*आज से शुरू हुआ चैत्र नवरात्रि, प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा का है विधान, जानें घटस्थापना मुहूर्त और शुभ योग*
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वैदिक पंचांग के प्रत्येक साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक चैत्र नवरात्रि मनाई जाती है। पंचांग के अनुसार, इस साल यानी 2024 में चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल से शुरू हो रही है और समाप्ति 17 अप्रैल को होगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा की जाती हैं। चैत्र नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री को समर्पित माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा करने से जीवन में सुख समृद्धि आती है और माता के आशीर्वाद से व्यक्ति को विभिन्न कष्टों से मुक्ति मिलती है। *चैत्र नवरात्रि का शुभ मुहूर्त* वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, हर साल चैत्र नवरात्रि चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होती है और नवमी तिथि को समाप्ति होती है। पंचांग के अनुसार, चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 8 अप्रैल 2024 देर रात 11 बजकर 50 मिनट पर शुरू होगी और समाप्ति अगले दिन यानी 9 अप्रैल दिन मंगलवार को संध्याकाल 8 बजकर 30 मिनट पर होगी। बता दें हिंदू धर्म में उदया तिथि का मान्यता है इसलिए चैत्र नवरात्रि की घटस्थापना 9 अप्रैल दिन मंगलवार को होगी। *घटस्थापना का शुभ मुहूर्त* वैदिक पंचांग के अनुसार, घटस्थापना की शुभ तिथि 9 अप्रैल दिन मंगलवार को सुबह 6 बजकर 2 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 16 मिनट तक है। मान्यता है कि इस शुभ मुहूर्त में घटस्थापना कर सकते हैं। या फिर दूसरा शुभ मुहूर्त 11 बजकर 57 मिनट से लेकर 12 बजकर 48 मिनट पर है। इस शुभ मुहूर्त में भी कलश स्थापना कर सकते हैं। *ऐसा है मां शैलपुत्री का स्वरूप* नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। मां शैलपुत्री बेहद दयालु और कृपालु हैं। मां शैलपुत्री के मुख पर कांतिमय तेज झलकता है।. मां शैलपुत्री बाएं हाथ में कमल पुष्प और दाएं हाथ में त्रिशूल धारण करती हैं, इनकी सवारी वृषभ है। मां अपने भक्तों का उद्धार कर दुखों को दूर करती हैं। *मां शैलपुत्री की कथा* दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री को हिमालय की पुत्री माना जाता है। मान्यता है इससे पूर्व उनका जन्म राजा दक्ष की पुत्री सती के रूप में हुआ था। जिनका विवाह भगवान शिव से हुआ था। पौराणिक कथा के अनुसार एक बार राजा दक्ष ने महायज्ञ का आयोजन किया और उसमें सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित किया लेकिन भगवान शिव को निमंत्रण नहीं दिया। जब देवी सती को इसके बारे में पता चला तो वह अपने पिता के घर बगैर निमंत्रण के ही पहुंच गईं। जहां पर महादेव के प्रति अपमान महसूस होने पर उन्होंने स्वयं को महायज्ञ में जलाकर भस्म कर लिया। जब यह बात भगवान शिव को पता चली तो उन्होंने यज्ञ को ध्वंश करके सती को कंधे पर लेकर तीनों लोकों में विचरण करने लगे। इसके बाद भगवान विष्णु ने भगवान शिव के मोह को दूर करने के लिए सती के शरीर को अपने सुदर्शन चक्र से काटकर 51 भागों में विभक्त कर दिया। मान्यता है कि माता सती के टुकड़े जहां-जहां पर गिरे वे सभी शक्तिपीठ कहलाए। इसके बाद देवी सती ने शैलराज हिमालय के यहां पुत्री के रूप में दोबारा जन्म लिया, जिन्हें माता शैलपुत्री के नाम से जाना जाता है। *मां शैलपुत्री को अर्पित करें ये भोग* दुर्गाजी के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री को सफेद और शुद्ध भोग्य खाद्य पदार्थ पसंद हैं। इसीलिए पहले नवरात्रि को मां शैलपुत्री को प्रसन्न करने के लिए सफेद चीजों का भोग लगाया जाता है। अगर घर परिवार को निरोगी जीवन और स्वस्थ शरीर चाहिए तो मां को गाय के शुद्ध घी से बनी सफेद चीजों का भोग लगाएं।
क्या राहुल गांधी ने चुनाव के लिए लिया आतंकवादी संगठन का सहारा, कांग्रेस नेता पर स्मृति ईरानी ने लगाए गंभीर आरोप

