कर्तव्य पथ पर आज रचेगा इतिहास, गणतंत्र दिवस पर पहली बार तीनों सेना की महिला टुकड़ी परेड में हो रही हैं शामिल


देश भर में आज गणतंत्र दिवस का उत्साह है। देश की राजधानी दिल्ली के कर्त्तव्य पथ पर 75वें गणतंत्र दिवस समारोह की परेड में काफी कुछ नया देखने को मिलेगा। गणतंत्र दिवस परेड में पहली बार तीनों सेना- थल सेना, वायुसेना और जल सेना की महिला सैनिक शामिल होंगी। मेजर जनरल सुमित मेहता ने बताया कि इस बार तीनों सेना की महिला टुकड़ियां शामिल होंगी।

इस साल के गणतंत्र दिवस की थीम महिलाओं पर आधारित है जिसकी वजह से परेड में महिलाओं का अब तक का सबसे अच्छा प्रतिनिधित्व देखने को मिलेगा। इस साल पहली बार तीनों सेनाओं की एक महिला टुकड़ी भी मार्च करेगी। केंद्रीय सशस्त्र बलों की टुकड़ियों में भी महिला कर्मी शामिल होंगी। परेड में 48 महिला अग्निवीर भी हिस्सा ले रहीं है। गणतंत्र दिवस समारोह परेड कैप्टन शरण्या राव थल सेना की टुकड़ी का नेतृत्व करेंगी, जिसमें फ्रांस के राष्ट्रिय दिवस में पीएम मोदी के साथ अतिथि के तौर पर शामिल रहीं स्क्वॉड्रन लीडर सुमिता यादव भी हिस्सा ले रही हैं। गणतंत्र दिवस परेड में स्क्वाड्रन लीडर रश्मि ठाकुर भारतीय वायुसेना की मार्चिंग टुकड़ी का नेतृत्व करेंगी।

फ्रांस से एक मार्चिंग दस्ता और एक बैंड दल आया

परेड में भाग लेने के लिए फ्रांस से एक मार्चिंग दस्ता और एक बैंड दल भी भारत आया है।75वें गणतंत्र दिवस की परेड में फ्रांस की 95 सदस्यीय मार्चिंग टीम और 33 सदस्यीय बैंड दल भी शिरकत करेगा। इस फ्रांसीसी दल में छह भारतीय भी हिस्सा बनने वाले हैं। इनमें सीसीएच सुजन पाठक (हेड कॉर्पोरल), सीपीएल दीपक आर्य (कॉर्पोरल), सीपीएल परबीन टंडन (कॉर्पोरल), गुरवचन सिंह (फर्स्ट क्लास लीजियोनेयर), अनिकेत घर्तिमागर (फर्स्ट क्लास लीजियोनेयर) और विकास डीजेसेगर (फर्स्ट क्लास लीजियोनेयर) शामिल हैं। 

दरअसल, फ्रांस में विदेशी सेना की एक कोर होती है जिसका नाम 'फ्रेंच फॉरेन लीजन' है। 1831 में स्थापित की गई फ्रेंच फॉरेन लीजन को फ्रेंच सेना का एक अभिन्न अंग माना जाता है। फ्रांसीसी मार्चिंग दल के कमांडर कैप्टन नोएल लुइस ने कहा कि यह विशिष्ट सैन्य कोर विदेशियों के लिए फ्रांसीसी सेना में कुछ शर्तों के साथ सेवा करने का मौका देता है। वर्तमान में इसमें लगभग 9,500 अधिकारी और सेनापति हैं। इस कोर में दुनियाभर से लगभग 140 देशों के लोग हैं।

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों मुख्य अतिथि

बता दें कि इस बार फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों गणतंत्र दिवस के दिन मुख्य अतिथि होंगे। यह छठी बार है, जब कोई फ्रांसीसी राष्ट्रपति गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि बने हैं। साथ ही दूसरी बार फ्रांसीसी दल गणतंत्र दिवस की परेड में हिस्सा ले रहा है। वहीं, इस बार 13,000 विशेष अतिथियों को बुलाया गया है।

हेल्थ टिप्स:वजन कम करना चाहते है तो नाश्ते में खाएं ये हेल्दी चीजे,तेजी से घटने लगेगा वजन


