाय नम: ॐ प्रसन्नात्मने नम: का जाप करना चाहिए।

गणेश जी की मूर्ती को स्नान कराना चाहिये। गंगाजल और पंचामृत से स्नान कराकर शुद्ध जल से स्नान करवाना चाहिये। इसके बाद मंदिर में मूर्ति को स्थापित करना चाहिये। श्रद्धा पूर्वक भगवान के समक्ष पुष्प चढ़ाने चाहिये। चन्दन, रोली, सिन्दूर,अक्षत से भगवान का तिलक करना चाहिये। फूल माला पहनानी चाहिये। आभूषण एवं सुगन्धित पदार्थ अर्पित करने चाहिये। धूपबत्ती, कपूर, दीपक जलाने चाहिये। भगवान की कथा करनी चाहिये और उसके बाद आरती करके पूजन संपन्न करना चाहिये। आरती पश्चात भगवान को भोग लगाएं और अपने द्वारा भगवान से घर परिव एवं संसार के कल्याण की कामना करनी चाहिये।

दमनक चतुर्थी की कथा

दमनक चतुर्थी से जुड़ी एक प्राचीन कथा भी है। इस कथा अनुसार एक नगर में राजा राज्य करता था। राजा के दो पत्नियां थी और उन दोनों के एक-एक पुत्र भी थे। एक रानि के पुत्र का नाम गणेश था और दूसरी रानी के पुत्र का नाम दमनक था। दोनों बच्चों का बहुत अच्छे से लालन-पालन होता है। परंतु एक प्रकार का अंतर दोनों के साथ रहता था। जब गणेश अपने ननिहाल जाता था तो उसके ननिहाल में सभी उसे बहुत प्रेम करते थे और उसका बहुत ख्याल रखा जाता था। लेकिन दूसरी ओर दमनक जब भी अपने ननिहाल जाता थो उसको वहां पर प्रेम नहीं मिलता था, उसके मामा और मामियां उससे घर के काम करवाते और उसके साथ बुरा व्यवहार किया करते थे।

जब दोनों बच्चे अपने ननिहाल से घर वापिस आते तब गणेश तो अपने साथ ढेर सारा सामान लाता था पर दमनक को उसके ननिहाल से कुछ भी नहीं मिलता था। वह खालिहाथ ही लौट आता था। इसी प्रकार दोनों अपने सुख दुख को भोगते हुए बड़े होते हैं। दोनों का विवाह होता है और दोनों अपनी बहुओं के साथ अपने-अपने ससुराल जाते हैं। गणेश के ससुराल में उसका बहुत सम्मान होता है और उसे बहुत से पकवान एवं मिठाइयां खिलाई जाती हैं।

दमनक जब अपने ससुराल जाता, तब उसके ससुराल वाले उसकी कोई खास खातिरदारी नहीं करते हैं और उसे सोने के लिए भी स्थान नहीं देते हैं और बहाने से उसे घोड़ों के सोने की जगह पर जाकर सोने को कहते हैं।

गणेश अपने ससुराल से तो बहुत कुछ सामान लेकर आता है लेकिन दमनक खालीहाथ ही वापिस आता है उसे कुछ भी नहीं मिलता है। उन दोनों की स्थिति को बुढिया को पता थी क्योंकि वह उन्हें बचपन से देखती आ रही थी। बुढि़या को दमनक की स्थिति पर बहुत दया आती थी वह इससे दुखी होती थी। एक बार शाम के समय भगवन शिव और माता पार्वती संसार की दुख सुख को जानने के लिए पृथ्वी पर आते हैं, तो वह बुढि़या उनके मार्ग में आकर उन्के सामने हाथ जोड़ कर खड़ी हो जाती है। बुढि़या गणेश और दमनक के बारे में भगवान को सारा किस्सा बता देती है। वह भगवन से पूछती है की आखिर क्यों बचपन से ही कभी भी दमनक को अपने ननिहाल से सुख नहीं मिल पाया और अब युवा अवस्था में उसे ससुराल पक्ष से भी तिरस्कार ही सहन करना पड़ रहा है।

भगवान शिव तब उन्हें बताते हैं कि गणेश ने पिछले जन्म में जो ननिहाल से लेकर आता था उसे वह वापिस भी उन्हें कर देता था। किसीन भी तरह से या फिर मामा-मामी की संतानों को कुछ न कुछ देकर वापिस कर देता था। इसी तरह से ससुराल में भी उसने जो अपने पुर्व जन्म में लिया था वह उसने सभी कुछ वापिस भी दे दिया था। इसी कारण उसे आज भी अपने इस जन्म में अपने ननिहल ओर ससुरल पक्ष से बहुत सारा आदर और सम्मान प्राप्त होता है।