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केंद्रीय मंत्री एवं अमेठी सांसद स्मृति ईरानी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी पर आरोप लगाया कि वायनाड का चुनाव जीतने के लिए उन्होंने आतंकी संगठन पीएफआई से समर्थन लिया है। अमेठी लोकसभा सीट से लगातार दूसरी बार चुनाव लड़ रहीं ईरानी ने यह भी आरोप लगाया कि अमेठी के लोगों ने 15 साल तक एक ऐसे सांसद को बर्दाश्त किया जिसने उनके लिए कुछ नहीं किया। स्मृति ईरानी सोमवार को मेरठ में एक चुनावी कार्यक्रम के दौरान ये बातें कहीं।

केंद्रीय मंत्री एवं अमेठी सांसद स्मृति ईरानी सोमवार को एक दिवसीय दौरे पर अमेठी लोकसभा क्षेत्र के सलोन विधानसभा पहुंचीं, जहां पर स्मृति ईरानी ने कार्यक्रम के दौरान गांधी परिवार पर जमकर हमला बोला। ईरानी ने आरोप लगाया कि वायनाड का चुनाव जीतने के लिए राहुल ने आतंकी संगठन पीएफआई से समर्थन लिया है। उन्होंने कहा कि पीएफआई की चार्जशीट को देखने पर पता चलता है कि यह वही संगठन है, जिसने हर जिले में कितने हिंदुओं को मारना है, इसकी लिस्ट बना रखी है।

साल 2019 के लोकसभा चुनाव में अमेठी में राहुल गांधी को हरा चुकी ईरानी ने कहा कि राहुल गांधी को अमेठी के लोगों को बताना चाहिए कि वह ऐसे संगठन की मदद से वायनाड का चुनाव क्यों लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह कुछ दिन पहले वायनाड में थी और वहां उनको पता चला कि राहुल गांधी ने वायनाड को अपना परिवार घोषित कर दिया है। ईरानी ने कहा कि रंग बदलने की बात उन्होंने सुनी थी, लेकिन पहली बार ऐसा देखने को मिला कि लोग अपना परिवार भी बदलते हैं

इससे पहले गुरूवार को स्मृति ईरानी ने वायनाड से राहुल गांधी पर हमला बोला। स्मृति ने केरल में पीएफआई के राजनीतिक संगठन एसडीपीआई से समर्थन लेने पर राहुल पर निशाना साधा। राहुल गांधी के वायनाड से नामांकन और रोडशो के एक दिन बाद स्मृति ईरानी वायनाड पहुंची थी। जहां उन्हें बीजेपी प्रत्याशी के समर्थन में रोड शो करते हुए राहुल गांधी पर जमकर हमला बोला था। इस दौरान स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी पर दो आरोप लगाए। पहला नामांकन के दौरान रोड शो में मुस्लिम लीग के झंडे छिपाए जाने का और दूसरा राहुल के आतंकी संगठन के राजनीतिक विंग के समर्थन लेने का। इस दौरान स्मृति ने कहा था कि मेरा ये मानना है कि कांग्रेस पार्टी के नामांकन रैली में मुस्लिम लीग के झंडे को छिपाना इस बात का संकेत है कि या तो राहुल गांधी मुस्लिम लीग के समर्थन से शर्मसार हैं या फिर जब वो उत्तर भारत में आएंगे तो मंदिर-मंदिर जाएंगे। तब लोगों से उत्तर भारत में मुस्लिम लीग के साथ उनके गठबंधन को छिपा पाएंगे। मैं वायनाड आकर ये देखकर स्तब्ध हूं कि पीएफआई जैसे आतंकवादी संगठन के बैन के बावजूद उसके राजनीतिक विंग से समर्थन राहुल गांधी अपने चुनाव के लिए ले रहे हैं।

घोषणा पत्र पर पीएम मोदी की टिप्पणी को लेकर चुनाव आयोग पहुंची कांग्रेस, प्रधानमंत्री ने मुस्लिम लीग से जोड़े थे तार

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प्रधानमंत्री मोदी के एक बयान को लेकर कांग्रेस चुनाव आयोग पहुंची है। दरअसल, कांग्रेस के घोषणा पत्र जारी करने के बाद से ही बीजेपी लगातार हमलावर है। पीएम मोदी से लेकर भाजपा के कई और शीर्ष नेता कांग्रेस के मेनिफेस्टो की तुलना मुस्लिम लीग के घोषणापत्र से कर रहे हैं। जिसके बाद कांग्रेस ने भाजपा के इस बयानों की शिकायत चुनाव आयोग से कर दी है। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि उन्होंने ईसी से पीएम मोदी के मुस्लिम लीग वाले बयान से लेकर कई मुद्दों पर शिकायत दर्ज कराई है।

कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल सोमवार को दिल्ली में चुनाव आयोग (ईसी) के कार्यालय पहुंचा। प्रतिनिधिमंडल ने पार्टी के घोषणापत्र को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुस्लिम लीग वाली टिप्पणी सहित कई मुद्दों की शिकायत की और कार्रवाई की मांग की। इस प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा, पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद समेत कई लोग शामिल थे। 