ब्रेकफास्ट यानी यानी सुबह का नाश्ता ब्रेकफास्ट को पूरे दिन का सबसे जरूरू मील माना जाता है. सुबह का नाश्ता बॉडी में दिनभर एनर्जी बनाकर रखता है. सुबह का नाश्ता ठीक से न खाने से पूरे दिन बार-बार भूख लगती है. वजन घटाने वाले ज्यादातर लोग अपने ब्रेकफास्ट को स्किप करते हैं. वही, कुछ लोग अपनी डाइट में प्रोटीन लेना शुरू कर देते हैं, जिससे उन्हें बार-बार भूख नहीं लगती और लंबे समय तक पेट भरा रहता है।

हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें को प्रोटीन फैट लॉस में बड़ी भूमिका निभाता है. इसके अलावा,ये मेटाबॉलिक रेट को भी हाई रखता है. आज यहां हम आपको कुछ ऐसी डिशेज के बारे में बताने वाले हैं, जो वजन कम करने वाले लोगों के लिए परफेक्ट मील हैं.

दलिया

दलिया को सुपरफूड भी कहा जाता है. ये खाने में जितना हेल्दी होता है, पचने में भी उतना ही आसान ही होता है. इसे खाने से बार-बार भूख नहीं है. सुबह के नाश्ते में दलिया खाकर वजन कम किया जा सकता है. अगर आप मीठा दलिया नहीं खाना चाहते हैं तो नमकीन भी बना सकते हैं.

पोहा

पोहा उत्तर भारत में खूब खाया जाता है. पोहा लो कैलोरी फूड माना जाता है. स्वाद और हेल्थ में पोहा अच्छा माना जाता है. पोहा बनाने के दौरान कई मसालों और सब्जियों का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे शरीर को कई सारे न्यूट्रिएंट्स मिलते हैं.

उपमा

साउथ इंडियन डिश उपमा भी खाने में बेहद टेस्टी लगता है. इसे पचाना भी आसान होता है. उपमा को लाइट नाश्ता माना जाता है, जो वेट लॉस के लिए जाना जाता है. ये कुछ ही मिनटों में तैयार हो जाता है.

अंडे की भुजिया

प्रोटीन के सबसे रिच सोर्स में अंडे को शामिल किया जाता है. सुबह के हेल्दी ब्रेकफास्ट में अंडे की भुजिया का ऑमलेट को शामिल किया जा सकता है. इसमें आप अपनी मनपसंद की सब्जियां बना सकते हैं.

दिल की सेहत का रखना चाहते है ख्याल तो अपने डायट में शामिल करे ये चार चीजे


आज कल के बेतरतीब जीवनशैली में हार्ट की बीमारी आम हो गई है। इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में लोगो को बस काम की चिंता होती है, काम के प्रेशर के कारण लोग अपनी सेहत को नजर अंदाज कर देते है। अपने खान पान का ठीक से ख्याल नहीं रखते। जिस कारण कम आयु के युवा वर्ग को भी हार्ट अटैक,हार्ट फेल का खतरा बढ़ गया हैं।

दिल को हेल्दी रखने के लिए वर्कआउट के साथ-साथ सही डाइट का भी अहम रोल होता है. हेल्दी डाइट शरीर को मजबूत बनाने के साथ-साथ रोगों से लड़ने की क्षमता देता है।

रिसर्च के मुताबिक जो लोग हेल्दी डाइट फॉलो करते हैं, उनमें दिल की बीमारियों का खतरा 31 फीसदी तक कम होता है.आइए जानते है,दिल की सेहत को स्वस्थ रखने के लिए कौन-कौन से फूड खाने चाहिए।

अखरोट

अखरोट में ओमेगा 3 फैटी एसिड पाया जाता है. ये हमारे शरीर का कोलेस्ट्रॉल लेवल कम करता है. रोजाना अखरोट खाने से धमनियों की सूजन को कम किया जा सकता है. अखरोट के हेल्दी फैट्स से दिल भी स्वस्थ रहता है.

संतरा

हाई ब्लड प्रेशर भी दिल की बीमारियों का संकेत हो सकता है. हाई बीपी की शिकायत रहने पर संतरा काफी फायदेमंद साबित हो सकता है. इसमें विटामिन सी के अलावा पेक्टिन फाइबर होता है, जो कोलेस्ट्रॉल को कम करता है. इसे नियमित खाने से हाई बीपी की समस्या भी दूर रहती है.