दूसरी ओर दमनक अपने पूर्व जन्म में जो भी अपने ननिहाल व ससुराल पक्ष से पाता है उसको कभी वापिस नहीं करता था। किसी न किसी कारण से या अपने काम काज के चलते वह उनको कुछ भी नही दे पाया ऎसे में इस जन्म में उसे ननिहाल और ससुराल पक्ष से कुछ भी प्राप्त नहीं हुआ और उसके हर जग अपेक्षा ही होती रही है।

हमे हमेशा किसी से प्राप्त हुई वस्तु को अवश्य लौटाने की कोशिश जरुर करनी चाहिए किसी का हक या कोई भी वस्तु नहीं लेनी चाहिए। यदि किसी से प्रेम वश प्राप्त भी हो तो कोशिश करनी चाहिए की उसे किसी न किसी रुप में वापिस किया जा सके। भाई से प्राप्त हुई वस्तु को उसकी संतानों को, मामा से खाने पर मामा की संतानों को वह लौटा देना चाहिये, अगर ससुराल से कोई वस्तु खाते हैं तो उसे साले की संतान को लौटा देना चाहिये क्योंकि जिसका जो भी खाया है, उसको लौटा देने पर दोबारा और दुगना मिलता है। अगर वापिस किया जाए तो उसका भुगतान करना पड़ता है।

सरहुल पर्व हमें प्रकृति व संस्कृति से जोड़े रखती : मंत्री

चाईबासा : आदिवासी उरांव सरहुल पूजा समिति की ओर से मेरीटोला में गुरुवार को हर्षोल्लास के साथ प्रकृति पर्व सरहुल मनाया गया। मौके पर मुख्य अतिथि के रुप में माननीय मंत्री श्री दीपक बिरुवा उपस्थित होकर सरहुल शोभा यात्रा का शुभारंभ किया।

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मौके पर माननीय मंत्री जी ने क्षेत्र की सुख, शांति, समृद्धि, हरियाली, अच्छी फसल व वैश्विक महामारी से बचाव के लिए मंगलकामना की। कहा कि यह परंपरा पूर्वजों के जमाने से चली आ रही है। इस परंपरा को उत्सव रूप में मनाकर नई पीढी के लोगों को सरहुल व पर्यावरण का महत्व बताना है।

आदिवासी समुदाय के लोगों का प्रकृति से प्रेम व अटूट रिश्ता होने के कारण ही पर्यावरण व संस्कृति को अब तक सहेज कर रखा गया है। हम सभी को वातावरण की शुद्धता के लिए पेड़-पौधे लगाना होगा। हमारा जीवन प्रकृति से जुड़ा हुआ है। यह पर्व हमें प्रकृति व संस्कृति से जोड़े रखती है। वहीं समाज की पुरुष-महिलाएं व युवतियां परंपरागत वेशभूषा में सरहुल महोत्सव में शामिल हुए। अंत में माननीय मंत्री जी ने सरहुल शोभा यात्रा का नगाड़ा बजाकर शुभारंभ किया।

इसके पूर्व आयोजन समिति की ओर से मुख्य अतिथि समेत अन्य अतिथियों को पगड़ी पहनाकर, अंग वस्त्र एवं पौधा देकर सम्मानित किया। मौके पर सांसद गीता कोड़ा, पूर्व मंत्री बड़कुवर गागराई, समाजसेवी नितिन प्रकाश, सुभाष बनर्जी समेत कई उपस्थित थे।

चांडिल गोलचक्कर स्थित दिशोम जाहेरगाढ पर भव्य रूप से सरहुल महोत्सव संपन्न हुआ

सरायकेला :चांडिल गोलचक्कर अवस्थित दिशोम जाहेरगाढ पर भव्य रूप से बाहा महोत्सव गुरुवार को संपन्न हुआ नायके बाबा (पुजारी) ने विधिवत रूप से पूजा अर्चना कर सखुआ फूल पुरुषो को कान मे व महिलाओ को माथे के जूडो पर लगाया गया साथ मे क्षेत्र की सुख शांति की कामना किए सभी लोगो ने जाहेरगाढ पर माथा टेका व प्रसाद के रुप मे खिचड़ी ग्रहण किया ।

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बाहा (सरहूल)

बाहा पर प्रकृति के प्रति कृतज्ञता जताने के साथ नये साल का उल्लास मनाया जाता है, प्रकृति में आए नए फल-फूल और धरती से उपजे अन्न का उपयोग किया जाता है। वास्तव में बाहा आदिवासियों के प्रकृति-प्रेम और जीवन-यापन के लिए उससे जुड़ाव को दर्शाता है,बाहा आदिवासी समाज के प्रमुख और महत्वपूर्ण पर्वों में से एक है,यह पर्व बसंत ऋतु से शुरू होकर चैत्र शुक्ल तृतीया तिथि तक मनाया जाता है,संथाल परंपरा के अनुसार मुलु मोड़े माहा से बाहा (सरहुल) पर्व का आयोजन शुरू हो जाता है.