खुर्शीद ने कहा, "प्रधानमंत्री अपने भाषणों में जो कहते हैं, उससे हमें बहुत दुख होता है। उन्होंने हमारे घोषणापत्र के बारे में जो कहा है वह झूठ का पुलिंदा है। हमें इससे बहुत दुख हुआ है। आप किसी अन्य दल के घोषणापत्र पर असहमति रख सकते हैं। आप इस पर बहस कर सकते हैं। आप उसका विश्लेषण कर सकते हैं। लेकिन एक राष्ट्रीय स्तर की पार्टी की पार्टी जो राष्ट्रीय आंदोलन में शामिल रही है, उसके घोषणापत्र के बारे में ऐसा कहना झूठ का पुलिंदा है। जबकि एक बहुत अच्छा घोषणापत्र लिखा गया है।

इन मुद्दों पर भी की शिकायत

वहीं, कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा, हमने कई मुद्दे उठाए। प्रधानमंत्री ने जिस तरह से हमारे घोषणापत्र को मुस्लिम लीग का दर्जा दिया हमने उस पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है। विश्वविद्यालयों में प्रधानमंत्री के जो होर्डिंग्स लगे हैं, उस पर भी हमने अपनी बात रखी है। भाजपा के त्रिवेंद्रम के उम्मीदवार राजीव चंद्रशेखर के हलफनामे के विषय में भी हमने अपनी बात रखी है। हलफनामे में कई त्रुटियां हैं। जानबूझकर गलतियां की गई हैं। खेड़ा ने कहा, जिन यूट्यूब चैनल को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय बिना बताए बंद कर रही है। यह उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं है। चूंकि चुनाव घोषित किए जा चुके हैं। चुनाव आयोग को इसकी सिफारिश करनी चाहिए कि वह किस यूट्यूब चैनल को हटाना चाहे या न हटाना चाहे। मंत्रालय अभी कार्यवाहक सरकार का है। उसके पास यह अधिकार नहीं है कि वह अभिव्यक्ति की आजादी पर इस तरह की पाबंदियां लगाए। 

क्या कहा था पीएम मोदी ने?

बता दें कि पीएम मोदी ने छह अप्रैल को राजस्थान के अजमेर में एक चुनावी रैली के दौरान कांग्रेस के घोषणापत्र को "झूठ का पुलिंदा" कहा और कहा कि दस्तावेज़ के हर पृष्ठ से "भारत को टुकड़ों में तोड़ने की कोशिश की बू आती है"। उन्होंने कहा था कि मुस्लिम लीग की मुहर वाले इस घोषणापत्र में जो कुछ बचा था, उस पर वामपंथियों ने कब्ज़ा कर लिया है। आज कांग्रेस के पास न तो सिद्धांत बचे हैं और न ही नीतियां। ऐसा लगता है जैसे कांग्रेस ने सब कुछ ठेके पर दे दिया है और पूरी पार्टी को आउटसोर्स कर दिया है।

कांग्रेस न्याय पत्र

कांग्रेस के न्याय पत्र में 5 न्याय, 25 गारंटी और 300 से ज्यादा वादे शामिल है. काग्रेस 48 पन्नों के इस घोषणा पत्र को भारत की जनता की उम्मीदों का घोषणा पत्र बता रही है. घोषणा पत्र के अहम मु्द्दों में मानहानी के जुर्म को अपराधमुक्त करना, इंटरनेट का मनमाने ढंग से बैन करवाने को खत्म करना, शांतिपूर्वक प्रदर्शन करने के अधिकार को बनाए रखने के साथ-साथ सरकार का खाने, पहनावे, प्यार, शादी में दखल न देना शामिल है.

राज्यपाल पद से इस्तीफा दे सकते हैं मनोज सिन्हा, गाजीपुर से चुनाव लड़ने पर चर्चा !

डेस्क : लोकसभा चुनाव से पहले राजनीतिक उथल-पुथल तेज हो गई है। इस बीच सूत्रों के मुताबिक जम्मू कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि मनोज सिन्हा गाजीपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। बता दें कि मनोज सिन्हा पहले भी यूपी की गाजीपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ चुके हैं। वहीं अब एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर वह गाजीपुर सीट से ही प्रत्याशी बनाए जा सकते हैं। इससे पहले मनोज सिन्हा मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं। 

सपा ने अफजाल अंसारी को बनाया प्रत्याशी

वहीं अगर गाजीपुर सीट से मनोज सिन्हा भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ते हैं तो एक बार फिर इस सीट पर रोचक मुकाबला देखने को मिलेगा। बता दें कि समाजवादी पार्टी ने इससे पहले ही गाजीपुर सीट पर अपने प्रत्याशी के नाम का ऐलान कर दिया है। समाजवादी पार्टी की तरफ से इस सीट पर पूर्वांचल के माफिया मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी को टिकट दिया गया है। वहीं हाल ही में अखिलेश यादव भी गाजीपुर गए हुए थे। अंसारी परिवार के वर्चस्व वाली इस लोकसभा सीट पर मुकाबला काफी कांटे का होता रहा है।