अलसी

अलसी भी एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती है. अलसी को डाइट में शामिल करने ब्लड का फ्लो ठीक रहता है. बॉडी में फाइबर और फाइटोकेमिकल्स की कमी को पूरा करने वाली अलसी को भून कर और दूसरी रेसिपीज में एड करके खा सकते हैं.

हरे रंग की सब्जियां

हरे रंग की सब्जियों में विटामिन्स और मिनरल्स भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. इसके अलावा, इनमें नाइट्रेट भी पाया जाता है. दिल को स्वस्थ रखने के लिए पालक, बीन्स, सरसों का सार और मेथी को डाइट में शामिल करना चाहिए. इन्हें खाने से शरीर में आयरन की कमी भी दूर होती है. हरी सब्जियां खाने से ऑक्सीजन रिच ब्लड आपके हार्ट तक आसानी से पहुंच पाता है।

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अयोध्या में उमड़ा सैलाब, दर्शन के लिए मंदिर के बाहर जुटी श्रद्धालुओं की भारी भीड़

प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद पहली सुबह अयोध्या के राम मंदिर में रामलला के दर्शन के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है। आज वो पहली सुबह है, जब रामभक्त मंदिर में जाकर अपने आराध्य का दर्शन-पूजन कर सकेंगे। रामलला की पूजा करने और दर्शन करने के लिए श्री राम मंदिर के मुख्य द्वार पर भक्त सुबह तीन बजे से ही बड़ी संख्या में जुटने शुरू हो गए थे। रामलला आज से आम श्रद्धालुओं को दर्शन दे रहे हैं। सभी भक्तों के लिए नव्य राम मंदिर के द्वार खुल गए हैं।

सोमवार, 22 जनवरी को शुभ मुहूर्त में पूरे विधि विधान से रामलला की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न होते ही रामभक्तों का बरसों का इंतजार खत्म हो गया और आज से हर आम श्रद्धालु रामलला के दर्शन कर सकेगा। रामलला के दर्शन सुबह 8 से रात 10 बजे तक होंगे। नए मंदिर में सुबह 3:30 से 4:00 बजे पुजारी मंत्र से रामलला को जगाएंगे, फिर मंगला आरती होगी। 5:30 बजे शृंगार आरती व 6 बजे से दर्शन शुरू होंगे। दोपहर में मध्याह्न भोग आरती होगी। फिर उत्थापन, संध्या आरती व भगवान को सुलाते वक्त शयन आरती होगी। पहला मौका होगा जब रामलला की भोग-सेवा सभी मानक पद्धतियों से होगी। 40 दिन तक रोज रामलला का शेष अभिषेक होगा। 60 दिन तक कलाकार स्वरांजलि देंगे।

बता दें कि राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम 22 जनवरी को संपन्न हुआ। प्राण प्रतिष्ठा में 7000 से ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया। राम मंदिर करोड़ों रामभक्तों की आस्था का प्रतीक है। मंदिर में भगवान राम की 51 इंच की मूर्ति स्थापित की गई है, जिसे मैसूर के शिल्पकार अरुण योगीराज में तैयार किया है। मूर्ति में भगवान विष्णु के सभी दस अवतारों, भगवान हनुमान जैसे हिंदू देवताओं और अन्य प्रमुख हिंदू धार्मिक प्रतीकों की नक्काशी भी शामिल है।

सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर विशेषःआज भी बरकरार है नेताजी की मौत का रहस्य, क्या गुमनामी बाबा ही थे नेताजी?