दरअसल बाहा (सरहुल) मनाने के लिए कोई निश्चित तिथि नहीं है, इसे अलग-अलग गांवों में सुविधानुसार अलग-अलग तिथि को मनाया जाता है. इस पर्व में साल और महुआ के फूलों से प्रकृति की आराधना की जाती है. ग्रीष्म ऋतु में जब पेड़ों पर नए पत्ते और फल-फूल आते हैं, तब इस सुखद प्राकृतिक बदलाव का आदिवासी समाज के लोग बाहा पर्व के रूप में नाचते-गाते स्वागत करते हैं,जाहेरथान में परंपरा के अनुसार प्रकृति की आराधना की गई, (नायके बाबा) लाया यानि पुजारी देवताओं की साल व महुआ के फूल से पूजा किए,इस दौरान ग्राम देवता, जंगल, पहाड़ और प्रकृति की पूजा-अर्चना कर सुख-समृद्धि और गांव के निरोग रखने की मन्नत किए,इस अवसर पर मुर्गी की बलि भी दी गई,रंग-बिरंगे फूलों से प्रकृति करती है शृंगार बाहा पर चारों ओर उमंग और उल्लास रहता है,कहते हैं बाहा खुशियों का पैगाम लेकर आता है. ऐसे समय में घर फसल से भरा रहता है, पेड़-पौधों में फल-फूल रहता है. प्रकृति यौवन पर होती है, रंग-बिरंगे फूलों और पेड़ों में नए पत्तों से प्रकृति अपना शृंगार करती है,ऐसा माना जाता है कि प्रकृति किसी को भी भूखे नहीं रहने देगी,शायद इसीलिए बाहा (सरहुल) पर्व धरती माता को समर्पित महत्वपूर्ण पर्व है,बाहा पर्व के आदिवासी समाज नई फसल का उपयोग करते हैं.

इसके साथ ही पेड़ों में लगे फल-फूल और पत्तों का भी उपयोग शुरू किया जाता है,इस पर्व को संताल, मुंडा, उरांव, हो, खड़िया समेत विभिन्न आदिवासी समुदाय के लोग हर्षोल्लास के साथ मनाते है, खासकर जनजातीय समाज के युवक- युवतियो ने बढ-चढ़कर भाग लेकर अपनी आपसी एकता और अंखडता प्रकृति-प्रेम को प्रदर्शित किया इस सांस्कृतिक समारोह मे लोगो ने कार्यक्रम के माध्यम से एक दुसरे के साथ गहरा आपसी भाईचारा घनिष्ठता प्रेम- सौहार्द और अखंडता को पोत्साहन किया साथ ही इस समाजिक सामूहिक रुप से बाहा पूजा कर प्रकृति उपासना की जिसे प्रकृति के महत्व को समझाया गया ।

इस समारोह मे प्रकृति की रक्षा करने के संकल्प को भी मजबूत किया गया, जिससे आदिवासी समाज अपने जीवन का आधार मानते है साथ मे सांस्कृतिक धरोहर को उजागर किया। प्राकृतिक संसाधनो के प्रति जागरूकता और संवेदनशील ता को बढ़ावा दिया ,जिससे की सांस्कृतिक और प्राकृति धरोहर के सम्मान मे वृद्धि हो, कार्यक्रम मे हर वर्ष की भांति इस वर्ष हजारो-हजार तादात मे उमड़ पड़ा जनसैलाब, इस दौरान आदिवासी कला और सांस्कृतिक देखने को मिला। सभी लोग पारंपरिक परिधान से सजे- संवरे थे, इस बीच पारंपरिक नृत्य और संगीत से जाहेरस्थान मे ढोल,मांदल, तिरियो,चढचढी,बानाम,कपिल चावार,आदि की थाप से गूंजता रहा और सामूहिक नृत्य हुआ। नृत्य दल जोडरागोडा,जमशेदपुर की सबका मन मोहा और आंनद लिए सभी लोगो ने एक स्वर मे कहा प्रकृति की रक्षा को अंग्रिम पंक्ति मे खड़ा है आदिवासी समाज, साथ मे संथाली एल्बम कलाकार भी बाहा मे शिरकत किए ।