गाजीपुर लोकसभा सीट पर कड़ा मुकाबला

गाजीपुर लोकसभा सीट की बात करें तो पूर्वांचल में मौजूद इस सीट पर अंसारी बंधुओं का दबदबा माना जाता है। हाल ही में पूर्वांचल के माफिया मुख्तार अंसारी की मौत के बाद इस सीट पर चुनानी सरगर्मी और भी तेज हो गई है। मुख्तार की मौत के बाद खुद समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव भी गाजीपुर गए और वहां जाकर उन्होंने मुख्तार के परिजनों से मुलाकात की थी। इस दौरान सपा प्रत्याशी अफजाल अंसारी भी वहीं पर मौजूद रहे। वहीं एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी भी मुख्तार की मौत के बाद गाजीपुर जा चुके हैं।

कांग्रेस आपको आदिवासी कहती है, लेकिन भाजपा-RSS वनवासी बोलती है..', राहुल गांधी ने बताया इसका कारण

लोकसभा चुनाव के करीब आने के साथ राजनितिक दलों का चुनाव प्रचार भी तेज होता जा रहा है। पार्टियों के स्टार प्रचारक लगातार दौरे करके अपने अपने उम्मीदवारों के लिए वोट मांग रहे हैं। इसी क्रम में कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी मध्य प्रदेश के सिवनी में जनसभा करने पहुंचे हैं। यहाँ राहुल गांधी ने अपने चिर परिचित अंदाज़ में जातिगत जनगणना का मुद्दा उठाया और आदिवासी बहुल क्षेत्र में आदिवासियों को रिझाने का प्रयास किया। इस दौरान राहुल गांधी ने हर गरीब परिवार की एक महिला को 1 लाख रुपए सालाना देने का वादा भी किया।

उन्होंने भाजपा को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि, कांग्रेस पार्टी आपको 'आदिवासी' कहती है और BJP-RSS के लोग आपको 'वनवासी' कहते हैं। इन शब्दों के अलग-अलग मायने हैं। आदिवासी शब्द का मतलब- जो इस देश के पहले मालिक हैं, जिनका जल-जंगल-जमीन पर पहला आधिकार है। वनवासी शब्द का मतलब- वो लोग जो जंगल में रहते हैं। वनवासी का मतलब आप लोगों का जल-जंगल-जमीन पर कोई आधिकार नहीं है। राहुल गांधी ने कहा कि, देश में आदिवासियों की 8% आबादी है। लेकिन.., जब आप हिंदुस्तान की सबसे बड़ी कंपनियों, मीडिया, कॉर्पोरेट कंपनियों के मालिकों की लिस्ट में देखेंगे तो वहां आपको एक आदिवासी नहीं मिलेगा। हिंदुस्तान को सिर्फ 90 अफसर चलाते हैं, जिनमें सिर्फ 1 अफसर आदिवासी है। ये देश में आपकी भागीदारी है।  

राहुल गांधी ने कहा कि, आदिवासियों को उनका अधिकार देने के लिए हम पेसा कानून लाए, जमीन अधिग्रहण और ट्राइबल बिल लाए। इंदिरा गांधी जी और कांग्रेस की सरकारों ने आदिवासियों को उनकी जमीन वापस दी और उसका हक आपको दिया। लेकिन BJP को जहां भी मौका मिलता है, आपकी जमीन छीनकर अडानी जैसे अरबपतियों के हवाले कर देती है। वहीं जब आदिवासी युवा BJP से रोजगार और शिक्षा पर सवाल करता है, तो उनको पकड़कर जेल में डाल दिया जाता है।

अनंतनाग-राजौरी सीट पर दिलचस्प हुआ मुकाबला, महबूबा मुफ्ती और गुलाम नबी के बीच होगी टक्कर

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लोकसभा चुनाव में जम्मू कश्मीर की अनंतनाग-राजौरी लोकसभा सीट हॉट सीट बन गई है। अनंतनाग-राजौरी सीट पर इस बार चुनावी मुकाबला काफी रोचक हो गया है। इस सीट पर दो पूर्व मुख्यमंत्री चुनावी मैदान में हैं। एक ओर गुलाम नबी आजाद हैं तो दूसरी ओर महबूबा मुफ्ती। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की मुखिया महबूबा मुफ्ती इस सीट पर पार्टी की उम्मीदवार होंगी जिनका मुकाबला पूर्व सीएम और डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी) के अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद से होगा।

लोकसभा चुनाव के लिए पीडीपी ने जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर की तीन सीटों के लिए उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है। जिसके अनुसार पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती अनंतनाग-राजौरी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगी। जिनका मुकाबला गुलाम नबी आजाद से होंगे वाला है। वहीं वहीद पारा श्रीनगर लोकसभा तो फैयाज मीर बारामुला सीट से मैदान में होंगे। वहीद पारा पार्टी के यूथ विंग के अध्यक्ष हैं। वहीं मीर फैयाज पूर्व राज्यसभा के सदस्य हैं।

