लोकसभा चुनाव में यूपी से आएगा गांधी का परिवार या नहीं, इसको लेकर संशय बरकरार, कार्यकर्ता में मायूसी
शिशिर पटेल, लखनऊ। भारत चुनाव आयोग द्वारा देशभर में लोकसभा चुनाव की घोषणा करने के बाद से पहले चरण के लिए जहां नामांकन प्रक्रिया शुरू हो गयी है। वहीं चुनावी हलचल भी तेज है, लेकिन गांधी परिवार के यूपी में चुनाव लड़ने को लेकर किसी प्रकार का पत्ता नहीं खोला है। जिसको लेकर अभी संशय को बकरार रखा हुआ है। हालांंकि गांधी परिवार में सोनिया गांधी के राज्यसभा सदस्य हो जाने के कारण पहले ही रायबरेली से चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा कर दी है। सोनिया गांधी के बाद राहुल गांधी भी वायनाड से चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। अब बची प्रियंका गांधी। प्रियंका अमेठी या रायबरेली से लड़ेगी की नहीं अभी इसकी कोई घोषणा नहीं की गई है। ऐसा ही कुछ हाल सुलतानपुर और पीलीभीत लोकसभा सीट की है। यहां से चुनाव लड़ने के लिए मेनका गांधी और वरूण गांधी के चुनाव लड़ने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने अभी तक उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। अमेठी या रायबरेली से चुनाव लड़ने की घोषणा न तो प्रियंका गांधी की तरफ से की गयी है और न ही राहुल गांधी की तरफ से। दूसरी तरफ पीलीभीत और सुलतानपुर में मेनका गांधी और वरूण गांधी के भी चुनाव लड़ने के लिए भाजपा ने अभी तक उम्मीदवार घोषित नहीं किया है।
जानकारी के लिए बता दें कि लोकसभा चुनाव की घोषणा के मुताबिक यूपी में पीलीभीत में प्रथम चरण में होना है। इसके बाद भी इस सीट पर अभी तक भाजपा ने किसी उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है। एेसा ही हाल रायबरेली और अमेठी का है। इन सीटों पर अभी तक गांधी परिवार के किसी सदस्य का नाम न घोषित होने के कारण मायूसी छायी है। चूंकि इन सीटों पर गांधी परिवार का ही कब्जा रहा है। पीलीभीत लोकसभा सीट पर मेनका गांधी 1989 से 2004 तक लगातार पांच बार सासंद रहीं। पहली बार 2009 में उन्होंने अपने पुत्र वरूण गांधी के लिए पीलीभीत को छोड़ा। 2014 में फिर मेनका पीलीभीत से सासंद हुईं। इसके बाद 2019 में पुन: पुत्र के लिए पीलीभीत छोड़कर सुलतानपुर चलीं आयीं। 2017 के बाद से ही वरूण गांधी ने बगावती तेवर अख्तियार कर लिये। इससे भाजपा के स्थानीय कार्यकर्ता और प्रदेश स्तर से भी उनके खिलाफ आवाजें आ रही हैं।
इसी कारण अभी तक भाजपा ने पीलीभीत से अपने पत्ते नहीं खोले। हालांकि वरूण गांधी ने नामांकन के लिए पर्चा मंगवा लिया है। अब उनके चुनाव के लिए यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह ही अंतिम फैसला करेंगे। वे अपना डिटो लगाते हैं, तभी वरूण को टिकट मिल सकता है। दूसरी तरफ मेनका गांधी चाहती हैं कि पहले बेटे का टिकट कंफर्म हो, उसके बाद ही वह चुनाव लड़ने या न लड़ने का निर्णय करेंगी।दूसरी तरफ कांग्रेस से राहुल गांधी के भी उप्र से चुनाव लड़ने का संशय बरकरार है। अभी तक प्रियंका गांधी वाड्रा को भी यहां से आने या न आने का कोई फैसला नहीं हुआ है। इसको लेकर गांधी परिवार के समर्थक भी उहापोह की स्थिति में हैं। हो क्यों न चूंकि लंबे समय से इन सीटों पर गांधी परिवार का कब्जा होने के कारण यहां के कार्यकर्ता और मतदाता भी काफी घुले मिले है। इसीलिए सभी की निगाह गांधी परिवार पर है।
Mar 22 2024, 16:30