इस मौके पर संयोजक गुरुचरण किस्कू,सह संयोजक चारूचांद किस्कू,ताराचांद मांझी,बुद्धेश्वर मार्डी,गुरुपद हांसदा, सुगी हांसदा,बैधनाथ टुडू,सुदामा हेम्ब्रम,मोतीलाल सोरेन,सोनाराम मार्डी, सोमाय टुडू,सुमित टुडू,अजय टुडू,संजय हांसदा आदि हजारो- हजार महिला- पुरूष उपस्थित थे।

कलाकारों ने नुक्कड़ नाटक के माध्यम से मतदाताओं को किया जागरूक

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सरायकेला : आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सरायकेला जिले के विभिन्न इलाकों में मतदाता जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है।इसी क्रम में छवि ड्रामेटिक आर्ट सोसाइटी की ओर से मतदाता जागरूकता कार्यक्रम के तहत ।

गुरुवार को चांडिल प्रखंड के चिलगु पंचायत में एवं पाथ कम्युनिकेशन दल की तरफ से इचागढ़ प्रखंड के गौरङ्गकोचा एवं देवलटांड में एवं लोक कला मंच द्वारा खरसावां प्रखंड में नुक्कड़ नाटक के माध्यम से लोकसभा चुनाव में अधिक से अधिक संख्या में मतदान करने के लिए आम लोगों को प्रेरित किया गया एवं शत प्रतिशत मतदान करने का आह्वान लोगों से किया गया।

मौके पर कलाकारों ने बहकावे में तुम कभी आना, सोच समझकर बटन दबाना, छोड़कर अपने सारे काम, पहले चलो करें मतदान, वोट देना गर्व है, जनता का यह पर्व है,का संदेश नाटक के माध्यम से दिया। नाटक के माध्यम से उपस्थित आम जन मानस को मतदाता के महत्व के बारे में समझाया और मतदाता जागरूकता से संबंधित पोस्टर बैनर प्रदर्शित किया गया।

ज्ञात हो कि लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर ज्यादा से ज्यादा मतदान करवाने के उद्देश्य से मतदान जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं जिसके अंतर्गत विभिन्न तरह के आयोजन कर मतदाताओं को जागरूक किया जा रहा है।पिछले लोकसभा चुनाव में जिन पोलिंग बूथ पर मतदान प्रतिशत कम रहा है, उनपर विशेष फोकस कर मतदाता जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।इस दौरान ग्रामीणों ने उत्साहपूर्वक कार्यक्रम को सुना और ज्यादा से ज्यादा मतदान करने की बात कही। कार्यक्रम के अंत में आम लोगों से अपने मताधिकार का प्रयोग कर एक सशक्त लोकतंत्र के निर्माण में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने की अपील की गई।

सरायकेला : स्वीप" अंतर्गत वोटर अवेयरनेस को लेकर जिले के विभिन्न क्षेत्रों में चलाया गया मतदाता जागरूकता अभियान

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सरायकेला: आगामी लोकसभा आम निर्वाचन 2024 के दौरान जिले में शत-प्रतिशत मतदान सुनिश्चित करने के मद्देनजर जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह उपायुक्त श्री रवि शंकर शुक्ला के द्वारा मतदाता जागरूकता कोषांग को विभिन्न प्रतियोगिताओं, कार्यक्रमों आदि का आयोजन कर अधिक से अधिक मतदाताओं को मतदान के प्रति जागरूक करने का निर्देश दिया गया है।

इसी क्रम में जिला स्वीप कोषांग के अंतर्गत आज JSLPS द्वारा चांडिल प्रखंड के रसुनिया चौका एवं चावलीवासा पंचायत, खरसावां प्रखंड के बड़ाआमदा, हरिभांजा एवं कृष्णापुर पंचायत, एवं नीमड़ीह के हेवेन पंचायत क्षेत्र अंतर्गत जागरूकता रैली शपथ आंगनबड़ी सहिया, सेविका(बीएलओ) के द्वारा आगामी लोकसभा आम निर्वाचन 2024 हेतु स्वीप के तहत मतदाता जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

इस दौरान मतदाता जागरूकता को लेकर बनाए गए मतदाता जागरूकता को लेकर रंगोली प्रतियोगिता आयोजन व पोस्टर के माध्यम से अपने-अपने क्षेत्र में "चुनाव का पर्व देश का गर्व" आई एम रेडी टू वोट थीम के तहत मतदाता जागरूकता के माध्यम से लोगों को जागरूक किया गया। साथ ही उपस्थित सभी मतदाताओं को आगामी लोकसभा आम निर्वाचन 2024 में मतदान करने हेतु मतदाता शपथ कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया।