मुफ्ती ने 2004 और 2014 का चुनाव जीता

अनंतनाग सीट की बात करें तो यह हाई प्रोफाइल सीट रही है। यहां से महबूबा मुफ्ती ने 2004 और 2014 के चुनाव में इसी लोकसभा सीट से जीत दर्ज की थी। 4 जुलाई 2016 को उनके इस्तीफे से यह सीट खाली हो गई। इस्तीफे के करीब तीन साल तक यहां उपचुनाव नहीं हो पाया।

आजाद के लिए बहुत अहम है जीत

गुलाम नबी आजाद ने करीब दो साल पहले कांग्रेस का साथ छोड़ अपनी अलग डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी का गठन किया था। जम्मू-कश्मीर में यह उनका दूसरा लोकसभा चुनाव होगा जिसमें वह उम्मीदवार हैं। पिछला चुनाव उन्होंने 2014 में कांग्रेस के टिकट पर उधमपुर-कठुआ सीट से लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि अगर गुलाम नबी आजाद को राजनीति में अपनी पकड़ बनाए रखनी है तो यह चुनाव जीतना उनके लिए बहुत जरूरी है। ऐसा इसलिए क्योंकि लोकसभा चुनाव में हार विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी को कमजोर करेगी। गुलाम नबी आजाद का एक कमजोर बिंदु यह है कि उनके साथ में कोई बड़ा चेहरा नहीं है। उनकी पार्टी केवल 2 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। कांग्रेस के राज में लगभग 20 साल केंद्रीय मंत्री रहे आजाद के लिए यह लोकसभा चुनाव या तो खेवनहार साबित होगा या उनकी राजनीतिक नैया डुबो देगा।

अनंतनाग राजोरी सीट पर 7 मई को होगा मतदान

अनंतनाग-राजोरी सीट पर तीसरे चरण में सात मई (मंगलवार) को मतदान होगा। इस सीट के लिए अधिसूचना 12 अप्रैल को जारी होगी। मई 2022 में परिसीमन के बाद अनंतनाग सीट में जम्मू संभाग के पीर पंजाल के राजोरी के क्षेत्रों को जोड़ा गया है। जोड़ा गया इलाका हिंदू और पहाड़ी समुदाय की आबादी वाला है। कभी मुस्लिम बहुल इस सीट पर कांग्रेस हैट्रिक लगा चुकी है। नेकां व पीडीपी भी यहां से कई बार जीत का स्वाद चख चुकी है। भाजपा इस सीट से कश्मीर में विजय का परचम लहराने के लिए मैदान में उतरेगी। भाजपा ने पहाड़ियों को जनजातीय का दर्जा और आरक्षण देकर यहां पर अपना दांव खेला है।

पहले किया अशोक चक्र का अपमान, अब मांगी माफीःमालदीव की पूर्व मंत्री मरियम शिउना का कारनामा

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मालदीव की पूर्व मंत्री मरियम शिउना ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के बाद एक बार फिर से भारत का अपमान किया है। हालांकि, उन्होंने इसके लिए बाद में माफी भी मांग ली। दरअसल, मरियम ने मालदीव में होने वाले संसदीय चुनावों को लेकर देश की विपक्षी पार्टी मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) पर निशाना साधा है। एमडीपी को निशाना बनाने के लिए अशोक चक्र का इस्तेमाल किया। इससे जुड़ा एक पोस्ट सोशल मीडिया पर शेयर किया। विवाद होने के बाद मरियम ने इसे हटा दिया और माफी मांगी।

पोस्ट को हटाने के बाद शिउना ने भारत से माफी मांगी है। शिउना ने एक अन्य पोस्ट में कहा, मैं अपनी हालिया पोस्ट के कारण हुए किसी भी भ्रम या अपराध के लिए माफी मांगती हूं। यह मेरे ध्यान में लाया गया कि मेरे द्वारा उपयोग की गई छवि भारतीय ध्वज से मिलती जुलती है। मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि यह पूरी तरह से अनजाने में हुआ था। भविष्य में, मैं अपने द्वारा साझा की जाने वाली सामग्री को सत्यापित करने में अधिक सतर्क रहूंगी, ताकि फिर ये गलती न हो।

पोस्टर में अशोक चक्र और कमल का निशान

मरियम शिउना ने सोशल मीडिया एक्स पर शनिवार (6 अप्रैल) को उन्होंने अपनी पार्टी पीपीएम के लिए समर्थन जुटाने वाला एक पोस्ट किया था। जिसके पोस्टर में भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा में शामिल अशोक चक्र का इस्तेमाल किया था। विपक्षी पार्टी एमपीडी को निशाना बनाते हुए उन्होंने अशोक चक्र को पोस्टर में शामिल किया था। साथ ही उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा था ”एमडीपी रास्ता भटक रही है। मालदीव के लोग उनके साथ गलत रास्ते पर नहीं जाना चाहते। एमडीपी उनके यानी भारत के जाल में फंस रही है लेकिन हमें यानी मालदीव को उनके जाल में दोबारा फंसने की जरूरत नहीं है।"