क्या नेताजी सुभाष चंद्र बोस और गुमनामी बाबा एक ही शख्स थे? क्या नेताजी ने ही गुमनामी बाबा बनकर अपनी ज़िंदगी के आखिरी वक्त फैजाबाद में गुमनाम ज़िंदगी के तौर पर गुज़ारी थी? ऐसे कई सवाल है जिनपर अभी भी पर्दा पड़ा है, जिनके जवाब आज दशकों बाद भी तलाशे जा रहे हैं।नेताजी की मौत का रहस्य अब भी बरकरार है।

नेताजी को लेकर दावे

क्या नेताजी की मौत 1945 में प्लेन क्रैश में ही हुई थी? इसको लेकर देश विदेश में लगातार खोज चल रही है। कई लोगों का मानना था कि नेताजी जी की मौत प्लेन क्रैश में नहीं हुई। नेताजी गुमनामी बाबा के नाम से यूपी में 1985 तक रह रहे थे। नेताजी पर रिसर्च करने वाले बड़े-बड़े विद्वानों का मानना है कि गुमनामी बाबा ही नेताजी सुभाषचंद्र बोस थे।

ना तो मृत्यु का प्रमाण, ना ही कोई तस्वीर

दरअसल गुमनामी बाबा की मौत से पहले उनकी ज़िंदगी एक तरह से गुमनाम सी ही थी। गुमनामी बाबा बेहद रहस्यमयी तरीके से रहा करते थे।आम लोग उनका चेहरा तक नहीं देख पाते थे। थोड़े-थोड़े वक्त पर किराए का घर बदलते रहते थे।यहां तक कि उनके निजी सेवक भी हर कुछ महीने में बदल जाते थे। यहां तक तो तब भी ठीक था,लेकिन शक और सवाल उठने लगे गुमनामी बाबा की मौत के दो दिन बाद।

गुमनामी बाबा आखिरकार 1983 में फैजाबाद में राम भवन के एक आउट-हाउस में बस गए, जहां कथित तौर पर 16 सितंबर, 1985 को उनका निधन हो गया और 18 सितंबर को दो दिन बाद उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया।अजीब बात है, इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि वास्तव में उनका निधन हुआ है। शव यात्रा के दौरान कोई मृत्यु प्रमाण पत्र, शव की तस्वीर या उपस्थित लोगों की कोई तस्वीर नहीं है। कोई श्मशान प्रमाण पत्र भी नहीं है।वास्तव में, गुमनामी बाबा के निधन के बारे में लोगों को पता नहीं था, उनके निधन के 42 दिन बाद लोगों को ये पता चला। उनका जीवन और मृत्यु, दोनों रहस्य में डूबा रहा पर कोई नहीं जानता कि क्यों।

विष्णु सहाय आयोग गुमनामी बाब की पहचान नहीं कर सकी

गुमनामी बाबा के विश्वासियों ने 2010 में अदालत का रुख किया था और उच्च न्यायालय ने उनका पक्ष लेते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को गुमनामी बाबा की पहचान स्थापित करने का निर्देश दिया गया था। तत्कालीन अखिलेश यादव सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद गुमनामी बाबा की जांच रिपोर्ट के लिए जस्टिस विष्णु सहाय आयोग का गठन 2016 में किया। तीन साल बाद जस्टिस विष्णु सहाय आयोग ने अपनी रिपोर्ट यूपी विधानसभा में पेश की। रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘गुमनामी बाबा’ नेताजी के अनुयायी थे, लेकिन नेताजी नहीं थे। इस रिपोर्ट को यूपी सरकार ने स्वीकार कर लिया है। 

इस रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने रिपोर्ट को सार्वजनिक करते हुए लिखा है, 'आयोग द्वारा गुमनामी बाबा उर्फ भगवान जी की पहचान नहीं की जा सकी। गुमनामी बाबा के बारे में आयोग ने कुछ अनुमान लगाए हैं। जैसे गुमनामी बाबा बंगाली थे, गुमनामी बाबा बंगाली, अंग्रेजी और हिंदी भाषा के जानकार थे। गुमनामी बाबा के राम भवन से बंगाली, अंग्रेजी और हिन्दी में अनेक विषयों की पुस्तकें प्राप्त हुई हैं। गुमनामी बाबा के स्वर में नेताजी सुभाषचंद्र बोस के स्वर जैसा प्राधिकार का भाव था। गुमनामी बाबा नेताजी सुभाषचंद्र बोस के अनुयायी थे। 

गुमनामी बाबा की मौत के बाद उनके नेताजी होने की बात फैली

कहते हैं जब गुमनामी बाबा की मौत के बाद उनके नेताजी होने की बातें फैलने लगीं तो नेताजी की भतीजी ललिता बोस कोलकाता से फैजाबाद आईं। फरवरी 1986 में, नेताजी की भतीजी ललिता बोस गुमनामी बाबा के कमरे में मिली वस्तुओं की पहचान करने के लिए फैजाबाद आई। पहली नजर में, वह अभिभूत हो गईं और यहां तक कि उन्होंने नेताजी के परिवार की कुछ वस्तुओं की पहचान की।

