जरा देर ठहरो राम अभी हमने जी भर के देखा नहीं है
अयोध्या।भजन संध्या स्थल का मंच जहां महादेव की नगरी से पधारे प्रणव सिंह ने ओज पूर्ण भजन प्रस्तुत कर उपस्थित राम भक्तों को थिरकने पर मजबूर कर दिया तो वहीं रश्मि मिश्रा के संस्कार गीत सोहर,कनछेदन, स्वयंवर गीत,जेवनार गारी, होली गीत सियाराम लखन खेले होली मूढ़े फगुन चढ़ी आव सखी से श्रद्धालुओं को राम नाम की महिमा का गुणगान किया।
अगली प्रस्तुति में विभाश्री ने सब दुखियों की सुनने पुकार मेरे राम आये हैं और जरा देर ठहरो तमन्ना यही है अभी हमने जी भर के देखा नहीं है जैसे भजनों से राम जी के प्रति आस्था निवेदित की।इस अवसर पर विशेष आमंत्रित अतिथियों जुडिशल मैजिस्ट्रेट प्रत्यूष आनंद मिश्र, जुडिशल मैजिस्ट्रेट प्रशांत शुक्ल, जुडिशल मैजिस्ट्रेट सोनल उपाध्याय, उत्तर प्रदेश के पू अपर महाधिवक्ता मदन मोहन पाण्डेय,राजकीय चिकित्सक डा. मयंक पाण्डेय,समाज के सरोकार से जुड़ीं रजनी पाण्डेय व कलाकारों प्रणव सिंह, रश्मि उपाध्याय,विभाश्री का संस्कृति विभाग कार्यक्रम अधिशासी कमलेश कुमार पाठक ने किया।
कार्यक्रम का कुशल संचालन उद्घोषक संस्कृति विभाग विश्व प्रकाश रूपन ने किया । रामकथा पार्क में आयोजित रामोत्सव के अपराह्न सत्र में मानस कथा मर्मज्ञ कथाव्यास पंडित ऋषिराज तिवारी ने सुंदरकांड का सरस विवेचन किया। श्रद्धालु मानस की व्याख्या सुनकर अभिभूत थे।
कथा व्यास ऋषिराज जी को संस्कृति विभाग के कार्यक्रम अधिकारी कमलेश कुमार पाठक ने शाल और संगतकारो को तुलसी की माला प्रदान कर मंच के भाव उन तक प्रेषित किए। सांध्यकालीन सत्र में वाराणसी से आए गुणी कलाकार पंडित गणेश प्रसाद मिश्र ने सर्वप्रथम रामजी की आराधना में "नमामी राम रघुवंश नाथम" स्तुति का गायन किया तो वातावरण में एक आध्यात्मिकता रच बस गई।
इसी भावभूमि पर अगला भजन "जिनके हिय में श्रीराम बसे, तिन और के नाम लिए ना लिए" गाया तो पांडाल में भक्ति का रंग और गाढ़ा हो गया। अगली प्रस्तुति में जन जन के अहोभाव को व्यक्त किया "धन्य भाग सेवा का अवसर पाया"। "काशी में होली रचाए भोला" जैसे ही गाया पूरे वातावरण में फागुन की भक्ति हिलोरे लेने लगी। काशी से अयोध्या का ये संगम,राम की नगरी में शिव का मिलन का साक्षी भी बन रहा था।
दर्शकों की मांग पर पंडित गणेश प्रसाद मिश्र ने एक होली "गिरधारी मोपे डारो ना पिचकारी,भीज़ जायेगी मोरी सारी" गाकर सभी को विभोर कर दिया।भक्तिमय हो चुके वातावरण में अगली प्रस्तुति रेखा मिश्र के दल ने लोक भजन और लोक नृत्यों से "रामोत्सव" में उत्सव के रंग भर दिए।
कार्यक्रम का आरंभ गणपति वंदना से किया "अरे गणपति सुमिरो जी" इसके बाद लोकनृत्य से भगवती की आराधना की "हम दियाना जराय आयन,देवी के दुआरुआ"। प्राण प्रतिष्ठा के अनुरूप "खेल रहे रघुरैया हो,दसरथ के भवनवा" गाकर एक बार फिर दर्शकों को तालिया बजाने पर विवश कर दिया। इसी क्रम में उत्साह को ऊंचाइयों पर पहुचाते हुए भजन गाया "दाई नाचे दसरथ के भवनवा आए के" तो सभी झूमने लगे। अगले भजन में "जन्मे अवध मां रघुराई, कौशल्या मईया दे दो बधाई" गाकर बधाई दी और इसके बाद "सिया मांगे यही वरदान,सरयू नहाय के" गाकर माता सीता और सरयू के प्रति श्रद्धा प्रकट की।ऊंचाइयों पर पहुंच चुके कार्यक्रम में अगली प्रस्तुति "सिरातन संस्कृति दल मिथिला" के कलाकारो ने की।
डा.उषा श्रीवास्तव के नेतृत्व में लोकगीतों और लोक नृत्य के माध्यम से इन कलाकारों ने परंपरा अनुसार पुष्प वाटिका के प्रसंग से आरंभ करके सीता विवाह, भांवर, गारी और कोहबर के प्रसंग को जीवंत कर दिया।भक्ति भरी भारतीय संस्कृति की सोंधी खुशबू से पूरा पांडाल महक गया।
कार्यक्रम का प्रभावी संचालन आकाशवाणी के उद्घोषक देश दीपक मिश्र ने किया।डा. लवकुश द्विवेदी के निर्देशन में कलाकारो का सम्मान अतुल सिंह ने किया। इस अवसर पर तमाम राधा रमण,स्वदेश मिश्र,रितिका,लाल बहादुर,समेत संतजन और श्रद्धालु दर्शक उपस्थित रहे।
Feb 13 2024, 18:57