इस पोस्टर को विपक्ष की पार्टी मालदीव डेमोक्रेटिक पार्टी के पोस्टर को बिगाड़ करके बनाया गया था। एमडीपी के पोस्टर में एक कम्पास था जिसकी जगह पर भारत के तिरंगा में शामिल अशोक चक्र लगा दिया गया था। वहीं सिर्फ अशोक चक्र ही नहीं बल्कि पोस्टर में बीजेपी का चुनाव चिन्ह कमल भी शामिल किया गया था। मरियम शिउना का ऐसा करने के पीछे का मकसद भारत का अपमान करने का था।

इसके पहले मरियम शिउना ने सोशल मीडिया पर पोस्ट में पीएम मोदी के लिए आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया था। इसी विवाद के बाद उन्हें मंत्री पद से बर्खास्त किया गया था। दरअसल, पीएम मोदी ने लक्षद्वीप दौरे का एक वीडियो शेयर किया था। इसमें खूबसूरती के लिहाज से लक्षद्वीप अब मालदीव को टक्कर देता नजर आया। इसके बाद सोशल मीडिया पर लोग कहने लगे कि लाखों रुपए खर्च कर मालदीव जाने से बेहतर है कि लक्षद्वीप जाएं।

इससे मालदीव के मंत्री और नेता नाराज नजर आए। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट में पीएम मोदी के लिए आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया। साथ ही कहा कि भारत सर्विस के मामले में मालदीव का मुकाबला नहीं कर सकता।

समय पर हस्तक्षेप से हालात में जबरदस्त सुधार हुआ', चुनाव के बीच मणिपुर हिंसा पर बोले PM मोदी

पीएम नरेंद्र मोदी ने मणिपुर हिंसा मामले में बयान दिया है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, केंद्र सरकार के वक़्त पर हस्तक्षेप करने एवं मणिपुर सरकार की कोशिशों की वजह से प्रदेश की स्थिति में जबरदस्त सुधार हुआ है। उन्होंने कहा कि हमने वहां संघर्ष को समाप्त करने के लिए अपने संसाधन और पूरी प्रशासनिक मशीनरी लगा दिया है। प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी बताया कि मणिपुर में जब संघर्ष अपने चरम पर था, तब गृह मंत्री अमित शाह मणिपुर पहुंचे तथा विवाद को सुलझाने में सहायता के लिए अलग-अलग स्टेक होल्डर्स के साथ 15 से अधिक बैठकें कीं।

अपने एक इंटरव्यू में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, हमारा मानना ​​है कि स्थिति से संवेदनशीलता से निपटना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। इस बारे में मैं पहले ही संसद में बोल चुका हूं। हमने संघर्ष को सुलझाने के लिए अपने सर्वोत्तम संसाधन एवं प्रशासनिक मशीनरी समर्पित कर दी है। दरअसल, मोदी से पूछा गया था कि मणिपुर की स्थिति को कैसे आंकते हैं तथा प्रदेश में जातीय सद्भाव सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं? 

आगे प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, भारत सरकार के समय पर हस्तक्षेप एवं मणिपुर सरकार के प्रयासों की वजह से प्रदेश की स्थिति में जबरदस्त सुधार हुआ है। जब संघर्ष अपने चरम पर था तब गृह मंत्री अमित शाह मणिपुर में रहे एवं संघर्ष को सुलझाने में सहायता के लिए विभिन्न हितधारकों के साथ 15 से अधिक बैठकें कीं। प्रदेश सरकार की आवश्यकता के मुताबिक, केंद्र सरकार निरंतर अपना सहयोग दे रही है। राहत एवं पुनर्वास की प्रक्रिया जारी है। प्रदेश में आश्रय शिविरों में रहने वाले लोगों की राहत एवं पुनर्वास के लिए एक वित्तीय पैकेज भी दिया गया है।

भारत के लिए भी क्यों जरूरी है मालदीव?