जो सामान गुमनामी बाबा के पास से मिला था।उसमें कोलकाता में हर साल 23 जनवरी को मनाए जाने वाले नेताजी के जन्मोत्सव की तस्वीरें थी।लीला रॉय की मौत पर हुई शोक सभाओं की तस्वीरें थी। नेताजी की तरह के दर्जनों गोल चश्मे थे। 555 सिगरेट और विदेशी शराब थी। सुभाष चंद्र बोस के माता-पिता और परिवार की निजी तस्वीरें भी थी। एक रोलेक्स की जेब घड़ी थी और आज़ाद हिंद फ़ौज की एक यूनिफॉर्म थी।सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु की जांच के लिए बने शाहनवाज़ और खोसला आयोग की रिपोर्टें,सैकड़ों टेलीग्राम और पत्र आदि जिन्हें भगवनजी के नाम पर संबोधित किया गया था।

मुखर्जी आयोग भी रहा नाकाम

यही नहीं हाथ से बने हुए उस जगह के नक़्शे भी बरामद हुए थे, जहां नेताजी का विमान क्रैश हुआ था। गुमनामी बाबा की मौत के बाद सामान के साथ कुछ ऐसी बातें भी बाहर आईं जिनको लेकर लोगों को यकीन सा होने लगा था कि गुमनामी बाबा ही नेता जी थे। इसके बाद गुमनामी बाबा के ही नेताजी होने की जांच के लिए कई जगह प्रदर्शन हुए।इस मामले की जांच के लिए मुखर्जी आयोग का गठन किया गया। हालांकि ये साबित नहीं हो पाया कि गुमनामी बाबा ही नेता जी थे।

अयोध्या धाम में श्रीरामललाजी की प्राण प्रतिष्ठा की पावन बेला में आज झारखंड के 51 हजार मंदिरों में हो रही है पूजा

रांची: श्रीरामजन्मभूमि अयोध्या धाम में श्रीरामललाजी की प्राण प्रतिष्ठा की पावन बेला में रांची सहित पूरे प्रदेश में 51000 मंदिरों में धार्मिक अनुष्ठान, महाआरती, महाप्रसाद वितरण एवं दीपोत्सव का कार्यक्रम होगा. 

विश्व हिंदू परिषद के प्रांत मंत्री डॉ बिरेन्द्र साहु ने बताया कि धार्मिक अनुष्ठान के लिए सुबह 11 बजे रांची में विश्व हिंदू परिषद के प्रांत उपाध्यक्ष गंगा प्रसाद यादव निवारणपुर तपोवन मंदिर, प्रांत उपाध्यक्ष चंद्रकांत रायपत धुर्वा श्री जगन्नाथ मंदिर, प्रांत संगठन मंत्री देवी सिंह हिनू चौक हनुमान मंदिर, प्रांत उपाध्यक्ष सुनील गुप्ता मेडिकल चौक दुर्गा मंदिर, प्रांत मंत्री डॉ बिरेन्द्र साहु बड़ागांई चौक श्री हनुमान मंदिर, प्रांत सहमंत्री रंगनाथ महतो इटकी रोड शिव मंदिर, प्रांत सामाजिक समरसता प्रमुख मिथिलेश्वर मिश्र हटिया चौक हनुमान मंदिर, प्रचार प्रसार प्रांत सहप्रमुख प्रकाश रंजन चुटिया श्री राम मंदिर, गोरक्षा प्रांत उपाध्यक्ष गिरजा शंकर पांडेय कांके चौक हनुमान मंदिर, रांची विभाग मंत्री किशुन झा साकेत नगर हिनू हनुमान मंदिर, बजरंग दल के पूर्व प्रांत संयोजक राजकिशोर बरियातू स्टॉफ क्वार्टर शिव मंदिर, बजरंग दल रांची विभाग संयोजक प्रिंस आजमनी मेन रोड संकट मोचन मंदिर, रांची विभाग सेवा प्रमुख रवि शंकर राय विहिप कार्यालय दुर्गा मंदिर, रांची महानगर अध्यक्ष कैलाश केसरी चुटिया राम मंदिर,रांची महानगर मंत्री हिनू शिवपुरी महादेव मंदिर, महानगर उपाध्यक्ष गोपाल पारीक चैती दुर्गा पूजा मंदिर भुतहा तालाब, महानगर उपाध्यक्षा डॉ ज्योतिका श्रीवास्तव लालपुर चौक मंदिर, बजरंग दल रांची महानगर संयोजक अंकित सिंह तुपुदाना हनुमान मंदिर, बजरंग दल रांची महानगर सहसंयोजक दीपक साहु बड़ागांई श्री श्री पंचदेव मंदिर सहित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ परिवार के सभी अनुषांगिक संगठनों, धार्मिक संगठनों, सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ता अपने-अपने क्षेत्र के मंदिरों में उपस्थित रहेंगे. 

