धान,गेंहू की खेती कम,मोटे अनाज ने बढत बनाई 
अमेठी। धान की खेती को पानी चाहिए तो गेहूं की खेती को मौसम चाहिए लेकिन जलवायु के परिवर्तन ने किसानो को लागत अधिक होनै से परेशान कर दिया।आवारा पशुओ ने तो किसानो को खेत की रखवाली के लिए मुस्तैद कर दिया।फिर भी खेती किसान को अब घाटे का सौदा बताना शुरु कर दिए। प्रधान मंत्री किसान बीमा योजना से किसान कोई क्षति पूर्ति से साफ इंकार कर दिया।
 उत्तर प्रदेश सरकार तो किसानो को फायदा मिले। इससे चार कदम दूर नजर आती है। भाकियू के तगड़े घेराव से उत्तर प्रदेश सरकार की नीद हराम हुई। तब जाकर किसान की मदत की बात सोची। बाकी उत्तर प्रदेश सरकार किसानो को वोट बैंक के चक्कर नाचना चाहती है। 
किसान उदय राज यादव कहते है कि धान,गेंहू खेती अब घाटे का सौदा रहा। आवारा पशुओ ने किसानो को बर्बाद कर दिया। रात और दिन खेत की निगरानी करते करते ऊब गये। खेती अब घाटे का सौदा रह गया। 
किसान भारत धुरिया का कहना है कि मोटे अनाज की खेती करेंगे। रागी,चना,मटर,कोदो,सवां  की खेती करेंगे। इस परिवार पोषण मे फायदे मिलेगा। बीमारियो से छुटकारा मिलेगा। 
किसान राजकुमार कश्यप कहते है कि धान और गेंहू की खेती मे गोबर की खाद नही डाल पाते है।इस नाते उर्वरक की अधिक मात्रा  प्रयोग करते है।कीटनाशक दवाओ से फसल की सुरक्षा करते है। धान का चावल और गेंहू का आटा खाने से गैस पेट मे बनती है। पेट मे गैस बनाने से बीमारियो का खजाना खुल जाता है। कम मेहनत करने वाले परिवार के लोग सुगर और ब्लडप्रेशर के शिकार हो जाते है।जो अक्सर बीमारियो के चपेट मे आ जाते है।
 मोटे अनाज के खाने से पेट साफ रहता है।गैस नही तो बीमारी नही। 
किसान राम शिरोमणि शुक्ल कहते है कि सरकार किसान के दबाव से परेशान है। निजी ट्यूबवेल का बिल अब सरकार ने निशुल्क करने का फरमान जारी किए है । अनाज का उपज मूल्य भी नही मिल रहा है। बाजारा और जौ के आटे की डिमांड बढ गयी है। अब रोगी मोटे अनाज का ढूढ रहे है। 
मोटे अनाज की फसल मे लागत कम लगती है। उर्वरक भी कम लगता है। किसान के फायदे की बात है।प्रधान मंत्री किसान फसल बीमा योजना सिर्फ प्रचार प्रसार है।फायदा कम भगदौड ज्यदा है। अधिकारी और सरकार दोनो किसान की नही सुनती।
डाइड विशेषज्ञ प्रतिभा कहती है कि मोटे अनाज से लोगो को बीमारी से राहत है। उर्वरक,कीटनाशक,का अधिक उपयोग जीवन के लिए घातक है। 
मानव जीवन मे रोग से बचाव होगा। इलाज से बचाव बेहतर होगा। मंहगे जरूर है। लेकिन बाजार मे आटा असनी से मिल जाता है। 
उप कृषि निदेशक डा लाल बहादुर यादव बताते है कि चना की खेती,  मटर की खेती,उरद की खेती और मूंग की खेती का प्रदर्शन किसानो को करवाते है। अब तो कृषि बिभाग से ज्वार,बाजारा की खेती का फसल प्रदर्शन करवाते है। 
हर साल मूंग,उरद,सवा,कोदो,
मकरा (रागी), आदि की मिनी कीट का निशुल्क बितरण कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। किसान मोटे अनाज की खेती करे। लागत कम आयेगी। पानी कम खेती मे लगेगा।
Mar 21 2024, 18:40
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