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मालदीव के साथ भारत के सदियों पुराने सांस्कृतिक संबंध हैं। भारत के लिए मालदीव, आर्थिक, सामरिक और सांस्कृतिक नजरिए से बेहद अहम देश है। 1965 में आजादी के बाद मालदीव को सबसे पहले मान्यता देने वाले देशों में भारत शामिल था। बाद में भारत ने 1972 में मालदीव में अपना दूतावास भी खोला। मालदीव भारत का करीबी रहा है और जरूरत पड़ने पर भारत ही मालदीव की मदद करता रहा है। हालांकि हाल में दोनों देशों के बीच रिश्तों में तनाव ने जगह ले ली है। 

पिछले साल सितंबर में 54 फ़ीसदी वोटों के साथ राष्ट्रपति चुनाव में मोहम्मद मुइज़्ज़ू को जीत मिली थी। नवंबर में मुइज़्ज़ू ने द्वीपीय देश मालदीव के आठवें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी। मुइज़्ज़ू ने राष्ट्रपति बनते ही संकेत दे दिया कि उनकी विदेश नीति में भारत से दूरी बनाना प्राथमिकता में है। मुइज़्ज़ू ने शपथ लेने के बाद राष्ट्र के नाम पहले संबोधन में मालदीव से भारतीय सैनिकों की वापसी की बात दोहराई। उन्होंने पहला विदेश दौरा तुर्की का किया। मुइज़्ज़ू ने एक परंपरा तोड़ी क्योंकि इससे पहले मालदीव का नया राष्ट्रपति पहला विदेशी दौरा भारत का करता था। तुर्की के बाद मुइज़्ज़ू यूएई गए और अभी चीन के पाँच दिवसीय दौरे पर गए। 

मालदीव पर “मुलायम” रवैया

मालदीव में मोहम्मद मुइज़्ज़ू के राष्ट्रपति बनने के बाद से संबंधों में पहले से ही तनातनी थी। हालांकि, जैसे ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लक्षद्वीप में पर्यटन को बढ़ावा देने की पहल की तो दोनों देशों के बीच गतिरोध बढ़ गया। मालदीव में तीन मंत्रियों ने पीएम मोदी को लेकर अपमानजनक टिप्पणी भी की। जिसके बाद भारत ने भी सख्ती दिखाई। लेकिन अब, भारत ने मालदीव के साथ अपने संबंधों में तनाव के बावजूद बड़ा फैसला लिया है। भारत ने मोइज्जू सरकार के साथ संबंधों में खटास के बावजूद सामानों के निर्यात पर प्रतिबंध हटा दिया है। भारत विवाद के बावजूद मालदीव को जरूरी सामान भेजता रहेगा। खास बात ये है कि सामान की जो मात्रा तय की गई है वो 1981 के बाद सबसे ज्यादा होगी। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर भारत की इस चाल के पीछे की वजह क्या है?

भारत के लिए अहम मालदीव

दरअसल, हिन्द महासागर में मालदीव भारत का एक अहम समुद्री पड़ोसी देश है। मालदीव की भौगोलिक स्थिति भारत की रणनीति के लिहाज से काफ़ी अहम है। हिन्द महासागर में चीन की बढ़ती दिलचस्पी के कारण मालदीव की अहमियत भारत के लिए और बढ़ गई है। मालदीव लक्षद्वीप से मात्र 700 किलोमीटर दूर है और भारत के मुख्य भूभाग से मात्र 1200 किलोमीटर की दूरी पर है। भारत की नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी और सागर सुरक्षा सहायता के तहत भी मालदीव जरूरी हो जाता है। मालदीव में मौजूदगी से भारत को हिंद महासागर के एक प्रमुख हिस्से पर नजर रखने की क्षमता मिल जाती है। हिंद महासागर में चीन अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए कई देशों में मौजूदगी को बढ़ा रहा है तो दूसरी तरफ उसको रोकने के लिए भारत इन देशों में अपनी मौजूदगी को मजबूत बनाए रखना चाहता है। 

भारत के लिए क्यों अहम है मालदीव?

हिंद महासागर के अंदर लाइन ऑफ कम्युनिकेशन को सुरक्षित रखने के लिए मालदीव की लोकेशन से काफी कुछ हासिल कर सकते हैं। उदाहरण के लिए अगर आप सर्विलांस भी रखना चाहते हैं तो मालदीव की लोकेशन एक प्रकार का परमानेंट एयरक्राफ्ट कैरियर है। यूरोप में जब महायुद्ध हो रहा था तो माल्टा द्वीप (जोकि मेडिटरेनियन के अंदर है) की खासियत इसकी साइज नहीं था, उसका जियोग्राफिक लोकेशन था, जोकि स्ट्रैटेजिक या सामरिक बन जाता है। इसी दृष्टिकोण से इस वक्त मालदीव्स अपनी लोकेशन की वजह से बहुत अहम है और उसकी अहमियत को चीन ने बहुत अच्छी तरह समझ लिया है। 

इसलिए पिछले 500 साल के बाद चीन ने हिंद महासागर में पहली बार 2008 में प्रवेश किया। 2007-08 में समुद्री लुटेरों की वजह से चीन ग्लोबल एंटी पायरेसी एफर्ट का बहाना बनाकर यहां पर आ गया और तभी से उसके जहाज 24×7 यहां पर मौजूद रहते हैं। वह जिबूती से लेकर मालदीव, मालदीव से लेकर यूएई, पाकिस्तान और हिंद महासागर वेस्टर्न इंडियन ओशन में अपनी पकड़ बनाए हुए है और यह भारत को परेशान करने वाली बात है। हिंद महासागर अभी सामरिक और सामुद्रिक दृष्टिकोण से चीन के लिए, अमेरिका के लिए और भारत के लिए एक बहुत अहम क्षेत्र हो गया है और उसे दायरे में हमको मालदीव को समझना चाहिए।