बड़गाईं चौक के श्री हनुमान मंदिर में प्रातः 8 बजे पूजन-अर्चन करके सुंदरकांड का पाठ प्रारंभ करेंगे. 11 बड़गाईं श्री पंचदेव मंदिर, 11:45 बजे बड़ा तालाब दुर्गा मंदिर, एवं 12:30 बजे महावीर चौक स्थित हनुमान मंदिर सहित अन्य मंदिरों के कार्यक्रम में शामिल होंगे.

सदियों की प्रतिक्षा के बाद हमारे राम आ गए, प्राण प्रतिष्ठा के बाद बोले पीएम मोदी


अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा पूरी हो गई है। इसी के साथ रामभक्तों का 500 साल का लंबा इंतजार खत्म हो गया है।रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद पीएम मोदी ने समारोह में मौजूद लोगों को संबोधित किया। पीएम मोदी ने कहा कि सदियों के इंतजार के बाद हमारे प्रभु राम आ गए हैं। वो अब टेंट में नहीं रहेंगे। वो भव्य मंदिर में रहेंगे।पीएम मोदी ने कहा कि गर्भगृह में साक्षी बनकर आपके सामने खड़ा हूं। ये क्षण आलौकिक है। उन्होंने कहा कि ये क्षण पवित्र है। प्रभु राम का हम सबपर आर्शीवाद है।

पीएम मोदी ने कहा कि यह सामान्य समय नहीं है। यह काल के चक्र पर सर्वकालिक स्याही से अंकित हो रही अमिट स्मृति रेखाएं हैं। साथियों हम सब जानते हैं कि जहां राम का काम होता है, वहां पवनपुत्र हनुमान अवश्य विराजमान होते हैं। मैं रामभक्त हनुमान को प्रणाम करता हूं। मैं माता जानकी, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न को प्रणाम करता हूं। मैं सबको प्रणाम करता हूं। मैं इस पल दैवीय अनुभव कर रहा हूं। वे दिव्य आत्माएं, वे दैवीय विभूतियां भी हमारे आसपास उपस्थित हैं। मैं इन सबको नमन करता हूं। मैं प्रभु श्रीराम से क्षमा याचना भी करता हूं। हमारे पुरुषार्थ, हमारे त्याग और तपस्या में कुछ तो कमी रह गई होगी कि हम इतनी सदियों तक यह कार्य नहीं कर पाए।

हजार साल बाद भी लोग आज की इस तारीख की चर्चा करेंगे-पीएम मोदी

अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज से हजार साल बाद भी लोग आज की इस तारीख की, आज के इस पल की चर्चा करेंगे। ये कितनी बड़ी राम कृपा है कि हम सब इस पल को जी रहे हैं और इसे साक्षात घटित होते देख रहे हैं। मैं आज प्रभु श्री राम से क्षमा याचना भी करता हूं। हमारे पुरुषार्थ, त्याग, तपस्या में कुछ तो कमी रह गई होगी कि हम इतनी सदियों तक यह कार्य कर नहीं पाए। आज वह कमी पूरी हुई है। मुझे विश्वास है कि प्रभु श्री राम आज हमें अवश्य क्षमा करेंगे।

