*महिलाओं को सशक्त बनाने के हो रहे सकारात्मक प्रयास : डॉ. मनहर*
गोरखपुर। महिलाएं प्राचीन काल से ही भारत की संस्कृति और समाज का अभिन्न अंग रही हैं। स्वतंत्रता के पश्चात भारत में महिलाओं की स्थिति कई वर्षों से बहस और चिंता का विषय रही है।
हाल के वर्षों में हुई प्रगति के बावजूद भारत में महिलाओं को आज भी कई मोर्चों पर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। विगत कुछ वर्षों में महिलाओं को सशक्त बनाने के भारत के प्रयासों में कई सकारात्मक विकास हुए हैं। सरकार ने महिलाओं के स्वास्थ्य, शिक्षा और आर्थिक अवसरों में सुधार लाने के उद्देश्य से कई कार्यक्रम और नीतियों को लागू किया है।
यह बातें महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के तत्वावधान एवं महाराणा प्रताप महाविद्यालय, जंगल धूसड़, गोरखपुर में ‘उन्नत भारत ग्राम अभियान में मिशन शक्ति’ प्रकल्प के अन्तर्गत जेके अर्बनसेप्स डेवेलपर्स लिमिटेड कानपुर द्वारा प्रायोजित तथा सिंगर इण्डिया लिमिटेड के सहयोग से आयोजित सात दिवसीय निशुल्क सिलाई-कढ़ाई प्रशिक्षण कार्यशाला के समापन समारोह में मंगलवार को बतौर मुख्य अतिथि आईआईटी, बीएचयू के आचार्य डॉ मनहर चरण ने कहीं।
उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद का महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का प्रशिक्षण कार्यशाला के माध्यम से किया जा रहा प्रयास अभिनंदनीय एवं सराहनीय है। इस प्रशिक्षण कार्यशाला से उन्हें परिवार को शसक्त बनाने के साथ समाज व देश के विकास में भी योगदान देने का अवसर मिलेगा।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि आईआईटी, बीएचयू के आचार्य डॉ. श्रेयांश कुमार जैन ने कहा कि किसी राष्ट्र की पूर्ण उन्नति तभी हो सकती है जब वहां विकास के हरेक क्षेत्र में महिलाओं की भी पूरी भागीदारी हो।
इस दृष्टिकोण से हमें भारत की आधी आबादी यानी महिलाओं के स्वावलंबन और उनकी आत्मनिर्भरता की दिशा में और अधिक कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने आजादी के पूर्व और बाद महिलाओं के हालात पर विशद चर्चा करते हुए कहा कि स्वावलंबन नारी सशक्तिकरण की पहली सीढ़ी है। स्वावलंबी होने से महिलाओं का स्वाभिमान और आत्मसम्मान बढ़ता है।
इससे वह प्रतिकूल परिस्थितियों को नकारने की क्षमता प्राप्त कर लेती हैं। आर्थिक दृष्टि से स्वावलंबी होने से महिलाओं को हीन भावना से भी मुक्ति मिलती है। इसलिए आज के दौर में महिला शक्ति को परजीवी न होकर स्वावलंबी बनना चाहिए।
समापन कार्यक्रम के दूसरे विशिष्ट अतिथि आईआईटी, बीएचयू के आचार्य डॉ शैल शंकर ने कहा कि यह प्रशिक्षण महिलाओं को उनकी आय बढ़ाने में सहायता करने के साथ उन्हें आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाने में सहयोगी होगा।
उन्होंने कहा कि महिला स्वावलंबन का अर्थ केवल आर्थिक आत्मनिर्भरता नहीं है बल्कि जीवन के सभी क्षेत्रों में उसकी स्वतंत्रता से है। एक महिला गृहिणी होते हुए भी स्वावलंबी होती है। एक महिला का परिवार एवं समाज की प्रगति में भी महत्वपूर्ण योगदान होना चाहिए। इस अवसर पर उन्नत भारत अभियान के परियोजना प्रबंधक आशीष कुमार सिंह ने प्रास्ताविकी प्रस्तुत करते हुए कहा कि उन्नत भारत अभियान के तहत सरकारी योजनाओं को आमजन तक बताने एवं पहुंचने का कार्य किया जाता है। इसी क्रम में उन्नत भारत अभियान में मिशन शक्ति के अंतर्गत निशुल्क सिलाई-कढ़ाई प्रशिक्षण के माध्यम से महिलाओं को प्रशिक्षित कर स्वावलंबी बनाने का कार्य किया जा रहा है।
उन्नत भारत अभियान के कार्यक्रम संयोजक डॉ मंजेश्वर ने सात दिन तक चली निशुल्क सिलाई कढ़ाई प्रशिक्षण कार्यशाला की रिपोर्ट प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि इस दौरान कल 1150 महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया। कार्यशाला के माध्यम से महिलाओं को सिलाई मशीन के उपकरणों एवं क्रियाविधि के साथ उसके कुशल संचालन का प्रशिक्षण भी दिया गया।
समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए महाराणा प्रताप महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. प्रदीप कुमार राव ने कहा कि इस प्रशिक्षण के जरिये महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद ने 1150 परिवारों को आत्मनिर्भर बनाने की पहल शुरू की है। इसके आशातीत परिणाम सामने आएंगे। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती शिप्रा सिंह ने किया।
इस अवसर पर महाविद्यालय की छात्राओं शिवांन्या, दीपशिखा एवं सोनिका द्वारा सरस्वती वन्दना, स्वागतगीत, संकल्प गीत तथा वन्देमातरम् का सस्वर गायन किया गया। कार्यक्रम में महाविद्यालय के सभी प्रशिक्षण केन्द्रों पर प्रशिक्षण प्राप्त कर रही समस्त महिलाएं उपस्थित रहीं।
Jan 09 2024, 18:08