हिंद महासागर में चीन अपनी ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ रणीनीति पर काम कर रहा है। इसके तहत चीन हिंद महासागर के आस पास के देशों में रणनीतिक बंदरगाह बना रहा है, इंफ्रास्ट्रक्चर बना रहा है ताकि जरूरत पड़ने पर उनका मिलिट्री इस्तेमाल कर सके। चीन की मौजूदगी पाकिस्तान के ग्वादर से लेकर हॉर्न ऑफ अफ्रीका में जिबूती और श्रीलंका के हंबनटोटा तक है। ये बंदरगाह चीन की हिंदमहासागार रीजन में मिलिट्री पहुंच बढ़ा रहे हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक अगर मालदीव से भारत की दूरी बढ़ी और चीन उनके ज्यादा करीब आ गया तो वह हिंद महासागर में परेशानी बढ़ा सकता है। साथ ही भारत का सारा समुद्री ट्रैफिक यहीं से आता है। अगर चीन वहां अपनी पकड़ बना कर कुछ हरकत करता है और भारत को अपना ट्रैफिक डायवर्ट करना पड़ता है तो यह महंगा भी साबित होगा।

लापरवाही या....? राहुल गांधी की रैली से पहले बैनर पर दिखी बीजेपी नेता की फोटो

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राहुल गांधी आज से मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव प्रचार की शुरुआत करेंगे। वह मंडला लोकसभा सीट के अंतर्गत सिवनी जिले के धनोरा में तथा शहडोल में जनसभा को संबोधित करेंगे। हालांकि, इससे पहले पार्टी की बड़ी फजीहत हो गई है। दरअसल, यहां मुख्य मंच पर जो बैनर लगाया गया है, उसमें बीजेपी से मंडला सीट से उम्मीदवार और केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते की फोटो लगा दी गई। बता दें कि राहुल गांधी जिस कैंडिडेट के खिलाफ वोट मांगने आ रहे थे, मंच पर उसी की तस्वीर लग गई।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी मध्य प्रदेश के दौरे पर हैं। वह सिवनी जिले में लखनादौन विधानसभा के धनोरा गांव में जनता को संबोधित करेंगे। राहुल गांधी की रैली से एक दिन पूर्व मंच पर मुख्य बैनर लगाया गया। इस बैनर में कांग्रेस के दिग्गजों की फोटो लगाई गई थी। हालांकि, इस बैनर में कांग्रेस पार्टी ने बड़ी चूक कर दी। जिस लोकसभा में कांग्रेस अपने प्रत्याशी और पार्टी का प्रचार-प्रसार कर रही है, उसी बैनर में बीजेपी के केंद्रीय मंत्री एवं वर्तमान में मंडला संसदीय क्षेत्र के प्रत्याशी फग्गन सिंह कुलस्ते की फोटो लगा दी गई।

हालांकि, बाद में इस फोटो को आनन-फानन में बदल दिया गया। बीजेपी नेता की जगह कांग्रेस विधायक रजनीश हरवंश सिंह की फोटो लगा दी गई। बता दें कि मंडला में केंद्रीय मंत्री और छह बार के भाजपा सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते का मुकाबला पूर्व मंत्री और डिंडोरी-एसटी से चार बार के कांग्रेस विधायक ओंकार सिंह मरकाम से है, जो 2014 के मुकाबले की पुनरावृत्ति होगी, जब कुलस्ते ने जीत हासिल की थी।

वहीं, राहुल गांधी की सभा में मंच पर लगी भाजपा प्रत्याशी की तस्वीर को लेकर मुख्यमंत्री मोहन डॉ. यादव ने कटाक्ष किया है। सीएम ने कहा चुनाव को लेकर कांग्रेस गंभीर नहीं है। ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस ने चुनाव के पहले ही हार मान ली है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि कांग्रेस, अपनी पार्टी और कार्यकर्ताओं का मजाक बनवा रही है, इससे समझ आता है कि कांग्रेस कितनी गंभीर है।

मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव चार चरणों में कराए जाएंगे। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को होगा, उसके बाद 26 अप्रैल, 7 मई और 13 मई को होगा। मध्य प्रदेश में कुल 29 लोकसभा क्षेत्र हैं, जो इसे संसदीय प्रतिनिधित्व के मामले में छठा सबसे बड़ा राज्य बनाता है। इनमें से 10 सीटें एससी और एसटी उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हैं, जबकि बाकी 19 सीटें अनारक्षित हैं।