अयोध्या और देशवासियों ने सैकड़ों वर्षों का वियोग सहा-पीएम मोदी

लंबे वियोग से आई आपत्ति का अंत हो गया। त्रेता युग में तो वह वियोग केवल 14 वर्षों का था, तब भी इतना असह्य था। इस युग में तो अयोध्या और देशवासियों ने सैकड़ों वर्षों का वियोग सहा है। हमारी कई-कई पीढ़ियों ने वियोग सहा है। भारत के तो संविधान की पहली प्रति में भगवान राम विराजमान है। संविधान के अस्तित्व में आने के बाद भी दशकों तक प्रभु राम के अस्तित्व को लेकर कानूनी लड़ाई चली। मैं भारत की न्यायपालिका का आभार व्यक्त करूंगा, जिसने न्याय की लाज रख ली। न्याय के पर्याय प्रभु राम का मंदिर भी न्यायबद्ध तरीके से ही बना।

जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी डॉ उमाकांतानंद सरस्वती ने कहा,ना दुश्मनों की निन्दा और गुनी से बैर ठीक नही


रांची: हरिद्वार धाम से पधारे श्री श्री 1008 जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी डॉ उमाकांतानंद सरस्वती जी महाराज के पावन सानिध्य में अयोध्या में श्री राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के शुभ अवसर पर झारखंड की राजधानी रांची के हरमू मैदान में श्री राम कथा का आयोजन किया गया. 

स्वामी उमाकांतानंद जी महाराज ने देवराज के पुत्र जयंत व नारद जी के वृतांत पर चर्चा कर कथा के मर्मज्ञ को समझाया. उन्होंने कहा कि दुश्मन की निंदा कभी नहीं करें और गुणी व्यक्ति से बैर नहीं करें. प्रवक्ता प्रमोद सारस्वत ने बताया कि 22 जनवरी को हरमू मैदान में हवन व भंडारा का आयोजन किया गया है.

देवघर: आज झारखंड सीएम पहुंचे बाबा बैद्यनाथ धाम , किया भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक


(झारखंड डेस्क)

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन देवघर पहुंचे जहां उन्होंने बाबा बैद्यनाथ मंदिर में जाकर वैदिक मंत्रोचार के बीच विधि-विधान से भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक किया।

 इस दौरान सीएम हेमंत सोरेन ने राज्य की उन्नति, अमन -चैन, सुख- शांति-समृद्धि और राज्यवासियों की खुशहाली और उत्तम स्वास्थ्य की कामना की।

वे अपने दो दिवसीय देवघर दौरे के दूसरे दिन बाबा मंदिर में भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना की। सीएम का मंदिर प्रशासन और तीर्थ पुरोहित समाज द्वारा उनका भव्य स्वागत किया गया।

मुख्यमंत्री के साथ कृषि मंत्री बादल पत्रलेख, झारखंड सरकार के सचिव एवं पार्टी के नेता मौजूद थे। मंदिर परिसर में पुरोहित समाज द्वारा मुख्यमंत्री को सम्मानित भी किया गया। आज मुख्यमंत्री खिजुरिया मैदान में आपकी योजना,आपकी सरकार, आपके द्वार कार्यक्रम में शिरकत करेंगे।

मधुपुर प्रखंड और देवीपुर प्रखंड के बुढ़ई पहाड़ में लगा नवान्न मेला श्रद्धालुओं का उमड़ा जनसैलाब

देवघर। जिला के मधुपुर प्रखंड और देवीपुर प्रखंड के बुढ़ई पहाड़ में इन दिनों नवान्न मेला लगा हुआ है। बुढ़ई मेला देखने के लिए लोगों का जन सैलाब उमड़ पड़ा है । आप तस्वीरों के जरिए देख सकते है।किस तरह आस्था और उमंग उल्लास का विहंगम दृश्य बुढ़ई पहाड़ पर देखने को मिल रहा है।नवान्न मेला के मौके पर बुढ़ई पहाड़ पर विराजमन माता बुढ़ेश्वरी मंदिर में हजारों श्रद्धालुओं पूजा अर्चना भी कर रहे है। 

बुढ़ई नवान्न मेला देखने झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल से हजारों पुरुष, महिलाएं, युवक, युवतियां, बच्चे, और बुढ़े आए।मेला में लोगों ने खाने पीने के साथ मंनोरंजन का भी भरपूर आनंद उठाया। यहां लोगो के मनोरंजन के लिए तारामची, मौत का कुंआ सहित कई चीजे लगी हुई है।