इस दौरान आंगनबाड़ी सहिया सेविका ने अपने-अपने क्षेत्र में सभी मतदाताओं को आगामी लोकसभा आम निर्वाचन 2024 में सभी मतदाताओं को जागरुक करते हुए बिना लोभ लालच या दबाव में आए हुए अपने नजदीकी मतदान केन्द्रो में जाकर अपना बहुमूल्य मतों का उपयोग को लेकर गांव-गांव घूम-घूम कर मतदान करने हेतु अपील की।

*सरायकेला : स्वीप कार्यक्रम के तहत चांडिल प्रखंड में चालाया गया मतदाता जागरूकता अभियान

सरायकेला :लोकतंत्र का महापर्व लोकसभा आम निर्वाचन 2024 के निमित्त स्वीप कार्यक्रम के तहत विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है।

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इसी क्रम में आज प्रखण्ड इचागढ़ के ग्राम बांकसाई मे स्विप के तहत् मछुआरा तथा आम ग्रामीणों के साथ बैठक कर मतदाता जागरूकता अभियान के तहत निष्पक्ष एवं बिना प्रलोभन के मताधिकार का प्रयोग हेतु जागरूक किया गया एवं मतदाताओं द्वारा ली जाने वाली शपथ ग्रहण कराया गया एवं अन्य लोगों को भी मतदान करने हेतु प्रेरित करने का भी अपील किया गया।

इसके अलावा मतदान के महत्व तथा निर्वाचन प्रणाली के संबंध में विस्तृत जानकारी दी गई। साथ ही 1950 वोटर हेल्पलाइन नंबर के बारे में जागरूकता बढ़ाने और सभी को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि उनका नाम वोटर लिस्ट में दर्ज हो। यदि किसी का नाम वोटर लिस्ट में नहीं है तो उसे बीएलओ के माध्यम से या वोटर हेल्प लाइन एप के माध्यम से फॉर्म 6 अवश्य भरने और प्रत्येक नागरिक को अपने मताधिकार का प्रयोग करना चाहिए।

उन्हें शपथ दिलाई गई कि वे लोकतंत्र के इस महापर्व में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें। साथ ही अपने घरों व आस पड़ोस के लोगों को मतदान के लिए जागरूक करने का हर संभव प्रयास करेंगे। साथ ही उन्हें अपने स्तर पर मतदाताओं को जागरूक करने लिए अपनी सकारात्मक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए प्रेरित किया गया।

सरायकेला : कलाकारों ने नुक्कड़ नाटक के माध्यम से मतदाताओं को किया जागरूक


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 सरायकेला : आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सरायकेला जिले के विभिन्न इलाकों में मतदाता जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है।

इसी क्रम में छवि ड्रामेटिक आर्ट सोसाइटी की ओर से मतदाता जागरूकता कार्यक्रम के तहत आज चांडिल प्रखंड के भादूडीह में नुक्कड़ नाटक के माध्यम से लोकसभा चुनाव में अधिक से अधिक संख्या में मतदान करने के लिए आम लोगों को प्रेरित किया गया एवं शत प्रतिशत मतदान करने का आह्वान लोगों से किया गया। मौके पर कलाकारों ने बहकावे में तुम कभी आना, सोच समझकर बटन दबाना, छोड़कर अपने सारे काम, पहले चलो करें मतदान, वोट देना गर्व है, जनता का यह पर्व है,का संदेश नाटक के माध्यम से दिया। नाटक के माध्यम से उपस्थित आम जन मानस को मतदाता के महत्व के बारे में समझाया और मतदाता जागरूकता से संबंधित पोस्टर बैनर प्रदर्शित किया गया।

   

ज्ञात हो कि लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर ज्यादा से ज्यादा मतदान करवाने के उद्देश्य से मतदान जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं जिसके अंतर्गत विभिन्न तरह के आयोजन कर मतदाताओं को जागरूक किया जा रहा है।

पिछले लोकसभा चुनाव में जिन पोलिंग बूथ पर मतदान प्रतिशत कम रहा है, उनपर विशेष फोकस कर मतदाता जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।इस दौरान ग्रामीणों ने उत्साहपूर्वक कार्यक्रम को सुना और ज्यादा से ज्यादा मतदान करने की बात कही। कार्यक्रम के अंत में आम लोगों से अपने मताधिकार का प्रयोग कर एक सशक्त लोकतंत्र के निर्माण में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने की अपील की गई।