*भदोही के सीतामढ़ी में माता सीता ने धरती की गोद में ली थी समाधि,आध्यात्मिक ऊर्जा से ओतप्रोत, त्रेतायुग गाथाओं की साक्षी है यह स्थल*
नितेश श्रीवास्तव
भदोही। मां गंगा के पावन तट पर विद्यमान जिले का प्रमुख धार्मिक, पौराणिक और पर्यटन स्थल सीतामढ़ी पूर्वांचल में खास पहचान रखता है। यह दिव्य व पावन भूमि अनेक धार्मिक एवं पौराणिक मान्यताओं की साक्षी है।
महर्षि वाल्मीकि की तपोस्थली सीतामढ़ी की पालन भूमि श्रद्धालुओं की आस्था और विश्वास का केंद्र है। असीम शांति और दिव्यता की अनुभूति कराने वाली इस पावन भूमि के कण - कण में माता सीता जी मंढ़ी हुई है। भूलत के प्रथम महाकाव्य, रामायण,की रचनास्थली,जगत जननी माता सीता के द्वितीय निर्वासन काल आश्रयस्थली, महर्षि वाल्मीकि, भगवान श्रीराम व जगत जननी माता सीता के सुपुत्रों लव और कुश कुमारों की जन्मस्थली सीतामढ़ी त्रेतायुग गाथाओं की जीवंत साक्षी है।
लवकुश कुमारों का जन्म आषाढ़ शुक्ल पक्ष नवमी को हुआ था। कुमारों का लालन-पालन, शिक्षा - दीक्षा, महर्षि वाल्मीकि के सानिध्य में सीतामढ़ी स्थित आश्रम में प्राप्त हुआ था। यहां की धरती पर लवकुश कुमारों ने श्री राम के अश्वमेध यज्ञ के घोड़े को पकड़ कर उनकी चतुरंगिनी सेना को पराजित किया था। इसी स्थान पर माता सीता रानी का भव्य मंदिर बना है।
सीतामढ़ी की पावन भूमि पर महर्षि वाल्मीकि को सप्तऋषियों का उपदेश प्राप्त हुआ था। भविष्य में यह तकनीक न केवल प्रदूषण किए बिना अंतरिक्ष प्रक्षेपणों की राह खोलेगी, बल्कि इससे लंबी अवधि के अंतरिक्ष अभियान और गहरे अंतरिक्ष की खोज के अभियानों में मदद मिलेगी।




Jan 09 2024, 15:01
- Whatsapp
- Facebook
- Linkedin
- Google Plus
0- Whatsapp
- Facebook
- Linkedin
- Google Plus
1.0k